सवाल: मोदी जी, हम पूरे देश में घूम रहे हैं। हम दक्षिण में थे, बिहार गए, महाराष्ट्र भी गए। चाहे विपक्ष से बात करें या आपके उम्मीदवारों से, वे कहते हैं कि ‘मोदी जी यहाँ आएँगे तो सब कुछ बदल जाएगा’। वे कहते हैं ‘अभी कुछ नहीं कहा जा सकता’। ‘मोदी जी यहाँ आएँगे तो हो सकता है कि स्वीप हो जाए, सीट मिल जाए’। तो क्या 2024 का यह चुनाव नरेन्द्र मोदी पर जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा सकता है?
पीएम मोदी: अब ये तो मीडिया का काम है कि वो कैसे और कब विश्लेषण करे। लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा कि मैं कोई चुनाव के समय की सरकार नहीं चलाता। अगर आप मेरे 10 साल का रिकॉर्ड देखेंगे तो औसतन हर शुक्रवार, शनिवार और रविवार को मैं हिन्दुस्तान के किसी न किसी कोने में गया हूं। मैं लोगों के बीच गया हूं और इसलिए मेरी यात्राओं का सिलसिला बना ही रहता है। मेरा मानना है कि चुनाव लोकतंत्र का उत्सव है और इसलिए सभी राजनीतिक दलों का कर्तव्य है कि वो ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच जाएं। संवाद और चर्चा करें। तो चुनाव का समय हो या न हो, मैं राजनीतिक क्षेत्र के कार्यकर्ता के तौर पर लोगों से मिलना अपना कर्तव्य मानता हूं।
जहां तक इन दो चरणों के चुनाव की बात है, मैंने बहुत कम चुनावों में ऐसा जनसमर्थन देखा है। एक प्रकार से ये चुनाव जनता लड़ रही है। सुशासन के लिए लड़ रही है। अपने सपनों को पूरा करने के लिए लड़ रही है। मुझे लगता है कि शायद मैं तो सिर्फ माध्यम हूं। इस बार मैं जनता के बीच जाने के लिए ज्यादा उत्साहित हूं, क्योंकि जब जनता इतनी बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए इतनी उत्साहित है, तो मुझे लगता है कि मेरा भी कर्तव्य बनता है कि मैं उनके सामने झुकूं और उनका आशीर्वाद लूं। जब पहले चरण का चुनाव हुआ, तो मैंने कुछ मित्रों से कहा था कि जो लोग हमारे खिलाफ प्रचार कर रहे थे, वो पस्त हो गए हैं। दूसरे चरण के बाद वो ध्वस्त हो गए हैं। पहले लोगों ने उन्हें पस्त किया, अब लोगों ने उन्हें ध्वस्त कर दिया।
सवाल: मोदी जी, आपने बहुत ही जोरदार तरीके से प्रचार अभियान की शुरुआत की। आपने सरकार के पूरे काम को पेश किया। आप विकास के एजेंडे को लेकर आगे बढ़े। आपने अर्थव्यवस्था पर बहुत प्रकाश डाला और इस पर बहुत काम हुआ है। अब, दो राउंड के बाद, आपने राजस्थान की एक रैली में कांग्रेस के घोषणापत्र पर सीधा हमला किया। आपने यहां तक कहा कि उनके पास एक योजना है जिसके जरिए वे लोगों की संपत्ति का पुनर्वितरण करना चाहते हैं। वे यह पता लगाना चाहते हैं कि किसके पास कितनी बचत है, किसके पास कितना पैसा है, किसके पास कितना सोना, चांदी है और वे इसे मुसलमानों और घुसपैठियों में बांटना चाहते हैं। क्या यह खतरा इतना वास्तविक है? क्या आप इसे इस तरह देखते हैं?
पीएम मोदी: मुझे लगता है कि शायद आपकी टीम ने मेरे पूरे अभियान को ट्रैक नहीं किया है। कई अच्छी विकास संबंधी बातें हैं जो टीआरपी के मामले में फिट नहीं बैठती हैं। लेकिन आपने देखा होगा कि मेरा पूरा चुनाव अभियान दो बातों पर केंद्रित है। एक, हमने समाज के कल्याण के लिए काम किया है। इस सरकार में सबसे बड़ा अंतर यह है कि लास्ट माइल डिलीवरी हमारी खासियत है। देखिए, कोई भी सरकार बुरा करने के लिए नहीं बनती है, यह अच्छा करना चाहती है। कुछ लोग दूसरों के लिए अच्छा करना जानते हैं, कुछ लोग अच्छे काम होने का इंतजार करते हैं। मैं ऐसा व्यक्ति हूं जो कड़ी मेहनत करने और काम पूरा करने में विश्वास करता हूं।
अब देखिए, मैं लगातार चुनाव में कह रहा हूं कि हमने गरीबों के लिए चार करोड़ घर बनाए हैं। मैं इतने लोगों से कहता हूं कि जब आप इस चुनाव प्रचार में जाएं तो कृपया करके मुझे उन लोगों की सूची भेजिए जिनके घर नहीं बने हैं। जैसे ही मेरा तीसरा कार्यकाल शुरू होगा, मैं इस काम को आगे बढ़ाना चाहता हूं। मैं तीन करोड़ और घर बनाना चाहता हूं। अब आयुष्मान भारत योजना दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा और स्वास्थ्य आश्वासन योजना है। यह 55 करोड़ लोगों को इलाज का आश्वासन है। यह आश्वासन है कि मोदी की सरकार आपके साथ है। इस बार हमने घोषणापत्र में कहा है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी वर्ग, समाज, पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखता हो, 70 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति --- पुरुष और महिला दोनों --- उसे 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलेगा। इस बार हमने घोषणापत्र में यह भी कहा है कि हम आशा कार्यकर्ताओं को इसका लाभ देंगे। हम ट्रांसजेंडर्स को भी लाभ देंगे, चाहे उनकी उम्र कुछ भी हो।
अभी आपने देखा होगा हमारे देश में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो गया और ये जो बैंक जब्ती का खेल चल रहा है, ये पहले भी हो चुका है। सारे बैंक प्राइवेट थे, उन्होंने लूट मचाई है और गरीबों के नाम पर पैसे ले रहे हैं। हमारे देश में बैंकों की हालत बहुत दयनीय थी। देश की आधी से ज्यादा आबादी ऐसी थी जो बैंकों में खाते खुलवाने के लिए पैसे देती थी लेकिन बैंकों ने कभी उनके खाते नहीं खोले। फिर मोदी आया और 52 करोड़ बैंक खाते खुलवाए और इसका सबसे बड़ा फायदा मैंने उठाया। मैंने जनधन, मोबाइल और आधार की त्रिवेणी को लिया और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) को प्रोत्साहित किया। 36 लाख करोड़ रुपये की राशि, यह आंकड़ा बहुत बड़ा है, लोगों के खातों में [DBT से] गई है। हमारे देश में इतना बड़ा फाइनेंशियल इंक्लूजन [खाते खोलने के कारण] हुआ है। यह दुनिया में एक साल में खोले गए खातों की संख्या से भी अधिक है। पहले भारत में सिर्फ 3-4% गाँवों में ही घरों में नल का पानी मिलता था, वो भी सिर्फ शहरों जैसे इलाकों में, लेकिन आज, 14 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक नल का पानी पहुंच चुका है।
