अटल टनल हिमाचल, लेह, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन को बदल देगी: प्रधानमंत्री मोदी
जो लोग हाल के कृषि सुधारों के खिलाफ हैं, उन्होंने हमेशा अपने राजनीतिक हितों के लिए काम किया: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

केंद्रीय मंत्रीपरिषद के मेरे सहयोगी श्रीमान राजनाथ सिंह जी, हिमाचल प्रदेश के लोकप्रिय मुख्‍यमंत्री भाई जयराम ठाकुर जी, हिमाचल से ही सांसद और केंद्र में मंत्री मेरे साथी, हिमाचल का छोकरा श्री अनुराग ठाकुर जी, स्‍थानीय विधायक, सांसदगण औरहिमाचल सरकार में मंत्री भाई गोविंद ठाकुर जी, अन्‍य मंत्रीगण, अन्‍य सांसदगण, विधायकगण, बहनों और भाइयो।

तुसा सेभी रे, अपने प्यारे अटल बिहारी बाजपेयी जी री सोचा रै बदौलत,

कुल्लुलाहुललेह-लद्दाखा रे लोका री तैंयी ऐ सुरंगा रा तौहफा, तुसा सेभी वे मेलू।

तुसा सेभी वै बहुत-बहुत बधायी होर मुबारक।

मां हिडम्‍बा की, ऋषि-मुनियों की तपस्‍थली जहां 18 करड़ू यानी गांव-गांव देवताओं की जीवंत और अनूठी परम्‍परा है, ऐसी दिव्‍य धरा को मैं प्रणाम करता हूं, नमन करता हूं। और कंचननाग की ये भूमि, अभी जयराम जी हमारे मुख्‍यमंत्री जी वर्णन कर रहे थे पैराग्‍लाइडिंग के मेरे इस शौक का। अच्‍छा तो लगता था उड़ने का लेकिन जब पूरी किट उठा करके ऊपर तक जाना पड़ता था तो दम उखड़ जाता था। और एक बार शायद दुनिया में और किसी ने किया होगा कि नहीं मुझे मालूम नहीं। अटलजी मनाली आए थे, मैं यहां संगठन की व्‍यवस्‍था वाला व्‍यक्ति था तो थोड़ा पहले आया था। तो हमने एक कार्यक्रम बनाया। 11 पैराग्‍लाइडर्स, पायलट्स एक साथ मनाली के आसमान में, और जब अटलजी पहुंचे तो सबने पुष्‍प वर्षा की थी। शायद दुनिया में पैराग्‍लाइडिंग का ऐसा उपयोग पहले कभी नहीं हुआ होगा। लेकिन जब शाम को मैं अटलजी से मिलने गया तो कह रहे, भाई बहुत साहस कर रहे हो, ऐसा क्‍यों करते हो। लेकिन वो दिन मेरे मनाली के जीवन में भी एक बड़ा सही अवसर बन गया था कि पैराग्‍लाइडिंग से पुष्‍प वर्षा करके वाजपेयी जी के स्‍वागत करने की कल्‍पना बहुत ही रोचक थी।

हिमाचल के मेरे प्‍यारे भाइयो, बहनों आप सभी को अटल टनल लोकार्पण की भी आज बहुत-बहुत बधाई है। और जैसा मैंने पहले कहा ये जगह भले ही आज सभा हो रही हो और मैं तो देख रहा हूं सोशल डिस्‍टेंसिंग का परफेक्‍ट प्‍लानिंग हुआ है। दूर-दूर तक सब बराबर सोशल डिस्‍टेंसिंग करके और अपना हाथ भी उठा करके मुझे आज उन सबका भी अभिवादन करने का अवसर मिला है। ये जगह मेरी जानी-पहचानी जगह है।वैसे मैं एक जगह पर ज्‍यादा समय रुकने वाला व्‍यक्ति नहीं होता थाबहुत तेजी से दौरा करता था। लेकिन जब अटलजी आते थे तो जितने दिन रुकते थे, मैं भी रुक जाता था, तो मुझे भी यहां काफी निकटता का अनुभव आप सबसे होता था। अब, तब उनके साथ तब उनके साथ मनाली के, हिमाचल के विकास को लेकर कई बार चर्चा होती थी।

अटल जी यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर, यहां की कनेक्टिविटी और यहां के पर्यटन उद्योग की खासी चिंता भी करते थे।

