प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गांधीनगर के महात्मा मंदिर में 'सहकार से समृद्धि' विषय पर विभिन्न सहकारी संस्थानों के नेताओं की बैठक को संबोधित किया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्रभाई पटेल, केन्द्रीय मंत्री श्री अमित शाह, मनसुख मंडाविया सहित गुजरात के सांसद, विधायक, मंत्री और सहकारी क्षेत्र के लोग भी शामिल हुए।सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने महात्मा मंदिर में एकत्र हुए हजारों किसानों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि गांव की आत्मनिर्भरता के लिए सहयोग एक बहुत बड़ा माध्यम है।इसमें आत्म निर्भर भारत की ऊर्जा है। उन्होंने कहा कि पूज्य बापू और पटेल ने हमें गांवों में आत्मनिर्भरता लाने का रास्ता दिखाया। उस आधार पर आज हम एक आदर्श सहकारी गांव के विकास की राह पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात के 6 गांवों को चुना गया है जहां पर सहकारी से संबंधित सभी गतिविधियों को लागू किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने इफको, कलोल में निर्मित नैनो यूरिया (लिक्विड) संयंत्र का उद्घाटन करते हुएअपनी हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यूरिया की एक पूरी बोरी की शक्ति आधी लीटर की बोतल में आ चुकी है, जिससे परिवहन और भंडारण में बहुत बचत हुई है। इस प्लांट से प्रतिदिन 500 मिलीलीटर की लगभग 1.5 लाख बोतल का उत्पादन होगा, प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्य मेंऐसे 8 और संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। यूरिया के संबंध में इस माध्यम से विदेशी निर्भरता में कमी होगी और देश में बचत होगी। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है यह नवाचार यूरिया तक ही सीमित नहीं रहेगाऔर भविष्य में हमारे किसानों को अन्य नैनो उर्वरक भी उपलब्ध कराएगा।
प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित किया कि देश के किसानों को पर्याप्त यूरिया प्राप्त हो। इसके साथ ही, यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना में समाप्त हो चुकी5 उर्वरक फैक्ट्रियों का संचालन किया गया। उन्होंने कहा कि यूपी और तेलंगाना कारखानों ने पहले ही उत्पादन शुरू कर दिया है, और अन्य तीन कारखाने भी काम करना शुरू कर देंगे।
यूरिया, फास्फेट और पोटाश आधारित उर्वरकों को लिए आयात निर्भरता के संदर्भ में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने महामारी और युद्ध के कारण उतपन्न हुई उच्च कीमतों और वैश्विक बाजार की उपलब्धता में कमी पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा कि संवेदनशील सरकार ने किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए हरसंभवव कोशिश किया और कठिन परस्थिति होने के बावजूद भारत में उर्वरक का संकट नहीं है।
एक यूरिया बैग 3500 रुपये में आता हे लेकिन किसान को 300 रुपये में उपलब्ध कराया जाता है और सरकार प्रति बैग 3200 रुपये वहन करती है। इसी प्रकार से, डीएपी के एक बैग पर सरकार 2500 रुपये वहन करती है, जबकि पिछली सरकारों द्वारा वहन किए गया वहन 500 रुपया था। प्रधानमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की है, इस वर्ष यह सब्सिडी 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो जाएगी। प्रधानमंत्री ने वादा किया कि देश के किसानों के हित के लिए जो भी आवश्यक होगा वे करेंगे, देश के किसानों को मजबूती प्रदाने करते रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में सरकार ने देश के सामने आ रही समस्याओं के तात्कालिक और दीर्घकालिक समाधान दोनों पर काम किया है। उन्होंने किसी अन्य महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य में सुधार, खाद्य तेल की समस्याओं से निपटने के लिए मिशन ऑयल पाम, तेल की समस्याओं से निपटने के लिए जैव ईंधन और हाइड्रोजन ईंधन, प्राकृतिक खेती और नैनो टेक्नोलॉजी पुश समाधानों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इसी तरह आत्मनिर्भरता में भारत की कई कठिनाइयों का समाधान है। उन्होंने सहकारिता को आत्मनिर्भरता का एक महान मॉडल बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात भाग्यशाली है क्योंकि हमें पूज्य बापू और सरदार साहब का नेतृत्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि आदरणीय बापू द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलते हुए सरदार साहब ने स्वयं सहायता समुह कोजमीनी स्तर पर लाने का काम किया। डेयरी क्षेत्र के सहकारी मॉडल का उदाहरण आज हमारे सामने है। वर्तमान समय मे, भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, जिसमें गुजरात की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। डेयरी क्षेत्र भी पिछले कुछ वर्षों में तेजी से आगे बढ़ रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी ज्यादा योगदान दे रहा है। गुजरात