हर-हर, महादेव !
मैं शुरु करु अब आप लोग इजाज़त दे, तो मैं बोलना शुरु करुँ। हर-हर महादेव, बाबा विश्वनाथ, माता अन्नपूर्णा की नगरी काशी की पुण्य भूमि के सभी बंधु एवं भगिनी लोगन के प्रणाम बा। दीपावली, देव दीपावली, अन्नकूट, भईयादूज ,प्रकाशोत्सव एवंम आवै वाले डाला छठ क आप सब लोगन के बहुत – बहुत शुभकामना। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, यूपी के ऊर्जावान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया जी, यूपी सरकार के अन्यमंत्री गण केंद्र के हमारे एक और साथी महेंद्रनाथ पांडे जी, राज्य के एक और मंत्री अनिल राजभर जी, नीलकंठ तिवारी जी, रविंद्र जायसवाल जी, अन्य मंत्रिगण, सांसद में हमारी साथी श्रीमती सीमा द्विवेदी जी, बी.पी.सरोज जी, वाराणसी की मेयर श्रीमती मृदुला जायसवाल जी, अन्य जनप्रतिनिधिगण, टेक्नोलॉजी के माध्यम से देश के कोने-कोने से जुड़े हेल्थ प्रोफेशनल्स, जिला अस्पताल, मेडिकल संस्थान और यहां उपस्थित बनारस के मेरे भाइयों और बहनों।
देश ने कोरोना महामारी से अपनी लड़ाई में 100 करोड़ वैक्सीन डोज के बड़े पड़ाव को पूरा किया है। बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से, मां गंगा के अविरल प्रताप से, काशीवासियों के अखंड विश्वास से, सबको वैक्सीन- मुफ्त वैक्सीन का अभियान सफलता से आगे बढ़ रहा है। मैं आप सभी स्वजनों का आदर पूर्वक वंदन करता हूं। आज ही कुछ समय पहले एक कार्यक्रम में मुझे उत्तर प्रदेश को 9 नए मेडिकल कॉलेज अर्पण करने का सौभाग्य मिला हैं। इससे पूर्वांचल और पूरे यूपी के करोड़ों गरीबों, दलितों-पिछड़ों-शोषितों-वंचितों को ऐसे समाज के सब वर्गों को बहुत फायदा होगा, दूसरे शहरों के बड़े अस्पतालों के लिए उनकी जो भागदौड़ होती थी, वो कम होगी।
साथियों,
मानस में एक सोरठा है –
मुक्ति जन्म महि जानि,ज्ञान खानिअघ हानि कर।
जहं बस सम्भु भवानि,सो कासी सेइअ कस न।।
अर्थात्, काशी में तो शिव और शक्ति साक्षात निवास करते हैं। ज्ञान का भंडार काशी तो कष्ट और क्लेश दोनों से मुक्त करती है। फिर स्वास्थ्य से जुड़ी इतनी बड़ी योजना, बीमारियों कष्टों से मुक्ति का इतना बड़ा संकल्प, इसकी शुरुआत के लिए काशी से बेहतर जगह और क्या हो सकती है? काशी के मेरे भाईयों- बहनों आज इस मंच पर दो बड़े कार्यक्रम हो रहे हैं। एक भारत सरकार का और पूरे भारत के लिए 64 हजार करोड़ से भी ज्यादा रकम का यह कार्यक्रम आज काशी की पवित्र धरती से लाँच हो रहा है। और दूसरा काशी और पूर्वाचँल के विकास के हजारों करोड़ के कार्यक्रमों का लोकार्पण और एक प्रकार से मैं कहूँ कि पहले वाला कार्यक्रम और यहाँ का कार्यक्रम सब मिलाके मैं कहूँ आज करीब- करीब 75 हजार करोड़ रुपये के कामों का आज यहाँ निर्णय या लोकार्पण हो रहा है। काशी से शुरू होने जा रही इस योजनाओं में महादेव का आशीर्वाद भी है। और जहां महादेव का आशीर्वाद है वहां तो कल्याण ही कल्याण है, सफलता ही सफलता है। और जब महादेव का आर्शीवाद होता है तो कष्टों से मुक्ति भी स्वाभाविक है।
साथियों,
