क्यों न हम NarendraModi App पर एक permanent book’s corner ही बना दें और जब भी हम नई किताब पढ़ें, उसके बारे में वहाँ लिखें, चर्चा करें और देशवासी हमारे इस book’s corner के लिए, कोई अच्छा सा नाम भी suggest कर सकते हैं: मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी
पानी के विषय में इन दिनों हिन्दुस्तान के दिलों को झकझोर दिया है, जल संरक्षण को लेकर, देशभर में अनेक विद, प्रभावी प्रयास चल रहे हैं: मन की बात में पीएम मोदी
North East का खूबसूरत राज्य मेघालय, देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने अपनी जल-नीति, water policy तैयार की है, मैं वहाँ की सरकार को बधाई देता: मन की बात में प्रधानमंत्री
आज मुझे कुछ बच्चों के बारे में बात करने का मन करता है इन बच्चों ने अपनी ज़िंदगी की जंग में, ना केवल कैंसर को, कैंसर जैसी घातक बीमारी को पराजित किया है बल्कि अपने कारनामे से पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है: मन_की_बात में प्रधानमंत्री मोदी
Space की दृष्टि से 2019 भारत के लिए बहुत अच्छा साल रहा है: मन_की_बात में पीएम मोदी
Chandrayaan-2, चाँद के बारे में हमारी समझ को और भी स्पष्ट करेगा, इससे हमें चाँद के बारे में ज्यादा विस्तार से जानकारियाँ मिल सकेंगी: मन_की_बात में प्रधानमंत्री
Chandryaan-2 पूरी तरह से भारतीय रंग में ढ़ला है, यह Heart and Spirit से भारतीय है, पूरी तरह से एक स्वदेशी मिशन है: प्रधानमंत्री मोदी
जिस प्रकार हमारे वैज्ञानिकों ने, रिकॉर्ड समय में, दिन-रात एक करके सारे Technical issues को ठीक कर Chandryaan-2 को launch किया, वह अपने आप में अभूतपूर्व है: पीएम मोदी
हमारी मन की बातों ने स्वच्छता अभियान को समय समय पर गति दी है और इसी तरह से स्वच्छता के लिए किए जा रहे प्रयासों ने भी ‘मन की बात’ को हमेशा ही प्रेरणा दी है: प्रधानमंत्री
जिस प्रकार से ODF से लेकर सार्वजनिक स्थलों तक स्वच्छता अभियान में सफलता मिली है, वो 130 करोड़ देशवासियों के संकल्प की ताकत है: मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी
हमारे लिए बहुत जरुरी है कि Waste to wealth बनाने का culture हमारे समाज में Develop हो: मन की बात में पीएम मोदी
हमें कचरे से कंचन बनाने की दिशा में आगे बढ़ना है: मन की बात में प्रधानमंत्री
विकास की शक्ति बम-बंदूक की शक्ति पर हमेशा भारी पड़ती है: मन_की_बात में प्रधानमंत्री मोदी
सावन महीने की जब बात हो रही है, तो आपको यह जानकर बहुत खुशी होगी कि इस बार अमरनाथ यात्रा में पिछले 4 वर्षों में सबसे ज़्यादा श्रद्धालु शामिल हुए हैं: मन_की_बात में पीएम मोदी
बाढ़ के संकट में घिरे उन सभी लोगों को मैं आश्वस्त करता हूँ, कि केंद्र, राज्य सरकारों के साथ मिलकर, प्रभावित लोगों को हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराने का काम बहुत तेज गति से कर रहा है: मन_की_बात में प्रधानमंत्री
बारिश, ताजगी और खुशी यानी – Freshness और Happiness दोनों ही अपने साथ लाती है: मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | ‘मन की बात’ हमेशा की तरह, मेरी तरफ से भी और आपकी तरफ से भी एक प्रतीक्षा रहती है | इस बार भी मैंने देखा कि बहुत सारे पत्र, comments, phone call  मिले हैं – ढ़ेर सारी कहानियां हैं, सुझाव हैं, प्रेरणा हैं – हर कोई कुछ ना कुछ करना चाहता है और कहना भी चाहता है – एक जज़्बा महसूस होता है और इन सभी में बहुत कुछ है, जो मैं समेटना चाहूँगा, लेकिन, समय की सीमा है, इसलिये समेट भी नहीं पाता हूँ | ऐसा लग रहा है कि आप मेरी बहुत कसौटी कर रहे हैं | फिर भी, आप ही की बातों को, इस ‘मन की बात’ के धागे में पिरोकर के फिर से एक बार आपको बांटना चाहता हूँ |

