'ओपन मैगजीन' को दिए एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दस वर्षों में अपनी सरकार की उपलब्धियों, भारत के भविष्य के लिए उनके विजन, देश के लिए स्थिर सरकार के महत्व समेत अनेक विषयों पर चर्चा की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:

भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में दिख रही है। अधिकांश क्षेत्रों से सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। दुनिया के सामने मौजूद मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण की सराहना हो रही है। कई देश भारत को वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक ताकत के रूप में देखते हैं। इस पृष्ठभूमि में, इस चुनाव के नतीजे और नई सरकार का स्वरूप कितना महत्वपूर्ण है?

किसी भी व्यक्ति या देश के लिए स्थिरता का समर्थन करना और उसकी आशा करना स्वभाविक है। यदि हम स्थिर नहीं हैं, यदि हम अपनी क्षमता को साकार करने में मदद करने वाले कदम उठाने में असमर्थ हैं, तो यह स्पष्ट है कि हम अपने लिए अनुकूल परिणाम को प्रोत्साहित नहीं करेंगे।

पिछले दशक में, हमारे निर्णयों, हमारे सक्रिय दृष्टिकोण और हमारे भविष्य के लिए तैयार शासन के स्वरूप ने हमें भारतीय अर्थव्यवस्था की वास्तविक क्षमता का दोहन करने में मदद की है।

विभिन्न पहलों की एक श्रृंखला द्वारा सहायता प्राप्त हमारी वृद्धि इतनी उल्लेखनीय रही है कि दुनिया भर के उद्यम और राष्ट्र हमारी प्रगति की कहानी में भूमिका निभाने के लिए उत्सुक हैं।

विकसित भारत के लिए हमारा दृष्टिकोण एक अंतर्मुखी दृष्टिकोण नहीं है - यह अधिक सहयोग, मजबूत साझेदारी और वैश्विक विकास का दृष्टिकोण है। मुझे लगता है कि दुनिया भर में इस दृष्टिकोण की बहुत सराहना हो रही है।

उदाहरण के लिए, हमारी वैश्विक पहुंच को ही लें, चाहे वह G20 हो, जहां हमने दिल्ली डिक्लेरेशन में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को सार्वजनिक हित के रूप में महत्व दिया, इंटरनेशनल सोलर अलायंस, इंटरनेशनल बायो फ्यूल अलायंस, I2U2, या आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन - क्या इनका उद्देश्य वैश्विक भलाई नहीं है? दुनिया जवाब के लिए भारत की ओर देख रही है।

आज, जब गहरी साझेदारी बनाने या संघर्षों को हल करने की बात आती है, तो हम सक्रिय भूमिका निभाने के लिए काम कर रहे हैं।

यह इन चुनावों के परिणाम को बहुत महत्वपूर्ण बनाता है क्योंकि दुनिया निरंतरता, स्थिरता और एकरूपता की उम्मीद करती है—ये तीनों एक निर्णायक जनादेश के स्तंभ हैं।

चुनाव का जनादेश इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि 10 साल में हमने बहुत सारे काम किए हैं, पुराने गड्ढों को भरा है और लोगों को बुनियादी ज़रूरतों से लैस किया है। अब आकांक्षाओं और उपलब्धियों में बहुत तेज़ी से उछाल मारने का समय है। ऐसे महत्वपूर्ण समय में विकास के मार्ग को बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। लोगों ने इसे महसूस किया है और प्रगति को गति देने के लिए हमें एक बड़ा जनादेश देने का फैसला किया है।

कांग्रेस के समय में वामपंथी नारे और तरीके, भारत को पीछे धकेलने के लिए जिम्मेदार माने जाते थे। हाल के दिनों में नीति निर्माताओं के बीच इनका बहुत कम प्रभाव रहा है। लेकिन अचानक हम देखते हैं कि कांग्रेस जैसी पार्टियाँ एक बार फिर आक्रामक तरीके से उन विचारों को अपना रही हैं। आप इसका मुकाबला कैसे करेंगे?

देश पर कई दशकों तक राज करने वाली कांग्रेस के पास ‘फैमिली फर्स्ट’ के अलावा कोई वास्तविक विचारधारा नहीं है, इसलिए उन्हें अपनी राजनीति जारी रखने के लिए ऐसी विचारधाराओं पर निर्भर रहना पड़ा जो हमारे देश के लिए विदेशी हैं। इसके कारण, उनके पास हर चीज के लिए पिछड़े नारे और पुराने कार्यक्रम थे।

एक समग्र राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अभाव में, उनकी नीतियां, उनके नारे ज्यादा हासिल नहीं कर सके। इंदिरा जी के समय में, कांग्रेस पूरी तरह वामपंथी मशीनरी में बदल गई। देश की हर समस्या के लिए उन्होंने एक नारा दिया। लेकिन नारे से कोई समस्या हल नहीं हुई। उन्होंने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया, लेकिन देश में मुद्रास्फीति की दर सबसे अधिक रही और प्रति व्यक्ति आय वृद्धि की दर कम रही। 1980 के दशक के अंत तक, कांग्रेस की नीतियों ने भारत को भुगतान संतुलन के एक बड़े संकट में डाल दिया, जिसने अर्थव्यवस्था को खतरे में डाल दिया। फिर 2004 में, कांग्रेस वामपंथियों के समर्थन से सत्ता में लौटी। यहाँ भी, पुरानी विचारधाराएँ सामान्य ज्ञान और सुशासन पर हावी हो गईं।

आज देश में वामपंथ का पतन हो रहा है। वामपंथी राजनीति के बड़े-बड़े गढ़ ढह चुके हैं। लेकिन वामपंथ का एक गढ़ और मजबूत हुआ है, वह है कांग्रेस पार्टी। हमने देखा कि शहजादा के सबसे करीबी सलाहकारों में से एक 55 प्रतिशत विरासत कर की वकालत कर रहा था। कांग्रेस के घोषणापत्र में उन्होंने संपत्ति के पुनर्वितरण की अपनी योजनाएँ रखी हैं। शहजादा ने कहा है कि वह लोगों की निजी संपत्ति का एक्स-रे करेंगे। हमने यह भी देखा है कि मनमोहन सिंह ने कैसे घोषणा की थी कि राष्ट्रीय संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। ये सारी बातें किस ओर इशारा करती हैं - कि कांग्रेस समय के साथ नहीं बदली है और पुरानी पड़ चुकी है।

उनका व्यवहार और वादे इस आधार पर हैं कि वे सत्ता में नहीं आने वाले हैं। उन्होंने अपने वादों की व्यवहार्यता और इससे हमारी अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, इसके पीछे कोई गणना नहीं की है। वेल्थ-क्रिएटर्स को लगातार निशाना बनाना दिखाता है कि देश की प्रगति और समृद्धि उनके लिए कोई मायने नहीं रखती।

जहां तक इसका मुकाबला करने की बात है, तो भारत के लोग ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस को बहुत कड़ी सजा देने का फैसला किया है और यह नतीजों में दिखाई देगा।

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कोलकाता में हाल ही में दिए गए अपने भाषण में आपने खान मार्केट गैंग का जिक्र किया था, जो लगातार आप और आपकी सरकार पर हमला क्यों कर रहा है? उनका कहना है कि भारत में लोकतंत्र की भावना खत्म होती जा रही है।

सत्ता और प्रभाव का खत्म होना, और वह भी तब जब कोई व्यक्ति दशकों से उन पर काबिज रहा हो, घातक हो सकता है। 60 वर्षों तक, लोगों का एक छोटा समूह शासन और राजनीति के सभी क्षेत्रों पर हावी रहा। ये लोग एक ही भाषा बोलते थे, एक ही सांस्कृतिक पूर्वाग्रह रखते थे, एक ही तरह से सोचते थे और शेष भारत से पूरी तरह कटे हुए थे। यह समूह अपने उपनामों के कारण शक्तिशाली था, न कि किसी वास्तविक मेहनत के कारण। दुख की बात है कि उनके लिए, पिछले दशक में भारत बदल गया है और इसीलिए वे नाराज़ हो सकते हैं।

और अपने गुस्से में वे अपनी बात को साबित करने के लिए साल-दर-साल नए-नए नैरेटिव गढ़ते हैं।

जहाँ तक लोकतंत्र की बात है, मैं आपको बता दूँ, लोकतंत्र सदियों से हमारी भूमि का हिस्सा रहा है। लोकतांत्रिक होना हमारे स्वभाव में है। लोकतंत्र केवल आपातकाल के दौरान खतरे में था और हम सभी जानते हैं कि इसे किस पार्टी ने लगाया था। वैसे, यह वही पार्टी है जिसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने के लिए पहला संशोधन करवाया था। यह वही पार्टी है जो प्रेस की स्वतंत्रता को छीनना चाहती थी। मैं उनके लोकतंत्र विरोधी स्वभाव के बारे में बहुत कुछ कह सकता हूं, लेकिन मैं यह जरूर कहना चाहता हूं कि हमारे देश में लोकतंत्र सदैव जीवंत रहेगा, चाहे वे जो भी नैरेटिव गढ़ें।

भ्रष्टाचार के मामलों में पकड़े जाने पर भी विश्लेषकों का एक वर्ग एक तरह के राजनेताओं के प्रति नरम क्यों है? मैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बात कर रहा हूँ, जो पैरोल पर हैं और जिन्हें मीडिया और अन्य जगहों पर विशेष कवरेज मिल रही है। क्या उच्च पदों पर भ्रष्टाचार अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है?

