राज्यसभा ने आज रियल स्टेट (नियमन एवं विकास) बिल 2016 को मंजूरी दे दी। इससे बड़ी संख्या में घर खरीदारों के हितों की रक्षा की जा सकेगी और परियोजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता को बढ़ावा देकर निर्माण उद्योग की साख बेहतर बनेगी। इस बिल से निर्माण क्षेत्र, जो कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है, के व्यवस्थित विकास के लिए एक प्रभावी नियामक तंत्र बनाया जा सकेगा।
2013 से मंजूरी के लिए राज्यसभा में लंबित बिल को मूव करते हुए आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र की ज्यादा बदनामियाँ हुई हैं जिन्हें दूर करना जरुरी है ताकि निवेश बढ़ाया जा सके और इसके लिए सरकार ने 2016-17 और इससे पहले के बजट में कई प्रोत्साहनों की घोषणा की है।
श्री नायडू ने आगे कहा कि नियामक की शुरूआत करने से दूरसंचार क्षेत्र में उपभोक्ताओं को काफ़ी लाभ मिला है। दूरसंचार क्षेत्र में जबकि कुछ ही ऑपरेटर हैं, रियल स्टेट सेक्टर में कुल 76044 कंपनियां हैं - दिल्ली में 17,431, पश्चिम बंगाल में 17,010, महाराष्ट्र में 11,160, उत्तर प्रदेश में 7,136, राजस्थान में 3,054, तमिलनाडु में 3,004, कर्नाटक में 2,261, तेलंगाना में 2,211, हरियाणा में 2,121, मध्य प्रदेश में 1,956, केरल में 1,270, पंजाब में 1,202 और ओडिशा में 1,006.
रियल स्टेट सेक्टर के जीडीपी में 9% योगदान का उल्लेख करते हुए मंत्री ने सदन को सूचित किया है कि 2011 से 2015 के बीच हर वर्ष 2,349 से लेकर 4,488 की रेंज में नई परियोजनाओं की शुरुआत हुई अर्थात 15 राज्यों की राजधानियों सहित 27 शहरों में 13.70 लाख करोड़ रुपये निवेश वाली कुल 17,526 परियोजनाएं शुरू की गई। रियल स्टेट सेक्टर से प्राप्त जानकारियों के आधार पर हर साल करीब 10 लाख खरीददार अपना घर खरीदने के लिए निवेश करते हैं।
श्री नायडू ने कहा कि जब इस क्षेत्र में इतने सारे ऑपरेटरों और इतना निवेश दांव पर लगा हो, रियल स्टेट सेक्टर का विनियमन करना उपभोक्ताओं और डेवलपर्स के हित में जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा, “उपभोक्ता दूरसंचार क्षेत्र की तरह ही इस क्षेत्र में भी किंग होंगे और डेवलपर क्वीन होंगे। और इनका एक साथ आना दोनों के लिए लाभप्रद होगा और रियल स्टेट सेक्टर के लाभ के लिए इस बिल के तहत दोनों को जोड़ने का लक्ष्य है।”
मंत्री ने कहा कि 2013 में राज्यसभा में बिल लाने से पहले और बाद उपभोक्ता और डेवलपरों, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ कई दौर में विचार-विमर्श किया गया और इसके फ़लस्वरूप बिल में काफ़ी बदलाव हुआ और उन बदलावों से इस क्षेत्र को लाभ मिलेगा। श्री नायडू ने 2016 के बिल में किए गए निम्नलिखित सुधारों का उल्लेख किया:
- सरकार प्रवर समिति की सिफारिश से भी आगे बढ़ी और अब डेवलपर्स को खरीदारों द्वारा जमा की गई रकम का 70% निर्माण कार्यों के लिए एक अलग खाते में जमा करना होगा; प्रवर समिति ने इसके लिए 50% का सुझाव दिया था;
- परियोजनाओं के पंजीकरण के लिए मानदंड 500 वर्ग मीटर प्लाट एरिया या 8 अपार्टमेंट किया गया; 2013 में ड्राफ्ट बिल में 4000 वर्ग मीटर का प्रस्ताव था और स्थायी समिति ने 1000 वर्ग मीटर या 12 अपार्टमेंट का सुझाव दिया था;
- कमर्शियल रियल स्टेट को भी बिल के अंतर्गत लाया गया और निर्माणाधीन परियोजनाओं का भी नियामक प्राधिकरण के साथ पंजीकृत होना आवश्यक है। लगभग 17,000 परियोजनाएं विकास के विभिन्न चरणों में हैं;