आपको याद होगा पिछली बार मैंने प्रेमचंद जी की कहानियों की एक पुस्तक के बारे में चर्चा की थी और हमने तय किया था कि जो भी बुक पढ़ें, उसके बारे में कुछ बातें NarendraModi App के माध्यम से सबके साथ share करें | मैं देख रहा था कि बड़ी संख्या में लोगों ने अनेक प्रकार के पुस्तकों की जानकारी साझा की हैं | मुझे अच्छा लगा कि लोग science, technology, innovation, इतिहास, संस्कृति, business, जीवन चरित्र, ऐसे कई विषयों पर लिखी गयी किताबों पर और उसको लेकर चर्चा कर रहे हैं | कुछ लोगों ने तो मुझे यह भी सलाह दी है कि मैं कई और पुस्तकों के बारे में बात करूँ | ठीक है, मैं जरुर कुछ और पुस्तकों के बारे में आपसे बात करूँगा | लेकिन एक बात मुझे स्वीकारनी होगी कि अब मैं बहुत ज्यादा किताब पढ़ने में समय नहीं दे पा रहा हूँ | लेकिन एक फायदा जरुर हुआ है, कि आप लोग जो लिख करके भेजते हैं तो कई किताबों के विषय में मुझे जानने का जरुर अवसर मिल रहा है | लेकिन ये जो, पिछले एक महीने का अनुभव है, उससे मुझे लगता कि इसको  हमने आगे बढ़ाना है | क्यों ना हम NarendraModi App पर एक permanent book’s corner ही बना दें और जब भी हम नई किताब पढ़ें, उसके बारे में वहाँ लिखें, चर्चा करें और आप हमारे इस book’s corner के लिए, कोई अच्छा सा नाम भी suggest कर सकते हैं | मैं चाहता हूँ कि यह book’s corner पाठकों और लेखकों के लिए, एक सक्रिय मंच बन जाये | आप पढ़ते-लिखते रहें और ‘मन की बात’ के सारे साथियों के साथ साझा भी करते रहें |

साथियो, ऐसा लगता है कि जल संरक्षण - ‘मन की बात’ में जब मैंने इस बात को स्पर्श किया था, लेकिन शायद आज मैं अनुभव कर रहा हूँ कि मेरे कहने से पहले भी जल संरक्षण ये आपके दिल को छूने वाला विषय था, सामान्य मानवी की पसंदीदा विषय था | और मैं  अनुभव कर रहा हूँ कि पानी के विषय में इन दिनों हिन्दुस्तान के दिलों को झकझोर दिया है | जल संरक्षण को लेकर, देशभर में अनेक विद, प्रभावी प्रयास चल रहे हैं | लोगों ने पारंपरिक तौर-तरीकों के बारे में जानकारियाँ तो share की हैं | मीडिया ने जल संरक्षण पर कई innovative campaign शुरू किये हैं | सरकार हो, NGOs हो - युद्ध स्तर पर कुछ-ना-कुछ कर रहे हैं | सामूहिकता का सामर्थ्य देखकर, मन को बहुत अच्छा लग रहा है, बहुत संतोष हो रहा है | जैसे, झारखण्ड में रांची से कुछ दूर, ओरमांझी प्रखण्ड के आरा केरम गाँव में, वहाँ के ग्रामीणों ने जल प्रबंधन को लेकर जो हौंसला दिखाया है, वो हर किसी के लिए मिसाल बन गया है | ग्रामीणों ने, श्रम दान करके पहाड़ से बहते झरने को, एक निश्चित दिशा देने का काम किया | वो भी शुद्ध देसी तरीका | इससे ना केवल मिट्टी का कटाव और फसल की बर्बादी रुकी है, बल्कि खेतों को भी पानी मिल रहा है | ग्रामीणों का ये श्रम दान, अब पूरे गाँव के लिए जीवन दान से कम नहीं है | आप सबको यह जानकर भी बहुत खुशी होगी कि North East का खूबसूरत राज्य मेघालय देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने अपनी जल-नीति, water policy तैयार की है | मैं वहाँ की सरकार को बधाई देता हूँ |

