एनडीटीवी - एनडीटीवी के दर्शकों का खास स्‍वागत है. ये बेहद खास, यानि बेहद खास मुलाकात भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ हम आपके लिए लेकर आ रहे हैं। सर, आपने व्यस्तता के बीच समय निकाला, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

पीएम नरेंद्र मोदी- नमस्कार संजय जी, और एनडीटीवी के दर्शकों को भी मेरा नमस्कार।


एनडीटीवी- अब हम छह चैनल और 7 डिजिटल प्‍लेफॉर्म के एक बड़े नेटवर्क हो गए हैं। अभी-अभी हमने एनडीटीवी मराठी भी लॉन्‍च किया है और एक बिजनेस चैनल भी है, बाकि तो सब पता ही है आपको। एक नए नेटवर्क के रूप में हम इमर्ज हो रहे हैं। और हमको लगता है कि आपने जितनी भी बातें कहीं हैं, उसका आज एक निचोड़ निकालने का आज इस चर्चा में हम प्रयास करें, तो मेरा पहला सवाल आपसे ये होगा, आपने दो वाक्यों का प्रयोग किया, एक अयोध्या में कि अब एक हजार साल की बुनियाद रखी जा रही है और 100 साल का एजेंडा बन रहा है, जो मोदी युग के तीसरे अध्याय में जिसकी झलक मिलेगी। 2047 की बात तो आप करते ही हैं। गवर्नेंस में आपका इस बार सबसे बड़ा फोकस क्या होने जा रहा है?

पीएम नरेंद्र मोदी : आपने देखा होगा कि, मैं टुकड़ों में नहीं सोचता हूं और मेरा बड़ा कॉप्रिहेन्सिव और इंटिग्रेटिड अप्रोच होता है। दूसरा, सिर्फ मीडिया अटेंशन के लिए काम करना, ये मेरी आदत में नहीं है। और मुझे लगा कि किसी भी देश के जीवन में कुछ टर्निंग पॉइंट्स आते हैं। अगर उसको हम पकड़ लें तो बहुत बड़ा फायदा होता है। व्यक्ति के जीवन में भी जैसे जन्मदिन आया है, तो हम मनाते हैं, क्योंकि उत्साह बढ़ जाता है। नई चीज बन जाती है। वैसे ही जब आजादी के 75 साल हम मना रहे थे, तब मेरे मन में वो सेवेंटी फिफ्थ इयर तक सीमित नहीं था, मेरे मन में सौ साल थे। आजादी के सौ साल थे। मैं किसी भी इंस्टीट्यूट में गया, सबको कहा कि बाकी सब ठीक है। आप अपना, जब देश सौ साल का होगा, तब आप क्या करेंगे? आपकी संसद को कहां ले जाएंगे? अब जैसे, अभी 90 साल का एक कार्यक्रम था, RBI में गया। मैंने कहा ठीक है आरबीआई सौ साल का होगा, तब क्या करेंगे? और देश जब 100 साल का होगा, तब आप क्या करेंगे? देश मतलब आजादी के 100 साल। तो इस प्रकार से तो मेरा रहता है। हमने आगामी 25 साल को ध्यान में रखते हुए, 2047 को ध्यान में रखते हुए काफी मंथन किया। लाखों लोगों से हमने इनपुट लिए शायद, मैं सोचता हूं कि 15-20 लाख तो यूथ की तरफ से मेरे पास सुझाव आए। और एक जिसको कहें एक मंथन, एक महामंथन हुआ। बहुत बड़ी एक्साइज हुई है। और उसमें से और कुछ तो अफसर तो रिटायर भी हो गए हैं, जो एक्साइज में थे, इतने लंबे समय से मैं इस काम को कर रहा हूं। मंत्रियों, सचिवों, एक्सपर्ट्स सबके सुझाव हमने लिए हैं और हमारे, इसको भी बांटा है। 25 साल, फिर पांच साल, एक साल, 100 दिन, इन स्टेजवाइज मैंने उसका पूरा खाका तैयार किया है। चीजें जुड़ेंगी इसमें। हो सकता है एक-आधी चीज छोड़नी भी पड़े। लेकिन मोटा-मोटा हमारे पास पता है कैसे करना है। हमने इसमें अभी 25 दिन और जोड़े हैं। मैंने देखा कि यूथ बहुत उत्साहित है, और जो उमंग होता है, अगर उसको चैनलाइज कर देते हैं, तो एक्स्ट्रा बेनिफिट मिल जाता है। और इसलिए मैं 100 दिन प्लस 25 दिन यानी 125 दिन एक काम करना चाहता हूं। जैसे हमने माई भारत लॉन्च किया है। आने वाले दिनों में मैं 'माई भारत' के जरिए कैसे देश के युवा को जोड़ूं। देश की युवाशक्ति को बड़े सपने देखने की आदत डालूं। युवाओं को बड़े सपने साकार करने की उनकी हैबिट में चेंज कैसे लाऊं। उस पर मैं फोकस करना चाहता हूं। और मैं मानता हूं कि इन सारे प्रयासों का परिणाम होगा। और विरासत और विकास दोनों को जोड़कर मैं चलता हूं। तब मैंने लालकिले से भी कहा था और आज मैं दोबारा कह रहा हूं कि अब देश, कुछ ऐसी घटनाएं घटीं, जिसने हजार साल तक हमको बड़ी विचलित अवस्था में जीने को मजबूर कर दिया। अब वो घटनाएं घट रही हैं, जो हमें हजार साल के लिए उज्ज्वल भविष्य की तरफ ले जा रही हैं। तो मेरे मन में साफ है कि यह समय हमारा है। यह भारत का समय है और अब हमने मौका छोड़ना नहीं चाहिए।


एनडीटीवी : आपने बिल्कुल ठीक कहा। इसके लिए आपके जो बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं, उसमें एक जो बड़ी चीज जो उभरकर कर आई, वो था इंफ्रास्ट्रक्टर पर काम। सड़क, पुल, हाइवे 60 पर्सेंट से ज्यादा बन गए। एयरपोर्ट डबल हो गए। लोग बहुत ट्रैवल कर रहे हैं। दरअसल, इतनी तेजी से सब बना, उसके बाद ये भी छोटे पड़ रहे हैं। तो आप इसे इंक्रिमेंटल ग्रोथ देखते हैं, या फिर एक नया फोकस आपके मन में है?

पीएम नरेंद्र मोदी : एक तो आजादी के बाद लोग तुलना करते हैं कि भई हमारे साथ जो आजाद हुए देश, वे इतने आगे निकल गए, हम क्यों नहीं निकले? दूसरा, हमने पावरटी को वर्चू बना लिया है, ठीक है यार चलता है, क्या है। एक बड़ा सोचना, दूर का सोचना, यह शायद गुलामी के दबाव में कहो या फिर कहो कि भारत के लोगों का मन ही नहीं है इसी मिजाज में हम चलते रहें। और मैं मानता हूं कि इंफ्रास्ट्रक्चर का दुरुपयोग हमारे देश में बहुत हुआ। इंफ्रास्ट्रक्चर का मतलब पहले यह होता था कि जितना बड़ा प्रोजेक्ट, उतनी ज्यादा मलाई, तो यह मलाई फैक्टर से इंफ्रास्ट्रक्चर जुड़ गया था। उसके कारण देश तबाह हो गया। और मैंने देखा कि सालों तक इंफ्रास्ट्रकर या तो कागज पर है, या तो वहां पत्थर लगा हुआ है, शिलान्यास हुआ है। जब मैं यहां आया तो मैंने प्रगति नाम का मेरा एक रेग्युलर प्रोजक्ट है। मैं रिव्यू करने लगा और रिव्यू कर-करके मैंने उसको गति दी। कुछ हमारा माइंडसेट है। हमारी ब्यूरोक्रेसी है। सरदार साहब ने कुछ कोशिश की थी, अगर वह लंबे समय रहते तो हमारी सरकारी व्यवस्थाओं की जो मूलभूत खाका होता है, उसमें बदलाव आता। वह नहीं आया। ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट यानि गवर्नमेंट अफसरों का ट्रेनिंग का होगा। सरकारी अफसर को पता होना चाहिए, कि आखिर उसकी लाइफ का पर्पज क्या है? उसका ये तो नहीं है कि मेरा प्रमोशन कब होगा और अच्छा डिपार्टमेंट मुझे कब मिलेगा, वह यहां सीमित नहीं हो सकता है, तो ह्यूमन रिसोर्स के डेवलपमेंट के लिए फिर टेक्नोलॉजी गवर्ममेंट में हम कैसे लाऐं। इस पर हमारा काम है। तो एक प्रकार से इंफ्रास्ट्रकचर में भी, फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्टर, सोशल इंफ्रास्ट्रकर, टेक्नोलॉजिकल सारा इंफ्रास्ट्रक्चर। अब इंफ्रास्ट्रक्चर के इन तीन स्टेप में भी एक और बात है मेरे मन में, एक तो स्कोप बहुत बड़ा होना चाहिए। टुकड़ों में नहीं होना चाहिए। दूसरा स्केल बहुत बड़ा होना चाहिए और स्पीड भी उसके अनुसार होनी चाहिए। यानी स्कोप, स्केल एण्ड स्पीड और उसके साथ स्किल होनी चाहिए। ये चारों चीजें अगर हम मिला लेते हैं, मैं समझता हूं हम बहुत कुछ अचीव कर लेते हैं। और मेरी कोशिश यही होती है कि स्किल भी हो, स्केल भी हो और स्पीड भी हो, और कोई स्कोप जाने नहीं देना चाहिए। यह मेरा कोशिश रहता है। और हमने देखिए कैबिनेट के निर्णय, पहले भी कैबिनेट के नोट बनते-बनते तीन महीने लग जाते थे। मैंने कहा मुझे बताइए, कहां रुकता है, धीरे-धीरे करके मैं करीब 30 दिन ले आया। हो सकता है कि मैं आने वाले दिनों में और कम कर दूंगा। यानि मुझे स्पीड का मतलब यह नहीं है कि कंस्ट्रक्शन की स्पीड बढ़े। निर्णय प्रक्रियाओं में भी गति आनी चाहिए। इसलिए हर चीज की तरफ मैं ध्यान केंद्रित करता हूं। एक आपको ध्यान होगा, बहुत कम लोगों का है और मानता हूं कि कभी आप एक प्रोग्राम कर सकते हैं टीवी पर गतिशक्ति। जैसे दुनिया में हमारे डिजिटल इंफ्रास्ट्रकर की चर्चा होती है, लेकिन गतिशक्ति की उतनी चर्चा नहीं है। टेक्नोलॉजी का एक अदभुत उपयोग, स्पेस टेक्नोलॉजी का अद्भुत उपयोग और पूरे भारत में कहीं पर भी कोई इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रोजेक्ट करना है। लॉजिस्टिक्स खर्च को कम करना है, लॉजिस्टिक्स सपोर्ट बढ़ाना है, गतिशक्ति एक ऐसा प्लेटफॉर्म है। मैंने देखा जब मैंने पहली बार इसे लॉन्च किया तो राज्यों के चीफ सेक्रेटरी इतने खुश हो गए कि भाई आप हमारे गतिशक्ति प्लेटफॉर्म पर जो डेटा है, उसकी 1600 लेयर्स हैं। आप कोई भी चीज डालोगे, 1600 लेयर्स में से वेरिफाई होकर आता है कि यहां कर सकते हैं, नहीं कर सकते हैं। यह अपने-आप में एक बड़ी यूनिक चीज है जी। हमें इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग में बड़ी सुविधा रहती है। मुझे लगता है हम बड़ी गति से आगे बढ़े हैं। अब यूपीआई, फिनटेक की दुनिया में आज दुनिया में यह बहुत बड़ा काम हुआ है। मैं तो प्रगति में यह करता हूं कि इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती के लिए, करीब, मैं समझता हूं टेन प्लस, करीब 11 या 12 लाख करोड़ रुपया, जो पहले कभी डेढ़ लाख करोड़-दो लाख करोड़ रुपया रहता था, इतना बड़ा जंप। अब रेलवे में भी, आधुनिक रेलवे बनाने की दिशा में काम हो रहा है। इतना ही नहीं जी, हमने अनमैन क्रॉसिंग, उस समस्या को पूरी तरह से जीरो कर दिया है जी। यानि एक प्रकार से अब रेलवे स्टेशन की सफाई देखिए, हर चीज एक में बारीकी से ध्यान दिया गया है। हमने इलेक्ट्रिफिकेशन पर बल दिया। करीब-करीब 100 पर्सेंट इलेक्ट्रिफिकेशन पर हम चले गए हैं। हम रेलवे ट्रैक का उपयोग, आपको खुशी होगी। पहले हमारे यहां गुड्स ट्रेन थी या पैसेंजर ट्रेन थी। मैंने उसमें यात्री ट्रेन की परंपरा शुरू की। जैसे रामायण सर्किट की ट्रेन चलती है, एक बार पैसेंजर अंदर गया। पूरी 18-20 दिन की यात्रा पूरी करके, सारी सुविधाएं लेकर वह यात्रा पूरी करता है। सीनियर सीटिजन्स के लिए बहुत बड़ा काम हुआ है। वैसा जैन तीर्थ क्षेत्रों की यात्रा चल रही है। द्वादश ज्योर्तिर्लिंग की चल रही है। बुद्ध सर्किट की चल रही है। यानी इंफ्रास्ट्रकर को बनाकर छोड़ देने से बात नहीं बनती है। हमने उसका ऑप्टिमम यूटिलाइजेशन का प्लान साथ-साथ करना चाहिए। और उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।


