मोदी सरकार ने देश के सांस्कृतिक विरासत स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक उल्लेखनीय पहल की है। इन अनमोल धरोहरों का भव्य कायाकल्प एक सुखद अनुभूति प्रदान करता है और अतीत से वर्तमान तक उनके बदलाव को स्पष्ट रूप से प्रकट करता है। ये बदलाव भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और उसका उल्लास मनाने के लिए प्रधानमंत्री के निरंतर प्रयासों का परिणाम हैं। आइए अभूतपूर्व परिवर्तन की एक सुखद यात्रा के साक्षी बनें...

I. ऐतिहासिक मंदिरों का पुनर्निर्माण

सोमनाथ मंदिर, गुजरात

सबसे पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ मंदिर, आक्रांताओं द्वारा सदियों के बर्बर हमलों के बाद भी समय की कसौटी पर खरा उतरा है। यह मंदिर भारत की दृढ़ता और उसके लोगों की अटूट आस्था का प्रतिनिधित्व करता है। पुराने सोमनाथ मंदिर परिसर के पुनर्निर्माण ने समग्र तीर्थयात्रा के अनुभव को बदल दिया, जो अब आधुनिक सुविधाओं के साथ पारंपरिक मूल्यों के मेल सहित अपार भव्यता के साथ खड़ा है। उल्लेखनीय है कि श्री सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में पीएम मोदी की व्यक्तिगत भागीदारी ने इन पहलों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

पुरानी तस्वीर: सोमनाथ मंदिर

पुराना सोमनाथ मंदिर, (स्रोत: सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट)

पुनर्विकसित सोमनाथ मंदिर

आज के सोमनाथ मंदिर की झलक (स्रोत: narendramodi.in)

काशी विश्वनाथ मंदिर, उत्तर प्रदेश

काशी विश्वनाथ मंदिर, दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक वाराणसी में स्थित है और इसे सनातन संस्कृति की भक्ति का केंद्र माना जाता है। अतीत में, ज्योतिर्लिंग की ओर जाने वाली गलियां गंदी थीं और सीवेज से भरी हुई थीं, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के बाद मंदिर तक पहुंचना मुश्किल हो जाता था। जबकि, आज, काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के कारण इस दिव्य स्थान का कायापलट हो गया है।

पहले का काशी विश्वनाथ धाम

आज का काशी विश्वनाथ धाम

पावागढ़ महाकाली मंदिर, गुजरात

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में गुजरात की पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर में एक अनोखा आयोजन हुआ। लगभग 500 वर्षों के बाद, शक्तिपीठ में पारंपरिक ध्वज फहराया गया। पहले मंदिर तक पहुंचने में घंटों लग जाते थे और श्रद्धालुओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। भगदड़ की घटनाएं भी हुईं। जबकि नई सीढ़ियों और रास्ते से अब इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है।

महाकाली मंदिर पावागढ़ का पुराना स्वरुप

नए भव्य रूप में महाकाली मंदिर पावागढ़

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, उत्तर प्रदेश

जनवरी 2024 में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसने 500 साल लंबी प्रतीक्षा का अंत किया। यह मंदिर भारत की सभ्यतागत पहचान और सांस्कृतिक पुनरुत्थान के प्रतीक के रूप में खड़ा है, जो लंबे समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई के सफल समाधान और लाखों लोगों की अटूट भक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

भव्यतम स्वरूप में आलोकित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर

II. विरासत स्थलों का पुनर्निर्माण

महाकालेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश

उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के प्रति सरकार के समर्पण का प्रमाण है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। श्री महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर परियोजना के हिस्से के रूप में, मंदिर को नया रूप दिया गया और इसके परिसर का विस्तार किया गया, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए समग्र अनुभव में सुधार हुआ है, भीड़ कम हुई है और स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिला है।

पहले का श्री महाकालेश्वर मंदिर

पुनर्विकास के बाद श्री महाकालेश्वर मंदिर

केदारनाथ धाम, उत्तराखंड

2013 में, उत्तराखंड बाढ़ ने पवित्र धार्मिक स्थल केदारनाथ धाम को काफी नुकसान पहुंचाया। इसके बाद, मोदी सरकार ने पूरे केदारनाथ मंदिर परिसर के पुनरुद्धार और पुनर्विकास के लिए एक व्यापक पुनर्निर्माण परियोजना शुरू की। प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ के पुनर्विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और व्यक्तिगत रूप से कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का निरीक्षण किया। आदि शंकराचार्य को श्रद्धांजलि के रूप में, 12 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया और ध्यान गुफा का पुनर्निर्माण भी किया गया।

ऐसा था केदारनाथ धाम

पुनर्निर्माण के बाद अब केदारनाथ धाम

III. गुमनाम नायकों का स्मरण और भारत का उत्सव

कोचरब आश्रम, गुजरात

कोचरब आश्रम का पुनर्विकास भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित करने पर जोर देता है। दीर्घकाल से उपेक्षित, यह कीमती विरासत क्षेत्र 120 एकड़ से घटकर 5 एकड़ हो गया था। आश्रम का गौरव बहाल करने और उसे पुनर्जीवित करने के मोदी सरकार के प्रयास स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को याद करने और उनका सम्मान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