यह बहुत चौंकाने वाली बात है कि जिन लोगों को कोर्ट ने भ्रष्टाचार में लिप्त पाया है, उन्हें बिना जिरह किए मीडिया में खूब कवरेज मिल रही है। जब वे बयान देते हैं, तो मीडिया उन्हें सच मान लेता है और उसी रूप में पेश करता है। कुछ दिनों से जमानत पर बाहर चल रहे इस व्यक्ति की पोल खुल गई है। आम लोग इसे देख रहे हैं, समझ रहे हैं और महसूस कर रहे हैं।

भ्रष्टाचार वाकई एक गंभीर मुद्दा है। आम आदमी पार्टी (आप) की स्थापना मूल रूप से कांग्रेस के भ्रष्टाचार के विरोध के आधार पर हुई थी और आज वह उन्हीं के साथ बैठकर ईडी और सीबीआई की आलोचना कर रही है। अगर एजेंसियों ने उन पर गलत आरोप लगाए थे, तो उन्हें कोर्ट से राहत क्यों नहीं मिली?

इसके अलावा, विपक्ष, जिसने ईडी और अन्य एजेंसियों पर आरोप लगाए हैं, अभी तक एक भी मामले में यह साबित नहीं कर पाया है कि आरोप निराधार हैं। ईडी और सीबीआई द्वारा की गई हर छापेमारी में नकदी के ढेर मिले हैं, और लोग इसे देख रहे हैं। हमारे लिए, भ्रष्टाचार एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है क्योंकि यह सीधे लोगों के जीवन को प्रभावित करता है। यह कहना असंभव है कि भ्रष्टाचार कोई मुद्दा नहीं है। मैंने अब इस मंत्र में एक और पहलू जोड़ा है: न खाऊंगा, न खाने दूंगा। मैंने अब यह जोड़ा है: जिसने खाया है वो निकालूंगा, और जिसका खाया है उसको वापस करूंगा। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि भ्रष्टाचारियों से पैसा वसूला जाए और उनके असली हकदारों को वापस लौटाया जाए।

हमने इस संबंध में पहले ही अपना रिकॉर्ड साबित कर दिया है। जब्त किए गए ₹1.25 लाख करोड़ में से ₹17,000 करोड़ पहले ही लोगों को वापस किए जा चुके हैं। 2014 के बाद से ईडी द्वारा ₹1.16 लाख करोड़ से अधिक की अपराध से अर्जित संपत्ति को जब्त किया गया है, जबकि 2014 से पहले यह केवल ₹5,000 करोड़ थी। ये निष्कर्ष दिखाते हैं कि हमारी जांच एजेंसियां अपना काम अच्छी तरह कर रही हैं। इसलिए, इन एजेंसियों को बिना हस्तक्षेप और बिना राजनीतिक पक्षपात के निराधार आरोपों के स्वतंत्र रूप से काम करने देना महत्वपूर्ण है।

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भारत में चुनावों को अवैध ठहराने की कोशिश की जा रही है। इसकी शुरुआत ईवीएम पर सवाल उठाने से हुई और अब चुनाव आयोग पर हमला हो रहा है। कुछ विदेशी संस्थान भी इस मुहिम में शामिल हो गए हैं। इस हमले की वजह क्या है?

लगातार हार और अप्रासंगिकता के डर से लोग अजीबोगरीब काम कर सकते हैं।

मैं आपके साथ एक नजरिया साझा करना चाहता हूं: हमारी पार्टी ने विपक्ष में काफी समय बिताया है, जिसमें वह समय भी शामिल है जब हमारे पास केवल दो सांसद थे। हमने कभी भी भारत की जीवंत लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बदनाम नहीं किया। इसके विपरीत, हमने अपनी पार्टी का विस्तार करने और लोगों के बीच जाने की दिशा में काम किया, यही वजह है कि आज हम लोगों की पसंदीदा पसंद बनकर उभरे हैं।

2014 में कांग्रेस को भारतीय इतिहास में अब तक की सबसे कम सीटें मिलीं। 2019 में भी उनका प्रदर्शन लगभग वैसा ही रहा। सामान्य परिस्थितियों में, यह आत्मनिरीक्षण का कारण होना चाहिए था, लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसके विपरीत, उन्होंने अपनी दयनीय स्थिति के लिए खुद को छोड़कर सभी को दोषी ठहराया है।

समय के साथ, उन्होंने भारत की चुनावी प्रक्रिया को बदनाम करना शुरू कर दिया है। और यह हास्यास्पद है क्योंकि वे भी इसी प्रक्रिया के माध्यम से चुनाव जीतते रहे हैं, जिसमें एक साल में दो राज्य शामिल हैं।

मैं बस यही उम्मीद करता हूं कि बेहतर समझ पैदा होगी और वे अपना समय और ऊर्जा अधिक रचनात्मक चीजों पर लगाएंगे।

आपने हाल ही में संकेत दिया कि आपके पास सरकार के तीसरे कार्यकाल के बाद के लिए 100-दिवसीय योजना है। क्या यह नीतिगत कदम होगा?

अगर आप मेरी सरकारों के ट्रैक रिकॉर्ड को बारीकी से देखें, चाहे वह राज्य स्तर पर हो या राष्ट्रीय स्तर पर, तो आप पाएंगे कि हम एक बड़ी शुरुआत करने में विश्वास करते हैं। आमतौर पर किसी भी सरकार के पहले 100 दिन चुनावी जीत के उत्साह के कारण नई ऊर्जा से भरे होते हैं। मेरा दृढ़ विश्वास रहा है कि इस ऊर्जा को बड़े और साहसिक फैसले लेकर लोगों को तत्काल लाभ पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

इससे प्रशासनिक मशीनरी को अगले पांच वर्षों के लिए गति, गति और दिशा के बारे में भी संदेश जाता है।

उदाहरण के लिए 2019 को ही लें। हमारी जीत के 100 दिनों के भीतर कई बड़े फैसले लिए गए। बैंकिंग क्षेत्र में कई सुधार हुए, जिनमें से कई का सीधा नतीजा आज बैंकिंग बूम के रूप में सामने आया। पीएम-किसान का दायरा छोटे और सीमांत किसानों से बढ़ाकर सभी किसानों तक कर दिया गया। आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूत करने के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) में संशोधन किए गए। हमने जल शक्ति मंत्रालय बनाने का वादा किया था और इस अवधि में यह पूरा हो गया। तीन तलाक के खिलाफ कानून हकीकत बन गया। हमने अनुच्छेद 370 के खिलाफ कार्रवाई की और यह सुनिश्चित किया कि बाबासाहेब का संविधान जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को पूरी तरह से सशक्त बनाए।

कोई भी सरकार अपने पूरे पाँच साल में ऐसी चीज़ें हासिल करना चाहेगी। लेकिन हमने यह सब पहले 100 दिनों में ही कर दिखाया!

2024 के लिए भी, हाँ, हमने अपनी सरकार के तीसरे कार्यकाल के लिए 100-दिवसीय योजना के साथ शुरुआत की थी। लेकिन युवाओं से हमारे शासन के प्रति उत्साही प्रतिक्रिया को देखते हुए, हमने इसका दायरा बढ़ाकर 125-दिवसीय योजना कर दिया है, जिसमें 25 दिन युवाओं के लाभ के लिए नीतिगत निर्णयों पर विशेष ध्यान केंद्रित करेंगे।

आगामी बजट असाधारण परिस्थितियों में प्रस्तुत किया जाएगा। किसी भी सरकार के पास ऐसा उत्कृष्ट व्यापक आर्थिक परिदृश्य नहीं रहा है, विशेषकर पुनर्जीवित आर्थिक विकास के संदर्भ में। इस साल के बजट को परिभाषित करने वाली प्रमुख रूपरेखाएं क्या होंगी?"

