प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से नोएडा, मुंबई और कोलकाता में हाई टेक लैब का उद्घाटन किया
हमें कोरोना से खुद भी बचना है और घर में छोटी-बड़ी आयु के सभी परिजनों को भी बचाना है, कोरोना के खिलाफ लड़ाई, हम सभी मिलकर लड़ेंगे और जीतेंगे भी: पीएम मोदी
हमें मिलकर नया हेल्थ इंफ्रा तो तैयार करना ही है, जो हमारे पास गांव-गांव में सरकारी और प्राइवेट डिस्पेंसरीज़ हैं, क्लीनिक हैं, उनको ज्यादा सक्षम भी बनाना है: प्रधानमंत्री

नमस्कार!!

देश के करोड़ों नागरिक कोरोना वैश्विक महामारी से बहुत बहादुरी से लड़ रहे हैं।

आज जिन Hi-tech State of the art टेस्टिंग फेसिलिटी का लॉन्च हुआ है उससे पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में और ताकत मिलने वाली है।

साथियों,

दिल्ली- NCR, मुंबई और कोलकाता, आर्थिक गतिविधियों के बड़े सेंटर हैं। यहां देश के लाखों युवा अपने करियर को, अपने सपनों को पूरा करने आते हैं। अब इन तीनों जगह Test की जो उपलब्ध कपैसिटी है, उसमें 10 हज़ार टेस्ट की कैपेसिटी और जुड़ने जा रही है। 

अब इन शहरों में टेस्ट और ज्यादा तेज़ी से हो सकेंगे। एक अच्छी बात ये भी है कि ये हाईटेक लैब्स सिर्फ कोरोना टेस्टिंग तक ही सीमित रहने वाली नहीं हैं।

भविष्य में, Hepatitis B और C, HIV, डेंगू सहित अनेक बीमारियों की टेस्टिंग के लिए भी इन लैब्स में सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

ऐसी व्यवस्थाएं तैयार करने के लिए Indian Council of Medical Research- ICMR और दूसरी संस्थाओं से जुड़े साथियों को भी बहुत-बहुत बधाई।

साथियों,

देश में जिस तरह सही समय पर सही फैसले लिए गए, आज उसी का परिणाम है कि भारत अन्य देशों के मुकाबले, काफी संभली हुई स्थिति में है। आज हमारे देश में कोरोना से होने वाली मृत्यु, बड़े-बड़े देशों के मुकाबले, काफी कम है। वहीं हमारे यहां रिकवरी रेट अन्य देशों के मुकाबले बहुत ज्यादा है और दिनों-दिन और सुधर रहा है। आज भारत में कोरोना संक्रमित होने के बाद, ठीक होने वालों की संख्या करीब-करीब 10 लाख पहुंचने वाली है।

साथियों,

कोरोना के खिलाफ इस बड़ी और लंबी लड़ाई के लिए सबसे महत्वपूर्ण था कि देश में तेजी के साथ Corona Specific Health Infrastructure का निर्माण हो। इसी वजह से बहुत शुरुआत में ही केंद्र सरकार ने 15 हजार करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान कर दिया था।

आइसोलेशन सेंटर हों, कोविड स्पेशल हॉस्पिटल हो, टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रैकिंग से जुड़ा नेटवर्क हो, भारत ने बहुत ही तेज़ गति से अपनी क्षमताओं का विस्तार किया। आज भारत में 11 हजार से ज्यादा Covid Facilities हैं, 11 लाख से ज्यादा Isolations Beds हैं।

साथियों,

जनवरी में हमारे पास कोरोना के टेस्ट के लिए जहां मात्र एक सेंटर था, आज करीब 1300 लैब्स पूरे देश में काम कर रही हैं। आज भारत में 5 लाख से ज्यादा टेस्ट हर रोज हो रहे हैं। आने वाले हफ्तों में इसको 10 लाख प्रतिदिन करने की कोशिश हो रही है।

साथियों,

कोरोना महामारी के दौरान हर कोई सिर्फ एक ही संकल्प के साथ जुटा है कि एक-एक भारतीय को बचाना है। इस संकल्प ने भारत को हैरतअंगेज परिणाम दिए हैं। विशेषकर PPE, मास्क और टेस्ट किट्स को लेकर भारत ने जो किया, वो एक बड़ी सक्सेस स्टोरी है। एक समय भारत में एक भी PPE किट नहीं बनती थी। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा PPE Kit Manufacturer है।

