महिला शक्ति में छुपी होती है किसी देश की ताकत - एक सूक्ति 

इंडिया किस तेजी में बदल रहा है ये मैंने तब महसूस किया जब मैंने बड़े शहरों से बाहर निकलकर देश के छोटे शहरों और गांवों में जाना शुरू किया। इसमें मेरा जो अनुभव रहा वो कल्पना से परे था और इस दौरान जो मुझे सीखने को मिला वो अनमोल है। छोटे शहरों और गांवों ने टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को नये सिरे से परिभाषित किया है। इसने साहस और बदलाव की क्षमता रखने वाली दोनों ही शक्तियों से मेरा परिचय कराया।      

बदलाव की बात अक्सर किसी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी इनोवेशन से जोड़कर की जाती है। लेकिन ये उस तरह के बदलाव ना होकर भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं हैं क्योंकि ये चुनौतियों के बीच से निकल रहे हैं। छोटे माने जाने वाले इलाकों में लोग आजीविका में बेहतरी लाने के लिए टेक्नोलॉजी को आत्मसात कर रहे हैं, ये देखने में जितना सरल लगता है उतना है नहीं। जब आप संसाधनों की चुनौतियों और विरासत से मिले पूर्वाग्रहों को देखते हैं तो समस्या समाधान से परे दिखती है। बेहतरी के लिए जरूरी है कि रचनात्मकता, इनोवेशन, प्रतिबद्धता और लचीलापन लोगों में ये सब अपने सबसे ऊंचे स्तर पर मौजूद रहे। इस उच्चतम स्तर को पाने के लिए ऐसे लोगों की जरूरत है जो समुदाय  के कल्याण की चिंता करते हुए अपने सीमित दायरे से बाहर निकलकर आगे बढ़ने को तैयार हों। इसलिए गांव दर गांव जाते हुए मुझे ये देखकर हैरानी नहीं हुई कि बदलाव की ज्यादातर मुहिम का नेतृत्व महिलाओं ने किया था।        

बस कुछ समय पहले तक ग्रामीण भारत में महिलाओं की हालत शोचनीय बनी हुई थी। वो शिक्षा की कमी, स्वास्थ की कमजोर देखभाल, कम उम्र में शादी, जल्दी मां बनने जैसी स्थितियों के साथ हिंसा के साये में किस तरह से संघर्षपूर्ण जीवन गुजार रही थीं, उसके बारे में हममें से ज्यादार लोग कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।   

पिछले तीन सालों में महिलाओं से जुड़े मामलों को सरकार ने हमेशा प्राथमिकता के केंद्र में रखा है। महिलाएं भी समाज में बराबरी की भागीदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं। महिलाएं स्वयं अपना नजरिया और रवैया बदलने में लगी हैं और स्वयं को किस्मत पर छोड़ने के बजाए अपनी किस्मत खुद गढ़ने में जुटी हैं। एक बुजुर्ग सरपंच ने मुझे बताया गांव को बदलने के लिए महिलाओं को बदलना होगा। अगर हम नहीं करेंगे, तो और कौन करेगा?”

ये मेरा सौभाग्य था कि मुझे ऐसी कई प्रेरणादायी महिलाओं से मिलकर उनके द्वारा लाये गए बदलाव से रूबरू होने का मौका मिला। इन महिलाओं से जुड़ी सभी कहानियों को मैं यहां शेयर तो नहीं कर सकती लेकिन एक का जिक्र मैं जरूर करूंगी जो बहुत विशेष है। ये कहानी है तेलंगाना के एक गांव में एक युवा और तेजतर्रार ग्रामीण उद्यमी (VLE)  की। इस महिला उद्यमी का दृढ़ विश्वास है कि अगर आप अपने समुदाय की बेहतरी चाहते हैं तो आपको इसकी शुरुआत  महिलाओं से करनी होगी। ये सुनिश्चित करना होगा कि महिलाएं ही इस चीज को समझने के लिए आगे आएं कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से कैसे आजीविका में सुधार लाया जा सकता है। महिलाओं का टेक्नोलॉजी से कनेक्ट होना ही आधी लड़ाई जीतने के बराबर है। उसकी कहानी अद्भुत थी क्योंकि इससे गांव की हजारों महिलाओं को प्रेरणा मिली थी।