- कार्पेट एरिया को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है जो घरों की खरीद के लिए आधार है, अब लेन-देन में किसी भी तरह के कदाचार के लिए कोई गुंजाइश नहीं रही
- पहले की उस विषमता को समाप्त किया गया जो डेवलपर्स के हित में था, अब उपभोक्ताओं और डेवलपर्स दोनों को किसी भी देरी के लिए एक समान ब्याज दर से भुगतान करना होगा;
- संरचनात्मक दोषों के लिए डेवलपर्स के दायित्व 2 साल से बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया है और वे दो-तिहाई आवंटियों की सहमति के बिना योजनाओं में बदलाव नहीं कर सकते हैं;
- बिल में लैंड टाइटल के बीमा की व्यवस्था की गई है जो अभी बाजार में उपलब्ध नहीं है। इससे उपभोक्ताओं और डेवलपर्स दोनों को लाभ मिलेगा अगर लैंड टाइटल बाद में दोषपूर्ण पाया जाता है;
- अपीलीय न्यायाधिकरण और नियामक अधिकरणों द्वारा शिकायतों को निपटाने के लिए विशिष्ट और कम समय निर्धारित किया गया है;
- अब न्यायाधिकरण और नियामक अधिकरणों का किसी भी तरह से उल्लंघन करने पर डेवलपर्स को 3 साल तक और रियल एस्टेट एजेंटों और उपभोक्ताओं को एक वर्ष तक के कारावास का प्रावधान।
बिल के अंतर्गत अब यह ज़रूरी हो गया है कि प्रमोटर नियामक प्राधिकरण के पास अपनी परियोजनाओं का पंजीकरण कराए जिसमें प्रमोटर का विवरण, कार्यान्वयन के कार्यक्रम सहित परियोजना की जानकारी, ले आउट प्लान, ज़मीन की स्थिति, अनुमोदन की स्थिति, रियल एस्टेट एजेंट, ठेकेदारों, आर्किटेक्ट स्ट्रक्चरल इंजीनियर्स आदि के विवरण के साथ-साथ समझौतों की पूरी जानकारी देनी होगी। श्री नायडू ने कहा कि इससे परियोजनाओं में पारदर्शिता, जवाबदेही तय करने और समय पर इसे निपटाने में मदद मिलेगी।
मंत्री ने आगे कहा कि रियल एस्टेट बिल 2016 अपना घर होने का सपना देखने वालों के सपनों को पूरे करने में मदद करेगा प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत सरकार का वर्ष 2022 तक 2 करोड़ घरों के निर्माण का लक्ष्य है ताकि शहरी क्षेत्रों के गरीबों को किफायती आवास उपलब्ध कराया जा सके।
राज्य सभा द्वारा रियल स्टेट बिल के पारित होने तक के प्रमुख घटनाक्रम:
- विधि एवं न्याय मंत्रालय ने जुलाई 2011 में रियल स्टेट सेक्टर के नियमन के लिए एक केंद्रीय कानून का सुझाव दिया;
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4 जून 2013 को रियल स्टेट बिल 2013 को मंजूरी दे दी;
- 14 अगस्त 2013 को बिल राज्यसभा में पेश किया गया;
- बिल 23 सितंबर 2013 को विभाग से संबद्ध स्थायी समिति के पास भेजा गया;
- स्थायी समिति की रिपोर्ट 13 फरवरी को लोकसभा में और 17 फरवरी 2014 को राज्यसभा में पेश किया गया;
- 9 फरवरी 2015 को महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) ने रियल स्टेट सेक्टर के लिए केंद्रीय कानून की वैधता को बरकरार रखा;
- 7 अप्रैल 2015 को केंद्रीय कैबिनेट ने स्थायी समिति की सिफारिशों के आधार पर आधिकारिक संशोधनों को मंजूरी दी;
- 6 मई 2015 को बिल 2013 और आधिकारिक संशोधनों को राज्यसभा की प्रवर समिति को भेजा गया;
- 30 जुलाई 2015 को प्रवर समिति ने बिल 2015 के साथ-साथ अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की;
- 9 दिसंबर 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रियल स्टेट बिल 2015 को मंजूरी दी;
- 22 और 23 दिसंबर 2015 को राज्य सभा में बिल 2015 पर विचार और इसे पास करने के लिए सूचीबद्ध किया गया और लेकिन यह नहीं हो सका;
- 10 मार्च 2016 को रियल स्टेट (नियमन एवं विकास) बिल 2016 राज्यसभा में पारित हुआ