नाविका कुमार, ग्रुप एडिटर इन चीफ: नमस्कार। दर्शकों आज हमारे साथ देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जुड़ रहे हैं एक खास इंटरव्यू में, टाइम्स नाउ और टाइम्स नाउ नवभारत के दर्शकों के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी नमस्कार और बहुत धन्यवाद समय देने के लिए।

नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री: टाइम्स नाउ को भी बहुत बहुत नमस्कार, आपके दर्शकों को नमस्कार।

सुशांत सिन्हा, कंसल्टिंग एडिटर: मैं सुशांत सिन्हा और सर, आप कैसे हैं, केम छो?

नरेंद्र मोदी : केम छो, लेकिन अब आदत सी हो गई। मेरी एक प्रॉब्लम है, मुझे हिंदी बोलने की आदत इतनी हो गई कि कुछ परिवार जो मूल हिंदी भाषी, लेकिन गुजरात में बसे है, वो शिकायत करते थे, आपके मुंह से गुजराती अच्छी नहीं लगती है, आप गुजराती मत बोलो।

नाविका कुमार: नहीं, कल तो आप बंगाल में बांग्ला भी बोल रहे थे।

नरेंद्र मोदी: हां, मैं कोशिश करता हूं, जी।

नाविका कुमार: तो बहुत सी भाषाएं आपने...

नरेंद्र मोदी: मैं संपर्क में रहता हूं, इच्छा भी रहती है कि मैं इसको सीखूं थोड़ा।

नाविका कुमार: प्रधानमंत्री जी सबसे पहले सवाल, जो मैं पूछना चाहूंगी वो ये कि 2 फेज के चुनाव तो हो चुके हैं, कुछ नामांकन डरते-डरते, चलते-चलते हो गए हैं और। आपका नामांकन कब हो रहा है? और काशी से ये जो आपका नाता है, ये काशी का नाता आपके लिए क्या मायने रखता है?

नरेंद्र मोदी: ये आखिरी फेज का चुनाव है हमारा काशी का. उत्तर प्रदेश में चुनाव पश्चिम से शुरू होता है। जाते-जाते ईस्ट में तो ये लास्ट फेज में मेरा चुनाव है काशी का और मेरी पार्टी ने फिर एक बार मुझे काशी का उम्मीदवार बनाने का तय किया है, मैं लेकिन थोड़ा भावुक हूं उस संदर्भ में राजनीतिक दृष्टि से जो भी होगा, मैं जब 2014 में काशी गया तो नामांकन के बाद, क्योंकि वो लास्ट मोमेंट तय हुआ मेरा काशी जाना, तो नामांकन के बाद ऐसे ही मीडिया के लोगों ने मुझे पकड़ा तो मेरे मुंह से ऐसे ही एक भाव निकल के आया और उस दिन आप देखेंगे मैं बिल्कुल तैयार नहीं था, अचानक ही मुझे पकड़ा था। मैंने कहा- देखिए भाई, न मैं यहां आया हूं, न मुझे किसी ने भेजा है, मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है। ऐसा मैंने 2014 में कहा था, लेकिन आज 10 साल के बाद मैं पूरे भावुकता से कह सकता हूं कि उस समय मैंने कहा था कि मां गंगा ने मुझे बुलाया है। आज मुझे लगता है कि मां गंगा ने मुझे गोद लिया है। तभी 10 साल बीत गए, काशी से इतना नाता जुड़ गया कि अब मैं कभी भी बोलता हूं तो यही कहता हूं मेरी काशी और इसलिए एक मां-बेटे के जैसा, वो रिश्ता मैं मेरी काशी के साथ लोकतंत्र है, नामांकन भी भरेंगे, लोगों से आशीर्वाद भी मांगेगे और लोग आशीर्वाद देंगे भी, लेकिन ये रिश्ता जनप्रतिनिधि वाला नहीं है, ये रिश्ता किसी और ही अनुभूति का है, जो मैं फील करता हूं, और इसलिए उम्मीदवार, नामांकन, चुनाव, ये लोकतंत्र की प्रक्रिया है पूरी करेंगे।

नाविका कुमार: पर ये रिश्ता मां-बेटे का।

नरेंद्र मोदी: जी...।

सुशांत सिन्हा: और आपने इसका मतलब सेवा भी मां के तौर पर ही की, जिससे काशी में इतना विकास हुआ है?

नरेंद्र मोदी: एक कर्तव्य होता है जनप्रतिनिधि का, लेकिन मैं अपने आप को कभी भी ये महसूस नहीं किया कि मैं कहां गुजरात का, काशी के लोगों ने इतना प्यार दिया, इतना प्यार दिया मैं कल्पना नहीं कर सकता हूं।

सुशांत सिन्हा: नामांकन कब है सर? नामांकन, आप कब फाइल कर रहे हैं?

नरेंद्र मोदी: मोस्ट प्रोबेबली 13-14 मई के आस-पास, चर्चा चल रही है, मेरा और कार्यक्रम बहुत है, तो उसमें से थोड़ा एडजस्ट करके निकालेंगे।

नाविका कुमार: आपके मौजूदा शेड्यूल के हिसाब से समय निकाल पाएंगे?

नरेंद्र मोदी: बड़ा इंट्रस्टिंग है आपने बड़ा ही मजेदार सवाल पूछा है तो मैं आपको बता दूं, 2014 में शपथ समारोह था तो मैं राष्ट्रपति भवन गया। प्रणब मुखर्जी साहब से बात करने के लिए, तो मैंने कहा एक इच्छा है अगर आपको सुविधा हो क्योंकि ये कार्यक्रम तो राष्ट्रपति जी का होता है, बाहर करेंगे तो अच्छा होगा। तो वो जो समय लोगों ने मुझे बताया था, बोले साहब दिन में करना अच्छा होगा। तो उस समय तो धूप बहुत होती है। तो मैंने कहा कैसे करेंगे? तो बोले शाम को करेंगे तो अच्छा होगा। तो ठीक है, शाम को कर लीजिए, तो शाम को तय हुआ। उस समय आपने देखा अखबारों में बहुत आर्टिकल छपे थे, इंटरव्यू छपते थे, ये मुहूर्त ठीक नहीं है, मोदी जी गलत कर रहे हैं, इसका कोई उपाय भी नहीं शास्त्रों में, मुझे भी काफी लोग के बीच में थोड़ा समय था तो मुझ पर भी दबाव डालने लगे। मैंने कहा, भाई देखिये राष्ट्रपति भवन का जो प्रॉब्लम है वो धूप का है और मेरा काम है उनको एडजस्ट करना, मेरा काम नहीं है कि मैं निर्णय करूं, तो उस रूप से निर्णय हुआ।

नाविका कुमार: हर समय सही समय है।

नरेंद्र मोदी: हां, यही समय है, सही समय है।

सुशांत सिन्हा: प्रधानमंत्री जी, जो इलेक्शन का समय है, उसमें से दो फेज का हिस्सा तो चला गया, मतलब अगर माने कि 7 पेपर आप दे रहे हैं एग्जाम में तो, दो के आंसर सीट को आपने भर दिए हैं, तो प्रधानमंत्री जी क्या अब भी ये मान रहे हैं कि वो 400 का टारगेट अचीव हो जाएगा?

नरेंद्र मोदी: मुझे अभी भी समझ नहीं आ रहा है कि आप लोग अच्छा होता आप लोग महीने पहले मेरा इंटरव्यू कर लिए होते तो मैं जरा ठीक से बता देता आपको। आप ये तो देखिये आज हमारे सीटिंग MP कितने हैं, कभी ये तो दिमाग खपाइए जी, हम 2019 में जीत के आये, तब NDA 359 या इतना कुछ था, फिर ये आंध्र की पॉलिटिकल पार्टी और ओडिशा की वो हमेशा हमारे साथ रहे तो वो करीब 35 लोग हैं, फिर नॉर्थ ईस्ट के लोग हमारे साथ रहे हमेशा, तो हम ऑलरेडी इन ए फंक्शनल-वे में कहें NDA+ जिसको कहें तो हम 400 करीब-करीब थे। ऑलरेडी हम पार्लियामेंट में 400 थे। ये फिर लोगों को क्यों आश्चर्य हो रहा है कि 400, 400, 400... ठीक है एक शब्द में आया, लेकिन रियलिटी ये है कि हम ऑलरेडी 2014-19 करीब-करीब 400 एमपी के सहयोग से ही संसद चला रहे हैं।

नाविका कुमार: ये नंबर आप सही बता रहे हैं, लेकिन बीजेडी से एक अलायंस की बात हुई, जो थोड़ी दूर चली और फिर रह गई, तो अलायंस नहीं रही पर सपोर्ट जरूर रहा है।

नरेंद्र मोदी: हम पहले भी कभी हम पहले उनके साथ NDA के रूप में कभी चुनाव, हम चुनाव आमने-सामने ही लड़े थे। 2019 में भी हम आमने-सामने लड़े थे।

नाविका कुमार: पर नेशनल इश्यूज पर...।

नरेंद्र मोदी: हां।

नाविका कुमार: लेकिन प्रधानमंत्री जी सवाल अगर पॉलिटिक्स पर पूछूं तो बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस का घोषणापत्र बहुत ही डिवाइसिव है। हालांकि, कांग्रेस आलोचना करती है बीजेपी की, ये कह के कि आप दो और दो, 22 बनाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि चाहें वो वेल्थ री-डिस्ट्रीब्यूशन हो या इन्हेरिटेंस टैक्स हो, ऐसी कोई भी बात उनके मैनिफेस्टो में नहीं है। ये कहीं न कहीं बीजेपी लोगों में डर फैला रही है।