मैं विनम्रतापूर्वक आपके प्रश्न में एक बात बताना चाहूंगा। आपने कहा कि किसी भी सरकार के पास इतनी बेहतरीन व्यापक आर्थिक पृष्ठभूमि और पुनरुत्थानशील आर्थिक विकास नहीं रहा है। यह उल्लेख करना आवश्यक है कि ये परिस्थितियाँ अपने आप नहीं बनीं।

साहसिक आर्थिक सुधार, मुद्रास्फीति को कम रखना, विकास को निरंतर बढ़ावा देना, गरीबों और हाशिए पर पड़े वर्गों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करना और राजकोषीय अनुशासन, यहाँ तक कि सदी में एक बार आने वाले वैश्विक संकट के दौरान भी, सकारात्मक व्यापक आर्थिक माहौल को जन्म दिया है। पिछले 10 वर्षों में, हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ी है, लेकिन साथ ही, विकास का लाभ समाज के हर क्षेत्र और हर वर्ग को मिला है। यह भविष्य में भी जारी रहेगा।

आगामी बजट वहीं से शुरू होगा, जहाँ अंतरिम बजट ने छोड़ा था। अपने अंतरिम बजट के साथ हमने पहले ही दिखा दिया है कि हमारा ध्यान हमारे देश के चार स्तंभों- युवा, गरीब, महिला और किसान को मजबूत करने पर है। ये हमारे साथी नागरिक ही हैं जो विकसित भारत के निर्माण की कुंजी होंगे।

बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर, निवेश, उद्योग और इनोवेशन के लिए भी बड़े फैसले लिए गए। आगामी बजट में आप इन पहलुओं को और अधिक सुदृढ़ होते देखेंगे।

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इस चुनाव में एक बड़ी प्रतिक्रिया यह है कि आकांक्षाएँ बढ़ी हैं, खासकर तब जब नया इकोसिस्टम सामाजिक गतिशीलता को संभव कर रहा है। हालांकि, अभी तक प्रोग्रेस आसान नहीं रही है, क्योंकि पुरानी कमियों को - खासकर बैंकिंग, बिजली, पीने के पानी जैसी बुनियादी चीजों में - अभी दूर ही किया जा रहा है, जिससे ज्यादातर भारतीयों को दिक्कत हो रही है। सरकार युवाओं को उनकी ख्वाहिशें पूरी करने में कैसे मदद करेगी?

लंबे समय तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों ने लोगों को बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित रखा, क्योंकि उन्हें पता था कि सुशासन देने से उनकी उम्मीदें बढ़ेंगी और उनके लिए काम बढ़ेगा। उनका रवैया ‘बेसिक मिनिमम’ था। कांग्रेस ने चुनाव जीतने के लिए न्यूनतम लोगों के लिए किए जाने वाले न्यूनतम काम की मात्रा को सावधानीपूर्वक निर्धारित किया। उन्होंने केवल वही वादा किया और उससे भी कम किया।

लेकिन हमने ‘बेसिक मिनिमम’ की इस यथास्थिति को तोड़ा है और '100 प्रतिशत सैचुरेशन मॉडल' देने पर काम किया है, जहां हर किसी को हर सरकारी योजना का लाभ मिलने की गारंटी होगी, चाहे वह बैंक खाते हों, शौचालय हों, नल का पानी हो या बिजली हो।

हमें पता था कि इससे और अधिक की उम्मीदें बढ़ेंगी और इन आकांक्षाओं को बढ़ावा देना हमारा घोषित इरादा था। मैं लोगों, खासकर युवाओं की बढ़ती आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को हमारे लोकतंत्र के लिए एक अच्छे संकेत के रूप में देखता हूं। इसके जरिए हम एक ऐसी राजनीतिक संस्कृति स्थापित कर रहे हैं, जहां लोगों द्वारा सुशासन की मांग एक अधिकार के रूप में की जाती है।

पहले दिन से ही, जहां हम बुनियादी जरूरतों को पूरा करने पर काम कर रहे थे, वहीं हम अपने युवाओं को सशक्त बनाने के लिए एक विस्तृत रोडमैप पर भी काम कर रहे थे।

भविष्य के लिए हमारा रोडमैप भी 4E दृष्टिकोण को शामिल करेगा। 4E का मतलब है Education, Entrepreneurship, Employment, and Emerging Sectors। जब शिक्षा की बात आती है, तो हम गुणवत्ता और मात्रा दोनों के मामले में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में, हमने हर दिन भारत में एक नया कॉलेज और हर हफ्ते एक नई यूनिवर्सिटी जोड़ी है। 2014 तक, भारत में 400 से भी कम मेडिकल कॉलेज थे। लेकिन आज इनकी संख्या लगभग 700 है। हमने देश में AIIMS की संख्या को लगभग तीन गुना कर दिया है। IIT, IIM, IIIT आदि की संख्या में भी भारी वृद्धि हुई है

वहीं, कुछ सप्ताह पहले ही क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में बताया गया था कि इस वर्ष भारतीय यूनिवर्सिटीज ने सभी G20 देशों के बीच परफॉरमेंस में सर्वाधिक सुधार किया है।

तो, हम देख रहे हैं कि मात्रा और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि हो रही है।

उद्यमिता के मामले में, चाहे यह MUDRA योजना हो या Startup India, हमारी योजनाएँ हमारे युवाओं के लिए मजबूत मंच स्थापित कर चुकी हैं।

MUDRA ने लगभग आठ करोड़ नए उद्यमियों को बनाया है। और हमने MUDRA योजना के ऋण आकार को दोगुना करने का वादा किया है। नई सरकार में यह हमारे युवाओं के सपनों को वित्तपोषण करने में बहुत आगे जाएगा।

हमारे पास पहले से लगभग एक लाख रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स हैं और यह संख्या भविष्य में बढ़ने जा रही है, क्योंकि और अधिक युवा इनोवेशन, निवेश और जानकारी के साथ अधिक परिचित हो रहे हैं।

हमारे देश में रोजगार की स्थिति; आत्मनिर्भरता या आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित कारण से क्रांति देख रही है।

एक मोबाइल आयातक से, हम मोबाइल के दूसरे सबसे बड़े निर्माता बन गए हैं। खिलौनों का आयात करने वाले देश से, हम एक ऐसे देश बन गए हैं जिसके खिलौने की निर्यात रिकॉर्ड संख्याओं में बढ़ गई है। हमारे रक्षा निर्यात पिछले 10 वर्षों में 20 गुना बढ़ गए हैं। हम विभिन्न क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग में विशाल वृद्धि भी देख रहे हैं।

आत्मनिर्भर औद्योगिक आधार की दिशा में इस प्रेरणादायक गति, जिसे हमने युवाओं को कौशल प्रदान करने के प्रयासों के साथ पूरा किया है, हमारी अर्थव्यवस्था को दुनिया के शीर्ष तीन में उठाने में एक महत्वपूर्ण कारक होगी।

इसके साथ ही, हमारा निरंतर ध्यान उभरते क्षेत्रों या सनराइज सेक्टरों पर है जो युवाओं के लिए नए अवसर खोलता है। सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष, एआई, गेमिंग, ग्रीन एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन, अंतरिक्ष, ड्रोन—बहुत से ऐसे क्षेत्र हमारे युवाओं के लिए खोले जा रहे हैं। ये नई नौकरी निर्माण की एक ताजा लहर लाएंगे। हम यह सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कसार नहीं छोड़ेंगे कि युवा भारत के सपने नए भारत में साकार हों।

आपकी सरकार की एक और विशिष्ट उपलब्धि महिलाओं के सशक्तिकरण के मामले में उसका रिकॉर्ड रहा है। अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण से ही आपकी सरकार ने महिलाओं को सम्मान और सशक्तीकरण प्रदान किया है। आप इस तरह के गहन परिवर्तन के सामाजिक प्रभाव को किस तरह देखते हैं?

पिछले कुछ सालों में देश की महिलाओं द्वारा किए जा रहे बदलावों की बात करते समय, मुझे अक्सर मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों की एक लखपति दीदी के साथ हुई बातचीत याद आती है। लखपति वे दीदी ग्रामीण महिलाएँ हैं जो स्वयं सहायता समूहों (SHG) में संगठित हैं, जहाँ वे सरकार से वित्तीय सहायता के साथ जमीनी स्तर पर उद्यम चलाने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करती हैं। यह पूरे भारत में बहुत सफल साबित हुआ है, जहाँ एक करोड़ महिलाएँ पहले ही लखपति दीदी बन चुकी हैं।

तो, जब मैं इस लखपति दीदी से बात कर रहा था, तो मैंने उनसे पूछा कि उनका जीवन कैसे बदल गया। उन्होंने कहा कि पहले उनके पति साइकिल से काम पर जाते थे। उन्हें अपने छोटे से उद्यम में सफलता मिली और उन्होंने उनके लिए एक स्कूटर खरीदा। फिर, एक उद्यमी के रूप में आय के स्रोत के रूप में, उन्होंने ऋण लिया और उनके लिए एक ट्रैक्टर खरीदा। वह ट्रैक्टर उनके लिए आय का स्रोत भी बन गया क्योंकि किसान उन्हें अपने ट्रैक्टर की सेवाओं के लिए बुलाने लगे। उन्होंने कहा कि वे ट्रैक्टर का ऋण चुकाने के कगार पर थे।

