प्रधानमंत्री मोदी ने मुंबई में ‘मेक इन इंडिया वीक’ के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया
ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस पर हर तरफ़ से ज़ोर दिया जा रहा है: प्रधानमंत्री
मैं भारत को वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बनाना चाहता हूँ: प्रधानमंत्री
हम विनिर्माण, डिजाइन, अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में भारत के असीमित अवसरों को विश्व के समक्ष रखना चाहता हूँ: प्रधानमंत्री
आज एफडीआई के लिए शायद सबसे ज्यादा अवसर भारत में है: प्रधानमंत्री
विश्व की कई एजेंसियों और संस्थाओं ने लगातार भारत को निवेश के लिए सबसे आकर्षक गंतव्य बताया है: प्रधानमंत्री
मेरा जीरो डिफ़ेक्ट जीरो इफ़ेक्ट मैन्युफैक्चरिंग पर काफ़ी जोर है: प्रधानमंत्री
मैं हमारे उद्योग को कुछ दोस्ताना सलाह देना चाहता हूँ। आप इंतज़ार मत करें। आप शिथिल न हों। भारत में अपार अवसर हैं: प्रधानमंत्री

महामहिम, स्वीडन के प्रधानमंत्री,

महामहिम, फिनलैंड के प्रधानमंत्री,

महामहिम, पोलैंड के प्रथम उप प्रधानमंत्री,

मंत्रियों, महानुभावों और अन्‍य देशों के गणमान्य व्‍यक्तियों ,

महाराष्ट्र के राज्यपाल,

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री,

वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री,

आमंत्रित व्‍यक्तियों, उद्योग जगत की हस्तियों, देवियों और सज्जनों !

मैं ‘मेक इन इंडिया सप्‍ताह’ के समारोह का एक हिस्‍सा बनने पर बहुत खुश हूं। मैं भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई में आप सभी का स्‍वागत करता हूं। मैं विशेष रूप से विदेश से आए अपने मित्रों का स्वागत करता हूं और उन्हें उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं इस आयोजन की मेजबानी के लिए महाराष्ट्र सरकार और अन्‍य राज्‍यों को उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए भी धन्यवाद देता हूं।

दोस्‍तों,

मैं जब एक साल पहले मेक इन इंडिया पहल की शुभारंभ की ओर देखता हूं तो मैं अपने युवाओं की आकांक्षाओं का भी स्‍मरण करता हूं। भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 साल की उम्र से भी कम की है। यह युवा ऊर्जा हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

हमने युवाओं के लिए रोजगार जुटाने और स्‍व- रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए मेक इन इंडिया अभियान की शुरुआत की है। हम भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में जोरदार तरीके से काम कर रहे हैं। हम अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण का हिस्‍सा निकट भविष्य में 25 प्रतिशत तक करना चाहते हैं।

हम यह भी जानते हैं कि इस अभियान के दबाव में सरकारी मशीनरी को अपने नीतिगत मोर्चे में अनेक सुधार करना जरूरी हो जाएगा।

हम दुनिया के सामने भारत में विनिर्माण डिजाइन, अनुसंधान और विकास के लिए आधार के रूप में मौजूद बड़े अवसरों को प्रस्‍तुत करना चाहते हैं।

मेक इन इंडिया सप्ताह हमारे प्रदर्शन का जायजा लेने का एक अवसर प्रदान करता है और यह बताता है कि आगे की स्थिति किस प्रकार होगी।

हमने जो प्रगति की है उसके विभिन्‍न पहलुओं का इस आयोजन में प्रदर्शन किया जाएगा। यह सबसे बड़ा बहु-क्षेत्रीय आयोजन और देश में आयोजित सबसे बड़ी प्रदर्शनी है।

मैं आप सबको यह देखने के लिए प्रोत्‍साहित करता हूं कि वे उस दिशा में देखें जिस ओर भारत आगे बढ़ रहा है।

मुझे इस अवसर पर अपने विचारों को साझा करना है। एक साल के अंदर मेक इन इंडिया भारत द्वारा सृजित एक सबसे बड़ा ब्रांड बन गया है। देश के भीतर और देश के बाहर इसने जनता, संस्‍थानों, उद्योग, मीडिया और राजनीतिक नेतृत्‍व का ध्‍यान आकर्षित किया है।

यह इसलिए है क्योंकि:

