Quoteआज देश के 9 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खातों में सीधे, एक क्लिक पर 18 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा जमा हुए हैं : प्रधानमंत्री मोदी
Quoteहम आज MSP पर रिकॉर्ड सरकारी खरीद कर रहे हैं, किसानों की जेब में MSP का रिकॉर्ड पैसा पहुंच रहा है : पीएम मोदी
Quoteइस बात का अफसोस है कि पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसान भाई-बहनों को पीएम किसान का लाभ नहीं मिल पाया है : पीएम मोदी
Quoteपहले सारा रिस्क किसान का होता था,अब नए कृषि कानूनों और सुधार के बाद स्थिति बदल गई है : पीएम मोदी
Quoteमैं भरोसा दिलाता हूं कि आपके विश्वास पर हम कोई आंच नहीं आने देंगे: किसानों से प्रधानमंत्री मोदी

देशभर से जुड़े मेरे किसान भाई बहन, इस कार्यक्रम में देश में अलग अलग स्थानों से जुड़े केंद्र सरकार के मंत्रीमंडल, राज्‍य सरकारों के मंत्रीगण, पंचायत से लेकर के Parliament तक  चुने हुए सारे जन प्रतिनिधि और सब गांवों में जाकर के किसानों के बीच में बैठे हैं मैं आप सबको और मेरे मेरे किसान भाईयों और बहनो को मेरी तरफ से नमस्‍कार।

किसानों के जीवन में खुशी, ये हम सभी की खुशी बढ़ा देती है और आज का दिवस तो बहुत ही पावन दिवस भी है। किसानों को आज जो सम्मान निधि मिली है, उसके साथ ही आज का दिन कई अवसरों का संगम बनकर भी आया है। सभी देशवासियों को आज क्रिसमस की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मेरी कामना है क्रिसमस का ये त्योहार, विश्व में प्रेम, शांति और सद्भाव का प्रसार करे।

साथियों,

आज मोक्षदा एकादशी है, गीता जयंति है। आज ही भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय जी की जयंति भी है। देश के महान कर्मयोगी, हमारे प्रेरणा पुरुष स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की भी आज जन्म जयंति है। उनकी स्मृति में आज देश गुड गवर्नेंस डे भी मना रहा है।

साथियों,

अटल जी ने गीता के संदेशों के अनुरूप जीवन जीने का लगातार प्रयास किया। गीता में कहा गया है कि स्वे स्वे कर्मणि अभिरत: संसिद्धिम् लभते नरः। यानि जो अपने स्वाभाविक कर्मों को तत्परता से करता है, उसे सिद्धि मिलती है। अटल जी ने भी अपना पूरा जीवन राष्ट्र के प्रति अपने कर्म को पूरी निष्ठा से निभाने में समर्पित कर दिया। सुशासन को, गुड गवर्नेंस को अटल जी ने भारत के राजनीति और सामाजिक विमर्श का हिस्सा बनाया। गांव और गरीब के विकास को अटल जी ने सर्वोच्च प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हो या फिर स्वर्णिम चतुर्भुज योजना हो, अंत्योदय अन्न योजना हो या फिर सर्व शिक्षा अभियान हो, राष्ट्रजीवन में सार्थक बदलाव लाने वाले अनेक कदम अटल जी ने उठाए। आज पूरा देश उनको स्मरण कर रहा है, अटल जी को नमन कर रहा है। आज जिन कृषि सुधारों को देश ने ज़मीन पर उतारा है, उनके सूत्रधार भी एक प्रकार से अटल बिहारी वाजपेयी भी थे।

साथियों,

अटल जी गरीब के हित में, किसान के हित में बनने वाली सभी योजनाओं में होने वाले भ्रष्टाचार को राष्ट्रीय रोग मानते थे। आप सबको याद होगा, उन्‍होंने एक बार पहले की सरकारों पर कटाक्ष करते हुए एक पूर्व प्रधानमंत्री की बात याद दिलाई थी और उनको याद दिलाते हुए उन्होंने कहा था- रुपया चलता है तो घिसता है, रुपया घिसता है, हाथ में लगता है और धीरे से जेबों में चला जाता है। मुझे संतोष है कि आज ना रुपया घिसता है और ना ही किसी गलत हाथ में लगता है। दिल्ली से जिस गरीब के लिए रुपया निकलता है वो उसके बैंक खाते में सीधा पहुंचता है। अभी हमारे कृषि मंत्री नरेंद्र जी तोमर ने इसके विषय में विस्‍तार में हमारे सामने रखा है। पीएम किसान सम्मान निधि इसका ही एक उत्तम उदाहरण है।

आज देश के 9 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधे, एक कम्‍प्‍यूटर के क्लिक से 18 हज़ार करोड़ रुपए से भी ज्यादा रकम उनके किसानों के बैंक के खाते में जमा हो गए हैं। जब से ये योजना शुरू हुई है, तब से 1 लाख, 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं और यही तो गुड गवर्नेंस है। यही तो गुड गवर्नेंस टेक्‍नोलॉजी के द्वारा उपयोग किया गया है। 18 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए पल भर में, कुछ ही पल में सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा हो गए हैं। कोई कमीशन नहीं, कोई कट नहीं, कोई हेराफेरी नहीं। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए पीएम किसान सम्‍मान योजना में ये सुनिश्चित किया गया है कि लीकेज न हो। राज्य सरकारों के माध्यम से किसानों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होने के बाद, उनके आधार नंबर और बैंक खातों का वेरिफिकेशन होने के बाद इस व्यवस्था का निर्माण हुआ है। लेकिन, मुझे आज इस बात का अफसोस भी है कि पूरे हिन्‍दुस्‍तान के किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है, सभी विचारधारा की सरकारें इससे जुड़ी हैं। लेकिन, एकमात्र पश्चिम बंगाल सरकार वहां के 70 लाख से अधिक किसान, मेरे किसान भाई-बहन बंगाल के, इस योजना के वो लाभ नहीं ले पा रहे हैं। उनको ये पैसे नहीं मिल पा रहे हैं क्‍योंकि बंगाल की सरकार अपने राजनीतिक कारणों से उनके राज्‍य के किसानों को भारत सरकार से पैसा जाने वाला है, राज्‍य सरकार को एक कौड़ी का खर्चा नहीं है फिर भी वो पैसे उनको नहीं मिल रहे हैं। कई किसानों ने भारत सरकार को सीधी चिट्ठी भी लिखी है, उसको भी वह मान्‍यता नहीं देते हैं यानि आप कल्‍पना कर सकते हैं कितने लाखों किसानों ने लाभ लेने के लिए, योजना के लिए अर्जी की ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं लेकिन वहां की राज्‍य सरकार उसको भी अटका कर के बैठ गई है।

