पीएम मोदी ने उत्तराखंड की टनल दुर्घटना में सकुशल रेस्क्यू किए गए श्रमिकों से टेलीफोन पर बातचीत करते हुए कहा, "मैं इस बचाव अभियान में शामिल सभी लोगों के दृढ़ संकल्प को सैल्यूट करता हूं। उनके साहस और संकल्प ने हमारे साथी श्रमिकों को एक नया जीवन दिया है। इस मिशन में शामिल सभी लोगों ने मानवता के मूल्‍यों और मिलकर काम करने का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है।"

सिल्कयारा टनल में पिछले 17 दिनों से 41 श्रमिक फंसे हुए थे। एडवांस मशीनरी और निपुण मैनुअल कौशल, दोनों से लैस यह बचाव अभियान, 400 घंटे से अधिक समय तक चला। फंसे हुए श्रमिकों, समर्पित बचाव दल और व्यापक प्रशासनिक प्रयासों द्वारा प्रदर्शित अभूतपूर्व दृढ़ता और धैर्य मिलकर, एक बेजोड़ परिणाम लेकर आए।

केंद्र और राज्य बचाव टीमों के नेतृत्व में यह व्यापक अभियान, संघवाद के सिद्धांतों के प्रति मोदी सरकार की गहरी प्रतिबद्धता का एक और उदाहरण है। यह संकटपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर रहे नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए संसाधनों को प्रभावी और समय पर जुटाने में एक मास्टरक्लास भी है।

ऑपरेशन गंगा: यूक्रेन से 22,000 से अधिक भारतीय छात्रों को सुरक्षित बाहर निकालना
हालांकि, यह कोई ऐसा कार्य नहीं है जिसे हम पहली बार देख रहे हैं। युद्ध के बीच ‘ऑपरेशन गंगा’ के माध्यम से, यूक्रेन से 22,000 से अधिक भारतीय छात्रों की सुरक्षित निकासी; एक महत्वपूर्ण प्रयास और उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में हमारे सामने है। इस अभियान में पर्याप्त संसाधनों का एकत्रीकरण, मानवीय सहायता प्रदान करना और छात्रों के घर लौटने के लिए एक सुरक्षित मार्ग का निर्माण शामिल था। प्रधानमंत्री मोदी, लॉजिस्टिक से लेकर डिप्लोमेटिक पहुंच तक, ऑपरेशन की हर बारीक डिटेलिंग में शामिल थे। इसके अलावा, पूरे बचाव अभियान को व्यक्तिगत रूप से कोऑर्डिनेट करने के लिए, चार केंद्रीय मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी चार देशों में भेजा गया था। यह सुनिश्चित करते हुए कि छात्रों की शीघ्र और सकुशल वापसी होगी, सरकार ने घरेलू मोर्चे पर उनके अभिभावकों की चिंताओं को भी दूर करने का प्रयास किया।

यह मोदी सरकार का 'समग्र-सरकार' दृष्टिकोण है, जहां विभिन्न मंत्रालयों, सरकारी विभागों और एजेंसियों के बीच त्वरित समन्वय से असाधारण परिणाम देने वाली सुसंगत कार्रवाई होती है।

1979 की मच्छु डैम आपदा
सामूहिक जन-एकता के महत्त्व को लेकर पीएम मोदी का दृष्टिकोण, सार्वजनिक जीवन में उनके आगमन के साथ ही दृढ़ हो गया था। इस दृष्टिकोण का एक उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण उदाहरण, गुजरात में मच्छु डैम बर्स्ट होने के बाद सामने आया, जिसे आमतौर पर मोरबी आपदा के रूप में जाना जाता है। इसे इतिहास की सबसे बड़ी डैम से जुड़ी आपदा के रूप में भी जाना जाता है, जिससे 1979 में मोरबी शहर में बाढ़ आ गई, जिससे 25,000 से अधिक लोग हताहत हुए तथा इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार सबसे भीषण डैम बर्स्ट का दुर्भाग्यपूर्ण गौरव प्राप्त हुआ।

उस समय, गुजरात में आरएसएस कार्यकर्ता नरेन्द्र मोदी ने जमीन पर प्रभावित लोगों की सहायता के लिए असाधारण प्रयास किए। उन्होंने संकट के समय में कार्यकर्ताओं को संगठित करके आरएसएस की संगठनात्मक ताकत का लाभ उठाया। वह यहीं नहीं रुके, नीरस परिणाम के बाद, नरेन्द्र मोदी ने अपनी अनूठी शैली में, मोरबी की युवा जनता को उनके जीवन के पुनर्निर्माण की दिशा में प्रेरित करने के लिए प्रेरणादायक पत्र लिखा।