एनडीटीवी : बहुत बढ़िया, आपने जो जिक्र किया, उससे जो मुझे समझ आया कि जो हेडलाइन है वह यह है कि ब्यूरोक्रेसी में आपने बहुत परिवर्तन आलरेडी किए हैं। आपने सरदार पटेल का भी हवाला दिया तो मुझे लगता है कि इन सारे कामों को अंजाम देने में गवर्नेंस स्ट्रक्टर में ब्यूरोक्रेटिक चेंजेज बड़े पैमाने पर आप करने जा रहे हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी : पहली बात यह है कि एक तो ट्रेनिंग सबसे बड़ी चीज है। रिक्रूटमेंट प्रोसेस बहुत बड़ी चीज है। और मैंने इस पर बड़ा बल दिया है। ट्रेनिंग इंस्टिट्यूशन्स को हमने पूरी तरह से बदल दिया है। टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग हर लेवल पर उस दिशा में हम बदल दे रहे हैं। अब रिक्रूटमेंट में भी मैंने लोअर लेवल के जो इंटरव्यू थे, सब खत्म कर दिए हैं। वह भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया था। गरीब आदमी को लूटा जाता था। मेरिट के आधार पर कम्प्यूटर तय करता है कि उसको नौकरी दे दो। समय भी बच जाता है। हो सकता है उसमें दो-तीन पर्सेंट ऐसे लोग भी आ जाएंगे, जो न होते तो अच्छा होता। लेकिन बेईमानी से तो 15 पर्सेंट लोग आ जाते। अच्छा है भाई चलो इसको हम दूसरी बात, आजकल मेरी कैबिनेट में बड़ी महत्वपूर्ण परंपरा चली है। अब पार्लियामेंट का कोई बिल आता है, तो ग्लोबल स्टैंडर्ड की एक नोट साथ में आती है। दुनिया में उस फील्ड में कौन-सा देश सबसे अच्छा कर रहा है। उसके कानून नियम क्या हैं। हमें वह अचीव करना है तो हमें यह कैसा करना चाहिए। यानी अब हमारे हर कैबिनेट नोट ग्लोबल स्टैंडर्ड से मैच करके लाना होता है। और उसके कारण मेरी ब्यूरोक्रेसी की आदत हो गई है कि भाई बातें करने से नहीं बनता है कि हम दुनिया में बढ़िया है। दुनिया में बढ़िया क्या है बताओ, हम उससे कितना दूर हैं। वहां जाने का हमारा रास्ता क्या है। अब जैसे हमारे यहां करीब 1300 आइलैंड्स हैं जी। आप हैरान हो जाएंगे जब मैंने आकर पूछा, हमारे पास कोई रेकॉर्ड नहीं था। सर्वे नहीं था। मैंने स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग करके भारत के पास जितने आइलैंड्स हैं, उसका सर्वे किया है। कुछ आइलैंड तो करीब-करीब सिंगापुर के साइज के हैं। इसका मतलब भारत के लिए नए सिंगापुर बनाना मुश्किल काम नहीं हैं। अगर हम लग जाएं तो, हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यानि ब्यूरोक्रैसी में चेंज, डिसिजन मेंकिंग में चेंज, बड़ी योजनाओं को अंजाम देना, उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।


एनडीटीवी : यह आपने इंस्ट्रेस्टिंग जिक्र किया, सिंगापुर का उदाहरण देकर, तो फिर यह अनुमान लगाना गलत नहीं होगा कि इस बार जब हम लोग इंफ्रास्ट्रक्चल डेवलपमेंट की बात कर रहे हैं, तो कुछ ऐसी चीजें हो जाएंगी। बहुत जल्दी, जो शायद हमारी सामूहिक सोच अभी सोच भी नहीं पा रही है?

पीएम नरेंद्र मोदी : बहुत कुछ होगा जी। अब जैसे डिजिटल ऐंबैसी की कल्पना है। हम काफी मात्रा में उसको प्रमोट कर रहे हैं। आपने जो डिजिटल क्रांति भारत में देख रहे है, शायद मैं समझता हूं कि गरीब को एम्पावरमेंट का सबसे बड़ा साधन, एक डिजिटल रिवॉल्यूशन है। असामनता कम करने में डिजिटल रिवॉल्यूशन बहुत बड़ी मदद करेगा। मैं समझता हूं कि एआई, आज दुनिया यह मानती थी, मानना शुरू की है कि एआई में भारत पूरी दुनिया को लीड करेगा। और हमारे पास उस प्रकार के टैलेंट हैं, यूथ है, बहुत कुछ कर सकता है। दूसरा भारत के पास विविधता है, हमारे डेटा की ताकत बहुत है जी। दूसरा, आपने देखा होगा कि मैं अभी कंटेंट क्रिएटर्स को मिला था। गेमिंग वालों को मिला। उन्होंने एक बात आश्चर्यजनक कही। मैंने कहा कि भाई क्या कारण है कि यह इतना फैल रहा है। बोले साहब, डेटा बहुत सस्ता है। बोले दुनिया में डेटा इतना महंगा है। बोले मैं दुनिया की गेमिंग कॉम्पिटिशन में जाता हूं, इतना महंगा पड़ता है। भारत में जब बाहर के लोग आते हैं उनको आश्चर्य होता हैं कि अरे इतने में, इसके कारण भारत में एक नया क्षेत्र खुल रहा है जी। आज ऑनलाइन सब चीज एक्सेस है। कॉमन सर्विस सेंटर साहब करीब 5 लाख से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर यानि एक प्रकार हर गांव में एक, और बड़े गांव में दो दो, तीन तीन कॉमन सर्विस सेंटर हैं। और कॉमन सर्विस सेंटर में आज सामान्य आदमी भी उसको रेलवे रिजर्वेशन कराना है तो अपने गांव में ही कॉमन सर्विस सेंटर से करा लेता है। ये जो सिटिजन सेंट्रिंक, ये जो व्यवस्थाएं हुई हैं, इसका बहुत प्रभाव है। मैं कभी-कभी गर्वनेंस में मेरा अपना एक फिलॉसफी है। मैं उसको कहता हूं 'P2G2'. मैं कहता हूं, प्रो पीपुल गुड गवर्नेंस-'P2G2'। तो ये जब हम करते हैं। मुझे याद है जब मैं न्यूयॉर्क में प्रोफेसर पॉल रॉमर्स से मिला था, वो नोबेल प्राइज विनर हैं और काफी बातें हुईं। उनके साथ डिजिटल पर, तो वह मुझे सुझाव दे रहे थे कि डॉक्युमेंट रखने वाले सॉफ्टवेयर की जरूरत है। जब मैंने उनको कहा कि मेरे देश में डिजी लॉकर है और जब मैंने मोबाइल फोन पर सारी चीजें बताईं, तो इतने वे उत्साहित हो गए। यानि दुनिया जो सोचती है, उससे भी कई कदम हम डिजिटल की दुनिया में आगे बढ़ चुके हैं। आपने जी20 में भी देखा होगा भारत के डिजिटल रिवॉल्यूशन से पूरी दुनिया G20 के अंदर एक चर्चा थी कि जरा हमें इसका मॉडल हमें दीजिए। तो काफी हम कर रहे हैं।


एनडीटीवी : यह बिल्कुल सही कहा आपने, डिजिटल में जो पब्लिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर भारत ने बनाया है, वह दुनिया भर के देश आपसे कॉपी करके लेना चाह रहे हैं। और एक खुद का अनुभव बताऊं, आजकल दस में से 9 लोग जो छोटे रोजगार वाले हैं, उनको आप कैश देना चाहो तो 10 में से 9 लोग मना करते हैं कि कैश नहीं लेंगे, यह बड़ा परिवर्तन है।

पीएम नरेंद्र मोदीः देखिए, ये रेहड़ी-पटरी वाले लोग हैं। उनको बैंक वाले पैसा नहीं देते थे। ये मेरा डिजिटल इंफ्रास्ट्रकर का फायदा हुआ कि रेहड़ी-पटरी वालों को बैंक से लोन मिला। उनका पैसा शाम को ही जमा हो जाता है। हर रेहड़ी-पटरी वाले के यहां आपको QR कोड मिलेगा। उसको मालूम है कि मैं इसका उपयोग और उसको विश्वास है। और अच्छा वे पढ़े-लिखे नहीं थे, वायस से मैसेजिंग आता है तो उसके कारण उसको पता है कि मेरा पैसा जमा हो गया, तो उसको यानि व्यवस्था पर विश्वास भी बढ़ा है उसका।


एनडीटीवी : एक चीज और, आपके जो ग्रोथ के विकास के टारगेट हैं उसमें एग्रीकल्चर से लोगों को शिफ्ट करना और मैम्युफैक्चरिंग को बढ़ाना, पीएलआई की सफलता बहुत सारे सेक्टर्स में बहुत अच्छी रही है। लेकिन यहां पर हमको लगता है कि बहुत ज्यादा काम करने की जरूरत है, ताकि लोग भारत में प्रॉड्यूस करें। आईफोन एक एक्जाम्पल है और उसको एक्स्ट्रापोलेट करने की जरूरत है। इस पर क्या सोचते हैं?