ऐसी योजनाओं से कई सामाजिक-आर्थिक समीकरण उलट-पुलट हो रहे हैं। कल्पना कीजिए कि जब मैं कहता हूं कि हम तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने के लिए काम करेंगे, तो ऐसे काम का कितना सामाजिक प्रभाव होगा।

महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास का हमारा दृष्टिकोण वह है जहाँ महिलाएँ दूसरों द्वारा सशक्त होने का इंतज़ार नहीं कर रही हैं, बल्कि खुद और दूसरों के सशक्तिकरण का नेतृत्व कर रही हैं। सरकार एक सक्षमकर्ता की भूमिका निभाएगी। यह सिर्फ़ एक उदाहरण था।

लेकिन चाहे जनधन खाते हों, शौचालय हों, नल का पानी हो, मुद्रा ऋण हों या उज्ज्वला एलपीजी कनेक्शन हों, हमारी ज़्यादातर प्रमुख योजनाओं में महिलाओं को केंद्र में रखा गया है। क्योंकि इन संसाधनों की कमी से सबसे ज़्यादा प्रभावित लोग महिलाएँ ही थीं। अब, सामाजिक और वित्तीय नेतृत्व के मार्ग पर महिलाओं का आंदोलन ऊपर की ओर बढ़ रहा है और ऐसा ही होता रहेगा।

आपकी सरकार इस मामले में अद्वितीय है कि इसने घरेलू और विदेशी नीतियों के बीच तालमेल बिठाने में सफलता प्राप्त की है। भू-राजनीति में बढ़ती अस्थिरता को देखते हुए आपकी सरकार यह कैसे सुनिश्चित करेगी कि यह कायम रहे?

घरेलू और विदेशी नीतियों के बीच इस तरह की समानता इसलिए देखने को मिलती है क्योंकि दोनों का मूल सिद्धांत एक ही है- राष्ट्र प्रथम। यह सिद्धांत हमारी सभी प्राथमिकताओं को निर्धारित करता है। इसलिए, जब हम घरेलू स्तर पर कोई कठोर निर्णय लेने के बारे में सोच रहे होते हैं, तो हमारा लिटमस टेस्ट राजनीतिक लागत-लाभ की गणना नहीं होता है, बल्कि यह होता है कि यह राष्ट्र के लिए अच्छा है या नहीं।

जब लोग देखते हैं कि हम राजनीति से ऊपर राष्ट्रीय हित को रख रहे हैं, तो हमारी नीति के लिए समर्थन व्यापक हो जाता है। लोगों का यह व्यापक समर्थन अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी हमारे लिए अच्छा है क्योंकि दुनिया जानती है कि भारत के नेतृत्व को 140 करोड़ लोगों का विश्वास है।

हमारे साथ काम करने वाले देश भी हमारी प्राथमिकताओं के बारे में स्पष्ट हैं। चाहे वह एनर्जी सिक्योरिटी,क्लाइमेट चेंज से निपटने, व्यापार, हमारी सीमाओं की सुरक्षा या संघर्ष क्षेत्रों से हमारे लोगों को बचाने के मामले में हो, दुनिया जानती है कि भारत अपने लोगों और दुनिया के कल्याण के लिए जो भी आवश्यक होगा, वह करेगा।

चाहे भू-राजनीति कितनी भी अस्थिर क्यों न हो, मेरा मानना है कि मानव-केंद्रित और सिद्धांत-आधारित दृष्टिकोण के लिए जगह है। हमने हाल ही में G20 समिट के दौरान भी इसे देखा, जब दुनिया भारत में एक साथ आई थी। प्रगति के हमारे मानव-केन्द्रित दृष्टिकोण को व्यापक वैश्विक समर्थन मिल रहा है और मुझे विश्वास है कि हम ऐसा करना जारी रखेंगे।

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आपने पिछले 10 सालों में महिलाओं जैसे उपेक्षित वर्गों को सशक्त बनाकर राजनीति को नया आयाम दिया है। इससे अधिकार की राजनीति कुंद हुई है। आने वाले सालों में आप क्या देखते हैं?

आपके सवाल का जवाब इसमें ही छिपा है। हम एक राष्ट्र के रूप में कैसे प्रगति कर सकते हैं, जब हमारी आधी से ज़्यादा आबादी को नज़रअंदाज़ किया गया और राष्ट्रीय विकास में योगदान देने के किसी भी अवसर से वंचित रखा गया।

इन 10 सालों में, हमने न सिर्फ़ महिलाओं, हाशिए पर पड़े और पिछड़े समुदायों को सशक्त बनाया है; बल्कि हमने उन्हें समृद्धि का केंद्र बिंदु बनाया है। पिछले 10 सालों में, हम सिर्फ़ महिला सशक्तिकरण या महिला विकास के पारंपरिक विचार से आगे बढ़कर महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के एक बहुत बड़े दृष्टिकोण की ओर बढ़ गए हैं।

हर वो व्यक्ति जिसने सरकारी योजना का लाभ उठाया है या उसे सशक्त बनाया है, उसने अपनी प्रगति का लाभ अपने आस-पास के लोगों को भी दिया है।

अगस्त 2023 तक, हमने 43 करोड़ से ज़्यादा मुद्रा लोन दिए हैं - जिनमें से लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं को दिए गए। इन लोन की वजह से आठ करोड़ नए व्यवसाय शुरू हुए; जैसे-जैसे ये व्यवसाय बढ़ेंगे, वैसे-वैसे इनसे रोज़गार पाने वाले और लाभान्वित होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ेगी। उस समय से अब तक हमने पांच करोड़ से अधिक मुद्रा ऋण उपलब्ध कराए हैं - तो आप कल्पना कर सकते हैं कि किस गति से यह समर्थन और सशक्तिकरण आगे बढ़ा है और हमारे अगले कार्यकाल में हमारा लक्ष्य इसे और भी आगे ले जाना है, तथा मुद्रा ऋणों की ऋण उपलब्धता को दोगुना करके 20 लाख रुपये तक करना है।

हमने अपनी नई संसद में ऐतिहासिक नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया है - और भविष्य में आप देखेंगे कि यह ऐतिहासिक विधेयक, जिसे विपक्ष टालता रहा, न केवल महिलाओं को जनप्रतिनिधि बनने के लिए सशक्त करेगा, बल्कि हमारी पूरी विधायिका को भी सशक्त करेगा।

इसी तरह, दो योजनाएं जिन्होंने लोगों के जीवन को व्यापक और समग्र रूप से बेहतर बनाया है, वे हैं पीएम आवास योजना (PMAY) और आयुष्मान भारत-PMJAY। पीएम आवास योजना के तहत बनाया गया हर घर सिर्फ चार दीवारें और छत नहीं है, यह आर्थिक गतिविधि का केंद्र है और आकांक्षाओं को उड़ान देने का एक रनवे है - इन घरों में से 70 प्रतिशत की रजिस्ट्री पर मेरी बहनों, मेरी माताओं या मेरी बेटियों में से किसी एक का नाम है।

इसी तरह, आयुष्मान भारत योजना के साथ हमने यह सुनिश्चित किया है कि गरीब परिवारों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए जो लाभ मिले हैं, उन्हें अपरिवर्तनीय बनाया जाए। आयुष्मान भारत के साथ, सात करोड़ परिवारों को अस्पताल में भर्ती होने और इलाज का खर्च वहन करने के लिए अपनी बचत, अपनी जमीन, अपने घर या अपने गहने गिरवी नहीं रखने पड़े। आप कल्पना कर सकते हैं कि इससे उनकी आकांक्षाओं को कितना बढ़ावा मिला है। अपने अगले कार्यकाल में, हम इन दोनों योजनाओं के दायरे और कवरेज का विस्तार कर रहे हैं।

कुल मिलाकर, यही हमारा लक्ष्य है, हम अपनी उपलब्धियों को परिणति के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि इसे एक ऐसे विकसित भारत की राह की शुरुआत के रूप में देखते हैं, जहाँ हमारे समाज का हर सदस्य, जाति, लिंग, रंग, धर्म या क्षेत्र की पहचान से परे, लाभार्थी और योगदानकर्ता है, जहाँ सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास हमारी प्रगति और समृद्धि का अभिन्न अंग है।

पिछले 10 सालों में आपने कुछ विशेषज्ञों द्वारा कहे जाने वाले "रेगुलेटरी कोलेस्ट्रॉल" के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है। आप लालफीताशाही के खिलाफ रहे हैं। लेकिन क्या आपको लगता है कि इस दिशा में पर्याप्त कदम उठाए गए हैं?