अब ये सारा काम, जिसके कारण 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ पाए हैं। हमने उनको सशक्त किया है और मेरी रणनीति ये है कि हम गरीबों को इतनी ताकत दें, इतनी शक्ति दें कि गरीब खुद गरीबी से बाहर आ जाए। और जब गरीब अपनी मेहनत से गरीबी से बाहर निकलता है, उसके बाद वो फिर से गरीबी में नहीं जाना चाहता है। ये एक कमिटमेंट बन जाता है, वो देश की ताकत बन जाता है। आज हमें फायदा हो रहा है क्योंकि 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं। ये बहुत बड़ी उपलब्धि है, दुनिया इसकी प्रशंसा कर रही है, और ये विकासशील देशों के लिए एक मॉडल बनेगा।
आप देखिए, 2014 से पहले क्या स्थिति थी? Fragile 5 हेडलाइन हुआ करती थी। आज हम एक वाइब्रेंट इकोनॉमी बन गए हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में दुनिया के 150 देशों का एक समूह है, जिसमें चीन और भारत जैसे देश शामिल हैं। इन देशों को विकासशील देश या उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश भी कहा जा सकता है। IMF ने इन सभी देशों का एक साथ अध्ययन किया। ये काफी दिलचस्प है।
1998 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी, समकक्ष समूह के अन्य देशों की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत थी। उस समय अटल जी की सरकार थी। 1998 से 2004 तक अटल जी ने इस आंकड़े को 30 प्रतिशत से 35 प्रतिशत तक पहुंचाया। यह अच्छी प्रगति थी। लेकिन दुर्भाग्य से 2004 में यह खिचड़ी कंपनी आई और इस खिचड़ी कंपनी ने अटल जी के काम को बर्बाद कर दिया। उन्होंने इस आंकड़े को 35 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत पर ला दिया। इन सभी देशों ने भारत से बेहतर प्रदर्शन किया। यूपीए सरकार के दौरान, भारत विकासशील दुनिया के अन्य देशों की तुलना में गरीब हो गया। हमसे गरीब जो थे, वे आगे बढ़ गए।
लेकिन 2014 में, सरकार बनने के बाद, 2019 तक, आपको जानकर खुशी होगी कि हम इस आंकड़े को 37 प्रतिशत तक ले गए। और जब मैं वर्ष 2024 में पहुंचा, तो ये आंकड़ा 42 प्रतिशत था। इसका मतलब दुनिया के अन्य देशों की तुलना में हमारी आय बहुत तेजी से बढ़ी है। अगर आप दस साल की अवधि में मुद्रास्फीति की दर को देखें, जिसकी इतनी चर्चा होती है, तो इन दस वर्षों में सबसे कम मुद्रास्फीति देखी गई है। मैं जो कह रहा हूं वो वास्तविकता के आधार पर है। हमने बहुत मेहनत के बाद इसे प्राप्त किया है। हमने पूरी सरकार को जुटाया, हमने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया। उसके बावजूद भी मोदी क्या कहता है? मोदी कहता है कि ये तो सिर्फ ट्रेलर है, मुझे और आगे जाना है। मैं बहुत तेजी से आगे बढ़ना चाहता हूं, देश को साथ लेकर चलना चाहता हूं।
जहां तक कांग्रेस के घोषणापत्र का सवाल है, कोई मुझे बताए कि क्या चुनाव के समय राजनीतिक दलों के घोषणापत्र सिर्फ दिखावा मात्र होते हैं? मीडिया का काम है कि हर राजनीतिक दल के घोषणापत्र को पढ़े। मैं मीडिया की टिप्पणी का इंतजार कर रहा था। मैंने पहले दिन घोषणापत्र पर टिप्पणी की थी। घोषणापत्र देखने के बाद मुझे लगा कि इसमें मुस्लिम लीग की छाप है। मुझे लगा कि मीडिया को झटका लगेगा। विश्लेषण करने वाले चौंक जाएंगे... लेकिन वे तो कांग्रेस जो भी पेश करती है, वही कहते रहते हैं। फिर मुझे लगा कि यह तो इकोसिस्टम का बहुत बड़ा घोटाला लगता है और मुझे सच्चाई सामने लानी ही पड़ेगी। मैंने 10 दिन तक इंतजार किया कि घोषणापत्र की बुराइयां कोई न कोई सामने ला देगा, क्योंकि अगर निष्पक्ष तरीके से लाया जाए तो अच्छा ही होता है। आखिरकार मुझे मजबूरन ये सच्चाई सामने लानी ही पड़ी।
आप देखिए, जब उनके एक ‘महाशय’ ने अमेरिका में इंटरव्यू दिया था, तो उन्होंने इनहेरिटेंस टैक्स के माध्यम से आपकी संपत्ति पर 55 प्रतिशत टैक्स लगाने का मुद्दा उठाया। मैं विकास और विरासत (इनहेरिटेंस) की बात कर रहा हूँ और वे इनहेरिटेंस को लूटने की बात कर रहे हैं। उनका आज तक का इतिहास घोषणापत्र में लिखे गए कामों को करने का रहा है। मेरी जिम्मेदारी है कि मैं देशवासियों को बताऊँ कि वे देश को इस दिशा में ले जा रहे हैं। अब आप तय करें कि आपको जाना है या नहीं। लेकिन मेरी जिम्मेदारी है कि मैं तथ्यों और महत्व के आधार पर आपको सच बताऊँ।
सवाल: सैम पित्रोदा ने हमारे द्वारा अपने परिवार के लिए बचाई गई संपत्ति पर उत्तराधिकार कर के बारे में बात की, जिसे हम अपनी अगली पीढ़ी को देते हैं। यह टैक्स बहुत अधिक हो सकता है। क्या आप कहेंगे कि अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो वह इस टैक्स को कभी लागू नहीं करेगी?
पीएम मोदी: भारतीय जनता पार्टी, जो करने की योजना बनाती है, वह हमारे घोषणापत्र में लिखा होता है। आपके मन में यह बात कैसे आई कि हम उनकी योजना को आगे बढ़ाएंगे? भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा एकदम स्पष्ट है। हम अपने घोषणापत्र के साथ देश के सामने जाते हैं और काम करते हैं। कृपया उनके ‘महान’ विचारों को हम पर न थोपें।
सवाल: राहुल गांधी ने जाति जनगणना के साथ-साथ राष्ट्रीय एक्स-रे या सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण की बात कही है। संस्थागत सर्वेक्षण में यह देखा जाएगा कि कौन से वर्ग पिछड़े हैं और उसी के अनुसार संपत्ति का पुनर्वितरण किया जाएगा...