नरेंद्र मोदी: हम सीएए का कानून लाए साफ-साफ लिखा हुआ है, साफ-साफ कहा गया है। न बोलने में किसी ने गलती की है, न लिखने में गलती की है, न देश के कानून में कोई गलती है। सीधा-सीधा वो कानून सिटिजनशिप देने के लिए है। उसमें कहीं पर भी सिटिजनशिप लेने का नहीं है। 2 साल हो गए, कांग्रेस पार्टी जो झूठ फैला रही है, क्या कभी आपने उसका फैक्ट चेक किया क्या? क्या कभी पाठशाला में उनके कपड़े उतारे क्या? क्योंकि झूठ इतना चला, जबकि हम, आप उनके एक-एक स्टेटमेंट देख लीजिये। अब जैसे ये इनहेरिटेंस टैक्स की बात लेकर आए हैं, कोई मुझे बताइए, दुनिया के किसी भी डेवलपिंग कंट्रीज में इस प्रकार का प्रयोग हुआ है क्या? आप साम्यवादी विचारधारा की बात छोड़ दीजिए, इनके घोषणापत्र में और उनके स्पीचों में जो बातें हैं, आपको एक साथ मिलाकर एक कैनवास पर रखनी पड़ेंगी। ये लगातार बोल रहे हैं और सब बोल रहे हैं। ऐसा नहीं ह कि कोई बाय द वे बोल रहा है, हर कोई बोल रहे हैं और फिर उनके घोषणा पत्र में जो लिखा है और पहले जो डॉक्टर मनमोहन सिंह जी ने बोला है, मनमोहन सिंह जी ने दो बार पब्लिकली कहा है कि इस पर पहला हक मुसलमानों का है और जब फिर आप सर्वे करने की बात करते हैं, फिर कहते हैं कि हम सब ले लेंगे और बांट देंगे। जब आप ले लेंगे और बांट देंगे की बात करेंगे तो फिर वो किसको देंगे तो जो मनमोहन सिंह ने कहा था उनको देंगे, तो साफ-साफ जो बातें होती हैं कि ये अलग-अलग डॉट्स को जब बिठाते हैं, तो रत्तीभर भी मेरी बात में क्वेश्चन करने की जगह है ही नहीं, उनके भाषा, उनके शब्द, उनका लिखित निर्णय, 90 के बाद उन्होंने अब तक किए गए सारे प्रयास, सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के बाद उन्होंने किए गए निर्णय सबको अगर एक कैनवास पर देखेंगे तो उनके इरादे साफ हैं। ये उनका हिडन एजेंडा है ऐसा मैं नहीं मानता हूं, सिर्फ बोलते समय वो हिडन रखते हैं। इस बार मैंने उनको खुलकर बेनकाब किया है, इसलिए वो बौखला गए हैं। वरना जब वोट पाने के लिए जाना हो तो वो यही भाषा बोलते हैं, दूसरे वोट लेने जाते हो, न्यूट्रल होकर बोलते हैं। तो ये दोगलापन उनका है, हिम्मत होनी चाहिए। हम सालों तक राम मंदिर की बात करते थे, करते थे, हमने इलेक्शन मेनिफेस्टो में, अगर मेरा इलेक्शन मेनिफेस्टो 10 पेज का होता था तो लास्ट लाइन लिखते थे उसमें राम मंदिर, 370, कॉमन सिविल कोड लास्ट लाइन होती थी और सालों से हमारी एक ही टर्मिनल में होती थी, लेकिन दूसरे दिन अखबारों की हेडलाइन राम मंदिर ही होती थी, दिन की टीवी डिबेट राम मंदिर ही होती थी और फिर चर्चा में ये होता था तारीख नहीं बताएंगे। यानी हमारे मेनिफेस्टो की धज्जियां उड़ा देते थे आप, हम गरीबों के लिए योजनाएं लेकर के जाते थे, एक शब्द इस देश की मीडिया में कभी चर्चा में नहीं आया, चर्चा में सिर्फ ये 3 चीजें रखी गयीं। आज कांग्रेस के बचाव में मीडिया को क्यों काम करने की जरूरत है, कोई कारण नहीं है। ये मीडिया का काम था कि उनके 5 मेनिफेस्टो लेकर एनालिसिस किया जाए और उनके इरादों का, उनकी भाषाओं का, उनकी बातों का। अब देखिये, संविधान इस देश में संविधान का स्पीरिट पैदा करना चाहिए या नहीं करना चाहिए। आप ऐसा तो नहीं है कि सिर्फ वकीलों और जजों के लिए ही संविधान हो भाई, संविधान देश के कॉमन मैन से जुड़ना चाहिए। इन्होंने संविधान की कभी परवाह नहीं की। जब मैंने पार्लियामेंट में प्रस्ताव लाया कि हम संविधान दिवस मनाना चाहते हैं, खड़गे जी ने खुद ने पार्लियामेंट में विरोध किया। उनका भाषण है, उन्होंने कहा 26 जनवरी तो है अलग से संविधान दिवस मनाने की जरूरत क्या है? मैंने कहा भाई, ये ग्रंथ जो है वो हमारी आने वाली पीढ़ियों को उसके प्रति श्रद्धा का भाव पैदा करना चाहिए। स्कूल, कॉलेज, डिबेट सब जगह चर्चा हो। जब उसका महत्व बढ़ाएंगे, तो फिर मैंने कहा कि जब उसके 60 साल हुए थे संविधान के, तब भारत ने इसको अच्छे ढंग से मनाना चाहिए था। 50 साल हुए, तब मनाना चाहिए था, जब 60 साल हुए, तो मैंने बड़े शान से ये संविधान दिवस मनाया और हाथी के ऊपर अंबारी में मैंने संविधान रखा और मैं नीचे पैदल चलता था मुख्यमंत्री। और मैंने सुरेंद्र नगर में एक बहुत बड़ी उसकी यात्रा निकाली। लोगों की संविधान के प्रति श्रद्धा बने, इनको संविधान के नाम पर झूठ बोलने में लगातार, कोई बताए हमारे मेनिफेस्टो में कहीं लिखा है क्या? हमारे भाषण में निकला है क्या? कोई किसी कार्यक्रम में किसी संदर्भ में बोल दिया उसी को उछालकर के पूरी तरह हमारी पार्टी को, हमारे वर्जन को मानने को तैयार नहीं हैं और खुद कहते हैं कि बताओ हमारे मेनिफेस्टो में कहां लिखा है। ऐसे दोगलापन नहीं चल सकता है जी, आपको जवाब देना पड़ेगा।

सुशांत सिन्हा: आप बिल्कुल ठीक हैं प्रधानमंत्री जी कि एक पूरा इकोसिस्टम जो है वो इसमें लग जाता है। उधर से ये प्रश्न नहीं पूछा जाता कई बार या ये पूछने पर भी जवाब नहीं मिलता कि बीजेपी के घोषणा पत्र में कहां है कि संविधान खत्म करेंगे, अगला चुनाव नहीं होगा। यहां वन नेशन, वन इलेक्शन की बात चल रही, लेकिन कहा जाता है कि अगला चुनाव भी मोदी आएंगे तो नहीं कराएंगे, आरक्षण खत्म कर देंगे। लिखी चीजों पर भी झूठ फैलाया जाता है। आपने सीएए का जिक्र किया, तीन कृषि कानून, जिसमें कहा गया कि किसानों की जमीन छीन ली जाएगी, वो कहीं नहीं लिखा था।

नरेंद्र मोदी: कहीं नहीं लिखा।

सुशांत सिन्हा: लेकिन वो भ्रम फैला, फैला फैलाकर, चीजें जो हैं वो खराब की गईं। आप जब इस बार ये कह रहे हैं बार-बार कि मोदी मर जाएगा, लेकिन धर्म के नाम पर आरक्षण नहीं आने देगा, ये बड़ी स्ट्रॉन्ग लाइन है और हमने पाठशाला में दिखाया था कि आप आज से नहीं कह रहे हैं। आपने गुजरात के सीएम रहते हुए भी ये चीज जग-जाहिर की थीं। आपको क्या खतरा दिखता है अगर धर्म के नाम पर आरक्षण आए या मुसलमानों को आरक्षण मिल जाए?

नरेंद्र मोदी: इसमें मोदी मुद्दा ही नहीं है, जिस समय संविधान बन रहा था, देश के गणमान्य लोग संविधान सभा में बैठे थे। डॉक्टर राजेंद्र बाबू, बाबा साहेब अंबेडकर, पंडित नेहरू, वो तो सब बैठे थे। उसमें तो कोई आरएसएस, बीजेपी वाला तो उस समय सवाल ही नहीं था। ऐसे और सभी सम्प्रदाय के लोग बैठे थे और सबने मिल बैठकर के लंबी चर्चा के बाद तय किया कि भारत जैसे देश में धर्म के आधार पर आरक्षण भारत को नुकसान करेगा, ये लंबी सोच के लिए ठीक नहीं है। जहां तक दलित का, आदिवासियों का तो सामाजिक व्यवस्था पिछले सैकड़ों वर्षों में समाज में जो विकृतियां आईं, जिस प्रकार से छूत-अछूत का भाव पैदा हो गया, ऊंच- नीच का भाव पैदा हो गया और एक प्रकार से समाज के एक बहुत बड़े वर्ग के साथ जन्म के आधार पर अन्याय हुआ तो उसका प्रायश्चित करना जरूरी था और उसमें ये सुझाव निकला और ये भी, ये निर्णय भी सनातनियों ने किया है। संविधान सभा में जो लोग बैठे थे, सब सनातनी थे, जितने बैठे थे, सब सनातनी थे, नेहरू जी जैसे कोई अपवाद हो सकते हैं जो अपने आप को उससे ऊपर मानते हों, लेकिन ज्यादातर वो ही लोग राजेंद्र बाबू टीका करके बैठते थे, ऐसे लोग बैठे थे, उन्होंने निर्णय किया था कि हमें ये प्रायश्चित करना है, आरक्षण देना है और इसलिए मैं उस भावना से जुड़ा हुआ हूं। मैं संविधान की स्पीरिट को जीना चाहता हूं, मैं संविधान के शब्दों का प्रतिष्ठा बढ़ाना चाहता हूं और इसलिए मैं पहले दिन से कह रहा हूं कि संविधान की भावना के विरुद्ध धर्म के आधार पर आरक्षण, इसका मतलब ये नहीं कि मुसलमान को बेनिफिट नहीं मिलेगा, जैसे हमने जब पार्लियामेंट में 10 परसेंट का किया आरक्षण कि सामान्य जाति के गरीब लोग हैं उनको, कोई झगड़ा नहीं हुआ, किसी का लूटा नहीं, चोरी नहीं की सामान्य वर्ग के, चाहे वो ब्राह्मण होगा, बनिया होगा उसका बेटा भी अगर वो गरीबी वाला है, उसको मिलेगा, उसमें मुसलमान समाज के भी जो आरक्षण कहीं मिलता नहीं है, उनके भी गरीब लोग हैं, उसमें हकदार हैं। मतलब हक नहीं छीन रहे हैं, धर्म को आधार मानने से हम विरोध कर रहे हैं।

नाविका कुमार: इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन का...

नरेंद्र मोदी: हम मुसलमान को नहीं देंगे, ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं, मैं कहता हूं धर्म के आधार पर रचना नहीं हो सकती। इस देश में गरीब हैं तो हिंदू हो, मुसलमान हो, ईसाई हो, पारसी हो, कोई भी हो, सबको बेनिफिट मिलना चाहिए। जहां तक आदिवासी और दलित का सवाल है, इसके पीछे हजारों साल का इतिहास पड़ा हुआ है और इसलिए वो एक स्पेशल कारण है और जो संविधान ने सही निर्णय किया, बाबा साहेब अम्बेडकर ने सही निर्णय किया और जो आज भी देश उसका रिस्पेक्ट करता है, हर पॉलिटिकल पार्टी रिस्पेक्ट करती है और मैं नहीं मानता हूं कि कोई पॉलिटिकल पार्टी इसका विरोध करेगी।

सुशांत सिन्हा: यानी आप हिंदू- मुसलमान नहीं करते, मुसलमान-मुसलमान करने वालों के विरोधी हैं?