पीएम नरेंद्र मोदीः जिन लोगों ने बाबासाहेब अंबेडकर का अध्ययन किया है न, बाबासाहेब अंबेडकर ने एक बहुत बढ़िया बात बताते थे और हमारे देश के राजनेताओं ने उसकी अनदेखी की है। बाबासाहेब कहते थे इस देश में इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन बहुत जरूरी है। क्योंकि देश का जो दलित, आदिवासी, वो जमीन का मालिक है ही नहीं, वह एग्रीकल्चर में कुछ नहीं कर सकता है। उसके लिए इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन का हिस्सा बनना बहुत जरूरी है और इसीलिए मैं मानता हूं कि भारत में हमें और एग्री-कल्चर पर जितना बोझ हम कम करेंगे, आज उस पर बोझ बहुत है। उस पर बोझ कम करने की बहुत जरूरत हैं। बोझ कम करने के लिए कानून काम नहीं करता है। डायवर्सिफिकेशन काम करता है। डायवर्सिफिकेशन तब होता है जब आप डिसेंट्रिलाइज्ड-वे में इंडस्ट्रियल नेटवर्क हो। दो बेटे हैं तो एक बेटा इंडस्ट्री के काम में चला जाएगा, तो एक बेटा खेती संभालेगा। तो खेती पर जो बोझ है वो थोड़ा कम हो जाएगा। तो एग्रीकल्चर को वायबल बनाना, मजबूत बनाने के लिए भी इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट जरूरी है। हम एग्रीकल्चर का वैल्यू एडिशन करने वाले इंडस्ट्री जितनी ज्यादा बढ़ाते हैं, तो सीधा-सीधा फायदा है। अदरवाइज, हम डायवर्सिफिकेशन की तरफ ले जाएं, तो उसका फायदा है। मेरा गुजरात का अनुभव रहा है। गुजरात को एक ऐसा राज्य है, जिसके अपने पास कोई खुद के कोई मिनिरल्स नहीं हैं। ज्यादा से ज्यादा नमक के सिवा कुछ है नहीं गुजरात के पास। ऐसे समय में गुजरात एक ट्रेडस स्टेट बन गया था। एक तो 10 साल में से 7 साल अकाल, तो एग्रीकल्चर में भी हम पुअर थे। एक जगह से माल लेते थे दूसरी जगह देते थे और कुछ कमा कर गुजारा करते थे। उसमें से रिवॉल्यूशन आया। एग्रीकल्चर में रिवॉल्यूशन आया। इंडस्ट्री में रिवॉल्यूशन आया। वो अनुभव मुझे यहां बहुत काम आ रहा है। उसके कारण मैंने हमारी इंडस्ट्री को, हमने कलस्टर डेवलप करने चाहिए। जैसे मेरी एक छोटी सी स्कीम है, वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट। वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट, डिस्ट्रिक्ट पहचान बन रही है, और उसमें वैल्यू एडिशन हो रहा है। टेक्नोलॉजी आ रही है, क्वालिटी आ रही है। अब आज देखिए भारत में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री बहुत संभावना है। इलेक्ट्रिक व्हीकल का बाजार बढ़ रहा है। हमने स्पेस को ओपन कर दिया है। हमने देखा है कि स्पेस में इतने स्टार्टअप्स आए हैं कि सारे स्टार्टअप टेक्नोलॉजी को लीड कर रहे हैं। यानि कोई , हम मोबाइल फोन इंपोर्टर थे। आज हम दुनिया में मोबाइल फोन सेकेंड लारजेस्ट मैन्यूफैक्चरर हो गए हैं। हम दुनिया के अंदर, आज हम आईफोन एक्सपोर्ट कर रहे हैं। दुनिया में 7 में से 1 आईफोन हमारे यहां होता है। वैसा ही मेरा बताऊं गुजरात में जो डायमंड का अनुभव रहा है। आज दुनिया में 10 में से 8 डायमंड वो होते हैं, जिस पर किसी न किसी हिंदुस्तानी का हाथ लगा होता है। दुनिया में दस में से आठ। अब उसका नेक्स्ट स्टेज मैं देख रहा हूं। वो है ग्रीन डायमंड का। लैब ग्रोन डायमंड का। दुनिया मे बहुत बड़ा मार्केट हो रहा है। मैं जब गुजरात में था तो थोड़ी शुरुआत थी, लेकिन अब काफी बढ़ रहा है। और आने वाले दिनों में लैब ग्रोन डायमंड में भी हम काफी प्रगति करेंगे। सेमी कंडक्टर, हम कुछ ही दिनों में चिप लेकर आएंगे। और मैं मानता हूं कि ट्रांसपोर्टटेशन के साथ जुड़ी चीजों का जो कारोबार है उसमें हो सकता है हम हब बन जाएं। हम डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में बहुत तेजी से काम कर रहे हैं। बहुत बड़ी मात्रा में लोग, करीब एक लाख करोड़ रुपये का डिफेंस प्रोडक्शन आज मेरे देश में शुरू हुआ है। करीब 21 हजार करोड़ का डिफेंस एक्सपोर्ट हुआ है। हमारे देश में न अब हर छोटी चीज बाहर से लाते थे, तो हमारे जो आंत्रपनोर्स हैं, उनको भी लगा है कि हम बना सकते हैं। और दुनिया हमारे लिए खरीद रही है। मैं समझता हूं भारत पूरी तरह इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन में टेकऑफ स्टेज पर है।


एनडीटीवी : आपने बिल्कुल ठीक कहा कि टेकऑफ स्टेज पर है और आपने जो इनोवेशन किए हैं, उसके कारण अब ग्लोबल इन्वेस्टर्स को भारत में इन्वेस्ट करने के लिए जिज्ञासा और दिलचस्पी बहुत है। लोग लेकिन वो सोचते हैं कि कुछ बोल्ड डिसीजन आपकी तरफ से, नई सरकार की तरफ से बड़े जरूरी होंगे। ताकि वो बड़ा इन्वेस्टमेंट आए और इस स्केल को जिसकी कल्पना आप ही करते हैं, उसे बहुत बढ़ा सके। तो क्या है इकोनॉमी गर्वनेंस।

पीएम नरेंद्र मोदीः पहली बात यह है कि इंडस्ट्रीज, बाहर से लोग जब आते हैं तो सिर्फ भारत सरकार को देख कर आएं, इतने से बात बनती नहीं है। स्टेट गवर्नमेंट और लोकल सेल्फ गवर्नमेंट, तीनों में एकसूत्रता चाहिए, नीतियों में। अगर मान लीजिए भारत सरकार एक पॉलिसी लेकर आती है, दुनिया की कोई इंडस्ट्री आती है। भारत सरकार के पास तो जमीन नहीं है वो क्या करेगा, वो स्टेट को कहेगा, जरा देखो कोई आया है। उस स्टेट की पॉलिसी उसके साथ मैच होनी चाहिए। फिर जिस गांव में जा रहा है या फिर शहर में जा रहा है, उस शहर के जो कानून हैं, वो उसके अनुकूल होने चाहिए। तो मैं जो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का जो मूवमेंट चलाया था, उसके पीछे मेरा इरादा यही था कि केंद्र सरकार, राज्य और स्थानीय स्वराज संस्थाऐं तीनों के निर्णय ऐसे हों कि इन चीजों के लिए अनुकूलता करे। अभी भी कुछ रुकावट है, लेकिन अब एक कॉम्पिटिशन मैं देख रहा हूं। मैं हमेशा मानता हूं कि मेरा फेडरलिज्म क्या होना चाहिए कि कॉम्पिटिटिव कोऑपरेटिव फेडरिल्जम। राज्यों के बीच में एक तंदुरुस्त स्पर्धा हो। अब धीरे-धीरे हर राज्यों में वह स्पर्धा आ रही है। वे अपने नियमों को ठीकठाक कर रहे हैं, ब्यूरोक्रेसी को मोबलाइज कर रहे हैं। अगर मुझे राज्यों का सहयोग मिल गया, तब तो मैं मानता हूं कि दुनिया में कोई व्यक्ति भारत के सिवा कहीं नहीं जाएगा जी।


एनडीटीवी : एक बहुत इंपार्टटेंट काम है। और इसे जुड़ा एक दूसरा है, जिसमें आपकी छवि ऑलरेडी यही है कि फिसिकल डिसिप्लिन के मामले में आप बहुत सख्त हैं। लेकिन आजकल गारंटियों का मुकाबला चल रहा है, लेकिन आप चूंकि डबल डाउन करते हैं कि ईज ऑफ लिविंग के लिए लोगों की जिंदगियों को खुशहाल बनाना है, तो कुछ इन्वेस्टर्स को यह आशंका होती है कि फिसिकल डिसिप्लिन का क्या होगा?

पीएम नरेंद्र मोदीः मेरे केस में किसी को आशंका नहीं है। जिन लोगों ने मेरे गुजरात के कार्यकाल को देखा है। मैं फाइनेंशिल डिसिप्लिन का बहुत आग्रही रहा हूं। अदरवाइज कोई देश चल नहीं सकता है। फिसिकल डेफिसिट उसका एक क्राइटेरिया होता है। अभी आपने देखा होगा कि चुनाव के पहले मेरा बजट आया। सबके पुराने मीडिया आप के आर्टिकल देखिए, यह तो चुनाव साल का बजट है। मोदी रेवड़ियां बांटेगा, चुनाव जीतेगा। और जब बजट आ गया तो लोगों को आश्चर्य हुआ कि यह तो चुनावी बजट है ही नहीं।


एनडीटीवी : आपके पास फिसिकल स्पेस अवेलबल था। खर्च करने को लेकिन आपने नहीं किया।

पीएम नरेंद्र मोदीः मैंने डेवलपमेंट के लिए खर्च करने को तय किया। मुझे मालूम है कि मुझे देश को गरीबी से मुक्त करना है। तो मुझे गरीब एम्पॉवर करना होगा। गरीब को अवसर देना होगा। गरीब, गरीबी में रहना नहीं चाहता है जी, वह बाहर निकलना चाहता है जी। उसको हाथ पकड़ने वाला कोई चाहिए और इसलिए हमने अब देखिए, यूपीए सरकार जब थी, फिसिकल डेफिसिट को उन्होंने स्वीकार नहीं किया। उसका साइड इफेक्ट इतना हुआ है जी और जहां फिसिकल डेफिसिट को मैं एक प्रकार से उसको मैं मानता हूँ रिलिजेइसली फॉलो करना चाहिए। महंगाई बढ़ती है। दुनिया में क्या हाल हुआ भाई, कुछ लोगों को लगा कि भाई कोरोना में नोट छापो और बांटो। दुनिया अभी भी महंगाई से बाहर नहीं आ रही है जी। तो फिसिकल डेफिसिट को हमने कंट्रोल करना, हमने हमारा रेवन्यू। अच्छा, दूसरा हमने देखा है कि जैसे जैसे टैक्सेशन आप कम करोगे, आपका रेवेन्यू बढ़ता जाएगा। लोग ज्यादा दायरे में, डबल लोग हमारे इनकम टैक्स भरने वालों की संख्या हो रही है। जीएसटी रजिस्ट्रेशन में बहुत बड़ी संख्या बढ़ रही है। उनको भरोसा है भाई कि सरकार की तरफ से कोई दिक्कत नहीं है। दूसरा है उसको विश्वास है, मेरा पैसा, टैक्सपेयर का पैसा बहुत ही। दूसरा है ,वेलफेयर का विषय। मैं वेलफेयर को एक प्रकार से भारत के सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर का एक बहुत बड़ा महत्व का हिस्सा मानता हूं। अगर हम वेलफेयर स्कीम को टारंगेटेड करें और क्वालिटी ऑफ लाइफ के साथ जोड़कर के करें, तो वह ऐसेट बन जाती है। और आपने देखा होगा कि मेरे हर काम में वेलफेयर स्कीम में उनके लिए एक क्वालिटी ऑफ लाइफ की गारंटी मिलती है। फिर उसको अच्छी जिंदगी जीने की आदत लग जाए तो फिर वो अच्छी जिंदगी जीने के लिए प्रयास भी करता है। तो मेरी वेलफेयर स्कीम का सारा मतलब ये है। जैसे मैं अनाज तो मुफ्त दे देता हूं, लेकिन साथ-साथ मैं पोषक आहार पर बल देता हूं। पोषक आहार में उसको कुछ न कुछ कांसयस करता है जोड़ता है, हेल्दी बच्चे चाहिए। मेरे देश को हेल्दी चाइल्डहुड चाहिए। वही मेरे देश को हेल्दी भविष्य देगा। तो ऐसी हर चीज पर मैं बल देकर काम करता हूं।


एनडीटीवी : हां ये बहुत इंपपार्टटेंट काम है ये प्रोटीन वाला या पोषाहार वाला

पीएम नरेंद्र मोदीः अब देखिए, कैपेक्स में भी पहले करीब 2 लाख करोड़ था, हम करीब 11-12 लाख करोड़ कैपेक्स पर पहुंच गए, कितने लोगों को रोजगार का अवसर मिल गए। कितने लोग नए आ गए। फील्ड में करने वाले जी।


एनडीटीवी : एक सवाल मैं बाजार के सटोरिए की तरफ से बिल्कुल नहीं पूछना चाहता हूं सर आपसे, लेकिन वो है कि आजकल नए युवा भी इन्वेस्टमेंट में बहुत आ रहे हैं। और मेरी अपनी राय यह है कि बाजार ने इलेक्शन का आउटकम पहले ही समझकर बहुत तेजी से ऊपर का रुख कर लिया था। अभी बाजार में थोड़ी नर्वसनेस है कि मेंडेट कैसा आएगा? तो उस पर आप कुछ कॉमेंट करना चाहेंगे?

