प्रधानमंत्री राजस्थान के पोखरण में ‘ भारत शक्ति ‘ अभ्यास का अवलोकन करेंगे
‘ भारत शक्ति ‘ तीनों सेनाओं का एक फायरिंग और कौशल अभ्यास है जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में राष्ट्र के मजबूत कदमों का उदाहरण है
प्रधानमंत्री अहमदाबाद में 85,000 करोड़ रुपये से अधिक की रेल परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे और राष्ट्र को समर्पित करेंगे
प्रधानमंत्री समर्पित माल वाहक गलियारा परियोजना के कई प्रमुख खंडों को राष्ट्र को समर्पित करेंगे
प्रधानमंत्री 10 नई वंदे भारत रेलगाड़ियों को झंडी दिखाएंगे
प्रधानमंत्री कोचरब आश्रम का उद्घाटन करेंगे, साबरमती में गांधी आश्रम स्मारक का मास्टर प्लान भी लांच करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 12 मार्य, 2024 को गुजरात और राजस्थान का दौरा करेंगे। सुबह लगभग 9.15 बजे, प्रधानमंत्री अहमदाबाद में 85,000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास संबंधी परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे और राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इसके बाद, लगभग 10 बजे सुबह प्रधानमंत्री साबरमती आश्रम का दौरा करेंगे जहां वह कोचरब आश्रम का उद्घाटन करेंगे, और गांधी आश्रम स्मारक का मास्टर प्लान भी लांच करेंगे। इसके बाद लगभग 1.45 बजे, प्रधानमंत्री ‘ भारत शक्ति ‘ का अवलोकन करेंगे जो राजस्थान के पोखरण में तीनों सेनाओं के लाइव फायर और कौशल अभ्यास के रूप में स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का एक संयोजित प्रदर्शन है।

प्रधानमंत्री पोखरण में

प्रधानमंत्री राजस्थान के पोखरण में तीनों सेनाओं के लाइव फायर और कौशल अभ्यास के रूप में स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के एक संयोजित प्रदर्शन का अवलोकन करेंगे।

‘ भारत शक्ति ‘ अभ्यास में देश की शक्ति के प्रदर्शन के रूप में स्वदेशी अस्त्र प्रणालियों और प्लेटफॉर्मों की एक श्रृंखला प्रदर्शित की जाएगी जो देश की आत्मनिर्भरता पहल पर आधारित है। यह भूमि, वायु, समुद्र, साइबर तथा अंतरिक्ष कार्यक्षेत्रों में खतरों का मुकाबला करने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की समेकित प्रचालनगत क्षमताओं को प्रदर्शित करने वाले यथार्थवादी, समन्वित, मल्टी-डोमेन प्रचालनों का अनुकरण करेगी।

अभ्यास में भाग लेने वाले प्रमुख उपकरण और अस्त्र प्रणालियों में भारतीय सेना के कई हथियारों के साथ साथ टी - 90 ( आईएम ) टैंक, धनुष और सारंग गन सिस्टम, आकाश अस्त्र प्रणाली, लॉजिस्ट्क्सि ड्रोन, रोबोटिक म्यूल्स, एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर ( एएलएच ) तथा मानवरहित हवाई वाहनों की एक श्रृंखला शामिल है जो उन्नत जमीनी युद्धकला और हवाई सर्वक्षण क्षमताओं को प्रदर्शित करेगी।

भारतीय नौसेना समुद्री शक्ति और प्रौद्योगिकीय अत्याधुनिकता को रेखांकित करते हुए नौसेना एंटी शिप मिसाइलों, स्वायत्त कार्गों ले जाने वाले हवाई वाहन तथा एक्सपेंडेबल एरियल टार्गेट को प्रदर्शित करेगी। भारतीय वायु सेना हवाई श्रेष्ठता तथा हवाई प्रचालनों में बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित करने वाले स्वदेशी रूप से निर्मित्त लाइट कौम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस, लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर तथा एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टरों को तैनात करेगी।

स्वदेशी रूप से विकसित समाधानों के साथ समसामयिक और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने और उन पर सफलता पाने के लिए भारत की तत्परता के स्पष्ट संकेत के साथ, भारत शक्ति वैश्विक मंच पर भारत की घरेलू रक्षा क्षमताओं के लचीलेपन, नवोन्मेषण और शक्ति को रेखांकित करती है। यह कार्यक्रम भारतीय सशस्त्र बलों की शक्ति तथा प्रचालनगत क्षमता और स्वदेशी रक्षा उद्योग की सरलता तथा प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा देश के मजबूत कदमों का उदाहरण प्रस्तुत करता है।