भाईयों-बहनों,

मैं हैरान हूं और ये बात आज मैं देशवासियों के सामने बड़े दर्द के साथ, बड़ी पीड़ा के साथ कहना चाहता हूं जो लोग 30-30 साल तक बंगाल में राज करते थे, एक ऐसी राजनीतिक विचारधारा को लेकर के बंगाल को कहां से कहां लाकर के उन्‍होंने हालत करके रखी है, सारा देश जानता है और ममता जी के 15 साल पुराने भाषण सुनोगे तो पता चलेगा कि इस राजनीतिक विचारधारा ने बंगाल को कितना बर्बाद कर दिया था। अब ये कैसे लोग हैं, बंगाल में उनकी पार्टी है, उनका संगठन है, 30 साल सरकार चलाई है, कितने लोग होंगे उनके पास? एक बार भी इन लोगों ने किसानों को ये 2 हजार रुपया मिलने वाला कार्यक्रम है बंगाल के अंदर कोई आंदोलन नहीं चलाया, अगर आपके दिल में किसानों के लिए इतना प्‍यार था, बंगाल में आपकी धरती है, तो आपने बंगाल में किसानों को न्‍याय दिलाने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान योजना के पैसे किसानों को मिले इसके लिए क्‍यों आंदोलन नहीं किये? क्‍यों आपने कभी आवाज नहीं उठाई? और आप वहां से उठकर के पंजाब पहुंच गए, तब सवाल उठता है और पश्‍चिम बंगाल की सरकार भी देखिए अपने राज्‍य में इतना बड़ा किसानों को लाभ 70 लाख किसानों को इतना धन मिले, हजारों करोड़ रुपया मिले, वो देने में उनको राजनीति आड़े आते है लेकिन वहीं पंजाब जाकर के जो लोग के साथ वो बंगाल में लड़ाई लड़ते हैं, यहां आकर के उनसे गुपचुप करते हैं। क्‍या देश की जनता इस खेल को नहीं जानती है? क्‍या देश की जनता को इस खेल का पता नहीं है? जो आज विपक्ष में हैं, उनकी इस पर जुबान क्यों बंद हो गई है? क्‍यों चुप हैं?

साथियों,

आज जिन राजनीतिक दलों के लोग अपने आप को इस राजनीतिक प्रवाह में जब देश की जनता ने उन्‍हें नकार दिया है तो कुछ न कुछ ऐसे event कर रहे हैं, event management हो रहा है ताकि कोई सैल्‍फी ले ले, कोई फोटो छप जाए, कहीं टी.वी. पर दिखाई दें और उनकी राजनीति चलती जाए, अब देश ने उन लोगों को भी देख लिया है। ये देश के सामने एक्सपोज हो गए हैं। स्वार्थ की राजनीति का एक भद्दा उदाहरण हम बहुत बारिकी से देख रहे हैं। जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के अहित पर कुछ नहीं बोलते, वो यहां दिल्ली के नागरिकों को परेशान करने में लगे हुए हैं। देश की अर्थ नीति को बर्बाद करने में लगे हुए हैं और वो भी किसान के नाम पर, इन दलों को आपने सुना होगा मंडियां-मंडियां बोल रहे हैं, APMC की बात कर रहे हैं और बड़ी-बड़ी headline लेने के लिए भाषण कर रहे हैं। लेकिन ये दल, वही दल, वही झंडे वाले, वही विचारधारा वाले जिन्‍होंने बंगाल को बर्बाद किया। केरल के अंदर उनकी सरकार है, इसके पहले जो 50 साल 60 साल तक देश पर राज करते थे उनकी सरकार थी। केरल में APMC नहीं हैं, मंडियां नहीं हैं। मैं जरा इनको पूछता हूँ यहां फोटो निकालने के कार्यक्रम करते हैं अरे केरल में आंदोलन करके वहां तो APMC चालू करवाओ। पंजाब के किसानों को गुरमराह करने के लिए आपके पास समय है, केरल के अंदर यह व्‍यवस्‍था नहीं है, अगर ये व्‍यवस्‍था अच्‍छी है तो केरल में क्‍यों नहीं है? क्‍यों आप दोगुली नीति लेकर के चल रहे हो? ये किस तरह की राजनीति कर रहे हैं जिसमें कोई तर्क नहीं है, कोई तथ्य नहीं है। सिर्फ झूठे आरोप लगाओ, सिर्फ अफवाहे फैलाओ, हमारे किसानों को डरा दो और भोले-भाले किसान कभी-क‍भी आपकी बातों में गुमराह हो जाते हैं।

भाईयों-बहनों,

ये लोग लोकतंत्र के किसी पैमाने को, किसी पैरामीटर को मानने को तैयार नहीं हैं। इन्हें सिर्फ अपना लाभ, अपना स्वार्थ नजर आ रहा है और मैं जितनी बाते बता रहा हूँ, किसानों के लिए नहीं बोल रहा हूँ, किसानों के नाम पर अपने झंडे लेकर के जो खेल खेल रहे हैं अब उनको ये सच सुनना पड़ेगा और हर बात को किसानों को गाली दी, किसानों को अपमानित किया ऐसे कर-कर के बच नहीं सकते हो आप लोग। ये लोग अखबारों और मीडिया में जगह बनाकर राजनीतिक मैदान में खुद के जिंदा रहने की जड़ी-बूटी खोज रहे हैं। लेकिन देश का किसान उसको पहचान गया है अब देश को किसान उनको ये जड़ी-बूटी कभी देने वाला नहीं है। कोई भी राजनीति, लोकतंत्र में राजनीति करने का उनका हक है, हम उसका विरोध नहीं कर रहे। लेकिन निर्दोष किसानों की जिंदगी के साथ न खेलें, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें, उन्हें गुमराह न करें, भ्रमित न करें।