आज की दुनिया में, हर एक क्लास, कैफे और हर कोने में एक स्टार्टअप आइडिया पर चर्चा हो रही है। बागवानी और हथकरघा के इर्द-गिर्द कुछ नया करने की चाहत रखने वाले गांव से लेकर छात्रों के एक समूह तक, जो एआई और मशीन लर्निंग के साथ प्रयोग करना चाहते हैं, हमारे पास हर जगह महत्वाकांक्षी उद्यमी हैं। मैं नहीं चाहता कि ये महत्वाकांक्षी उद्यमी लालफीताशाही के बारे में चिंता करें। छोटे और बड़े व्यवसायों के लिए हर मिनट महत्वपूर्ण है, और इसलिए, अनावश्यक और प्रतिबंधात्मक नीतियों को खत्म करना महत्वपूर्ण था। 39,000 से ज्यादा बेकार की पाबंदियों और 1500 पुराने कानूनों को खत्म करके, या कारोबारी सुगमता के लिए जन विश्वास अधिनियम लाकर, हमने अड़चनों को दूर किया है और तेज़ तथा प्रभावी प्रशासन के लिए रफ्तार बढ़ा दी है।

नियमित प्रक्रियाओं में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) को इंटीग्रेटेड करके अत्यधिक लालफीताशाही को भी संबोधित किया गया है। चाहे वह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) हो या ऋण प्राप्त करने की सरल प्रक्रिया, मैं नहीं चाहता कि हमारे वेल्थ क्रिएटर्स, ब्यूरोक्रेटिक बाधाओं से जूझने में अपना कीमती समय बर्बाद करें।

जब मैंने 2014 में कार्यभार संभाला था, तो मेरा एक आदर्श वाक्य था ‘‘Minimum Government, Maximum Governance’। दस साल बाद, हमने इसे हासिल कर लिया है। क्या 2014 में कोई सोच सकता था कि 52 करोड़ नए बैंक खाताधारक बैंक गए बिना ही माइक्रो लोन प्राप्त कर सकते हैं?

माइक्रो से लेकर मैक्रो तक, कारोबारी सुगमता के मार्ग में लाल बत्ती अब हरी हो गई है।

केंद्र-राज्य संबंध हमेशा एक पेचीदा क्षेत्र रहा है - खासकर तब जब विपक्ष का एक वर्ग टकराव की राजनीति में विश्वास करता है। आप किस तरह से एकरूपता लाने और अर्थव्यवस्था को परेशानी पैदा करने वाले तत्वों से बचाने का प्रस्ताव रखते हैं?

विपक्ष का एक भी नैरेटिव, कानून की अदालत या लोगों की अदालत में स्वीकार नहीं किया गया है। उदाहरण के लिए, वंदे भारत ट्रेन, हवाई अड्डे या मेट्रो - यह स्पष्ट है कि उन्हें देश के हर हिस्से में शुरू किया गया है - उत्तर, दक्षिण, केंद्र, पूर्व और पश्चिम। इसी तरह, एक्सप्रेसवे, जनधन खाते, स्टार्टअप, मुद्रा और स्वनिधि ऋण, पीएमएवाई घर, पीएम-किसान भुगतान और कई रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करना - यह सब अखिल भारतीय स्तर पर हासिल किया गया है। कर हस्तांतरण, जिसे विपक्ष मुद्दा बनाने का प्रयास कर रहा था, सभी राज्यों में तेजी से बढ़ा है।

हमारी सरकार ने सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद पर एक नया अध्याय लिखा है। जीएसटी केंद्र-राज्य सहयोग का एक मॉडल है और इसकी सफलता बताती है कि हमने मिलकर क्या हासिल किया है। आकांक्षी जिला कार्यक्रम में केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर अच्छा तालमेल देखा गया है। हमने राज्य स्तर पर कारोबारी सुगमता को प्रोत्साहित किया है। कोविड-19 के दौरान, हमने अभूतपूर्व प्रयास किए और सभी राज्यों को साथ लिया। हमने राज्यों द्वारा किए गए सुधारों के आधार पर अतिरिक्त उधार लेने की भी अनुमति दी। हमने देखा कि सभी राज्यों और 100 से अधिक शहरों में G20 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

जहां तक अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखने का प्रश्न है, मेरा मानना है कि अगर मैं अपने लोगों को दुनिया भर की चुनौतियों से बचा सकता हूं, अगर मैं उन्हें सुरक्षा कवच प्रदान कर सकता हूं, तो मैं यह सुनिश्चित कर सकता हूं कि हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ती रहेगी और फलती-फूलती रहेगी।

मैं एक गरीब परिवार का बेटा हूं, मेरी पार्टी में किसान परिवार, मध्यम वर्गीय परिवार, गरीब परिवार से आने वाले लोग हैं। इसलिए हमारी सरकार ने सुनिश्चित किया है कि गरीब परिवारों से आने वाले, गरीबी से लड़ने वाले लोगों को मोदी की सुरक्षा मिलेगी, मोदी की गारंटी मिलेगी, उनके चारों ओर एक सुरक्षा कवच होगा।

जबकि दुनिया डबल डिजिट की महंगाई से जूझ रही थी, हमने सुनिश्चित किया कि भारत में महंगाई नियंत्रण में रहे। पिछले 10 वर्षों में, औसत मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत से कम रही है।

मैं कुछ उदाहरण भी दूंगा- आज, अगर आपको सबसे अच्छा इलाज चाहिए तो आप आयुष्मान भारत योजना के तहत कवर हैं; अगर आपको अच्छी दवाइयाँ चाहिए तो आप जन औषधि केंद्र से ले सकते हैं; अगर आपको अपने परिवार के लिए भोजन की चिंता है तो गरीब कल्याण अन्न योजना आपके लिए है; अगर आप किसान हैं और अपनी बुनियादी जरूरतों के बारे में चिंतित हैं, ऐसे समय में जब यूरिया की कीमत ₹3,000 को छू रही है, मेरे किसान भाई-बहन इसे ₹300 में प्राप्त कर रहे हैं।

पिछले 10 वर्षों से और भविष्य में भी, ‘भारत पहले, भारतीय पहले, भारतीय हित पहले’, का हमारा विजन जारी रहेगा। भारतीयों के चारों ओर यह सुरक्षा कवच- जारी रहेगा; यही हमारी पहली और सबसे बड़ी प्राथमिकता है

बाजार को पटरी से उतारने की कोशिशों के बावजूद बाजार मजबूत बना हुआ है। क्या इसका कारण नीतिगत निरंतरता में विश्वास है - दूसरे शब्दों में, प्रधानमंत्री के रूप में आपका बने रहना?

मुझे पता चला कि इस सप्ताह की शुरुआत में बाजार अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर थे। स्पष्ट रूप से, वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर इस ऊपर की ओर बढ़ने की प्रवृत्ति को कई फैक्टर चला रहे हैं। यदि आप किसी भी समय, वैश्विक स्तर पर और न केवल भारत में, बाजारों को देखें, तो आप पाएंगे कि निवेशक भावना को प्रभावित करने वाले कारक, संस्थागत या व्यक्तिगत, काफी हद तक समान हैं। व्यवसाय; नीति निरंतरता पसंद करते हैं जो केवल राजनीतिक स्थिरता से आती है और वह स्थिरता केवल बहुमत वाली सरकार से आती है।

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर हर साल एक नया प्रधानमंत्री होता, तो बाजार की क्या प्रतिक्रिया होती? हमारे पास पहले भी गठबंधन रहे हैं, लेकिन हमारे विपक्ष द्वारा प्रस्तावित गठबंधन जितना विखंडित कोई नहीं था। यह गठबंधन स्पष्टता या दृढ़ विश्वास के बारे में नहीं है, बल्कि अराजकता और भ्रम के बारे में है।

बाजार ने हमारे 10 वर्षों में सेंसेक्स पर 25000 से 75000 तक का सफर तय किया है। बाजारों ने देखा है कि हमारी सरकार एक रिफॉर्म ओरिएंटेड सरकार है और इसने रिटेल इंवेस्टर्स की भागीदारी में भी काफी सुधार किया है।

हमारी सरकार हमेशा से ही धन और रोजगार सृजन का जश्न मनाती रही है। किसी गांव में छोटा-मोटा व्यवसाय चलाने वाली महिला से लेकर हजारों लोगों को रोजगार देने वाली कंपनी तक, हमारी नीतियां उद्यमियों को सशक्त बनाने के बारे में हैं।

जनधन योजना से लेकर डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क तक, हमने लोगों के लिए जो भी कल्याणकारी कार्यक्रम या नीतिगत पहल की, उसका उद्देश्य उन्हें देश की प्रगति में आर्थिक हितधारक बनने में सक्षम बनाना था।

हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार हैं। बाजारों में आप जो आत्मविश्वास देखते हैं, वह लोगों की धारणा और विकसित राष्ट्र के लिए उनका जनादेश है।

हमने 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला है और हमने पिछले 10 वर्षों में 100 करोड़ लोगों को सशक्त बनाया है, और अगले 10 वर्षों में, ये सशक्त परिवार, भारत की विकास गाथा का नेतृत्व करने जा रहे हैं। ये लोग नए वेल्थ और जॉब क्रिएटर्स बनने जा रहे हैं।

बाजारों में आप जो मजबूत उछाल देख रहे हैं, वह आने वाले समय का प्रमाण है। अब कोई भी भारत की विकास गाथा को पटरी से नहीं उतार सकता। पश्चिम के कई सीईओ पहले ही कह रहे हैं कि आगे बढ़ते हुए आप भारत को नजरअंदाज नहीं कर सकते। अगर वे भारत और उसके तयशुदा विकास को नजरअंदाज नहीं कर सकते, तो आपको क्या लगता है कि हमारी वित्तीय राजधानी के बाजार कैसे कर सकते हैं?