प्रधानमंत्री अहमदाबाद में

रेलवे के बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए, प्रधानमंत्री 85,000 करोड़ रुपये से अधिक की कई रेल परियोजनाओं की आधारशिला रखने और उन्हें राष्ट्र को समर्पित करने के लिए अहमदाबाद में डीएफसी के प्रचालन नियंत्रण केंद्र का दौरा करेंगे।

प्रधानमंत्री रेलवे कार्यशालाओं, लोको शेडों, पिट लाइनों/कोचिंग डिपो, फलटण - बारामती नई लाइन; इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन सिस्टम उन्नयन कार्य की आधारशिला रखेंगे; और पूर्वी डीएफसी के न्यू खुर्जा से साहनेवाल ( 401 मार्ग किमी ) खंड और पश्चिमी डीएफसी, वेस्टर्न डीएफसी के ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओसीसी), अहमदाबाद के न्यू मकरपुरा से न्यू घोलवड खंड ( 244 मार्ग किमी ) के बीच समर्पित माल गलियारे के दो नए खंड राष्ट्र को समर्पित करेंगे।

प्रधानमंत्री अहमदाबाद-मुंबई सेंट्रल, सिकंदराबाद-विशाखापत्तनम, मैसूरु-डॉ एमजीआर सेंट्रल ( चेन्नई ), पटना-लखनऊ, न्यू जलपाईगुड़ी-पटना, पुरी-विशाखापत्तनम, लखनऊ-देहरादून, कलबुर्गी - सर एम विश्वेश्वरैया टर्मिनल बेंगलुरु, रांची-वाराणसी, खजुराहो- दिल्ली (निज़ामुद्दीन) के बीच दस नई वंदे भारत ट्रेनों को भी झंडी दिखाएंगे।

प्रधानमंत्री चार वंदे भारत ट्रेनों के विस्तार को भी झंडी दिखाएंगे। अहमदाबाद-जामनगर वंदे भारत को द्वारका तक बढ़ाया जा रहा है, अजमेर- दिल्ली सराय रोहिल्ला वंदे भारत को चंडीगढ़ तक बढ़ाया जा रहा है, गोरखपुर-लखनऊ वंदे भारत को प्रयागराज तक बढ़ाया जा रहा है और तिरुवनंतपुरम- कासरगोड वंदे भारत को मंगलुरु तक बढ़ाया जा रहा है; प्रधानमंत्री आसनसोल और हटिया तथा तिरूपति और कोल्लम स्टेशनों के बीच दो नई यात्री ट्रेनों को भी झंडी दिखाएंगे।

प्रधानमंत्री विभिन्न स्थानों - न्यू खुर्जा जंक्शन, साहनेवाल, न्यू रेवाड़ी, न्यू किशनगढ़, न्यू घोलवड और न्यू मकरपुरा से डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर मालगाड़ियों को भी झंडी दिखाएंगे।

प्रधानमंत्री रेलवे स्टेशनों पर 50 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र राष्ट्र को समर्पित करेंगे। ये जन औषधि केंद्र लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं प्रदान करेंगे।

प्रधानमंत्री 51 गति शक्ति मल्टी - मॉडल कार्गो टर्मिनल भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे। ये टर्मिनल परिवहन के विभिन्न तरीकों के बीच सामान की निर्बाध आवाजाही को बढ़ावा देंगे।

प्रधानमंत्री 80 खंडों में 1045 किमी स्वचालित सिग्नलिंग राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस उन्नयन से ट्रेन संचालन की सुरक्षा और दक्षता में वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री 2646 स्टेशनों पर रेलवे स्टेशनों की डिजिटल कंट्रोलिंग भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इससे ट्रेनों की परिचालन दक्षता और सुरक्षा में सुधार होगा।

प्रधानमंत्री 35 रेल कोच रेस्तरां राष्ट्र को समर्पित करेंगे। रेल कोच रेस्तरां का लक्ष्य रेलवे के लिए गैर-किराया राजस्व उत्पन्न करने के अलावा यात्रियों और जनता की आवश्यकताओं को पूरा करना है।