पीएम मोदी: जो लोग खुद को राजनीति के विशेषज्ञ मानते हैं, उन्हें ऐसे लोगों से पूछना चाहिए कि अगर आप (कांग्रेस) जो हालात बता रहे हैं, वो सच हैं, तो आप 50-60 साल से सत्ता में हैं। आपने ही इसे जन्म दिया है। आपने इसे ये स्थिति क्यों आने दी? दूसरा, एक्स-रे का मतलब है हर घर में छापा मारना। अगर किसी महिला ने अनाज के डिब्बे में अपने गहने रखे हुए हैं, तो उसका भी एक्स-रे किया जाएगा। गहने जब्त किए जाएंगे। जमीन के रिकॉर्ड की जांच की जाएगी। और उसे फिर बांटा जाएगा। इस माओवादी विचारधारा ने दुनिया का कभी भला नहीं किया। यह पूरी तरह से 'अर्बन नक्सल' सोच है। यही कारण है कि एक खास तबका, जो आमतौर पर उनके पक्ष में लिखता रहता है, घोषणापत्र के 10 दिन बाद भी चुप रहा, क्योंकि इससे उन्हें मदद मिलेगी। फिर मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं देश को इस बात से अवगत कराऊं कि वे आपको लूटने की योजना बना रहे हैं। अगला हिस्सा है डॉ. मनमोहन सिंह ने साफ तौर पर कहा है कि देश के संसाधनों पर पहला हक किसका है। उन्होंने अपने इरादे साफ तौर पर बताए हैं।
सवाल: 2006 का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें मनमोहन सिंह जी ने कहा है कि संसाधनों पर पहला हक गरीब मुसलमानों का है। उन्होंने साफ तौर पर यह कहा है। आपने मेनिफेस्टो में भी इस बात को इंगित किया है कि वे ओबीसी आरक्षण का एक हिस्सा लेकर मुसलमानों को देना चाहते हैं और 2004-2014 के बीच उन्होंने चार-पांच बार ऐसा करने की कोशिश की है।
पीएम मोदी: आपने बहुत रोचक सवाल पूछा है। जवाब लंबा होगा, लेकिन देश के हित में मुझे आपको बताना पड़ेगा।
आप कांग्रेस का इतिहास देखिए, 1990 के दशक से ही ये मांग उठ रही है। देश में समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है, जिसे लगता था कि उनके लिए कुछ किया जाना चाहिए, इसके लिए आंदोलन हुए। 1990 से पहले कांग्रेस ने इसका पूरी तरह से विरोध किया और इसे दबाया। फिर उन्होंने जो भी आयोग बनाए, जो भी समितियां बनाईं, उनकी रिपोर्ट भी ओबीसी के पक्ष में आने लगी। वे इन विचारों को नकारते रहे, खारिज करते रहे, दबाते रहे। लेकिन 90 के दशक के बाद वोट बैंक की राजनीति के कारण उन्हें लगा कि कुछ करना चाहिए।
तो, उन्होंने पहला पाप क्या किया? 90 के दशक में उन्होंने कर्नाटक में मुसलमानों को ओबीसी में वर्गीकृत करने का फैसला किया। तो वे पहले ओबीसी को खारिज कर रहे थे और दबा रहे थे, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए उन्होंने मुसलमानों को ओबीसी करार दे दिया। कांग्रेस केंद्र से बाहर हो गई। यह योजना 2004 तक अटकी रही। 2004 में जब कांग्रेस वापस आई तो उसने तुरंत आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को ओबीसी कोटा देने का फैसला किया। मामला कोर्ट में उलझ गया। भारत की संसद ने संविधान की मूल भावना के अनुरूप ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया था। अब उन्होंने इस 27 प्रतिशत कोटे को लूटने की कोशिश की।
2006 में राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक हुई थी, जिसमें सिंह के बयान पर बहुत हंगामा हुआ था। दो साल तक वे चुप रहे। 2009 के घोषणा पत्र में उन्होंने इसका फिर उल्लेख किया। 2011 में इस पर कैबिनेट नोट है, जिसमें उन्होंने ओबीसी कोटे से मुसलमानों को हिस्सा देने का निर्णय लिया। उन्होंने यूपी चुनाव में भी यही कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 2012 में आंध्र हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। वे सुप्रीम कोर्ट गए, वहां भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। 2014 के घोषणापत्र में भी धर्म के आधार पर आरक्षण की बात कही गई थी। जब भारत का संविधान बना, तब आरएसएस या बीजेपी के लोग मौजूद नहीं थे। बाबासाहेब अंबेडकर, पंडित नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और हमारे देश के कई महापुरुष मौजूद थे और लंबे चिंतन के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि भारत जैसे देश में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
2024 के चुनाव के लिए इनका घोषणापत्र देखिए। इसमें मुस्लिम लीग की छाप है। जिस तरह से ये संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं, जिस तरह से ये अंबेडकर का अपमान कर रहे हैं...एससी और एसटी के आरक्षण पर खतरे की तलवार लटक रही है। ये ओबीसी का जीना मुश्किल कर देंगे। क्या मुझे देश के लोगों को ये नहीं बताना चाहिए? मेरा मानना है कि इस देश को शिक्षित करने की, इसे सही बातें बताने की जिम्मेदारी सभी विद्वान लोगों की है, जो ज्ञानवान हैं, जो निष्पक्ष हैं।
सवाल: कांग्रेस का कहना है कि उन्होंने ऐसा स्पष्ट रूप से नहीं कहा है। उन्होंने घोषणापत्र में जो कहा है, उसमें लिखा है कि वे अल्पसंख्यकों के छात्रों को प्रोत्साहित करेंगे और उनकी सहायता करेंगे। उन्होंने कहा है कि वे सुनिश्चित करेंगे कि अल्पसंख्यकों को उनके उचित अवसर मिलें। अगर उन्होंने ऐसा कहा है, तो आप इसे कैसे देखते हैं?
पीएम मोदी: मुझे इसे पढ़ने की जरूरत नहीं है। मैंने आपको 1990 से लेकर अब तक का हिसाब दिया है। जब आप 1990 का हिसाब देखेंगे, उसके बाद आप मुझसे क्या कहेंगे? अब मुझे इसका विश्लेषण करने की जरूरत नहीं है। अगर आप 1990 से लेकर मनमोहन सिंह जी के 2009 के बयान तक की सारी चीजों को टेबल पर देखेंगे, तो आप इससे क्या निष्कर्ष निकालेंगे? मैं यह निष्कर्ष नहीं निकाल रहा हूं, कोई भी यह निष्कर्ष निकाल लेगा कि वे ऐसा करेंगे।
सवाल: वे संस्थाओं में भागीदारी, ओबीसी जजों की कमी या मीडिया में ओबीसी के लिए प्रतिनिधित्व न होने की बात करते हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?
पीएम मोदी: अब मुझे बताइए, 2014 में जब हम आए, क्या हमने कोई ऐसी नीति बनाई, जिससे किसी को रोका जा सके? ये उनके पाप हैं। जिसकी सजा देश भुगत रहा है। अगर उन्होंने सही मायने में धर्मनिरपेक्षता का पालन किया होता, सही मायने में सामाजिक न्याय किया होता, वोट बैंक की राजनीति नहीं की होती, तो आज उन्हें नकली कागज लेकर नहीं घूमना पड़ता। मुझे विश्वास है कि पिछले 10 सालों से मैं जो कर रहा हूं, उसके परिणाम ऐसे आएंगे कि जो भी सवाल पूछे जाएंगे, हम अपने काम के आधार पर उनका जवाब दे पाएंगे। हम सबको न्याय देंगे। आज हमारे देश को पहली आदिवासी राष्ट्रपति कैसे मिलीं? हमारी सोच के जरिए। हमें भारत का राष्ट्रपति बनाने के तीन मौके मिले। एक बार अटल जी के समय में और दो बार मेरे समय में। हमने पहली बार किसे चुना? सबसे पहले हमने अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य अब्दुल कलाम को बनाया। फिर दलित (रामनाथ कोविंद) को बनाया, फिर आदिवासी महिला (द्रौपदी मुर्मू) को बनाया। हमारे काम हमारी सोच को दर्शाते हैं।
सवाल: मोदी जी, आपने एक और बात कही है और मैं इसे एक लंबे प्रश्न से जोड़ना चाहता हूँ। आपने कहा है कि अगर उनका गठबंधन सरकार बनाता है तो वे रोटेशन के हिसाब से प्रधानमंत्री बनेंगे। वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि किसे प्रधानमंत्री बनाया जाए, इसलिए सभी एक साल के लिए प्रधानमंत्री बनेंगे। मेरा प्रश्न थोड़ा बड़ा है। क्या आपको लगता है कि भारत जिस विकास के दौर में है, उसमें गठबंधन सरकार कारगर रहेगी या स्थिर सरकार?