साथियों,

ये वही लोग हैं, जो बरसों तक सत्ता में रहे। इनकी नीतियों की वजह से देश की कृषि और किसान का उतना विकास नहीं हो पाया, जितना उसमें सामर्थ्य था। पहले की सरकारों की नीतियों की वजह से सबसे ज्यादा बर्बाद वो किसान हुआ जिसके पास न तो ज्यादा जमीन थी, न ज्यादा संसाधन। इस छोटे किसान को बैंकों से पैसा नहीं मिलता था, क्योंकि उसके पास तो बैंक खाता तक नहीं था। पहले के समय में जो फसल बीमा योजना थी, उसका लाभ भी इन छोटे किसानों के लिए तो कहीं नाम और निशान ही नहीं था, कोई इक्‍का-दुक्‍का कहीं मिल जाता था तो अलग बात है। एक छोटे किसान को खेत सींचने के लिए न पानी मिलता था, न बिजली मिलती थी। वो हमारा बेचारा गरीब किसान अपना खून-पसीना लगाकर वो खेत में जो पैदा भी करता था, उसे बेचने में भी उसकी हालत खराब हो जाती थी। इस छोटे किसान की सुध लेने वाला कोई नहीं था। और आज मैं देशवासियों को फिर याद दिलाना चाहता हूं, देश में इन किसानों की संख्या छोटी नहीं है, जिनके साथ ये अन्‍याय किया गया है ना ये संख्‍या 80 प्रतिशत से ज्यादा किसान इस देश में हैं, करीब-करीब 10 करोड़ से भी ज्‍यादा। जो इतने वर्षों तक सत्ता में रहे उन्होंने इन किसानों को अपने हाल पर छोड़ दिया था। चुनाव होते रहे, सरकारें बनती रहीं, रिपोर्ट्स आती रहीं, आयोग बनते रहे, वादे करो, भुला दो, करो, भुला दो, यही सब हुआ, लेकिन किसान की स्थिति नहीं बदली। नतीजा क्या हुआ? गरीब किसान और गरीब होता गया। क्या देश में इस स्थिति को बदलना आवश्यक नहीं था?

मेरे किसान भाइयों और बहनों,

2014 में सरकार बनने के बाद, हमारी सरकार ने नई अप्रोच के साथ काम करना शुरू किया। हमने देश के किसान की छोटी-छोटी दिक्कतों और कृषि के आधुनिकीकरण, उसे भविष्य की जरूरतों के लिए तैयार करने, दोनों पर एक साथ ध्यान दिया। हम बहुत सुनते थे कि उस देश में खेती इतनी आधुनिक है, वहां का किसान इतना समृद्ध है। कभी इज़राइल का उदाहरण सुनते रहते थे, हमने दुनिया भर में कृषि क्षेत्र में क्‍या क्रांति आई है, क्‍या बदलाव आए हैं, क्‍या नए initiative आए हैं, क्‍या अर्थव्‍यवस्‍था के साथ कैसे जोड़ा है, सारी चीजों को गहन अध्ययन किया। इसके बाद हमने अपने अलग-अलग लक्ष्य बनाए और सभी पर एक साथ काम शुरू किया। हमने लक्ष्य बनाकर काम किया कि देश के किसानों का खेती पर होने वाला खर्च कम हो- Input Cost ये कम हो, उसका खर्चा कम हो। सॉयल हेल्थ कार्ड, यूरिया की नीम कोटिंग, लाखों की संख्‍या में सोलर पंप, ये सब योजनाएं उनका Input Cost कम करने के लिए एक के बाद एक उठाई। हमारी सरकार ने प्रयास किया कि किसान के पास एक बेहतर फसल बीमा कवच हो। आज देश के करोड़ों किसानों को पीएम फसल बीमा योजना का लाभ हो रहा है।

और मेरे प्‍यारे किसान भाईयों और बहनों,

अभी जब मैं किसाना भाईयों से बात कर रहा था तो मुझे हमारे महाराष्‍ट्र के लातूर जिले के गणेश जी ने बताया कि ढाई हजार रुपया उन्‍होंने दिया और चौवन हजार रुपया करीब-करीब मिला। मामूली प्रीमियम के बदले किसानों को पिछले एक साल में 87 हज़ार करोड़ रुपए क्लेम राशि मिली है, 87 हजार यानि करीब-करीब 90 हजार करोड़। मामूली प्रीमियम दिया किसानों ने, मुसीबत के समय ये फसल बीमा उनको काम आया। हमने इस लक्ष्य पर भी काम किया कि देश के किसान के पास खेत में सिंचाई की पर्याप्त सुविधा हो। हम दशकों पुरानी सिंचाई योजनाएं पूरी कराने के साथ ही देशभर में per drop more crop के मंत्र के साथ माइक्रो इरिगेशन को भी बढ़ावा दे रहे हैं और मुझे खुशी हुई अभी तमिलनाडु के हमारे सुब्रम्‍णयम जी मुझे बता रहे थे कि उन्‍होंने माइक्रो इरिगेशन से ड्रिप इरिगेशन से पहले एक एकड़ का काम होता था, तीन एकड़ का हुआ और पहले से ज्‍यादा एक लाख रुपये ज्‍यादा कमाया, माइक्रो इरिगेशन से।

साथियों,

हमारी सरकार ने प्रयास किया कि देश के किसान को फसल की उचित कीमत मिले। हमने लंबे समय से लटकी स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, लागत का डेढ़ गुना MSP किसानों को दिया। पहले कुछ ही फसलों पर MSP मिलती थी, हमने उनकी भी संख्या बढ़ाई। पहले MSP का ऐलान अखबारों में छोटी सी जरा जगह बनाना, खबर के तौर पर छपता था। किसानों तक लाभ नहीं पहुंचता था, कहीं तराजू ही नहीं लगते थे और इसलिए किसान के जीवन में कोई बदलाव ही नहीं आता था। अब आज MSP पर रिकॉर्ड सरकारी खरीद कर रहे हैं, किसानों की जेब में MSP का रिकॉर्ड पैसा पहुंच रहा है। जो आज किसानों के नाम पर आंदोलन कर रहे हैं वो जब उनका समय था, तब चुप मारकर बैठे हुए थे। ये जितने लोग आंदोलन चला रहे हैं ना, ये वो सरकार के हिस्‍सेदार थे, समर्थन करते थे और यही लोग स्‍वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के ऊपर बैठ गये थे, सालों तक बैठ गये थे। हमने आके निकाला क्‍योंकि हमारे दिल में किसान की जिन्‍दगी का भला करना, उनका कल्‍याण करना, ये हमारा जीवन का मंत्र है इसलिए कर रहे हैं।