वो अक्सर अपनी एक मशहूर कविता सुनाया करते थे। मनाली वालों ने तो जरूर बार-बार सुनी है और सोचिए, जिन्हें ये जगह अपने घर जैसी लगती हो, जिन्हें परिणि गांव में समय बिताना इतना अच्छा लगता हो, जो यहां के लोगों से इतना प्रेम करते हों, वही अटल जी कहते थे, अपनी कविता में वो कहते थे-

मनाली मत जइयो,
राजा के राज में।
जइयो तो जइयो,
उड़िके मत जइयो,
अधर में लटकीहौ,
वायुदूत के जहाज़ में।
जइयो तो जइयो,
सन्देसा न पइयो,
टेलिफोन बिगड़े हैं,
मिर्धा महाराज में।

साथियों,

मनाली को बहुत अधिक पसंद करने वाले अटल जी की ये अटल इच्छा थी, कि यहां स्थितियां बदलें, यहां की कनेक्टिविटी बेहतर हो। इसी सोच के साथ उन्होंने रोहतांग में टनल बनाने का फैसला लिया था।

मुझे खुशी है कि आज अटल जी का ये संकल्प सिद्ध हो गया है। ये अटल टनल अपने ऊपर भले ही इतने बड़े पहाड़ का (यानी करीब 2 किलोमीटर ऊंचा पहाड़ उस टनल के ऊपर है) बोझ उठाए है। जो बोझ कभी लाहौल-स्‍पीति और मनाली के लोग अपने कंधे पर उठाते थे, इतना बड़ा बोझ आज उस टनल ने उठाया है और उस टनल ने यहां के नागरिकों को एक प्रकार से बोझ मुक्‍त कर दिया है। सामान्य लोगों का एक बड़ा बोझ कम होना, उनका लाहौल-स्पीति आना जाना बहुत आसान होना अपने आप में संतोष की, गौरव की, आनंद की बात है।

अब वो दिन भी दूर नहीं जब टूरिस्ट कुल्लू-मनाली से सिड्डु घी का नाश्ता करके निकलेंगे और लाहौल में जाकर ‘दू-मार’ और ‘चिलड़े’ का लंच कर पाएंगे। ये पहले संभव नहीं था।

ठीक है, कोरोना है, लेकिन अब धीरे-धीरे देश अनलॉक भी तो हो रहा है।मुझे उम्मीद है, अब देश के अन्य सेक्टरों की तरह टूरिज्म भी धीरे-धीरे गति पकड़ लेगा और बड़े शान से कुल्‍लू का दशहरा की तैयारी तो चलती ही चलती होगी।

साथियों,

अटल टनल के साथ-साथ हिमाचल के लोगों के लिए एक और बड़ा फैसला लिया गया है। हमीरपुर में 66 मेगावॉट के धौलासिद्ध हाइड्रो प्रोजेक्ट को स्वीकृति दे दी गई है।इस प्रोजेक्ट से देश को बिजली तो मिलेगी ही, हिमाचल के अनेकों युवाओं को रोज़गार भी मिलेगा।

साथियों,

आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण का जो अभियान पूरे देश में चल रहा है, उसमें बहुत बड़ी भागीदारी हिमाचल प्रदेश की भी है। हिमाचल में ग्रामीण सड़कें हों, हाईवे हों, पावर प्रोजेक्ट्स हों, रेल कनेक्टिविटी हो, हवाई कनेक्टिविटी हो, इसके लिए अनेक परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है।

चाहे कीरतपुर-कुल्लू-मनाली रोड कॉरिडोर हो, जीरकपुर-परवानु-सोलन-कैथलीघाट कॉरिडोर हो, नांगलडैम-तलवाड़ा रेल रूट हो, भानूपल्ली-बिलासपुर बेरी रेल रूट हो, सभी पर तेज गति से काम जारी है।प्रयास यही है कि ये प्रोजेक्ट्स जल्द से जल्द पूरे होकर हिमाचल के लोगों की सेवा करना शुरू करें।

साथियों,

हिमाचल प्रदेश के लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए सड़क, बिजली जैसी मूल ज़रूरतों के साथ-साथ मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी भी बहुत ज़रूरी है। और जो tourist destinationहोते हैं वहां पर आजकल ये बहुत बड़ी requirement बन गया है। पहाड़ी प्रदेश होने के कारण हिमाचल के अनेक स्थानों पर नेटवर्क की समस्या होती रहती है। इसका स्थाई समाधान करने के लिए हाल में देश के 6 लाख गांवों में ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का काम शुरु किया गया है।आने वाले 1 हज़ार दिनों में ये काम मिशन मोड पर पूरा किया जाना है।इसके तहत गांव-गांव में Wi-Fi Hotspot भी लगेंगे और घरों को इंटरनेट कनेक्शन भी मिल पाएंगे।इससे हिमाचल प्रदेश के बच्चों की पढ़ाई, मरीज़ों की दवाई और टूरिज्म से कमाई, हर प्रकार से लाभ होने वाला है।

