प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण(एनडीएमए) के 15वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित किया
अपने संबोधन में डॉ. मिश्रा ने एनडीएमए के आरंभिक दिनों में उसके साथ अपनी सम्बद्धता को याद किया और इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि आपदा प्रबंधन की दिशा में एनडीएमए के प्रयासों और पहलों को आज व्यापक पहचान मिल रही है। उन्होंने विविध साझेदारों और हितधारकों के बीच इस बात पर सर्वसम्मति कायम करने में एनडीएमए की भूमिका की सराहना की कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण सभी स्तरों पर हमारे विकास से संबंधित गतिविधियों के साथ जुड़ा हुआ है।
डॉ. मिश्रा ने दिव्यांगता-समावेशी आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर दिशानिर्देश जारी किये जाने को अनुकूलन की राह में प्रमुख मील का पत्थर करार दिया। उन्होंने कहा कि यह पहल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ विजन को साकार करती है तथा समाज के सबसे कमजोर वर्ग की जरूरतों को पूरा करके जोखिम में कमी लाने के हमारे प्रयासों को ज्यादा समावेशी बनाने का प्रयास करती है। उन्होंने आपदा न्यूनीकरण को निरंतर विकसित होने वाली प्रक्रिया करार दिया और एनडीएमए से अपने प्रक्रियाओं और हस्तक्षेपों में निरंतर सुधार लाने की दिशा में कार्य करने का अनुरोध किया।
इस वर्ष के स्थापना दिवस के विषय - ‘अग्नि सुरक्षा’ के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अमेजन के जंगलों में लगी विनाशकारी आग तथा सूरत अग्निकांड जैसी घटनाओं के कारण हाल ही दुनियाभर का ध्यान इसकी ओर आकृष्ट हुआ था। विशेषकर उन्होंने शहरी क्षेत्रों में अग्नि जोखिम न्यूनीकरण संबंधी योजना बनाये जाने की जरूरत पर बल दिया। अलग-अलग प्रकार के अग्निकांडों जैसे - रिहायशी, व्यावसायिक, ग्रामीण, शहरी, औद्योगिक और जंगल की आग जैसी घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ये सभी अलग-अलग तरह की चुनौतियां प्रस्तुत करती हैं और उन सबसे निपटने के लिए भी विशिष्ट रणनीतियों की जरूरत पड़ती है। उन्होंने अग्निशमन कर्मियों के लिए प्रर्याप्त प्रशिक्षण तथा उन्हें सही रक्षात्मक उपकरण उपलब्ध कराये जाने पर बल दिया।
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने कहा कि शॉपिंग काम्पलेक्स, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और सरकारी इमारतों सहित सभी महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं – का अग्नि सुरक्षा की दृष्टि से नियमित रूप से परीक्षण किया जाना चाहिए और आवश्यक ऐहतियाती उपाय प्राथमिकता के साथ किये जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि विशेषकर बड़े शहरों के लिये तो यह बात खासतौर पर प्रसांगिक है, जहां नगर निगम के कानूनों का पालन करके सूरत जैसी घटनाओं की रोकथाम की जा सकती हैं, जहां एक व्यावसायिक परिसर में स्थित एक कोचिंग सेंटर में लगी आग में अनेक छात्रों की मौत हो गई थी।
डॉ. मिश्रा ने अग्नि से बचाव, शमन और प्रतिक्रिया के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी और उपकरणों को शामिल करने के मुम्बई शहर के प्रयासों की सराहना की। इनमें अग्नि शमन कार्रवाईयों के लिए ड्रोन, हैंड-हेल्ड लेज़र इन्फ्रा–रेड कैमरा और थर्मल इमेजिंग कैमरा से युक्त रिमोट-कंट्रोल्ड रोबोट शामिल हैं।
आगजनी की घटनाओं से निपटने में समय के महत्व की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मुंबई, हैदराबाद तथा गुड़गांव में विकसित मोबाइल फायर स्टेशन कार्रवाई समय को कम करने का नवाचारी उपाय है। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन को अग्निशमन सेवाओं के साथ सहयोग करना चाहिए और कार्रवाई दक्षता बढ़ाने में स्थान अनुकूल समाधान करना चाहिए।
डॉ. पी.के. मिश्रा ने कहा कि पश्चिमी देशों में आपदा और आपातस्थिति में अग्नि शमन सेवायें कार्रवाई की पहली पंक्ति के रूप में काम करती है। उन्होंने कहा कि हमारी अग्निशमन सेवाओं को उन्नत बनाने पर विचार करना चाहिए, ताकि अग्निशमन दल किसी आपदा और आपात की स्थिति में प्रभावित समुदाय द्वारा कदम उठाने से पहले कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि व्यापक जागरूकता अभियानों के साथ सामुदायिक स्तर पर मॉकड्रिल करने की जरूरत है, ताकि अग्नि सुरक्षा सभी के एजेंडा में शामिल हो सके।
उन्होंने एनडीएमए से वर्ष 2012 में जारी ‘अग्नि सेवाओं पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों’ पर नये सिरे से गौर करने और इनका अद्यतन करने को कहा।
उन्होंने निष्कर्ष के तौर पर यह बात दोहराई कि अग्नि सुरक्षा सभी के लिए चिंता का विषय है और हमें ‘सभी के लिए अग्नि सुरक्षा’ सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करने की जरूरत है।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में एनडीएमए, केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों तथा अग्नि सेवाओं के प्रतिनिधि भी शामिल थे।