प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष के लिए जलवायु न्याय पर जोर दिया
हम जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 33 से 35 प्रतिशत तक घटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं - प्रधानमंत्री

गुयाना सहकारी गणराज्‍य के राष्‍ट्रपति, महामहिम, डॉक्‍टर मोहम्‍मद इरफान अली

पपुआ न्‍यू गिनी के प्रधानमंत्री, महामहिम, जेम्‍स मारापे

मालदीव गणराज्‍य की पीपल्‍स मजलिस (संसद) के स्‍पीकर, मेरे मित्र महामहिम, मोहम्‍मद नशीद

संयुक्‍त राष्‍ट्र की उप महासचिव, महामहिम, सुश्री अमीना जे मोहम्‍मद

भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर,

विशिष्‍ट अतिथिगण ,

नमस्‍ते!

मुझे विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन में बोलते हुए खुशी हो रही है। यह फोरम बीस साल पूरे कर रहा है। हमारे वर्तमान और भविष्य के लिए महत्वपूर्ण इस तरह के गतिशील वैश्विक मंचों को बनाए रखने के लिए टेरी को मेरी बधाई है।

दोस्तो,

दो चीजें परिभाषित करेंगी कि मानवता की प्रगति यात्रा आने वाले समय में कैसे बढ़ेगी। पहला हमारे लोगों का स्वास्थ्य है। दूसरा हमारी पृथ्‍वी का स्वास्थ्य है। दोनों आपस में जुड़े हुए हैं। लोगों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए पहले से ही कई चर्चाएं चल रही हैं। हम पृथ्‍वी के स्वास्थ्य के बारे में बात करने के लिए यहां एकत्र हुए हैं। हमारे सामने मौजूद चुनौती का पैमाना व्यापक रूप से जाना जाता है। लेकिन, परंपरागत दृष्टिकोण हमारे सामने आने वाली समस्याओं को हल नहीं कर सकता है। समय की जरूरत है कि हम अपने युवाओं में निवेश करें और सतत विकास की दिशा में काम करें।

दोस्तो,

जलवायु परिवर्तन से लड़ने की राह जलवायु न्याय के माध्यम से है। जलवायु न्याय के मार्ग में बड़े दिल वाला होने का सिद्धांत अपनाना होगा। जलवायु न्याय भी बड़ी और दीर्घकालिक तस्वीर के बारे में सोच रहा है। दुखद वास्तविकता पर्यावरण में बदलाव है और प्राकृतिक आपदाएं गरीबों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती हैं। जलवायु न्याय संरक्षण की परिकल्‍पना की दृष्टि से प्रेरित है- जहां विकास सबसे गरीब लोगों के लिए अधिक करुणा के साथ आता है। जलवायु न्याय का अर्थ विकासशील देशों को विकसित होने के लिए पर्याप्त स्थान देना है। जब हम में से प्रत्येक अपने व्यक्तिगत और सामूहिक कर्तव्यों को समझे, तो जलवायु न्याय प्राप्त किया जा सकता है।

दोस्तो,

भारत की मंशा ठोस कार्य से समर्थित है। उत्साही सार्वजनिक प्रयासों द्वारा संचालित, हम पेरिस से अपनी प्रतिबद्धताओं और लक्ष्यों को पार करने के रास्‍ते पर हैं। हम 2005 के स्तर से सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33 से 35 प्रतिशत तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि उत्सर्जन की तीव्रता में 24 प्रतिशत की गिरावट पहले ही हासिल हो चुकी है।

गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित संसाधनों से लगभग 40 प्रतिशत संचयी विद्ययुत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करने की प्रतिबद्धता थी। और बिजली की स्थापित क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों की हिस्सेदारी आज बढ़कर 38 प्रतिशत हो गई है। इसमें परमाणु और बड़ी पनबिजली परियोजनाएं शामिल हैं। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हम भूमि के निम्‍नीकरण की तटस्‍थता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर निरंतर प्रगति कर रहे हैं। अक्षय ऊर्जा भारत में तेजी से बढ़ रही है। हम 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता के 450 गीगा वाट स्थापित करने के रास्‍ते पर हैं। यहां, मैं हमारे निजी क्षेत्र और कई व्यक्तियों की सराहना करना चाहूंगा जो इसके लिए योगदान दे रहे हैं। भारत भी इथेनॉल का उपयोग बढ़ा रहा है।

दोस्तो,

समान विकास के बिना सतत विकास अधूरा है। इस दिशा में भी भारत ने अच्छी प्रगति की है। मार्च 2019 में, भारत ने लगभग सौ प्रतिशत विद्युतीकरण हासिल कर लिया था। यह स्थायी प्रौद्योगिकियों और नवीन मॉडलों के माध्यम से किया गया था। भारत ने एलईडी बल्बों के विश्व स्तर पर मानक बनने से बहुत पहले इनमें निवेश कर लिया था। उजाला कार्यक्रम के माध्यम से, तीन एलईडी बल्ब 67 मिलियन लोगों के जीवन का हिस्सा बन गए। इससे प्रति वर्ष 38 मिलियन टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड कम हो गया। जल जीवन मिशन ने केवल 18 महीनों में 34 मिलियन से अधिक घरों को नल कनेक्शन से जोड़ा है। पीएम उज्जवला योजना के माध्यम से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 80 मिलियन से अधिक परिवारों की घरों में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन तक पहुंच है। हम भारत की ऊर्जा बास्‍केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का काम कर रहे हैं।