में, दूध संबंधित उद्योग व्यापक रूप से फैले हुए हैं क्योंकि इसमें सरकार ने प्रतिबंधों प्रतिबंधों को कम से कम लागू किया है। यहां परसरकार केवल एक सुविधाप्रदाता के रूप में काम करतीहै, बाकी या तो सहकारी समिति या किसान करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार अमृत काल की भावना को सहयोग की भावना से जोड़ने की दिशा में हरसंभव प्रयास कर रही है। इसी उद्देश्य को ध्यान मे रखते हुए केंद्र सरकार में सहकारिता का एक अलग मंत्रालय बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में सहकारिता आधारित आर्थिक मॉडल को प्रोत्साहित करने के लिए कोशिश की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों की सबसे बड़ी शक्ति लोगों में विश्वास, सहयोग और सामूहिक शक्ति के साथ संगठन की क्षमता को बढावा देना है।अमृत काल के दौरान यह हमारे देश की सफलता के लिए गारंटी ह। सरकार द्वारा अमृत काल में जिन्हें निम्नस्तर का समझा जाता था, उन्हेएक बड़ी शक्ति बनाने की दिशा में काम की जा रही है। वर्तमान समय में, छोटे किसानों को सशक्त किया जा रहा है। इस प्रकार, लघु उद्योग और एमएसएमई को भारत की आत्मनिर्भता की श्रृंखला का एक मजबूत हिस्सा बनाया जा रहा है।प्रधानमंत्री ने कहा किमुझे विश्नास है कि सहयोग द्वारा ही हमें अपने लक्ष्यों को साकार करने में मदद मिलेगी और हमारा देश सफलता और समृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ेगा।
सहकार, गांव के स्वाबलंबन का भी बहुत बड़ा माध्यम है।
— PMO India (@PMOIndia) May 28, 2022
इसमें आत्मनिर्भर भारत की ऊर्जा है: PM @narendramodi #SahkarSeSamrudhi
2014 में सरकार बनने के बाद हमने यूरिया की शत-प्रतिशत नीम कोटिंग का किया।
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इससे देश के किसानों को पर्याप्त यूरिया मिलना सुनिश्चत हुआ।
साथ ही हमने यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना में 5 बंद पड़े खाद कारखानों को फिर चालू करने का काम शुरु किया: PM #SahkarSeSamrudhi
देश के किसान के हित में जो भी ज़रूरी हो, वो हम करते हैं, करेंगे और देश के किसानों की ताकत बढ़ाते रहेंगे: PM @narendramodi #SahkarSeSamrudhi
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आत्मनिर्भरता में भारत की अनेक मुश्किलों का हल है।
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और आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल, सहकार है।
ये हमने गुजरात में बहुत सफलता के साथ अनुभव किया है और आप सभी साथी इस सफलता के सेनानी हैं: PM @narendramodi #SahkarSeSamrudhi
गुजरात तो इसलिए भी सौभाग्यशाली रहा क्योंकि पूज्य बापू और सरदार साहेब का नेतृत्व यहां हमें मिला।
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पूज्य बापू ने सहकार से स्वाबलंबन का जो मार्ग दिखाया, उसको सरदार साहेब ने ज़मीन पर उतारने का काम किया: PM @narendramodi #SahkarSeSamrudhi
डेयरी सेक्टर के cooperative model का उदाहरण हमारे सामने है।
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आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है जिसमें गुजरात की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है।
बीते सालों में डेयरी सेक्टर तेज़ी से बढ़ भी रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ज्यादा कंट्रीब्यूट भी कर रहा है: PM #SahkarSeSamrudhi
गुजरात में भी दूध आधारित उद्योगों का व्यापक प्रसार इसलिए हुआ क्योंकि इसमें सरकार की तरफ से पाबंदियां कम से कम रहीं।
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सरकार यहां सिर्फ एक facilitator की भूमिका निभाती है, बाकी का काम या तो आप जैसे Co-operatives करते हैं, किसान करते हैं: PM @narendramodi #SahkarSeSamrudhi
सहकार की स्पिरिट को आज़ादी के अमृतकाल की स्पिरिट से जोड़ने के लिए हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं।
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इसी उद्देष्य के साथ केंद्र में सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया गया।
कोशिश यही है कि देश में सहकारिता आधारित आर्थिक मॉडल को प्रोत्साहित किया जाए: PM #SahkarSeSamrudhi
सहकार की सबसे बड़ी ताकत भरोसा है, सहयोग है, सबके सामर्थ्य से संगठन के सामर्थ्य को बढ़ाने का है।
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यही आज़ादी के अमृतकाल में भारत की सफलता की गारंटी है: PM @narendramodi #SahkarSeSamrudhi
हमारे यहां जिसको भी छोटा समझकर कम आंका गया, उसको अमृतकाल में बड़ी ताकत बनाने पर हम काम कर रहे हैं।
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छोटे किसानों को आज हर प्रकार से सशक्त किया जा रहा है।
इसी प्रकार लघु उद्योगों- MSMEs को भारत की आत्मनिर्भर सप्लाई चेन का मज़बूत हिस्सा बनाया जा रहा है: PM #SahkarSeSamrudhi