महामहीम चांसलर अंगेला मैर्केल, वाइस चांसलर श्रीमान सिगमार गबरिएल, मंत्री डॉक्टरयोहाना वंका, मिनिस्टर-प्रेसिडेंट श्री स्टेफान वइल, डोयचे मेस्से के अध्यक्ष. डॉ॰ वोल्फराम फॉन फ्रिश

दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक मेले के उद्घाटन के अवसर पर मौजूद रहना मेरे लिए सच में बेहद सौभाग्‍य की बात है।

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महान नेता और भारत की मित्र चांसलर मर्केल के सानिध्‍य में ऐसा करना विशेष सम्‍मान की बात है।

सबसे पहले, मैं हैनोवर शहर और हैनोवर मेसे का आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं। उन्‍होंने बहुत उदारता के साथ शहर में हमारे शेरों को प्रदर्शित करने की अनुमति दी है। शेर नए भारत का प्रतीक हैं। वे दहाड़ते हैं, लेकिन भारत की 25 बिलियन जनता की मैत्री और भागीदारी के वायदे के संदेश के साथ। यह इस मेले में भाग ले रहे भारत के 15 राज्‍यों, 20 मुख्‍य कार्यकारी अधि‍कारियों और 350 कम्‍पनियों का संदेश भी है।

भागीदार देश के रूप में भारत का चयन, भारत में आपके नए भरोसे को दर्शाता है। मेरी सरकार के कार्यकाल के पहले साल में हमारी यहां मौजूदगी का फैसला हमारी प्राथमिकता को दर्शाता है:

हम आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाना चाहते हैं और हमारे युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन करना चाहते हैं।

हम विश्‍वस्‍तरीय उद्योग और बुनियादी ढांचा बनाना चाहते हैं।

हम अपने शहरों और गांवों को बदल देना चाहते हैं, उनके वातावरण को स्‍वच्‍छ बनाना चाहते हैं और जीवन स्‍तर में सुधार लाना चाहते हैं।

भागीदार देश के रूप में हमारी उपस्थिति कुछ और भी कहती है। हम अपने संसाधनों, कौशलों और उद्यम के बल पर अपने लक्ष्‍यों को सहज रूप से प्राप्‍त करेंगे। लेकिन हम यह जानते हैं, जब यह कार्य हम विश्‍व की भागीदारी से करेंगे, तो ज्‍यादा सफल होंगे। भारत की जनता के लिए जर्मनी एक मूल्‍यवान सहभागी और प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, गुणवत्‍ता और उत्‍पादकता का स्‍थायी प्रतीक है।

इतना ही नहीं, भारत और जर्मनी में निकट और प्रगाढ़ रिश्‍ते हैं। ये रिश्‍ते सदियों पहले, जर्मन विद्वानों की बौद्धिक यात्राओं में हैं। ये रिश्‍ते एक ही समय दोनों देशों के आधुनिक गणराज्‍यों के रूप में जन्‍म से गहरायी और वैविध्‍यपूर्ण हैं, इतिहास के गलियारों में भारतीय और जर्मन लोगों ने परस्‍पर आकर्षण और सदभावना का संबंध कायम किया है।

इसमें गतिशील आर्थिक भागीदारी भी शामिल है, जिसका दायरा पिछली शताब्दि से भी बढ़कर है। आज आप आसानी से सीमंस जैसी कंपनियों को भारतीय जैसा समझ सकते हैं। करीब सौ साल पहले, भारत के महान कवि और दार्शनिक रबीन्‍द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि भारत के लिए पश्चिमी विश्‍व को खोलने में जर्मनी का योगदान किसी भी अन्‍य देश से ज्‍यादा है।