• यह उत्पादक गतिविधियों में शामिल करने के लिए हमारी सामूहिक इच्छा को दर्शाता है,

• यह कम लागत पर वस्‍तुओं का उत्‍पादन करने की वैश्विक जरूरत को दर्शाता है।

• यह सुधार करने और कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए हमारे ऊपर जोर दे रहा है।

• इसने समान शर्तों पर दुनिया के साथ एकीकृत करने के लिए हमें प्रोत्‍साहित किया है।

हमने जो काम किया है मैं उसके कुछ ठोस उदाहरण आपको देना चाहता हूं

आज भारत शायद एफडीआई के लिए सबसे अच्‍छा देश है। अधिकांश एफडीआई क्षेत्रों को स्वत: मंजूरी के मार्ग पर डाल दिया गया है।

मेरी सरकार द्वारा कार्यभार संभालने की तिथि से हमारा एफडीआई प्रवाह बढ़कर 48 प्रतिशत हो गया है। वास्तव में, दिसंबर, 2015 में एफडीआई प्रवाह देश में सबसे अधिक था। ऐसा उस समय हो रहा है जब वैश्विक एफडीआई में भारी गिरावट हो रही है।

हमने कराधान मोर्चे पर भी अनेक सुधारात्‍मक कदम उठाए हैं। हमने कहा है कि हम पूर्वव्‍यापी कराधान का आश्रय नहीं लेंगे। हम अपनी कर व्‍यवस्‍था को पारदर्शी, स्थिर और पूर्व अनुमान योग्‍य बनाने की ओर भी तेजी से कार्य कर रहे हैं। हमने कारोबार को आसान बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया है। विनिर्माण क्षेत्र में प्रक्रियाओं को सरल बनाने और प्रावधानों को युक्तिसंगत बनाने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं।

इन प्रयासों में लाइसेंसिंग, सीमा पार से व्यापार, सुरक्षा और पर्यावरण मंजूरी भी शामिल हैं। हमने इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ा सहित अनेक क्षेत्रों में आकर्षक योजनाओं की घोषणा की है।

हमने रक्षा क्षेत्र में काफी महत्‍वपूर्ण नीति सुधार किए हैं। हमने रक्षा उद्योग को वह सब दिया है जिसकी वह मांग कर रहा था।

एक अन्‍य उदाहरण प्राकृतिक संसाधनों का सरल और पारदर्शी आवंटन है। इसके दोहरे लाभ हैं। एक ओर ऐसे संसाधनों का उत्पादन बढ़ गया है और दूसरी ओर हमने पारदर्शी व्‍यवस्‍था स्‍थापित की है जो उपयोगकर्ता और हितधारकों को समान अवसर उपलब्‍ध करा रही है। इस वर्ष देश में कोयले का सर्वोच्‍च रिकार्ड उत्‍पादन होगा। वर्ष 2015 के दौरान देश में सबसे अधिक विद्युत का उत्‍पादन हुआ था।

संपत्तियों और अधिकारों की सुरक्षा के मुद्दों पर हमने पहले ही मध्‍यस्‍थता कार्यवाही को तेजी से निपटाने के लिए कानून बनाया है। हम उच्‍च न्‍यायालयों में समर्पित वाणिज्यिक अदालतों और वाणिज्यिक प्रभागों की स्‍थापना कर रहे हैं। कंपनी कानून न्‍यायाधिकरण का गठन अंतिम चरण में है।

हम जल्‍दी ही एक प्रभावी आईपीआर और पेटेंट व्‍यवस्‍था लागू करने जा रहे हैं। हमें दिवालियापन कानून पास होने की उम्‍मीद है जिसे संसद के पटल पर रखा गया है।

नीति और प्रक्रिया के बारे में हमने अपनी प्रणालियों को साफ, आसान, सक्रिय और व्‍यापार के अनुकूल बनाया है।

मैं न्‍यूनतम सरकार और अधिकतम शासन में विश्वास करता हूं। इसलिए हम निवेश और विकास को प्रभावित करने वाली बाधाओं को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।

हो रहे परिवर्तनों और सुधारों को न केवल संघीय सरकार के स्‍तर पर देखना अच्‍छा लगता है बल्कि राज्‍य स्‍तर पर भी इससे खुशी मिलती है। राज्‍य व्‍यापार को सरल बनाने और बुनियादी ढांचे के संबंधों में स्‍वस्‍थ्‍य प्रतिस्‍पर्धा प्रदान करने की स्थिति में हैं।

