"हमारे इतिहास के कई ऐसे किस्से हैं जिन्हें भुला दिया गया है"
"विरासत के प्रति उदासीनता ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया"
"लोथल न केवल सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था, बल्कि यह भारत की समुद्री शक्ति और समृद्धि का प्रतीक भी था"
"लोथल जो हमें अपने इतिहास के कारण गर्व से भर देता है वह अब आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को आकार देगा"
"जब हम अपनी विरासत को संजोते हैं, तो हम उससे जुड़ी भावनाओं को संरक्षित करते हैं"
"पिछले 8 वर्षों में देश में जो विरासत विकसित की गई है वह हमें भारत की विरासत की विशालता की एक झलक दिखलाती है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ड्रोन की मदद से गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर स्थल पर चल रहे कार्यों की समीक्षा की।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस परियोजना की तेज़ रफ्तार पर प्रसन्नता व्यक्त की। लाल किले की प्राचीर से दिए अपने संबोधन में उन्होंने 'पांच प्रणों' की बात की थी, उसे याद करते हुए प्रधानमंत्री ने 'अपनी विरासत के अपने प्रति गर्व' को रेखांकित किया और कहा कि हमारी समुद्री विरासत एक ऐसी ही विरासत है जिसे हमारे पूर्वजों ने हमें सौंपा है। उन्होंने कहा, "हमारे इतिहास के कई ऐसे किस्से हैं, जिन्हें भुला दिया गया है और उन्हें अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए उन्हें संरक्षित करने के तरीके नहीं खोजे गए हैं। इतिहास की उन घटनाओं से हम कितना कुछ सीख सकते हैं? भारत की समुद्री विरासत भी एक ऐसा विषय है जिस पर पर्याप्त रूप से बात नहीं की गई है।” प्रधानमंत्री ने प्राचीन काल में भारत के व्यापार और कारोबार के विशाल प्रसार और दुनिया की हर सभ्यता के साथ उसके संबंधों पर प्रकाश डाला। हालांकि, प्रधानमंत्री ने अफसोस जताया कि हजार साल की गुलामी ने न केवल उस परंपरा को तोड़ दिया बल्कि हम अपनी विरासत और क्षमताओं के प्रति भी उदासीन हो गए।

हजारों वर्षों से मौजूद रही भारत की समृद्ध और विविध समुद्री विरासत पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने चोल साम्राज्य, चेरा राजवंश और दक्षिण भारत के पांड्या राजवंश के बारे में बात की, जिन्होंने समुद्री संसाधनों की शक्ति को समझा और उसे अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचाया। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि इसने देश की नौसैनिक शक्तियों को मजबूत करने के साथ-साथ भारत से दुनिया के सभी हिस्सों में व्यापार का विस्तार किया। प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज की भी बात की जिन्होंने एक मजबूत नौसेना बनाई और विदेशी आक्रमणकारियों को चुनौती दी। श्री मोदी ने कहा, "यह सब भारत के इतिहास में एक ऐसा गौरवपूर्ण अध्याय है, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया।" प्रधानमंत्री ने उस समय को याद किया जब कच्छ बड़े जहाजों के निर्माण के लिए एक विनिर्माण केंद्र के रूप में फला-फूला करता था और उन्होंने ऐतिहासिक महत्व के स्थलों के सुधार के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “भारत में बने बड़े जहाज पूरी दुनिया में बेचे गए। विरासत के प्रति इस उदासीनता ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया है। इस स्थिति को अब बदलने की जरूरत है।"

प्रधानमंत्री ने ज़िक्र किया कि पुरातात्विक उत्खनन से ऐतिहासिक महत्व के कई स्थल सामने आए हैं। उन्होंने कहा, "हमने भारत के गौरव के इन केंद्रों, धोलावीरा और लोथल को फिर उसी रूप में लौटाने का फैसला किया जैसे वे कभी प्रसिद्ध थे। आज हम उस मिशन पर तेजी से काम होता देख रहे हैं।" उन्होंने कहा, लोथल भारत की समुद्री क्षमता का एक संपन्न केंद्र था। हाल ही में वडनगर के पास खुदाई के दौरान सिकोतर माता के मंदिर का पता चला है। कुछ ऐसे प्रमाण भी मिले हैं जिनसे प्राचीन काल में यहां से समुद्री व्यापार की जानकारी मिलती है। इसी तरह सुरेंद्रनगर के झिंझुवाड़ा गांव में लाइटहाउस होने के प्रमाण मिले हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोथल से उत्खनन में सामने आए नगरों, बंदरगाहों और बाजारों के अवशेषों के शहरी नियोजन के बारे में आज बहुत कुछ सीखा जा सकता है। उन्होंने कहा, "लोथल न केवल सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था, बल्कि यह भारत की समुद्री शक्ति और समृद्धि का भी प्रतीक था।" उन्होंने इस क्षेत्र पर देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती दोनों की कृपा का उल्लेख किया और कहा कि एक समय था जब लोथल बंदरगाह को 84 देशों के झंडों से चिन्हित किया गया था और वल्लभी में 80 देशों के छात्र पढ़ते थे।