साथियों,

सरकार का निरंतर ये प्रयास है कि सामान्य मानवी की परेशानी कैसे कम हो और उसे, उसके हक का पूरा लाभ कैसे मिले और इसके लिए करीब-करीब सभी सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण कर दिया गया है।अब सैलरी, पेंशन जैसी अनेक सुविधाओं के लिए बार-बार दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते।

पहले हिमाचल के दूर-सुदूर क्षेत्रों से सिर्फ दस्तावेज़ के अटेस्टेशन के लिए हमारे युवा साथी, रिटार्यड लोग, अफसरों और नेताओं के चक्कर काटते रहते थे।अब दस्तावेज़ों के अटेस्टेशन की ज़रूरत को भी एक प्रकार से खत्म कर दिया है।

आप याद करिए, पहले बिजली और टेलिफोन के बिल भरने के लिए पूरा दिन लग जाता था।आज ये काम आप घर बैठे एक क्लिक पर अंगुली दबा करके कर पा रहे हैं। अब बैंक से जुड़ी अनेक सेवाएं, जो बैंक में जाकर ही मिलती थीं, वो भी अब घर बैठे ही मिलने लगी हैं।

साथियों,

ऐसे अनेक सुधारों से समय की भी बचत हो रही है, पैसा भी बच रहा है और करप्शन के लिए स्कोप समाप्त हुआ है। कोरोना काल में ही हिमाचल प्रदेश के 5 लाख से ज्यादा पेंशनर और लगभग 6 लाख बहनों के जनधन खाते में सैकड़ों करोड़ रुपए एक क्लिक में जमा किए गए हैं।सवा लाख से ज्यादा गरीब बहनों को उज्जवला का मुफ्त सिलेंडर मिल पाया है।

साथियों,

देश में आज जो रिफॉर्मस किए जा रहे हैं, उन्होंने ऐसे लोगों को परेशान कर दिया है जिन्होंने हमेशा सिर्फ अपने राजनीतिक हितों के लिए काम किया। सदी बदल गई लेकिन उनकी सोच नहीं बदली। अब सदी बदल गई है सोच भी बदलनी है और नई सदी के हिसाब से देश को भी बदल करके बनाना है। आज जब ऐसे लोगों द्वारा बनाए बिचौलियों और दलालों के तंत्र पर प्रहार हो रहा है, तो वो बौखला गए हैं।बिचौलियों को बढ़ावा देने वालों ने देश के किसानों की स्थिति क्या कर दी थी, ये हिमाचल के लोग भी भली-भांति जानते हैं।

ये आपको भी पता है कि हिमाचल देश के सबसे बड़े फल उत्पादक राज्यों में से एक है।यहां के टमाटर, मशरूम जैसी सब्जियां भी अनेक शहरों की ज़रूरतों को पूरा करती हैं।लेकिन स्थिति क्या रही है?कुल्लू का, शिमला का या किन्नौर का जो सेब किसान के बाग से 40-50 रुपए किलो के हिसाब से निकलता है, वो दिल्ली में रहने वालों के घरों में करीब-करीब 100-150 रुपए तक पहुंचता है।बीच का लगभग 100 रुपए का जो हिसाब है, ना तो कभी किसान को मिला और ना कभी वो खरीदार को मिला, तो वो गया कहां? किसान का भी नुकसान और शहर में ले करके खरीद करने वाले का भी नुकसान।यही नहीं, यहां के बागवान साथी जानते हैं कि सेब का सीज़न जैसे-जैसे पीक पर जाता है, तो कीमतें धड़ाम से गिर जाती हैं।इसमें सबसे अधिक मार ऐसे किसानों पर पर पड़ती है, जिनके पास छोटे बगीचे हैं।

साथियों,

कृषि सुधार कानूनों का विरोध करने वाले कहते हैं कि यथा स्थिति बनाए रखो, पिछली सदी में जीना है जीने दो, लेकिन देश आज परिवर्तन के लिए प्रतिबद्ध है। और इसलिए ही कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कानूनों में ऐतिहासिक सुधार किया गया है। और ये जो सुधार हैं वो उन्‍होंने भी पहले सोचे थे, वे भी जानते थे, सोच तो उनकी भी थी, हमारी भी, लेकिन उनमें हिम्‍मत की कमी थी, हमारे में हिम्‍मत है। उनके लिए चुनाव सामने थे, हमारे लिए देश सामने है, हमारे लिए हमारा देश का किसान सामने है, हमारे लिए हमारे देश के किसान का उज्‍ज्‍वल भविष्‍य सामने है और इसलिए हम फैसले ले करके आगे किसान को ले जाना चाहते हैं।