पीएम मोदी: ये दो अलग-अलग सवाल हैं। कांग्रेस का चरित्र देखिए। राजस्थान में पार्टी के अंदर ही अंदर झगड़ा चल रहा था। उन्होंने एक फार्मूला बनाया कि ढाई साल एक मुख्यमंत्री रहेगा और ढाई साल दूसरा मुख्यमंत्री रहेगा। ये जाना-माना फार्मूला है। छत्तीसगढ़ में पार्टी के अंदर झगड़ा चल रहा था। उन्होंने वहां भी यही फार्मूला बनाया कि ढाई साल एक मुख्यमंत्री रहेगा और ढाई साल दूसरा मुख्यमंत्री रहेगा। किसी तरह उन्होंने मामले को सुलझाया और इसे जारी रखा। ये भी सही है कि ढाई साल के बाद वो पीछे हट गए। उन्होंने अपनी ही पार्टी को धोखा दिया। अपनी ही पार्टी को धोखा देने की उनकी आदत है। ये एक बात है। ये साबित हो गया है कि कांग्रेस इस तरह के फार्मूले के बारे में सोचती है। मैंने अभी मीडिया में कहीं पढ़ा कि उनकी एक छोटी सी मीटिंग हुई। मैंने मीडिया में पढ़ा कि उसमें पूछा गया कि जब मोदी बार-बार पूछ रहे हैं कि इतना बड़ा देश हम किसे सौंपें, तो इतना बड़ा देश आने पर कोई नाम तो होना चाहिए? आपको नाम तो देना ही पड़ेगा, किसी का भी नाम दे दीजिए। क्रिकेट टीम के लिए भी आपको कप्तान रखना पड़ता है, कबड्डी टीम के लिए भी आपको नाम देना पड़ता है। आप नहीं बता रहे हैं कि इतने बड़े देश को कौन संभालेगा। तभी तो उन्होंने ‘एक साल एक प्रधानमंत्री’ का फॉर्मूला निकाला है। हर साल एक नया नेता प्रधानमंत्री पद की शपथ लेगा, नई सरकार और नया मंत्रिमंडल बनाएगा। पांच साल तक वे शपथ ग्रहण समारोहों में व्यस्त रहेंगे और देश मुश्किलों में फँसा रहेगा।
अब कोई देश ऐसे चल सकता है क्या? इतना बड़ा देश है। 30 साल तक देश ने अस्थिरता देखी है। गठबंधन सरकारों का दौर देखा है। आज दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है क्योंकि भारत के 140 करोड़ लोगों ने एक स्थिर, मजबूत और बहुमत वाली सरकार बनाई है। इसलिए कोई भी हम पर भरोसा कर सकता है, इस सरकार को जनादेश मिला है। गठबंधन सरकार पर कोई भरोसा नहीं करता। इतना बड़ा देश ऐसे नहीं चल सकता। लेकिन आज देश की राजनीति ऐसी है कि कोई भी पार्टी कितने भी बड़े बहुमत से क्यों न जीत जाए, उसे क्षेत्रीय आकांक्षाओं का सम्मान करना ही पड़ता है। और इसीलिए जब हमें पूर्ण बहुमत मिला, तब भी हमने एनडीए की सरकार बनाई, एनडीए के साथियों के सहयोग से। क्योंकि किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भी देश की राजनीति के उज्ज्वल भविष्य के लिए और देश के लोगों की आकांक्षाओं के लिए, क्षेत्रीय आकांक्षाओं को उतना ही सम्मान और हिस्सा मिलना चाहिए। यह चरित्र एनडीए ने विकसित किया है और भारतीय जनता पार्टी ने इसे चरितार्थ करके दिखाया है।
सवाल: विपक्षी दल, राहुल गांधी, कांग्रेस और बाकियों का कहना है कि मोदी जी मैच फिक्सिंग कर रहे हैं। इस चुनाव पर उन्होंने कहा है कि ईडी, सीबीआई और ईवीएम के बिना आप चुनाव नहीं जीत सकते। आप क्या कहेंगे?
पीएम मोदी: ईवीएम के दावे का जवाब देश की सर्वोच्च अदालत ने दे दिया है। 2014 में उनके पास ईडी और सीबीआई थी, फिर वे क्यों हार गए? उन्होंने मेरे गृह मंत्री को भी जेल में डाल दिया था, फिर वे क्यों हार गए?
अगर ईडी और सीबीआई से चुनाव जीते जा सकते थे, तो ईडी-सीबीआई का काम तो कांग्रेस ने सालों से किया है, तो वे जीत जाते। इतने बड़े देश का चुनाव आप फिक्स नहीं कर सकते, एक नगरपालिका का भी चुनाव आप फिक्स नहीं कर सकते। करके देखिए। क्या ये फिक्सिंग संभव है? वे सिर्फ़ दुनिया को मूर्ख बना रहे हैं। दुख की बात यह है कि मीडिया उन लोगों से पूछने के बजाय हमसे पूछती है।
पिछले कुछ दिनों से इंडी अलायंस के लोग इतने निराश हो गए हैं कि बहाने ढूँढ रहे हैं। क्योंकि हारने के बाद भी आपको लोगों के सामने जाना होता है। इसलिए मुझे लगता है कि शायद वे पहले से ही ये सारे बहाने ढूँढ रहे हैं। शायद ये उनकी अंदरूनी कवायद है।
सवाल: कर्नाटक के नेहा हिरेमथ हत्याकांड के बारे में बात करते हैं, जिसकी खूब चर्चा हो रही है। कॉलेज कैंपस में फैयाज ने उसकी हत्या कर दी थी; यहां तक कि जेपी नड्डा भी उसके घर पहुंचे थे। क्या आपको लगता है कि कर्नाटक में चुनाव का फोकस ऐसे मुद्दों पर जा रहा है?
पीएम मोदी: नड्डा जी कर्नाटक में एक कार्यक्रम में थे, तभी ये घटना हुई। कौन किस पार्टी का है, या वो कांग्रेस का है; उसकी बेटी की हत्या कर दी गई। ये मेरे संस्कार या मानसिकता नहीं है। और ये मानवीय संवेदना का विषय है, और मैं मानता हूं कि चुनाव की आपाधापी में भी उन्होंने जो किया वो मानवीय कार्य था। मुझे याद नहीं वो कौन सा चुनाव था। राहुल जी (राहुल गांधी) के विमान में कुछ दिक्कतें आईं। मैंने तुरंत उन्हें फोन करके पूछा कि क्या वो संकट में हैं। मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, जब दमन में सोनिया जी (सोनिया गांधी), अहमद पटेल साहब को ले जा रहा एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। मैंने उनसे कहा कि मैं एयर एंबुलेंस भेज रहा हूं, लेकिन अहमद पटेल साहब ने मुझे बताया कि वो सब ठीक हैं और किसी तरह की इमरजेंसी नहीं है। एक बार सोनिया जी चुनाव प्रचार के लिए काशी गईं और उनकी तबीयत खराब हो गई, तो मैंने तुरंत लोगों को भेजा कि मामला क्या है और अगर जरूरत है तो उन्हें एयरक्राफ्ट मुहैया करवाया जाए। ये मेरे सिद्धांत हैं और ये राजनीति से परे है। इसलिए, मेरे लिए, जब भी किसी परिवार में कोई समस्या उत्पन्न हो, तो उसका समाधान राजनीति से ऊपर उठकर किया जाना चाहिए।
सवाल: कर्नाटक में कांग्रेस ने पांच गारंटी का वादा किया था और सत्ता में आने के बाद उन्होंने उसे पूरा किया। जबकि भाजपा वहां पिछला चुनाव हार गई थी। अब फिर से, बीएस येदियुरप्पा और उनके बेटे के नेतृत्व पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है, जिसके कारण पार्टी के भीतर कुछ लोग भी परेशान हैं। आपको क्या मानते हैं कि कर्नाटक में भाजपा कितनी सीटें जीत सकती है?