गांव के अधिकतर परिवारों ने मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक जन धन के तहत बैंक खाते खुलवाए हैं। ये पहला मौका था जब मेहनत से जुटाये गए अपने पैसों को उन्होंने अपने घर के सुरक्षित ठिकाने से बाहर किसी अनजान जगह पर रखा था इसलिए लोगों में खासकर महिलाओं की चिंता बढ़ी हुई थी।    

VLE ने समस्या को अवसर के रूप में देखा। वो महिलाओं के पास जाकर उन्हें बताती थी कि कैसे वो टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से ऑनलाइन जाकर अपने बैंक खाते और उसमें बैलेंस को चेक कर सकती हैं ताकि पता चले कि उसका कोई दुरुपयोग तो नहीं कर रहा है। देखते ही देखते CSC पर हर उम्र की महिलाओं की भीड़ लगने लगी। सभी महिलाएं बैंक अकाउंट को हैंडल करने के तरीके के बारे में जानना चाहती थीं।

जैसे ही महिलाओं ने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शुरू किया, उन्हें तुरंत पता चल गया कि बस एक उंगली दबाने से बैंक में उनके पैसे की जानकारी हाजिर है। जल्द ही उन्होंने सरकारी सेवाओं और उनके इस्तेमाल के बारे में जानने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर-CSC जाना शुरू कर दिया, जहां वो अपने साथ परिवार के पुरुष सदस्य को भी साथ में ला रही थीं। उनका अगला कदम ये था कि नई जानकारियों का इस्तेमाल कैसे किया जाए। VLE की मदद से उन्होंने ये भी सीखा कि स्थानीय स्तर पर बने अचार और दूसरे सामान को वो ऑनलाइन बेचकर कैसे अपने परिवार के साथ गांव के लिए भी आमदनी का जरिया बढ़ा सकती हैं।

इसके बाद मैं बिहार के एक गांव की कुछ बहादुर महिलाओं से मिली जो बगैर किसी औपचारिक शिक्षा के डिजिटल साक्षरता हासिल करने के बाद बाकी महिलाओं के साथ पुरुषों को भी डिजिटल साक्षरता की ट्रेनिंग दे रही थीं। इन सबके पीछे उददेश्य था कि लोग डिजिटल साक्षर होकर अपनी आजीविका से जुड़े महत्वपूर्ण अवसरों की तलाश कर सकें।  

छत्तीसगढ़ के भिलाई में एक युवा उद्यमी ने 2000 से ज्यादा महिलाओं को डिजिटली साक्षर बनाया जिससे उन सभी महिलाओं के आत्मनिर्भर होने की उम्मीद है। 

लगभग जितने भी गांव या शहरों में मैं गई हर जगह का अपना एक स्थानीय हीरो मैंने देखा जिसके बारे में लोग खूब चर्चा करते थे। ये सुपरहीरो देश भर के अलग-अलग राज्यों और संस्कृतियों से भले आते हों लेकिन सबके अंदर एक खास विशेषता मैंने देखी। वो ये कि हर किसी के अंदर अपने परिवार और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए खुद को आर्थिक रूप से समृद्ध करने की उत्कट इच्छा थी।  मोदी सरकार की एक और प्रमुख योजना है-मुद्रा योजना-जिसके तहत 7.5 करोड़ से ज्यादा लोगों को गारंटीरहित ऋण मिला है। ये ऋण हासिल करने वालों में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं जिससे साफ है कि आर्थिक स्वतंत्रता की मुहिम को मुद्रा योजना ने एक गति देने का काम किया है।     

मेरा निष्कर्ष इस पर बहुत साफ है:

जब एक महिला को किसी चीज से फायदा होता है तो वो उसे दूसरी  महिलाओं से भी शेयर करती है ताकि पूरे समुदाय को ही फायदा मिले। परिवार की हालत सुधारने करने का अवसर आने पर कोई महिला पीछे नहीं हटती है। वो अपनी पूरी ताकत से खुद भी जुटी रहती है साथ ही दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करती है।  

देश भर में महिला शक्ति फैले तो जरा कल्पना कीजिए...यही वो बात है जिसको लेकर भारत को आज महिला सशक्तिकरण का एक ठोस रास्ता जल्दी निकालना होगा। इससे उनकी कार्यकुशलता बढ़ेगी और वो देश के विकास से जुड़े सभी पहलुओं में भागीदारी निभा सकेंगी।