हरियाणा में, उन फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिनमें कम पानी की जरुरत होती है और किसान का भी कोई नुकसान नहीं होता है | मैं हरियाणा सरकार को विशेष रूप से बधाई देना चाहूंगा कि उन्होंने किसानों के साथ संवाद करके, उन्हें परम्परागत खेती से हटकर, कम पानी वाली फसलों के लिए प्रेरित किया |

अब तो त्योहारों का समय आ गया है | त्योहारों के अवसर पर कई मेले भी लगते हैं | जल संरक्षण के लिए क्यों ना इस मेलों का भी उपयोग करें | मेलों में समाज के हर वर्ग के लोग पहुँचते हैं | इन मेलों में पानी बचाने का सन्देश हम बड़े ही प्रभावी ढंग से दे सकते हैं, प्रदर्शनी लगा सकते हैं, नुक्कड़ नाटक कर सकते हैं, उत्सवों के साथ-साथ जल संरक्षण का सन्देश बहुत आसानी से हम पहुँचा सकते हैं |

साथियो, जीवन में कुछ बातें हमें उत्साह से भर देती हैं और  विशेष रूप से बच्चों की उपलब्धियां, उनके कारनामे, हम सबको नई ऊर्जा देते हैं और इसलिए आज मुझे, कुछ बच्चों के बारे में, बात करने का मन करता है और ये बच्चे हैं निधि बाईपोटु, मोनीष जोशी, देवांशी रावत, तनुष जैन, हर्ष देवधरकर, अनंत तिवारी, प्रीति नाग, अथर्व देशमुख, अरोन्यतेश गांगुली और हृतिक अला-मंदा |

मैं इनके बारे में जो बताऊंगा, उससे आप भी, गर्व और जोश से भर जायेंगे | हम सब जानते हैं कि कैंसर एक ऐसा शब्द है जिससे पूरी दुनिया डरती है | ऐसा लगता है, मृत्यु द्वार पर खड़ी है, लेकिन इन सभी दस बच्चों ने, अपनी ज़िंदगी की जंग में, ना केवल कैंसर को, कैंसर जैसी घातक बीमारी को पराजित किया है बल्कि अपने कारनामे से पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है | खेलों में हम अक्सर देखते हैं कि खिलाड़ी tournament जीतने या मैडल हांसिल करने के बाद champion बनते हैं, लेकिन यह एक दुर्लभ अवसर रहा, जहाँ ये लोग, खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से पहले ही champion थे और वो भी ज़िंदगी की जंग के champion |

दरअसल, इसी महीने Moscow में World Children’s winners games का आयोजन हुआ | यह एक ऐसा अनोखा sports tournament है, जिसमें young cancer survivors यानी जो लोग अपने जीवन में कैंसर से लड़कर बाहर निकले हैं, वे ही हिस्सा लेते हैं | इस प्रतियोगिता में Shooting, Chess, Swimming, Running, Football और Table Tennis जैसी स्पर्द्धाओं का आयोजन किया गया | हमारे देश के इन सभी दस champions ने इस tournament में मैडल जीते | इनमें से कुछ खिलाड़ियों ने तो एक से ज्यादा खेलों में मैडल जीते |

मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे पूरा विश्वास है कि आपको आसमान के भी पार, अंतरिक्ष में, भारत की सफलता के बारे में, जरुर गर्व हुआ होगा – Chandrayaan-two |

राजस्थान के जोधपुर से संजीव हरीपुरा, कोलकाता से महेंद्र कुमार डागा, तेलंगाना से पी. अरविन्द राव, ऐसे अनेक, देशभर के अलग-अलग भागों से, कई लोगों ने, मुझे NarendraModi App और MyGov पर लिखा है और उन्होंने ‘मन की बात’ में Chandrayaan-two के बारे में चर्चा करने का आग्रह किया है |