पुराने स्वरुप में कोचरब आश्रम

पुनर्विकास के बाद कोचरब आश्रम

नेताजी प्रतिमा, नई दिल्ली

राजपथ पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की छतरी एक ऐसे स्थान का प्रतीकात्मक बदलाव है जहां कभी किंग जॉर्ज पंचम की मूर्ति थी। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ब्लैक ग्रेनाइट प्रतिमा का अनावरण भारत के नायकों का सम्मान करने और इसकी ऐतिहासिक गाथा को पुन: स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक बदलाव का सूचक है।

पुरानी तस्वीर

नई तस्वीर

जलियांवाला बाग, पंजाब

वक्त के थपेड़ों में धुंधले पड़ चुके जलियांवाला बाग का पुनर्विकास, अब ब्रिटिश नरसंहार के दौरान अपनी जान गंवाने वाले निर्दोष हुतात्माओं की मार्मिक याद दिलाता है। पुराना ढांचा बेहद खराब स्थिति में था, जिसमें बंद पड़े फव्वारों को फिर से नया जीवन मिल गया है। यहां एक लिली तालाब भी स्थापित किया गया है। पूरे क्षेत्र को लैंडस्केप किया गया है, जिससे यह जगह बेहद आकर्षक हो गई है। पुनर्निर्मित स्थल अब उन लोगों के स्मारक के रूप में खड़ा है जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

ऐसा था जलियांवाला बाग

नए स्वरुप में जलियांवाला बाग

IV. शहरी कायाकल्प

साबरमती रिवरफ्रंट, गुजरात

साबरमती नदी में अकल्पनीय बदलाव हुआ है, जो कारखानों के वेस्ट को समेटती एक बंजर नदी से एक जीवंत और चमकदार साबरमती रिवरफ्रंट के रूप में विकसित हुई है। इस अविश्वसनीय कायाकल्प का श्रेय पीएम मोदी की विजनरी गवर्नेंस (जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे) को दिया जाता है, जिसकी परिणति अहमदाबाद में अद्वितीय और जीवंत साबरमती रिवरफ्रंट के निर्माण के रूप में दुनिया के सामने है।

पहले: साबरमती रिवरफ्रंट

अब: साबरमती रिवरफ्रंट

वाराणसी घाट, उत्तर प्रदेश

वाराणसी के घाट कभी गंदे और खराब रखरखाव वाले, कीचड़ और गाद से ढके हुए थे। आज वे साफ कंक्रीट की सीढ़ियों, उचित सफाई और रोशनी के प्रबंध के साथ अत्यंत आकर्षक स्वरुप ले चुके हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए शौचालय स्थापित गए हैं। वाराणसी के घाटों का पुनर्विकास, समकालीन जरूरतों और पर्यावरणीय चिंताओं के दृष्टिगत सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में एक मिसाल है। घाटों के पुनरोद्धार ने उन्हें तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए समान रूप से आकर्षक बना दिया है।

पुरानी तस्वीर: वाराणसी घाट

पुनर्विकास के बाद वाराणसी घाट

नई संसद, नई दिल्ली

पुराने संसद भवन की अपर्याप्तता और पुरातन डिजाइन की आलोचनाओं से मुक्ति के तौर पर, एक नए संसद भवन का निर्माण बेहतर, अधिक आधुनिक भारत की आशा का प्रतीक है। 21वीं सदी की बदलती जरूरतों और चुनौतियों को पूरा करने के लिए इस नए भवन को डिजाइन किया गया है, जो विधायी कार्यवाही के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

पुराना संसद भवन

नया संसद भवन

सेंट्रल विस्टा, नई दिल्ली

भारत ने अपने ब्रिटिशकालीन अतीत को पीछे छोड़ दिया है और राजपथ से कर्तव्य पथ की ओर बढ़ गया है। सेंट्रल विस्टा मास्टर प्लान से सेंट्रल दिल्ली के आसपास के क्षेत्र में एक अहम अपग्रेडेशन हुआ है। मौजूदा नागरिक सुविधाओं को नया स्वरुप दिया गया है, पार्किंग स्थान अधिक व्यवस्थित और विशाल हो गए हैं तथा इंडिया गेट के आसपास के इलाके के पुराने आकर्षण को बनाए रखते हुए, इसे पैदल चलने वालों के अनुकूल बनाया गया है।

क्या था सेंट्रल विस्टा

यह क्या है: सेंट्रल विस्टा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ भारत में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कायाकल्प का नेतृत्व किया है। सरकार ने पवित्र मंदिरों को पुनर्जीवित किया है और महत्वपूर्ण स्थलों का पुनर्निर्माण किया है, उपेक्षित विरासत स्थानों का पुनर्विकास किया है एवं महत्वाकांक्षी शहरी परियोजनाओं को आगे बढ़ाया है। यह परिवर्तन भविष्य की पीढ़ियों के लिए जीवंत, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत बनाने के लिए पीएम मोदी के समर्पण को दर्शाता है।

 

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
India’s Space Sector: A Transformational Year Ahead in 2025

Media Coverage

India’s Space Sector: A Transformational Year Ahead in 2025
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
सोशल मीडिया कॉर्नर 24 दिसंबर 2024
December 24, 2024

Citizens appreciate PM Modi’s Vision of Transforming India