“भारत अपने गांवों में बसता है’’, महात्मा गांधी ने यह बात बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में कही थी। उनके यह उद्गार आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, दुर्भाग्यवश कई दशक बीत जाने के बाद भी, हमारे गांवों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ था। यह हमारे लिए बड़ी चिंता का विषय था कि दशकों बाद भी लाखों परिवारों के घर में बिजली का एक बल्ब तक नहीं था।
तब 2014 में एक बदलाव आया, जब देश ने एक ऐसे प्रधानमंत्री को चुनने का निश्चय किया, जो पिछड़ेपन और अंधेरे में रहने वालों की परेशानियों को महसूस कर सकता था। 2015 में प्रधान सेवक श्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले से ऐलान किया कि देश के उन लगभग 18,500 गांवों में बिजली पहुंचाई जाएगी, जो अभी तक अंधरे में रहने को मजबूर हैं। प्रधानमंत्री ने इन गांवों में एक हजार दिनों में बिजली पहुंचाने का वादा किया। इतने लंबे समय से बिजली से वंचित लोगों की पीड़ा को महसूस करते हुए, हमने यह दृढ़ संकल्प लिया कि हम सिर्फ इस लक्ष्य को पूरा ही नहीं करेंगे बल्कि निर्धारित समय से पहले ही भारत के गांवों को अंधेरे से मुक्ति दिलाएंगे। दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना हमारे उन्हीं प्रेरणास्रोत के नाम पर है, जिन्होंने हमें ‘अंत्योदय’ का सिद्धांत दिया था, जिसका अर्थ होता है, समाज के सबसे निचले पायदान पर मौजूद व्यक्ति का उत्थान।
इस वर्ष 28 अप्रैल को, भारत के सभी गांवों में बिजली पहुंचाकर, हमने विद्युतीकरण मिशन में एक बड़े milestone को पार कर लिया।
इस वर्ष 28 अप्रैल को, भारत के सभी गांवों में बिजली पहुंचाकर, हमने विद्युतीकरण मिशन में एक बड़े milestone को पार कर लिया। हम सभी की जड़ें कहीं ना कहीं गांवों में हैं, इसलिए देशवासियों ने भी अंतत: 21वीं सदी में पहुंचने वाले इन गांवों के निवासियों की खुशी को साझा किया।
इन गांवों का विद्युतीकरण अपने आप में एक बहुत कठिन चुनौती थी। बिजली के लिए तरस रहे ये गांव देश के सबसे दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में मौजूद थे। इन गांवों तक पहुंचना न सिर्फ किसी व्यक्ति के लिए बड़ी चुनौती थी, बल्कि वहां विद्युत उपकरणों को ले जाना भी बेहद कठिन था। हमारे युवा इंजीनियरों की टीम, जिन्हें हम ग्रामीण विद्युत अभियंता (GVAs) बुलाते हैं, उन्होंने इसकी जिम्मेदारी ली और इन दुर्गम स्थानों पर आने वाली सभी बाधाओं को पार किया। हमारी टीम ने पहाड़ियों की चोटियों पर स्थित गांवों तक उपकरण ले जाने के लिए नदियों, दलदल, रेगिस्तानों यहां तक कि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित गांवों को भी पार किया।
जब मैं पीछ़े मुड़कर इस विद्युतीकरण अभियान को देखता हूं तो मुझे खुशी होती है कि इस अतिआवश्यक कार्य के लिए, हमारे पास समर्पित लोगों की टीम थी। समय से पहले कार्य को अंजाम तक पहुंचाकर हमने सरकारी सिस्टम के प्रति चली आ रही लकीर का फकीर वाली धारणा को भी गलत साबित किया। अभियान के दौरान ऐप के माध्यम से पूरी पारदर्शिता बरती गई। इतना ही नहीं हमने अपने कार्य में proactive approach के साथ flexibility भी रखी। अभियान के दौरान कुछ लोगों और मीडिया ने काफी आलोचनाएं की, लेकिन हमने उन आलोचनाओं को भी सकारात्मक रूप से लिया। जब कुछ uninhabited गांवों का मुद्दा सामने आया, तो हमने इन census villages को सिस्टम में शामिल किया। Cooperative Federalism की भावना को ध्यान में रख कर, हमने राज्यों के आंकड़ों को भी स्वीकार किया और कुल विद्युतीकरण होने वाले गांवों की संख्या में 1,200 अतिरिक्त गांवों को जोड़ा।