दरअसल, Space की दृष्टि से 2019 भारत के लिए बहुत अच्छा साल रहा है | हमारे वैज्ञानिकों ने, मार्च में, A-Sat launch किया था और उसके बाद Chandrayaan-two चुनाव की आपाधापी में उस समय A-Sat जैसी बड़ी और महत्वपूर्ण खबर की ज्यादा चर्चा नहीं हो पाई थी | जबकि हमने A-Sat मिसाइल से, महज़ तीन मिनट में, तीन-सौ किलोमीटर दूर Satellite को मार गिराने की क्षमता हासिल की | यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत, दुनिया का, चौथा देश बना और अब, 22 जुलाई को पूरे देश ने, गर्व के साथ देखा, कि कैसे  Chandrayaan-two ने श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष की ओर अपने कदम बढ़ाए | Chandrayaan-two के प्रक्षेपण की तस्वीरों ने देशवासियों को गौरव और जोश से, प्रसन्नता से, भर दिया |

Chandrayaan-two, यह मिशन कई मायनों में विशेष है | Chandrayaan-two, चाँद के बारे में हमारी समझ को और भी स्पष्ट करेगा | इससे हमें चाँद के बारे में ज्यादा विस्तार से जानकारियाँ मिल सकेंगी लेकिन, अगर आप मुझसे पूछें कि Chandrayaan-two से मुझे कौन-सी दो बड़ी सीख मिली, तो मैं कहूँगा, ये दो सीख हैं – Faith और Fearlessness यानी विश्वास और निर्भीकता | हमें, अपने talents और capacities पर भरोसा होना चाहिए, अपनी प्रतिभा और क्षमता पर विश्वास करना चाहिए | आपको ये जानकार ख़ुशी होगी कि Chandryaan-two पूरी तरह से भारतीय रंग में ढ़ला है | यह Heart and Spirit से भारतीय है | पूरी तरह से एक स्वदेशी मिशन है | इस मिशन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब बात नए-नए क्षेत्र में कुछ नया कर गुजरने की हो, Innovative Zeal की हो, तो हमारे वैज्ञानिक सर्वश्रेष्ठ हैं, विश्व-स्तरीय हैं |

दूसरा, महत्वपूर्ण पाठ यह है कि किसी भी व्यवधान से घबराना नहीं चाहिए | जिस प्रकार हमारे वैज्ञानिकों ने, रिकॉर्ड समय में, दिन-रात एक करके सारे Technical issues को ठीक कर Chandryaan-two को launch किया, वह अपने आप में अभूतपूर्व है | वैज्ञानिकों की इस महान तपस्या को पूरी दुनिया ने देखा | इस पर हम सभी को गर्व होना चाहिए और व्यवधान के बावजूद भी पहुँचने का समय उन्होंने बदला नहीं इस बात का भी बहुतों को आश्चर्य है | हमें अपने जीवन में भी temporary set backs यानी अस्थाई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन, हमेशा याद रखिए इससे पार पाने का सामर्थ्य भी हमारे भीतर ही होता है | मुझे पूरी उम्मीद है कि Chandryaan-two अभियान देश के युवाओं को Science और Innovation के लिए प्रेरित करेगा | आखिरकार विज्ञान ही तो विकास का मार्ग है | अब हमें, बेसब्री से सितम्बर महीने का इंतजार है जब चंद्रमा की सतह पर लैंडर – विक्रम और रोवर – प्रज्ञान की लैंडिंग होगी |

