प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 9 अगस्त को सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘कृषि अवसंरचना कोष’ के तहत 1 लाख करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा का शुभारंभ करेंगे। प्रधानमंत्री इसके साथ ही ‘पीएम-किसान योजना’ के तहत 8.5 करोड़ किसानों को 17,000 करोड़ रुपये की धनराशि की छठी किस्त भी जारी करेंगे। देश भर के लाखों किसान, सहकारी समितियां और नागरिक इस आयोजन के साक्षी बनेंगे। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 लाख करोड़ रुपये के ‘कृषि अवसंरचना कोष’ के तहत वित्त पोषण सुविधा के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना को मंजूरी दे दी है। यह कोष ‘कटाई बाद फसल प्रबंधन अवसंरचना’ और ‘सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों’ जैसे कि कोल्ड स्टोरेज, संग्रह केंद्रों, प्रसंस्करण इकाइयों, इत्यादि के सृजन को उत्प्रेरित करेगा। ये परिसंपत्तियां किसानों को अपनी उपज के अधिक मूल्य प्राप्त करने में सक्षम करेंगी। दरअसल, इन परिसंपत्तियों की बदौलत किसान अपनी उपज का भंडारण करने एवं ऊंचे मूल्यों पर बिक्री करने, बर्बादी को कम करने, और प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन में वृद्धि करने में समर्थ हो सकेंगे। कई ऋणदाता संस्थानों के साथ साझेदारी में वित्तपोषण सुविधा के तहत 1 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए जाएंगे; सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में से 11 बैंकों ने पहले ही कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग के साथ सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इन परियोजनाओं की व्यवहार्यता या लाभप्रदता बढ़ाने के लिए लाभार्थियों को 3% ब्याज सब्सिडी और 2 करोड़ रुपये तक की ऋण गारंटी दी जाएगी। योजना के लाभार्थियों में किसान, पीएसीएस, विपणन सहकारी समितियां, एफपीओ, एसएचजी, संयुक्त देयता समूह (जेएलजी), बहुउद्देशीय सहकारी समितियां, कृषि-उद्यमी, स्टार्ट-अप्स, और केंद्रीय/राज्य एजेंसी अथवा स्थानीय निकाय द्वारा प्रायोजित सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजनाएं शामिल होंगी।
01 दिसंबर 2018 को शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत 9.9 करोड़ से भी अधिक किसानों को 75,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रत्यक्ष नकद लाभ प्रदान किया गया है। इसने किसानों को अपनी कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने और अपने-अपने परिवारों को आवश्यक सहारा देने में सक्षम बनाया है। पीएम-किसान योजना का शुभारंभ और कार्यान्वयन अभूतपूर्व तेज गति से हुआ है, जिसके तहत धनराशि को सीधे तौर पर ‘आधार’ प्रमाणित लाभार्थियों के बैंक खाते में हस्तांतरित किया जाता है ताकि धनराशि के रिसाव (लीकेज) को रोका जा सके और किसानों के लिए सुविधा बढ़ाई जा सके। यह योजना कोविड-19 महामारी के दौरान किसानों को आवश्यक सहारा देने में भी सहायक रही है। दरअसल, लॉकडाउन अवधि के दौरान किसानों की सहायता के लिए लगभग 22,000 करोड़ रुपये जारी किए गए।