"भारत के आह्वान पर 180 से अधिक देशों का एक साथ आना ऐतिहासिक और अभूतपूर्व है"
"जो हमें एकजुट करता है, वह योग है"
"योग एक स्वस्थ और शक्तिशाली समाज बनाता है जहां सामूहिक ऊर्जा बहुत अधिक होती है"
"भारत की संस्कृति और सामाजिक संरचना, इसकी आध्यात्मिकता और आदर्श, और इसके दर्शन और दृष्टि ने हमेशा उन परंपराओं को पोषित किया है जो एकता के सूत्र में पिरोती हैं, एक दूसरे को अपनाती और गले लगाती हैं"
"योग हमें उस चेतना से जोड़ता है जो हमें जीवमात्र की एकजुटता का एहसास कराती है"
"योग से हम निष्काम कर्म को जानते हैं, कर्म से कर्मयोग तक का सफर तय करते हैं"
"हमारा शारीरिक बल, हमारा मानसिक विस्तार विकसित भारत का आधार बनेगा"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, 2023 के राष्ट्रीय उत्सव को संबोधित किया। उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने मध्य प्रदेश के जबलपुर में 9वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 के राष्ट्रीय उत्सव का नेतृत्व किया।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर नागरिकों को अपनी शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे एक वीडियो संदेश के माध्यम से उनसे जुड़ रहे हैं, क्योंकि वे वर्तमान में कई प्रतिबद्धताओं के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा कर रहे हैं और यह पिछले अवसरों से भिन्न है, क्योंकि वे योग दिवस के मौके पर यहां मौजूद रहते थे।

प्रधानमंत्री ने बताया कि वे भारतीय समयानुसार शाम करीब साढ़े पांच बजे संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में योग कार्यक्रम में शामिल होंगे। उन्होंने कहा, “भारत के आह्वान पर 180 से अधिक देशों का एक साथ आना ऐतिहासिक और अभूतपूर्व है।” उन्होंने 2014 में रिकॉर्ड संख्या में देशों के समर्थन को याद किया जब योग दिवस का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग को एक वैश्विक आंदोलन और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से एक वैश्विक उत्साह बनाने के लिए पेश किया गया था।

योग दिवस को और भी खास बनाने वाले 'ओशन रिंग ऑफ योग' की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह योग की अवधारणा और समुद्र के विस्तार के आपसी संबंध पर आधारित है। श्री मोदी ने जल स्रोतों का उपयोग कर सेना के जवानों द्वारा बनाई गई 'योग भारतमाला और योग सागरमाला' पर भी प्रकाश डाला। इसी तरह, प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत के आर्कटिक से अंटार्कटिका तक के दो अनुसंधान आधार यानी पृथ्वी के दो ध्रुव भी योग से जुड़े हुए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस अनोखे उत्सव में देश और दुनिया के करोड़ों लोगों का इतने सहज तरीके से शामिल होना योग की विशालता और प्रसिद्धि को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री ने ऋषियों को उद्धृत करते हुए समझाया, "जो हमें एकजुट करता है, वह योग है।" उन्होंने यह भी कहा कि योग का प्रचार इस विचार का विस्तार है कि पूरी दुनिया एक परिवार के रूप में शामिल है। इस साल भारत की अध्यक्षता में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन के लिए 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' की थीम पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि योग का प्रचार 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना का प्रचार है। उन्होंने कहा, "आज दुनिया भर में करोड़ों लोग 'वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग' की थीम पर एक साथ योग कर रहे हैं।"

प्रधानमंत्री ने योग शास्त्रों का हवाला देते हुए कहा कि योग से स्वास्थ्य, स्फूर्ति और शक्ति प्राप्त होती है और जो लोग वर्षों से नियमित रूप से इस अभ्यास में लगे हैं, उन्होंने इसकी ऊर्जा को महसूस किया है। व्यक्तिगत और पारिवारिक स्तर पर अच्छे स्वास्थ्य के महत्व के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि योग एक स्वस्थ और शक्तिशाली समाज बनाता है, जहां सामूहिक ऊर्जा बहुत अधिक होती है। उन्होंने स्वच्छ भारत और स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियानों पर प्रकाश डाला, जिन्होंने आत्मनिर्भर राष्ट्र के निर्माण और देश की सांस्कृतिक पहचान को बहाल करने में मदद की है। उन्होंने कहा कि देश और इसके युवाओं का इस ऊर्जा में बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा, "आज देश की सोच बदली है, जिससे लोगों के साथ-साथ उनके जीवन में भी बदलाव आया है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की संस्कृति और सामाजिक संरचना, इसकी आध्यात्मिकता और आदर्शों, और इसके दर्शन और दृष्टि ने हमेशा उन परंपराओं का पोषण किया है जो एकता के सूत्र में पिरोती हैं, एक दूसरे को अपनाती हैं और गले लगाती हैं। श्री मोदी ने देश की प्रतिष्ठित समृद्ध विविधता पर प्रकाश डालते हुए यह भी कहा कि भारतीयों ने नए विचारों का स्वागत किया है और उन्हें संरक्षित किया है। उन्होंने कहा कि योग ऐसे उत्साह का पोषण करता है, आंतरिक दृष्टि का विस्तार करता है और हमें उस चेतना से जोड़ता है जो हमें जीव के प्रति प्रेम का आधार देते हुए जीव की एकता का आभास कराती है। प्रधानमंत्री ने कहा, इसलिए, हमें योग के माध्यम से अपने अंतर्विरोधों, रुकावटों और प्रतिरोधों को खत्म करना होगा। उन्होंने कहा, "हमें 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को दुनिया के सामने एक उदाहरण के रूप में पेश करना है।"

संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने योग के बारे में एक श्लोक उद्धृत करते हुए कहा कि कर्म में कौशल ही योग है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आजादी के अमृत काल में यह मंत्र सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और योग की सिद्धि तब प्राप्त होती है जब व्यक्ति वास्तव में अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित होता है। श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा, "योग के माध्यम से, हम निःस्वार्थ कर्म को जानते हैं, हम कर्म से कर्मयोग तक की यात्रा तय करते हैं।" उन्होंने कहा कि योग से हम अपने स्वास्थ्य में सुधार करेंगे और इन संकल्पों को भी आत्मसात करेंगे। प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष के रूप में कहा, "हमारी शारीरिक शक्ति, हमारा मानसिक विस्तार एक विकसित भारत का आधार बनेगा।

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Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.