आज, मैं भारत की बेजोड़ आर्थिक संभावनाओं को उजागर करने के अपने मिशन में जर्मनी की भागीदारी चाहता हूं। आज यहां एकत्र दुनिया भर के उद्योग जगत से मैं कहना चाहता हूं कि आज अपने मेजबान के लिए हमारे कोई विशेष पूर्वाग्रह नहीं हैं भारत विश्‍व को गले लगाने के लिए तैयार और तत्‍पर है। मैंने दुनिया भर की यात्रा के दौरान, भारत में व्‍यापार, निवेश और नवाचार के क्षेत्र में भागीदारी कायम करने के प्रति दिलचस्‍पी का एक नया स्‍तर देखा है। यह हमारी जनता और उद्योग, अवसरों और प्रगति के लिए- हमारे 80 करोड़ युवाओं की अपेक्षाओं की नयी लहर के प्रति आशा को प्रतिबिम्बित करता है और अगर हम अपने युवाओं के सपने साकार करना चाहते हैं, हमें अपने उद्योग जगत को विश्‍व के विनिर्माण केंद्र और अपने ही देश में रोजगार के साधन के रूप में परिवर्तित करना होगा। और, हमें हर हाल में अपने युवाओं को कौशल संपन्‍न बनाना होगा ताकि वे राष्‍ट्र की जरूरते और व्‍यापक जगत की मांगें पूरी कर सकें।

हम जो भी करने का चयन करते हैं, उत्‍कृष्‍टता प्राप्‍त करने से लेकर अत्‍यंत आवश्‍यक सामाजिक जरूरतें पूरी करने तक, हमें निवेश और प्रौद्योगिकी, उद्योग एवं उद्यम की जरूरत होगी। इसीलिए, मेक इन इंडिया मेरे लिए ब्रांड नहीं है। न ही किसी फुर्तीले शेर पर अंकित कोई नारा मात्र है!

यह नया राष्‍ट्रीय आंदोलन है और यह हमारी सरकार, समाज और कारोबार सभी को अपने में समेटे हैं। यहां मौजूद प्रबुद्ध लोगों के समक्ष मुझे यह बताने की जरूरत नहीं हैं कि हमारे परिवर्तन का पैमाना व्‍यापक है, इसलिए हम जिन अवसरों की पेशकश कर रहे हैं, वे अपार हैं।

आप हमारी जनसंख्‍या और हमारी जरूरत से भी अवगत हैं। आप यह पूछ सकते हैं कि क्‍या हम इस संभावना को वास्‍तविकता में बदल सकते हैं और हमारे विजन को अमली जामा पहना सकते हैं।

आप केवल आकर्षक स्‍थल ही नहीं चाहते, बल्कि यह आश्‍वासन भी चाहते हैं कि वहां खुलापन हो और वहां पहुंच बनाने और काम करने में सुगमता हो। आप यह भरोसा चाहते हैं कि वातावरण स्थिर हो, नियमों में जल्‍दी-जल्‍दी बदलाव न हो और अचानक कोई कदम न उठाए जाएं। इसलिए हमने अपने संकल्‍प को पूरा करने के लिए तीव्रता, निश्‍चय और साहस से कदम उठाया है।

हम स्थिर आर्थिक वातावरण तैयार कर रहे हैं, जो देश और विदेश में भरोसा जगाता है। हम इसके लिए कड़े वित्‍तीय अनुशासन का पालन कर रहे हैं। मैं जानता हूं कि चांसलर मर्केल इसकी कितनी सराहना करेंगी।

हमने अपनी नीतियों में सुधार लाने और बीमा, निर्माण, रक्षा और रेलवे जैसे प्रमुख क्षेत्रों में ज्‍यादा प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश लाने के लिए व्‍यापक कदम उठाए हैं। रेलवे वह सूत्र है, जिसने भारत को जोड़ रखा है। अब वह भारत के बदलाव लाने के लिए फास्‍ट ट्रैक साबित होगा। और, जो सरकार का विभाग था, अब o 00% प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश के लिए खुला है।

हम अनावश्‍यक नियमों को हटा रहे हैं और अपनी प्रक्रियाओं को सरल बना रहे हैं। हम विविध प्रकार की स्‍वीकृतियों और लम्‍बे इंतजार को समाप्‍त करने के लिए डिजिटल टैक्‍नॉलोजी का इस्‍तेमाल कर रहे हैं। हम आपकी परियोजनाओं में आपका मार्गदर्शन करेंगे और आपका साथ निभाएंगे।