आज यूपी सहित पूरे देश के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को ताकत देने के लिए, भविष्य में महामारियों से बचाव के लिए हमारी तैयारी उच्च स्तर की हो, गांव और ब्लॉक स्तर तक हमारे हेल्थ सिस्टम में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता आए, इसके लिए आज काशी से मुझे 64 हज़ार करोड़ रुपए का आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन राष्ट्र को समर्पित करने का सौभाग्य मिला है। आज काशी के इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े करीब 5 हज़ार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का भी लोकार्पण अभी किया गया है। इसमें सड़कों से लेकर घाटों की सुंदरता, गंगा जी और वरुणा की साफ-सफाई, पुलों, पार्किंग स्थलों, BHU में अनेक सुविधाओं से जुड़े अनेक प्रोजेक्ट । त्योहारों के इस मौसम में, जीवन को सुगम, स्वस्थ और समृद्ध बनाने के लिए काशी में हो रहा ये विकास पर्व, एक प्रकार से पूरे देश को नई ऊर्जा, नई शक्ति, नया विश्वास देने वाला है। इसके लिए काशी सहित आज में काशी की धरती से 130 करोड़ देशवासियों को हिन्दुस्तान के कोन- कोने को हिन्दुस्तान के गाँव को हिन्दुस्तान के शहर को हर किसी को बहुत-बहुत बधाई !
भाइयों और बहनों,
हमारे यहां हर कर्म का मूल आधार आरोग्य माना गया है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए किया गया निवेश, हमेशा उत्तम निवेश माना गया है। लेकिन आज़ादी के बाद के लंबे कालखंड में आरोग्य पर, स्वास्थ्य सुविधाओं पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, जितनी देश को जरूरत थी। देश में जिनकी लंबे समय तक सरकारें रहीं, उन्होंने देश के हेल्थकेयर सिस्टम के संपूर्ण विकास के बजाय, उसे सुविधाओं से वंचित रखा। गांव में या तो अस्पताल नहीं, अस्पताल थे तो इलाज करने वाला नहीं। ब्लॉक के अस्पताल में गए तो टेस्ट की सुविधा नहीं। टेस्ट हों, टेस्ट हो भी जाए भी तो नतीजों को लेकर भ्रम रहा, सटीक होने पर शंका, जिला अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि जो गंभीर बीमारी डिटेक्ट हुई है, उसमें तो सर्जरी होगी। लेकिन जो सर्जरी होनी है उसकी तो वहां सुविधा ही नहीं है, इसलिए फिर और बड़े अस्पताल भागो, बड़े अस्पताल में उससे ज्यादा भीड़, लंबा इंतज़ार। हम सभी गवाह हैं कि मरीज़ और उसका पूरा परिवार ऐसी ही परेशानियों से उलझता रहता था। जिंदगी जूझने में चली जाती थी इससे एक तो गंभीर बीमारी कई बार और ज्यादा बिगड़ जाती है, ऊपर से गरीब पर जो अनावश्यक आर्थिक बोझ पढ़ता है, वो अलग।
साथियों,
हमारे हेल्थकेयर सिस्टम में जो बड़ी कमी रही, उसने, गरीब और मिडिल क्लास में इलाज को लेकर हमेशा बनी रहने वाली चिंता पैदा कर दी। आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन - देश के हेल्थकेयर सिस्टम के इसी कमी को दूर का एक समाधान है। भविष्य में किसी भी महामारी से निपटने में हम तैयार हों, सक्षम हों, इसके लिए अपने हेल्थ सिस्टम को आज तैयार किया जा रहा है। कोशिश ये भी है की बीमारी जल्दी पकड़ में आए, जांच में देरी ना हो। लक्ष्य ये है कि आने वाले 4-5 सालों में देश के गांव से लेकर ब्लॉक, जिला, रीजनल और नेशनल लेवल तक क्रिटिकल हेल्थकेयर नेटवर्क को सशक्त किया जाए। विशेष रूप से जिन राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव अधिक है, जो हमारे पहाड़ी और नॉर्थ ईस्ट के राज्य हैं, उन पर और अधिक फोकस किया जा रहा है। जैसे उत्तराखंड हैं हिमाचल है।
साथियों,