नरेंद्र मोदी: मैं ये धर्म के आधार पर वोट बैंक के खेल जो खेले जाते हैं, अब उन्होंने इस बार मेनिफेस्टो में कहा है कि हम जो ठेके देंगे वो ठेके इस पद्धति से देंगे। ये देश कैसे चल सकता है जी, ठेका दिया जाता है कि उनकी क्षमता है कि नहीं, रिसोर्सेज है कि नहीं, एक्सपीरियंस है कि नहीं, ट्रैक रिकॉर्ड है कि नहीं। सरकार के कामों को करने का उनका ये सारी चीजें देखकर के ठेका दिया जाता है। अब आप कहते हैं उसमें भी आरक्षण होगा और वो माइनॉरिटी के लिए आरक्षण होगा।

नाविका कुमार: तो इसके बदले में जब लोग कहते हैं क्या आप मुसलमान विरोधी हैं, वो कहते हैं कि मुसलमानों को इस देश में डराया जाता है, मोदी इनके खिलाफ हैं, हिंदू- मुसलमान करते हैं। जब चुनाव होता है।

नरेंद्र मोदी: जब अटल जी की सरकार थी तब भी हमारे मेनिफेस्टो में रहता था राम मंदिर, तब भी रहता था 370, तब भी रहता था यूसीसी, मोदी की सरकार है। अब जो काम हो गया वो नहीं रहता है, जो बाकी होगा वो रहता है। जहां तक हमारा सवाल है, ये सिद्ध करें, ये हमारा जैसे मैं कहता हूं भाई सेचुरेशन मुझे करना है, सरकारी योजनाओं का सेचुरेशन मतलब गांव में 50 लोग हैं, जिनको घर मिलना चाहिए, मतलब 50 को, 50 को मिलना चाहिए, 49 को नहीं मतलब, उसमें सब समाज आ जाएंगे, सब धर्म आ जाएंगे। आप जब 100 परसेंट की बात करते हैं तो सामाजिक न्याय की ये गारंटी है, सेकुलरिज्म की गारंटी है। मोदी हर काम उस प्रकार से करता है कि सबको सब मिले इसके लिए करो। अभी मैं पब्लिकली कहता हूं कि हमने 4 करोड़ घर बनाए, अब कुछ परिवार हैं, विस्तार हुआ उनका तो उनको 1 घर की जरूरत है। तो राज्यों से मुझे कहा जाता है कि साहब अगर कुछ और मकान हो जाए तो मैंने कहा चलो भाई 3 करोड़ और हम प्लान करते हैं, शायद 3 करोड़ की जरूरत नहीं पड़ेगी। तो मैं पब्लिकली अभी सभाओं में कहता हूं,तो भाई आप चुनाव में जाते हो तो जाइए लेकिन मेरा काम करिए अगर कहीं कोई नजर आ जाए, किसी को अभी घर मिला नहीं है, नल से जल मिला नहीं है, गैस का कनेक्शन नहीं मिला है, रह गया है तो आप उसकी चिट्ठी मुझे लिख दीजिये और उसको मेरी तरफ से कह दीजिये कि मोदी की गारंटी तीसरे टर्म में ये मिल जाएगा। मैं कहता हूं आप ही मेरे मोदी हैं, क्योंकि मुझे काम करना है। मैं ये नहीं कहता हूं इस धर्म के, उस धर्म के।

नाविका कुमार: तो एंटी मुस्लिम जब कहते हैं, कैसा लगता है?

नरेंद्र मोदी: ना हम इस्लाम के विरोधी हैं, न हम मुसलमान के विरोधी हैं, हमारा ये काम ही नहीं है। जहां तक गाली देते हैं, ये नेहरू के जमाने से एक नैरेटिव बना हुआ है इस प्रकार की गाली देने का, दूसरा पहले गाली देते थे क्योंकि उनको कम मेहनत में ज्यादा मुनाफे वाला काम था। क्योंकि भाई गाली दे दो ये मुसलमानों के दुश्मन हैं तो आप अपने- आप मुसलमानों के मित्र बन जाते हैं, कुछ किए बिना तो मुफ्त में फायदा मिलता है। इसलिए उन्होंने ये भय का वातावरण बनाकर के फायदा लेने के लिए दुकान चलाए रखी है। मुसलमान समाज समझदार है, जब मैं तीन तलाक का कानून खत्म करता हूं, परम्परा खत्म करता हूं, तो मुस्लिम बहनों को लगता है कि अरे ये तो जेन्युइन आदमी है। मैं जब आयुष्मान कार्ड देता हूं तो उसको लगता है यार ये तो जेन्युइन व्यक्ति है। मैं कोविड का वैक्सीन देता हूं, तो उसको लगता ये तो यार जेन्युइन आदमी है। हमारे साथ तो कोई भेद ही नहीं कर रहा है। इनकी परेशानी ये कि उनका झूठ अब पकड़ा जाने लगा है। इसलिए उनको ज्यादा भ्रम फैलाने के लिए बिना सिर पैर के झूठ बोलने पड़ रही है।

सुशांत सिन्हा: प्रधानमंत्री जी, इसमें छोटा सा मैं एक सवाल और जोड़ रहा हूं। इसमें कोई दो राय नहीं कि आपकी किसी योजना में हिंदू-मुसलमान नहीं है। घर मिलना है, गरीब को मिलना है, वो गरीब कोई भी हो सकता है, लेकिन 2002 से आज 2024 हो गया। हम और आप किसी सामान को खरीदने जाएंगे तो दो साल 3 साल के बाद नहीं खरीदेंगे कुछ नया ट्राई कर लेंगे। 22 साल से यही नैरेटिव कैसे मुसलमान बार-बार खरीद ले रहा है या मान ले रहा है कि मोदी आएंगे तो मुसलमान को खत्म कर देंगे?

नरेंद्र मोदी: देखिए, मैं करीब-करीब 25 साल हो गए मुझे, हेड ऑफ गवर्नमेंट के नाते और गुजरात में आपको मालूम होगा शायद 18वीं शताब्दी या 19वीं शताब्दी से रिकॉर्ड अवेलेबल है दंगे गुजरात में होते थे, 10 साल में 7 साल दंगे होते थे, 2002 के बाद गुजरात में एक भी दंगा नहीं हुआ है। गुजरात में मुसलमान जो हैं, वो आज बीजेपी को वोट दें न दें, दूसरा मैं आज पहली बार कह रहा हूं मैं कभी पहले भी इन विषयों पर नहीं आया। मैं मुस्लिम समाज को कह रहा हूं। उनके पढे़-लिखे लोगों को कहता हूं कि आत्ममंथन करिए। सोचिए देश इतना आगे बढ़ रहा है अगर कमी आपके समाज में महसूस होती है तो क्या कारण है। सरकार की व्यवस्थाओं का बेनिफिट कांग्रेस के जमाने में आपको क्यों नहीं मिला? क्या कांग्रेस के कालखंड में आप इस दुर्दशा के शिकार हुए हो क्या? आत्ममंथन कीजिए और एक बार तय कीजिए। ये आपके मन में जो है कि सत्ता पे हम बिठाएंगे, हम उतारेंगे, उसमें आप अपने बच्चों का भविष्य खराब कर रहे हो। मुसलमान समाज दुनिया में बदल रहा है जी, आज मैं गल्फ के देशों में जाता हूं, इतना सम्मान व्यक्तिगत रूप से मुझे मिलता है और भारत को भी मिलता है। उन सबको लगता है हमारे यहां विरोध हो रहा है, सऊदी अरबिया में योगा ऑफिशियल सिलेबस का सब्जेक्ट है। यहां मैं योगा की बात करूं तो आप चला देंगे एंटी मुस्लिम है। मैं गल्फ के देशों में जाता हूं ये सारे अमीर लोग जो हैं मेरे साथ बैठते होंगे, लंच या डिनर में जरूर मुझे योगा के विषय में पूछते हैं कि मोदी जी का स्पेशल ऑफिशल ट्रेनिंग लेना है तो क्या करना, कैसे करना है। कोई कहता है- मेरी पत्नी इंडिया जाती है योगा सीखने। साल भर, एक महीना तो वो लोग वहीं रहती है, अमीर की पत्नियां कहती हैं, उनके परिवार जन आते हैं। अब यहां उसको हिंदू-मुसलमान बना दिया योगा को भी, अब ये जो कर रहे हैं मैं मुसलमान समाज से आग्रह पूर्वक कहता हूं, कम से कम अपने बच्चों की जिंदगी को तो सोचो, अपना भविष्य तो सोचो। मैं नहीं चाहता हूं कोई समाज बंधुआ मजदूर की तरह जिंदगी जिये। क्योंकि कोई डरा रहा है, क्योंकि कोई डरा रहा है, दूसरा अगर आप बैठना-उठना शुरू करोगे, भाजपा वाले आपको डर वाले लगते हैं, अरे जाओ ना 50 लोग बैठ कर भाजपा कार्यालय में एक दिन बैठे रहो। निकाल देंगे क्या आपको, अब देखिये क्या चल रहा है, कौन निकाल देगा आपको, कब्जा करो न जाकर बीजेपी कार्यालय में कौन रोकता है आपको।

सुशांत सिन्हा: प्रधानमंत्री जी जब हम फेक नैरेटिव की बात करते हैं, जिसमें कई बार मुसलमान भी फंसता है, कई बार ऐसा लगता है कि उनको ये क्यों नहीं दिखता कि कश्मीर में पहले मुसलमान का बच्चा पत्थर चलाता था, आज वो रोजगार ले रहा है। लेकिन मैं फेक नैरेटिव की बात करूं सर आपके उपर कई चीजें लगातार झूठ बोली जाती हैं। मतलब एक, कई बार तो मैं अभी नाविका जी से हम लोग बात कर रहे थे कि आप शायद वो व्यक्ति हैं पॉलिटिक्स में जिसकी छवि बाहर सबसे गलत पेश हुई है। आपसे मिलने वाला, आपको जानने वाला अलग ही जानता है और बाहर तो अलग ही दुनिया है। ये फेक नैरेटिव इतना फैलाया, अपने दोस्तों का 16 लाख करोड़, 12 लाख करोड़ माफ कर दिया राइट ऑफ को, संविधान खत्म कर देंगे, किसान को गाली देते हैं, जो भी चीज हैं। लेकिन इस बार जब अमित शाह जी का एक फेक वीडियो फैलाया गया, आप लोग काफी उसको लेकर एग्रेसिवली आपने कहा कि ये बहुत गलत हो रहा है, इस पर आपका रिएक्शन पहले से अलग था, बाकी के झूठ से ऐसा क्यों?