पीएम मोदी: पहली बात तो यह कि कर्नाटक की जनता पछता रही है कि उसने उन्हें (कांग्रेस को) चुनकर इतनी बड़ी गलती की है। हमारा जनसमर्थन कम नहीं हुआ है, बल्कि बढ़ा है। लेकिन इतने कम समय में उनके पास अभी भी सीएम पद जैसे अनसुलझे मुद्दे हैं। सीएम ने शपथ ले ली है, लेकिन यह तय नहीं हुआ है कि वह वास्तव में कौन है। बहुत सारे लोग हैं जो खुद को सीएम मानते हैं। अगर आप कानून-व्यवस्था की स्थिति देखें, तो विस्फोट और हत्याएं हो रही हैं, आर्थिक स्थिति पूरी तरह से दिवालिया हो चुकी है। उन्होंने बड़े-बड़े वादे किए और फिर कहा, अगर ऐसा हुआ तो आपको यह मिलेगा, अगर ऐसा हुआ तो आपको यह मिलेगा। इसका मतलब है कि आप जनता को धोखा दे रहे हैं। जब हमने कहा कि हम अमुक लोगों को आयुष्मान भारत कार्ड देंगे, तो हम करेंगे, और इसमें अगर-मगर करके कोई बेईमानी नहीं होगी। अब अगर हमने कहा है कि हम 70 साल से ऊपर के सभी लोगों को, सभी वर्गों को आयुष्मान कार्ड देंगे, तो हम देंगे। आपके पास वह हिम्मत होनी चाहिए। उन्होंने किसानों की योजना को बंद कर दिया, और इसका कोई कारण नहीं था। बेंगलुरु को ही देख लीजिए, इसने दुनिया भर में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। बेंगलुरु को पहले टेक हब के रूप में जाना जाता था और अब देखते ही देखते ये टैंकर हब में बदल गया है। और टैंकरों में भी माफिया कल्चर है। लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। जब युवाओं के लिए स्कॉलरशिप की बात आती है, तो उन्होंने राशि के साथ-साथ संख्या भी कम कर दी है। एक के बाद एक उन्होंने ऐसे नकारात्मक निर्णय लिए हैं। जिन मुद्दों पर उन्होंने वोट मांगे थे, वो उन पर काम नहीं कर पा रहे हैं। डिप्टी सीएम को ही देख लीजिए। वो अपने भाई के लिए वोट मांग रहे हैं ताकि वो सीएम बन जाए, इसलिए हर कोई खेल खेल रहा है। सीएम को हटाने के लिए खेल खेले जा रहे हैं। जहां तक भाजपा का सवाल है, हम टीम भावना के साथ काम करते हैं। मेरी टीम ने भले ही मुझे नेता के रूप में प्रोजेक्ट किया हो, लेकिन हम सब मिलकर काम कर रहे हैं। ठीक वैसे ही, येदियुरप्पा हमारे बड़े नेताओं में से एक हैं, लेकिन पूरी टीम मिलकर काम कर रही है और आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
सवाल: देश में यह लोकसभा चुनाव का तीसरा चरण है, लेकिन हमारे लिए कर्नाटक में यह 14 सीटों के लिए दूसरा चरण है; ये कर्नाटक के उत्तरी हिस्से में हैं जो मुख्य रूप से सूखाग्रस्त है। अब इस सूखे को लेकर कांग्रेस दावा कर रही है कि वह सुप्रीम कोर्ट गई और अब केंद्र सरकार उचित मुआवजा देने के लिए मजबूर हुई है। इस पर आपकी क्या राय है?
पीएम मोदी: चलिए सिद्धारमैया की पिछली सरकार को ही ले लेते हैं। उस समय जब सूखा पड़ा था, तो मैंने प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी पूरी टीम को बुलाया और उनसे चर्चा की। हम सबने मिल कर सोचा कि सबसे पहले जल संरक्षण के लिए योजनाएँ बनानी चाहिए। अब जहाँ तक राज्य आपदा राहत कोष की बात है, तो हमारी सरकार ने केंद्र का हिस्सा राज्यों को उनके बैंक खाते में दे दिया है। हमारी अंतर-मंत्रालयी टीम ने भी पहले से तय नियमों और प्रक्रियाओं के तहत प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और सर्वेक्षण किया। और हर बार यही प्रक्रिया अपनाई जाती है। जब गुजरात में भूकंप आया, तो मैंने केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजा कि सर्वेक्षण के लिए एक टीम भेजी जाए ताकि स्थिति का जायजा लिया जा सके। अब इस प्रक्रिया के बीच में ही आचार संहिता लागू हो गई। तो मैंने चुनाव आयोग को इस बारे में बताया और अनुमति मांगी। एनडीआरएफ के अनुसार हमने राशन भी जारी कर दिया है।
सवाल: इस बार भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में जीती 23 सीटें बरकरार रखनी हैं। लेकिन महाराष्ट्र में मामला एकदम गड़बड़ है। शिवसेना और एनसीपी में फूट हो गई है। उनके दो धड़े आपके साथ हैं। क्या आप उद्धव ठाकरे और शरद पवार के लिए सहानुभूति की कोई लहर देख रहे हैं?
पीएम मोदी: यह सही है कि राज्य में काफी समय से गठबंधन की सरकारें देखने को मिल रही हैं। विलासराव देशमुख थे...शरद पवार जब मुख्यमंत्री बने थे, तब भी वे अकेले पूर्ण बहुमत से ऐसा नहीं कर पाए थे। दूसरी बात, महाराष्ट्र का दुर्भाग्य रहा है कि पिछले कुछ समय से कोई भी मुख्यमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। लंबे समय के बाद देवेंद्र फडणवीस पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने पूरा कार्यकाल पूरा किया। तब सरकार साफ-सुथरी और बेदाग थी। यह सरकार लोगों के कल्याण के लिए काम करती थी।
अब सहानुभूति हमारे साथ होनी चाहिए। जो लोग हमारे साथ चुनाव लड़े, जिन्होंने हमारे साथ महाराष्ट्र की जनता से वोट मांगे, उनमें मुख्यमंत्री बनने की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के कारण अहंकार पैदा हो गया। अपने अहंकार और महत्वाकांक्षा के कारण आपने (उद्धव ठाकरे) बालासाहेब ठाकरे के समय से चली आ रही इस साझेदारी को तोड़ दिया। लोगों में इस बात को लेकर गुस्सा है और इस वजह से भाजपा के प्रति सहानुभूति है।
दूसरी बात, शिवसेना या एनसीपी के भीतर जो तूफान उठे हैं, उनसे साफ पता चलता है कि जब आप अपने परिवार के लोगों को दूसरे नेताओं से ज़्यादा महत्व देते हैं, तो क्या होता है। शरद पवार के घर की परेशानी उनके पारिवारिक विवाद से है। बेटी को कमान मिलनी चाहिए या भतीजे को? कांग्रेस की तरह शिवसेना में भी यही खींचतान है- योग्य नेता को आगे बढ़ाया जाए या बेटे को?
ये उनके अपने विवाद हैं। मेरा मानना है कि हमारा देश ऐसी वंशवाद की राजनीति से नफरत करता है। अगर कोई लोगों में सहानुभूति जगाने के लिए ‘सहानुभूति’ शब्द का इस्तेमाल करने की कोशिश करता है, तो मैं कहता हूं कि वह कोशिश भी विफल हो जाएगी। लोग ऐसी चीजों से नफरत करते हैं। वे ऐसी चीजों को स्वीकार नहीं कर सकते। ये आपके पारिवारिक विवाद हैं, इन्हें अपने घर में ही सुलझाएं। आप इस पर महाराष्ट्र राज्य को क्यों बर्बाद कर रहे हैं?
दूसरी बात यह है कि भाजपा ने महाराष्ट्र के लिए त्याग किया है। कुछ लोगों को लगा कि हमें सीएम की सीट चाहिए। नहीं। हम सीएम की सीट ले सकते थे, लेकिन नहीं ली। हमने महाराष्ट्र की जनता को यह विश्वास दिलाया कि हम महाराष्ट्र के लिए जीते हैं, अपने लिए नहीं। और इस चुनाव में यह सहानुभूति हमारे पक्ष में है कि इतनी बड़ी पार्टी, जिसका मुख्यमंत्री सफल रहा हो और अब उपमुख्यमंत्री हो, उसने महाराष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपने स्वाभिमान को एक तरह से ताक पर रख दिया है।
मैं मानता हूं कि हमारे देश में बंगाल बर्बाद हो गया है, कोलकाता कभी आर्थिक विकास में अग्रणी था, लेकिन राजनीति ने उसे बर्बाद कर दिया है। बिहार और उत्तर प्रदेश पहले अस्थिर स्थिति में थे। महाराष्ट्र को उस रास्ते पर नहीं जाने देना चाहिए। मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है। हमें देश के हित के लिए महाराष्ट्र में मजबूती से आगे बढ़ना चाहिए। हम महाराष्ट्र की जनता तक यह भावना पहुंचा रहे हैं, उन्हें समझा रहे हैं और महाराष्ट्र की जनता हमें बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रही है।
सवाल: महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना और एनसीपी का महायुति गठबंधन है, लेकिन इन चुनावों में आखिरी समय तक सीटों को लेकर खींचतान चल रही है। कई जगहों पर टिकटों का बंटवारा भी नहीं हो पाया है। क्या यह महायुति के लिए बड़ा सवालिया निशान नहीं है?