प्रधानमंत्री देश भर में फैले 1500 से अधिक वन स्टेशन वन प्रोडक्ट स्टॉल राष्ट्र को समर्पित करेंगे। ये स्टॉल स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देंगे और स्थानीय कारीगरों और व्यवसायों के लिए आय उत्पन्न करेंगे।

प्रधानमंत्री 975 स्थानों पर सौर ऊर्जा संचालित स्टेशन/भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे। यह पहल भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान देगी और रेलवे के कार्बन फुटप्रिंट को कम करेगी। कार्यक्रम के दौरान नए विद्युतीकृत खंडों का समर्पण, पटरियों का दोहरीकरण/मल्टी-ट्रैकिंग, रेलवे गुड्स शेड, वर्कशॉप, लोको शेड, पिट लाइन/कोचिंग डिपो का विकास जैसी कई अन्य परियोजनाएं भी प्रधानमंत्री द्वारा की जाएंगी। ये परियोजनाएं आधुनिक और मजबूत रेलवे नेटवर्क बनाने के प्रति सरकार के समर्पण का प्रमाण हैं। इस निवेश से न केवल कनेक्टिविटी में सुधार होगा बल्कि आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

 

प्रधानमंत्री साबरमती में

प्रधानमंत्री पुनर्विकसित कोचरब आश्रम का उद्घाटन करेंगे। यह 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत आने के बाद महात्मा गांधी द्वारा स्थापित पहला आश्रम था। इसे अभी भी गुजरात विद्यापीठ द्वारा एक स्मारक और पर्यटन स्थल के रूप में संरक्षित किया गया है। प्रधानमंत्री गांधी आश्रम स्मारक के मास्टर प्लान का भी शुभारंभ करेंगे।

प्रधानमंत्री का यह निरंतर प्रयास रहा है कि महात्मा गांधी जिन आदर्शों के लिए खड़े थे, उन्हें बनाए रखा जाए और उन्हें संजोया जाए और ऐसे रास्ते भी विकसित किए जाएं जो उनके आदर्शों को प्रदर्शित करें और उन्हें लोगों के करीब लाएं। इस प्रयत्न के लिए एक और प्रयास में, गांधी आश्रम स्मारक परियोजना वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए महात्मा गांधी की शिक्षाओं और दर्शन को पुनर्जीवित करने में मदद करेगी। इस मास्टरप्लान के तहत, आश्रम के वर्तमान पांच एकड़ क्षेत्र को 55 एकड़ तक विस्तारित किया जाएगा। 36 वर्तमान भवन का जीर्णोद्धार किया जाएगा, जिनमें से 'हृदय कुंज' सहित 20 भवनों, जो गांधीजी का निवास स्थान था, को संरक्षित किया जाएगा, 13 का जीर्णोद्धार किया जाएगा और 3 का पुनरुद्धार किया जाएगा।

मास्टरप्लान में गृह प्रशासन सुविधाओं के लिए नए भवनों, ओरिएंटेशन सेंटर जैसी आगंतुक सुविधाएं, चरखा कताई, हस्तनिर्मित कागज, कपास बुनाई और चमड़े के काम और सार्वजनिक उपयोगिताओं पर संवादमूलक कार्यशालाएं शामिल हैं। भवनों में गांधीजी के जीवन के पहलुओं के साथ-साथ आश्रम की विरासत को प्रदर्शित करने के लिए संवादमूलक प्रदर्शनियां और गतिविधियां आयोजित होंगी।

मास्टरप्लान में गांधीजी के विचारों को संरक्षित, सुरक्षित और प्रसारित करने के लिए एक पुस्तकालय और अभिलेखागार भवन के निर्माण की भी परिकल्पना की गई है। यह आश्रम के पुस्तकालय और अभिलेखागार का उपयोग करने के लिए अतिथि विद्वानों के लिए सुविधाएं भी बनाएगा। यह परियोजना एक व्याख्या केंद्र के निर्माण को भी सक्षम बनाएगी जो विभिन्न अपेक्षाओं वाले और कई भाषाओं में आगंतुकों का मार्गदर्शन कर सकता है, जिससे उनका अनुभव सांस्कृतिक और बौद्धिक रूप से अधिक प्रेरक और समृद्ध हो जाएगा।

यह स्मारक भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करेगा, गांधीवादी विचारों को बढ़ावा देगा और ट्रस्टीशिप के सिद्धांतों द्वारा सूचित प्रक्रिया के माध्यम से गांधीवादी मूल्यों के सार तत्व को जीवंत करेगा।

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