13 मार्च की सुबह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी श्रीलंका पहुंचे। श्री मोदी के तीन देशों के दौरे का यह अंतिम पड़ाव था। सुबह लगभग साढ़े पांच बजे श्रीलंका के प्रधानमंत्री श्री रानिल विक्रमसिंघे ने कोलंबो हवाई अड्डे पर श्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत किया।

 

भारतीय प्रधानमंत्री के लिए एक औपचारिक स्वागत समारोह आयोजित किया गया था। श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री मैत्रीपाल सिरिसेना ने श्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति सिरिसेना से पुनः मुलाकात करने पर अपनी खुशी व्यक्त की।

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श्रीलंका यात्रा दोनों देशों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थी क्योंकि 1987 के बाद से यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय यात्रा है। इससे पहले श्री मोदी ने अपार खुशी के साथ अपने इस दो दिन की यात्रा के बारे में ट्वीट किया था।

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13 मार्च को भारत के प्रधानमंत्री और श्रीलंका के राष्ट्रपति ने संयुक्त रूप से मीडिया वक्तव्य दिया। श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले कुछ वर्षों में व्यापार में उल्‍लेखनीय वृद्धि का उल्लेख किया और भारत और श्रीलंका के बीच व्यापार संबंधों को आगे और मजबूत करने की आशा व्यक्त की। श्री मोदी ने कहा कि श्रीलंका में रामायण और भारत में महात्‍मा बुद्ध से जुड़े स्‍थलों के विकास में सहयोग देने के लिए भारत प्रतिबद्ध है।

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के साथ एक बैठक भी की। इस बैठक में विभिन्न मुद्दों एवं भारत और श्रीलंका के बीच सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा हुई।

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श्री नरेन्द्र मोदी ने महाबोधि समाज की भी यात्रा की। उन्होंने कोलंबो में बौद्ध भिक्षुओं के साथ बातचीत की। प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे आशीर्वाद लिया और कहा कि बुद्ध ने हमेशा युद्ध से दूर रहने का रास्ता दिखाया है। उन्होंने इस जगह की यात्रा का अवसर देने के लिए महाबोधि समाज को धन्यवाद दिया। भारत और श्रीलंका के सांस्कृतिक उत्थान में बौद्ध धर्म के योगदान को महत्व देते हुए श्री नरेन्द्र मोदी ने दोनों देशों के बीच इसे एकजुटता का माध्यम बताया।

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उसी दिन शाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका की संसद को संबोधित किया। श्रीलंका की संसद को एशिया में सबसे जीवंत बताते हुए उन्होंने भारत की 1.25 अरब लोगों की ओर से सबका अभिवादन किया। श्री मोदी ने अपने कार्यकाल में इतनी जल्दी श्रीलंका की यात्रा करने का मौका मिलने पर अपनी खुशी व्यक्त की। श्रीलंका को मानव विकास के लिए एक प्रेरणा बताते हुए श्री मोदी ने इसे उद्यम, कौशल और असाधारण बौद्धिक विरासत का गढ़ बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच भूमि सीमा नहीं होने के बावजूद वे सही अर्थों में निकटतम पड़ोसी रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आदर्श पड़ोसी के अपने दृष्टिकोण की भी चर्चा की जिसमें दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, विचार और लोगों का आसानी से आवागमन हो सके। श्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका के साथ विकास के लिए साझेदारी में भारत की पूर्ण प्रतिबद्धता और समर्थन का आश्वासन दिया।

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प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय शांति रक्षा बल (आईपीकेएफ) के शहीदों को भी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने उनके बलिदान को याद किया और उनके साहस को सलाम किया।

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सिलोन चैम्‍बर्स ऑफ कॉमर्स में एक व्यापार समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने बुनियादी ढांचा, ऊर्जा, पारंपरिक हस्तशिल्प, आधुनिक विनिर्माण और पर्यटन की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत श्रीलंका की आर्थिक प्रगति को सर्वोच्च महत्व देता है। वे समपुर ताप बिजली परियोजना और ट्रिन्‍कोमाली ऑयल फार्म की प्रगति से संतुष्ट थे। उन्होंने भारत सरकार के उस फैसले पर भी अपना संतोष जताया जिसमें 14 अप्रैल से आगमन पर वीजा सुविधा का लाभ श्रीलंका को भी दिया जाएगा।