पीएम मोदी: मुझे लगता है कि आपने जो समस्याएं बताई हैं, वो विपक्ष पर भी लागू होती हैं। वो सीटें तय नहीं कर पाए हैं, वो फैसले नहीं ले पा रहे हैं, वहां समानांतर चुनाव लड़े जा रहे हैं। हमारे यहां ऐसा कुछ नहीं है। हमने हाथ मिला लिया है और एकजुट होकर लड़ने के लिए तैयार हैं। हमने पहले से ही तैयारी कर रखी है। शिवसेना, बीजेपी और एनसीपी ने ऐसा किया है। विपक्ष की नकली पार्टियों में सामंजस्य नहीं है।
सवाल: महाराष्ट्र में आपको कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है?
पीएम मोदी: हम बहुत मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं। वोट भी बढ़ेंगे और सीटें भी बढ़ेंगी।
सवाल: 2017 में आपकी सरकार ने शरद पवार को देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। लेकिन पिछले मंगलवार को शरद पवार ने कहा, "मोदी देश के नए पुतिन बन रहे हैं।" आप इस टिप्पणी को कैसे देखते हैं?
पीएम मोदी: मैं उनका बहुत सम्मान करता हूँ। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लंबे समय से सार्वजनिक जीवन में रहे लोग हमारे साथ हैं या हमारे खिलाफ, हम उनका सम्मान करते हैं। लेकिन इसका मतलब यह है कि उन्हें पुतिन जैसे किसी व्यक्ति की सरकार से पुरस्कार मिलने पर गर्व है। यह एक बड़ा विरोधाभास है।
जहाँ तक मेरी पार्टी और मेरे विचारों का सवाल है... हमने प्रणब मुखर्जी, नरसिंह राव, चौधरी चरण सिंह, कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया। इस देश में किसी ने भी हमारे चयन पर सवाल नहीं उठाया। हर कोई समझता था कि यह लंबे समय से अपेक्षित था और इसका हकदार था। वे विपक्षी दलों से थे और उन्होंने अतीत में हमारी आलोचना भी की थी, लेकिन हमारा निर्णय ऐसी बातों पर आधारित नहीं था। पद्म पुरस्कार विजेताओं पर विचार करें - मुलायम सिंह, तरुण गोगोई, पीए संगमा, एसएम कृष्णा... सभी अन्य दलों से थे, लेकिन हमने उन्हें उनके संबंधित क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए पद्म पुरस्कार दिया। यह देश का पुरस्कार है, किसी पार्टी का नहीं। यह मोदी की निजी संपत्ति नहीं है। इस पर भाजपा का कोई कॉपीराइट नहीं है।
अगर आप रुचि रखते हैं, तो इस तथ्य पर गौर करें कि देश में पद्म पुरस्कारों ने कैसे बदलाव किया है। हमने इसे बदल दिया है। हमें ऐसे निर्णयों के पीछे की सोच के लिए सराहना मिलनी चाहिए, न कि प्राप्तकर्ताओं की पसंद पर सवाल उठाना चाहिए।
सवाल: लेकिन पुरस्कार मिलने के बाद भी शरद पवार का ऐसा बयान !
पीएम मोदी: लेकिन सच्चाई यह है कि पुरस्कार में ऐसी कोई शर्त नहीं है कि वे मेरे खिलाफ नहीं बोल सकते। ऐसा कोई समझौता नहीं है। यह कोई देने-लेने का फॉर्मूला नहीं है।
सवाल: मोदी जी, उत्तर प्रदेश की बात करते हैं। यह 80 लोकसभा सीटों वाला सबसे बड़ा राज्य है। क्या आप 2014 का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे? तब भाजपा ने 71 सीटें जीती थीं और एनडीए ने 73. इस बार अखिलेश यादव और राहुल गांधी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। अखिलेश जी ने पूरा परिवार मैदान में उतारा है, वे खुद कन्नौज से लड़ रहे हैं। डिंपल मैनपुरी से लड़ रही हैं। उनके परिवार के लोग फिरोजाबाद से लेकर आजमगढ़ तक लड़ रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि गांधी परिवार अमेठी और रायबरेली से चुनाव लड़ेगा। आप इसे कैसे देखते हैं?
पीएम मोदी: राहुल जी, आप भले ही गर्व से दोहरा रहे हैं कि हर कोई चुनाव लड़ रहा है, लेकिन क्या यह मजबूरी है या नहीं? उन्हें मजबूरी में अपने परिवार के लोगों को मैदान में उतारना पड़ता है। यह उनकी मजबूरी है। यही उनका मुख्य चरित्र है। उनके पास और कुछ नहीं है। परिवार के लोगों के लिए लड़ना और परिवार के लोगों को चुनाव लड़ाना: यही खेल है।
साथ ही, क्या वे पहले भी एकजुट नहीं हुए थे? वे पहले भी कई बार एकजुट हुए हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता समझती है कि उनके लिए क्या अच्छा है। मैंने संसद में कहा कि आज उत्तर प्रदेश और देश की स्थिति ऐसी है कि बड़े-बड़े नेता लोकसभा की दौड़ से हटकर राज्यसभा का रास्ता अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। और यही हो रहा है। बड़े-बड़े नेता चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन हम जिम्मेदारी से काम कर रहे हैं, सबको साथ लेकर चल रहे हैं और अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं।
सवाल: विपक्ष और कांग्रेस का कहना है कि सरकार ईडी, सीबीआई और खुफिया एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। आपने कहा है कि ईडी स्वतंत्र है। एक अखबार ने विश्लेषण किया कि जब 25 विपक्षी नेता भाजपा में शामिल हुए, तो उनमें से 23 के खिलाफ मामले या तो ठंडे बस्ते में डाल दिए गए या हटा दिए गए।
पीएम मोदी: पहली बात तो यह कि एक भी केस ड्रॉप नहीं किया गया है। कोर्ट जो भी फैसला करेगा, वही होगा। कोर्ट स्वतंत्र है। दूसरी बात, ऐसे कितने केस हैं, जो राजनेताओं से जुड़े हैं? सिर्फ 3%। बड़े-बड़े नौकरशाह भी जेल में हैं। आखिर ये एजेंसियां बनाई ही क्यों गईं? अगर ये एजेंसियां किसी उद्देश्य से बनाई गई हैं, तो क्या वे उसे पूरा नहीं करेंगी? हमारी अदालतें तो सर्वोच्च हैं ही... कोर्ट को इसकी जांच करनी चाहिए। और भ्रष्टाचार के मामले को हल्के में नहीं लेना चाहिए। इस पर बहस होनी चाहिए। एक समय था, जब आरोप भी लग जाते थे। और आज, सजा होने के बाद भी कुछ लोग हाथ हिला रहे हैं और फोटो खिंचवा रहे हैं। क्या वे भ्रष्टाचार का महिमामंडन कर रहे हैं? इसकी आलोचना होनी चाहिए। भ्रष्टाचार को एक न्यू नॉर्मल नहीं मानना चाहिए। नहीं तो इससे देश को बहुत नुकसान होगा। यह भाजपा बनाम अन्य का मामला नहीं है।
मैं देख रहा हूँ कि धीरे-धीरे एक ऐसा माहौल बन रहा है जहाँ लोग सोच रहे हैं: 'अरे, कोई बात नहीं। ऐसा होता है।' [लेकिन] गरीब लोग मर रहे हैं। हमें देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करना है। यह देश का संकल्प होना चाहिए। मैं सिस्टम को पॉलिसी-ड्रिवेन बनाने में विश्वास करता हूँ। टेक्नोलॉजी के भरपूर उपयोग में भरोसा रखता हूँ। पहले एक प्रधानमंत्री कहते थे कि एक रुपया जाता है लेकिन लोगों तक सिर्फ़ 15 पैसे पहुँचते हैं। आज मैं कहता हूँ कि जब एक रुपया जाता है तो पूरे 100 पैसे पहुँचते हैं - डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर। कैसे? सिस्टम को सुधार कर! हमने GeM पोर्टल लॉन्च किया, भ्रष्टाचार कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम। दूसरा, हमें समाज को जगाना होगा। समाज को भी जागरूक करना होगा कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। देश में ऐसा माहौल बन रहा है। लेकिन राजनीतिक लोग डरते नहीं हैं। कोई उनका [भ्रष्टाचारियों का] समर्थन सिर्फ़ इसलिए करेगा क्योंकि उन्हें हमारा विरोध करना है। यह सही नहीं है।
सवाल: आपने अपने पिछले कार्यकाल में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। आपने अनुच्छेद 370 को खत्म किया, आप सीएए लेकर आए। लेकिन, अपने प्रचार अभियान में विपक्षी नेता कह रहे हैं कि अगर उनकी सरकार बनी तो वे सीएए को खत्म कर देंगे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कह रही हैं कि वे सीएए को लागू नहीं होने देंगी। आप इसे कैसे देखते हैं?