नरेंद्र मोदी: ऐसा नहीं है, मैं आपको बताता हूं मध्य प्रदेश के चुनाव में एक डीप फेक वीडियो निकला और अमिताभ बच्चन जी के आवाज में निकाला। आप हैरान हो जाएंगे, अमिताभ साहब पूरी रात सो नहीं पायें, बोले रात को ही मुझे FIR करनी है। बोले ये मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ, राजनीति से हमारा कोई लेना- देना नहीं, मैं बोला दूर से नमस्ते करता हूं, दुखी थे बहुत। मध्य प्रदेश में एक्शन लिए गए उन लोगों पर, तो ऐसा नहीं है कि पहले प्रयास नहीं हुआ है। मैंने जब दिवाली पर बीजेपी कार्यालय में गेट टुगेदर था, मैंने डीप फेक पर लंबा भाषण किया था, मैंने जान-बूझकर के किया था। उस दिन मीडिया को मैंने कहा देश में बहुत बड़ा संकट मैं देख रहा हूं, मेरी G-20 समिट में सबने चिंता व्यक्त की थी। हमारा वीडियो कॉन्फ्रेंस समिट था उसमें मैंने कहा कि सॉल्यूशन, पर मैंने उनको एक सॉल्यूशन दिया, मैंने कहा हर एक के ऊपर एक मैसेज पहले आना चाहिए। ये AI जनरेटेड कंटेंट है आप उसको उस रूप से देखिये, ये उस पर आना ही चाहिए। कोने में नहीं, मेन आना चाहिए। जैसे आप लोग नहीं कभी चलाते हैं फर्स्ट फायर किसी न्यूज के तो बीच में फर्स्ट वॉटर मार्क चलता है ना, वैसा वॉटर मार्क रहना चाहिए। दुनिया सब परेशान है जी, सब कोई परेशान हैं। आप कुछ भी बना सकते हैं किसी के लिए।

नाविका कुमार: लेकिन क्या ये इत्तेफाक है कि जो लोग पकड़े जा रहे हैं वो कहीं न कहीं कांग्रेस से लेना- देना है उनका?

नरेंद्र मोदी: नहीं, सवाल ये है कि ये जो एक आत्मविश्वास खो चुके हैं, ये चुनाव का नहीं जनता के साथ उनका कोई कनेक्ट ही नहीं है। इसलिए हर चीज में उनको झूठ बोलना पड़ रहा है। आपने जैसे कहा सीएए में झूठ बोले, जैसा वो किसान आंदोलन में झूठ बोले, जैसे कोई हमारे कोई भी निर्णय हो, हर प्रकार से झूठ फैलाना क्यों? क्योंकि उनको लगता है कि ये तो होता ही चला जा रहा है। तो रोक तो सकते नहीं हैं, खुद कुछ कर नहीं सकते हैं, तो फिर आप कंफ्यूजन पैदा करो? झूठ फैलाकर ही कंफ्यूजन पैदा कर सकते हो, तो ये उन्होंने खेल शुरू किया है।

सुशांत सिन्हा: अग्निवीर पर झूठ बोला?

नरेंद्र मोदी: सब मैंने कहा न कोई विषय ऐसा नहीं है जो देश हित का हो, उसकी चर्चा कभी की नहीं उन्होंने, स्टडी किया नहीं है, किसने पकड़ा दिया उनको लगता है इससे लोग भड़केंगे, वोट मिलेगा और उनका इरादा है भड़काना। और अब वो पूरी तरह फर्जी बातों पर ही निर्भर हैं, फर्जी नारों पर निर्भर हैं। ये हाल है उनका, अब ये जो फर्जी खेल चल रहा है, फर्जी वीडियो के सहारे चुनाव जीतने की कोशिश इस देश में कभी नहीं चल सकती जी। और मैं मानता हूं जमीन की स्थिति बिल्कुल अलग है जी। अब ये कभी EVM को लेकर क्या फर्जी चलाते हैं, कोई मुझे बताए जी, लोग मुझे कहते हैं मोदी जी इतनी मेहनत क्यों करते हो? कभी तो सोचो। अगर EVM मेरे हाथ में होता तो मुझे ये मेहनत करने क्या जरूरत है। मैं टोकनिजम करके चला आता, मैं दिन-रात मर रहा हूं, टूट रहा हूं,क्यों देश की जनता के पास क्यों जा रहा हूं भाई, लेकिन अब फेक चलाते जा रहे हैं।

नाविका कुमार: ऊपर से कहते हैं कि आप तानाशाह हैं, आप पुतिन बाबा हैं। आप तानाशाह हैं, तमाम तरह की चीजें कही जाती हैं। और ये इकोसिस्टम सिर्फ भारत में नहीं है, यहां से लेकर विदेशों तक एक इकोसिस्टम चलता है। जो कहता है आप हिटलर हैं, आप तानाशाह हैं, आप आएंगे, तो कई चीजें बदल जाएंगी, चुनाव नहीं होंगे। इन सब चीजों को आप कैसे देखते हैं कि एजेंसियां भी आपने कंट्रोल कर लिया, तमाम चीफ मिनिस्टर आपने जेल में डाल दिए हैं।
सुशांत सिन्हा: हां कि केजरीवाल जी को जेल में डाल दिया, हेमंत सोरेन को जेल में डाल दिया।

नरेंद्र मोदी: देखिए मैं बताता हूं, अच्छा हुआ, आपने अच्छा विषय निकाला है। मेरे पास जवाब भी है, लेकिन मैं आप लोगों से आग्रह करूंगा क्योंकि टाइम्स नाउ की अपनी एक प्रतिष्ठा है, क्या साइंटिफिक तरीके से इस सब्जेक्ट का एनालिसिस हो सकता है क्या? जैसे सुशांत आप पाठशाला चलाते हैं, पाठशाला में आप बैठकर के, ये तानाशाही अब तानाशाही में ये सौ प्वाइंट होते हैं। चलो और फिर सामने कांग्रेस लिखो बीजेपी लिखो, कौन सा हमारे बैठता है, उनकी दादी ने क्या किया, टिक मार्क करो, मोदी की पार्टी के पहले जो नेता थे किसने क्या किया, टिक मार्क करो उनके परनाना ने क्या किया, टिक मार्क करो आप न्यूज रूम में आकर के सरकार बैठ जाती थी। क्या कभी चर्चा करोगे, टिक मार्क करो? नेहरू जी का पहला संशोधन क्या था? संविधान का टिक मार्क करो? इमरजेंसी के वक्त अधिक पत्रकार जेलों में कविताएं लिखते थे, टिक मार्क करो। आपका गाना पसंद नहीं आया, अब मजरूह सुल्तानपुरी जी को जेल में डाल दिया। किशोर कुमार के सारे गाने बंद कर दिए। विपक्ष के नेता जेल में पड़े थे, कितने लोग पड़े थे, कितने समय पड़े थे, क्या कारण थे, पड़े थे? सरकारें कितनी गिराईं हिसाब लगाओ, हमारे काम में हिसाब लगाओ। नौसेना का जहाज लेकर पिकनिक मनाते थे। बताइए कौन सी डेमोक्रेसी थी। आप समझाइए मनमाने तरीके से लोगों का घर गिराना, नसबंदिया करवाई? किस प्रकार से करवाई थी गायत्री देवी के साथ क्या जुल्म किया था आपने? आर्टिकल 356 का 100 बार दुरुपयोग किया गया। ये सारी बातें यानी इस पूरे चैलेंज को आप एक बार आप अपने तरीके से निकालिए 100 प्वाइंट और टिक मार्क कीजिए मैं तो मानता हूं एक सप्ताह भर आपकी पाठशाला चलेगी और मैं मानता हूं कि 100 में से एक बिंदु पर आपने कहीं पर भी एक छोटा सा जर्म्स भी। ये जो आरोप लगते हैं, वो वाला जर्म्स नहीं निकलेगा। हम ये जो शहर है न, इसी का कारण है कि हम पूरी तरह डेमोक्रेट हैं। हमारी रगों में डेमोक्रेसी है, वरना जो गालियां पड़ रही हैं, जिस प्रकार का जुल्म हम पर हो रहा है, चुपचाप सहते जा रहे हैं, मजबूरी नहीं है जी। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का पूर्ण बहुमत के साथ, 10 साल से शासन, बेदाग सरकार 13, 14 साल का राज्य का मुखिया के रूप में शासन, 23 साल का लंबा जीवन एक दाग नहीं लगा है। उसके बावजूद भी ये जितनी गाली-गलौच को एक आदमी सह रहा है। एक शब्द बोले बिना सह रहा है। इससे बड़ी डेमोक्रेसी का प्रूफ क्या हो सकता है जी?

नाविका कुमार: ये सवाल हम पूछते हैं न्यूजआवर के डिबेट शो में भी, सवाल पब्लिक का शो पर भी कि आप लोग रोज आते हैं टेलिविजन पर, जो बोलना है गाली देना है सब बोलकर जाते हैं, लेकिन फिर भी हमें कहते हैं मोदी भक्त, मैं तो बॉयकॉटिड हूं, आप (सुशांत) भी शायद बॉयकॉटिड हैं।

सुशांत सिन्हा: हम लोग थे उस 14 वाली लिस्ट में।

नाविका कुमार: 14 वाली लिस्ट में हम बॉयकॉटिड जर्नलिस्ट हैं, हमारे चैनल।

नरेंद्र मोदी: देखिए 14 की लिस्ट का मतलब है, 2014 से जुड़ा है 14... 2024 में 10 और जुड़ जाएंगे।

सुशांत सिन्हा: नहीं, लेकिन मैं कई बार आश्चर्यचकित रहता हूं... प्रधानमंत्री जी कि जो कह रहे हैं कि आप तानाशाह हैं, वो भी आजाद घूम रहे हैं, तो पता नहीं कौन से टाइप के आप तानाशाह हैं। जो कह रहे है कि मर जा मोदी वो भी बाहर घूम रहे हैं, पता नहीं कौन सी तानाशाही है।

नरेंद्र मोदी: आप कुछ भी निकाल दीजिए जी। मेरी मां को गाली देना से नहीं छोड़ा है, मेरे परिवार को गाली देना नहीं छोड़ा है ऐसे अभद्र भाषा का प्रयोग किया है। लेकिन उन्होंने ऐसा डिक्टेटर का चित्र बना दिया कि उसके अंदर सारी गालियां चल जाती हैं जी और कुछ भी करो तो डिक्टेटर हो।

नाविका कुमार: मोदी जी, कभी मां के बारे में कोई कुछ कहता है तो मोदी एक प्रधानमंत्री तो हैं लेकिन एक इंसान भी हैं, एक बेटे भी हैं।

नरेंद्र मोदी: सवाल मेरी मां का नहीं है जी, मेरी मां ने तो चलिए मुझे जन्म दिया है। वैसे तो मेरी मां के साथ मैंने कोई न्याय नहीं किया है, क्योंकि मां के जो सपने रहते हैं बच्चे के पास, वैसा कोई सपना मां का मैंने पूरा नहीं किया। मैं बहुत छोटी आयु में भाग गया था, चला गया बाहर तो उस प्रकार से मैं तो गुनहगार हूं एक प्रकार से।