आज ‘मन की बात’ के माध्यम से, मैं, देश के विद्यार्थी दोस्तों के साथ, युवा साथियों के साथ एक बहुत ही दिलचस्प प्रतियोगिता के बारे में, competition के बारे में, जानकारी साझा करना चाहता हूँ और देश के युवक-युवतियों को निमंत्रित करता हूँ – एक Quiz Competition | अंतरिक्ष से जुड़ी जिज्ञासाएं, भारत का space mission, Science और Technology - इस Quiz Competition के मुख्य विषय होंगे, जैसे कि, rocket launch करने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है! Satellite को कैसे Orbit में स्थापित किया जाता है! और Satellite से हम क्या-क्या जानकारियाँ प्राप्त करते हैं! A-Sat क्या होता है! बहुत सारी बातें हैं | MyGov website पर, एक अगस्त को, प्रतियोगिता की details दी जाएगी |

मैं युवा साथियों को, विद्यार्थियों को, अनुरोध करता हूँ कि इस Quiz Competition में भाग लें और अपनी हिस्सेदारी से, इसे दिलचस्प, रोचक और यादगार बनाएँ | मैं स्कूलों से, अभिभावकों से, उत्साही आचार्यों और शिक्षकों से, विशेष आग्रह करता हूँ कि वे अपने स्कूल को विजयी बनाने के लिए भरसक मेहनत करें | सभी विद्यार्थियों को इसमें जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करें और सबसे रोमांचक बात यह है, कि, हर राज्य से, सबसे ज्यादा score करने वाले विद्यार्थियों को, भारत सरकार अपने खर्च पर श्रीहरिकोटा लेकर जाएगी और सितम्बर में उन्हें उस पल का साक्षी बनने का अवसर मिलेगा जब चंद्रयान, चंद्रमा की सतह पर land कर रहा होगा | इन विजयी विद्यार्थियों के लिए उनके जीवन की ऐतिहासिक घटना होगी, लेकिन इसके लिए, आपको Quiz Competition में हिस्सा लेना होगा, सबसे ज्यादा अंक प्राप्त करने होंगे, आपको विजयी होना होगा |

साथियो, मेरा ये सुझाव आपको जरुर अच्छा लगा होगा - है ना मजेदार अवसर ! तो हम Quiz में भाग लेना न भूलें और ज्यादा-से-ज्यादा साथियों को भी प्रेरित करें |  

मेरे प्यारे देशवासियो, आपने एक बात observe करी होगी | हमारी मन की बातों ने स्वच्छता अभियान को समय समय पर गति दी है और इसी तरह से स्वच्छता के लिए किए जा रहे प्रयासों ने भी ‘मन की बात’ को हमेशा ही प्रेरणा दी है | पाँच साल पहले शुरू हुआ सफ़र आज जन-जन की सहभागिता से, स्वच्छता के नए-नए मानदंड स्थापित कर रहा है | ऐसा नहीं है कि हमने स्वच्छता में आदर्श स्थिति हासिल कर ली है, लेकिन जिस प्रकार से ODF से लेकर सार्वजनिक स्थलों तक स्वच्छता अभियान में सफलता मिली है, वो एक-सौ तीस करोड़ देशवासियों के संकल्प की ताक़त है, लेकिन हम, इतने पर रुकने वाले नहीं हैं | ये आंदोलन अब स्वच्छता से सुन्दरता की ओर बढ़ चला है | अभी कुछ दिन पहले ही मैं media में श्रीमान् योगेश सैनी और उनकी टीम की कहानी देख रहा था | योगेश सैनी इंजीनियर हैं और अमेरिका में अपनी नौकरी छोड़कर माँ भारती की सेवा के लिए वापिस आएँ हैं | उन्होंने कुछ समय पहले दिल्ली को स्वच्छ ही नहीं, बल्कि सुन्दर बनाने का बीड़ा उठाया | उन्होंने अपनी टीम के साथ लोधी गार्डन के कूड़ेदानों से शुरुआत की | Street art के माध्यम से, दिल्ली के कई इलाकों को, खूबसूरत paintings से सजाने-संवारने का काम किया | Over Bridge और स्कूल की दीवारों से लेकर झुग्गी-झोपड़ियों तक, उन्होंने अपने हुनर को उकेरना शुरू किया तो लोगों का साथ भी मिलता चला गया और एक प्रकार से यह सिलसिला चल पड़ा | आपको याद होगा कि कुंभ के दौरान प्रयागराज को किस प्रकार street paintings से सजाया गया था | मुझे पता चला भई ! योगेश सैनी ने और उनकी टीम ने उसमें भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी | रंग और रेखाओं में कोई आवाज भले न होती हो, लेकिन इनसे बनी तस्वीरों से जो इन्द्रधनुष बनते हैं, उनका सन्देश हजारों शब्दों से भी कहीं ज्यादा प्रभावकारी सिद्ध होता है और स्वच्छता अभियान की खूबसूरती में भी ये बात हम अनुभव करते हैं | हमारे लिए बहुत जरुरी है कि Waste to wealth बनाने का culture हमारे समाज में Develop हो | एक तरह से कहें, तो हमें कचरे से कंचन बनाने की दिशा में, आगे बढ़ना है |

मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले दिनों, MyGov पर मैंने एक बड़ी ही दिलचस्प टिप्पणी पढ़ी | यह Comment जम्मू-कश्मीर के शोपियां के रहने वाले भाई मुहम्मद असलम का था |

उन्होंने लिखा –    “मन की बात’ कार्यक्रम सुनना अच्छा लगता है | मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मैंने अपने राज्य जम्मू-कश्मीर में Community Mobilization Programme - Back To Village  के आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई | इस कार्यक्रम का आयोजन, जून महीने में हुआ था | मुझे लगता है कि ऐसे कार्यक्रम हर तीन महीने पर आयोजित किये जाने चाहिए | इसके साथ ही, कार्यक्रम की online monitoring की व्यवस्था भी होनी चाहिए | मेरे विचार से, यह अपनी तरह का, ऐसा पहला कार्यक्रम था, जिसमें जनता ने सरकार से सीधा संवाद किया |

भाई मुहम्मद असलम जी ने ये जो सन्देश मुझे भेजा और उसको पढ़ने के बाद ‘Back To Village’ Programme  के बारे में जानने की मेरी उत्सुकता बढ़ गई और जब मैंने इसके बारे में विस्तार से जाना तो मुझे लगा कि पूरे देश को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए | कश्मीर के लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ने को कितने बेताब हैं, कितने उत्साही हैं यह इस कार्यक्रम से पता चलता है | इस कार्यक्रम में, पहली बार बड़े-बड़े अधिकारी सीधे गांवो तक पहुँचे | जिन अधिकारियों को कभी गाँव वालों ने देखा तक नहीं था, वो खुद चलकर उनके दरवाजे तक पहुँचे ताकि विकास के काम में आ रही बाधाओं को समझा जा सके, समस्याओं को दूर किया जा सके | ये कार्यक्रम हफ्ते भर चला और राज्य की सभी लगभग साढ़े चार हजार पंचायतों में सरकारी अधिकारियों ने गाँव वालों को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी | ये भी जाना कि उन तक सरकारी सेवाएँ पहुँचती भी हैं या नहीं | पंचायतों को कैसे और मजबूत बनाया जा सकता है ? उनकी आमदनी को कैसे बढ़ाया जा सकता है ? उनकी सेवाएँ सामान्य मानवी के जीवन में क्या प्रभाव पैदा कर सकती हैं ? गाँव वालों ने भी खुलकर अपनी समस्याओं को बताया | साक्षरता, Sex Ratio, स्वास्थ्य, स्वच्छता, जल संरक्षण, बिजली, पानी, बालिकाओं की शिक्षा, Senior Citizen के प्रश्न, ऐसे कई विषयों पर भी चर्चा हुई |