साथियों,

हम इस दिशा में भी फसल बेचने के लिए किसान के पास सिर्फ एक मंडी नहीं बल्कि उसको विकल्‍प मिलना चाहिए, बाजार मिलना चाहिए। हमने देश की एक हजार से ज्यादा कृषि मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा। इनमें भी एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार किसानों ने कर दिया है। किसानों ने ऑनलाईन बेचना शुरू किया है।

साथियों,

हमने एक और लक्ष्य बनाया कि छोटे किसानों के समूह बनें ताकि वो अपने क्षेत्र में एक सामूहिक ताकत बनकर काम कर सकें। आज देश में 10 हजार से ज्यादा किसान उत्पादक संघ- FPO बनाने का अभियान चल रहा है, उन्हें आर्थिक मदद दी जा रही है। अभी हम महाराजगंज के रामगुलाबजी से सुन रहे थे, 300 के करीब किसानों को इकट्ठा किया है उन्‍होंने और पहले की तुलना में ढेड़ गुना भाव से माल बेचना शुरू हुआ है। FPO बनाया उन्‍होंने, वैज्ञानिक तरीके से खेती में मदद ली और आज उनको फायदा हो रहा है।

साथियों,

हमारे कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी आवश्‍यकता है गांव के पास ही भंडारण, कोल्ड स्टोरेज इसकी  आधुनिक सुविधा कम कीमत पर हमारे किसानों को उपलब्ध हो। हमारी सरकार ने इसे भी प्राथमिकता दी। आज देशभर में कोल्ड स्टोरेज का नेटवर्क विकसित करने के लिए सरकार करोड़ों रुपए का निवेश कर रही है। हमारी नीतियों में इस पर भी बल दिया गया कि खेती के साथ ही किसान के पास आय बढ़ाने के दूसरे विकल्प भी हों। हमारी सरकार मछलीपालन, पशुपालन, डेयरी उद्योग, मधुमक्खी पालन, सभी को प्रोत्साहित कर रही है। हमारी सरकार ने ये भी सुनिश्चित किया कि- देश के बैंकों का पैसा देश के किसानों के काम आए। 2014 में जब हम पहली बार सरकार में आए और शुरूआत थी हमारी, 2014 में जहां 7 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान इसके लिए था धन के लिए, वही इसे अब करीब 14 लाख करोड़ रुपए, यानि दोगुना किया गया है ताकि किसान को कर्ज मिल सके। बीते कुछ महीनों से करीब ढाई करोड़ छोटे किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ा गया है और अभियान तेजी से चल रहा है। हम मछली पालकों, पशुपालकों उनको भी किसान क्रेडिट कार्ड दे रहे हैं, ये लाभ उनको भी अब दिया जा रहा है।  

साथियों,

हमने इस लक्ष्य पर भी काम किया खेती की दुनिया में क्या चल रहा है, इसके लिए देश में आधुनिक कृषि संस्थान हों। बीते वर्षों में देश में अनेक नए कृषि संस्थान बने हैं, कृषि की पढ़ाई की सीटें बढ़ी हैं।

और साथियों,

खेती से जुड़े इन सारे प्रयासों के साथ ही हमने एक और बड़े लक्ष्य पर काम किया। ये लक्ष्य है- गांव में रहने वाले किसान का जीवन आसान हो।

साथियों,

आज जो किसानों के लिए इतने आंसु बहा रहे हैं, इतने बड़े-बड़े बयान दे रहे हैं, बड़ा दुख दिखा रहे हैं, जब वे सरकार में थे, तब उन्होंने किसानों का दुख, उनकी तकलीफ दूर करने के लिए क्या किया, ये देश का किसान अच्छी तरह जानता है। आज सिर्फ खेती ही नहीं बल्कि उसके जीवन को आसान बनाने के लिए हमारी सरकार उसके दरवाजे तक खुद पहुंची है, खेत के मेड़ तक पहुंची है। आज देश के छोटे और सीमांत किसान को अपना पक्का घर मिल रहा है, शौचालय मिल रहा है, साफ पानी का नल मिल रहा है। यही किसान है जिसे बिजली के मुफ्त कनेक्शन, गैस के मुफ्त कनेक्शन ये बहुत बड़ा लाभ हुआ है। हर साल आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा ने आज मेरे छोटे किसान के जीवन की बहुत बड़ी चिंता कम की है। 90 पैसे प्रतिदिन यानि एक चाय से भी कम कीमत और 1 रुपया महीना के प्रीमियम पर बीमा, ये मेरे किसानों के जीवन में बहुत बड़ी ताकत है। 60 वर्ष की आयु के बाद 3 हज़ार रुपए मासिक पेंशन, ये सुरक्षा कवच भी आज किसान के पास है।

साथियों,

आजकल कुछ लोग किसान की ज़मीन की चिंता करने का दिखावा कर रहे हैं। किसानों की जमीन हड़पने में कैसे-कैसे नाम लोगों के नाम अखबार में चमकते रहे हैं, हम जानते हैं। ये लोग तब कहां थे, जब मालिकाना दस्तावेज़ के अभाव में किसानों के घर और ज़मीन पर अवैध कब्जे हो जाते थे? गांव के छोटे और सीमांत किसानों को, खेत मजदूरों को इस अधिकार से इतने सालों तक वंचित किसने रखा, इसका जवाब इन लोगों के पास नहीं है। गांव में रहने वाले हमारे भाई-बहनों के लिए ये काम आज हो रहा है। अब गांव में किसानों को, उनके मकान का, जमीन का नक्शा और कानूनी दस्तावेज दिया जा रहा है। टेक्‍नोलॉजी की मदद से स्वामित्व योजना के बाद अब गांव के किसान को भी जमीन और घर के नाम पर बैंक से कर्ज मिलना आसान हुआ है।