अब अगर हिमाचल के छोटे-छोटे बागवान, किसान समूह बनाकर अपने सेब दूसरे राज्यों में जाकर सीधे बेचना चाहे, तो उन्हें वो आजादी मिल गई है।हां अगर उनको स्थानीय मंडी में फायदा मिलता है, पहले की व्‍यवस्‍था से फायदा मिलता है तो वो विकल्प तो है ही, उसको किसी  ने खत्‍म नहीं किया है। यानि हर प्रकार से किसानों-बागवानों को लाभ पहुंचाने के लिए ही ये सुधार किए गए हैं।

साथियों,

केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने, खेती से जुड़ी उनकी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के लगभग सवा 10 करोड़ किसान, उन परिवारों के खाते में अब तक करीब 1 लाख करोड़ रुपए जमा किया जा चुका है।इसमें हिमाचल के सवा 9 लाख किसान परिवारों के बैंक खाते में भी लगभग 1000 करोड़ रुपए जमा किए गए हैं।

कल्पना कीजिए अगर पहले की सरकारों के समय 1000 करोड़ रुपए का कोई पैकेज हिमाचल के लिए घोषित होता तो वो पैसा पता नहीं कहां-कहां, किस-किस की जेब में पहुंच जाता?उस पर राजनीतिक श्रेय लेने की कितनी कोशिशें होतीं?लेकिन यहां छोटे किसानों के खाते में ये रुपए चले गए और कोई हो-हल्ला नहीं हुआ।

साथियों,

हाल ही एक और बड़ा रिफॉर्म देश में हमारी श्रमशक्ति को, विशेषतौर पर बहनों और बेटियों को अधिकार देने के लिए किया गया है।हिमाचल की बहनें और बेटियां तो वैसे भी हर क्षेत्र में, मुश्किल से मुश्किल काम करने में अग्रणी रहती हैं।लेकिन अभी तक स्थिति ये थी कि देश में अनेक सेक्टर ऐसे थे, जिनमें बहनों को काम करने की मनाही थी। हाल में जो श्रम कानूनों में सुधार किया गया है, उनसे अब महिलाओं को भी वेतन से लेकर काम तक के वो सभी अधिकार दे दिए गए हैं, जो पुरुषों के पास पहले से हैं।

साथियों,

देश के हर क्षेत्र, हर नागरिक, के आत्मविश्वास को जगाने के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए, सुधारों का सिलसिला लगातार चलता रहेगा। पिछली शताब्‍दी के नियम-कानूनों से अगली शताब्‍दी में नहीं पहुंच सकते। समाज और व्यवस्थाओं में सार्थक बदलाव के विरोधी जितनी भी अपने स्वार्थ की राजनीति कर लें, ये देश रुकने वाला नहीं है।

हिमाचल, यहां के हमारे नौजवान, देश के हर हर युवा के सपने और आकांक्षाएं, हमारे लिए सर्वोपरि हैं। और उसी संभावनाओं को ले करके हम देश को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाने पर लगे रहेंगे।

साथियो,

मैं आज फिर एक बार अटल टनल के लिए, और आप कल्‍पना कर सकते हैं इससे कितना बड़ा बदलाव आने वाला है। कितनी संभावनाओं के दरवाजे खुल गए हैं। उसका जितना फायदा हम उठाएं।

मेरी आप सबको बहुत-बहुत बधाई है। बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

कोरोना का काल है, हिमाचल ने स्थितियों को बहुत अच्‍छे ढंग से संभाला है। लेकिन फिर भी इस संक्रमण से खुद को सुरक्षित रखें।

देवधरा को प्रणाम करते हुए, कंचननाग जी की इस धरा को प्रणाम करते हुए, आप सबको फिर से एक बार मिलने का, दर्शन करने का मौका मिला। अच्‍छा होता कि कोरोना का काल न होता तो बड़े प्‍यार से आप लोगों से मिलता, काफी चेहरे परिचित मेरे सामने हैं। लेकिन आज ये स्थिति है कि नहीं मिल पा रहा हूं, लेकिन आपके दर्शन का मुझे मौका मिल गया, ये भी मेरे लिए खुशी की बात है। मुझे यहां से तुरंत निकलना है, इसलिए आप सबकी इजाजत लेते हुए, आपको बधाई देते हुए

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.