साथियो, ये कार्यक्रम कोई सरकारी खानापूर्ति नहीं थी कि अधिकारी दिन भर गाँव में घूमकर वापस लौट आएँ लेकिन इस बार अधिकारीयों ने दो दिन और एक रात पंचायत में ही बिताई | इससे उन्हें गाँव में समय व्यतीत करने का मौका मिला | हर किसी से मिलने का प्रयास किया | हर संस्थान तक पहुँचने की कोशिश की | इस कार्यक्रम को interesting  बनाने के लिए कई और चीजों को भी शामिल किया गया | खेलो इंडिया के तहत बच्चों के लिए खेल प्रतियोगिता कराई गई | वहीँ Sports Kits, मनरेगा के job cards और SC/ST Certificates भी बांटे गए | Financial Literacy Camps लगाए गए | Agriculture, Horticulture जैसे सरकारी विभागों की तरफ से Stalls लगाए गए, और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई | एक प्रकार से ये आयोजन, एक विकास उत्सव बन गया, जनभागीदारी का उत्सव बन गया, जन-जागृति का उत्सव बन गया | कश्मीर के लोग विकास के इस उत्सव में खुलकर के भागीदार बने | खुशी की बात ये है कि ‘Back To Village’ कार्यक्रम का आयोजन ऐसे दूर-दराज के गाँवों में भी किया गया, जहाँ पहुँचने में, सरकारी अधिकारियों को दुर्गम रास्तों से होकर पहाड़ियों को चढ़ते-चढ़ते कभी-कभी एक दिन, डेढ़ दिन पैदल यात्रा भी करनी पड़ी | ये अधिकारी उन सीमावर्ती पंचायतों तक भी पहुँचे, जो हमेशा Cross Border फायरिंग के साए में रहते हैं | यही नहीं शोपियां, पुलवामा, कुलगाम और अनंतनाग जिले के अति संवेदनशील इलाके में भी अधिकारी बिना किसी भय के पहुँचे | कई अफसर तो अपने स्वागत से इतने अभिभूत हुए कि वे दो दिनों से अधिक समय तक गाँवों में रुके रहे | इन इलाकों में ग्राम सभाओं का आयोजन होना, उसमें बड़ी संख्या में लोगों का भाग लेना और अपने लिए योजनाएँ तैयार करना, यह सब बहुत ही सुखद है | नया संकल्प, नया जोश और शानदार नतीजे | ऐसे कार्यक्रम और उसमें लोगों की भागीदारी ये बताती है कि कश्मीर के हमारे भाई-बहन Good Governance चाहते हैं | इससे यह भी सिद्ध हो जाता है कि विकास की शक्ति बम-बंदूक की शक्ति पर हमेशा भारी पड़ती है | ये साफ है कि जो लोग विकास की राह में नफरत फैलाना चाहते हैं, अवरोध पैदा करना चाहते हैं, वो कभी अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो सकते |        

मेरे प्यारे देशवासियो, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित श्रीमान दत्तात्रेय रामचंद्र बेंद्रे ने अपनी एक कविता में सावन माह की महिमा कुछ इस प्रकार प्रस्तुत की है |

इस कविता में उन्होंने कहा है –

होडिगे मडिगे आग्येद लग्ना | अदराग भूमि मग्ना |

अर्थात – बारिश की फुहार और पानी की धारा का बंधन अनोखा है और उसके सौंदर्य को देखकर पृथ्वी ‘मग्न’ है |

पूरे भारतवर्ष में अलग-अलग संस्कृति और भाषाओं के लोग सावन के महीने को अपने-अपने तरीके से celebrate करते हैं | इस मौसम में हम जब भी अपने आसपास देखते हैं तो ऐसा लगता है मानो धरती ने हरियाली की चादर ओढ़ ली हो | चारों ओर, एक नई ऊर्जा का संचार होने लगता है | इस पवित्र महीने में कई श्रद्धालु कांवड़ यात्रा और अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं, जबकि कई लोग, नियमित रूप से उपवास करते हैं और उत्सुकतापूर्वक जन्माष्टमी और नाग पंचमी जैसे त्योहारों का इंतजार करते हैं | इस दौरान ही भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार भी आता है | सावन महीने की जब बात हो रही है, तो आपको यह जानकर बहुत खुशी होगी कि इस बार अमरनाथ यात्रा में पिछले चार वर्षों में सबसे ज़्यादा श्रद्धालु शामिल हुए हैं | 1 जुलाई से अब तक तीन लाख से अधिक तीर्थयात्री पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन कर चुके हैं | 2015 में पूरे 60 दिनों तक तक चलने वाली इस यात्रा में जितने तीर्थयात्री शामिल हुए थे, उससे अधिक इस बार सिर्फ 28 दिनों में शामिल हो चुके हैं |

