मोदी सरकार ने देश के सांस्कृतिक विरासत स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक उल्लेखनीय पहल की है। इन अनमोल धरोहरों का भव्य कायाकल्प एक सुखद अनुभूति प्रदान करता है और अतीत से वर्तमान तक उनके बदलाव को स्पष्ट रूप से प्रकट करता है। ये बदलाव भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और उसका उल्लास मनाने के लिए प्रधानमंत्री के निरंतर प्रयासों का परिणाम हैं। आइए अभूतपूर्व परिवर्तन की एक सुखद यात्रा के साक्षी बनें...
I. ऐतिहासिक मंदिरों का पुनर्निर्माण
सोमनाथ मंदिर, गुजरात
सबसे पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ मंदिर, आक्रांताओं द्वारा सदियों के बर्बर हमलों के बाद भी समय की कसौटी पर खरा उतरा है। यह मंदिर भारत की दृढ़ता और उसके लोगों की अटूट आस्था का प्रतिनिधित्व करता है। पुराने सोमनाथ मंदिर परिसर के पुनर्निर्माण ने समग्र तीर्थयात्रा के अनुभव को बदल दिया, जो अब आधुनिक सुविधाओं के साथ पारंपरिक मूल्यों के मेल सहित अपार भव्यता के साथ खड़ा है। उल्लेखनीय है कि श्री सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में पीएम मोदी की व्यक्तिगत भागीदारी ने इन पहलों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पुरानी तस्वीर: सोमनाथ मंदिर
पुराना सोमनाथ मंदिर, (स्रोत: सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट)
पुनर्विकसित सोमनाथ मंदिर
आज के सोमनाथ मंदिर की झलक (स्रोत: narendramodi.in)
काशी विश्वनाथ मंदिर, उत्तर प्रदेश
काशी विश्वनाथ मंदिर, दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक वाराणसी में स्थित है और इसे सनातन संस्कृति की भक्ति का केंद्र माना जाता है। अतीत में, ज्योतिर्लिंग की ओर जाने वाली गलियां गंदी थीं और सीवेज से भरी हुई थीं, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के बाद मंदिर तक पहुंचना मुश्किल हो जाता था। जबकि, आज, काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के कारण इस दिव्य स्थान का कायापलट हो गया है।
पहले का काशी विश्वनाथ धाम
आज का काशी विश्वनाथ धाम
पावागढ़ महाकाली मंदिर, गुजरात
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में गुजरात की पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित महाकाली मंदिर में एक अनोखा आयोजन हुआ। लगभग 500 वर्षों के बाद, शक्तिपीठ में पारंपरिक ध्वज फहराया गया। पहले मंदिर तक पहुंचने में घंटों लग जाते थे और श्रद्धालुओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। भगदड़ की घटनाएं भी हुईं। जबकि नई सीढ़ियों और रास्ते से अब इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है।
महाकाली मंदिर पावागढ़ का पुराना स्वरुप
नए भव्य रूप में महाकाली मंदिर पावागढ़
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, उत्तर प्रदेश
जनवरी 2024 में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसने 500 साल लंबी प्रतीक्षा का अंत किया। यह मंदिर भारत की सभ्यतागत पहचान और सांस्कृतिक पुनरुत्थान के प्रतीक के रूप में खड़ा है, जो लंबे समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई के सफल समाधान और लाखों लोगों की अटूट भक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
भव्यतम स्वरूप में आलोकित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर
II. विरासत स्थलों का पुनर्निर्माण
महाकालेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश
उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के प्रति सरकार के समर्पण का प्रमाण है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। श्री महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर परियोजना के हिस्से के रूप में, मंदिर को नया रूप दिया गया और इसके परिसर का विस्तार किया गया, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए समग्र अनुभव में सुधार हुआ है, भीड़ कम हुई है और स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिला है।
पहले का श्री महाकालेश्वर मंदिर
पुनर्विकास के बाद श्री महाकालेश्वर मंदिर
केदारनाथ धाम, उत्तराखंड
2013 में, उत्तराखंड बाढ़ ने पवित्र धार्मिक स्थल केदारनाथ धाम को काफी नुकसान पहुंचाया। इसके बाद, मोदी सरकार ने पूरे केदारनाथ मंदिर परिसर के पुनरुद्धार और पुनर्विकास के लिए एक व्यापक पुनर्निर्माण परियोजना शुरू की। प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ के पुनर्विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और व्यक्तिगत रूप से कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का निरीक्षण किया। आदि शंकराचार्य को श्रद्धांजलि के रूप में, 12 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया और ध्यान गुफा का पुनर्निर्माण भी किया गया।
ऐसा था केदारनाथ धाम
पुनर्निर्माण के बाद अब केदारनाथ धाम
III. गुमनाम नायकों का स्मरण और भारत का उत्सव
कोचरब आश्रम, गुजरात
कोचरब आश्रम का पुनर्विकास भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित करने पर जोर देता है। दीर्घकाल से उपेक्षित, यह कीमती विरासत क्षेत्र 120 एकड़ से घटकर 5 एकड़ हो गया था। आश्रम का गौरव बहाल करने और उसे पुनर्जीवित करने के मोदी सरकार के प्रयास स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को याद करने और उनका सम्मान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
पुराने स्वरुप में कोचरब आश्रम
पुनर्विकास के बाद कोचरब आश्रम
नेताजी प्रतिमा, नई दिल्ली