हमने इन्‍वेस्‍ट इंडिया की शुरूआत की है और उसमें कंट्री डेस्‍क्‍स बनाए हैं जिनका नेटवर्क राज्‍यों तक होगा। हम नवाचार को प्रोत्‍साहन देंगे और आपकी बौद्धिक संपदा की हिफाजत करेंगे। भारत में ये संस्‍थाएं थीं, जो जांच से परे समझी जाती थीं, अब ऐसा नहीं रहा है। हम संस्‍थाओं में इस प्रकार का सुधार कर रहे हैं, जैसा दशकों में नहीं हुआ है। हम ऐसी कर व्‍यवस्‍था बना रहे हैं, जो पूर्वानुमय, स्थिर और प्रतिस्‍पर्धी है।

अब हम बची हुई अनिश्चितताएं दूर करेंगे। वस्‍तु एवं सेवा कर में लम्‍बे अरसे से बदलाव की जरूरत थी, जो अब वास्‍तविकता बन रहा है। विश्‍वस्‍तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करना हमारी सर्वोच्‍च प्रा‍थमिकता है। हमने सार्वजनिक निवेश में काफी वृद्धि की है। हमने इस क्षेत्र के समेकित विकास के लिए राष्‍ट्रीय अवसंरचना एवं निवेश कोष और नये संस्‍थान की स्‍थापना की है। हम दीर्घकालिक कोषों के लिए नये आकर्षक वित्‍तीय साधनों की शुरूआत कर रहे हैं। हम ऊर्जा के स्‍वच्‍छ एवं बेहद कारगर इस्‍तेमाल के साथ हमारी वृद्धि को बल देना चाहते हैं।

हमने अगले सात वर्षों के लिए नवीकरणीय एवं स्‍वच्‍छ ऊर्जा के लिए 75 गीगावॉट्स की नयी क्षमता का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। यह चुनौतीपूर्ण लक्ष्‍य है-हां, लेकिन इसे जारी रखना महत्‍वपूर्ण है। सुशासन सिर्फ हमारे नागरिकों के लिए ही नहीं, बल्कि कारोबार के लिए भी आवश्‍यक है। पारदर्शिता और रफ्तार के साथ, हमने लम्‍बे अर्से से रूकी हुई परियोजनाओं को चालू किया है और संसाधनों का आवंटन किया है। यह हमारी अ‍र्थव्‍यवस्‍था को नयी गति दे रहे हैं। हम भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों और अन्‍य भूस्‍वामियों को तकलीफ पहुंचाए बगैर उचित व्‍यवस्‍था बना रहे हैं। हम अनुमानेय और पारदर्शक पर्यावरण मंजूरी प्रक्रिया बना रहे हैं जो हमारी राष्‍ट्रीय धरोहर का संरक्षण करेगी। सबसे बढ़कर, हम जानते हैं, जैसा कि आपको भी मालूम है, निवेश यात्रा का प्रारम्भ भले ही दिल्‍ली से हो, लेकिन उसकीसफलता राज्‍यों की राजधानियों और जिलों पर निर्भर करती है।

इसलिए, पहली बार, हम टीम इंडिया के रूप में - केंद्र और राज्‍यों के बीच नयी भागीदारी के साथ कार्य कर रहे हैं। हम सहकारी संघवाद की बात करते हैं, लेकिन प्रतिस्‍पर्धी संघवाद की भी चर्चा करते हैं, जहां राज्‍यों को निवेश और नौकरियों के लिए एक-दूसरे से स्‍पर्धा करके श्रेष्‍ठता साबित करनी होगी। हम उन्‍हें ज्‍यादा संसाधन भी दे रहे हैं, ताकि वे आपकी जरूरत के मुताबिक बुनियादी ढांचा तैयार कर सकें। मैं उन्‍हें अपने अंतर्राष्‍ट्रीय संबंध में भागीदार के रूप में देखता हूं।

