अटल टनल हिमाचल, लेह, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन को बदल देगी: प्रधानमंत्री मोदी
जो लोग हाल के कृषि सुधारों के खिलाफ हैं, उन्होंने हमेशा अपने राजनीतिक हितों के लिए काम किया: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

केंद्रीय मंत्रीपरिषद के मेरे सहयोगी श्रीमान राजनाथ सिंह जी, हिमाचल प्रदेश के लोकप्रिय मुख्‍यमंत्री भाई जयराम ठाकुर जी, हिमाचल से ही सांसद और केंद्र में मंत्री मेरे साथी, हिमाचल का छोकरा श्री अनुराग ठाकुर जी, स्‍थानीय विधायक, सांसदगण औरहिमाचल सरकार में मंत्री भाई गोविंद ठाकुर जी, अन्‍य मंत्रीगण, अन्‍य सांसदगण, विधायकगण, बहनों और भाइयो।

तुसा सेभी रे, अपने प्यारे अटल बिहारी बाजपेयी जी री सोचा रै बदौलत,

कुल्लुलाहुललेह-लद्दाखा रे लोका री तैंयी ऐ सुरंगा रा तौहफा, तुसा सेभी वे मेलू।

तुसा सेभी वै बहुत-बहुत बधायी होर मुबारक।

मां हिडम्‍बा की, ऋषि-मुनियों की तपस्‍थली जहां 18 करड़ू यानी गांव-गांव देवताओं की जीवंत और अनूठी परम्‍परा है, ऐसी दिव्‍य धरा को मैं प्रणाम करता हूं, नमन करता हूं। और कंचननाग की ये भूमि, अभी जयराम जी हमारे मुख्‍यमंत्री जी वर्णन कर रहे थे पैराग्‍लाइडिंग के मेरे इस शौक का। अच्‍छा तो लगता था उड़ने का लेकिन जब पूरी किट उठा करके ऊपर तक जाना पड़ता था तो दम उखड़ जाता था। और एक बार शायद दुनिया में और किसी ने किया होगा कि नहीं मुझे मालूम नहीं। अटलजी मनाली आए थे, मैं यहां संगठन की व्‍यवस्‍था वाला व्‍यक्ति था तो थोड़ा पहले आया था। तो हमने एक कार्यक्रम बनाया। 11 पैराग्‍लाइडर्स, पायलट्स एक साथ मनाली के आसमान में, और जब अटलजी पहुंचे तो सबने पुष्‍प वर्षा की थी। शायद दुनिया में पैराग्‍लाइडिंग का ऐसा उपयोग पहले कभी नहीं हुआ होगा। लेकिन जब शाम को मैं अटलजी से मिलने गया तो कह रहे, भाई बहुत साहस कर रहे हो, ऐसा क्‍यों करते हो। लेकिन वो दिन मेरे मनाली के जीवन में भी एक बड़ा सही अवसर बन गया था कि पैराग्‍लाइडिंग से पुष्‍प वर्षा करके वाजपेयी जी के स्‍वागत करने की कल्‍पना बहुत ही रोचक थी।

हिमाचल के मेरे प्‍यारे भाइयो, बहनों आप सभी को अटल टनल लोकार्पण की भी आज बहुत-बहुत बधाई है। और जैसा मैंने पहले कहा ये जगह भले ही आज सभा हो रही हो और मैं तो देख रहा हूं सोशल डिस्‍टेंसिंग का परफेक्‍ट प्‍लानिंग हुआ है। दूर-दूर तक सब बराबर सोशल डिस्‍टेंसिंग करके और अपना हाथ भी उठा करके मुझे आज उन सबका भी अभिवादन करने का अवसर मिला है। ये जगह मेरी जानी-पहचानी जगह है।वैसे मैं एक जगह पर ज्‍यादा समय रुकने वाला व्‍यक्ति नहीं होता थाबहुत तेजी से दौरा करता था। लेकिन जब अटलजी आते थे तो जितने दिन रुकते थे, मैं भी रुक जाता था, तो मुझे भी यहां काफी निकटता का अनुभव आप सबसे होता था। अब, तब उनके साथ तब उनके साथ मनाली के, हिमाचल के विकास को लेकर कई बार चर्चा होती थी।

अटल जी यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर, यहां की कनेक्टिविटी और यहां के पर्यटन उद्योग की खासी चिंता भी करते थे।

वो अक्सर अपनी एक मशहूर कविता सुनाया करते थे। मनाली वालों ने तो जरूर बार-बार सुनी है और सोचिए, जिन्हें ये जगह अपने घर जैसी लगती हो, जिन्हें परिणि गांव में समय बिताना इतना अच्छा लगता हो, जो यहां के लोगों से इतना प्रेम करते हों, वही अटल जी कहते थे, अपनी कविता में वो कहते थे-