देश के हेल्थ सेक्टर के अलग-अलग गैप्स को एड्रेस करने के लिए आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के 3 बड़े पहलू हैं। पहला, डाइअग्नास्टिक और ट्रीटमेंट के लिए विस्तृत सुविधाओं के निर्माण से जुड़ा है। इसके तहत गांवों और शहरों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं, जहां बीमारियों को शुरुआत में ही डिटेक्ट करने की सुविधा होगी। इन सेंटरों में फ्री मेडिकल कंसलटेशन, फ्री टेस्ट, फ्री दवा जैसी सुविधाएं मिलेंगी। समय पर बीमारी का पता चलेगा तो बीमारियों के गंभीर होने की आशंका कम होगी। गंभीर बीमारी की स्थिति में उसके इलाज के लिए 600 से अधिक जिलों में, क्रिटिकल केयर से जुड़े 35 हजार से ज्यादा नए बेड्स तैयार किए जाएंगे। बाकी लगभग सवा सौ जिलों में रैफरल की सुविधा दी जाएगी। राष्ट्रीय स्तर पर इसके लिए ट्रेनिंग और दूसरी कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए 12 केंद्रीय अस्पतालों में ज़रूरी सुविधाएं विकसित करने पर भी काम हो रहा है। इस योजना के तहत राज्यों में भी सर्जरी से जुड़े नेटवर्क को सशक्त करने के लिए 24x7 चलने वाले 15 इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर्स भी तैयार किए जाएंगे।
साथियों,
योजना का दूसरा पहलू, रोगों की जांच के लिए टेस्टिंग नेटवर्क से जुड़ा है। इस मिशन के तहत, बीमारियों की जांच, उनकी निगरानी कैसे हो, इसके लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जाएगा। देश के 730 जिलों में इंटिग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब्स और देश में चिन्हित साढ़े 3 हज़ार ब्लॉक्स में, ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट्स बनाई जाएंगी। 5 रीजनल नेशनल सेंटर्स फॉर डिज़ीज कंट्रोल, 20 मेट्रोपॉलिटन यूनिट्स और 15 BSL लैब्स भी इस नेटवर्क को और सशक्त करेंगी।
भाइयों और बहनों,
इस मिशन का तीसरा पहलू महामारी से जुड़े रिसर्च संस्थानों के विस्तार का है, उनको सशक्त बनाने का है। इस समय देश में 80 Viral Diagnostics और research labs हैं। इनको और बेहतर बनाया जाएगा। महामारियों में बायोसेफ्टी लेवल-3 की लैब्स चाहिए। ऐसी 15 नई लैब्स को ऑपरेशनल किया जाएगा। इसके अलावा देश में 4 नए National Institutes of Virology और एक National institute for one health भी स्थापित किया जा रहा है। दक्षिण एशिया के लिए WHO का रीजनल रिसर्च प्लेटफॉर्म भी रिसर्च के इस नेटवर्क को सशक्त करेगा। यानि आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के माध्यम से देश के कोने-कोने में इलाज लेकर क्रिटिकल रिसर्च तक, एक पूरा इकोसिस्टम विकसित किया जाएगा।
साथियों,
वैसे यह काम दशकों पहले हो जाने चाहिए थे। लेकिन हाल क्या है उसका वर्णन मुझे कहने की मुझे ज़रुरत नही है हम पिछले 7 साल से लगातार सुधार कर रहे हैं लेकिन अब एक बहुत बड़े स्केल पर, बहुत बड़े aggressive approach के साथ इस काम को करना है। कुछ दिन पहले आपने देखा होगा मैनें दिल्ली में पूरे देश के लिए एक गति- शक्ति एक बहुत बड़ा देशव्यापी इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कार्यक्रम को लाँच किया था। आज यह दूसरा, करीब 64 हजार रुपये का हेल्थ को ही ले करके, आरोग्य को ले करके, बीमारी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए देश के हर नागरिक को स्वस्थ रखने के लिए इतना बड़ा एक मिशन ले करके आज काशी की धरती से हम देशभर में निकल रहे हैं।