मोरबी में राहत कार्यों का दौर लगभग दो महीने तक चला, जिसके दौरान नरेन्द्र मोदी, जो गुजरात में आरएसएस के संगठक थे, ने अनुकरणीय नेतृत्व का प्रदर्शन किया, व्यक्तिगत रूप से जवाबदेही संभाली और स्वयंसेवकों को घर ले जाने वाली आखिरी बस के रवाना होने तक सबसे आगे डटे रहे। आरएसएस स्वयंसेवकों के साथ, उन्होंने स्थिति का आकलन किया और एक विस्तृत योजना बनाई, जिसके माध्यम से टीमों को आपदा से उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए जरूरी कार्य सौंपे गए। सरकारें, बेशक एक्शन लेने में अपने तौर-तरीकों से काम करती हों, लेकिन 29 वर्षीय स्वयंसेवक नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले लोगों तक पहुंचने और उनकी पीड़ा को तत्काल कम करने के उपायों पर काम किया।

2001 गुजरात भूकंप
तेज और प्रभावी समाधान के लिए हर उपलब्ध संसाधन जुटाने की नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता का एक और कारगर उदाहरण 2001 के विनाशकारी भूकंप से निपटना है जिसने गुजरात राज्य को हिलाकर रख दिया था। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में भूमिका संभालने से पहले ही, नरेन्द्र मोदी, जो उस समय भाजपा कार्यकर्ता थे, प्रभावितों की सहायता के लिए तुरंत ग्राउंड जीरो पर पहुंच गए।

भुज में भीषण भूकंप के बाद, जब नरेन्द्र मोदी की गुजरात सरकार या पार्टी पदानुक्रम में कोई आधिकारिक भूमिका नहीं थी, उन्होंने संघ में अपने निजी नेटवर्क का लाभ उठाया और भूकंप पीड़ितों को सहायता प्रदान करने के लिए भाजपा के कैडर को एकजुट किया। सभी ने देखा कि कैसे उन्होंने नुकसान का आकलन करने और संभावित निवारण उपायों पर काम करने के लिए, प्रभावित क्षेत्र का, मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर दौरा किया। एनजीओ के साथ सहयोग करना, राहत शिविरों का आयोजन करना, भोजन वितरित करना और देश भर में तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन जुटाने के लिए कोआर्डिनेशन के प्रयासों से नरेन्द्र मोदी ने दिखाया कि वह किसी भी औपचारिक पावर या पद के बावजूद जरूरतमंदों की सहायता के लिए कितना आगे जा सकते हैं।

2001 में मुख्यमंत्री का पद संभालने के कुछ समय बाद ही नरेन्द्र मोदी ने, भूकंप पीड़ितों के साथ एकजुटता दिखाते हुए, भुज में दीपावली मनाने का निर्णय किया। इसके कुछ समय बाद, सीएम मोदी ने संवेदनशील नेतृत्व का एक और प्रदर्शन किया, जब उन्होंने भूकंप से उत्पन्न भय को दूर करने के लिए धरती माता की सामूहिक पूजा का आयोजन किया।

जब बड़े पैमाने पर पुनर्वास के लिए काम करने का चुनौतीपूर्ण अवसर आया, तो मुख्यमंत्री मोदी ने राज्य की सरकारी मशीनरी को एकजुट करने और उसके अधिकतम उपयोग में कोई कसर नहीं छोड़ी। अधिकारियों द्वारा पुनर्वास के टास्क में कम से कम तीन साल की अवधि का अनुमान लगाने के बावजूद, नरेन्द्र मोदी, गुजरात में जमीनी सच्चाई से अपरिचित नहीं थे और बेघर तथा बेसहारा हो चुके लोगों की पीड़ा को समझते हुए, उन्होंने एक सीधा निर्देश दिया: कच्छ को तीन महीने में फिर से अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए। और जब 26 जनवरी 2002 में भूकंप की पहली बरसी नजदीक आई, कच्छ न केवल अपने पैरों पर खड़ा हो गया, बल्कि प्रगति की रफ्तार को भी हासिल कर लिया।

उत्तराखंड टनल रेस्क्यू केवल निर्णायक नेतृत्व के कारण ही सफल हो सका, जिसने जमीनी स्तर पर लोगों के लिए गहरी चिंता का प्रदर्शन किया। देश को प्रधानमंत्री के अनुभवों से लाभ हुआ, जिन्होंने आरएसएस स्वयंसेवक, भाजपा कार्यकर्ता और बाद में गुजरात तथा भारत के प्रशासनिक मुखिया के रूप में कई आपदाओं एवं संकटों को देखा तथा उन्हें कुशलतापूर्वक संभाला।

आज, हम देखते हैं कि पीएम मोदी की यह व्यक्तिगत क्षमता, संस्थागत शक्ति में बदल गई है। 'समग्र सरकार' के उनके विजन ने, भारत में गवर्नेंस में आमूलचूल बदलाव किया है, और आज कोई भी गर्व से कह सकता है कि यह समग्र सरकार और समग्र भारत का अभियान था।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।