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श्री मोदी ने श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के विपक्ष के नेता श्री निमाल सिरीपाला डि सिल्वा, तमिल नेशनल एलायंस के नेताओं और श्रीलंका की पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती चंद्रिका कुमारतुंगा से भी मुलाकात की।

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14 मार्च को उनकी यात्रा का दूसरा दिन अनुराधापुरा की यात्रा के साथ शुरू हुआ। श्री मोदी ने श्री महाबोधि वृक्ष का दौरा किया जहाँ उन्होंने एवं राष्ट्रपति सिरिसेना ने प्रार्थना की। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर भी डाली।

 

Offered prayers at the Naguleswaram Temple in Jaffna. Feeling blessed. #Jaffna #SriLanka

A photo posted by Narendra Modi (@narendramodi) on Mar 14, 2015 at 4:15am PDT

अनुराधापुरा के बाद श्री मोदी का अगला गंतव्य जाफना था। वहां पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब विश्व जाफना से भी शांति की भावना का अनुभव ले रहा है। श्री नरेन्द्र मोदी ने जाफना सांस्कृतिक केन्द्र की आधारशिला रखी।

प्रधानमंत्री जाफना में नागुलेस्वरम मंदिर भी गये जहाँ उन्होंने प्रार्थना की और कुछ क्षण बिताये।

 

President Sirisena and I at the Sri Maha Bodhi Tree, Anuradhapura. #SriLanka

A photo posted by Narendra Modi (@narendramodi) on Mar 13, 2015 at 10:42pm PDT

पिछले कुछ समय में जाफना और भारत के राज्य गुजरात के बीच एक सामान्य लिंक रहा है। भारतीय महासागर में सुनामी के बाद पुनर्निर्माण पर अध्ययन करने के लिए जाफना से एक दल गुजरात गया था। 2001 में गुजरात में आये भूकंप से मानव जीवन एवं संपत्ति को भारी नुकसान हुआ था जिसके बाद गुजरात सरकार ने मालिक संचालित पुनर्निर्माण वाली एक अनोखी परियोजना निकाली। जाफना में भी मालिक परिचालित पुनर्निर्माण परियोजना के कार्यान्वयन पर ख़ुशी जताते हुए इलावलाई उत्तर-पश्चिम आवासीय परियोजना स्थल पर मकान सौंपे। लगभग 27,000 और घरों का निर्माण किया जाएगा जिसमें प्रधानमंत्री ने यह उम्मीद जताई कि इससे उनलोगों के आँखों के आँसू पोछने में मदद मिलेगी जिन्होंने अतीत में भारी दुखों का सामना किया है।

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श्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तरी प्रांत के मुख्यमंत्री सीवी विग्नेश्वरण से भी मुलाकात की।

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प्रधानमंत्री मोदी ने तलाईमन्नर से मधु रोड के बीच ट्रेन सेवा की भी शुरुआत की। श्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका में इस तरह की विकास परियोजना समर्पित करने को अपने लिए सम्मान का अवसर बताया।

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कोलंबो में भारतीय उच्चायुक्त ने भारत के प्रधानमंत्री के सम्मान में एक स्वागत समारोह का आयोजन किया। श्री नरेन्द्र मोदी ने समारोह में उपस्थित मेहमानों के साथ बातचीत की।

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दक्षिणी पड़ोसी देश की यात्रा की समाप्ति पर प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि आने वाले भविष्य में भारत और श्रीलंका के संबंध और मजबूत होंगे। प्रधानमंत्री ने यह भी उम्मीद जताई कि दोनों देश समुद्री सुरक्षा और हिंद महासागर से जुड़े देशों की व्यापक क्षमता का उपयोग करने के लिए एक साथ काम करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देश एक साथ अपने पिछले इतिहास से ऊपर उठेंगे और आने वाले समय में और अधिक प्रभावी ढंग से कार्य कर सकेंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की इस ऐतिहासिक यात्रा से भारत-श्रीलंका संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ गया है।

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