साथियों,
जब ऐसा हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बनता है, तो इससे हेल्थ सर्विस तो बेहतर होती ही है, इससे रोज़गार का भी एक पूरा वातावरण विकसित होता है। डॉक्टर, पैरामेडिक्स, लैब, फार्मेसी, साफ-सफाई, ऑफिस, ट्रैवल-ट्रांसपोर्ट, खान-पान, ऐसे अनेक प्रकार के रोज़गार इस योजना से बनने वाले हैं। हमने देखो है एक बड़ा अस्पताल बनता है तो उसके आसपास एक पूरा शहर बस जाता है। जो अस्पताल से जुड़ी गतिविधियों के रोज़ी रोटी का केंद्र बन जाता है। बहुत बड़ी आर्थिक गतिविधि का केंद्र बन जाता है। और इसलिए आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन, स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक आत्मनिर्भरता का भी माध्यम है। ये एक होलिस्टिक हेल्थकेयर के लिए हो रहे प्रयासों की एक कड़ी है। होलिस्टिक हेल्थकेयर यानि जो सभी के लिए सुलभ हो, जो सस्ता हो और सबकी पहुंच में हो। होलिस्टिक हेल्थकेयर यानि जहां हेल्थ के साथ ही वेलनेस पर भी फोकस हो। स्वच्छ भारत अभियान, जल जीवन मिशन, उज्जवला योजना, पोषण अभियान, मिशन इंद्रधनुष, ऐसे अनेक अभियानों ने देश के करोड़ों गरीबों को बीमारी से बचाया है, उन्हें बीमार होने से बचाया है। आयुष्मान भारत योजना ने दो करोड़ से ज्यादा गरीबों का अस्पताल में मुफ्त इलाज भी करवाया है। इलाज से जुड़ी अनेक परेशानियों को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के ज़रिए हल किया जा रहा है।
भाइयों और बहनों,
हमसे पहले बरसों तक जो सरकार में रहे, उनके लिए स्वास्थ्य सेवा, पैसा कमाने, घोटाले का जरिया रही है। गरीब की परेशानी देखकर भी, वो उनसे दूर भागते रहे। आज केंद्र और राज्य में वो सरकार है जो गरीब, दलित, शोषित-वंचित, पिछड़े, मध्यम वर्ग, सभी का दर्द समझती है। देश में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने के लिए हम दिन-रात एक कर रहे हैं। पहले जनता का पैसा घोटालों में जाता था, ऐसे लोगों की तिजोरियों में जाता था, आज बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स में पैसा लग रहा है। इसलिए आज इतिहास की सबसे बड़ी महामारी से भी देश निपट रहा है और आत्मनिर्भर भारत के लिए लाखों करोड़ रुपए का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बना रहा है।
साथियों,
मेडिकल सुविधाएं बढ़ाने के लिए बहुत आवश्यक है कि डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या भी उतनी ही तेजी से बढ़े। यूपी में जिस तेजी के साथ नए मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं, उसका बहुत अच्छा प्रभाव मेडिकल की सीटों और डॉक्टरों की संख्या पर पड़ेगा। ज्यादा सीटें होने की वजह से अब गरीब माता-पिता का बच्चा भी डॉक्टर बनने का सपना देख सकेगा और उसे पूरा कर सकेगा।
भाइयों और बहनों,
आजादी के बाद 70 साल में देश में जितने डॉक्टर मेडिकल कॉलेजों से पढ़कर निकले हैं, उससे ज्यादा डॉक्टर अगले 10-12 वर्षों में देश को मिलने जा रहे हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि मेडिकल क्षेत्र में कितना बड़ा काम देश में हो रहा है। जब ज्यादा डॉक्टर होंगे तो देश के कोने-कोने में, गांव-गांव में उतनी ही आसानी से डॉक्टर उपलब्ध होंगे। यही नया भारत है जहां अभाव से आगे बढ़कर हर आकांक्षा की पूर्ति के लिए दिन-रात काम किया जा रहा है।
