“वाटर विजन@2047 अमृत काल की अगले 25 वर्षों की यात्रा का एक महत्वपूर्ण आयाम”
“जब किसी अभियान से जनता जुड़ी रहती है, तो उसे कार्य की गंभीरता भी पता चलती है”
“जब लोग स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े तो जनता में भी एक चेतना जागृत हुई”
“देश हर जिले में 75 अमृत सरोवर बना रहा है जिसमें अब तक 25 हजार अमृत सरोवर बन चुके हैं”
"जल जीवन मिशन हर घर को पानी उपलब्ध कराने के लिए राज्य का एक प्रमुख विकास पैरामीटर है"
"प्रति बूंद अधिक फसल' अभियान के तहत, देश में अब तक 70 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाया गया है"
"ग्राम पंचायतों को अगले 5 वर्षों के लिए एक कार्य योजना तैयार करनी चाहिए, जिसमें जल आपूर्ति से लेकर स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन तक के रोडमैप पर विचार किया जाए"
"हमारी नदियां, हमारी वाटर बॉडीज पूरे वाटर इकोसिस्टम का सबसे अहम हिस्सा होते हैं"
“नमामि गंगे मिशन को एक खाका बनाकर अन्य राज्य भी नदियों के संरक्षण के लिए ऐसे ही अभियान चला सकते हैं”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से जल संरक्षण के विषय पर राज्यों के मंत्रियों के प्रथम अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन को संबोधित किया। सम्मेलन का विषय 'वाटर विजन @ 2047' है और फोरम का उद्देश्य सतत विकास और मानव विकास के लिए जल संसाधनों के दोहन के तरीकों पर चर्चा के लिए प्रमुख नीति निर्माताओं को एक साथ लाना है।

अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने जल सुरक्षा के क्षेत्रों में भारत द्वारा किए गए अभूतपूर्व कार्यों पर प्रकाश डालते हुए देश के जल मंत्रियों के पहले अखिल भारतीय सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी संवैधानिक व्यवस्था में पानी का विषय, राज्यों के नियंत्रण में आता है और जल संरक्षण के लिए राज्यों के प्रयास, देश के सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत सहायक होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि जल संरक्षण से जुड़े अभियानों में जनता को, सामाजिक संगठनों को, सिविल सोसाइटी को भी ज्यादा से ज्यादा साथ लेना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा, "वाटर विजन @ 2047 अमृत काल की अगले 25 वर्षों की यात्रा का एक महत्वपूर्ण आयाम है।”

प्रधानमंत्री ने 'समग्र सरकार' और 'संपूर्ण देश' के अपने दृष्टिकोण को दोहराते हुए, इस बात पर जोर दिया कि सभी सरकारों को एक ऐसी प्रणाली की तरह काम करना चाहिए, जिसमें राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों, जैसे जल मंत्रालय, सिंचाई मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, ग्रामीण और शहरी विकास मंत्रालय और आपदा प्रबंधन मंत्रालय के बीच निरंतर संपर्क और संवाद हो। उन्होंने कहा कि अगर इन विभागों के पास एक-दूसरे से संबंधित जानकारी और डेटा होगा तो योजना बनाने में मदद मिलेगी।

यह बताते हुए कि केवल सरकार के प्रयासों से सफलता नहीं मिलती है, प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक और सामाजिक संगठनों और नागरिक समाजों की भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित किया और जल संरक्षण से संबंधित अभियानों में उनकी अधिकतम भागीदारी के लिए कहा। प्रधानमंत्री ने समझाते हुए कहा कि जनभागीदारी को बढ़ावा देने से सरकार की जवाबदेही कम नहीं होती है और इसका मतलब यह नहीं है कि सारी जिम्मेदारी लोगों पर डाल दी जाए। उन्होंने कहा कि जनभागीदारी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अभियान में किए जा रहे प्रयासों और खर्च किए जा रहे धन के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा की जाती है। उन्होंने कहा, “जब किसी अभियान से जनता जुड़ी रहती है, तो उसे कार्य की गंभीरता भी पता चलती है। इससे जनता में किसी योजना या अभियान के प्रति सेंस ऑफ ओनरशिप भी आती है।”

प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान का उदाहरण देते हुए कहा, “जब लोग स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े तो जनता में भी एक चेतना जागृत हुई।” भारत के लोगों को उनके प्रयासों का श्रेय देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने कई पहल की, चाहे वह गंदगी हटाने के लिए संसाधन एकत्र करना हो, विभिन्न जल उपचार संयंत्रों का निर्माण करना हो या शौचालयों का निर्माण करना हो, लेकिन इस अभियान की सफलता तब सुनिश्चित हुई जब जनता ने गंदगी को बिल्कुल हटाने का निर्णय लिया। प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण के प्रति जन भागीदारी के इस विचार को मन में बैठाने और प्रभावी तौर पर जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया, "हम 'जल जागरूकता महोत्सव' आयोजित कर सकते हैं या स्थानीय स्तर पर आयोजित मेलों में जल जागरूकता से संबंधित एक कार्यक्रम जोड़ा जा सकता है।" उन्होंने विद्यालयों में पाठ्यचर्या से लेकर गतिविधियों तक नवीन तरीकों से युवा पीढ़ी को इस विषय से अवगत कराने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि देश हर जिले में 75 अमृत सरोवर बना रहा है, जिसमें अब तक 25 हजार अमृत सरोवर बन चुके हैं। उन्होंने समस्याओं की पहचान करने और समाधान खोजने के लिए प्रौद्योगिकी, उद्योग और स्टार्टअप्स को जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया और जियो-सेंसिंग और जियो-मैपिंग जैसी तकनीकों के बारे में बताया, जो बहुत मददगार हो सकते हैं। उन्होंने नीतिगत स्तरों पर पानी से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए सरकारी नीतियों और नौकरशाही प्रक्रियाओं को लागू करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