साथियों,

बदलते समय के साथ अपनी अप्रोच का विस्तार करना भी उतना ही जरूरी है। हमें 21वीं सदी में भारत की कृषि को आधुनिक बनाना ही होगा और इसी का बीड़ा देश के करोड़ों किसानों ने भी उठाया है और सरकार भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर के आगे बढ़ने के लिए कृतसंकल्‍प है। आज हर किसान को ये पता है कि उसकी उपज का सबसे अच्छा दाम कहां मिल सकता है। पहले क्या होता था कि अगर मंडी में बेहतर दाम नहीं मिलते थे या फिर उसकी उपज को दोयम दर्जे का बताकर खऱीदने से इनकार कर दिया जाता था तो किसान मजबूरी में औने पौने दामों पर अपनी उपज बेचने को मजबूर रहता था। इन कृषि सुधार के जरिए हमने किसानों को बेहतर विकल्प दिए हैं। इन कानूनों के बाद आप जहां चाहें जिसे चाहें अपनी उपज बेच सकते हैं।

मेरे किसान भाईयों और बहनों,

मेरे इन शब्‍दों को आप ध्‍यान से सुनिये, मैं फिर से कह रहा हूँ कि आप अपनी फसल को जहां चाहे आप निर्णय करके बेच सकते हैं। आपको जहां सही दाम मिले आप वहां पर उपज बेच सकते हैं। आप न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर अपनी उपज बेचना चाहते हैं?  आप उसे बेच सकते हैं। आप मंडी में अपनी उपज बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं। आप अपनी उपज का निर्यात करना चाहते हैं ? आप निर्यात कर सकते हैं। आप उसे व्यापारी को बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं। आप अपनी उपज दूसरे राज्य में बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं। आप पूरे गांव के किसानों को एफपीओ के माध्यम से इक्ट्ठा कर अपनी पूरी उपज को एक साथ बेचना चाहते हैं? आप बेच सकते हैं। आप बिस्किट, चिप्स, जैम, दूसरे कंज्यूमर उत्पादों की वैल्यू चेन का हिस्सा बनना चाहते हैं? आप ये भी कर सकते हैं। देश के किसान को इतने अधिकार मिल रहे हें तो इसमें गलत क्या है? इसमें गलत क्या है कि अगर किसानों को अपनी उपज बेचने का विकल्प आनलाइन माध्यम से पूरे साल और कहीं भी मिल रहा है?

साथियों,

आज नए कृषि सुधारों के बारे में असंख्य झूठ फैलाए जा रहे हैं। कुछ लोग किसानों के बीच भ्रम फैला रहे हैं कि एमएसपी समाप्त की जा रही है। तो कुछ लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि मंडियों को बंद कर दिया जाएगा। मैं आपको फिर ध्यान दिलाना चाहता हूं कि इन कानूनों को लागू हुए कई महीने बीत गए हैं। क्या आपने देश के किसी एक कोने में एक भी मंड़ी के बंद होने की खबर सुनी है। जहां तक एमएसपी का सवाल है हाल के दिनों में सरकार ने बहुत सी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ा दिया है। ये कृषि सुधारों के बाद भी हुआ है, नए कृषि कानूनों के बाद भी हुआ है। इतना ही नहीं, जो लोग किसानों के नाम पर बात करते हैं ना ये जो आंदोलन चल रहा है, उसमें कई लोग सच्‍चे और निर्दोष किसान भी हैं। ऐसा नहीं है कि सब वो राजनीति‍क विचारधारा वाले लोग तो सिर्फ नेता हैं बाकि तो भले-भाले किसान हैं। उनको जाके secret पूछोगे कि भाई आपकी कितनी जमीन हैं? क्‍या पैदा करते हो? इस बार बेचा कि नहीं बेचा? तो वो भी बतायेगा कि वो MSP पर बेच कर के आया और जब MSP पर खरीदी चल रही थी ना तब वो आंदोलन को उन्‍होंने ठंडा कर दिया था क्‍योंकि उनको मालूम था कि अभी जरा किसान मंडी में जाकर के माल बेच रहा है। वो सब बिक्री हो गई, काम हो गया, फिर उन्‍होंने आंदोलन शुरू किया।

साथियों,

वास्तविकता तो ये है कि बढ़े हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर सरकार ने किसानों की उपज की रिकार्ड स्तर पर खऱीदी है और वो भी नए कानून बनने के बाद। और एक अहम बात, इन कृषि सुधारों से सरकार ने अपनी ज़िम्मेदारियाँ बढ़ाई ही हैं! उदाहरण के तौर पर एग्रीमेंट फार्मिंग की बात ही ले लीजिए। कुछ राज्यों में ये कानून, ये प्रावधान कई सालों से हैं, पंजाब में भी है। वहां तो private कम्‍पनियां agreement करके खेती कर रही है। क्या आप जानते हैं पहले के क़ानूनों में समझौता तोड़ने पर किसानों पर पेनाल्टी लगती थी! मेरे किसान भाईयों को ये किसी ने समझाया नहीं होगा। लेकिन हमारी सरकार ने ये सुधार किया और ये सुनिश्चित किया कि मेरे किसान भाइयों पर पेनाल्टी या किसी और तरह का जुर्माना ना लगेगा!