लेकिन मैं इस बात से भी अवगत हूं कि नीतियां बदलना और नए कानून बनाना- दृष्टिकोण, संस्‍कृति और व्‍यवस्‍था बदलने से ज्‍यादा आसान होगा। जिस किसी मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी ने परिवर्तन लाने की कोशिश की होगी, इस बात से वाकिफ होगा। हमारा कार्य विशाल है, यह रातोंरात पूरा नहीं होगा। लेकिन, मुझे यकीन है कि यह पूरा होगा और हम मजबूती और स्‍पष्‍टता के साथ उसी दिशा में बढ़ रहे हैं। बदलाव की बयार बह रही है और रफ्तार पकड़ रही है। जब आईएमएफ, विश्‍व बैंक, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां और विशेषज्ञ एक स्‍वर से भारत के बारे में सकारात्‍मक बात कर रहे हैं, तो हम जानते हैं कि हवा सही दिशा में बह रही है और इसने हमने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था बना दिया है।

तो, आपके लिए मेरा यही संदेश है : आपको ऐसा माहौल मिलेगा, जो सिर्फ मुक्‍त ही नहीं, बल्कि स्‍वागत करने वाला ही होगा।हम भारत में कारोबार करना आसान बनाएंगे और हम आपकी प्रतिक्रिया जानने को सदैव उत्‍सुक रहेंगे। तो, हमारा उद्योग यहां अपने कौशलों का प्रदर्शन करने के उपस्थित है। विश्‍व में तकनीकी नेतृत्‍व के कई भारतीय उदाहरण हैं, लेकिन हम ऐसा भविष्‍य चाहते हैं, जहां उत्‍कृष्‍टता हमारे प्रत्‍येक क्षेत्र और प्रत्‍येक उद्योग को परिभाषित करती हो और वे यहां आपकी भागीदारी इच्‍छा के साथ आए हैं।

यह मात्र वित्‍तीय प्रवाहों, नयी प्रौद्योगिकी अथवा उत्‍पादों के लिए नहीं है, एक-दूसरे से सीखने, सम्‍भावनाओं को नए अंदाज से देखने के लिए भी है। भारत ऐसा देश है, जिसकी दुनिया में बहुत साख है। सभी जगहों पर मैंने भारत की कामयाबी की सशक्‍त इच्‍छा देखी है।

मानवता के छठे हिस्‍से की प्र‍गति विश्‍व और हमारे खूबसूरत ग्रह के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण होगी। यह ज्‍यादा आशा और अवसरों वाली दुनिया होगी, ऐसी दुनिया जो अपनी सफलता के प्रति ज्‍यादा आश्‍वस्‍त होगी। यह राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक चुनौतियों का दौर है और हिंसा का खतरा हमारे घरों के करीब आ पहुंचता जा रहा है। मानवता को पहले से कहीं ज्‍यादा एकजुटता और अंतर्राष्‍ट्रीय भागीदारी की ताकत की जरूरत है।

भारत - आर्थिक स्थायित्‍व के आधार, वृद्धि के साधन और विश्‍व में शांति एवं स्थायित्‍व की ताकत के रूप में अपनी जिम्‍मेदारी निभाएगा। इसलिए मैं आपको भारत में कारोबार और -भारत तथा विश्‍व हेतु निर्माण करने के लिए आमंत्रित करता हूं। मैं आपको नए भारत के निर्माण में हमारा भागीदार बनने के लिए आमंत्रित करता हूं। मैं हमारी कालातीत परम्‍पराओं, विविधता के निर्बाध उत्‍सव का आनंद उठाने और हमारी स्‍नेहपूर्ण मैत्री को स्‍वीकार करने के लिए आपको आमंत्रित करता हूं।

मैं इस मेले की सफलता की कामना करता हूं। मैं आशा करता हूं कि जब इसका समापन होगा, कई नए द्वार खुलेंगे।

एक बार फिर से आपका आभार प्रकट करता हूं।

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CEO of Perplexity AI meets Prime Minister
December 28, 2024

The CEO of Perplexity AI Shri Aravind Srinivas met the Prime Minister, Shri Narendra Modi today.

Responding to a post by Aravind Srinivas on X, Shri Modi said:

“Was great to meet you and discuss AI, its uses and its evolution.

Good to see you doing great work with @perplexity_ai. Wish you all the best for your future endeavors.”