नाविका कुमार: वो तो नहीं मानती होंगी ऐसा।

नरेंद्र मोदी: नहीं, नहीं।

सुशांत सिन्हा: मैं माफी के साथ ये सवाल पूछ रहा हूं, क्योंकि आपका कभी निजी भाव बहुत बाहर नहीं आता। लेकिन क्या ये चीज आपके बैक ऑफ द माइंड चल रही है सर। जो आप लोगों से शायद नहीं बोलते होंगे कि 2002 के बाद ये पहला चुनाव है, सब कुछ होगा लेकिन आपकी मां नहीं होंगी, आप हर चुनाव के बाद उनके पैर छूने जाते थे।

नरेंद्र मोदी: ऐसा है कि मैं तो कभी राजनीति में था नहीं, संगठन का काम करता था। अचानक मुझे अटल जी का फोन आया कि भाई रात को आओ, काम है, तो मैं अटल जी के पास आया। तो कहा भाई तुम्हें गुजरात जाना है, मैंने कहा- क्यों? मैं अभी यहां इतना सारा देशभर का काम देखता हूं। फिर मुझे गुजरात,क्यों, कैसे डाल रहे हो। पार्टी का काम कर ही रहा हूं मैं, उसमें गुजरात का भी जाकर कभी-कभी देख लेता हूं। नहीं, नहीं, अब बहुत हो गया संगठन। अब तुमको सरकार संभालनी पड़ेगी। मैंने कहा अटल जी.. मैंने तो कभी सरकार चलाई नहीं, मैं जानता नहीं किसी को। कभी पुलिस थाना नहीं देखा, मैं क्या करूंगा? तो मैंने मना किया उनको, तो दूसरे दिन सुबह आडवाणी जी का फोन आया। कह रहे थे, भाई तुम कल अटल जी को मना करके आ गए। मैंने कहा- हां मुझे तो मालूम नहीं था, मुझे क्यों बुलाया और मुझे कहा, नहीं नहीं.. बोले आओ जरा बात करेंगे। तो मैं आडवाणी जी के घर गया। ये बोले सब लोगों ने कई दिनों से चर्चा चल रही थी और ये सबका मत बना है कि केशूभाई का मत बना है कि नरेंद्र भाई को भेजिए। इसलिए आपको जाना है। तो फिर मैंने अटल जी को फोन किया, मैंने कहा- अटल जी मैं आता हूं, अटल जी सॉरी मैंने कल, मेरा तरीका ठीक नहीं होगा, जो पार्टी करेगी, कहेगी मैं करूंगा। तो फिर मैं गुजरात गया। तो पहले मैं मेरी मां से मिलने गया और मां से मैंने कहा कि मां मैं तो सोचा भी नहीं था, मेरी दुनिया अलग थी, अब मुझे, वापिस मैं आ रहा हूं गुजरात। अच्छा बोलीं तुम गुजरात आओगे, चलो अच्छा है, उनकी खुशी यही थी।

नाविका कुमार: ..कि आप उनके नजदीक रहेंगे।

नरेंद्र मोदी: उन्होंने मुझे दो बातें कहीं, देख भाई.. गरीब की चिंता करना और दूसरा रिश्वत मत लेना। शायद उस दिन के टाइम्स ऑफ इंडिया में रिपोर्टें भी हैं। तो मेरा तब एक बार फिर नाता जुड़ा। वैसे तो मैं बड़ा कट ऑफ रहा, क्योंकि बाहर ही रहता था। फिर मैं जब नामांकन करने गया पहली बार, तो मैंने कहा चलो भाई मां के पैर छू करके जाते हैं। तो फिर मैं मेरे भाई के घर गया, मां ने मुझे गुड़ खिलाया। तब से लेकर के मैंने जितने नामांकन किए हैं, सब नामांकन के पहले मैं मां के पैर छूने गया और नामांकन कर के आया, वो गुड़ देती थीं। ये पहला मेरी जिंदगी का चुनाव है, जब मैं मां के पैर छुए बिना जाऊंगा, लेकिन मन में एक भाव भी आता है कि आज 140 करोड़ देश की करोड़ों माताएं हैं, उन्होंने जिस प्रकार से मुझे प्यार दिया, आशीर्वाद दिया, उन्हीं का स्मरण करके और फिर मां गंगा तो है ही है।

नाविका कुमार: गंगा मां..।

नरेंद्र मोदी: मां गंगा, मां गंगा तो है ही। कुछ कमी तो है। पर देख रहा हूं कि करोड़ों माताएं, शायद भावात्मक रूप से मुझे हमेशा शक्ति देती रहेंगी और देती रही हैं।

नाविका कुमार: शायद आज जो लोग ये इंटरव्यू देखेंगे, उन्होंने इतना भावुक होते हुए शायद आपको कभी नहीं देखा होगा। आपके सामने मां का जो भाव मैं देख रही हूं, मैं भी एक मां हूं। मैं समझ रही हूं कि ये भाव क्या होता है, शायद लोग ये भाव पहली बार देखेंगे, क्योंकि आप थोड़े सख्त राजनेता हैं।

नरेंद्र मोदी: मेरा ये वीकनेस कहो, वीकनेस कहो जो भी है। मैं गरीब की बात हो दुखियारों की बात हो तो मैं इमोशनल हो जाता हूं। ये मेरी वीकनेस भी है। सार्वजनिक जीवन में ऐसा नहीं होना चाहिए, लेकिन मैं अब आर्टिफिशल जिंदगी जी नहीं सकता।

सुशांत सिन्हा: प्रधानमंत्री जी, आप मांओं की बात कर रहे थे कि करोड़ों मांएं आपके साथ हैं, एक पिता का मैं आपको अनुभव बताता हूं, मेरे सामने किसी व्यक्ति को मैंने ये कहते हुए सुना अपने बच्चे जिनके बाहर काम कर रहे थे कि वापस आओ तुम्हारा वोट यहां है और अगर अपना पितृ ऋण चुकाना चाहते हो, तो नरेंद्र मोदी को वोट देकर जाओ।

नरेंद्र मोदी: ऐसा है मैं बताता हूं मैं मां शब्द बोलता हूं तो मतलब मेरे मन में एक समस्त संस्कार है, उसमें बच्चे भी हैं जी छोटी-छोटी बेटियां हैं पर मैं मां स्वरूप में बोल रहा हूं। तो मैं मां कहते तो कोई एक बायोलॉजिकल चर्चा मेरी नहीं है।

नाविका कुमार: बड़ा भाव है।

नरेंद्र मोदी: हां।

नाविका कुमार: लोगों की तरफ।

नरेंद्र मोदी: हां।

नाविका कुमार: प्रधानमंत्री जी, लेकिन मैं एक दिमाग में एक सवाल आता है कि आप हर बार जब चुनावी रैली में जाते हैं, आप कहते हैं कि भारत मेरे तीसरे टर्म में 3 नंबर की इकोनॉमी बनेगा, आप देश को आगे ले जाने की बात कर रहे हैं, आप 1 ग्रोथ ट्रैजेक्टरी पर डालने की बात कर रहे हैं। आपको नहीं लगता कि एक इकोसिस्टम होगा जो ये भारत की बढ़ोतरी को रोकने की कोशिश करेगा, सिर्फ देश में नहीं, बाहर भी और इनमें कुछ लिंक नजर आता है, कुछ।

नरेंद्र मोदी: मुझे लगता है कि ये विरोध और जो ये तीव्रता है, इसकी उम्र 4 जून तक है, 4 जून के बाद ना उनकी हैसियत होगी, ना उनका हौसला होगा सिर्फ और सिर्फ मेरे देश की ताकत होगी, मेरे देश का सामर्थ्य होगा, मेरे देश के लोकतंत्र का सामर्थ्य होगा। मेरे देश के 140 करोड़ नागरिकों का सामर्थ्य होगा और दुनिया.. भारत के लोकतांत्रिक सामर्थ्य को, नए सिरे से देखना शुरू करेगी। और ये जो भी हैं, मैं देख रहा हूं, ये पूरी दुनिया भारत के चुनाव को इंफ्लूएंस करने की कोशिश कर रही है, जोकि उनको नहीं करना चाहिए, ये वो अपना ओपिनियन नहीं दे रहे, अपना कमेंट नहीं कर रहे हैं। वो इंफ्लूएंस कर रहे हैं, लेकिन भारत में इंफ्लूएंस नहीं कर पाएंगे। भारत के लोगों के बहुत सी अंदरूनी जो शक्ति होती वो बड़ी जबरदस्त होती है। वो आपातकाल के चुनाव के बाद देश ने देख लिया है कि भारत का गरीब आदमी में भी लोकतंत्र, स्वतंत्रता के आदर्श क्या होते हैं, उसने दिखाया है। और इसलिए इसमें तो वो कुछ कर नहीं पाएंगे। मुझे ये पक्का विश्वास है कि जब दीपक बुझने को होता है ना..।

नाविका कुमार: तो लौ फड़फड़ाती है।

नरेंद्र मोदी: फड़फड़ाती है, तो ये वो फड़फड़ात है। अब उनको अंधेरे में जाना ही जाना है जी।

सुशांत सिन्हा: प्रधानमंत्री जी, एक काम जो आपने किया है, जो हम लोग भी बाहर जाते हैं, विदेश दौरा आपका कवर करते हैं। हम लोग अभी यूएस गए थे, तो मन बड़ा गर्व से भर गया कि बाइडन साहब के व्हाइट हाउस में मोदी-मोदी के नारे लग रहे थे। हम लोग आपस में चर्चा कर रहे थे कि वो भी अंदर सोच रहे होंगे कि किस मेहमान को बुलाया है कि हमारे घर में मोदी-मोदी के नारे लग रहे हैं। तो ये सेंस ऑफ प्राइड, जो आपने भारतीयों के अंदर भरा और एक सेंस ऑफ प्राइड, आपने हिंदुओं के अंदर भी भरा है। जिनको लगता था कि हिंदुत्व की बात करना कम्युनल होना है, मंदिर जाना कूल नहीं है, ये सेंस ऑफ प्राइड जो आपने भारतीयों में और हिंदुओं में भरा है। क्या ये आपकी.. आपकी सोच थी कि मुझे ऐसा करना है।

