प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक कार्यक्रम में नई दिल्ली स्थित जेएनयू परिसर में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया।
जेएनयू छात्रों और देश के युवाओं को इस अवसर पर संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय हित के आगे अपनी विचारधारा को लाना हानिकारक है। उन्होंने कहा कि इस सोच ने हमारे देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को व्यापक नुकसान पहुंचाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय हित के मामलों में मेरी विचारधारा यह कहती है इसलिए मैं इस विचारधारा के अनुरूप सोचूंगा और उसी के अनुरुप काम करूंगा, यह एक गलत परंपरा है गलत तरीका है। उन्होंने जोर दिया कि किसी विचारधारा का समर्थक होना स्वाभाविक है और उसके लिए हमें गर्व होना चाहिए, लेकिन जहां बात राष्ट्रीय हितों की आती है वहां विपरीत विचारधारा के लोगों को भी एक साथ राष्ट्र के लिए खड़े होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि हमारे देश के इतिहास में जब भी देश के समक्ष विषम परिस्थितियां पैदा हुई है हर एक विचारधारा के लोग राष्ट्र की भलाई के लिए एक साथ आगे आए हैं। देश के स्वतंत्रता संघर्ष में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर एक विचारधारा के लोगों ने मिलकर काम किया। वे देश के लिए मिलकर लड़े। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही स्थितियां उस समय भी देखने को मिली जब देश में आपातकाल लगाया गया। आपातकाल के विरुद्ध आंदोलन में कई पूर्व कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता भी शामिल हुए जिस आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता और जनसंघ से जुड़े लोग भी शामिल थे। साथ ही समाजवादी और वामपंथी विचारधारा के लोग भी आपातकाल के विरुद्ध एक स्वर में संघर्ष के लिए आगे बढ़े।
प्रधानमंत्री मोदी ने जोर दिया कि इस उद्देश्य से एकजुट होने के लिए किसी को भी अपनी विचारधारा से समझौता करने की आवश्यकता नहीं होती है, केवल एक ही लक्ष्य, एक ही उद्देश्य होता है राष्ट्र का हित। इसलिए जब भी प्रश्न राष्ट्रीय एकता, अखंडता और राष्ट्रीय हित का हो तब अलग-अलग विचारधाराओं के आधार पर फैसले नहीं लिए जाने चाहिए जिससे राष्ट्र का नुकसान होता है।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि विचारों के साझा किए जाने और नए विचारों के प्रवाह को निर्बाध रखने की आवश्यकता है। हमारा देश दुनिया में एक ऐसा देश है जहां विभिन्न मतों के समृद्ध विचारों का अंकुरण होता है। यह आवश्यक है कि देश का युवा इस परंपरा को और मजबूत करे। श्री मोदी ने कहा कि इसी परंपरा के कारण भारत एक समृद्ध लोकतांत्रिक व्यवस्था का पोषक बना हुआ है।
प्रधानमंत्री ने छात्रों के समक्ष अपनी सरकार के सुधार एजेंडे की रूपरेखा रखी। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के विचार का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अब 130 करोड़ भारतीयों की महत्वाकांक्षा बन गया है। प्रधानमंत्री ने भारत में सुधार जारी रहने का उल्लेख करते हुए जेएनयू के छात्रों से आग्रह किया कि वे इस पर विचार करें कि अच्छी सुधार और बुरी राजनीति की धारणा को बदल कर अच्छे सुधार और अच्छी राजनीति में कैसे बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज जारी सुधारों के पीछे एक मात्र उद्देश्य है कि किसी तरह से भारत को और बेहतर बनाया जाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में किए जा रहे तमाम सुधारों के पीछे दृढ़ता और नीयत में पूरी गंभीरता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जारी सुधारों को लागू करने से पहले एक सुरक्षा जाल सृजित किया जाता है जोकि विश्वास पर आधारित है।
ये प्रतिमा देश को youth-led development के Vision के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे, जो स्वामी जी की अपेक्षा रही है।
— PMO India (@PMOIndia) November 12, 2020
ये प्रतिमा हमें स्वामी जी के सशक्त-समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती रहे: PM
ये प्रतिमा हमें राष्ट्र के प्रति अगाध समर्पण सिखाए, प्रेम सिखाए, intense love for our country जो स्वामी जी के जीवन का सर्वोच्च संदेश है।
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ये प्रतिमा देश को vision of oneness के लिए प्रेरित करे, जो स्वामी जी के चिंतन की प्रेरणा रहा है: PM
मेरी कामना है कि JNU में लगी स्वामी जी की ये प्रतिमा, सभी को प्रेरित करे, ऊर्जा से भरे।
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ये प्रतिमा वो साहस दे, courage दे, जिसे स्वामी विवेकानंद प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे।
ये प्रतिमा वो करुणाभाव सिखाए, compassion सिखाए, जो स्वामी जी के दर्शन का मुख्य आधार है: PM
आज देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य और संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है।
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आज आत्मनिर्भर भारत का विचार 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के Collective Consciousness का,
हमारी Aspirations का हिस्सा बन चुका है: PM
देश का युवा दुनियाभर में Brand India का Brand Ambassador हैं।
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हमारे युवा भारत के Culture और Traditions का प्रतिनिधित्व करते हैं।
आपसे अपेक्षा सिर्फ हज़ारों वर्षों से चली आ रही भारत की पहचान पर गर्व करने भर की ही नहीं है,
बल्कि 21वीं सदी में भारत की नई पहचान गढ़ने की भी है: PM
आप से बेहतर ये कौन जानता है कि भारत में Reforms को लेकर क्या बातें होती थीं।
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क्या भारत में Good Reforms को Bad Politics नहीं माना जाता था?