मनाली मत जइयो,
राजा के राज में।
जइयो तो जइयो,
उड़िके मत जइयो,
अधर में लटकीहौ,
वायुदूत के जहाज़ में।
जइयो तो जइयो,
सन्देसा न पइयो,
टेलिफोन बिगड़े हैं,
मिर्धा महाराज में।

साथियों,

मनाली को बहुत अधिक पसंद करने वाले अटल जी की ये अटल इच्छा थी, कि यहां स्थितियां बदलें, यहां की कनेक्टिविटी बेहतर हो। इसी सोच के साथ उन्होंने रोहतांग में टनल बनाने का फैसला लिया था।

मुझे खुशी है कि आज अटल जी का ये संकल्प सिद्ध हो गया है। ये अटल टनल अपने ऊपर भले ही इतने बड़े पहाड़ का (यानी करीब 2 किलोमीटर ऊंचा पहाड़ उस टनल के ऊपर है) बोझ उठाए है। जो बोझ कभी लाहौल-स्‍पीति और मनाली के लोग अपने कंधे पर उठाते थे, इतना बड़ा बोझ आज उस टनल ने उठाया है और उस टनल ने यहां के नागरिकों को एक प्रकार से बोझ मुक्‍त कर दिया है। सामान्य लोगों का एक बड़ा बोझ कम होना, उनका लाहौल-स्पीति आना जाना बहुत आसान होना अपने आप में संतोष की, गौरव की, आनंद की बात है।

अब वो दिन भी दूर नहीं जब टूरिस्ट कुल्लू-मनाली से सिड्डु घी का नाश्ता करके निकलेंगे और लाहौल में जाकर ‘दू-मार’ और ‘चिलड़े’ का लंच कर पाएंगे। ये पहले संभव नहीं था।

ठीक है, कोरोना है, लेकिन अब धीरे-धीरे देश अनलॉक भी तो हो रहा है।मुझे उम्मीद है, अब देश के अन्य सेक्टरों की तरह टूरिज्म भी धीरे-धीरे गति पकड़ लेगा और बड़े शान से कुल्‍लू का दशहरा की तैयारी तो चलती ही चलती होगी।

साथियों,

अटल टनल के साथ-साथ हिमाचल के लोगों के लिए एक और बड़ा फैसला लिया गया है। हमीरपुर में 66 मेगावॉट के धौलासिद्ध हाइड्रो प्रोजेक्ट को स्वीकृति दे दी गई है।इस प्रोजेक्ट से देश को बिजली तो मिलेगी ही, हिमाचल के अनेकों युवाओं को रोज़गार भी मिलेगा।

साथियों,

आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण का जो अभियान पूरे देश में चल रहा है, उसमें बहुत बड़ी भागीदारी हिमाचल प्रदेश की भी है। हिमाचल में ग्रामीण सड़कें हों, हाईवे हों, पावर प्रोजेक्ट्स हों, रेल कनेक्टिविटी हो, हवाई कनेक्टिविटी हो, इसके लिए अनेक परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है।

चाहे कीरतपुर-कुल्लू-मनाली रोड कॉरिडोर हो, जीरकपुर-परवानु-सोलन-कैथलीघाट कॉरिडोर हो, नांगलडैम-तलवाड़ा रेल रूट हो, भानूपल्ली-बिलासपुर बेरी रेल रूट हो, सभी पर तेज गति से काम जारी है।प्रयास यही है कि ये प्रोजेक्ट्स जल्द से जल्द पूरे होकर हिमाचल के लोगों की सेवा करना शुरू करें।

साथियों,

हिमाचल प्रदेश के लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए सड़क, बिजली जैसी मूल ज़रूरतों के साथ-साथ मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी भी बहुत ज़रूरी है। और जो tourist destinationहोते हैं वहां पर आजकल ये बहुत बड़ी requirement बन गया है। पहाड़ी प्रदेश होने के कारण हिमाचल के अनेक स्थानों पर नेटवर्क की समस्या होती रहती है। इसका स्थाई समाधान करने के लिए हाल में देश के 6 लाख गांवों में ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का काम शुरु किया गया है।आने वाले 1 हज़ार दिनों में ये काम मिशन मोड पर पूरा किया जाना है।इसके तहत गांव-गांव में Wi-Fi Hotspot भी लगेंगे और घरों को इंटरनेट कनेक्शन भी मिल पाएंगे।इससे हिमाचल प्रदेश के बच्चों की पढ़ाई, मरीज़ों की दवाई और टूरिज्म से कमाई, हर प्रकार से लाभ होने वाला है।

