“स़िर्फ सुशासन पर्याप्त नहीं है; इसे जनता के हित में (प्रो-पीपल) और मुस्तैद(प्रोएक्टिव) भी होना चाहिए। सुशासन का अर्थ है लोगों को विकास प्रक्रिया के केंद्र में रखना ।” – नरेन्द्र मोदी
दशकों से भारतीय राजनेताओं ने जाति, नस्ल या धर्म के नाम पर या लोक-लुभावन उपायों के ज़रिए अपने करियर का निर्माण किया है। किसी ने भारतीय राजनेताओं की इस छवि को तोड़ा है तो वह बेशक नरेन्द्र मोदी हैं ।
यह नरेन्द्र मोदी का ही कमाल है कि देश भर में सुशासन चर्चा का विषय बन गया; कॉफ़ी पीते हुए किशोरों से लेकर न्यूज रूम की गर्मा-गर्म बहसों तक। राजनीतिक क्षितिज पर नरेन्द्र मोदी के उद्भव ने भारत में होने वाली बहस को पूरी तरह से बदल दिया है, जहां शासन एक उपेक्षित मुद्दा बनकर रह गया था। वो एक ऐसे युग के अग्रदूत बने, जिसमें राजनेता अपने भाषणों में कोरे वादों की जगह विकास दर और विकास के ऐसे दूसरे सूचकांकों से जुड़े आंकड़े बताने लगे।
शासन सूचकांकों को लेकर राज्य सरकारें एक-दूसरे की स्पर्धा करती हुई दिखाई देने लगीं, जबकि एक दशक पहले तक ऐसा नहीं होता था। राजनीतिक बिरादरी में आए इस बदलाव के साथ-साथ बढ़ती जागरुकता और तकनीक के इस्तेमाल से हमारे देश के लोगों के लिए एक फायदेमंद स्थिति बन सकती है।
नरेन्द्र मोदी का प्रबल विश्वास रहा है कि अकेला सुशासन पर्याप्त नहीं है; यह लोगों के हित में और मुस्तैद होना चाहिए। उनका मानना है कि सुशासन के माध्यम से लोगों के जीवन में स्पष्ट प्रभाव दिखना चाहिए। नरेन्द्र मोदी ने ऐसी कई पहल की, जिससे लोगों की जीवन गुणवत्ता में भारी सुधार हुआ।
नागरिक हितैषी सरकार की दो महत्वपूर्ण ख़ूबियां हैं- पारदर्शिता और ज़वाबदेही। इन ख़ूबियों के अलावानरेन्द्र मोदी का पिछला रिकॉर्ड बताता है किउन्होंने मौज़ूदा कार्य प्रणालियों और प्रक्रियाओं द्वारा भी बेहतरीन परिणाम दिए हैं। इसका एक उदाहरण है गुजरात में उनका ‘एक दिवसीय शासन’ मॉडल।
गुजरात कैबिनेट ने 2011 में ‘वस्तु और सेवा की समयबद्ध आपूर्ति के लिए नागरिकों का अधिकार और उनकी शिकायतों का समाधान विधेयक’ को मंजूरी दी, लेकिन नरेंद्र मोदी ने इस बारे में काफी पहले ही सोच लिया था और नागरिकों को एक ही दिन में मुख्य सेवाएं प्रदान करने के लिए 2003 में ही गुजरात में एक दिवसीय शासन का मॉडल लागू कर दिया गया।
यह मॉडल ई-प्रशासन से संबंधित बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाकर नागरिकों को समयबद्ध सेवाएं प्रदान करने पर केंद्रित है। इसका मु्ख्य उद्देश्य सिटीजन चार्टर के अंतर्गत शामिल सरकार द्वारा नागरिकों को प्रदान की जाने वाली सभी सेवाएं उपलब्ध करना था। इसमें मुख्य रूप से नागरिक केंद्रित सेवाएं शामिल हैं, जैसे कि राजस्व, पंचायत, स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि के साथ ही रिकॉर्ड का रखरखाव। इस मॉडल के माध्यम से ज़रूरी प्रमाण पत्रों,शपथ पत्रों,भूमि, नागरिक आपूर्ति जैसी 173 से भी अधिक प्रकार की सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
इन सेवाओं को तीन हिस्सों में बांटा गया है:
- तत्काल: इस प्रकार में 20 प्रतिशत आवेदन शामिल किए गए, जिनकी प्रोसेसिंग में 20 मिनट से दोघंटे तक का समय लगा।
- एक दिवसीय शासन: जिन सेवाओं की प्रोसेसिंग में एक दिन लगता है, उन्हें इस श्रेणी में रखा गया है। 12 घंटे की अवधि में जन्म, मृत्यु और जाति प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज़ दे दिए जाते हैं। 40 प्रतिशत आवेदन इस श्रेणी में आते हैं।
- गैर-एक दिवसीय शासन: इस श्रेणी में आवेदन एक निर्धारित अवधि में तैयार किए जाते हैं, जैसे सड़क और भवन के लिए पुलिस सेअनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी), होटल लायसेंस, गैर-कृषि उद्देश्य हेतु भूमि आवंटन आदि ।
सभी ज़िलों में ये केंद्र पीपीपी मॉडल पर कार्यरत हैं और त्वरित, सुविधाजनक, पारदर्शी और कुशल कार्यप्रणाली के ज़रिए उल्लेखनीय परिणाम दे रहे हैं ।
एक दिवसीय शासन मॉडल के बारे में अधिक जानकारी यहां पढ़ें।
नरेन्द्र मोदी का मानना है कि सुशासन की असली परीक्षा उसकी शिकायत निवारण प्रणाली में है। किसी भी प्रजातांत्रिक प्रणाली की बुनियाद इसमें है कि लोग स्वतंत्र रूप से अपनी समस्याएं रख सकें और उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान हो।
इसी क्रम में नरेन्द्र मोदी ने स्वागत नामक एक सफल पहल क्रियान्वित की। यह तकनीक के इस्तेमाल से जनशिकायतों पर राज्यव्यापी ध्यान देने का काम करती है। वर्ष 2003 से कार्यरत स्वागत गुजरात की एक अभिनव पहल है, जो नागरिकों और मुख्यमंत्री के बीच सीधे संवाद की सुविधा देती है ।
यह ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली आम जनता को महीने में एक बार अपनी लंबित शिकायते रखने का मौका देती है। गुजरात में तीन स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली है: तालुका, ज़िला और राज्य स्तर पर। सभी शिकायतों की समीक्षा खुद मुख्यमंत्री करते हैं। समीक्षा हल की गई समस्याओं पर आधारित होती है, न कि निपटाई गई याचिका पर। इस पहल ने संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार भी जीता है।
स्वागत के बारे में अधिक जानकारी यहां पढ़ें :
शासन की कार्यक्षमता सुनिश्चित करने के लिए नरेन्द्र मोदी द्वारा उठाया गया एक और कदम है-राज्य सरकार द्वारा विभिन्न नियुक्ति प्रक्रियाओं में तकनीक का गहन इस्तेमाल, जो भ्रष्टाचार की गुंजाइश को पूरी तरह खत्म कर देता है और सिर्फ योग्य उम्मीदवारों के चयन को सुनिश्चित करता है ।
जन कल्याण के भागीरथ उद्देश्य से ऐसे दृष्टिकोण, उत्साह और समर्पण के साथ हम सिर्फ कल्पना कर सकते हैं कि आने वाले दिनों में नरेन्द्र मोदी इस देश के लोगों के लिए क्या कर सकते हैं!