तो फिर Good Reforms, Good Politics कैसे हो गए?
इसको लेकर आप JNU के साथी ज़रूर रिसर्च करें: PM
आज सिस्टम में जितने रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उऩके पीछे भारत को हर प्रकार से बेहतर बनाने का संकल्प है।
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आज हो रहे Reforms के साथ नीयत और निष्ठा पवित्र है।
आज जो रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उससे पहले एक सुरक्षा कवच तैयार किया जा रहा है।
इस कवच का सबसे बड़ा आधार है- विश्वास: PM
हमारे यहां लंबे समय तक गरीब को सिर्फ नारों में ही रखा गया।
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लेकिन देश के गरीब को कभी सिस्टम से जोड़ने की चेष्टा ही नहीं हुई।
जो सबसे ज्यादा neglected था, वो गरीब था।
जो सबसे ज्यादा unconnected था, वो गरीब था।
जो सबसे ज्यादा financially excluded था, वो गरीब था: PM
अब गरीबों को अपना पक्का घर, टॉयलेट, बिजली, गैस, साफ पीने का पानी, डिजिटल बैंकिंग, सस्ती मोबाइल कनेक्टिविटी और तेज़ इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा मिल रही है।
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ये गरीब के इर्द-गिर्द बुना गया वो सुरक्षा कवच है, जो उसकी आकांक्षाओं की उड़ान के लिए ज़रूरी है: PM
आज तक आपके Ideas की, Debate की, Discussion की जो भूख साबरमती ढाबा में मिटती थी,
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अब आपके लिए स्वामी जी की इस प्रतिमा की छत्रछाया में एक और जगह मिल गई है: PM
किसी एक बात जिसने हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है- वो है राष्ट्रहित से ज्यादा प्राथमिकता अपनी विचारधारा को देना।
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क्योंकि मेरी विचारधारा ये कहती है, इसलिए देशहित के मामलों में भी मैं इसी साँचे में सोचूंगा, इसी दायरे में काम करूंगा, ये गलत है: PM
आज हर कोई अपनी विचारधारा पर गर्व करता है। ये स्वाभाविक भी है।
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लेकिन फिर भी, हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में, राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए, राष्ट्र के खिलाफ नहीं: PM
आप देश के इतिहास में देखिए, जब-जब देश के सामने कोई कठिन समय आया है, हर विचार हर विचारधारा के लोग राष्ट्रहित में एक साथ आए हैं।
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आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर विचारधारा के लोग एक साथ आए थे। उन्होंने देश के लिए एक साथ संघर्ष किया था: PM
Emergency के दौरान भी देश ने यही एकजुटता देखी थी।
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Emergency के खिलाफ उस आंदोलन में काँग्रेस के पूर्व नेता और कार्यकर्ता भी थे।
आरएसएस के स्वयंसेवक और जनसंघ के लोग भी थे।
समाजवादी लोग भी थे। कम्यूनिस्ट भी थे: PM
इस एकजुटता में, इस लड़ाई में भी किसी को अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करना पड़ा था।
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बस उद्देश्य एक ही था- राष्ट्रहित।
इसलिए साथियों, जब राष्ट्र की एकता अखंडता और राष्ट्रहित का प्रश्न हो तो अपनी विचारधारा के बोझ तले दबकर फैसला लेने से, देश का नुकसान ही होता है: PM
Idea sharing को, नए विचारों के प्रवाह को अविरल बनाए रखना है।
— PMO India (@PMOIndia) November 12, 2020
हमारा देश वो भूमि है जहां अलग-अलग बौद्धिक विचारों के बीज अंकुरित होते रहे हैं और फलते फूलते भी हैं।
इस परंपरा को मजबूत करना युवाओं के लिए आवश्यक है: PM
इसी परंपरा के कारण भारत दुनिया का सबसे vibrant लोकतन्त्र है।