साथियों,

सरकार का निरंतर ये प्रयास है कि सामान्य मानवी की परेशानी कैसे कम हो और उसे, उसके हक का पूरा लाभ कैसे मिले और इसके लिए करीब-करीब सभी सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण कर दिया गया है।अब सैलरी, पेंशन जैसी अनेक सुविधाओं के लिए बार-बार दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते।

पहले हिमाचल के दूर-सुदूर क्षेत्रों से सिर्फ दस्तावेज़ के अटेस्टेशन के लिए हमारे युवा साथी, रिटार्यड लोग, अफसरों और नेताओं के चक्कर काटते रहते थे।अब दस्तावेज़ों के अटेस्टेशन की ज़रूरत को भी एक प्रकार से खत्म कर दिया है।

आप याद करिए, पहले बिजली और टेलिफोन के बिल भरने के लिए पूरा दिन लग जाता था।आज ये काम आप घर बैठे एक क्लिक पर अंगुली दबा करके कर पा रहे हैं। अब बैंक से जुड़ी अनेक सेवाएं, जो बैंक में जाकर ही मिलती थीं, वो भी अब घर बैठे ही मिलने लगी हैं।

साथियों,

ऐसे अनेक सुधारों से समय की भी बचत हो रही है, पैसा भी बच रहा है और करप्शन के लिए स्कोप समाप्त हुआ है। कोरोना काल में ही हिमाचल प्रदेश के 5 लाख से ज्यादा पेंशनर और लगभग 6 लाख बहनों के जनधन खाते में सैकड़ों करोड़ रुपए एक क्लिक में जमा किए गए हैं।सवा लाख से ज्यादा गरीब बहनों को उज्जवला का मुफ्त सिलेंडर मिल पाया है।

साथियों,

देश में आज जो रिफॉर्मस किए जा रहे हैं, उन्होंने ऐसे लोगों को परेशान कर दिया है जिन्होंने हमेशा सिर्फ अपने राजनीतिक हितों के लिए काम किया। सदी बदल गई लेकिन उनकी सोच नहीं बदली। अब सदी बदल गई है सोच भी बदलनी है और नई सदी के हिसाब से देश को भी बदल करके बनाना है। आज जब ऐसे लोगों द्वारा बनाए बिचौलियों और दलालों के तंत्र पर प्रहार हो रहा है, तो वो बौखला गए हैं।बिचौलियों को बढ़ावा देने वालों ने देश के किसानों की स्थिति क्या कर दी थी, ये हिमाचल के लोग भी भली-भांति जानते हैं।

ये आपको भी पता है कि हिमाचल देश के सबसे बड़े फल उत्पादक राज्यों में से एक है।यहां के टमाटर, मशरूम जैसी सब्जियां भी अनेक शहरों की ज़रूरतों को पूरा करती हैं।लेकिन स्थिति क्या रही है?कुल्लू का, शिमला का या किन्नौर का जो सेब किसान के बाग से 40-50 रुपए किलो के हिसाब से निकलता है, वो दिल्ली में रहने वालों के घरों में करीब-करीब 100-150 रुपए तक पहुंचता है।बीच का लगभग 100 रुपए का जो हिसाब है, ना तो कभी किसान को मिला और ना कभी वो खरीदार को मिला, तो वो गया कहां? किसान का भी नुकसान और शहर में ले करके खरीद करने वाले का भी नुकसान।यही नहीं, यहां के बागवान साथी जानते हैं कि सेब का सीज़न जैसे-जैसे पीक पर जाता है, तो कीमतें धड़ाम से गिर जाती हैं।इसमें सबसे अधिक मार ऐसे किसानों पर पर पड़ती है, जिनके पास छोटे बगीचे हैं।

साथियों,

कृषि सुधार कानूनों का विरोध करने वाले कहते हैं कि यथा स्थिति बनाए रखो, पिछली सदी में जीना है जीने दो, लेकिन देश आज परिवर्तन के लिए प्रतिबद्ध है। और इसलिए ही कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कानूनों में ऐतिहासिक सुधार किया गया है। और ये जो सुधार हैं वो उन्‍होंने भी पहले सोचे थे, वे भी जानते थे, सोच तो उनकी भी थी, हमारी भी, लेकिन उनमें हिम्‍मत की कमी थी, हमारे में हिम्‍मत है। उनके लिए चुनाव सामने थे, हमारे लिए देश सामने है, हमारे लिए हमारा देश का किसान सामने है, हमारे लिए हमारे देश के किसान का उज्‍ज्‍वल भविष्‍य सामने है और इसलिए हम फैसले ले करके आगे किसान को ले जाना चाहते हैं।