घरेलू गैस बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए 60 बिलियन डॉलर का अनुमानित निवेश किया जाना है। शहर के गैस वितरण नेटवर्क के विस्तार के लिए काम चल रहा है। अगले तीन वर्षों में अन्य 100 जिलों को नेटवर्क में जोड़ा जाएगा। पीएम-कुसुम योजना के माध्यम से, 2022 तक कृषि क्षेत्र में 30 गीगा वाट से अधिक सौर क्षमता विकसित की जाएगी।

दोस्तो,

अक्सर, स्थिरता पर चर्चा हरित ऊर्जा पर भी केन्‍द्रित हो जाती है। लेकिन हरित ऊर्जा केवल साधन है। हम जिस गंतव्य की तलाश करते हैं वह एक हरियाली वाला ग्रह है। हमारी संस्कृति के वनों और हरे आवरण के प्रति गहरे सम्मान के जबरदस्‍त नतीजे सामने आ रहे हैं। एफएओ के वैश्विक वन संसाधन आकलन 2020 के अनुसार: पिछले एक दशक में भारत वन क्षेत्रों में शीर्ष 3 देशों में से एक है।

देश में वन आवरण भौगोलिक क्षेत्र के लगभग एक चौथाई तक पहुंच गया है। पारंपरिक सोच कुछ लोगों को यह सोचने के लिए मजबूर कर सकती है कि जब कोई देश विकास का पीछा करता है, तो वन का घनापन कम हो जाता है। लेकिन, भारत उन देशों में से एक है, जिन्हें यह दिखाने की ज़रूरत नहीं है।

सतत विकास को प्राप्त करने के हमारे मिशन में पशु संरक्षण पर विशेष ध्यान देना भी शामिल है। भारत में, लोग गर्व महसूस करते हैं कि: पिछले पांच से सात वर्षों में, शेरों, बाघों, तेंदुओं और गंगा नदी में डॉल्फ़िन की आबादी बढ़ी है।

दोस्तो,

यह सभा सतत विकास पर काम करने वाले सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली दिमागों को एक साथ लाती है। मैं दो पहलुओं पर ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा: घनिष्‍टता और नवोन्‍मेष। सामूहिक प्रयासों से ही सतत विकास होगा।

जब प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्र की भलाई के बारे में सोचता है, जब प्रत्येक राष्ट्र वैश्विक स्‍तर पर अच्छे के बारे में सोचता है, तब स्थायी विकास एक वास्तविकता बन जाएगा। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से इस दिशा में एक प्रयास किया है। आइए हम हमेशा अपने दिमाग को खुला रखें और राष्ट्र सभी सर्वोत्तम कार्य प्रणाली को खुला रखें। उसी भावना में, हम हमेशा दूसरों के साथ अपनी सर्वोत्तम कार्य प्रणाली को साझा करते हैं। दूसरा नवाचार है। अक्षय ऊर्जा, पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकी और बहुत कुछ पर अनेक स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं। नीति निर्माताओं के रूप में, हमें इनमें से कई प्रयासों का समर्थन करना चाहिए। हमारे युवाओं की ऊर्जा निश्चित रूप से उत्कृष्ट परिणाम देगी।

दोस्तो,

इस मंच के माध्यम से मैं एक और क्षेत्र का उल्लेख करना चाहूंगा, जिस पर विचार करने की आवश्‍यकता है। वह है- जो हमारी आपदा प्रबंधन क्षमताओं को बढ़ा रहा है। इसके लिए मानव संसाधन विकास और प्रौद्योगिकी पर ध्यान देने की आवश्यकता है। आपदा रोधी संरचना के लिए गठबंधन के हिस्से के रूप में, हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।

दोस्तो,

भारत सतत विकास के लिए जो भी संभव हो करने के लिए तैयार है। हमारा मानव केन्द्रित दृष्टिकोण वैश्विक भलाई के लिए ताकत बढ़ाने वाला हो सकता है। इन प्रयासों में टेरी जैसे संस्थानों के अनुसंधान का सहयोग महत्वपूर्ण है।

मैं इस शिखर सम्मेलन, और आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।

धन्‍यवाद !

बहुत-बहुत धन्‍यवाद

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Prime Minister condoles passing away of former Prime Minister Dr. Manmohan Singh
December 26, 2024
India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji: PM
He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years: PM
As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives: PM

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has condoled the passing away of former Prime Minister, Dr. Manmohan Singh. "India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji," Shri Modi stated. Prime Minister, Shri Narendra Modi remarked that Dr. Manmohan Singh rose from humble origins to become a respected economist. As our Prime Minister, Dr. Manmohan Singh made extensive efforts to improve people’s lives.

The Prime Minister posted on X:

India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji. Rising from humble origins, he rose to become a respected economist. He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years. His interventions in Parliament were also insightful. As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives.

“Dr. Manmohan Singh Ji and I interacted regularly when he was PM and I was the CM of Gujarat. We would have extensive deliberations on various subjects relating to governance. His wisdom and humility were always visible.

In this hour of grief, my thoughts are with the family of Dr. Manmohan Singh Ji, his friends and countless admirers. Om Shanti."