बैंकिंग एक ऐसा क्षेत्र था जिस पर यूपीए के शासनकाल में सबसे ज्यादा मार पड़ी। सरकार इस समस्या से कैसे निपट पाई?

यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है, और मुझे खुशी है कि आपने मुझसे इस बारे में पूछा। जब हमने 2014 में कार्यभार संभाला, तो हमें विरासत में वह मिला जिसे 'ट्विन बैलेंस शीट समस्या' के रूप में वर्णित किया गया है। इस समस्या की उत्पत्ति कुछ कॉर्पोरेशन के लिए अत्यधिक ऋण वृद्धि में थी। जैसा कि आप जानते होंगे, इनमें से कई कॉर्पोरेशन के प्रोजेक्ट्स नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) के रूप में समाप्त हो गईं। पिछली सरकार द्वारा कुछ कॉर्पोरेशन के लिए तरजीही व्यवहार ने एनपीए की महामारी पैदा की। यह फोन-बैंकिंग का युग था।

2014 में, बैंकों के पास एक गंभीर समस्या थी। उनकी बैलेंस शीट पर NPA थे, जिनसे वे छुटकारा नहीं पा सकते थे, और इस वजह से वे छोटे व्यवसायों और महत्वाकांक्षी उद्यमियों को ऋण देने में असमर्थ थे। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) हर साल घाटे में चल रहे थे। हमारा बैंकिंग सिस्टम क्रेडिट डेडलॉक में थे। यही वह गड़बड़ी थी जो कांग्रेस ने पीछे छोड़ी थी।

हमने मौजूदा और संभावित NPA को पहचानने के लिए नए सुधार पेश किए, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (2016) के माध्यम से ऐसे कानून बनाए जो घाटे में चल रहे किसी बिजनेस के लिए आसान एग्जिट सुनिश्चित करते हैं, क्योंकि इससे लेनदारों को भी लाभ होगा।

70 वर्षों से किसी भी सरकार ने इस तरह के सुधारों पर काम नहीं किया था, लेकिन हमारे लिए यह प्राथमिकता थी, क्योंकि कांग्रेस के विपरीत, हम पूरी बैंकिंग प्रणाली को जोखिम में नहीं छोड़ सकते थे।

दस साल बाद, वित्त वर्ष 24 में बैंक का मुनाफा 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। अब कोई क्रेडिट डेडलॉक नहीं है और SHG में काम करने वाली महिला से लेकर उद्यमी तक, हर कोई अपनी पात्रता के अनुसार ऋण प्राप्त कर सकता है।

भले ही कुछ अर्थशास्त्रियों ने भविष्यवाणी की थी कि हमारा मुद्रा ऋण कार्यक्रम अगले NPA संकट की शुरुआत करेगा, NPA अनुपात बहुत कम है, जबकि 22.5 लाख करोड़ रुपये के 43 करोड़ से अधिक ऋण दिए गए हैं।

बात यहीं तक सीमित नहीं है। DPI की वजह से वित्तीय समावेशन अब हर घर के लिए बिना किसी कागजी कार्रवाई के व्यक्तिगत बैंकिंग को संभव बना रहा है।

जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) की नींव पर, अब हमारे पास अकाउंट एग्रीगेटर (AA) फ्रेमवर्क है जो लोगों को अपने घर बैठे कई तरह के क्रेडिट विकल्पों तक पहुंचने और मिनटों में क्रेडिट प्राप्त करने में सक्षम बना रहा है।

कांग्रेस NPA संकट में फंस गई क्योंकि उनका ध्यान कुछ कंपनियों तक सीमित था, लेकिन हमारी प्राथमिकता समावेशी विकास थी और यह हमारे सत्ता में रहने के एक दशक बाद बैंकिंग सिस्टम की मौजूदा स्थिति में दिखाई देता है।

आपके प्रतिद्वंद्वी, खास तौर पर गांधी परिवार के सदस्य, आपसे नाराज क्यों हैं?

मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे सकता। बेहतर है कि वे जवाब दें। उन्होंने मुझे परेशान करने के लिए क्या नहीं किया? और यह दो दशकों से भी ज़्यादा समय से चल रहा है।

मैं बस इतना कह सकता हूँ कि मेरा किसी के प्रति कोई द्वेष नहीं है।

भारत के लोगों ने मेरे साथ हुए अन्याय, दुर्व्यवहार, चरित्र हनन को देखा है और मुझे अभूतपूर्व स्नेह दिया है। मैं इसके लिए आभारी हूँ।

स्रोत: 'ओपन मैगजीन

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प्रधानमंत्री की सऊदी अरब की राजकीय यात्रा के समापन पर जॉइंट स्टेटमेंट
April 23, 2025

"ऐतिहासिक मित्रता; प्रगति के लिए साझेदारी"

क्राउन प्रिंस और सऊदी अरब साम्राज्य के प्रधानमंत्री महामहिम प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद के निमंत्रण पर भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 22 अप्रैल, 2025 को सऊदी अरब साम्राज्य का राजकीय दौरा किया।

यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सऊदी अरब साम्राज्य की तीसरी यात्रा थी। यह एचआरएच प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद, क्राउन प्रिंस और सऊदी अरब साम्राज्य के प्रधानमंत्री की सितंबर 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने और भारत-सऊदी अरब सामरिक साझेदारी परिषद की पहली बैठक की सह-अध्यक्षता करने की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के बाद हो रही है।

महामहिम प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद, क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री ने अल-सलाम पैलेस, जेद्दा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगवानी की। भारत और सऊदी अरब के बीच मजबूत संबंध हैं और दोनों देशों के लोगों के बीच घनिष्ठ संबंध हैं, जो विश्वास और सद्भावना से भरे हैं। दोनों पक्षों ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की ठोस नींव रक्षा, सुरक्षा, ऊर्जा, व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, कृषि, संस्कृति, स्वास्थ्य, शिक्षा और लोगों के बीच संबंधों सहित विविध क्षेत्रों को कवर करने वाली रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से और मजबूत हुई है। दोनों पक्षों ने आपसी हितों के मौजूदा क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री एचआरएच प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद को विश्व एक्सपो 2030 और फीफा विश्व कप 2034 के लिए सऊदी अरब की सफल बोली के लिए बधाई दी।

दोनों नेताओं ने भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के तरीकों पर रचनात्मक चर्चा की। दोनों नेताओं ने भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद (एसपीसी) की दूसरी बैठक की सह-अध्यक्षता भी की। दोनों पक्षों ने सितंबर 2023 में अपनी पिछली बैठक के बाद से रणनीतिक साझेदारी परिषद की प्रगति की समीक्षा की। दोनों नेताओं ने दो मंत्रिस्तरीय समितियों के काम के परिणामों (अ) राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग समिति और उनकी उप-समितियां और (ब) अर्थव्यवस्था और निवेश समिति और विभिन्न क्षेत्रों में उनके संयुक्त कार्य समूह पर संतोष व्यक्त किया। इस संदर्भ में, परिषद के सह-अध्यक्षों ने रक्षा सहयोग और पर्यटन और सांस्कृतिक सहयोग पर मंत्रिस्तरीय समितियों को जोड़कर रणनीतिक साझेदारी की गहराई को दर्शाते हुए रणनीतिक साझेदारी परिषद के चार मंत्रिस्तरीय समितियों तक विस्तार का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने विभिन्न मंत्रालयों की बड़ी संख्या में उच्च-स्तरीय यात्राओं की सराहना की, जिससे दोनों पक्षों में विश्वास और आपसी समझ बढ़ी है। बैठक के अंत में, दोनों नेताओं ने भारत-सऊदी अरब रणनीतिक भागीदारी परिषद की दूसरी बैठक के कार्यवृत्त पर हस्ताक्षर किए।

भारतीय पक्ष ने सऊदी अरब में रहने वाले लगभग 2.7 मिलियन भारतीय नागरिकों के निरंतर कल्याण के लिए सऊदी पक्ष की सराहना की, जो दोनों देशों के बीच मौजूद लोगों के बीच मजबूत संबंधों और अपार सद्भावना को दर्शाता है। भारतीय पक्ष ने 2024 में हज यात्रा को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए सऊदी अरब को बधाई दी और भारतीय हज और उमराह तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट समन्वय के लिए प्रशंसा भी की।