प्रधानमंत्री ने बताया कि लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर, भारत के विविध समुद्री इतिहास को सीखने और समझने के केंद्र के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने आगे विस्तार से बताया कि लोथल में हैरिटेज कॉम्प्लेक्स इस तरह से बनाया जा रहा है कि भारत का आम आदमी इसके इतिहास को आसानी से समझ सके। इसमें बहुत ही आधुनिक तकनीक का उपयोग कर उसी युग को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोथल की महिमा को वापस लाने के प्रयास केवल इस परिसर तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि गुजरात के तटीय क्षेत्र में कई आधुनिक बुनियादी ढांचा परियोजनाएं निर्मित हो रही हैं। उन्होंने यहां बनने वाले सेमीकंडक्टर प्लांट का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारी सरकार इस क्षेत्र को उस तरह फिर से विकसित करने के लिए पूरी ताकत से काम कर रही है जिस तरह ये हजारों साल पहले हुआ करता था। लोथल जो कि हमें अपने इतिहास के कारण गौरव से भर देता है, वह अब आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को आकार देगा।"

एक संग्रहालय केवल चीजों या दस्तावेजों को संग्रहीत करने और प्रदर्शित करने का ही साधन नहीं होता है, यह बात बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम अपनी विरासत को संजोते हैं तो हम उससे जुड़ी भावनाओं को भी संरक्षित करते हैं। भारत की आदिवासी विरासत पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने देश भर में बन रहे जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों पर प्रकाश डाला और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हमारे आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने भारत के युद्ध नायकों द्वारा दिए गए बलिदानों का भी उल्लेख किया और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और राष्ट्रीय पुलिस स्मारक का उल्लेख किया जो भारत के उन वीर पुत्रों और पुत्रियों के गवाह हैं जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। भारत में लोकतंत्र की शक्ति के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने, प्रधानमंत्री संग्रहालय का ज़िक्र किया जो हमें हमारे देश की 75 वर्षों की यात्रा की एक झलक देता है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि केवड़िया, एकता नगर में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हमें भारत की एकता और अखंडता के लिए किए गए प्रयासों, दृढ़ता और तपस्या की याद दिलाती है। प्रधानमंत्री ने कहा, "पिछले 8 वर्षों में देश में विकसित हुई विरासत हमें भारत की विरासत की विशालता की झलक देती है।"

प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि जहां तक देश की समुद्री विरासत की बात है तो लोथल में बन रहा राष्ट्रीय समुद्री संग्रहालय प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का विषय होगा। अपनी बात का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "मुझे यकीन है कि लोथल अपने पुराने वैभव के साथ दुनिया के सामने आएगा।"

इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय मंत्री श्री मनसुख मांडविया और श्री सर्बानंद सोनोवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

पृष्ठभूमि

लोथल हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख शहरों में से एक था और ये सबसे पुराने मानव निर्मित डॉकयार्ड की खोज के लिए जाना जाता है। लोथल में एक समुद्री विरासत परिसर, इस शहर की ऐतिहासिक विरासत और हैरिटेज के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है।

लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) को अपनी तरह की पहली परियोजना की तरह विकसित किया जा रहा है ताकि भारत की समृद्ध और विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित किया जा सके और लोथल को विश्व स्तरीय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में उभरने में मदद की जा सके। इस परियोजना के माध्यम से पर्यटन क्षमता को बढ़ावा देने से इस क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

मार्च 2022 में शुरू हुए इस परिसर कार्य को लगभग 3500 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है। इसमें कई नवीन और अनूठे फीचर्स होंगे जैसे हड़प्पा की वास्तुकला और जीवन शैली को पुनर्निर्मित करने के लिए लोथल मिनी रीक्रिएशन, चार थीम पार्क - मेमोरियल थीम पार्क, समुद्री और नौसेना थीम पार्क, जलवायु थीम पार्क, और एडवेंचर एंड अम्यूज़मेंट थीम पार्क। इसमें दुनिया का सबसे ऊंचा लाइटहाउस संग्रहालय, हड़प्पा काल से लेकर आज तक भारत की समुद्री विरासत को उजागर करने वाली चौदह दीर्घाएं, साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने वाला तटीय राज्यों का एक पैवेलियन भी होगा।

 

 

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PM Modi congratulates hockey team for winning Women's Asian Champions Trophy
November 21, 2024

The Prime Minister Shri Narendra Modi today congratulated the Indian Hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy.

Shri Modi said that their win will motivate upcoming athletes.

The Prime Minister posted on X:

"A phenomenal accomplishment!

Congratulations to our hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy. They played exceptionally well through the tournament. Their success will motivate many upcoming athletes."