पीएम नरेंद्र मोदीः देखिए मैं वह कहूंगा तो इनफ्लूएंस करने की कोशिश करूंगा, ऐसा कोई अर्थ मानेगा। ऐसा है हमारी सरकार ने मैक्सिमम इकॉनोमिक रिफॉर्मस किए हैं और प्रो-आंत्रप्रनोरशिप पॉलिसीज हमारी इकॉनोमी को बहुत बड़ा बल देती हैं। स्वाभाविक है, हर कोई आएगा। हम 25 हजार से यात्रा शुरू किए थे, 75 हजार पर पहुंचे हैं। यह अपने आप में, दुनिया में हमारी प्रतिष्ठा भी बढ़ती है। दूसरा, जितने ज्यादा सामान्य नागरिक इस फील्ड में आते हैं, उतनी इकॉनोमी को बहुत बड़ा बल मिलता है जी। और मैं तो चाहता हूं कि हर नागरिक के मन में रिस्क टेकिंग कैपेसिटी बढ़नी चाहिए। यह बहुत जरूरी होता है। सोच-सोच करके कि क्या करूंगा, ऐसी जिंदगी जीने से बात बनती नहीं है। और चार जून जैसा आपने कहा, जिस दिन चुनाव का नतीजा आएगा, आप उस हफ्ते भर में देखना कि यानी भारत का स्टॉक मार्केट उसके लिए सारे प्रोग्रामिंग वाले थक जाएंगे। अब आप देखिए पीएसयूज की कंपनियों का शेयर कहां पहुचा है। वरना पीएसयूज के शेयर का मतलब ही होता था गिरना।


एनडीटीवी : हां, ये मिरैकल हुआ है कि पीएसयूज बंद करने की तरफ आप जाएंगे, लेकिन अब तो पीएसयूज रिवाइव हो रहे हैं।

पीएम नरेंद्र मोदीः स्टॉक मार्केट में उसका वैल्यू बढ़ रहा है जी। अनेक गुना बढ़ रहा है जी। नेटवर्थ भी जो है वह भी बढ़ी है। अब HAL को देख लीजिए, जिसको ले जा करके ये लोग जुलूस निकाले थे। मजदूरों को भड़काने की कोशिश की गई थी। आज HAL इस गति से चौथी तिमाही में यानि उसने रेकॉर्ड प्रॉफिट किया है जी। HAL 4 हजार करोड़ का प्रॉफिट, यह कभी HAL के इतिहास में नहीं है जी। तो मैं मानता हूं कि बहुत बड़ी प्रगति का विषय है।


एनडीटीवी : इकोनॉमिक गवर्नेंस से थोड़ा-सा पॉलिटिक्‍स की तरफ चलें और रोजगार का मुद्दा उठाएं, तो उसमें विपक्ष का एक आरोप है कि रोजगार क्रिएट नहीं हुए हैं तो रोजगार क्रिएट नहीं हुए हैं या उसका स्‍वरूप बदल गया है?

पीएम नरेंद्र मोदी : पहली बात है कि इतना सारा काम, मानव बल के बिना संभव ही नहीं होता है जी। सिर्फ रुपये हैं, लेकिन रोड नहीं बन जाता है, रुपये हैं इससे रेलवे का इलेक्ट्रिफिकेशन नहीं होता है, मैन पॉवर लगता है। मतलब की रोजगार के अवसर बनते हैं। और विपक्ष की बेरोजगारी की जो बातें हैं, उसमें कोई मुद्दा, कोई सच्‍चाई नजर नहीं आती है। मैं मानता हूं कि परिवारवादी पार्टियों का इस देश की युवाओं में क्‍या बदलाव आया है उनको कोई समझ नहीं है। अब जैसे स्‍टार्टअप 2014 से पहले तक कुछ सैकड़ों स्‍टार्टअप थे। आज सवा लाख स्‍टार्टअप हैं। एक स्‍टार्टअप यानि पांच-सात, पांच -सात ब्राइट नौजवानों को काम देता है। आज 100 यूनिकॉर्न हैं। 100 यूनिकॉर्न मतलब 8 लाख करोड़ रुपये का कारोबार। ये वो लोग हैं बीस, बाइस, पच्चीस साल के हैं जी, बेटे-बेटियां हैं हमारे। और टियर टू और टियर थ्री। गेमिंग फील्ड, आप देख लेना जी पूरी दुनिया में गेमिंग की दुनिया में बहुत बड़ा लीड करेगा। और ये सारे बीस बाइस साल के बच्चे करने वाले हैं जी। आप मान कर चलिए जी। उसे क्रिएटिव करो। इंटरटेनमेंट इकोनॉमी में ऐसे क्रिएटिव इकोनॉमी की तरफ हम मुड़ गए हैं। मैं पक्‍का मानता हूं कि ग्‍लोबल मार्केट को हमारे क्रिएटर्स जो हैं, क्रिएटिव एक्टीविटी करने वाले हैं। वो मार्केट को शेयर कर लेंगे। यानि ग्रीन जॉब बहुत बड़ा अवसर बन रहा है। हम ग्रीन हाइड्रोजन पर हम दुनिया का, अब एविएशन सेक्‍टर है। हमारे देश में करीब 70 एयरपोर्ट थे, आज करीब 150 एयरपोर्ट हो गए हैं। हमारे देश में कुल हवाई जहाज, मेरा अंदाज है प्राइवेट और सरकारी 600-700 हैं। 1000 नए हवाई जहाज का ऑर्डर है। इससे कितने प्रकार के लोगों को रोजगार मिलेगा, कोई कल्‍पना कर सकता है। इसलिए ये जो नैरेटिव है, पॉलिटिकल फील्‍ड में जो लोग हैं, वो आज से 30 साल पहले चलते थे, उन्‍होंने रिसर्च नहीं किया है। उन्होंने वही गाड़ी बजाते रहते हैं। अब आपको मालूम है कि जो रिकॉर्डेड चीज है पीएलएफएस, पीएलएफएस का जो डाटा है उसका कहना है कि बेरोजगारी आधी हो गई है। ये ऑथेनटिक जो हैं, वो कहते हैं। 6-7 साल में 6 करोड़ नए जॉब जेनरेट हुए हैं। ये पीएलएफएस का डाटा कह रहे हैं। ईपीएफओ ये भी रिकॉडेड होता है, इसमें कुछ हवाबाजी में नहीं होता है। 7 साल में 6 करोड़ से ज्‍यादा नए अवसर आलरेडी रजिस्‍टर हुए हैं। सरकारी नौकरी को, मैंने एक बहुत बड़ा अभियान चलाया था, लाखों लोगों को, और ये लोग कहते थे मुझे चिल्‍लाते थे कि ये नौकरी देने में इतना हो-हल्‍ला करते हैं। अभी स्‍कॉच ग्रुप का जो रिपोर्ट आया है, वो बड़ा इंट्रेस्टिंग है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 10 साल में हर वर्ष पांच करोड़ पर्सन ईयर रोजगार जेनरेट हुआ है। और उन्‍होंने 22 चीजों को लिया है, पैरामीटर के रूप में। ये करना है, तो कितने-कितने पर्सन पर ईयर चाहिए। ये करके उन्होंने कहा है। उसके आधार पर उसने निकाला हुआ है। यानि आधार एकेडेमिक, रिसर्च करके निकाला हुआ है। अब ये सारी चीजें धरती पर दिखती भी हैं। ऐसा नहीं है कि कागजों में दिखती हैं। मैं वो नॉन गवर्नमेंट अलग-अलग व्‍यवस्‍थाएं हैं, उससे जो बातें आई, उसकी मैं कर रहा हूं।


एनडीटीवी : हां, आपने ये इंपॉरटेंट आपने बताया कि लेबर फोर्स पार्टिशिपेशन तो काफी रहा है। सर, ये पहला चुनाव है, जो दरअसल बोरिंग चुनाव है सबसे ऐतिहासिक चुनाव है जिसमें जनादेश क्‍या आएगा, ये पहले से मालूम है। तो भी हम लोग डिबेट चलाते हैं। थोड़ी-बहुत कि किसको कितनी सीटें तो किसको कितनी सीटें। साउथ इंडिया और ईस्‍ट इंडिया को लेकर आपने बड़ा भरोसा जाहिर किया है कि वहां बीजेपी को बड़ी सफलता मिलेगी। साउथ इंडिया और ईस्‍ट इंडिया पर आप ओवर कॉन्फिडेंट तो नहीं हैं?

पीएम नरेंद्र मोदी : पहली बात है कि मैं कॉन्फिडेंस होता है, तो भी मैं कभी जताता नहीं हूं। ओवर कॉन्फिडेंस में जीता नहीं हूं। मैं जमीन पर नित जीवन का हिसाब-किताब करके कदम रखने वाला इंसान रहा हूं। सोचता बड़ा हूं, सोचता दूर का हूं, लेकिन जमीन पर जुड़ा रहता हूं। देखिए, दक्षिण भारत का हो या पूर्वी भारत का हो, या उत्तर भारत का हो या पश्चिमी भारत का हो या या मध्‍य भारत का हो, देश के जनमन में स्थिर है कि ये काम करने वाली सरकार है। देश को आगे ले जाने वाली सरकार है। हमारा भला करने वाली सरकार है। हमारी समस्‍या का उसको समझ है, ऐसी सरकार है जो हमारी समस्या को, जब नागरिकों को पता होता है कि मेरा दुख उसको पता है, डॉक्‍टर, अच्‍छा कौन लगता है? आपको अच्‍छा डॉक्‍टर वो लगता है, आपको ज्यादा जो ये पूछे कि अच्‍छा आपके पेट में दर्द है, लेकिन आंख में क्‍या हुआ है, कुछ ऐसा तो नहीं हुआ? वो जिसको पता रहता है ना, उसको वो डॉक्‍टर को अच्‍छा लगता है। आज देश को लग रहा है कि आज एक ऐसी सरकार है, जिस सरकार को हमारे दुखों की चिंता है। हमारे सपनों का उसको अंदाज है। जो हमारे सामर्थ्य को हमेशा आगे बढ़ाने का प्रयास करता है। और इसके कारण मैं मानता हूं कि सामान्‍य मानवी के मन में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को फिर से लाने की बात है। अब एक जमाना था जब कहते थे कि पशुपति से तिरुपति तक रेड कॉरिडोर था। पूरा ये नक्‍सल बेल्‍ट बना दिया गया था। आज ये सिकुड़ता-सिकुड़ता साहब, ये हट गया है। लोग शांति से जीने लगे हैं। वो मां को कितना आनंद होता है कि मेरा बच्‍चा सही दिशा में जाएगा। वो भले जंगल में रही है, लेकिन उसको लगता है कि ये मेरे बच्‍चे का भविष्‍य देखता है, चिंता करता है। आज देखिए जी, हिंदुस्‍तान के हर कोने में, नॉर्थ ईस्‍ट देखिए, बंगाल देखिए, आसाम देखिए, ओडिशा देखिए, तेलुगु भाषी स्टेट देखिए, कर्नाटक देख लीजिए, भारतीय जनता पार्टी बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। आप जम्‍मू-कश्‍मीर में देखिए साहब, वहां के मतदाता साहब 40 परसेंट लोग वोट करने जाएं साहब। 40 साल के बाद वहां इतना वोटिंग हो। सरकार के प्रति भरोसा है जी। और इसलिए मैं कहता हूं कि इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को यानि हिस्‍टोरिकली एक बहुत बड़ा रिकॉर्ड सेट होने वाला है। हिस्‍टोरिकली एक बहुत बड़ा रिकॉर्ड।