पीएम मोदी: सबसे पहले, जो कोई भी भारत के संविधान को समझता है, जो कोई भी भारत के संघीय ढांचे को जानता है, और जो कोई भी जानता है कि किसके अधिकार क्षेत्र में क्या है, वह कभी भी ऐसी बातें नहीं कहेगा। क्योंकि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। अगर मोदी किसी राज्य का मुख्यमंत्री है, तो वो ऐसी बातें नहीं कर सकता। केंद्र सरकार वही करेगी जो उसके अधिकार क्षेत्र में है। राज्य सरकार वही करेगी जो उसके अधिकार क्षेत्र में है। लेकिन लोगों को मूर्ख बनाना आजकल एक चलन बन गया है। इसलिए वे कुछ भी कहते रहते हैं।
दूसरा, मैं कांग्रेस पार्टी को चुनौती देता हूं कि वो प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहे कि हम 370 को फिर से लागू करेंगे। वो संविधान की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। वो बाबा साहब अंबेडकर की बात करते हैं। वो हमें बहुत गाली देते हैं। लेकिन बाबा साहब अंबेडकर का संविधान पूरे देश में लागू नहीं हुआ। 70 साल तक जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान लागू नहीं हुआ। वहां दलितों को पहली बार आरक्षण मिल रहा है [अनुच्छेद 370 हटने के बाद]। वाल्मीकि समाज को पहली बार आरक्षण मिल रहा है। वो किस बारे में बात कर रहे हैं? क्या उनमें हिम्मत है कि वो प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहें कि ‘हम अनुच्छेद 370 को फिर से लागू करेंगे’? क्या कोई पार्टी ऐसा कहने की हिम्मत कर सकती है?
सवाल: मोदी जी, बंगाल की ओर चलते हैं। वहां चुनाव पूरी ताकत से लड़ा जा रहा है। पिछली बार 2019 में जब आपने वहां 42 में से 18 सीटें जीती थीं, तो लोग हैरान रह गए थे। इस बार आपके एक नेता ने कहा है कि आप 36 सीटें जीतेंगे। राजनाथ सिंह जी ने मुझे एक इंटरव्यू में बताया कि भाजपा 36 सीटें जीत सकती है। आप स्थिति का आकलन कैसे करते हैं?
पीएम मोदी: आप कहते हैं कि ये लोग हैरान थे, इनकी दिक्कत ये है कि 10 साल बाद भी ये मानने को तैयार नहीं हैं कि देश के लोगों ने मोदी नाम के किसी व्यक्ति को अपना प्रधानमंत्री चुना है। एक तबका ऐसा है जो देश के जनादेश को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। ये हकीकत है कि देश की जनता हमारा समर्थन कर रही है। आपको लगता था कि ऐसा नहीं होगा। ये आपकी गलती है। मैं हाल ही में मालदा में था। मैं हैरान था, माहौल बहुत अच्छा था। लोगों का मानना है कि केंद्र में एक मजबूत और स्थिर सरकार है, और बंगाल को भी इसका लाभ मिलना चाहिए। टीएमसी के राज में महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। संदेशखाली की घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर दिया है। लोगों को वोट देने का अधिकार है, और वो इस प्रक्रिया में अपना गुस्सा निकालेंगे। इसलिए गुस्सा आना स्वाभाविक है। आपने नोटों के ढेर पकड़े जाते देखे हैं। क्या आपने पहले कभी इतने बड़े नोट पकड़े जाते देखे हैं? हाल के सालों में आपने 50 करोड़, 300 करोड़, 250 करोड़, 200 करोड़ रुपये के नोट पकड़े जाते देखे हैं। देश हैरान है, चाहे जितना छुपाने की कोशिश करो, देश अब समझ गया है कि ये लोग लुटेरे हैं।
सवाल: तो, इस बार (बंगाल में) आपको बड़ी जीत की उम्मीद है?
पीएम मोदी: बिल्कुल, यह क्लीन स्वीप होगा।
सवाल: आप ओडिशा को कैसे देखते हैं? आप बीजू जनता दल के साथ नहीं गए !
पीएम मोदी: भारतीय जनता पार्टी ने वहां अलग से काम किया है। बीजेडी ने हमें केंद्र में मुद्दों के आधार पर समर्थन दिया है, जैसा कि कई अन्य पार्टियों ने किया है। बीजेडी के साथ हमारा रिश्ता ऐसा ही था... राज्य स्तर पर, ओडिशा अपना स्वाभिमान खो रहा है। ओड़िया भाषा खतरे में है। मुझे नहीं लगता कि ओडिशा के लोग इसे लंबे समय तक बर्दाश्त कर पाएंगे। उनके पास इतने संसाधन हैं कि आज ओडिशा भारत का सबसे अमीर राज्य हो सकता था। लेकिन किस तरह की स्थिति पैदा की गई है? ओडिशा के आम लोगों की आकांक्षाएं हैं। और मुझे लगता है कि हमें (भाजपा को) सेवा का मौका मिलना चाहिए। हम ओडिशा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
सवाल: बिहार में आपने एक बार फिर नीतीश जी के साथ गठबंधन किया है और साथ मिलकर लड़ रहे हैं। आप इसे कैसे देखते हैं? पिछली बार आपने 40 में से 39 सीटें जीती थीं। क्या आप उस प्रदर्शन को दोहरा सकते हैं?
पीएम मोदी: पहले हमने विधानसभा चुनाव साथ लड़ा था। बाद में वे कहीं चले गए और फिर वापस आ गए। तो हम जनादेश के अनुसार साथ हैं। जहां तक जनता के समर्थन की बात है, मैं अभी बिहार में था, और मैं इसे साफ तौर पर देख सकता हूं। इतनी गर्मी में जब ऊपर टेंट या कुछ भी नहीं होता, तब भी लाखों लोग हमसे जुड़े हुए हैं। मैं इसे साफ तौर पर देख सकता हूं। पहले हम बिहार में एक-दो सीट हारते थे, लेकिन इस बार शायद हम एक भी सीट नहीं हारेंगे।
सवाल: 40 में से 40?
पीएम मोदी: हम एक भी सीट नहीं हारेंगे।
सवाल: आपने बहुत से चुनाव देखे हैं। आप लंबे समय से गुजरात में हैं। केंद्र में यह आपका तीसरा चुनाव है। मैंने देखा है कि चुनाव के दौरान अक्सर आप पर निजी हमले किए जाते हैं। कभी कहा जाता है कि पीएम मोदी को गोली मार देनी चाहिए, कभी कहा जाता है कि उनका सिर फोड़ देना चाहिए। हाल ही में राहुल गांधी ने भी कुछ ऐसे शब्द कहे हैं जिन्हें निजी हमले माना जा सकता है। पीएम मोदी के साथ ऐसा क्यों होता है?
