प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 16वें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। ब्रूनेई ने ईएएस और आसियान के अध्यक्ष होने की हैसियत से इस 16वें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। सम्मेलन में आसियान देशों और अन्य ईएएस देशों सहित ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस, अमेरिका और भारत ने भागीदारी की। उल्लेखनीय है कि भारत ईएएस में सक्रिया भागीदारी करता है। प्रधानमंत्री ने सातवीं बार पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में शिरकत की।
शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने में ईएएस के महत्व को दोहराते हुये कहा कि संगठन अहम रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिये देशों को करीब लाता है। प्रधानमंत्री ने वैक्सीन और चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति के जरिये कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने में भारत के प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने महामारी के बाद दोबारा अपने पांव पर खड़े होने में सहायक “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि दुनिया में उत्पादकता बढ़ाने और उसे साझा करने में लचीलेपन को सुनिश्चित किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी तथा जलवायु को प्रभावित न करने वाली जीवनशैली के बीच बेहतर संतुलन बनाने की जरूरत है।
16वें ईएएस में महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की गई, जिनमें हिन्द-प्रशांत, दक्षिण चीन सागर, यूनाइटेड नेशंस कंवेन्शन ऑन द लॉ ऑफ द सी (यूएनसीएलओएस-सामुद्रिक विधि पर संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव), आतंकवाद तथा कोरिया प्रायद्वीप और म्यांमार के विषय शामिल थे। प्रधानमंत्री ने हिन्द-प्रशांत में “आसियान सेंट्रेलिटी” पर दोबारा बल दिया और आसियान आउटलुक ऑन इंडो-पैसेफिक (हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में आसियान की भूमिका-एओआईपी) और इंडो-पैसेफिक ओशंस इनीशियेटिव (हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत की पहल-आईपीओआई) में भारत की सक्रियता को रेखांकित किया।
ईएएस के राष्ट्राध्यक्षों ने मानसिक स्वास्थ्य, पर्यटन के माध्यम से अर्थव्यवस्था की बहाली और सतत बहाली पर तीन घोषणायें अपनाईं, जिन्हें भारत ने सह-प्रायोजित किया था। कुल मिलाकर यह शिखर सम्मेलन प्रधानमंत्री और अन्य ईएएस राष्ट्राध्यक्षों के बीच दृष्टिकोणों के आदान-प्रदान में बहुत सफल रहा।