इनके परिणाम उत्‍साहजनक रहे हैं।

भारत विश्‍व में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था बन गया है। इस वित्‍तीय वर्ष के अंत में देश में जीडीपी की वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक होगी। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष, विश्‍व बैंक, ओईसीडी, एशियाई विकास बैंक तथा अन्‍य संस्‍थानों में आने वाले दिनों में और बेहतर विकास दर का अनुमान लगाया है।

2014-15 में भारत ने वैश्विक विकास में 12.5 प्रतिशत योगदान दिया है। विश्‍व की अर्थव्‍यवस्‍था में अपने हिस्‍से की तुलना में भारत का वैश्विक विकास में 68 प्रतिशत अधिक योगदान है।

मुझे कुछ अन्‍य संकेतों का भी उल्‍लेख करना है। भारत को अनेक वैश्विक एजेंसियों और संस्‍थानों ने सबसे आकर्षक निवेश स्‍थान का दर्जा दिया है।

व्‍यापार को सरल बनाने के मामले में विश्‍व बैंक द्वारा तैयार नवीनतम वैश्विक रैंकिंग में भारत ने 12 रैंक ऊपर पहुंच गया है।

• भारत ने निवेश आकर्षित करने के मामले में अपनी अंकटाड रैंकिंग सुधार कर 15वीं से 9वीं कर ली है।
• भारत ने विश्व आर्थिक फोरम के वैश्विक आर्थिक सूचकांक पर 16 अंकों का सुधार किया है।
• मूडी’ज ने भी भारत की रैंकिंग को अपग्रेड कर सकारात्मक कर दिया है।

मेक इन इंडिया की गति ने हमें भरोसा प्रदान किया है। यह हमें अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं को सरल और मैत्रीपूर्ण बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

इस पृष्ठभूमि के साथ मैं आपको भारत का आपका कार्यस्थल और आपका घर भी बनाने के लिए आमंत्रित और प्रोत्साहित करता हूं।

मित्रों,

हम विशेष रूप से अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ाने के प्रति इच्छुक हैं। इसमें सड़कें, बंदरगाहें, रेल, हवाई अड्डे, दूरसंचार, डिजिटल नेटवर्क्स एवं स्वच्छ ऊर्जा शामिल हैं।

हम अपने लोगों को बेहतर आय एवं जीवन स्तर देने के लिए अपने सामाजिक, औद्योगिक एवं कृषि ढांचागत क्षेत्र में भी निवेश कर रहे हैं।

अभी तक हमारी क्रियान्वयन क्षमता हमारी सबसे बड़ी बाधा थी। हमने यह प्रक्रिया तेज की है। इसका परिणाम परियोजनाओं के तेजी से पूर्ण होने के रूप में सामने आ रहा है। भारत के अब तक के सर्वाधिक किलोमीटर के नए राजमार्ग के अनुबंध को 2015 में मंजूरी दी गई थी।

ठीक इसी प्रकार, रेल पूंजी व्यय में इस वर्ष सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई।

इस प्रकार चाहे यह भौतिक ढांचागत क्षेत्र हो या सामाजिक बुनियादी ढांचा, हम इसे पहले की तुलना में सबसे अधिक कुशलता के साथ क्रियान्वित कर रहे हैं।

अगली बाधा वित्त पोषण की थी। वित्त पोषण में वृद्धि करने के लिए हम अभिनव कदमों का प्रयास कर रहे हैं। हम सार्वजनिक-निजी साझेदारी के लिए अपनी ग्रीनफील्ड एवं ब्राउनफील्ड परियोजनाओं को खोल रहे हैं। अधिक मजबूत राजकोषीय अनुशासन के साथ और राजस्व रिसाव को रोकने के जरिये हम बुनियादी ढांचे के लिए अधिक संसाधन मुहैया कराने का प्रयास कर रहे हैं।

हमने राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचा फंड की भी स्थापना की है। हम रेल, सड़क और सिंचाई क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए कर मुक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड लेकर आए हैं। हम इन वित्तीय योजनाओं पर कई देशों, वित्तीय बाजारों एवं फंडों के साथ काम कर रहे हैं।

देवियों एवं सज्जनों,

भारत बेशुमार संभावनाओं वाला देश है। हमारे 50 नगर मेट्रो रेल प्रणालियों की स्थापना के लिए तैयार हैं। हमें 50 मिलियन घरों का निर्माण करना है। सड़क, रेल एवं जलमार्गों की भारी आवश्यकता है। वृद्धिशील परिवर्तनों के लिए कोई समय नहीं है। हम बहुत बड़ी छलांग लगाना चाहते हैं।