राजपथ पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की छतरी एक ऐसे स्थान का प्रतीकात्मक बदलाव है जहां कभी किंग जॉर्ज पंचम की मूर्ति थी। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ब्लैक ग्रेनाइट प्रतिमा का अनावरण भारत के नायकों का सम्मान करने और इसकी ऐतिहासिक गाथा को पुन: स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक बदलाव का सूचक है।
पुरानी तस्वीर
नई तस्वीर
जलियांवाला बाग, पंजाब
वक्त के थपेड़ों में धुंधले पड़ चुके जलियांवाला बाग का पुनर्विकास, अब ब्रिटिश नरसंहार के दौरान अपनी जान गंवाने वाले निर्दोष हुतात्माओं की मार्मिक याद दिलाता है। पुराना ढांचा बेहद खराब स्थिति में था, जिसमें बंद पड़े फव्वारों को फिर से नया जीवन मिल गया है। यहां एक लिली तालाब भी स्थापित किया गया है। पूरे क्षेत्र को लैंडस्केप किया गया है, जिससे यह जगह बेहद आकर्षक हो गई है। पुनर्निर्मित स्थल अब उन लोगों के स्मारक के रूप में खड़ा है जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
ऐसा था जलियांवाला बाग
नए स्वरुप में जलियांवाला बाग
IV. शहरी कायाकल्प
साबरमती रिवरफ्रंट, गुजरात
साबरमती नदी में अकल्पनीय बदलाव हुआ है, जो कारखानों के वेस्ट को समेटती एक बंजर नदी से एक जीवंत और चमकदार साबरमती रिवरफ्रंट के रूप में विकसित हुई है। इस अविश्वसनीय कायाकल्प का श्रेय पीएम मोदी की विजनरी गवर्नेंस (जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे) को दिया जाता है, जिसकी परिणति अहमदाबाद में अद्वितीय और जीवंत साबरमती रिवरफ्रंट के निर्माण के रूप में दुनिया के सामने है।
पहले: साबरमती रिवरफ्रंट
अब: साबरमती रिवरफ्रंट
वाराणसी घाट, उत्तर प्रदेश
वाराणसी के घाट कभी गंदे और खराब रखरखाव वाले, कीचड़ और गाद से ढके हुए थे। आज वे साफ कंक्रीट की सीढ़ियों, उचित सफाई और रोशनी के प्रबंध के साथ अत्यंत आकर्षक स्वरुप ले चुके हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए शौचालय स्थापित गए हैं। वाराणसी के घाटों का पुनर्विकास, समकालीन जरूरतों और पर्यावरणीय चिंताओं के दृष्टिगत सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में एक मिसाल है। घाटों के पुनरोद्धार ने उन्हें तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए समान रूप से आकर्षक बना दिया है।
पुरानी तस्वीर: वाराणसी घाट
पुनर्विकास के बाद वाराणसी घाट
नई संसद, नई दिल्ली
पुराने संसद भवन की अपर्याप्तता और पुरातन डिजाइन की आलोचनाओं से मुक्ति के तौर पर, एक नए संसद भवन का निर्माण बेहतर, अधिक आधुनिक भारत की आशा का प्रतीक है। 21वीं सदी की बदलती जरूरतों और चुनौतियों को पूरा करने के लिए इस नए भवन को डिजाइन किया गया है, जो विधायी कार्यवाही के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पुराना संसद भवन
नया संसद भवन
सेंट्रल विस्टा, नई दिल्ली
भारत ने अपने ब्रिटिशकालीन अतीत को पीछे छोड़ दिया है और राजपथ से कर्तव्य पथ की ओर बढ़ गया है। सेंट्रल विस्टा मास्टर प्लान से सेंट्रल दिल्ली के आसपास के क्षेत्र में एक अहम अपग्रेडेशन हुआ है। मौजूदा नागरिक सुविधाओं को नया स्वरुप दिया गया है, पार्किंग स्थान अधिक व्यवस्थित और विशाल हो गए हैं तथा इंडिया गेट के आसपास के इलाके के पुराने आकर्षण को बनाए रखते हुए, इसे पैदल चलने वालों के अनुकूल बनाया गया है।
क्या था सेंट्रल विस्टा
यह क्या है: सेंट्रल विस्टा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ भारत में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कायाकल्प का नेतृत्व किया है। सरकार ने पवित्र मंदिरों को पुनर्जीवित किया है और महत्वपूर्ण स्थलों का पुनर्निर्माण किया है, उपेक्षित विरासत स्थानों का पुनर्विकास किया है एवं महत्वाकांक्षी शहरी परियोजनाओं को आगे बढ़ाया है। यह परिवर्तन भविष्य की पीढ़ियों के लिए जीवंत, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत बनाने के लिए पीएम मोदी के समर्पण को दर्शाता है।
Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
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आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी
जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।
जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...
आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।
साथियों,
आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।
साथियों,
मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।
साथियों,
छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
साथियों,
ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।
साथियों,
मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।
साथियों,
हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।
साथियों,
महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।
साथियों,
लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।
साथियों,
इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।
साथियों,
देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।
साथियों,
आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।
साथियों,
महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।
साथियों,
भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।
साथियों,
सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।
साथियों,
कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।
साथियों,
एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।
साथियों,
कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।
साथियों,
जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।
साथियों,
आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।
साथियों,
मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।