एनडीटीवी : चूंकि आपकी ऐसी मान्‍यता है, ऐसे में जो विपक्ष के गठबंधन की जो परिस्थिति है, उसमें विरोधाभास भी सामने आते हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि मैं तो अलायंस में नहीं रहूंगी, फिर कहा कि अगर सरकार बनेगी, तो मैं सरकार बाहर से समर्थन दूंगी। अखिलेश किधर हैं, पता नहीं। ऐसे में स्थिर सरकार और अस्थिर सरकार, ये भी एक वोटर सोचता है कि मैं किस विषय पर निर्णायक तौर पर तय करूं कि वोट देना है। तो ये विपक्ष की जो परिस्थिति है, जो लोकतंत्र को बचाने की गारंटी देता है, उसकी हालत पर आपकी राय?

पीएम नरेंद्र मोदी : पहली बात है कि हमारा देश का या दुनिया में कोई भी, इतना बड़ा देश आप जिसको देने जा रहे हो, उसको जानते हो क्‍या? उसका नाम पता है क्‍या? उसका अनुभव का पता है, उसकी क्षमताओं का पता है क्‍या, तो यह देश की जनता देखती है। कोई पार्टी अपना नाम बताए या ना बताए, वो तोलती है और हमारा पलड़ा बहुत भारी है। और उसमें मुझे कहने की कोई जरूरत नहीं है, हमारा पलड़ा भारी है। हर कोई कहेगा। दूसरा विषय कि इंडी अलायंस का मुझे बता दीजिए फोटो ओप के सिवाए इंडी अलायंस की कोई गतिविधि दिखती है क्‍या? और फोटो ओप में पहली इंडी एलायंस की मीटिंग में जितने चेहरे थे, जाते-जाते संख्‍या भी कम हो गई। क्‍वालिटी भी कम हो गई, यानि उसकी थर्ड कैटेगिरी और चौथी रैंक का व्यक्ति वहां जाता है और फोटो निकलवाकर आ जाता है। कोई कॉमन एजेंडा है क्‍या? कैंपेन की कोई स्‍ट्रेटजी है क्‍या, कुछ नहीं है? हर कोई अपनी ढपली बजा रहा है जी। देश को विश्‍वास नहीं हो सकता है। दूसरा, अगर कांग्रेस के सबसे विश्‍वस्थ साथी कौन हैं? तो लेफ्ट। जिसके मन में कमिटमेंट है कि भाजपा वाले जाने चाहिए, उससे बड़ा कमिटमेंट तो कोई हो नहीं सकता है। इन्‍होंने जाकर केरल में उसी को पराजित करने के लिए उसके सामने खुद खड़े हो गए। और जो भाषा का प्रयोग हुआ है, केरल के चुनाव में, पूरे देश में ऐसी भद्दी भाषा अभी तक उपयोग में नहीं आई है। मुख्‍यमंत्री तक के लोगों ने जिस प्रकार से कांग्रेस के लिए बोला है, अब, यानि ये अलायंस के लोगों की मैं बात कर रहा हूं। अच्छा ये बात फिक्‍स हो गई है जी कि ये सारे नेता है, ज्‍यादातर जमानत पर हैं। इंडी अलायंस के सारे नेता जमानत पर हैं, और वो जमानत वो है उनके जमाने के केसस हैं, हमारे जमाने के केसस नहीं हैं जी। मामले उनके जमाने के हैं। तीसरी बात है, ये सारे आप बिठाओगे, तो लगेगा भाई कि ये उसका बेटा है, ये उसका बेटा है, ये उसका बेटा है या ये इसका बाप। ये इसका बाप यानि ऐसा साफ लगता है कि वो अपने बच्‍चों को सेट करने के लिए इंडी अलायंस को जान भरने की कोशिश कर रहे हैं। देश के बच्‍चों का भविष्‍य नजर ही नहीं आता उसमें। जब ऐसा होता है, तो मैं नहीं मानता हूं कि वो देश के लोगों का विश्‍वास जीत सकते हैं। दूसरी तरफ हमारा 10 साल का मजबूत सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड है जी। चाहे आतंकवाद के खिलाफ हमारा काम हो, चाहे देश सुरक्षा के विषय में हमारा काम हो, चाहे विकास के मुद्दे पर काम हो, चाहे विदेश नीति के विषय पर काम हो, चाहे संकट के समय हमारे इंनिशिएटिव हों, मैं समझता हूं कि देश की जनता इन सारी बातों को देखती है और उसको तोलती है। और इसलिए देश की सामान्‍य मानवी ने मन बना लिया है कि भारत को बहुत आगे ले जाना है, तो भारतीय जनता पार्टी और एनडीए एक विश्‍वस्‍त संगठन है विश्‍वस्‍त लीडरशिप है और जिसको हम जानते हैं, जिसको हमको ट्रायल ले चुके हैं, जिसको हम नाप चुके हैं। इसलिए उनको रिस्क जैसा नहीं लगता है, सहज समर्थन लगता है जी।


एनडीटीवी : ये कंफर्टलेबल जो आपने कहा वो सही है। चूंकि ऐसा बढि़या पॉजिटिव माहौल बना हुआ है और मोमेंटम आपकी तरफ है। ऐसे में दो सवाल और हैं, जो विपक्ष वाले आपके बारे में उठाते हैं कि उसमें से पहला ये है कि एपीजमेंट की बात आप हमेशा करते रहे हैं उनका कहना है कि कम्‍युनल कलर तो आपने भी दिया है।

पीएम नरेंद्र मोदी : यही कह-कहकर उन्‍होंने अपनी राजनीति चलाई है और कभी-कभी हम भी सोचते थे कि हां चलो भई संभल कर चलो। लेकिन जब मैं हर चीज को देखता हूं, जब यहां बैठ करके देखता हूं, तो मैंने देखा है कि इन्होंने सिवाए संविधान का अपमान करने के सिवाए कुछ किया ही नहीं है। संविधान सर्वपद समभाव की बात कर रहा है। ये लोग घोर सांप्रदायिक लोग हैं। इनकी हर चीज का आधार सांप्रदायिक है।और संप्रदाय में भी वोट बैंक की राजनीति है। और संप्रदाय से बाहर भी कहां जाना, तो फिर जाति। यानि एक तरफ संप्रदाय की वोट बैंक और फिर एक जाति को उठाना यानि उन्‍होंने खेल यही किये हैं। अब मुझे लगता है कि मुझे कम्‍युनल का लेबल लगे तो लगे, मुझे कम्‍युनल जिसको कहना है कहें, इन लोगों के पापों को मैं खुले करके रहूंगा, एक्‍सपोज करके रहूंगा। और मैं घटनाओं के साथ बताता हूं कि भाई देखिए इन्‍होंने ये नियम ऐसे बनाया था इन्होंने। मेरा मंत्र है- 'सबका साथ, सबका विकास', गांव के अंदर सौ घर हैं, जिनको बेनिफिट दिला दिया, फिर ये मत पूछा कि ये किस जाति का है, किस बिरादरी का है, किसका रिश्‍तेदार है, रिश्वत देता है कि नहीं देता है।100 घर मतलब मिलना चाहिए, तो मिलना चाहिए और इसलिए मेरी योजना है सैचुरेशन। हर स्‍कीम को लाभार्थियों को 100 परसेंट। जब मैं 100 पसेंट कहता हूं ना तो सच्चा सामाजिक न्‍याय है। जब मैं 100 परसेंट कहता हूं, तो वो सच्‍चा सेक्युलरिज्म है। और किसी को फिर शिकायत का मौका नहीं रहता है। फिर उसको विश्‍वास रहता है कि इसको जून में मिल गया ना, दिसंबर आते-आते मेरा नंबर लग जाएगा। मुझे किसी को भी एक रुपया देने की जरूरत नहीं है। मुझे नबंर काटने की जरूरत नहीं है। मुझे मिलने ही मिलने वाला है। इसके कारण गवर्नेंस पर भी भरोसा हो जाता है। इन्होंने हर चीज उनका तरीका यही है कि सबके लिए कुछ करना ही नहीं है। मैं भी कह सकता था कि मैं जो 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देता हूं। मैं कह सकता था कि मैं इसको दूंगा और इसको नहीं दूंगा। मैं यह नहीं कहूंगा, क्‍योंकि मुझे 'सबका साथ, सबको विकास' इसी मंत्र पर चलना है। उन्‍होंने वोट बैंक के लिए जी एससी-एसटी और ओबीसी के आरक्षण पर भी डाका डाला हुआ है। इनकी नजर यही है ये वोटबैंक को कैसे देना है। वोट जिहाद को समर्थन कर रहे हैं। ये सारी चीजें सांप्रदायिक प्रवृत्तियां सेक्युलरिज्म का नकाब पहन कर रहे हैं। मुझे उनका ये ढोंगी सेक्‍युलरिज्‍म का नकाब है देश के सामने उतार करके दिखाना है कि ये घोर सांप्रदायिक लोग हैं। और ये वो लोग हैं, जो अपनी सत्‍ता सुख के लिए देश को तोड़ सकते हैं और आपके हर सपने को तोड़ सकते हैं। अब आप देखिए इनके मेनिफेस्‍टो में इनकी हिम्‍मत देखिए, ठेके, वो कहते हैं कॉन्‍ट्रैक्‍ट घर्म के आधार पर दिये जाएंगे। अरे भाई कोई चीज मान लो ब्रिज बनाना है, तो ब्रिज बनाने की एक्सपर्टाइज किसके पास है। एक्‍सपीरियंस किसके पास है। रिसोर्सस किसके पास हैं। टेक्‍नीकल मैनपावर किसके पास है, उसको ब्रिज बनाना है। अब आप ठेके दे देंगे ब्रिज क्या बनेगा जी, क्या होगा मेरे देश का।


एनडीटीवी : विपक्ष एक और आशंका जाहिर करता है वो ये है देखिए 400 सीटें इसलिए मांग रहे हैं, क्‍योंकि इनको संविधान बदलना है।