साथियों,

आप ये भली-भांति जानते हैं कि पहले अगर किसी कारणवश किसान मंडी नहीं भी जा पाता था, तो वो क्या करता था? वो किसी ट्रेडर को अपना माल बेच देता था। ऐसे में वो व्यक्ति किसान का फायदा ना उठा पाए, उसके लिए भी हमारी सरकार ने कानूनी उपाय किए हैं। खरीदार समय से आपका भुगतान करने के लिए अब कानूनन बाध्य है। उसे रसीद भी काटनी होगी और 3 दिन के भीतर भुगतान भी करना होगा नहीं तो ये क़ानून किसान को शक्ति देता है, ताकत देता है कि वो अधिकारियों के पास जाकर कानूनी तंत्र का सहारा लेकर अपना पैसा प्राप्‍त कर सके! ये सारी चीज़ें हो चुकी हैं, हो रही हैं, ख़बरें आ रही हैं की कैसे एक-एक कर के हमारे देश के किसान भाई इन क़ानूनों का फायदा उठा रहे हैं! सरकार किसान के साथ हर कदम पर खड़ी है। किसान चाहे जिसे अपनी उपज बेचना चाहे, सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि एक मज़बूत कानून और लीगल सिस्टम किसानों के पक्ष में खड़ा रहे।

साथियों,

कृषि सुधारों का एक और अहम पक्ष सभी के लिए समझना जरूरी है। अब जब कोई किसान के साथ एग्रीमेंट करेगा तो वो ये भी चाहेगा कि उपज अच्छी से अच्छी हो। इसके लिए एग्रीमेंट करने वाला किसानों को अच्छे बीज, आधुनिक तकनीक, अत्याधुनिक उपकरण, विशेषज्ञता हासिल करने में मदद करेगा ही करेगा क्‍योंकि उसकी तो रोजी-रोटी उसमें है। अच्छी उपज के लिए सुविधाएँ किसानों के दरवाजे पर उपलब्ध कराएगा। एग्रीमेंट करने वाला व्यक्ति बाजार की ट्रेंड से पूरी तरह वाकिफ रहेगा और इसी के अनुरुप हमारे किसानों को बाजार की मांग के हिसाब से काम करने में मदद करेगा। अब आपको मैं एक और स्थिति बताता हूं। अगर किसी वजह से, किसी परेशानी की वजह से किसान की उपज अच्छी नहीं होती या फिर बर्बाद हो जाती है तो भी, ये याद रखिये तो भी जिसने एग्रीमेंट किया है उसको किसान को उपज का जो दाम निर्धारित हुआ था वो उसको देना ही पड़ेगा। एग्रीमेंट करने वाला अपने एग्रीमेंट को अपनी मर्जी से खत्म नहीं कर सकता है। लेकिन दूसरी तरफ अगर किसान, एग्रीमेंट को किसी भी वजह से खत्म करना चाहता है तो किसान कर सकता है, सामने वाला नहीं कर सकता है। क्या ये स्थिति किसानों के लिए फायदेमंद है कि नहीं है? सबसे ज्‍यादा assurance किसान को है कि नहीं है? किसान को फायदा होने वाली गारंटी इसमें है कि नहीं है? एक और सवाल लोगों ने उछाल कर के रखा हुआ है, आपके मन में भी आता होगा। अगर किसी स्थिति में उपज अच्‍छी हुई है, माक्रिट बहुत शानदार हो गया, जो  एग्रीमेंट में था उससे भी ज्‍यादा मुनाफा एग्रीमेंट वाले को मिल रहा है। अगर ऐसा होता है, तो एग्रीमेंट का जितना पैसा है वो तो देना ही देना है लेकिन अगर ज्‍यादा मुनाफा हुआ है तो उसमें से कुछ बोनस भी किसान को देने पड़ेगा। इससे बड़ा किसान की रक्षा कौन कर सकता है? ऐसे स्‍थितियों में, किसान एग्रीमेंट में तय किये गये मूल्‍य के अलावा जैसा मैंने कहा बोनस का भी वो हकदार होगा। पहले क्या होता था याद है ना? सारा रिस्क किसान का होता था और रिटर्न किसी और का होता था। अब नए कृषि कानूनों और सुधार के बाद स्थिति पूरी तरह किसानों के पक्ष में हो गई है। अब सारा रिस्क एग्रीमेंट करने वाले व्यक्ति या कंपनी का होगा और रिटर्न किसान को होगा!

साथियों,

देश के कई भागों में एग्रीमेंट फार्मिंग को पहले भी परखा गया है, उसे कसौटी पर कसा गया है। क्या आपको पता है कि दुनिया में आज सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन, milk production करने वाला देश कौन सा है? ये देश कोई और नहीं हमारा हिन्‍दुस्‍तान है! हमारे पशुपालक, हमारे किसान की मेहनत है। आज डेयरी सेक्टर में बहुत सी सहकारी और निजी कंपनियां किसानों से दुग्ध उत्पादकों से दूध खरीदती हैं और उसे बाजार में बेचती हैं। ये मॉडल कितने वर्षों से चला आ रहा है, क्या आपने कभी सुना कि किसी एक कंपनी या सहकारी संस्था ने बाजार पर अपना कब्जा जमा लिया, अपना एकाधिकार कर लिया? क्या आप उन किसानों और उन दुग्ध उत्पादकों की सफलता से परिचित नहीं है जिन्हें डेयरी सेक्टर के इस काम से लाभ हुआ है? एक और सेक्टर है यहां पर हमारा देश बहुत आगे है- वो है पोल्ट्री यानी मुर्गी पालन। आज भारत में सबसे ज्यादा अंडों का उत्पादन होता है। पूरे पोल्ट्री सेक्टर में बहुत सी बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं, कुछ छोटी कंपनियां भी हैं तो कुछ स्थानीय खऱीदार भी इस व्यवसाय में जुटे हैं। इस सेक्टर से जुड़े लोग, अपना Product किसी को भी, कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। जहां भी उन्हें सबसे ज्‍यादा दाम मिलता है वो अंडे बेच सकते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे किसानों को, कृषि सेक्टर को इसी तरह का विकास करने का अवसर मिले जैसा पोल्ट्री और डेयरी सेक्टर को मिला है। हमारे किसानों की सेवा में जब बहुत सी कंपनियां, व्यवसाय के कई तरह के प्रतिस्पर्धी रहेंगे तो उन्हें अपनी उपज का ज्यादा दाम भी मिलेगा और बाजार तक उनकी बेहतर पहुंच भी संभव हो सकेगी।