हर गांव में प्रकाश पहुंचाने के बाद, अब इस यात्रा का आखिरी पड़ाव है गांवों के प्रत्येक घर में बिजली पहुंचाना। इस कार्य को हम इसी वर्ष दिसंबर तक पूरा करना चाहते हैं।
विद्युतीकरण के हर कदम को online करके, हमने पूरे अभियान को real time में ट्रैक करने योग्य बनाया और कार्यक्रम के कार्यान्वयन में लोगों को शामिल किया। GARV portal के द्वारा, लोग अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते थे और प्रतिदिन जिन गांवों में बिजली पहुंची, वहां के लोग अपने अनुभवों को साझा कर सकते थे। इस विद्युतीकरण की वजह से पिछले तीन वर्षों में ग्रामीण भारत में एक नई सुबह का उदय हुआ है। एक नई सुबह, जो गांव और शहर के बीच विभाजन को मिटा देगी और समानता व बढ़ते अवसरों का नया युग लाएगी।
बिजली की पहुंच एक अहम कड़ी है, जिससे इसके साथ-साथ चलने वाले दूसरे अन्य कार्यक्रमों जैसे डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया को गति मिलेगी। इससे कृषि को upgrade करने से लेकर small-scale entrepreneurship तक को बढ़ावा मिलेगा। बिजली की उपलब्धता internet access और skilling avenues के जरिए शिक्षा की रोशनी लाएगी। हर गांव में प्रकाश पहुंचाने के बाद, अब इस यात्रा का आखिरी पड़ाव है, गांवों के प्रत्येक घर में बिजली पहुंचाना। इस कार्य को हम इसी वर्ष दिसंबर तक पूरा करना चाहते हैं। इस दिशा में सौभाग्य योजना एक gamechanger साबित होगी। इस योजना के तहत देश के हर घर में बिजली कनेक्शन दिया जा रहा है। इसमें उन परिवारों को भी मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया जा रहा है, जो बीपीएल के तहत तो नहीं आते हैं, लेकिन वो बिजली के मीटर और कनेक्शन का खर्च देने में सक्षम नहीं हैं।
विश्व समुदाय सभी को बिजली पहुंचाने के भारत के प्रयास को देख रहा है। हाल ही में World Bank ने लगभग 85 प्रतिशत जनसंख्या को बिजली उपलब्ध कराने के लिए भारत की प्रशंसा की है। National Geographic में Betsy Mason ने एक लेख में इसका पूरा श्रेय ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम और भारत को उज्ज्वल करने के लिए Renewable Energy के क्षेत्र में भारी निवेश को दिया है।
यह सरकार प्रधानमंत्री मोदी के विजन के तहत 2022 तक एक New India का निर्माण सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है। मणिपुर के लीसांग गांव में बिजली का पोल पहुंचना, इस दिशा में एक महत्वपूर्ण milestone है। अब समयबद्ध सीमा में हर घर में बिजली पहुंचाने के कार्य को सुनिश्चित करना सिर्फ एक संभावना नहीं बल्कि पूरी तरह से संभव नजर आता है।
(पीयूष गोयल केंद्रीय वित्त, कॉर्पोरेट मामले, रेलवे और कोयला मंत्री हैं।)
ऊपर व्यक्त की गई राय लेखक की अपनी राय है। यह आवश्यक नहीं है कि नरेन्द्र मोदी वेबसाइट एवं नरेन्द्र मोदी ऐप इससे सहमत हो।