भाइयों और बहनों,
अतीत में चाहे देश में हो या फिर उत्तर प्रदेश में, जिस प्रकार काम हुआ, अगर वैसे ही काम होता तो आज काशी की स्थिति क्या होती ? दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी को, भारत की सांस्कृतिक धरोहर की प्रतीक काशी को इन्होंने अपने हाल पर छोड़ रखा था। वो लटकते बिजली के तार, उबड़-खाबड़ सड़कें, घाटों और गंगा मैया की दुर्दशा, जाम, प्रदूषण, अव्यवस्था, यही सबकुछ चलता रहा। आज काशी का हृदय वही है, मन वही है, लेकिन काया को सुधारने का ईमानदारी से प्रयास हो रहा है। जितना काम वाराणसी में पिछले 7 साल में हुआ है, उतना पिछले कई दशकों में नहीं हुआ।
भाइयों और बहनों,
रिंग रोड के अभाव में काशी में जाम की क्या स्थिति होती थी, इसे आपने सालों साल अनुभव किया है। ‘नो एंट्री’ के खुलने का इंतज़ार तो बनारस वालों की आदत बन गया था। अब रिंग रोड बनने से प्रयागराज, लखनऊ, सुल्तानपुर, आजमगढ़, गाजीपुर, गोरखपुर, दिल्ली, कोलकाता, कहीं भी आना-जाना हो तो शहर में आ करके शहर वालों को परेशान करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी । यही नहीं, रिंग रोड अब गाज़ीपुर के बिरनोन तक फोर लेन नेशनल हाईवे से जुड़ गई है। जगह-जगह सर्विस रोड की सुविधाएं भी दी गई हैं। इससे अनेक गांवों के साथ-साथ प्रयागराज, लखनऊ, गोरखपुर और बिहार, नेपाल तक आवाजाही सुविधानजक हो गई है। इससे यात्रा तो आसान होगी ही, व्यापार-कारोबार को गति मिलेगी, ट्रांसपोर्ट की कीमत कम होगी।
भाईयों और बहनों,
जब तक देश में एक डेडीकेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण ना हो, तब तक विकास की गति अधूरी रहती है। वरुणा नदी पर दो पुल बनने से दर्जनों गांवों के लिए अब शहर आना-जाना आसान हुआ है। इससे एयरपोर्ट आने जाने वाले प्रयागराज, भदोही और मिर्जापुर के लोगों को बहुत सुविधा होगी। कालीन उद्योग से जुड़े साथियों को भी लाभ होगा और मां विन्ध्यवासिनी के दर्शन करने के लिए एयरपोर्ट से सीधे मिर्जापुर जाने के इच्छुक मां भक्तों को भी सुविधा मिलेगी। सड़कों, पुलों, पार्किंग स्थलों से जुड़े ऐसे अनेक प्रोजेक्ट्स आज काशीवासियों को समर्पित किए गए हैं, जिससे शहर और आसपास जीवन और अधिक सुगम होगा। रेलवे स्टेशन पर बने आधुनिक एग्जीक्यूटिव लाउंज से यात्रियों की सहूलियत और बढ़ेगी।
साथियों,
गंगा जी की स्वच्छता और निर्मलता के लिए बीते सालों में व्यापक काम किया जा रहा है, जिसका परिणाम आज हम आज अनुभव भी कर रहे हैं। घरों से गंदा पानी गंगा जी में ना जाए, इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। अब रामनगर में 5 नालों से बहने वाले सीवेज को ट्रीट करने के लिए आधुनिक ट्रीटमेंट प्लांट काम करना शुरु कर चुका है। इससे आसपास की 50 हज़ार से अधिक आबादी को सीधा लाभ हो रहा है। गंगा जी ही नहीं, बल्कि वरुणा की स्वच्छता को लेकर भी प्राथमिकता के आधार पर काम हो रहा है। लंबे समय तक उपेक्षा का शिकार रही वरुणा, अपना अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच चुकी थी। वरुणा को बचाने के लिए ही चैनलाइजेशन की योजना पर काम किया गया। आज स्वच्छ जल भी वरुणा में पहुंच रहा है, 13 छोटे-बड़े नालों को भी ट्रीट किया जा रहा है। वरुणा के दोनों किनारे पाथवे, रेलिंग, लाईटिंग, पक्के घाट, सीढ़ियां, ऐसी अनेक सुविधाओं का भी निर्माण पूरा हो रहा है।