नरेंद्र मोदी: मेरा.. मेरा जीवन ही इसके लिए है, सवाल सोच का नहीं है। मैं चाहता हूं कि जो भी भारत को प्यार करता है उसकी चमड़ी का रंग कोई भी हो, जो भी भारत को प्यार करता है, वो भारत पर गर्व करें और आन, बान, शान.. के साथ गर्व करें और समझ करके करें, आंख बंद करके करे। मेरी अपेक्षा नहीं है और मैं हिंदुओं तक सीमित रह करके इतने बड़े.. महान देश के साथ अन्याय करना नहीं चाहता, वो तो पाप होगा। अगर मैं सिर्फ हिंदुओं में ये भाव भरूं तो मैं पाप कर रहा हूं। मुझे तो भारत को प्यार करने वाला, दुनिया के किसी भी भू-भाग में पैदा क्यों ना हुआ हो, वो मेरे भारत को प्यार करता है और मेरे भारत के लिए गौरवगान करें। वो तो मैं पूरी दुनिया मैं, आपने देखा होगा। महात्मा गांधी के 150 साल हुए, 50 साल भी हुए थे, 100 साल भी हुए थे, दुनिया को पता तक नहीं चला। मैंने महात्मा गांधी जी का सबसे प्रिय भजन.. वैष्णव भजन। मैंने तय किया कि दुनिया के 150 देशों में, वहां के टॉप मोस्ट कलाकारों से.. ये होना चाहिए और किया, दुनिया के 150 देशों के टॉप मोस्ट कलाकारों ने एक गुजराती भजन महात्मा गांधी का प्रिय भजन, सारी दुनिया ने गाया। मैं मेरे देश के गौरव के लिए दुनिया को जोड़ना चाहता हूं। मेरे लिए, उसमें कहां, किसके गोद में पैदा हुआ, वो मुद्दा नहीं है, किस भूमि में पैदा हुआ वो मुद्दा नहीं है, पूरी दुनिया मेरे भारत का गौरवगान करे, ये मकसद ले करके मैं तो निकला हूं, मेरा तो कमिटमेंट है ये और जीता भी तो इसी के लिए हूं।

नाविका कुमार: योग दिवस भी...।

नरेंद्र मोदी: अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस, अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस, हर क्षेत्र में मैं एनवायरनमेंट को लेकर के, हम कभी मैंने कहा- वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर.. फिर मैंने कहा- वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड। बिजली के लिए मैंने कहा, तो मेरी हर सोच में मैं ग्लोबली मैंने हमारा चंद्रयान गया, तो प्वाइंट का नाम मैंने शिव शक्ति रखा है। अब शिव शक्ति से किसी को तकलीफ हो कि भाई ये हिंदूवाला कहां से ले आया, तो उनकी मजबूरी है। मेरे देश से सहज निकलेगा। शिव और शक्ति से ऊपर से क्या हो सकता है जी और मुझे इसमें कोई शर्म भी नहीं है, संकोच भी नहीं है। मुझे गर्व है, तो मैं गर्व से जीता भी हूं। लेकिन मैं किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय, रंग, रूप, भू-भाग, कहीं से हो, मेरे देश के गीत गाए दुनिया ये इसके लिए तो मैं पैदा हुआ हूं जी, अब देखिये हम 300 से ज्यादा कलाकृतियां जो चोरी की गई थीं, हम वापिस लाये। अब ये पहले भी हो सकता था जी, लेकिन हमने वो विश्वास दिखाया और मैं तो मुझे कोई आपके किसी पत्रकार परिवार में से भी मुझे उनका कोई बच्चा विदेश पढ़ता था, तो आजकल तो हमें यूनिवर्सिटी में बोले मोदी जी ने भारत को कूल बना दिया। ये बच्चे यूनिवर्सिटी में बड़ी शान से घूम रहे हैं जी।

सुशांत सिन्हा: नहीं... कूल और स्ट्रांग, दोनों बना दिया।

नाविका कुमार: प्रधानमंत्री जी एक सवाल है जो कम से कम मुझे ट्रबल करता है। मुझे कहीं न कहीं ये देखकर तकलीफ होती है। वो है कि जिस तरह का हम एक वाक्या देख रहे हैं, प्रज्वल रेवन्ना मेंबर ऑफ पार्लियामेंट रहे हैं, उनके पिताजी, उनके फार्म हाउस से एक महिला, एक हेल्पर मिली है कल और जिस तरह के वीडियोज 2976 वीडियोज की बात की जा रही है और वो आदमी भाग जाता है देश से, इस पर हम क्या करेंगे? क्या हम लाचार- मजबूर हैं, क्या हम वापस लाएंगे, इस पर न्याय कैसे मिलेगा महिलाओं को।

नरेंद्र मोदी: पहली बात है ये कानून- व्यवस्था का मुद्दा है। अगर बंगाल में इस प्रकार घटना होती है तो बंगाल की सरकार जिम्मेदार है। गुजरात में होती है तो गुजरात की सरकार जिम्मेदार है, आंध्र में होती तो आंध्र की सरकार, तेलंगाना में तो वहां की सरकार, कर्नाटक में है तो कर्नाटक की सरकार जिम्मेदार है, कदम लेने के लिए। दूसरा एज फार एज मोदी कंसर्न, एज फार एज बीजेपी कंसर्न, एज फार एज आवर कॉन्स्टीट्यूशन इज कंसर्न, मेरा साफ मत है कि ऐसे अत्याचारियों को जरा भी बक्शा नहीं जाना चाहिए। कठोर से कठोर सजा होनी चाहिए और जो भी कानूनी रास्ते हों, उनका भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन ये 2900 या 3000 और 5000 जो भी हो, एक दिन की तो होगी नहीं, इसका मतलब तब का है, जब वो उनके सरकार के भागीदार थे। देवगौड़ा जी की पार्टी और कांग्रेस पार्टनर में थे तब का है। इसका मतलब उन्होंने सरकार में रहते हुए ये सारा इकट्ठा करके रखा और चुनाव में भी एक निश्चित समाज के लोगों का मतदान पूरा हो गया वो ब्लॉक...।

नाविका कुमार: बोकालिग्गा का...।

नरेंद्र मोदी: बोकालिग्गा का, उसके बाद उसको बाहर लाना और उसको भी उसको विदेश बाहर भेजने के बाद बाहर लाना ये बहुत ही शंकास्पद है खेल क्योंकि आप अपने राज्य से जाने दे रहे हो। अगर आपके पास जानकारी है तो आप वॉच रखते एयरपोर्ट पर रखते, आपने कुछ किया नहीं। भारत सरकार को भी इन्फॉर्म नहीं किया आपने, इसका मतलब ये उनका राजनीतिक खेल है और उनको मालूम है कि ये उनके कार्यकाल के सरकार में जब भागीदारी थी, तबका उन्होंने जमा करके रखा हुआ है। मेरा मुद्दा वो नहीं है, मेरा मुद्दा है किसी भी गुनहगार को बख्शा नहीं जाना चाहिए। हमारे देश में ये खेल बंद होने चाहिए।

नाविका कुमार: वापस लाएंगे?

नरेंद्र मोदी: वापस लाना भी चाहिए और उसको कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, कोई इफ एंड बट नहीं होना चाहिए।

सुशांत सिन्हा: प्रधानमंत्री जी, एक बड़ा मुद्दा जो इस चुनाव में है, बेरोजगारी और महंगाई की बात विपक्ष करता है कि महंगाई बहुत बढ़ी हुई है और बेरोजगारी पर आपका जो रुख है कि 5 साल पहले आपने कहा था कि उसे रोजगार के डेटा पर जो है, उसकी विश्वसनीयता पर आपने प्रश्न उठाए थे, क्या बेरोजगारी और महंगाई आपकी सरकार के लिए चुनौती है? और जो सवाल उठ रहे हैं, उस पर आपका क्या रिएक्शन?

नरेंद्र मोदी: पहली बात है कि आज अवसर ही अवसर है, हमने चुनौतियों को चुनौती देकर के अवसर में परिवर्तित किया है लेकिन आवश्यकता ये है कि चीजों को हकीकतों के आधार पर देखा जाना चाहिए। एक्यूरेट सोर्स से जो डेटा मिलता है उसको आधार बनाकर, अब जैसे PLFS का डेटा उसको विश्वसनीय मानोगे आप। PLFS के डेटा को विश्वसनीय मानोगे, बेरोजगारी दर पिछले 6 साल में सबसे निचले स्तर पर है। उसी प्रकार से ग्रामीण बेरोजगारी यानी हर जगह पर आया कि ग्रामीण इकोनॉमी बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी घटी है, ग्रामीण क्षेत्र में एक्टिविटी बढ़ी है। इकोनॉमी का सेंटर बनते जा रहे हैं ग्रामीण। 2017 से लेकर के 2023 के बीच लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट पिछले दिनों से सबसे ज्यादा बढ़ा है। 2017 में 49.8 प्रतिशत लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 2023 में लगभग 58 परसेंट हुआ है, अब इसको क्या कहेंगे। बेरोजगारी दर 6 परसेंट से अब करीब-करीब 3 परसेंट हो गया है, इसको क्या कहेंगे। नारीशक्ति की भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है। 10 साल में 10 करोड़ महिलाएं वुमन सेल्फ हेल्फ ग्रुप में एक्टिव हुई है। वो इकोनॉमिकल एक्टिविटी का काम करती है और 1 करोड़ लखपती दीदी और अभी मेरा लक्ष्य है 3 करोड़ लखपती दीदी का, ईपीएफओ में 6 करोड़ लोगों से ज्यादा रजिस्ट्री होती है। वो तो ऐसे नाम नहीं है, वो तो कैश मिलता है, तब बनता है जी। सरकारी नौकरी, प्राइवेट जॉब दोनों बढ़ाई गई है। मुद्रा योजना, लाखों लोगों को हमने बिना गारंटी लोन दिए और एक-एक व्यक्ति ने एक-एक दो-दो लोगों को रोजगार दिए, नए सेक्टर के लिए हमने स्पेस खोल दिया। हमने स्टार्टअप देखिये, पहले के जमाने में 200-300 स्टार्टअप थे, आज करीब सवा लाख स्टार्टअप्स हैं और टीयर टू, टीयर थ्री के अंदर वो नेतृत्व कर रहे हैं। ड्रोन्स का क्षेत्र इतना बढ़ा है जी। आज ड्रोन जीवन में इतना उपयोगी हो रहा है। इतना बड़ा मैन्युफैक्चरिंग से लेकर के सर्विस सेक्टर तक आज कोई भी टीवी कैमरा वाला, शादी वाला, कैमरा वाला भी ड्रोन वाला अलग ऑपरेटर रखता है। ड्रोन दीदी का मेरा कार्यक्रम पूरे देश में बहुत बड़ा कमाल कर रहा है जी। मैपिंग की बात हो, कृषि की बात हो, रक्षा क्षेत्र हो या ट्रांसपोर्टेशन का क्षेत्र हो, मेडिसिन में कितना बड़ा कमाल हुआ। 5G का विस्तार ये टावर लगे होंगे तो रोजगार को मिला होगा। एआई, इंटरनेट ऑफ थिंग्स कितना बड़ा अवसर मिल रहा है, यानी एक-एक-एक क्षेत्र को हम आगे बढ़ा रहे हैं। और इसलिए मैं मानता हूं कि अब 6G पर काम कर रहे हैं, लेकिन अगर किसी को झूठ ही बोलना है तो इसका कोई उपाय नहीं है। जितने अवसर हमने पैदा किए हैं, वो पहले कभी नहीं हुए और जितने अवसर की संभावना हम देख रहे हैं वो भी पहले कभी नहीं सोचा गया था।