पीएम नरेंद्र मोदी : पहली बात है, भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्‍व में ऑलरेडी 2019 से 2024, चार सौ सीट है। हम जीतकर एनडीए 360 करीब आए थे और एनडीए प्‍लस हमारा 400 हमारा 2019 से 2024 तक लगातार रहा है। तो 400 सीट और संविधान को जोड़ना मूर्खतापूर्वक भरी उनकी बातचीत है। सवाल यह है कि ये लोग हाउस को चलने ही नहीं देना चाहते हैं। और दुनिया जब 400 सीटों को देखती है, तो उन्‍हें लगता है कि भाई हां कुछ बात है। कांग्रेस ने संविधान का क्‍या किया? ये संविधान की बातें करते हैं। मैं कांग्रेस के संविधान का क्‍या हुआ मैं पूछता हूं? क्‍या ये परिवार, कांग्रेस पार्टी के संविधान को स्‍वीकार करता है? आपको याद होगा कि टंडन जी को कांग्रेस पार्टी का अध्‍यक्ष बनाया गया था। संविधान के तहत बने थे। नेहरू जी को टंडन जी मंजूर नहीं थे। फिर नेहरू जी ने ड्रामा किया और ड्रामा क्या किया, बोले कि मैं कार्यसमिति में नहीं रहूंगा। देश के प्रधानमंत्री, कांग्रेस पार्टी क्‍यों, क्‍योंकि इनको आखिरकार, कांग्रेस पार्टी को इलेक्‍टेड राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष को हटाना पड़ा। इस परिवार को खुश करने के लिए। सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्‍यक्ष थे, व्‍यवस्‍था के तहत बने हुए थे। कोई मुझे बताए, उनको बाथरूम में बंद कर दिया गया। रातोंरात उठाकर बाहर फेंक दिया और मैडम सोनिया गांधी जी कांग्रेस की अध्‍यक्ष बन गईं। मैं तो चाहूंगा, मेरे पास जानकारी नहीं है, लेकिन मेरे मन में सवाल उठता है कि जो इस प्रकार से कांग्रेस पार्टी को कब्‍जा करते हैं, मैं जानना चाहूंगा कि ये कांग्रेस के जितने आज पदाधिकारी हैं, वे कब कांग्रेस के मेंबर बने थे? देश को वो डिक्‍लेयर करें, अपने संविधान के हिसाब से।


एनडीटीवी : सर, केसरी जी का आपने जिक्र किया तो एक डिस्केलमर देना मुनासिब होगा कि उस वक्त मै वहां मौजूद था जब उनको भगाया गया था।

पीएम नरेंद्र मोदी : अब बताइए, अब ये संविधान की बात बोलने का उनको हक है क्‍या। दूसरा, इन्‍होंने संविधान के साथ क्‍या किया जी, मैं तो कहता हूं कि जो पहला संविधान बना उस संविधान की एक आत्‍मा भी है और एक संविधान का स्प्रिट और शब्‍द दोनों है। संविधान की आत्‍माा क्‍या थी, तो संविधान निर्माताओं ने बड़ी बुद्धिमानी की थी कि जो लिखित में चीज रखी जाएगी, वो वर्तमान और भविष्‍य के लिए होगी। लेकिन हमारा एक भव्‍य भूतकाल है, हमारा एक भव्‍य विरासत है, उसका क्‍या करेंगे। फिर तो संविधान बहुत बड़ा हो जाएगा, तो उन्‍होंने बड़ी बुद्धिपूर्वक संविधान को चित्रों से मढ़ा। सारे चित्र भारत की हजारों साल की विरासत है, रामायण हो, महाभारत हो छत्रपति शिवाजी महाराज हों, सारी चीजें उसमें हैं। पंडित नेहरू ने पहला काम क्‍या किया, संविधान की इस पहली प्रति को डिब्‍बे में डाल दिया और बाद में जो संविधान छपा वो इन चित्रों के बिना यानि इन्‍होंने उन चित्रों को काट दिया और 15 अगस्‍त के बाद का हिंदुस्‍तान शुरू कर दिया। अपने परिवार का जय-जयकार करने के लिए। दूसरा उन्‍होंने क्या किया, उसकी आत्‍मा पर उन्होंने, शरीर पर इस प्रकार प्रहार किया फिर आत्मा पर प्रहार किया। पहला संशोधन पंडित नेहरू ने अभिव्‍यक्ति की आजादी पर कैंची चलाने का किया। रिसट्रिक्शन लाने का किया। उसकी आत्‍मा पर पहला प्रहार था। फिर संविधान की भावना पर उन्‍होंने प्रहार किया। कैसे किया? 356 का दुरुपयोग करके। 100 बार देश की सरकारों को उन्होंने तोड़ा। फिर इमरजेंसी लाए। एक प्रकार से संविधान को तो उन्‍होंने डस्‍टबिन में डाल दिया। इस हद तक उन्‍होंने संविधान का अपमान किया। फिर उनके बेटे आए पहले नेहरू जी ने पाप किया, फिर इंदिर गांधी ने किया, फिर राजीव गांधी आए। राजीव गांधी तो मीडिया को कंट्रोल करने के लिए एक कानून ला रहे थे। शाहबानो का सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट उखाड़कर फेंक दिया और संविधान को बदल दिया। क्‍योंकि वोट बैंक की राजनीति करनी थी। मीडिया पर, इमरजेंसी जैसे, बड़ा आंदोलन हुआ, वो चुनाव के दिन थे, वो थोडे अटक गए, वो थोड़ा डर गए। लेकिन वो रूक गया। फिर उनके सुपुत्र आए, शहजादे जी वो तो कुछ हैं ही नहीं, एक एमपी के सिवाय। कैबिनेट के निर्णय को उन्‍होंने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के अंदर कागज फाड़ दिए। कैबिनेट के निर्णय को, वे संविधान की बातें करते हैं। जो चारा चोरी में जेल में बैठे हुए हैं, जो बीमारी के कारण जेल से बाहर आने की उनको इजाजत मिली है, वो संविधान-संविधान करते रहते हैं। जिन्‍होंने संविधान की सारी भावनाओं को तोड़ते हुए जब 'वुमेन आरक्षण बिल' आया था, तो पार्लियमेंट के अंदर बिल की प्रति उन्‍होंने छीन लिया और फाड़ दिया और संसद को वो आखिरी दिन था। संविधान के साथ घोर अपमान करने वाले लोग आज संविधान सिर पर रखकर नाच रहे हैं। ये झूठ बोल रहे हैं।


एनडीटीवी : एक सवाल और सर जिसमें भारत ने आपके नेतृत्‍व में गजब का काम किया है। वो है, दुनिया एकदम बदल गई है, जो सोचते थे कि हम दुनिया चलाते हैं वो डिफेंसिव में हैं। भारत इंडिपेंडेंट और एग्रेसिव पॉलिसी लेकर आया है। जाहिर है, इसको लेकर भी आपकी बड़ी योजनाएं हैं, लेकिन एक विषय है, वो है पड़ोसी देशों का। उस मामले में रिश्‍तों को मैनेज करने में चुनौतियां हैं, हमारे सामने।

पीएम नरेंद्र मोदी : दुनिया में कोई काम ऐसा नहीं होता, जिसमें चुनौतियां नहीं होती हैं। हमने हमारी विदेश नीति का हमारा आधार यही रहा है- नेबरहुड फर्स्‍ट। हमारा विदेश नीति का आधार रहा है एक्‍ट ईस्‍ट पॉलिसी। हमारी विदेश नीति का आधार पहले रहता था कि कौन कितनी दूरी पर रखते हैं। हम कहते हैं कि कौन कितना निकट है। हमने विश्‍व के साथ एक स्‍थान बनाया हुआ है और पड़ोस में कॉम्पिटिशन भी काफी है। हमारी कोशिश है, सबको साथ लेकर चलने की।


एनडीटीवी : एक सवाल बहुत समय से आप से पूछना चाहता था सर, वो ये है कि बहुत सारे नीति-निर्माता, नेता आपको लेकर विस्मित रहते हैं कि ये जो आप पॉलिसी बनाते हैं, डिजाइन बनाते हैं, ये कैसे इन चीजों को तैयार करते हैं? मुझे ऐसा लगता है कि आप 'रेयर सेल्फ टॉट लीडर' हैं और उसमें जो सबसे बड़ी भूमिका रही है, वो 50 से 55 साल तक की आपकी यात्रा, आपने दरअसल फिजिकल यात्राएं बहुत की हैं। आप बहुत ज्‍यादा घूमें हैं। आपको ट्रैवल ने कितना शेप किया है।

पीएम नरेंद्र मोदी : एक तो आपने सही आकलन किया है। ये मेरा सौभाग्‍य रहा है कि मैं परिव्राजक रहा हूं और इसलिए शायद हिंदुस्‍तान के 90 प्रतिशत से ज्‍यादा डिस्ट्रिक ऐसे होंगे, जहां मैंने रात्रि मुकाम किया है। ये मेरे राजनीतिक जीवन के पहले की बात है। दूसरा, बिना रिजर्वेशन के ट्रेन में घूमा हूं मैं। जनरल बोगी में खड़े-खड़े होकर ट्रैवेलिंग किया है। ट्रक में ट्रैवेलिंग किया है, पैदल घूमा हूं, तो जमीनी दुनिया है, उसी से मैं जुड़ा भी हूं और उसी से निकला भी हूं। और वो अनुभव बहुत बड़ा होता है जी, बहुत काम आता है। दूसरा, हमारे देश में जितने प्रधानमंत्री आए, वो दिल्‍ली के गलियारों से ही ज्‍यादातर निकले हैं। बहुत कम प्रधानमंत्री हैं, जिन्‍होंने राज्‍य के अंदर सरकारों में काम किया हो। जिन्‍होंने किया, बहुत कम समय के लिए किया। और बहुत कम लोगों को मौका मिला और मैं ऐसा व्‍यक्ति हूं, जो लंबे समय तक एक प्रगतिशील राज्‍य का मुख्‍यमंत्री रहकर आया हूं। तो जनआकांक्षाओं से मैं परिचित था। जनआकांक्षाओं और सरकार के बीच कन्फिल्कट कहां होता है, कमियां क्या होती है मेरा राज्य में अनुभव था। तो मेरे पास अनुभव का एक बहुत बड़ा खजाना है। दूसरा मैं जीवनभर अपने-आपको विद्यार्थी मानता हूं। तो मैं एकेडमिक वर्ल्‍ड से सीखने का प्रयास करता हूं कि वो क्‍या सोचते हैं। मैं जो ब्‍यूरोक्रेटिक एक्सपिरियंस की जो दुनिया है, उनको समझने का प्रयास करता हूं। मैं कंसर्न लोग, जैसे आजकल बजट बनाता हूं, तो बजट के बाद मान लें इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर से जुड़े लोगों का वर्कशॉप करता हूं। किसान हैं तो किसान वर्कशॉप करता हूं, उससे नए आइडियाज आते हैं। बजट के पहले भी करता हूं और बजट के बाद भी करता हूं। इस बजट उपयोग नहीं कर पाता हूं, तो अगले बजट में उसका उपयोग करता हूं। तो मैं बहुत खुले मन का इंसान हूं। दुनिया भर की चीजें, विदेशों से भी सिखता हूं। आपको छोटा-सा उदाहरण बताता हूं। मैं एक बार जापान गया, बहुत साल पहले की बात है। मैं सीएम तो था। जापान में मेरे पास थोड़ा समय था, तो मैंने सोचा की चलो बाहर जाते हैं। हम पैदल ही जा रहे थे, तो फुटपाथ पर मैंने देखा कि छोटे-छोटे गोल-गोल कुछ थे, पैदल चलते समय। मेरे मन प्रश्न में उठा, मैंने कभी देखा नहीं था, तो मैंने किसी से पूछा कि यह क्‍या है? तो बोले कि जो प्रज्ञाचक्षु लोग होते हैं, इनके चलने के लिए नीचे ये रखा जाता है। तब मैंने उसका स्‍टडी किया, तो बस स्‍टैंड आया, तो उनके लिए मोड़ था। मैंने उसकी मोबाइल फोन पर वहां फोटो ली। उस समय भी मैं मोबाइल फोन कैमरे वाला रखता था। मेरा शौक टेक्‍नोलॉजी का था। जैसे ही मैं अहदाबाद पहुंचा, रात को 10 बजे पहुंचा, मैंने हमारे सिटी कमिश्‍नर को फोन किया। मैंने कहा कि भाई हमारा जो काकारिया का डेवलपमेंट हो रहा है वो काम, फुटपाथ बन गई क्या? बोले कि थोड़ी-बहुत बन गई है। मैंने कहा कि ऐसा करो कि सुबह आ जाओ, मुझे तुम्‍हें सब बताना है। तो मैंने प्रिंट आउट निकाल कर रखे थे, वो सुबह आए तो मैंने कहा कि देखो काकरिया की जो फुटपाथ बनेगी हम ये चीज करेंगे, ताकि प्रज्ञाचक्षु के काम आने वाली अच्छी चीज दिखी है। तुरंत हमने इंपलीमेंट भी कर दिया। यानि कोई भी चीज सीखने का मेरा मन हमेशा रहता है, ये तो मेरा। पॉलिसी जब मैं बनाता हूं, तब मैं इन सारी चीजों का एक साथ मेरा प्रोसेसिंग शुरू हो जाता है। मुझे याद है, जब कोरोना आया, ये बड़े-बड़े नोबेल प्राइज विनर मुझ पर आकर दबाव डालते थे कि नोट छापो, नोट बांटो। ये जो आज अमीर लोगों को गालियां देते हैं, वो उस समय मुझे कहते थे कि अमीरों को पैसे दो, वर्ना इकोनॉमी खत्‍म हो जाएगी, रोजगार खत्‍म हो जाएगा। मैंने बिल्‍कुल वो नहीं किया। मैंने गरीब भूखा नहीं रहना चाहिए, गरीब के घर का चूल्‍हा जलता रहना चाहिए, पहली मेरी प्राइरोरटी वो बनी। दूसरे जो छोटे-छोटे लोग हैं, उनको मैं ताकत दूं। वो चलने चाहिए। तो मैंने छोटे लोगों को क्रेडिट गारंटी की दिशा में बल दिया, उसका परिणाम यह हुआ। हमारे जो स्‍मॉल मीडियम स्‍केल की इंडस्‍ट्री थी, उनकी जिंदगी चलती रही। मुझे पता था कि अगर मैं तीन महीने इसमें निकाल दूंगा, तो मैं इस चीज से से बाहर आ जाऊंगा। हुआ ये कि हम बहुत तेजी से बाहर निकल आए और दुनिया आज लड़खड़ा रही है और हम बहुत तेजी और स्थिरता से चले हैं। और जब नीतियां बनती हैं, तो आप एकेडमिक तराजू मेरी नीतियों को नहीं तोल सकते हैं। सिर्फ एक्‍सपीरियंस के दायरे में भी नहीं देख सकते हैं। दूसरा, मेरी नीतियों में एक विषय मुझे बहुत मदद करता है, मैं जो भी करूंगा मेरे देश के लिए करूंगा। कंफ्यूजन नहीं होना है। दूसरा, वो इंसान नीति सही बना सकता है, जिसका कोई निजी स्‍वार्थ नहीं होता है। क्‍या लेना है, मेरी पार्टी का भला होगा या नहीं होगा, मोदी का भला होगा कि नहीं होगा, मोदी के किसी रिश्‍तेदार का भला होगा कि नहीं होगा, तो नीति ऐसी बनाऊंगा तो उसको फायदा होगा, वो सब मेरे जीवन में है ही नहीं। स्‍ट्रेट वे मेरी पॉलिसी बनती है और उसका मुझे बहुत फायदा होता है।