दोनों पक्षों ने हाल के वर्षों में भारत और सऊदी अरब के बीच आर्थिक संबंधों, व्यापार और निवेश संबंधों के विकास का स्वागत किया। भारतीय पक्ष ने विज़न 2030 के तहत लक्ष्यों पर हासिल की गई प्रगति के लिए सऊदी पक्ष को बधाई दी। सऊदी पक्ष ने भारत की निरंतर आर्थिक वृद्धि और 2047 तक विकसित भारत बनने के लक्ष्य की सराहना की। दोनों पक्ष अपने-अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने और साझा समृद्धि हासिल करने के लिए आपसी हितों के क्षेत्रों में मिलकर काम करने पर सहमत हुए।

दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच निवेश प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए 2024 में गठित उच्च स्तरीय टास्क फोर्स (एचएलटीएफ) के तहत चर्चाओं में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। ऊर्जा, पेट्रोकेमिकल्स, बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी, फिनटेक, डिजिटल बुनियादी ढांचे, दूरसंचार, फार्मास्यूटिकल्स, विनिर्माण और स्वास्थ्य सहित कई क्षेत्रों में भारत में निवेश करने के सऊदी अरब के प्रयास पर, यह नोट किया गया कि उच्च स्तरीय टास्क फोर्स ने कई क्षेत्रों में समझ बनाई है जो इस तरह के निवेश प्रवाह को तेजी से बढ़ावा देगी। उन्होंने दो रिफाइनरियों की स्थापना पर सहयोग करने के लिए उच्च स्तरीय टास्क फोर्स में हुए समझौते का उल्लेख किया। कराधान जैसे क्षेत्रों में इस टास्क फोर्स द्वारा की गई प्रगति भी भविष्य में अधिक सहयोग के लिए एक बड़ी सफलता थी। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय निवेश संधि पर बातचीत को जल्द से जल्द पूरा करने की अपनी इच्छा की पुष्टि की। भारतीय पक्ष ने पीआईएफ द्वारा निवेश सुविधा के लिए नोडल बिंदु के रूप में कार्य करने के लिए सार्वजनिक निवेश कोष (पीआईएफ) में इंडिया डेस्क के शुभारंभ की सराहना की। उन्होंने पाया कि उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का काम भारत और सऊदी अरब के बीच बढ़ती आर्थिक साझेदारी को रेखांकित करता है, जो आपसी आर्थिक विकास और सहयोगी निवेश पर केंद्रित है।

दोनों पक्षों ने अपनी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष निवेश साझेदारी को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने सितंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित सऊदी-भारत निवेश मंच के परिणामों और दोनों देशों के सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच इसके द्वारा प्राप्त सक्रिय सहयोग की सराहना की। उन्होंने सऊदी अरब में भारतीय कंपनियों द्वारा निवेश गतिविधियों के विस्तार की भी सराहना की और आपसी निवेश बढ़ाने में निजी क्षेत्र की भूमिका की सराहना की। दोनों पक्षों ने इन्वेस्ट इंडिया और सऊदी अरब के निवेश मंत्रालय के बीच द्विपक्षीय निवेश बढ़ाने पर सहयोग के ढांचे को सक्रिय करने की सराहना की। दोनों पक्ष स्टार्टअप इकोसिस्टम में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने की सुविधा देने पर सहमत हुए, जिससे आपसी विकास और नवाचार में योगदान मिलेगा।

ऊर्जा के क्षेत्र में, भारतीय पक्ष ने वैश्विक तेल बाजारों की स्थिरता बढ़ाने और वैश्विक ऊर्जा बाजार की गतिशीलता को संतुलित करने के लिए सऊदी अरब के साथ काम करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने वैश्विक बाजारों में सभी ऊर्जा स्रोतों के लिए आपूर्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। वे ऊर्जा क्षेत्र में कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के महत्व पर सहमत हुए, जिसमें कच्चे तेल और एलपीजी सहित इसके डेरिवेटिव की आपूर्ति, भारत के रणनीतिक रिजर्व कार्यक्रम में सहयोग, विनिर्माण और विशेष उद्योगों सहित रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाएं, हाइड्रोकार्बन, बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा के अभिनव उपयोग, जिसमें दोनों देशों के बीच विद्युत अंतर्संबंध के लिए विस्तृत संयुक्त अध्ययन पूरा करना, ग्रिड स्वचालन, ग्रिड कनेक्टिविटी, विद्युत ग्रिड सुरक्षा और लचीलापन, और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं और ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करना और अपनी परियोजनाओं को लागू करने में दोनों पक्षों की कंपनियों की भागीदारी बढ़ाना शामिल है।

दोनों पक्षों ने हरित/स्वच्छ हाइड्रोजन के क्षेत्र में सहयोग के महत्व पर जोर दिया, जिसमें मांग को प्रोत्साहित करना, हाइड्रोजन परिवहन और भंडारण प्रौद्योगिकियों का विकास करना, सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करने के लिए विशेषज्ञता और अनुभवों का आदान-प्रदान करना शामिल है। दोनों पक्षों ने ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी आपूर्ति श्रृंखलाओं और परियोजनाओं को विकसित करने, कंपनियों के बीच सहयोग को सक्षम बनाने, ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और इमारतों, उद्योग और परिवहन क्षेत्रों में ऊर्जा की खपत को तर्कसंगत बनाने और इसके महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर काम करने की आवश्यकता को भी स्वीकार किया।

जलवायु परिवर्तन के संबंध में, दोनों पक्षों ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन और पेरिस समझौते के सिद्धांतों का पालन करने के महत्व की पुष्टि की और स्रोतों के बजाय उत्सर्जन पर ध्यान केंद्रित करते हुए जलवायु समझौतों को विकसित और लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। भारतीय पक्ष ने सऊदी अरब द्वारा "सऊदी ग्रीन इनिशिएटिव" और "मिडिल ईस्ट ग्रीन इनिशिएटिव" की शुरूआत की सराहना की और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में उनके प्रयासों के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। दोनों पक्षों ने उत्सर्जन प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक उपकरण के रूप में सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था का उपयोग करने वाली नीतियों को बढ़ावा देकर सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था के अनुप्रयोगों को विकसित करने के लिए संयुक्त सहयोग के महत्व पर बल दिया। सऊदी अरब साम्राज्य ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, एक सूर्य-एक विश्व-एक ग्रिड, आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) और पर्यावरण के लिए मिशन लाइफस्टाइल (एलआईएफई) और वैश्विक हरित ऋण पहल जैसी अग्रणी पहलों के माध्यम से वैश्विक जलवायु कार्रवाई में भारत के योगदान की सराहना की।

दोनों पक्षों ने हाल के वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार में लगातार वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया, जिसमें भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है; और सऊदी अरब 2023-2024 में भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार होगा। दोनों पक्षों ने अपने द्विपक्षीय व्यापार में विविधता लाने के लिए सहयोग को और बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। इस संबंध में, दोनों पक्ष व्यापार और व्यापार प्रतिनिधिमंडलों की यात्राओं को बढ़ाने और व्यापार और निवेश कार्यक्रम आयोजित करने के महत्व पर सहमत हुए। दोनों पक्षों ने भारत-जीसीसी एफटीए पर बातचीत शुरू करने की अपनी इच्छा दोहराई।

दोनों पक्षों ने सामरिक भागीदारी के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में रक्षा संबंधों को गहरा करने की सराहना की, और सामरिक भागीदारी परिषद के तहत रक्षा सहयोग पर एक मंत्रिस्तरीय समिति के गठन का स्वागत किया। उन्होंने क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में पहली बार भूमि सेना अभ्यास सदा तनसीक, नौसेना अभ्यास अल मोहम्मद अल हिंदी के दो दौर, कई उच्च स्तरीय यात्राओं और प्रशिक्षण आदान-प्रदान जैसे कई 'पहली बार' सहित अपने संयुक्त रक्षा सहयोग की वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने सितंबर 2024 में रियाद में आयोजित रक्षा सहयोग पर संयुक्त समिति की छठी बैठक के परिणामों का स्वागत किया, जिसमें तीनों सेनाओं के बीच स्टाफ-स्तरीय वार्ता की शुरुआत का उल्लेख किया गया। दोनों पक्षों ने रक्षा उद्योग सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की।

सुरक्षा क्षेत्रों में प्राप्त निरंतर सहयोग को ध्यान में रखते हुए, दोनों पक्षों ने बेहतर सुरक्षा और स्थिरता के लिए इस सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने साइबर सुरक्षा, समुद्री सीमा सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय अपराध, नशीले पदार्थों और नशीली दवाओं की तस्करी से निपटने के क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाने के महत्व पर भी जोर दिया।