साथियों,

नए कृषि सुधारों के जरिए भारतीय कृषि में नई टेक्नोलॉजी को भी प्रवेश मिलेगा। आधुनिक तकनीक के जरिए हमारे किसान अपनी उपज को बढ़ा सकेंगे, अपनी उपज को विविधता दे सकेंगे, अपनी उपज की बेहतर ढंग से पैकेजिंग कर सकेंगे, अपनी उपज में वैल्यू एडिशन कर सकेंगे। एक बार ऐसा हो गया तो हमारे किसानों की उपज की पूरी दुनिया में मांग होगी और ये मांग और लगातार बढ़ेगी। हमारे किसान सिर्फ उत्पादक नहीं बल्कि खुद निर्यातक बन सकेंगे। दुनिया में कोई भी अगर कृषि उत्पादों के जरिए बाजारों में अपनी धाक जमाना चाहेगा तो उसे भारत आना पड़ेगा। अगर दुनिया में कही भी क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों की जरूरत होगी तो उन्हें भारत के किसानों के साथ साझेदारी करनी पड़ेगी। जब हमने दूसरे सेक्टर में इनवेस्टमेंट और इनोवेशन बढ़ाया तो हमने आय बढ़ाने के साथ ही उस सेक्टर में ब्रांड इंडिया को भी स्थापित किया। अब समय आ गया है कि ब्रांड इंडिया दुनिया के कृषि बाजारों में भी खुद को उतनी ही प्रतिष्ठा के साथ स्थापित करे।

साथियों,

कुछ राजनीतिक दल, जिन्हें देश की जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से नकार दिया है, वो आज कुछ किसानों को गुमराह करके जो कुछ भी कर रहे हैं उन सबको बार-बार नम्रतापूर्वक सरकार की तरफ से अनेक प्रयासों के बावजूद भी, किसी न किसी राजनीतिक कारण से, किसी ने बंधी-बंधी राजनीतिक विचारधारा कारण से ये चर्चा नहीं होने दे रहे हैं। कृषि कानूनों के संदर्भ में, ये जो political party की विचारधारा वाले जो कुछ लोग हैं, जो किसानों के कंधे पर बंदूके फोड़ रहे हैं, कृषि कानूनों के संदर्भ में उनके पास ठोस तर्क न होने के कारण, वो भांति-भांति के मुद्दों को किसानों के नाम पर उछाल रहे हैं। आपने देखा होगा, जब प्रारंभ हुआ था, तो उनकी इतनी मांग थी कि MSP की गारंटी दो, उनकी मन में genuine था क्‍योंकि वो किसान थे, उनको लगा कि कहीं ऐसा तो न हो। लेकिन इसका माहौल दिखाकर के ये राजनीतिक विचारधारा वाले चढ़ बैठे और अब MSP वगैरह बाजू में, क्‍या चल रहा है ये लोग हिंसा के आरोपी, ऐसे लोगों को जेल से छुड़ाने की मांग कर रहे हैं। देश में आधुनिक हाईवेज बनें, निर्माण हो, जो पिछली सब सरकारों ने किया था, ये लोग भी सरकारों में समर्थन करते थे, भागीदार थे। अब कहते हैं टोल टैक्‍स नहीं होगा, टोल खाली कर दो। भई किसान का विषय छोड़कर के नई जगह पर क्‍यों जाना पड़ रहा है? जो नीतियां पहले के समय से चली आ रहीं हैं, अब ये किसान आंदोलन की आड़ में उनका भी विरोध कर रहे हैं, टोल नाकों का विरोध कर रहे हैं।

साथियों,

ऐसी परिस्थिति में भी देशभर के किसानों ने कृषि सुधारों का भरपूर समर्थन किया है, भरपूर स्वागत किया है। मैं सभी किसानों का आभार व्यक्त करता हूं, मैं सर झुकाकर के उनको प्रणाम करता हूँ कि देश को आगे ले जाने के लिए देश के कोटि-कोटि किसान आज इस निर्णय के साथ इस हिम्‍मत से खड़े हुए हैं और मैं मेरे किसान भाईयों और बहनों को भरोसा दिलाता हूं कि आपके विश्वास पर हम कोई आंच नहीं आने देंगे। पिछले दिनों अनेक राज्य़, और ये बात समझनी होगी, अनेक राज्‍य, चाहे असम हो या इधर राजस्थान हो, जम्मू-कश्मीर हो, ऐसी कई जगह पे पंचायतों के चुनाव हुए। इनमें प्रमुखता ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को ही वोट देना होता है, एक प्रकार से किसान को ही वोट देना होता है। इतना गुमराह करने वाला का खेल चलता था, इतना बड़ा आंदोलन का नाम दिया जा रहा था, हो-हल्‍ला किया जाता था, लेकिन इसी के अगल-बगल में जहां-जहां चुनाव हुए हैं, उन गांवों के किसानों ने ये आंदोलन चलाने वाले जितने लोग थे उनको नकार दिया है, पराजित कर दिया है। ये भी एक प्रकार से उन्‍होंने बैलेट बॉक्‍स के द्वारा ये नए कानूनों को खुला समर्थन किया है।

साथियों,

तर्क और तथ्य के आधार पर, हर कसौटी पर हमारे ये निर्णय कसे जा सकते हैं। उसमें कोई कमी है, तो उसको इंगित करना चाहिए। लोकतंत्र है, हमें सब प्रकार का भगवान ने ज्ञान दिया है ऐसा दावा हमारा नहीं है लेकिन बात तो हो! इन बातों के बावजूद भी, लोकतंत्र में अटूट आस्था और श्रद्धा होने के कारण, किसानों के प्रति हमारा समर्पण होने के कारण, हर समय, किसानों के हर मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार तैयार है। समाधान के लिए हम खुला मन लेकर के चल रहे हैं। कई दल ऐसे भी हैं जो इन्हीं कृषि सुधार कार्यों के पक्ष में रहे हैं, उनके लिखित बयान भी हमने देखे हैं, वो आज अपनी कही बात से ही मुकर गए हैं, उनकी भाषा बदल गई है। वो राजनीतिक नेता जो किसानों को भ्रमित करने में जुटे हुए हैं, जिनकी लोकतंत्र में रत्ती भर भी श्रद्धा नहीं है, वो विश्‍वास ही नहीं करते democracy पे, दुनिया के कई देशों में उनका परिचय है लोगों को, ऐसे लोगों के जो भी उन्‍होंने कहा है कि पछले दिन, जिस प्रकार के अरल-गरल आरोप लगाए हैं, जिस भाषा का प्रयोग किया है, पता नहीं कैसी-कैसी इच्‍छाएं व्‍यक्‍त की हैं मैं बोल भी नहीं सकता हूँ। ये सब करने के बावजूद भी उन सब चीजों को सहन करने के बावजूद भी, उसको पेट में उतार करके के, मन ठंडा रख करके, उन सबको सहन करते हुए, मैं आज फिर एक बार नम्रता के साथ उन लागों को भी जो हमारा घोर विरोध करने पर तुले हुए हैं, उनकी भी कहता हूँ, मैं नम्रता के साथ कहता हूँ हमारी सरकार किसान हित में उनसे भी बात करने के लिए तैयार है लेकिन बात मुद्दों पर होगी, तर्क और तथ्‍यों पर होगी।