अब अगर हिमाचल के छोटे-छोटे बागवान, किसान समूह बनाकर अपने सेब दूसरे राज्यों में जाकर सीधे बेचना चाहे, तो उन्हें वो आजादी मिल गई है।हां अगर उनको स्थानीय मंडी में फायदा मिलता है, पहले की व्‍यवस्‍था से फायदा मिलता है तो वो विकल्प तो है ही, उसको किसी  ने खत्‍म नहीं किया है। यानि हर प्रकार से किसानों-बागवानों को लाभ पहुंचाने के लिए ही ये सुधार किए गए हैं।

साथियों,

केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने, खेती से जुड़ी उनकी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के लगभग सवा 10 करोड़ किसान, उन परिवारों के खाते में अब तक करीब 1 लाख करोड़ रुपए जमा किया जा चुका है।इसमें हिमाचल के सवा 9 लाख किसान परिवारों के बैंक खाते में भी लगभग 1000 करोड़ रुपए जमा किए गए हैं।

कल्पना कीजिए अगर पहले की सरकारों के समय 1000 करोड़ रुपए का कोई पैकेज हिमाचल के लिए घोषित होता तो वो पैसा पता नहीं कहां-कहां, किस-किस की जेब में पहुंच जाता?उस पर राजनीतिक श्रेय लेने की कितनी कोशिशें होतीं?लेकिन यहां छोटे किसानों के खाते में ये रुपए चले गए और कोई हो-हल्ला नहीं हुआ।

साथियों,

हाल ही एक और बड़ा रिफॉर्म देश में हमारी श्रमशक्ति को, विशेषतौर पर बहनों और बेटियों को अधिकार देने के लिए किया गया है।हिमाचल की बहनें और बेटियां तो वैसे भी हर क्षेत्र में, मुश्किल से मुश्किल काम करने में अग्रणी रहती हैं।लेकिन अभी तक स्थिति ये थी कि देश में अनेक सेक्टर ऐसे थे, जिनमें बहनों को काम करने की मनाही थी। हाल में जो श्रम कानूनों में सुधार किया गया है, उनसे अब महिलाओं को भी वेतन से लेकर काम तक के वो सभी अधिकार दे दिए गए हैं, जो पुरुषों के पास पहले से हैं।

साथियों,

देश के हर क्षेत्र, हर नागरिक, के आत्मविश्वास को जगाने के लिए, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए, सुधारों का सिलसिला लगातार चलता रहेगा। पिछली शताब्‍दी के नियम-कानूनों से अगली शताब्‍दी में नहीं पहुंच सकते। समाज और व्यवस्थाओं में सार्थक बदलाव के विरोधी जितनी भी अपने स्वार्थ की राजनीति कर लें, ये देश रुकने वाला नहीं है।

हिमाचल, यहां के हमारे नौजवान, देश के हर हर युवा के सपने और आकांक्षाएं, हमारे लिए सर्वोपरि हैं। और उसी संभावनाओं को ले करके हम देश को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाने पर लगे रहेंगे।

साथियो,

मैं आज फिर एक बार अटल टनल के लिए, और आप कल्‍पना कर सकते हैं इससे कितना बड़ा बदलाव आने वाला है। कितनी संभावनाओं के दरवाजे खुल गए हैं। उसका जितना फायदा हम उठाएं।

मेरी आप सबको बहुत-बहुत बधाई है। बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

कोरोना का काल है, हिमाचल ने स्थितियों को बहुत अच्‍छे ढंग से संभाला है। लेकिन फिर भी इस संक्रमण से खुद को सुरक्षित रखें।

देवधरा को प्रणाम करते हुए, कंचननाग जी की इस धरा को प्रणाम करते हुए, आप सबको फिर से एक बार मिलने का, दर्शन करने का मौका मिला। अच्‍छा होता कि कोरोना का काल न होता तो बड़े प्‍यार से आप लोगों से मिलता, काफी चेहरे परिचित मेरे सामने हैं। लेकिन आज ये स्थिति है कि नहीं मिल पा रहा हूं, लेकिन आपके दर्शन का मुझे मौका मिल गया, ये भी मेरे लिए खुशी की बात है। मुझे यहां से तुरंत निकलना है, इसलिए आप सबकी इजाजत लेते हुए, आपको बधाई देते हुए

बहुत-बहुत धन्यवाद।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।