दोनों पक्षों ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। इस संदर्भ में, दोनों पक्षों ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में निंदा की और इस बात पर जोर दिया कि यह मानवता के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है। वे इस बात पर सहमत हुए कि किसी भी कारण से किसी भी आतंकी कृत्य का कोई औचित्य नहीं हो सकता। उन्होंने आतंकवाद को किसी विशेष जाति, धर्म या संस्कृति से जोड़ने के किसी भी प्रयास को खारिज कर दिया। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई और आतंकवाद के वित्तपोषण में दोनों पक्षों के बीच उत्कृष्ट सहयोग का स्वागत किया। उन्होंने सीमा पार आतंकवाद की निंदा की और सभी देशों से दूसरे देशों के खिलाफ़ आतंकवाद के इस्तेमाल को अस्वीकार करने, जहां भी आतंकवाद का बुनियादी ढांचा मौजूद है, उसे नष्ट करने और आतंकवाद के अपराधियों को तुरंत न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया। दोनों पक्षों ने दूसरे देशों के खिलाफ़ आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए मिसाइलों और ड्रोन सहित हथियारों तक पहुंच को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया।

दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में चल रहे सहयोग और वर्तमान तथा भविष्य के स्वास्थ्य जोखिमों तथा स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के प्रयासों पर चर्चा की। इस संदर्भ में, उन्होंने दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया। भारतीय पक्ष ने नवंबर 2024 में जेद्दा में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस पर चौथे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी करने के लिए सऊदी अरब साम्राज्य को बधाई दी। भारतीय पक्ष ने सऊदी अरब में भारतीय दवाओं के संदर्भ मूल्य निर्धारण और फास्ट ट्रैक पंजीकरण से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए सऊदी खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण द्वारा की गई पहलों का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने सऊदी खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के बीच चिकित्सा उत्पाद विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन को और पांच साल की अवधि के लिए बढ़ाए जाने का भी स्वागत किया।

दोनों पक्षों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा, सेमी-कंडक्टर आदि जैसे नए और उभरते क्षेत्रों सहित प्रौद्योगिकी में सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। डिजिटल शासन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, दोनों पक्ष इस क्षेत्र में सहयोग की संभावना तलाशने पर सहमत हुए। उन्होंने विनियामक और डिजिटल क्षेत्रों में सहयोग के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण और सऊदी अरब साम्राज्य के संचार, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी आयोग के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने पर भी संतोष व्यक्त किया।

दोनों पक्षों ने कहा कि इस यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित अंतरिक्ष सहयोग पर समझौता ज्ञापन अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिसमें प्रक्षेपण वाहनों, अंतरिक्ष यान, भू प्रणालियों का उपयोग; अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग; अनुसंधान और विकास; शैक्षणिक जुड़ाव और उद्यमिता शामिल हैं।

दोनों पक्षों ने विरासत, फिल्म, साहित्य और प्रदर्शन और दृश्य कला जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सक्रिय जुड़ाव के माध्यम से सऊदी अरब साम्राज्य और भारत गणराज्य के बीच सांस्कृतिक सहयोग के विकास पर ध्यान दिया। सामरिक भागीदारी परिषद के तहत पर्यटन और सांस्कृतिक सहयोग पर एक मंत्रिस्तरीय समिति का निर्माण इस साझेदारी को गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

दोनों पक्ष क्षमता निर्माण और सतत पर्यटन के माध्यम से पर्यटन में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए। उन्होंने मीडिया, मनोरंजन और खेल में विभिन्न अवसरों के विस्तार पर भी ध्यान दिया, जिसे दोनों देशों के बीच लोगों के बीच मजबूत संबंधों द्वारा समर्थित किया गया।

दोनों पक्षों ने उर्वरकों के व्यापार सहित कृषि और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे सहयोग की सराहना की। उन्होंने इस क्षेत्र में दीर्घकालिक रणनीतिक सहयोग के निर्माण हेतु आपूर्ति की सुरक्षा, आपसी निवेश और संयुक्त परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक समझौतों को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच शैक्षिक और वैज्ञानिक सहयोग में बढ़ती गति की सराहना की, नवाचार, क्षमता निर्माण और सतत विकास को बढ़ावा देने में इसके रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया। सऊदी पक्ष ने सऊदी अरब में अग्रणी भारतीय विश्वविद्यालयों की उपस्थिति के अवसरों का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने श्रम और मानव संसाधनों में सहयोग बढ़ाने और सहयोग के अवसरों की पहचान करने के महत्व पर भी जोर दिया।

दोनों पक्षों ने सितंबर 2023 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री एचआरएच प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद की भारत की राजकीय यात्रा के दौरान अन्य देशों के साथ भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के सिद्धांतों पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने को याद किया और गलियारे में परिकल्पित कनेक्टिविटी के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए मिलकर काम करने की आपसी प्रतिबद्धता व्यक्त की, जिसमें बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है जिसमें माल और सेवाओं के मार्ग को बढ़ाने और हितधारकों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने और डेटा कनेक्टिविटी और इलेक्ट्रिकल ग्रिड इंटरकनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए रेलवे और बंदरगाह संपर्क शामिल हैं। इस संबंध में, दोनों पक्षों ने अक्टूबर 2023 में हस्ताक्षरित विद्युत अंतर्संबंध, स्वच्छ/हरित हाइड्रोजन और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर समझौता ज्ञापन के तहत प्रगति का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच शिपिंग लाइनों में वृद्धि पर भी संतोष व्यक्त किया।

दोनों पक्षों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए जी20, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और मंचों में दोनों देशों के बीच सहयोग और समन्वय बढ़ाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने ऋण सेवा निलंबन पहल (डीएसएसआई) से परे ऋण उपचार के लिए सामान्य ढांचे के भीतर उनके बीच मौजूदा सहयोग की सराहना की, जिसका समर्थन रियाद शिखर सम्मेलन 2020 में जी20 नेताओं द्वारा किया गया था। उन्होंने पात्र देशों के ऋण को संबोधित करने के लिए आधिकारिक ऋणदाताओं (विकासशील देश ऋणदाताओं और पेरिस क्लब ऋणदाताओं) और निजी क्षेत्र के बीच समन्वय के लिए मुख्य और सबसे व्यापक मंच के रूप में सामान्य ढांचे के कार्यान्वयन को बढ़ाने के महत्व पर बल दिया।

दोनों पक्षों ने यमन में संकट के व्यापक राजनीतिक समाधान तक पहुंचने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रयासों के लिए अपने पूर्ण समर्थन की पुष्टि की। भारतीय पक्ष ने यमन के पक्षों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सऊदी अरब द्वारा की गई कई पहलों की सराहना की, तथा यमन के सभी क्षेत्रों में मानवीय सहायता की पहुंच प्रदान करने और उसे सुगम बनाने में इसकी भूमिका की भी सराहना की। सऊदी पक्ष ने यमन को मानवीय सहायता प्रदान करने में भारतीय प्रयास की भी सराहना की। दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के अनुरूप जलमार्गों की सुरक्षा और सुरक्षा तथा नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के तरीकों को बढ़ावा देने के लिए सहयोग के महत्व पर सहमति व्यक्त की।

यात्रा के दौरान निम्नलिखित समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए:

• अंतरिक्ष विभाग, भारत और सऊदी अंतरिक्ष एजेंसी के बीच शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए अंतरिक्ष गतिविधियों के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन।

• स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत गणराज्य और स्वास्थ्य मंत्रालय, सऊदी अरब साम्राज्य के बीच स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन।

• डाक विभाग, भारत और सऊदी पोस्ट कॉर्पोरेशन (एसपीएल) के बीच आवक विदेशी सतह पार्सल के लिए द्विपक्षीय समझौता।

• भारत की राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (एनएडीए), भारत और सऊदी अरब डोपिंग रोधी समिति (एसएएडीसी) के बीच डोपिंग रोधी और रोकथाम के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन।

दोनों पक्षों ने रणनीतिक भागीदारी परिषद की अगली बैठक आपसी सहमति से तय तिथि पर आयोजित करने पर सहमति जताई। दोनों देश अपने-अपने देशों में आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इसलिए उन्होंने यह भी निर्णय लिया कि वे विभिन्न क्षेत्रों में संचार, समन्वय और सहयोग जारी रखेंगे।

यात्रा के अंत में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने और अपने साथ आए प्रतिनिधिमंडल के गर्मजोशी भरे स्वागत और उदार आतिथ्य के लिए क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री महामहिम प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद को हार्दिक धन्यवाद कहा और उनकी प्रशंसा भी की। उन्होंने सऊदी अरब के मैत्रीपूर्ण लोगों की निरंतर प्रगति और समृद्धि के लिए अपनी शुभकामनाएं भी व्यक्त कीं। महामहिम ने भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और भारत के मैत्रीपूर्ण लोगों की प्रगति और समृद्धि के लिए अपनी हार्दिक शुभकामनाएं दीं।