साथियों,

हम देश के अन्नदाता को उन्नत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जब आपकी उन्नति होगी, तो पूरे राष्ट्र की उन्नति तय है। सिर्फ आत्मनिर्भर किसान ही आत्मनिर्भर भारत की नींव डाल सकता है। मेरा देश के किसानों से आग्रह है- किसी के बहकावे में न आएं, किसी के झूठ को न स्वीकारें, तर्क और तथ्‍य को आधार बनाकर ही सोचे-विचारें और फिर एक बार देश भर के किसानों ने खुलकर के जो समर्थन दिया है ये मेरे लिए अत्‍यंत संतोष और गर्व का विषय है। मैं आपका बहुत आभारी हूँ। एक बार फिर से करोड़ों किसान परिवारों को पीएम किसान सम्मान निधि के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूँ और मैं आपसे लगातार प्रार्थना करता हूँ, आपके लिए भी प्रार्थना करता हूँ, आप स्वस्थ रहें, आपका परिवार स्‍वस्‍थ रहे, इसी कामना के साथ आप सभी का बहुत-बहुत आभार !

धन्यवाद !

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The World This Week On India
February 18, 2025

This week, India reinforced its position as a formidable force on the world stage, making headway in artificial intelligence, energy security, space exploration, and defence. From shaping global AI ethics to securing strategic partnerships, every move reflects India's growing influence in global affairs.

And when it comes to diplomacy and negotiation, even world leaders acknowledge India's strength. Former U.S. President Donald Trump, known for his tough negotiating style, put it simply:

“[Narendra Modi] is a much tougher negotiator than me, and he is a much better negotiator than me. There’s not even a contest.”

With India actively shaping global conversations, let’s take a look at some of the biggest developments this week.

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AI for All: India and France Lead a Global Movement

The future of AI isn’t just about technology—it’s about ethics and inclusivity. India and France co-hosted the Summit for Action on AI in Paris, where 60 countries backed a declaration calling for AI that is "open," "inclusive," and "ethical." As artificial intelligence becomes a geopolitical battleground, India is endorsing a balanced approach—one that ensures technological progress without compromising human values.

A Nuclear Future: India and France Strengthen Energy Security

In a world increasingly focused on clean energy, India is stepping up its nuclear power game. Prime Minister Narendra Modi and French President Emmanuel Macron affirmed their commitment to developing small modular nuclear reactors (SMRs), a paradigm shift in the transition to a low-carbon economy. With energy security at the heart of India’s strategy, this collaboration is a step toward long-term sustainability.

Gaganyaan: India’s Space Dream Inches Closer

India’s ambitions to send astronauts into space took a major leap forward as the budget for the Gaganyaan mission was raised to $2.32 billion. This is more than just a scientific milestone—it’s about proving that India is ready to stand alongside the world’s leading space powers. A successful human spaceflight will set the stage for future interplanetary missions, pushing India's space program to new frontiers.

India’s Semiconductor Push: Lam Research Bets Big

The semiconductor industry is the backbone of modern technology, and India wants a bigger share of the pie. US chip toolmaker Lam Research announced a $1 billion investment in India, signalling confidence in the country’s potential to become a global chip manufacturing hub. As major companies seek alternatives to traditional semiconductor strongholds like Taiwan, India is positioning itself as a serious contender in the global supply chain.

Defence Partnerships: A New Era in US-India Military Ties

The US and India are expanding their defence cooperation, with discussions of a future F-35 fighter jet deal on the horizon. The latest agreements also include increased US military sales to India, strengthening the strategic partnership between the two nations. Meanwhile, India is also deepening its energy cooperation with the US, securing new oil and gas import agreements that reinforce economic and security ties.

Energy Security: India Locks in LNG Supply from the UAE

With global energy markets facing volatility, India is taking steps to secure long-term energy stability. New multi-billion-dollar LNG agreements with ADNOC will provide India with a steady and reliable supply of natural gas, reducing its exposure to price fluctuations. As India moves toward a cleaner energy future, such partnerships are critical to maintaining energy security while keeping costs in check.

UAE Visa Waiver: A Boon for Indian Travelers

For Indians residing in Singapore, Japan, South Korea, Australia, New Zealand, and Canada, visiting the UAE just became a lot simpler. A new visa waiver, effective February 13, will save Dh750 per person and eliminate lengthy approval processes. This move makes travel to the UAE more accessible and strengthens business and cultural ties between the two countries.

A Gift of Friendship: Trump’s Gesture to Modi

During his visit to India, Donald Trump presented Prime Minister Modi with a personalized book chronicling their long-standing friendship. Beyond the usual diplomatic formalities, this exchange reflects the personal bonds that sometimes shape international relations as much as policies do.

Memory League Champion: India’s New Star of Mental Speed

India is making its mark in unexpected ways, too. Vishvaa Rajakumar, a 20-year-old Indian college student, stunned the world by memorizing 80 random numbers in just 13.5 seconds, winning the Memory League World Championship. His incredible feat underscores India’s growing reputation for mental agility and cognitive excellence on the global stage.

India isn’t just participating in global affairs—it’s shaping them. Whether it’s setting ethical AI standards, securing energy independence, leading in space exploration, or expanding defence partnerships, the country is making bold, strategic moves that solidify its role as a global leader.

As the world takes note of India’s rise, one thing is clear: this journey is just getting started.