हमारी मुलाकात ऐसे समय में हो रही है, जब दुनिया बेहद उथल-पुथल और अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। वैश्विक आर्थिक कमजोरियां भी बरकरार हैं।
ऐसे में वैश्विक प्रगति और समृद्धि के लिये शांति और स्थिरता का वातावरण तत्काल बहाल करना आवश्यक है।
मैं एक ऐसी धरती से आया हूं, जहां पूरे विश्व को अपना परिवार मानने अर्थात-’वसुधैव कुटुम्बकम’ का विचार हमारी संस्कृति के चारित्रिक गुणों के मूल में समाया है।
पूरे विश्व को एकजुट होकर वैश्विक चुनौतियों का निर्णायक रूप से सामना करना चाहिये।
सुधारात्मक कार्रवाई वैश्विक प्रशासन की संस्थाओं में सुधार के साथ शुरू होनी चाहिये। शुरूआत से ही ब्रिक्स का यही एजेंडा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाओं में तत्काल सुधार की आवश्यकता है। उनमें प्रतिनिधित्व बढ़ना चाहिये और वास्तविकताएं प्रतिबिम्बित होनी चाहिये।
महामहिम, अफगानिस्तान से लेकर अफ्रीका तक का क्षेत्र उथल-पुथल और संघर्ष के दौर से गुजर रहा है। इससे बेहद अस्थिरता व्याप्त हो रही है जिसका सीमाओं से पार तेजी से प्रसार हो रहा है। इसका असर हम सभी पर पड़ता है। देशों में जारी ऐसी अस्थिरता का मौन दर्शक बने रहने से गम्भीर परिणाम हो सकते हैं।
अफगानिस्तान अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहा है। अफगान जनता दशकों से तकलीफों का सामना कर रही है। विश्व को एकजुट होकर शांतिपूर्ण, स्थिर, लोकतांत्रिक और समृद्ध देश के निर्माण में उनकी सहायता करनी चाहिये। हमें हर हाल में आतंकवाद के खिलाफ अफगानिस्तान की जंग में उसकी सहायता करनी चाहिये। पिछले दशक में उसे हासिल हुई प्रगति बरकरार रखने के लिये ऐसा करना आवश्यक है। भारत अफगानिस्तान को क्षमता निर्माण, प्रशासन, सुरक्षा और आर्थिक विकास में सहायता देना जारी रखेगा। हम इस बारे में अपने ब्रिक्स साझेदारों के साथ मिलकर काम करने के इच्छुक हैं।
पश्चिम एशिया के हालात, क्षेत्रीय और वैश्विक शांति तथा सुरक्षा के समक्ष बड़ी चुनौती पेश करते हैं। भारत इससे विशेष रूप से चिंतित है क्योंकि इसका असर खाड़ी क्षेत्र में रहने वाले 70 लाख भारतीय नागरिकों पर पड़ता है। हमें पता लगाना चाहिये कि ब्रिक्स सदस्य देश कैसे मिलकर इराक में संघर्ष समाप्त कराने में सहायक बन सकते हैं।
सीरिया के हालात गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं। भारत लगातार सभी पक्षों से हिंसा त्यागने का आह्वान करता आया है। व्यापक समाधान के लिये व्यापक राजनीतिक संवाद के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। सैन्य या बाहर से थोपा गया समाधान कारगर नहीं रहेगा। भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में भाग लेने के लिये पूरी तरह तैयार है।
भारत, इस्राइल और फिलीस्तीन में हाल में भड़की हिंसा से भी चिंतित है। हम बातचीत के जरिये हल निकालने के पक्ष में हैं। इससे दुनिया भर में आशा और विश्वास उत्पन्न होगा।
भारत, सुरक्षा और विकास की चुनौतियों से जूझ रहे अनेक अफ्रीकी देशों में स्थायित्व कायम करने के लिये किये जा रहे प्रयासों का भी समर्थन करता है।
महामहिम, आतंकवाद एक ऐसा खतरा है, जो युद्ध जैसा रूप धारण कर चुका है। दरअसल मासूम नागरिकों के खिलाफ छद्म युद्ध लड़ा जा रहा है। अलग-अलग मापदंडों की वजह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय आतंकवाद का सामना प्रभावशाली ढंग से नहीं कर सका है।
मुझे पक्का यकीन है कि आतंकवाद, चाहे वह किसी भी रूप या आकार में हो, मानवता के विरूद्ध है। आतंकवाद को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिये। मानवता को एकजुट होना चाहिये और आतंकवादी ताकतों, विशेषकर उन देशों को अलग-थलग कर देना चाहिये, जो बुनियादी नियमों की अवहेलना करते हैं। सिर्फ आतंकवाद पर निशाना साधने से बात नहीं बनेगी।
ब्रिक्स को हमारे राजनीतिक संकल्प को ठोस और समन्वित कार्ययोजना में परिवर्तित करना चाहिये। मैं संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि के मसौदे को जल्द मंजूर किये जाने का आह्वान करता हूं।
हमें हर हाल में देशों पर सामूहिक दबाव बनाना चाहिये कि वे आतंकवादियों को पनाह और समर्थन नहीं दें।
इसी तरह, साइबर स्पेस जहां एक ओर बड़ा अवसर है, वहीं दूसरी ओर साइबर सुरक्षा, चिंता का बहुत बड़ा विषय है। ब्रिक्स देशों को साइबर स्पेस के संरक्षण में अग्रिम भूमिका निभानी चाहिये। मुझे इस बात की खुशी है कि हम अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के माध्यम से इस संबंध में सहयोग कर रहे हैं। आखिर में, मैं कहना चाहता हूं कि यह एक अनोखा समूह है, जिसमें विश्व में शांति और स्थिरता कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता है।
हम सभी को इसी दिशा में ध्यान केंद्रित करते हुए आगे बढ़ना चाहिये।