साथियों,
काशी आध्यात्म के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भी एक अहम केंद्र है। काशी सहित संपूर्ण पूर्वांचल के किसानों की उपज को देश-विदेश के बाज़ारों तक पहुंचाने के लिए बीते सालों में अनेक सुविधाएं विकसित की गई हैं। पैरिशेबल कार्गो सेंटर्स से लेकर पैकेजिंग और प्रोसेसिंग का आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को यहां विकसित किया गया है। इसी कड़ी में लाल बहादुर शास्त्री फ्रूट एंड वेजिटेबल मार्केट का आधुनिकीकरण हुआ है, जो रेनोवेशन हुआ है, उससे किसानों को बहुत सुविधा होने वाली है। शहंशाहपुर में बॉयो- सीएनजी प्लांट के बनने से बायोगैस भी मिलेगी और हज़ारों मैट्रिक टन ऑर्गनिक खाद भी किसानों को उपलब्ध होगी।
भाइयों और बहनों,
बीते सालों की एक और बड़ी उपलब्धि अगर काशी की रही है, तो वो है BHU का फिर से दुनिया में श्रेष्ठता की तरफ अग्रसर होना। आज टेक्नॉलॉजी से लेकर हेल्थ तक, BHU में अभूतपूर्व सुविधाएं तैयार हो रही हैं। देशभर से यहां युवा साथी पढ़ाई के लिए आ रहे हैं। यहां सैकड़ों छात्र-छात्राओं के लिए जो आवासीय सुविधाएं बनी हैं, वो युवा साथियों को बेहतर करने में मददगार सिद्ध होगी। विशेष रूप से सैकड़ों छात्राओं के लिए जो होस्टल की सुविधा तैयार हुई है, उससे मालवीय जी के विजन को साकार करने में और बल मिलेगा। बेटियों को उच्च और आधुनिक शिक्षा देने के लिए जिस संकल्प के साथ वो जीयें, उसको सिद्ध करने में हमें मदद मिलेगी।
भाइयों और बहनों,
विकास के ये सभी प्रोजेक्ट आत्मनिर्भरता के हमारे संकल्प को सिद्ध करने वाले हैं। काशी और ये पूरा क्षेत्र तो मिट्टी के अद्भुत कलाकारों, कारीगरों और कपड़े पर जादूगरी बिखेरने वाले बुनकरों के लिए जाना जाता है। सरकार के प्रयासों से बीते 5 साल में वाराणसी में खादी और दूसरे कुटीर उद्योगों के उत्पादन में लगभग 60 प्रतिशत और बिक्री में लगभग 90 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसलिए एक बार फिर मैं यहां से सभी देशवासियों से आग्रह करुंगा कि इस दीवाली हमें, अपने इन साथियों की दीपावली का भी ध्यान रखना है। अपने घर की सजावट से लेकर, अपने कपड़ों और दीवाली के दीयों तक, लोकल के लिए हमें वोकल रहना है। धन तेरस से लेकर दीवाली तक लोकल की जमकर खरीदारी करेंगे तो, सबकी दीवाली खुशियों से भर जाएगी। और जब मैं लोकल से वोकल की बात करता हूँ, तो मैनें देखा है कि हमारे टीवी वाले भी सिर्फ मिट्टी के दीये दिखाते हैं। वोकल फॉर लोकल सिर्फ दीयों तक सीमित नहीं है भई, हर चीज़ में वो उत्पादन जिसमें मेरे देशवासियों का पसीना है, जिस उत्पादन में मेरे देश की मिट्टी की सुगंध है, वो मेरे लिए है। और एक बार हमारी आदत बन जाएगी देश की चीज़े खरीदने की तो उत्पादन भी बढ़ेगा, रोजगार भी बढ़ेगा, गरीब से गरीब को काम भी मिलेगा और यह काम सब मिल करके कर सकते हैं, सबके प्रयास से बहुत बड़ा परिवर्तन हम लोग ला सकते हैं।
साथियों,
एक बार फिर आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के लिए पूरे देश को और विकास के अनेक प्रोजेक्ट्स के लिए काशी को, बहुत-बहुत बधाई। आप सबको आने वाले सभी त्योहारों की फिर से एक बार अनेक- अनेक अग्रिम शुभकामनाएं बहुत- बहुत धन्यवाद !