एनडीटीवी : सर आपसे आखिरी सवाल, इसी से जुड़ा हुआ, भारत के बहुत सारे नौजवान लड़के-लड़कियां, उनके मन में भी ख्‍वाब है कि उनको भी मोदी जैसा लीडर बनना है। तो आपकी ये जो रेयर क्‍वालिटी है एक तो है सेल्‍फ टॉट लीडरशिप की। दूसरी है जिन्‍होंने आपसे डील किया वो बताते हैं कि आप एक्‍स्‍ट्रा ऑर्डिनली गुड लिस्‍नर हैं। आप सुनते बहुत हैं लोगों को। तो आप ये इस यूथ को क्‍या कहेंगे कि उनको आपके जैसा बनना हो तो क्‍या करे?

पीएम नरेंद्र मोदी : मैंने एक काम किया था, कोविड के समय, मैं वीडियो कॉन्‍फ्रेंस करता था। तो मैं नौजवानों से एक रिक्वेस्ट की थी, मैने कहा था एक काम कीजिए, आजकल मोबाइल कैमरा वैगरह अवलेबुल है। घर में दादा-दादी भी हैं, तो उनका वीडियो रिकॉर्डिंग कीजिए। उनके इंटरव्‍यू कीजिए कि वो स्‍कूल में पढ़ते थे, तो कैसा होता था? उनके समय शादियां कैसे होती थी? पहले घर छोटे होते थे, तो मेहमान आते थे, तब कैसे रहते थे? पहले बारात 5-7 दिन रहती थी तो कैसे रहते थी? मैं उनको कहता था कि पूछो, क्‍या होगा इससे कि ये अपने परिवार के लोग कैसे अपनी जिंदगी जीते-जीते यहां तक पहुंचे हैं। तो आप उससे कनेक्‍ट करोगे। मैं मानता हूं कि हमारे देश के नौजवानों को आजादी के बाद भारत की विकास यात्रा कैसे चली है, इसको खोजना चाहिए। खोजी मन से कि पहले कैसा होता था? कोयले वाली ट्रेनें चलती थीं, तो कोयला कहां से आता था? कोयले वाली ट्रेन को चलाने वाले अंदर आग में कैसे रहते थे? जरा देखो तो, एक-एक चीज को समझने की। जो नौजवान इस 75 साल की यात्रा को जानने समझने का प्रयास करेगा, तो वो आगे की यात्रा का हिस्‍सेदार बनेगा। इससे उसमें लीडरशिप की क्‍वालिटी पैदा होगी। उसको लगेगा कि मैं इसमें वैल्‍यू एडिशन कर सकता हूं। मेरे आगे के लोगों ने इतना किया है, अब मैं कुछ करूंगा। ये उसका इंस्‍प्रेशन बनेगा। दूसरा, बनने का ख्‍वाब लेकर चलेगा, तो निराशा जल्‍द आ जाएगी। कुछ करने का इरादा लेकर निकलेगा, तो करते-करते, संतोष धीरे-धीरे विस्‍तार होता जाएगा। और जो संतोष का विस्‍तार है ना वो सामर्थ्य का विस्‍तार बन जाता है और वो उसको लीडर बना सकता है। मैं तो चाहता हूं कि देश में वैसी ही लीडरशिप जितनी ज्‍यादा निकले, उतना देश का लाभ होगा।


एनडीटीवी : सर आपने जहां से बात समाप्त की है वहां से अध्यात्म पर चर्चा करने का एक अलग सत्र करना पड़ेगा। आपके पास समय की कमी है। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

पीएम नरेंद्र मोदी : बहुत बहुत धन्यवाद, नमस्कार सबका। मैं मानता हूं कि लोकतंत्र के उत्सव में, अब तो बहुत कम समय बाकी रहा है। ज्यादातर तो चुनाव पूरा हो गया है। नौजवान बढ़-चढकर भाग लें। माताएं-बहनें, युवा और लोकतंत्र को उत्सव के रूप में सेलिब्रेट करना चाहिए। ये सिर्फ मैं कोई कांट्रेक्ट साइन करने के लिए नहीं जा रहा हूं कि सरकार पांच साल देने के लिए, चलो एक पिन दबा करके चले आओ। मैं कोई कांट्रेक्ट के लिए पिन दबाने के लिए नहीं जा रहा हूं। मैं मेरे देश को चलाने का भागीदार बन रहा हूं। एक उत्सव के रूप में चलाना चाहिए तब बहुत बड़ा फायदा होगा देश का। धन्यवाद।


एनडीटीवी के दर्शकों की तरफ से आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत बहुत धन्यवाद

थैक्स ये लॉट।

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Text of PM’s address at Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India
December 23, 2024
It is a moment of pride that His Holiness Pope Francis has made His Eminence George Koovakad a Cardinal of the Holy Roman Catholic Church: PM
No matter where they are or what crisis they face, today's India sees it as its duty to bring its citizens to safety: PM
India prioritizes both national interest and human interest in its foreign policy: PM
Our youth have given us the confidence that the dream of a Viksit Bharat will surely be fulfilled: PM
Each one of us has an important role to play in the nation's future: PM

Respected Dignitaries…!

आप सभी को, सभी देशवासियों को और विशेषकर दुनिया भर में उपस्थित ईसाई समुदाय को क्रिसमस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं, ‘Merry Christmas’ !!!

अभी तीन-चार दिन पहले मैं अपने साथी भारत सरकार में मंत्री जॉर्ज कुरियन जी के यहां क्रिसमस सेलीब्रेशन में गया था। अब आज आपके बीच उपस्थित होने का आनंद मिल रहा है। Catholic Bishops Conference of India- CBCI का ये आयोजन क्रिसमस की खुशियों में आप सबके साथ जुड़ने का ये अवसर, ये दिन हम सबके लिए यादगार रहने वाला है। ये अवसर इसलिए भी खास है, क्योंकि इसी वर्ष CBCI की स्थापना के 80 वर्ष पूरे हो रहे हैं। मैं इस अवसर पर CBCI और उससे जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

पिछली बार आप सभी के साथ मुझे प्रधानमंत्री निवास पर क्रिसमस मनाने का अवसर मिला था। अब आज हम सभी CBCI के परिसर में इकट्ठा हुए हैं। मैं पहले भी ईस्टर के दौरान यहाँ Sacred Heart Cathedral Church आ चुका हूं। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे आप सबसे इतना अपनापन मिला है। इतना ही स्नेह मुझे His Holiness Pope Francis से भी मिलता है। इसी साल इटली में G7 समिट के दौरान मुझे His Holiness Pope Francis से मिलने का अवसर मिला था। पिछले 3 वर्षों में ये हमारी दूसरी मुलाकात थी। मैंने उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी दिया है। इसी तरह, सितंबर में न्यूयॉर्क दौरे पर कार्डिनल पीट्रो पैरोलिन से भी मेरी मुलाकात हुई थी। ये आध्यात्मिक मुलाक़ात, ये spiritual talks, इनसे जो ऊर्जा मिलती है, वो सेवा के हमारे संकल्प को और मजबूत बनाती है।

साथियों,

अभी मुझे His Eminence Cardinal जॉर्ज कुवाकाड से मिलने का और उन्हें सम्मानित करने का अवसर मिला है। कुछ ही हफ्ते पहले, His Eminence Cardinal जॉर्ज कुवाकाड को His Holiness Pope Francis ने कार्डिनल की उपाधि से सम्मानित किया है। इस आयोजन में भारत सरकार ने केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में आधिकारिक रूप से एक हाई लेवल डेलिगेशन भी वहां भेजा था। जब भारत का कोई बेटा सफलता की इस ऊंचाई पर पहुंचता है, तो पूरे देश को गर्व होना स्वभाविक है। मैं Cardinal जॉर्ज कुवाकाड को फिर एक बार बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