नाविका कुमार: मोदी जी, वो कुछ पाकिस्तान से वीडियोज भी आते हैं, वो कह रहे हैं कि मोदी वहां भी प्रधानमंत्री बन जाएं बिजली तो आएगी कम से कम, लेकिन कुछ लोग हैं जिनकी तारीफ वहां के मंत्री कर रहे हैं।

नरेंद्र मोदी: अब देखिये महंगाई, अब इंदिरा जी के समय देश में कितनी महंगाई थी, ये भी पाठशाला में करने जैसा कार्यक्रम है जी और मोदी के राज में कितनी महंगाई है। 2014 के पहले कितनी महंगाई थी और आज तो युद्ध का समय है और आप हैरान हो जाएंगे कि मुझे दुख होता है कहने से लाल किले पर से पंडित नेहरू का भाषण है आपको वो ऑडियो और वीडियो दोनों मिलेगा।

नाविका कुमार: हमने चलाया था।

नरेंद्र मोदी: उस भाषण में वो कहते हैं कि महंगाई इसलिए बढ़ी है क्योंकि नॉर्थ कोरिया में लड़ाई चल रही है, नॉर्थ कोरिया में लड़ाई, तब तो इतना ग्लोबलाइजेशन नहीं था और नेहरू जी को महंगाई मारती थी। अभी तो यूक्रेन वगैरह में तो लड़ाई का तो दुनिया पर सीधा प्रभाव है, क्योंकि वहां कुछ चीजें हैं फूड, फर्टिलाइजर एंड फ्यूल तीनों पर इस लड़ाई का प्रभाव है जी और तीनों महंगाई की मूल-भूत चीजें हैं।

सुशांत सिन्हा: तीन-तीन प्रधानमंत्री ब्रिटेन में बदल गए महंगाई कंट्रोल नहीं कर पाने की वजह से, वहां लोग एक टाइम का खाना छोड़ रहे हैं महंगाई की वजह से।

नरेंद्र मोदी: नहीं-नहीं, मैं तो चाहता हूं आपके न्यूजआवर में ये पूरा समय इसी पर निकालिए जी। जानकार लोगों को बुलाइए, तू-तू मैं-मैं वालों को नहीं। मैं पक्का बताता हूं जी, देश को पता चलेगा कितना झूठ चलाते हैं जी और आप एक न्यूजआवर आपका इसको समर्पित कीजिये।

नाविका कुमार: बिल्कुल, इस मुद्दे पर गहराई तक जाएंगे, लेकिन प्रधानमंत्री जी एक सवाल जो हमेशा पूछना चाह रही थी मैं,आप ने कहा जून 4 के बाद सब कुछ थम जाएगा, ये जो इकोसिस्टम का जो चल रहा है और सुनने में ये भी आ रहा है कि पहले सौ दिन का कार्यक्रम भी बन चुका है। तो कुछ बताइए और आप बार-बार अपनी रैली में कहते थे कि कुछ बड़े फैसले आने वाले हैं, तो जनता एकदम दिल थाम के बैठी है कि क्या फैसले आने वाले हैं? छोटा सा ट्रेलर अगर।

नरेंद्र मोदी: मैं आपको बताता हूं, एक तो ये मेरा स्वभाव से बहुत एडवांस प्लानिंग का मेरा नेचर है। मैं बहुत से गॉड गिफ्टेड मेरा सॉफ्टवेर ऐसा शायद ऐसा बना हुआ है तो मैं बहुत एडवांस में सोचता हूं। गुजरात में मेरा एक्सपीरियंस भी था, सरकार के बाद मुझे क्या करना है। मैंने यहां 14 में भी सोच के आया था, 19 में भी सोच के बैठा था। देखिये हमने जो काम किए हैं, आप मेरा पहले का देखेंगे तो आपको पता चलेगा। तीन तलाक पर हमने जो कानून बनाया था, पहले ही कर दिया। आर्टिकल 370 हटाने का काम हमने कर दिया, शुरू में ही कर दिया। इतनी बड़ी समस्याओं से निपटना, उसको पूरा करना ये मेरे नेचर में है और मुझे तीसरे कार्यकाल के लिए मैं बड़े निर्णय चाहता हूं, महत्वपूर्ण निर्णय करना चाहता हूं। कोई तोड़-फोड़ करने का निर्णय मेरे नहीं होता है जी, 100 दिन का मेरा प्लान बिल्कुल रेडी है और मैं 4 तारीख के बाद एक दिन का भी समय खराब करना नहीं चाहता हूं। मुझे इतनी अनुकूलता है कि मैं मेरे देश को एक रत्ती भर नुकसान होने देना नहीं चाहता। विलम्ब के कारण जो नुकसान हो वो भी नहीं होने देना चाहता हूं और जहां तक मेरे ट्रेलर तो पिछले 10 साल से आप देख रहे हैं।

सुशांत सिन्हा: तो सर उस लिस्ट में क्या पूरे देश में यूसीसी लागू करना भी है?

नरेंद्र मोदी: पहली बात है कि यूसीसी का जो विषय है वो कोई मोदी का कार्यक्रम नहीं, न ही वो कोई बीजेपी का है। भारत के संविधान निर्माताओं ने संविधान में कहा है जी, ये लोग इतने सालों से कर नहीं रहे थे, क्योंकि वोट बैंक की राजनीति उन पर सवार थी। यूसीसी हमारे संकल्प पत्र का हिस्सा है। दूसरा इस देश की सुप्रीम कोर्ट ने कम से कम दो दर्जन बार, दो दर्जन बार कहा है कि भारत में यूसीसी करो और ये देश में देखना चाहिए। गोवा में ऑलरेडी यूसीसी है, मेरा देश चल रहा है, गोवा में सबसे ज्यादा माइनॉरिटी है। फिर भी यूसीसी बहुत बढ़िया तरीके से चल रहा है। उत्तराखंड ने बहुत अच्छी दिशा में कदम उठाए हैं। तो एक के बाद एक हम थोपने वालों में से नहीं हैं जी, हम इवॉल्व कर रहे हैं।

नाविका कुमार: वन नेशन वन इलेक्शन?

नरेंद्र मोदी: वन नेशन वन इलेक्शन अभी रिपोर्ट आई है, रिपोर्ट पर स्टडी करने के लिए, मैंने कहा हुआ है।

सुशांत सिन्हा: प्रधानमंत्री जी, क्या आप सिर्फ 24 की तैयारी करके बैठे हैं, 29 की भी करके बैठे हैं?

नरेंद्र मोदी: देखिये मैं बताता हूं, मैं चुनाव की तैयारी करता ही नहीं हूं। न मैं चुनाव के लिए सोचता हूं। न मैं चुनाव का टाइम टेबल देखकर के काम करता हूं। मेरे सामने साफ है कि ये देश जब 100 साल का होगा, तब आजादी के 100 साल जब हो जाएं तब देश कहां होगा। और ये रातों रात नहीं होता है। जैसे मैंने इस बार बजट में एक वाक्य बोला है, अब जो ट्रेलर और आगे क्या... पूछ रही हो न, इसमें मिलेगा। मैंने बजट में एक वाक्य बोला है कि हम डेमोग्राफी को लेकर के एक कमीशन बैठाएंगे। अब ये क्या है? देखिये, दुनिया के बहुत से देश परेशान हैं, वहां पर एजिंग के कारण बहुत बड़ा पॉपुलेशन अब एक डेमोग्राफी का एक रूप है। मैं नहीं चाहता 2047 में, देश में जो बुजुर्ग लोग हैं उनके लिए कोई प्लानिंग न हो। आज हम युवा हैं, लेकिन कभी तो बूढ़े होंगे तो ये सरकार का काम है अभी से सोचे, मैं वो सोचता हूं कि आज आप जो नौजवान हैं वो 2047 में जब बूढ़े होंगे, तब आप असहाय न अनुभव करें, इसके लिए प्लानिंग अभी से होना चाहिए। मैं इस लेवल के काम कर रहा हूं जी। मैंने ऑलरेडी बजट में एक वाक्य बोला, लेकिन देश में मीडिया पकड़ नहीं पाया। लेकिन मैं इस सोच से काम कर रहा हूं।

सुशांत सिन्हा: मैंने यह प्रश्न इसलिए पूछा, क्योंकि कई लोग यह सोच कर बैठे हैं कि इस बार तो गया हुआ है मामला। 29 में मोदी जी हटेंगे, 29 में उनका चांस है?

नरेंद्र मोदी: ऐसा है राजनीति में कौन आये, कौन जाए। कोई देश ऐसा नहीं होना चाहिए जो किसी व्यक्ति के आधार पर चलता हो। मैं मोदी के आधार पर देश चले, ये मोदी कभी नहीं चाहेगा। ऐसा मेरा देश, मेरा देश तो बहुरत्न वसुंधरा है जी। यहां तो अनेक रत्न पैदा होते रहे हैं, आगे भी होते रहने वाले हैं और देश आगे चलने ही वाला है। लेकिन इस प्रकार की माला जपने से कोई अपना भविष्य नहीं बना सकता। हर एक को अपना भविष्य बनाने के लिए मेहनत करनी चाहिए, जनता का विश्वास जीतना चाहिए, जनता के सुख के साथी बनना चाहिए और वेकेशन थोड़े कम करनी चाहिए।

नाविका कुमार: बहुत सही कहा आपने, आपके कोई पॉलिटिकल पर्सनल बकेट लिस्ट होती है सबकी। कुछ जो हो गया, जो सबसे आपके दिल के करीब था कोई 1 चीज ऐसे बताइए कि वो हो गया तो वो मेरी अचीवमेंट मुझे महसूस होती है और बच क्या गया?