जिस एक सेगमेंट में इसकी तुरंत सबसे अधिक आवश्यता है वो है स्टार्टअप इकोसिस्टम। आर्थिक समावेशन, अफॉर्डेबल हेल्थकेयर, स्किल डेवलपमेंट और आधुनिक खेती से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए इनोवेशन समय की मांग है और देश की तरक्की के लिए स्टार्टअप इकोसिस्टम जरूरी है। इस क्षेत्र  में महिलाओं की पूरी भागीदारी की जरूरत है ताकि भारत के विकास के लिए इनोवेशन को बढ़ावा देने में स्टार्टअप की अग्रणी भूमिका सुनिश्चित हो।

ऊपर की बातों के अलावा रिसर्च * ये भी बताता है कि जिस स्टार्टअप में महिला एक्जीक्यूटिव ज्यादा होती हैं उसका सक्सेस रेट ज्यादा होता है।

भारतीय इकोसिस्टम अभी भी पुरुषप्रधान है

बदलाव की सड़क का रास्ता आसान नहीं है। हाल में महिला उद्यमियों पर सामने आए मास्टरकार्ड इंडेक्स के अनुसार महिला मालिकान से जुड़े व्यवसाय के मामले में भारत विश्व की 54 अर्थव्यवस्थाओं में से 49वें नंबर पर है।  रिपोर्ट में ये कहा गया है कि महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यकता और धैर्य की हमेशा जरूरत होती है,लेकिन व्यवसाय शुरू करने के लिए अनुकूल स्थितियों का होना भी अहम है। वैसे मैं इस रिपोर्ट की अधिकतर बातों से सहमत नहीं हो सकती। कई महिला उद्यमियों की मेंटर के रूप में मैं ये कह सकती हूं कि  पूरी प्रतिबद्धता और साहस के साथ महिलाएं व्यवसाय में आती हैं जहां हर दिन वो चुनौतियों से गुजरती हैं।

चुनौतियां कई तरह की हैं जिनमें बाजार में पैसे लगाने के लिए फंडिंग जुटाने से लेकर वर्षो से चले आ रहे सामाजिक दबाव और लैंगिक पूर्वाग्रह तक शामिल हैं। हालांकि इनमें से हर  स्थिति को आज हम बदलने में सक्षम हैं। हालांकि सरकार ने इनमें से कई मुद्दों को सुलझाने के लिए ढेर सारे कदम उठाये हैं लेकिन मैं राष्ट्रीय महिला उद्यमिता नीति (National Women's Entrepreneurship Policy) बनाने को उच्च प्राथमिकता दूंगी। इसमें पॉलिसी और फाइनेंस से लेकर स्किल डेवलपमेंट और सामाजिक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं को समाहित किया जाना चाहिए।  

यहां ये बहुत महत्व रखता है कि इन समस्याओं को महिलाओं के नजरिये से देखा जाए। सरकार और औद्योगिक नीतियों को बनाने वाले ज्यादातर फोरम और कमेटी में पुरुषों का बोलबाला है। हालांकि ये सब कार्यकुशल होने के साथ बदलाव के लिए प्रतिबद्ध हैं, फिर भी महिलाओं की अंतर्दृष्टि के साथ महिलाओं के लिए होने वाले निर्णय कहीं ज्यादा लाभकारी होंगे क्योंकि इससे ये समझना आसान रहेगा कि क्या महिलाओं के हित में हो सकता है और किस तरह के निर्णय से बदलाव सचमुच में आ सकता है।    

मैं ये चाहूंगी कि स्टार्टअप पॉलिसी डेवलपमेंट फोरम और इससे जुड़ी कमेटी के गठन में महिलाओं की बराबर की भागीदारी हो।

मैं अपने प्रधानमंत्री की इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं कि भारतीय महिलाएं देश की बहुमूल्य धरोहर हैं। भारत को जल्द अब एक रास्ता निकालना है कि कैसे इस महिला शक्ति का देश के विकास में उपयोग हो।  

*Dow Jones Women at the Wheel Study

(देबजानी घोष  का  इंटेल के साथ 21 साल का उपलब्धियों भरा करियर रहा है।  आजकल वो टेक-इनोवेशन और समानता के अवसर को बढ़ावा देने के उद्देश्य में जुटी है।)

ऊपर जो राय व्यक्त की गई है वो लेखक(लेखकों) की अपनी राय है। यह आवश्यक नहीं है कि नरेंद्र मोदी वेबसाइट एवं नरेंद्र मोदी ऐप इससे सहमत हो।