प्रत्येक घर को पानी उपलब्ध कराने के लिए एक राज्य के लिए एक प्रमुख विकास पैरामीटर के रूप में 'जल जीवन मिशन' की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि कई राज्यों ने अच्छा काम किया है, जबकि कई राज्य इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि एक बार यह व्यवस्था लागू हो जाने के बाद हमें भविष्य में भी इसी तरह इसका रखरखाव सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि ग्राम पंचायतें जल जीवन मिशन का नेतृत्व करें और काम पूरा होने के बाद वे यह भी प्रमाणित करें कि पर्याप्त और स्वच्छ पानी उपलब्ध हो गया है। उन्होंने कहा, "प्रत्येक ग्राम पंचायत भी एक मासिक या त्रैमासिक रिपोर्ट ऑनलाइन प्रस्तुत कर सकती है, जिसमें गांव में नल से पानी प्राप्त करने वाले घरों की संख्या बताई गई हो।" उन्होंने यह भी कहा कि पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर जल परीक्षण की व्यवस्था भी विकसित की जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने उद्योग और कृषि दोनों क्षेत्रों में पानी की आवश्यकताओं के बारे में चर्चा करते हुए सुझाव दिया कि हमें इन दोनों ही सेक्टर्स से जुड़े लोगों में विशेष अभियान चलाकर इन्हें वाटर सिक्योरिटी के प्रति जागरूक करना चाहिए। उन्होंने फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती जैसी तकनीकों का उदाहरण दिया, जो जल संरक्षण पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत शुरू हुए 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' अभियान पर भी प्रकाश डाला और बताया कि देश में अब तक 70 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाया जा चुका है। उन्होंने कहा, "सभी राज्यों द्वारा सूक्ष्म सिंचाई को लगातार बढ़ावा दिया जाना चाहिए"। उन्होंने अटल भूजल संरक्षण योजना का भी उदाहरण दिया, जिसमें भू-जल पुनर्भरण के लिए सभी जिलों में बड़े पैमाने पर वाटरशेड का काम जरूरी है और पहाड़ी क्षेत्रों में स्प्रिंगशेड को पुनर्जीवित करने के लिए विकास कार्यों में तेजी लाने की जरूरत पर भी बल दिया।

जल संरक्षण के लिए राज्य में वन क्षेत्र को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने पर्यावरण मंत्रालय और जल मंत्रालय द्वारा समन्वित प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने जल के सभी स्थानीय स्रोतों के संरक्षण पर भी ध्यान देने का आह्वान किया और दोहराते हुए कहा कि ग्राम पंचायतें अगले 5 वर्षों के लिए एक कार्ययोजना तैयार करें, जहां जल आपूर्ति से लेकर स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन तक के रोडमैप पर विचार किया जाए। प्रधानमंत्री ने राज्यों से यह भी कहा कि किस गांव में कितने पानी की जरूरत है और इसके लिए क्या काम किया जा सकता है, इसके आधार पर पंचायत स्तर पर जल बजट तैयार करने के तरीके अपनाएं। 'कैच द रेन' अभियान की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे अभियान राज्य सरकार का एक अनिवार्य हिस्सा बनने चाहिए, जहां उनका वार्षिक मूल्यांकन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "बारिश का इंतजार करने के बजाय, बारिश से पहले सारी योजना बनाने की जरूरत है।"

जल संरक्षण के क्षेत्र में सर्कुलर इकोनॉमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ने इस बजट में सर्कुलर इकोनॉमी पर काफी जोर दिया है। उन्होंने कहा, "जब ट्रीटेड वॉटर को री-यूज किया जाता है, फ्रेश वाटर को कंजर्व किया जाता है, तो उससे पूरे इकोसिस्टम को बहुत लाभ होता है। इसलिए वाटर ट्रीटमेंट, वॉटर रीसाइकलिंग आवश्यक है।” उन्होंने दोहराया कि राज्यों को विभिन्न उद्देश्यों के लिए 'ट्रीटेड वॉटर' के उपयोग को बढ़ाने के तरीके खोजने होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी कोई भी नदी या वाटर बॉडी बाहरी कारकों से प्रदूषित ना हो, इसके लिए हमें हर राज्य में वाटर मैनेजमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट का नेटवर्क बनाना होगा। उन्होंने हर राज्य में अपशिष्ट प्रबंधन और सीवेज ट्रीटमेंट का एक नेटवर्क बनाने पर जोर देते हुए कहा, "हमारी नदियां, हमारी वाटर बॉडीज पूरे वाटर इकोसिस्टम का सबसे अहम हिस्सा होते हैं।" अंत में, प्रधानमंत्री ने कहा, “नमामि गंगे मिशन को एक खाका बनाकर अन्य राज्य भी नदियों के संरक्षण के लिए इसी तरह के अभियान शुरू कर सकते हैं। जल को सहयोग और समन्वय का विषय बनाना प्रत्येक राज्य की जिम्मेदारी है।”

जल संरक्षण के विषय पर राज्यों के मंत्रियों के प्रथम अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन में सभी राज्यों के जल संसाधन मंत्रियों ने भाग लिया।

 

पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
PM Modi congratulates hockey team for winning Women's Asian Champions Trophy
November 21, 2024

The Prime Minister Shri Narendra Modi today congratulated the Indian Hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy.

Shri Modi said that their win will motivate upcoming athletes.

The Prime Minister posted on X:

"A phenomenal accomplishment!

Congratulations to our hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy. They played exceptionally well through the tournament. Their success will motivate many upcoming athletes."