नरेंद्र मोदी: ऐसा होता रहता है, मेरा काम का जो स्टाइल है न, वो एक बड़ा ही इंटीग्रेटेड होता है, कॉम्प्रिहेंसिव होता है, टुकड़ों में नहीं होता है जी, लेकिन मैं जब उसको बाहर लाता हूं तो वो प्रोग्रेसिव अनफोल्डमेंट होता है। जैसे मैं कहूंगा, चलो भाई सबके बैंक अकाउंट खोलो। मुझे याद है 2014 में मैं नया-नया आया और जनधन अकाउंट से मैंने शुरू किया तो हमारे अरुण जेटली बड़े परेशान हो गए, क्योंकि मैं हर तीसरे दिन मॉनिटरिंग करने लगा कि कितने बैंकों ने किया? बैंक वाले झुग्गी झोपड़ी में जाते हैं कि नहीं जाते हैं, बैंक वाले रेहड़ी-पटरी वालों के पास जाते हैं कि नहीं। ये तो आपने क्या ऑर्डर कर दिया है वो हो गया। मैंने कहा नहीं जी कि मुझे ये सौ दिन में काम पूरा करना है, लेकिन तब दुनिया को लग रहा था जनधन अकाउंट खोल रहा है। अच्छा, बैंक वाले मेरे से झगड़ा कर रहे कि सर स्टेशनरी का पैसा तो मिले। मैंने कहा कुछ नहीं मिलेगा, जीरो अमाउंट से अकाउंट खुलेगा। तब आश्चर्य होता था लोगों को लेकिन वो ही जनधन अकाउंट कोरोना के समय कितनी बड़ी ताकत बन गया, वो ही जन धन अकाउंट फिर मैंने उसको आधार से जोड़ा। फिर मैं उसको मोबाइल से जोड़ा, फिर मैंने उसको डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से जोड़ा। 36 लाख करोड़ रुपये डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर हो रहा है। फिर मनरेगा से जोड़ा। यानी मैं जब बैंक के खाता दुनिया को तो लगा, दुनिया का सबसे बड़ा फाइनेंशियल इनक्लूजन, उनकी गाड़ी वहीं अटक जाती है। मोदी की तो वहीं से शुरू होती है।

नाविका कुमार: और बाहर के जितने देश से लोग आये, उन्होंने वो डिजिटल वो भी देखा।

नरेंद्र मोदी: तो जब एक काम करता हूं तो लगता है ये करते हैं, लेकिन समझ लीजिए एक करता तो वो नहीं कर रहा हूं।

नाविका कुमार: पर कुछ कभी पर्सनल।

नरेंद्र मोदी: मैं सिम्पल बताता हूं जी, ये कैसे होता है? मैं गुजरात गया, मुख्यमंत्री के नाते और मेरी पहली सचिवों के साथ मीटिंग थी तो उस समय हमारे शिक्षा सचिव मिस्टर मारकरकर (1.08.04) थे। तो उन्होंने कहा गर्ल चाइल्ड एजुकेशन में देश में हम 20 नंबर पर हैं। तो मैं चौंक गया, गुजरात जैसा राज्य गर्ल चाइल्ड एजुकेशन में 20 नंबर पर है, मेरे मन में चिपक गया वो पहली मीटिंग का वो, फिर हर वर्ष जून महीने में 44 डिग्री टेम्प्रेचर होता है गुजरात में, 13, 14, 15 जून 3 दिन गांव में रहता था, उस गांव में जाता था, जहां मिनिमम गर्ल चाइल्ड एजुकेशन है और मैं 3 दिन में 5 गांव करता था। उन 5 गांव में घर-घर जाना और कहता था मैं भिक्षा मांगने आया हूं। और मैं भिक्षा में आपसे वचन मांगता हूं कि मुझे वचन दीजिये कि मैं मेरी बेटी को पढ़ाऊंगा तो मैं भिक्षुक के रूप में काम करता था और मुख्यमंत्री के नाते 3 दिन भिक्षा मांगना ही है तो मांगनी है ये मेरा नियम था और बच्चियों को मैं स्कूल ले जाता था। लोगों को लगा चलो मोदी जी, लेकिन मैंने उस काम के लिए डेढ़ लाख नए टीचर भर्ती किए। उस काम के लिए मैंने ढाई लाख नए स्कूल के कमरे बनाए। इस काम के लिए मैंने हर स्कूल को इलेक्ट्रिफिकेशन किया। उस काम के लिए मैंने हर स्कूल के अन्दर कंप्यूटर की व्यवस्था करना शुरू किया, फिर मैंने ग्रुप से शुरू किया, उसमें मैं फिर 3 दिन दिवाली के बाद देता था, जिसमें क्वालिटी ऑफ एजुकेशन है। यानी पहले तो लगा कि यार मोदी गर्मी में ले जा रहा है, घुमा रहा है, लेकिन बात यहां तक पहुंचा दी। तो मेरा काम करने का तरीका ये है कि मैं चीज को कहीं शुरू करता हूं तो मतलब समझ लीजिये कि मैं बहुत लम्बा सोच करके आया हूं। जब मैंने योग की बात कही, तब लोगों को लगा जैसे हर दिन मनाने की बात आती है, वैसा ही आएगा। मेरे लिए वैसा नहीं था जी। दुनिया में एक वुमेन-डे के सिवाय कोई भी ऐसा डे नहीं है जैसा योगा डे है। वुमन डे पकड़ गया है, क्योंकि वुमन ने उसको ऑनरशिप लिया है। यूएन का ऑनरशिप प्लेटफार्म है, योगा दुनिया ने खुद ने ऑनरशिप ले ली है तो अब योग के साथ आयुर्वेद ले आया, आयुर्वेद के साथ भारत की परंपरा ले आया, उसके साथ मैंने कोविड में ऑल्टरनेट मेडिसिन ले आया। मैंने ब्रिक्स में ऑल्टरनेट मेडिसिन का सब्जेक्ट रखा, मैंने जी20 में ट्रेडिशनल मेडिसिन का सब्जेक्ट रखा। यानी आप देखिये, मैं चीज छोड़ता नहीं हूं।

सुशांत सिन्हा: आपके जो विरोधी है, इसलिए घबराते भी हैं, अभी दिख रहा है, इन्होंने आगे क्या सोच रखा होगा?

नाविका कुमार: और विरोधी ये भी सोचते हैं कि इतना कॉन्फिडेंस कि 4 जून को ये ही रिजल्ट आएगा। जरूर कोई चिप डाला, मोदी चिप।

नरेंद्र मोदी: ऐसा है। आप कुछ भी कहिए, वो उसका अर्थ ये ही निकालते हैं। वो डरे हुए हैं, कुछ लोग होते हैं जो दीवार पर थोड़ा सा दिखता है, किसी को उसमें भी भूत दिखता है। दीवार पर ऐसे ही कलर में वो थोड़ा बनाने वाला है, उसको रात में वो ये देखता है सो नहीं पाता है वो। ऐसे लोग होते हैं, उनका क्या करोगे जिनका मनोवैज्ञानिक अब मुझे नए कोर्सेस इंट्रोड्यूस करने पड़ेगे मनोविज्ञान के लिए, ऐसे लोगों के लिए।

सुशांत सिन्हा: प्रधानमंत्री जी आपका बहुत व्यस्त कार्यक्रम है,

नरेंद्र मोदी: बहुत-बहुत धन्यवाद।

सुशांत सिन्हा: लेकिन आज आपने पाठशाला में आपने बहुत सारे अध्याय देश के खोल दिए हैं।

नाविका कुमार: और न्यूजआर का भी एजेंडा सेट कर दिया।

सुशांत सिन्हा: और बहुतों की क्लास भी लगा दी। मुझे उम्मीद है आपको पाठशाला अटेंड करके इतने दिन बाद अच्छा लगा होगा।

नरेंद्र मोदी: नहीं-नहीं मैं आपका न्यूजऑवर हो, आपका पाठशाला हो उसका एक अलग लेबल है, मैं मानता हूं ये ठीक है कि न्यूजआवर में तू-तू, मैं-मैं वाले लोग भी आते हैं। पाठशाला में अलग से आपने उसको डेवलप किया है, लेकिन एक आपको भी तो वैराइटी लेके आना पड़ता है जी। वरना तो गाड़ी चलती नहीं है।

नाविका कुमार: बिल्कुल, लेकिन आपने भावुक होकर भी और देश को आगे ले जाने के लिए जो रास्ते..

नरेंद्र मोदी: देखिए, भावुकता तो मेरी पर्सनली है। दुनिया मेरी क्या करेगी?

नाविका कुमार: लेकिन आपने हमें इतना समय दिया और इतनी बेबाक तरीके से आपने हमारे सवालों के जवाब दिए।

नरेंद्र मोदी: जी मुझे सवालों से कभी कोई प्रॉब्लम नहीं होती है। लेकिन मैं देख रहा हूं, आप लोग बहुत प्रेशर में रहते हैं मीडिया में ये एक इकोसिस्टम ने इतना प्रेशर बना दिया है कि आपको भी उनके दबाव में, उनकी भाषा में सवाल पूछने पड़ते हैं और उसके कारण देश के लिए जो जरूरी सवाल होते हैं वो आपके भी छूट जाते हैं। इकोसिस्टम ने इतना दबाव पैदा कर दिया है कि आपको भी उसी लाइन पर जीना पड़ता है और आपको भी लगता है यार कहीं आउटडेट हो जाएंगे तो मैं तो चिंतित हूं कि देश की मीडिया को भी न्यूट्रल रहना कितना मुश्किल हो जाएगा और या तो उनकी भाषा बोलो या तो घर चले जाओ, वरना गाली सुनो ये हाल कर के रख दिया है। आपके पूरे क्षेत्र में और दूसरा देश में पहले पत्रकारिता या पत्रकार.. अखबार आता तो वो मानता है कि पत्रकार उसकी एक वैल्यू थी आज सोशल मीडिया से उसको वो जानता है कि ये वो व्यक्ति लिख रहा है मतलब उसको लेख नहीं दिखता है, उसका ट्विटर याद रहता है, अरे यार उसकी ये सोच है तो वो तो लिखेगा ही। तो वैल्यू खत्म हो गई है। वैल्यू खत्म हो गई जी।

नाविका कुमार: लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं कि वैल्यू सिस्टम रहें क्योंकि तीस साल पत्रकारिता में हर फेज देखा हैं।

नरेंद्र मोदी: फिर भी मैं आपको बताता हूं, आप दबाव में जी रहे हैं जी, आप भी दबाव में जी रहे हैं उसमें आपका कोई दोष नहीं है, आपको भी यहां आने से रहता होगा, पक्का रहता होगा। यार मोदी को 10 में से दो सवाल तो टेढ़े पूछने ही पूछने हैं क्यों, क्योंकि आपको भी चिंता है कि बाद में आपकी कोई आलोचना ना करे। क्योंकि उनको मालूम उनको इसके कंटेंट पर इंटरेस्ट ही नहीं है। इनको इसी में इंटरेस्ट है कि मोदी को आपने फंसाया कि नहीं फंसाया। इसी में इंटरेस्ट है। अगर फंसाया तो इंटरव्यू अच्छा, नहीं फंसाया तो फ्रेंडली मैच था।

नाविका कुमार: लेकिन वो गीता का ज्ञान है ना, किए जा... फल की इच्छा मत कर ए इंसान।

सुशांत सिन्हा: प्रधानमंत्री जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपने समय दिया और सवालों को जवाब भी दिए। आपको चुनाव के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं भी जो इलेक्शन है।

नरेंद्र मोदी: थैंक्यू, 4 जून के बाद मिलेंगे।

नाविका कुमार: बिल्कुल इंतज़ार रहेगा, 2007 में भी आपने चुनाव के बाद मुझे इंटरव्यू दिया था, बिल्कुल..

नरेंद्र मोदी: थैंक्यू, बहुत-बहुत नमस्कार।

स्रोत: Times Now

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