सिर्फ 6 महीना पहले देश में एक भी PPE Kit मैन्यूफैक्चरर नहीं था। आज 1200 से ज्यादा Manufacturer हर रोज 5 लाख से ज्यादा PPE किट बना रहे हैं। एक समय भारत N-95 मास्क भी बाहर से ही मंगवाता था। आज भारत में 3 लाख से ज्यादा N-95 मास्क हर रोज बन रहे हैं।

एक समय था जब भारत वेंटिलेटर्स के लिए भी दूसरे देशों पर निर्भर था। आज भारत में हर साल 3 लाख वेंटिलेटर बनाने की Production Capacity विकसित हो चुकी है। इस दौरान Medical Oxygen cylinders के Production में भी बहुत वृद्धि की गई।

सभी के इन सामूहिक प्रयासों की वजह से आज न सिर्फ लोगों का जीवन बच रहा है, बल्कि जो चीजें हम आयात करते थे, अब देश उनका एक्सपोर्टर बनने जा रहा है।

साथियों,

इतने कम समय में इतना बड़ा फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना, कितनी बड़ी चुनौती रही है, इससे भी आप परिचित हैं। एक और बड़ा चैलेंज था, कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए देश में ह्यूमन रिसोर्स को तैयार करना। जितने कम समय में हमारे पैरामेडिक्स, आशावर्कर्स, ANM, आंगनबाड़ी और दूसरे Health और Civil  Workers को ट्रेन किया गया, वो भी अभूतपूर्व है।

आज अगर भारत की कोरोना से लड़ाई को देखकर दुनिया अचंभित है, बड़ी-बड़ी आशंकाएं गलत साबित हो रहीं हैं तो इसका एक बड़ा कारण हमारे ये फुट सोल्जर भी हैं।

साथियों,

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में आज हम उस स्थिति पर आ चुके हैं, जहां हमारे पास जागरूकता की कमी नहीं है, साइंटिफिक डेटा का विस्तार हो रहा है और संसाधन भी बढ़ रहे हैं।

अब हमें राज्य के स्तर पर, जिला-ब्लॉक और गांव के स्तर पर डिमांड और सप्लाई के मैनेजमेंट को और मजबूत करना है।

हमें मिलकर नया हेल्थ इंफ्रा तो तैयार करना ही है, जो हमारे पास गांव-गांव में सरकारी और प्राइवेट डिस्पेंसरीज़ हैं, क्लीनिक हैं, उनको ज्यादा सक्षम भी बनाना है। ये हमें इसलिए भी करना है ताकि हमारे गांवों में कोरोना से लड़ाई कमजोर न पड़े। अभी तक गांवों ने इसमें बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।

और इसके साथ ही हमें इस बात का ध्यान रखना है कि हमारे कोरोना योद्धा किसी तरह की थकान का शिकार ना हो। हमें नए और रिटायर्ड प्रोफेशनल्स को हेल्थ सिस्टम से जोड़ने के लिए भी लगातार काम करना होगा।

साथियों,

आने वाले समय में बहुत से त्यौहार आने वाले हैं। हमारे ये उत्सव, उल्लास का कारण बनें, लोगों में संक्रमण न फैले इसके लिए हमें हर सावधानी रखनी है। हमें ये भी देखते रहना होगा कि उत्सव के इस समय में गरीब परिवारों को परेशानी ना हो।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का लाभ हर गरीब परिवार तक समय पर पहुंचे, हमें ये भी सुनिश्चित करना है।

साथियों,

हमारे देश के Talented वैज्ञानिक कोरोना वैक्सीन के लिए तेज़ी से काम कर रहे हैं। लेकिन जब तक कोई प्रभावी दवा या वेक्सीन नहीं बनती, तब तक मास्क, 2 गज़ की दूरी, Hand Sanitization ही हमारा विकल्प है। हमें खुद भी बचना है और घर में छोटी-बड़ी आयु सभी परिजनों को भी बचाना है।

मुझे विश्वास है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई, हम सभी मिलकर लड़ेंगे और जीतेंगे। एक बार फिर इन हाईटेक सुविधाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई।

आपका बहुत-बहुत आभार !!!

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.