अमरनाथ यात्रा की सफलता के लिए, मैं खासतौर पर जम्मू-कश्मीर के लोगों और उनकी मेहमान-नवाजी की भी प्रशंसा करना चाहता हूँ | जो लोग भी यात्रा से लौटकर आते हैं, वे राज्य के लोगों की गर्मजोशी और अपनेपन की भावना के कायल हो जाते हैं | ये सारी चीज़ें भविष्य में पर्यटन के लिए बहुत लाभदायक साबित होने वाली हैं | मुझे बताया गया है कि उत्तराखंड में भी इस वर्ष जब से चारधाम यात्रा शुरू हुई है, तब से डेढ़ महीने के भीतर 8 लाख से अधिक श्रद्धालु, केदारनाथ धाम के दर्शन कर चुके हैं | 2013 में आई भीषण आपदा के बाद, पहली बार, इतनी रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्री वहाँ पहुंचें  हैं |

मेरी आप सभी से अपील है कि देश के उन हिस्सों में आप जरुर जाएं, जिनकी खूबसूरती, मानसून के दौरान देखते ही बनती है |

अपने देश की इस खूबसूरती को देखने और अपने देश के लोगों के जज्बे को समझने के लिए, tourism और यात्रा, शायद, इससे बड़ा कोई शिक्षक नहीं हो सकता है |

मेरी, आप सभी को शुभकामना है कि सावन का यह सुंदर और जीवंत महीना आप सबमें नई ऊर्जा, नई आशा और नई उम्मीदों का संचार करे | उसी प्रकार से अगस्त महीना ‘भारत छोड़ो’ उसकी याद ले करके आता है | मैं चाहूँगा कि 15 अगस्त की कुछ विशेष तैयारी करें आप लोग | आजादी के इस पर्व को मनाने का नया तरीका ढूढें | जन भागीदारी बढ़ें | 15 अगस्त लोकोत्सव कैसे बने ? जनोत्सव कैसे बने ? इसकी चिंता जरुर करें आप | दूसरी ओर यही वह समय है, जब देश के कई हिस्सों में भारी बारिश हो रही है | कई हिस्सों में देशवासी बाढ़ से प्रभावित हैं | बाढ़ से कई प्रकार के नुकसान भी उठाने पड़ते हैं | बाढ़ के संकट में घिरे उन सभी लोगों को मैं आश्वस्त करता हूँ, कि केंद्र, राज्य सरकारों के साथ मिलकर, प्रभावित लोगों को हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराने का काम बहुत तेज गति से कर रहा है | वैसे जब हम TV देखते हैं तो बारिश का एक ही पहलू दिखता है – सब तरफ बाढ़, भरा हुआ पानी, ट्रैफिक जाम | मानसून की दूसरी तस्वीर – जिसमें आनंदित होता हुआ हमारा किसान, चहकते पक्षी, बहते झरने, हरियाली की चादर ओढ़े धरती – यह देखने के लिए तो आपको खुद ही परिवार के साथ बाहर निकलना पड़ेगा | बारिश, ताजगी और खुशी यानी – Freshness और Happiness दोनों ही अपने साथ लाती है | मेरी कामना है कि यह मानसून आप सबको लगातार खुशियों से भरता रहे | आप सभी स्वस्थ रहें |

मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ – कहाँ शुरू करें, कहाँ रुकें - बड़ा मुश्किल काम लगता है, लेकिन, आखिर समय की सीमा होती है | एक महीने के इंतजार के बाद फिर आऊंगा | फिर मिलूँगा | महीने भर आप मुझे बहुत कुछ बातें बताना | मैं आने वाली ‘मन की बात’ में उसको जोड़ने का प्रयास करूँगा और मेरे युवा साथियों फिर से याद कराता हूँ | आप quiz competition का मौका मत छोड़िये | आप श्रीहरिकोटा जाने का जो अवसर मिलने वाला है इसको किसी भी हालत में जाने मत देना |

आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद | नमस्कार |

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
India emerges as major hub for global capacity centers

Media Coverage

India emerges as major hub for global capacity centers
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!