हमने इसे एक स्वच्छ एवं हरित प्रकार से करने का फैसला भी किया है। यही कारण है कि हमने पेरिस में हाल में आयोजित सीओपी-21 बैठक में विश्व समुदाय के प्रति एक प्रतिबद्धता की है। हम 175 गीगावॉट के विशाल स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग करेंगे।

मैं त्रुटिहीन और किफायती विनिर्माण पर बहुत जोर देता हूं। हम ऊर्जा कुशलता, वॉटर रिसाइकिलिंग, अपशिष्ट से ऊर्जा, स्वच्छ भारत, नदी की सफाई पर काफी जोर देते हैं। इन कदमों का लक्ष्य नगरों एवं गांव में जीवन स्तर को बेहतर बनाना है। ये कदम आपको प्रौद्योगिकीयों, सेवाओं और मानव संसाधनों में निवेश के लिए अतिरिक्त अवसर प्रदान करते हैं।

मित्रों,

भारत को तीन ‘डी’ का सौभाग्य प्राप्त है। ये हैं : डेमोक्रेसी यानी लोकतंत्र, डेमोग्राफी यानी जनसंख्या और डिमांड यानी मांग। इसमें हमने एक और डी- डिरेगुलेशन यानी विनियमन भी जोड़ दिया है। आज का भारत इस प्रकार चार आयामों वाला भारत है। हमारी न्यायिक प्रणालियां स्वतंत्र एवं समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं।

आप किसी अन्य देश में ये सभी तत्व नहीं पायेंगे।

इन ताकतों के साथ भारत आपको अपनी निर्माण एवं डिजाइन की क्षमताओं की जांच करने तथा उन्हें प्रारंभ करने का एक ठोस मंच प्रस्तुत करता है। इसके अतिरिक्त, हमारे सामुद्रिक स्थल कई अन्य महादेशों में उत्पादों के विपणन को सरल बनाते हैं।

हम पथ प्रदर्शक पहलों के साथ इस विशाल संभावना को और सक्षम बनाने तथा उनका दोहन करने का प्रयास कर रहे हैं। डिजिटल इंडिया एवं स्किल इंडिया जैसे अभियानों की रूपरेखा लोगों को इस प्रक्रिया में शामिल होने के लिए तैयार करने के लिए बनाई गई है। हमने वित्त पोषण योजनाएं प्रारंभ की हैं जो उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के प्रति समर्पित हैं। हम बिना किसी आनुषंगिक के मुद्रा बैंक के माध्यम से ऋण दे रहे हैं। मैंने विशेष रूप से अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों से जुड़े युवा उद्यमियों तथा महिला उद्यमियों को वित्त पोषित करने को लेकर बैंकों को भी समझाया है।

• केवल इसी से महात्मा गांधी के स्वपन साकार होंगे जो चाहते थे कि उद्योगों का संचालन गांवों एवं कुटियों में किया जाए।
• केवल इसी से डॉ. भीव राव अम्बेडकर के स्वपन साकार होंगे जिन्होंने अधिशेष श्रम को कृषि से अन्य व्यवसायों की तरफ मोड़ने की जरूरत की वकालत की थी।

हम जल्दी ही इस प्रक्रिया को स्टैंड अप इंडिया के बैनर के तहत और मजबूत बनाने जा रहे हैं।

मैं महसूस करता हूं कि आज हमारे घरेलू उद्योग एवं निवेशक एक अनिश्चित वैश्विक स्थिति के बावजूद काफी आत्मविश्वासपूर्ण एवं आशावादी महसूस कर रहे हैं।

जब हमने मेक इन इंडिया अभियान की शुरुआत की थी, उस वक्त देश में विनिर्माण वृद्धि दर 1.7 की थी। इस वर्ष इसमें उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। चालू तिमाही के दौरान विनिर्माण वृद्धि दर के 12.6 प्रतिशत के आसपास करने की उम्मीद है।

• संयुक्त पीएमआई उत्पादन सूचकांक उत्पादन जनवरी, 2016 में उछल कर 11 महीनों के उच्च स्तर 53.3 प्रतिशत पर पहुंच गया है।

• पिछले 8 महीनों के दौरान निवेश प्रस्तावों की कुल संख्या में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

• 2015 में हमने मोटर वाहनों का अब तक का सबसे अधिक उत्पादन दर्ज किया है।

• पिछले 10 महीनों के दौरान देश में 50 नई मोबाइल फैक्ट्रियों की स्थापना हुई है।

• इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग 6 गुनी बढ़कर 18 मिलियन तक पहुंच गई है।

