Excellencies,
दुर्भाग्यवश, ऐसा माना जाता है कि विश्व के विकास और पर्यावरण सुरक्षा के लक्ष्यों के बीच एक मूल टकराव है। एक और गलत धारणा यह भी है कि गरीब देश और गरीब लोग पर्यावरण को अधिक नुक्सान पहुंचाते हैं। किन्तु भारत का हज़ारों वर्षों का इतिहास इस सोच का पूर्ण रूप से खंडन करता है।
प्राचीन भारत ने अपार समृधि का समय देखा; फिर हमने आपदा से भरी गुलामी की सदियाँ भी सहीं; और आज स्वतन्त्र भारत पूरे विश्व में सबसे तेज़ी से ग्रो कर रही बड़ी economy है। किन्तु इस पूरे कालखंड में भारत ने पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रत्ती भर भी dilute नहीं होने दिया। भारत में विश्व की 17% आबादी रहती है। किन्तु वैश्विक कार्बन इमिशन में हमारा योगदान सिर्फ 5% है। इसका मूल कारण हमारी lifestyle है, जो नेचर के साथ सह-सस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित है।
यह तो आप सभी मानेंगे कि energy एक्सेस सिर्फ अमीरों का प्रिविलेज नहीं होना चाहिए – एक गरीब परिवार का भी energy पर बराबर का हक़ है।आज जब geopolitical टेंशन के कारण उर्जा के दाम आसमान छू रहे हैं इस बात को याद रखना और महत्वपूर्ण हो गया है। इसी सिद्धांत से प्रेरणा ले कर हमने भारत में घर-घर LED bulbs और clean कुकिंग गैस पहुँचाया, और यह दिखाया कि गरीबों के लिए ऊर्जा सुनिश्चित करते हुए भी कई मिलियन टन कार्बन एमिशन बचाया जा सकता है।
अपने climate commitments के प्रति हमारी प्रतिबद्धता हमारे performance से स्पष्ट है। Non-Fossil sources से 40 प्रतिशत उर्जा-capacity का लक्ष्य हमने समय से 9 वर्ष पहले ही प्राप्त कर लिया। पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल-ब्लेंडिंग का लक्ष्य समय से 5 माह पूर्व प्राप्त कर लिया गया। भारत में विश्व का पहला पूरी तरह सोलर पावर संचालित एयरपोर्ट है। भारत का विशाल रेलवे system इसी दशक में नेट zero हो जाएगा।
Excellencies,
भारत जैसा विशाल देश जब ऐसी महत्वाकांक्षा दिखाता है तो अन्य विकासशील देशों को भी प्रेरणा मिलती है। हमें आशा है कि G-7 के समृद्ध देश भारत के प्रयत्नों को समर्थन देंगे। आज भारत में क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजीज के लिए एक बहुत बड़ा market बन रहा रहा है। G-7 देश इस क्षेत्र में research, innovation, और manufacturing में निवेश कर सकते हैं। हर नयी technology के लिए भारत जो स्केल दे सकता है उससे वह technology पूरे विश्व के लिए किफायती बन सकती है। सर्कुलर ईकोनॉमी के मूल सिद्धांत भारतीय संस्कृति और जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा रहे हैं।
मैंने पिछले वर्ष ग्लासगो में LIFE – Lifestyle for Environment – नाम के मूवमेंट का आह्वान किया था। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर हमने LiFE अभियान के लिए ग्लोबल इनिशियेटिव लाँच किया। इस अभियान का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली को बढ़ावा देना है। इस movement के अनुयायियों को हम ट्रिपल-P यानि ‘pro planet people’ बोल सकते हैं, और हम सभी को अपने अपने देशों में ट्रिपल-P लोगों कि संख्या बढ़ाने का जिम्मा लेना चाहिए।आने वाली पीढ़ियों के लिए यह हमारा सबसे बड़ा योगदान होगा।
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मानव और प्लानेट का स्वास्थ्य आपस में जुड़ा है। इसलिए, हमने one world, one health का approach अपनाया है। महामारी के दौरान भारत ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में digital technology के उपयोग के लिए कई रचनात्मक तरीके निकाले। इन innovations को अन्य विकासशील देशों तक ले जाने के लिए G7-देश भारत को सहयोग दे सकते हैं। अभी हाल ही हम सभी ने इंटरनेशनल डे of योग मनाया। COVID के संकट के समय में योग विश्व के सभी लोगों के लिए preventive हेल्थ का उत्तम साधन बना – इस से कई लोगों को अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मेन्टेन करने में मदद मिली।
योग के आलावा भी भारत समेत विश्व के कई देशों में ट्रेडिशनल मेडिसिन की बहुमूल्य धरोहर है, जिसे होलिस्टिक हेल्थ के लिए उपयोग किया जा सकता है। मुझे ख़ुशी है कि हाल ही में WHO ने अपने Global Centre फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन को भारत में स्थापित करने का निर्णय लिया। यह सेंटर न सिर्फ विश्व के अलग अलग ट्रेडिशनल मेडिसिन पद्धतियों का repository बनेगा, बल्कि इनमे और research को भी प्रोत्साहन देगा। इसका लाभ विश्व के सभी नागरिकों को मिलेगा।
धन्यवाद।