आज आपके बीच आया हूं तो कितना कुछ याद आ रहा है। मेरे लिए वो बहुत संतोष के क्षण थे, जब हम एक दशक पहले फादर एलेक्सिस प्रेम कुमार को युद्ध-ग्रस्त अफगानिस्तान से सुरक्षित बचाकर वापस लाए थे। वो 8 महीने तक वहां बड़ी विपत्ति में फंसे हुए थे, बंधक बने हुए थे। हमारी सरकार ने उन्हें वहां से निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया। अफ़ग़ानिस्तान के उन हालातों में ये कितना मुश्किल रहा होगा, आप अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन, हमें इसमें सफलता मिली। उस समय मैंने उनसे और उनके परिवार के सदस्यों से बात भी की थी। उनकी बातचीत को, उनकी उस खुशी को मैं कभी भूल नहीं सकता। इसी तरह, हमारे फादर टॉम यमन में बंधक बना दिए गए थे। हमारी सरकार ने वहाँ भी पूरी ताकत लगाई, और हम उन्हें वापस घर लेकर आए। मैंने उन्हें भी अपने घर पर आमंत्रित किया था। जब गल्फ देशों में हमारी नर्स बहनें संकट से घिर गई थीं, तो भी पूरा देश उनकी चिंता कर रहा था। उन्हें भी घर वापस लाने का हमारा अथक प्रयास रंग लाया। हमारे लिए ये प्रयास केवल diplomatic missions नहीं थे। ये हमारे लिए एक इमोशनल कमिटमेंट था, ये अपने परिवार के किसी सदस्य को बचाकर लाने का मिशन था। भारत की संतान, दुनिया में कहीं भी हो, किसी भी विपत्ति में हो, आज का भारत, उन्हें हर संकट से बचाकर लाता है, इसे अपना कर्तव्य समझता है।

साथियों,

भारत अपनी विदेश नीति में भी National-interest के साथ-साथ Human-interest को प्राथमिकता देता है। कोरोना के समय पूरी दुनिया ने इसे देखा भी, और महसूस भी किया। कोरोना जैसी इतनी बड़ी pandemic आई, दुनिया के कई देश, जो human rights और मानवता की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, जो इन बातों को diplomatic weapon के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जरूरत पड़ने पर वो गरीब और छोटे देशों की मदद से पीछे हट गए। उस समय उन्होंने केवल अपने हितों की चिंता की। लेकिन, भारत ने परमार्थ भाव से अपने सामर्थ्य से भी आगे जाकर कितने ही देशों की मदद की। हमने दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में दवाइयाँ पहुंचाईं, कई देशों को वैक्सीन भेजी। इसका पूरी दुनिया पर एक बहुत सकारात्मक असर भी पड़ा। अभी हाल ही में, मैं गयाना दौरे पर गया था, कल मैं कुवैत में था। वहां ज्यादातर लोग भारत की बहुत प्रशंसा कर रहे थे। भारत ने वैक्सीन देकर उनकी मदद की थी, और वो इसका बहुत आभार जता रहे थे। भारत के लिए ऐसी भावना रखने वाला गयाना अकेला देश नहीं है। कई island nations, Pacific nations, Caribbean nations भारत की प्रशंसा करते हैं। भारत की ये भावना, मानवता के लिए हमारा ये समर्पण, ये ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच ही 21वीं सदी की दुनिया को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।

Friends,

The teachings of Lord Christ celebrate love, harmony and brotherhood. It is important that we all work to make this spirit stronger. But, it pains my heart when there are attempts to spread violence and cause disruption in society. Just a few days ago, we saw what happened at a Christmas Market in Germany. During Easter in 2019, Churches in Sri Lanka were attacked. I went to Colombo to pay homage to those we lost in the Bombings. It is important to come together and fight such challenges.

Friends,

This Christmas is even more special as you begin the Jubilee Year, which you all know holds special significance. I wish all of you the very best for the various initiatives for the Jubilee Year. This time, for the Jubilee Year, you have picked a theme which revolves around hope. The Holy Bible sees hope as a source of strength and peace. It says: "There is surely a future hope for you, and your hope will not be cut off." We are also guided by hope and positivity. Hope for humanity, Hope for a better world and Hope for peace, progress and prosperity.

साथियों,

बीते 10 साल में हमारे देश में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त किया है। ये इसलिए हुआ क्योंकि गरीबों में एक उम्मीद जगी, की हां, गरीबी से जंग जीती जा सकती है। बीते 10 साल में भारत 10वें नंबर की इकोनॉमी से 5वें नंबर की इकोनॉमी बन गया। ये इसलिए हुआ क्योंकि हमने खुद पर भरोसा किया, हमने उम्मीद नहीं हारी और इस लक्ष्य को प्राप्त करके दिखाया। भारत की 10 साल की विकास यात्रा ने हमें आने वाले साल और हमारे भविष्य के लिए नई Hope दी है, ढेर सारी नई उम्मीदें दी हैं। 10 साल में हमारे यूथ को वो opportunities मिली हैं, जिनके कारण उनके लिए सफलता का नया रास्ता खुला है। Start-ups से लेकर science तक, sports से entrepreneurship तक आत्मविश्वास से भरे हमारे नौजवान देश को प्रगति के नए रास्ते पर ले जा रहे हैं। हमारे नौजवानों ने हमें ये Confidence दिया है, य़े Hope दी है कि विकसित भारत का सपना पूरा होकर रहेगा। बीते दस सालों में, देश की महिलाओं ने Empowerment की नई गाथाएं लिखी हैं। Entrepreneurship से drones तक, एरो-प्लेन उड़ाने से लेकर Armed Forces की जिम्मेदारियों तक, ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहां महिलाओं ने अपना परचम ना लहराया हो। दुनिया का कोई भी देश, महिलाओं की तरक्की के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। और इसलिए, आज जब हमारी श्रमशक्ति में, Labour Force में, वर्किंग प्रोफेशनल्स में Women Participation बढ़ रहा है, तो इससे भी हमें हमारे भविष्य को लेकर बहुत उम्मीदें मिलती हैं, नई Hope जगती है।

बीते 10 सालों में देश बहुत सारे unexplored या under-explored sectors में आगे बढ़ा है। Mobile Manufacturing हो या semiconductor manufacturing हो, भारत तेजी से पूरे Manufacturing Landscape में अपनी जगह बना रहा है। चाहे टेक्लोलॉजी हो, या फिनटेक हो भारत ना सिर्फ इनसे गरीब को नई शक्ति दे रहा है, बल्कि खुद को दुनिया के Tech Hub के रूप में स्थापित भी कर रहा है। हमारा Infrastructure Building Pace भी अभूतपूर्व है। हम ना सिर्फ हजारों किलोमीटर एक्सप्रेसवे बना रहे हैं, बल्कि अपने गांवों को भी ग्रामीण सड़कों से जोड़ रहे हैं। अच्छे ट्रांसपोर्टेशन के लिए सैकड़ों किलोमीटर के मेट्रो रूट्स बन रहे हैं। भारत की ये सारी उपलब्धियां हमें ये Hope और Optimism देती हैं कि भारत अपने लक्ष्यों को बहुत तेजी से पूरा कर सकता है। और सिर्फ हम ही अपनी उपलब्धियों में इस आशा और विश्वास को नहीं देख रहे हैं, पूरा विश्व भी भारत को इसी Hope और Optimism के साथ देख रहा है।

साथियों,

बाइबल कहती है- Carry each other’s burdens. यानी, हम एक दूसरे की चिंता करें, एक दूसरे के कल्याण की भावना रखें। इसी सोच के साथ हमारे संस्थान और संगठन, समाज सेवा में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में नए स्कूलों की स्थापना हो, हर वर्ग, हर समाज को शिक्षा के जरिए आगे बढ़ाने के प्रयास हों, स्वास्थ्य के क्षेत्र में सामान्य मानवी की सेवा के संकल्प हों, हम सब इन्हें अपनी ज़िम्मेदारी मानते हैं।

साथियों,

Jesus Christ ने दुनिया को करुणा और निस्वार्थ सेवा का रास्ता दिखाया है। हम क्रिसमस को सेलिब्रेट करते हैं और जीसस को याद करते हैं, ताकि हम इन मूल्यों को अपने जीवन में उतार सकें, अपने कर्तव्यों को हमेशा प्राथमिकता दें। मैं मानता हूँ, ये हमारी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी भी है, सामाजिक दायित्व भी है, और as a nation भी हमारी duty है। आज देश इसी भावना को, ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास’ के संकल्प के रूप में आगे बढ़ा रहा है। ऐसे कितने ही विषय थे, जिनके बारे में पहले कभी नहीं सोचा गया, लेकिन वो मानवीय दृष्टिकोण से सबसे ज्यादा जरूरी थे। हमने उन्हें हमारी प्राथमिकता बनाया। हमने सरकार को नियमों और औपचारिकताओं से बाहर निकाला। हमने संवेदनशीलता को एक पैरामीटर के रूप में सेट किया। हर गरीब को पक्का घर मिले, हर गाँव में बिजली पहुंचे, लोगों के जीवन से अंधेरा दूर हो, लोगों को पीने के लिए साफ पानी मिले, पैसे के अभाव में कोई इलाज से वंचित न रहे, हमने एक ऐसी संवेदनशील व्यवस्था बनाई जो इस तरह की सर्विस की, इस तरह की गवर्नेंस की गारंटी दे सके।

आप कल्पना कर सकते हैं, जब एक गरीब परिवार को ये गारंटी मिलती हैं तो उसके ऊपर से कितनी बड़ी चिंता का बोझ उतरता है। पीएम आवास योजना का घर जब परिवार की महिला के नाम पर बनाया जाता है, तो उससे महिलाओं को कितनी ताकत मिलती है। हमने तो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नारीशक्ति वंदन अधिनियम लाकर संसद में भी उनकी ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित की है। इसी तरह, आपने देखा होगा, पहले हमारे यहाँ दिव्यांग समाज को कैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। उन्हें ऐसे नाम से बुलाया जाता था, जो हर तरह से मानवीय गरिमा के खिलाफ था। ये एक समाज के रूप में हमारे लिए अफसोस की बात थी। हमारी सरकार ने उस गलती को सुधारा। हमने उन्हें दिव्यांग, ये पहचान देकर के सम्मान का भाव प्रकट किया। आज देश पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर रोजगार तक हर क्षेत्र में दिव्यांगों को प्राथमिकता दे रहा है।

साथियों,

सरकार में संवेदनशीलता देश के आर्थिक विकास के लिए भी उतनी ही जरूरी होती है। जैसे कि, हमारे देश में करीब 3 करोड़ fishermen हैं और fish farmers हैं। लेकिन, इन करोड़ों लोगों के बारे में पहले कभी उस तरह से नहीं सोचा गया। हमने fisheries के लिए अलग से ministry बनाई। मछलीपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधाएं देना शुरू किया। हमने मत्स्य सम्पदा योजना शुरू की। समंदर में मछलीपालकों की सुरक्षा के लिए कई आधुनिक प्रयास किए गए। इन प्रयासों से करोड़ों लोगों का जीवन भी बदला, और देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिला।

Friends,

From the ramparts of the Red Fort, I had spoken of Sabka Prayas. It means collective effort. Each one of us has an important role to play in the nation’s future. When people come together, we can do wonders. Today, socially conscious Indians are powering many mass movements. Swachh Bharat helped build a cleaner India. It also impacted health outcomes of women and children. Millets or Shree Anna grown by our farmers are being welcomed across our country and the world. People are becoming Vocal for Local, encouraging artisans and industries. एक पेड़ माँ के नाम, meaning ‘A Tree for Mother’ has also become popular among the people. This celebrates Mother Nature as well as our Mother. Many people from the Christian community are also active in these initiatives. I congratulate our youth, including those from the Christian community, for taking the lead in such initiatives. Such collective efforts are important to fulfil the goal of building a Developed India.

साथियों,

मुझे विश्वास है, हम सबके सामूहिक प्रयास हमारे देश को आगे बढ़ाएँगे। विकसित भारत, हम सभी का लक्ष्य है और हमें इसे मिलकर पाना है। ये आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारा दायित्व है कि हम उन्हें एक उज्ज्वल भारत देकर जाएं। मैं एक बार फिर आप सभी को क्रिसमस और जुबली ईयर की बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।