सम्मेलन का व्यापक विषय: 'उद्यमिता, रोजगार और कौशल को बढ़ावा देना तथा जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाना’ है
चर्चा के प्रमुख क्षेत्रों में विनिर्माण, सेवा, नवीकरणीय ऊर्जा, परिपत्र अर्थव्यवस्था शामिल हैं
विकसित भारत के लिए अग्रणी प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास केंद्रों के रूप में शहरों का विकास, मिशन कर्मयोगी के माध्यम से निवेश और विकास एवं क्षमता निर्माण के लिए राज्यों में आर्थिक सुधार पर विशेष सत्रों का आयोजन होगा
सम्मेलन में पारस्परिक शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों की प्रस्‍तुति की जाएगी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 14 और 15 दिसंबर 2024 को दिल्ली में मुख्य सचिवों के चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। यह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझेदारी को और बढ़ावा देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम होगा।

मुख्य सचिवों का सम्मेलन प्रधानमंत्री के सहकारी संघवाद को मजबूत करने और त्‍वरित विकास एवं प्रगति हासिल करने की दिशा में केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से प्रेरित है। यह सम्मेलन पिछले 3 वर्षों से हर वर्ष आयोजित किया जा रहा है। पहला मुख्य सचिव सम्मेलन जून 2022 में धर्मशाला में आयोजित किया गया था। इसके पश्‍चात दूसरा और तीसरा सम्मेलन क्रमशः जनवरी 2023 और दिसंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।

13 से 15 दिसंबर 2024 तक आयोजित होने वाले तीन दिवसीय सम्मेलन में राज्यों के साथ साझेदारी में एक साझा विकास एजेंडा और सुसंगत कार्रवाई के लिए प्रारूप तैयार करने और उसे लागू करने पर बल दिया जाएगा। यह उद्यमिता को बढ़ावा देने, कौशल पहलों को बढ़ाने और ग्रामीण एवं शहरी दोनों आबादी के लिए स्थायी रोजगार के अवसरों का सृजन करते हुए भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन करने हेतु सहयोगी कार्रवाई के लिए आधार तैयार करेगा।

केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, नीति आयोग, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और क्षेत्र विशेषज्ञों के बीच व्यापक विचार-विमर्श के आधार पर, चौथा राष्ट्रीय सम्मेलन 'उद्यमिता, रोजगार और कौशल को बढ़ावा देना-जनसांख्यिकी लाभांश का लाभ उठाना' विषय पर केंद्रित होगा, जिसमें राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अनुसरण करने हेतु सर्वोत्तम कार्यप्रण‍ालियों और रणनीतियों को शामिल किया जाएगा।

व्यापक विषय के अंतर्गत छह क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया जाएगा। इनके अन्‍तर्गत विनिर्माण, सेवा, ग्रामीण गैर-कृषि, शहरी, नवीकरणीय ऊर्जा और परिपत्र अर्थव्यवस्था को विस्तृत चर्चा के लिए चिन्हित किया गया है।

विकसित भारत के लिए अग्रणी प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास केन्द्रों के रूप में शहरों का विकास, निवेश के लिए राज्यों में आर्थिक सुधार और मिशन कर्मयोगी के माध्यम से क्षमता निर्माण पर चार विशेष सत्र भी आयोजित किए जाएंगे।

इसके अलावा, भोजन के दौरान कृषि में आत्मनिर्भरता: खाद्य तेल और दालें, वृद्ध आबादी के लिए देखभाल अर्थव्यवस्था, पीएम सूर्य घर: नि:शुल्‍क बिजली योजना कार्यान्वयन और भारतीय ज्ञान परम्परा पर केंद्रित विचार-विमर्श किया जाएगा।

सम्मेलन में प्रत्येक विषय के अंतर्गत राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को भी प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि राज्यों में पारस्परिक शिक्षा को प्रोत्साहित किया जा सके।

सम्मेलन में सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव, वरिष्ठ अधिकारी, क्षेत्र विशेषज्ञ विशेषज्ञ तथा अन्य गणमान्‍य उपस्थित रहेंगे।

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प्रधानमंत्री ने महान अभिनेता राज कपूर को उनकी 100वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी
December 14, 2024
श्री राज कपूर केवल एक फिल्म निर्माता ही नहीं थे बल्कि एक सांस्कृतिक राजदूत थे, उन्होंने भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच पर पहुंचाया: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज महान अभिनेता श्री राज कपूर को उनकी 100वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने उन्हें एक दूरदर्शी फिल्म निर्माता, अभिनेता और सदाबहार शोमैन बताया। श्री राज कपूर को केवल एक फिल्म निर्माता ही नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक राजदूत जिन्होंने भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच पर पहुंचाया बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं की पीढ़ियां उनसे बहुत कुछ सीख सकती हैं।

श्री मोदी ने एक्स पर एक थ्रेड पोस्ट में लिखा:

“आज, हम महान अभिनेता राज कपूर की 100वीं जयंती मना रहे हैं। वे एक दूरदर्शी फिल्म निर्माता, अभिनेता और सदाबहार शोमैन थे! उनकी प्रतिभा ने पीढ़ियों को प्रभावित किया, भारतीय और वैश्विक सिनेमा पर एक अमिट छाप छोड़ी।”

“श्री राज कपूर का सिनेमा के प्रति जुनून कम उम्र में ही शुरू हो गया था और उन्होंने एक अग्रणी कहानीकार के रूप में उभरने के लिए कड़ी मेहनत की। उनकी फ़िल्में कलात्मकता, भावना और यहां तक ​​कि सामाजिक स्थितियों का मिश्रण थीं। वे आम नागरिकों की आकांक्षाओं और संघर्षों को दर्शाती थीं।”

“राज कपूर की फ़िल्मों के शानदार पात्र और अविस्मरणीय धुनें दुनिया भर के दर्शकों को पसंद आती हैं। लोग उनकी कृतियों की प्रशंसा करते हैं कि कैसे वे सहजता और उत्कृष्टता के साथ विविध विषयों को दर्शाते हैं। उनकी फ़िल्मों का संगीत भी बेहद लोकप्रिय है।”

“श्री राज कपूर केवल एक फिल्म निर्माता ही नहीं थे बल्कि एक सांस्कृतिक राजदूत थे। उन्होंने भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच पर पहुंचाया।” फ़िल्म निर्माताओं और अभिनेताओं की कई पीढ़ियाँ उनसे बहुत कुछ सीख सकती हैं। मैं एक बार पुनः उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और रचनात्मक दुनिया में उनके योगदान को याद करता हूँ।”