पीएम मोदी: इसका जवाब मेरे पास नहीं है, लेकिन मोदी से ये सवाल क्यों पूछा जाना चाहिए? इस सवाल पर देश में और सार्वजनिक जीवन में चर्चा होनी चाहिए। आखिर मोदी का गुनाह क्या है? वो प्रधानमंत्री बन गया, यही उसका गुनाह है न? यानी जो भी गाली आप दे रहे हैं, वो प्रधानमंत्री को दे रहे हैं। प्रधानमंत्री का सिर फोड़ देंगे, मेरी मां को गाली देंगे... मुझे आश्चर्य है कि भारत के राष्ट्रपति तक का अपमान किया गया। मुझे इस बात पर शर्म आती है। मैंने हमेशा मतदाताओं और देश को अपना परिवार माना है। मैं सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रहा हूं, लेकिन मैं आप जैसे लोगों और मतदाताओं पर जिम्मेदारी छोड़ता हूं कि वो ऐसे लोगों से जैसा ठीक समझें, वैसा व्यवहार करें।
सवाल: आपका तीसरा कार्यकाल पहले और दूसरे कार्यकाल से किस प्रकार अलग होगा।
पीएम मोदी: मेरा पहला कार्यकाल कैसा रहा? मैं सामान्य मानवी की बुनियादी जरूरतों का समाधान करना चाहता था। मैंने उस दिशा में काम किया। उस समय देश में निराशा का माहौल था, सरकार के प्रति नफरत का माहौल था। मुझे विश्वास पैदा करना था। मैंने उस पर काम किया। दूसरे कार्यकाल में मैंने कुछ परिणाम दिखाए, लोगों में विश्वास भरा कि हम आगे बढ़ सकते हैं। देश में एक आत्मविश्वास आया है। वो आत्मविश्वास बहुत बड़ी ताकत है।
अपेक्षाओं को अब भरोसे और फिर लक्ष्य में बदलने के बाद, मैं अपने तीसरे कार्यकाल में देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनाना चाहता हूं। यह एक निरंतरता होगी; देश को दुनिया में 11वें से 5वें नंबर की अर्थव्यवस्था बनाने के बाद। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हम 11वें स्थान पर थे, काफी प्रयास के बाद हम इसे पांचवे स्थान पर लाए और अब हम कुछ और प्रयास करेंगे और देश को तीसरे स्थान पर ले जाएंगे। इसलिए हम हर क्षेत्र में निरंतरता बनाए रखना चाहते हैं।
उदाहरण के लिए, हमने बिजली पहुंचाने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान शुरू किया और सफलतापूर्वक बिजली पहुंचाई। अब मेरा लक्ष्य है पीएम-सूर्य घर योजना और जीरो बिजली बिल। मैं हर घर में सोलर पैनल चाहता हूं। और मैं सिर्फ बिजली का बिल जीरो नहीं चाहता, बल्कि मैं तीन चीजें चाहता हूं। एक, हर घर का बिजली बिल जीरो हो; दूसरा, हम अतिरिक्त बिजली बेचें और पैसे कमाएं; और तीसरा, मैं ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना चाहता हूं क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहनों का युग आने वाला है। इसलिए मैं चाहूंगा कि जिसके पास स्कूटर या कार है, वो उसे घर पर ही सोलर एनर्जी से चार्ज कर सके। इसका मतलब है कि उस व्यक्ति का 1,000-2,000 रुपये प्रति माह का ट्रांसपोर्टेशन खर्च भी जीरो हो जाना चाहिए। इससे नागरिकों को लाभ होगा और देश को स्वच्छ पर्यावरण का लाभ मिलेगा। पेट्रोलियम आयात पर जो अरबों डॉलर खर्च हो रहे हैं, वो बंद हो जाएंगे। तो ये एक ऐसी योजना है जिसके कई लाभ हैं। मैं स्टार्ट-अप हब बनाना चाहता हूं, मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना चाहता हूं, इनोवेशन हब बनाना चाहता हूं। मैं देश को बहुत आत्मविश्वास के साथ बिल्कुल नए क्षेत्र में ले जाना चाहता हूं। मेरा विजन साफ है, मुझे कोई संदेह नहीं है। 4 जून के बाद, मैं स्पष्ट हूं कि मुझे अगले 100 दिनों में और साथ ही 2047 तक क्या करना है। मैं 2047 तक विकसित भारत के बारे में स्पष्ट हूं। इसलिए मैं 2047 के लिए चौबीसों घंटे, सातों दिन काम करने की बात कहता हूं।
सवाल: आपने अपनी यात्रा में बहुत सी कठिनाइयों का सामना किया है। लेकिन, ऐसी परिस्थितियों में भी आप कठोर निर्णय लेते हैं। आप ऐसा कैसे कर पाते हैं?
पीएम मोदी: मैं कठोर निर्णय नहीं लेता, मैं सही निर्णय लेता हूँ। निर्णय कठोर नहीं, निर्णय सही होने चाहिए; कुछ लोगों को वे कठोर लगते हैं। लेकिन, कभी-कभी, मैं सोचता हूँ कि यह सब कैसे संभव है। जैसे आप हैरान होते हैं, वैसे ही मैं भी हैरान होता हूँ कि मोदी ऐसा कैसे कर लेता है। फिर मैं सोचता हूँ, नहीं, शायद परमात्मा ने मुझे इस काम के लिए भेजा है। मैं जो कुछ भी कर रहा हूँ, उसके पीछे कोई दैवीय शक्ति है। यह भगवान की देन हो सकती है, भगवान चाहते हैं कि मैं यह काम करूँ और उन्होंने मुझे किसी उद्देश्य से यहाँ भेजा है। और, इसलिए, मैं बाकी जो तूफान चलते हैं उनसे परे रहता हूँ।
सवाल: लेकिन इस तूफान में आप शांत कैसे रह सकते हैं?
पीएम मोदी: मैं उससे दूर रहता हूँ। भगवान ने मुझे यही रास्ता दिखाया है कि तुम दूसरी चीजों में मत उलझो और तुम्हें कोई बड़ा काम करना है और उसी में लगे रहो। तो ये भगवान का निर्देश है, भगवान की इच्छा है, भगवान की योजना है और शायद उनका प्रभाव है। मैं तो सिर्फ एक निमित्त मात्र हूँ।
सवाल: आप बहुत ट्रैवल कर रहे हैं, एक राज्य से दूसरे राज्य में पाँच से छह रैलियाँ करते हैं। इन सबके बीच आप कैसे फिट रहते हैं? वह कौन सी शक्ति है जो आपको आगे बढ़ने का दृढ़ संकल्प देती है?
पीएम मोदी: जैसा कि मैंने कहा, मैं कुछ नहीं कर रहा हूँ। भगवान ने ये तय किया है, और भगवान ने ही शायद मुझे इस काम के लिए भेजा है। मैं ऐसे परिवार में पैदा हुआ, जहाँ मेरी माँ पढ़ी-लिखी नहीं थी, उन्होंने स्कूल नहीं देखा था। मेरी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है, और ये इतना बड़ा देश है। तो अगर ये भगवान की मर्जी नहीं है, तो क्या है? और मेरे लिए दो भगवान हैं - एक वो जिसे हम देख नहीं सकते और दूसरा जनता-जनार्दन। मैं जनता-जनार्दन को भगवान का रूप मानता हूँ। और मुझे उस सर्वशक्तिमान पर भरोसा है, जिसने मुझे इस काम के लिए भेजा है और जनता ने मुझे आशीर्वाद दिया है। जहाँ तक सवाल है कि मैं इतना काम कैसे कर पाता हूँ, तो मैं अपने लिए नहीं जीता हूँ। मैं हमेशा ये ध्यान रखता हूँ कि जितना भी समय मेरे पास है, मैं हर पल अपने देश के लिए काम करूँ। जहाँ तक मैं दौड़-भाग कर रहा हूँ, ये चुनाव लोकतंत्र का एक बहुत बड़ा उत्सव है। ये जनता-जनार्दन तक पहुँचने का, उनके पास जाने का, उनसे बात करने का एक अवसर है। हमें इसे उसी तरह से देखना चाहिए और इसका लाभ उठाना चाहिए, जनता से मिलना चाहिए, लोगों के पास जाना चाहिए। यह लोकतंत्र का उत्सव है जिसमें हमें शामिल होना चाहिए। इसलिए, मैं इसे उसी तरह से देखता हूँ जैसे हम घर पर कोई बड़ी पूजा करते हैं और जिस तरह से हम उसमें शामिल होते हैं। यह मेरे लिए पूजा का समय है क्योंकि मैं 140 करोड़ देवताओं की पूजा कर रहा हूँ। मैं इसी भावना के साथ आगे बढ़ता हूँ, जो मुझे आगे बढ़ने में मदद करती है। मैं कभी थकता नहीं हूँ क्योंकि मैं भगवान के दर्शन करके घर लौटता हूँ।