• ईएसडीएम इकाइयों के नाम से विख्यात 159 इलेक्ट्रानिक सिस्टम डिजाइन एवं मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों की 2015 में स्थापना हुई।

• कुछ विशेष एजेंसियों के अनुमान के अनुसार भारतीय रोजगार बाजार एक मजबूत धरातल पर है। उदाहरण के लिए, भारत के मौंस्टर रोजगार सूचकांक जनवरी, 2016 में 229 रहा जो कि पिछले वर्ष जनवरी की तुलना में 52 प्रतिशत अधिक है।

ठीक इसी प्रकार व्यापार के मोर्चे पर :

• भारत ने 2015 में अब तक सर्वाधिक निर्यात दर्ज करवाया।
• 2015 में ही हमारे बड़े बंदरगाहों ने अब तक की सर्वाधिक माल ढुलाई मात्रा का संचालन किया है।

ये सब बहुत अच्छे संकेत हैं। मैं अपने उद्योग जगत को कुछ मैत्रीपूर्ण परामर्श देना चाहूंगा। प्रतीक्षा न करें। विश्राम न करें। भारत में प्रचुर अवसर हैं। आपको भारत में काम करने के प्रति वैश्विक कंपनियों की फिर से पैदा हुई दिलचस्पी का लाभ उठाना चाहिए। उनमें से कई भारतीय साझेदारें के साथ प्रौद्योगिकीय एवं गठबंधन करने की उम्मीद कर रहे हैं। इनमें रक्षा उत्पादन जैसे उच्च – प्रौद्योगिकी एवं उच्च मूल्य क्षेत्र शामिल हैं। मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि अगर आप एक कदम उठाएंगे तो हम आपके साथ दो कदम चलेंगे।

एक प्रतिस्पर्धी विश्व में प्रबंधकीय एवं प्रौद्योगिकीय क्षमता को बेहतर बनाना उत्तरजीविता एवं विकास के लिए अनिवार्य है। अंतरिक्ष यानों से लेकर प्रदूषण नियंत्रण तक; शिक्षा से स्वास्थ्य तक; कृषि से सेवाओं तक; हमारे युवा उद्यमी एवं स्टार्ट-अप्स हमें उद्यमशीलता एवं आपूर्ति के नए - नए और त्वरित रास्ते दिखा रहे हैं। मेरी सरकार उन्हें सहायता देने और उनकी क्षमता का पूर्ण रूप से उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। मैं चाहता हूं कि हमारे युवा रोजगार मांगने वाले नहीं बल्कि रोजगार का निर्माण करने वाले बनें। यही वजह है कि हमने स्टार्ट-अप इंडिया अभियान प्रारंभ किया है।

हमारी दिलचस्पी ऐसे रास्तों की खोज करने में है जिनमें :

• हमारे दिमाग हाथों को अधिकार संपन्न बनाने में सक्षम हों।
• हमारे हाथ मशीनों पर नियंत्रण करने में सक्षम हों।
• हमारे मशीन सर्वश्रेष्ठ का निर्माण करने में सक्षण हों।

मेक इन इंडिया आम आदमी की पूरी न हुई मांगों को पूरा करने वाला अभियान है। यह बेरोजगारों को शामिल करने और सतत बनाने का एक प्रयास भी है। मैं भी मेक फॉर इंडिया पर जोर देता हूं ताकि मानवीय और क्षेत्रीय जरूरतों को पूरा किया जा सके। मैने सुना है कि अनेक वैश्विक कंपनियां अपनी स्‍थानीयकरण्‍योजनाओं के बारे में बात करती हैं। इस प्रकार इस अभियान में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को बढ़ावा देने और वैश्विक परिदृश्‍य को सशक्‍त बनाने की क्षमता है।

दोस्तों,

मैं अकसर यह कहता हूं कि यह सदी एशिया की सदी है। मेरी आपसे यही सलाह है कि अगर आप इस सदी को अपनी सदी बनाना चाहते हैं तो मेक इन इंडिया को अपना केंद्र बनाएं। मैं यहां बैठे और यहां न आए हर व्‍यक्ति को भारत की विकास की कहानी का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता हूं।

• यह भारत में होने का सबसे अच्छा समय है,
• और उससे भी बेहतर मेक इन इंडिया होने का है।

धन्‍यवाद

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