Quote'मन की बात' जनभागीदारी की अभिव्यक्ति का एक अद्भुत प्लेटफॉर्म बन गया है: पीएम मोदी
Quoteकुछ दिन पहले 'उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार' प्रदान किया गया। ये पुरस्कार संगीत और प्रदर्शन कला के क्षेत्र में उभरते, प्रतिभाशाली कलाकारों को दिए गए: पीएम मोदी
Quoteतेजी से आगे बढ़ रहे हमारे देश में डिजिटल इंडिया की ताकत हर कोने में दिख रही है: पीएम मोदी
Quoteई-संजीवनी ऐप का उपयोग करके अब तक टेली-कंसल्टेंट्स करने वालों की संख्या 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है : पीएम मोदी
Quoteदुनिया के कई देश भारत के UPI की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं। कुछ दिन पहले ही भारत और सिंगापुर के बीच UPI-PayNow लिंक लॉन्च किया गया है: पीएम मोदी
Quoteपश्चिम बंगाल के हुगली जिले के बांसबेरिया में ‘त्रिबेनी कुम्भो मोहोत्शौव’का आयोजन किया गया: मन की बात में पीएम मोदी
Quoteस्वच्छ भारत अभियान ने हमारे देश में जनभागीदारी के मायने बदल दिए हैं: पीएम मोदी
Quote'वेस्ट टू वेल्थ' भी स्वच्छ भारत अभियान का एक महत्वपूर्ण आयाम है: पीएम मोदी

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | ‘मन की बात’ के इस 98वें एपिसोड में आप सभी के साथ जुड़कर मुझे बहुत खुशी हो रही है | century की तरफ बढ़ते इस सफर में, ‘मन की बात’ को, आप सभी ने, जनभागीदारी की अभिव्यक्ति का, अद्भुत platform बना दिया है | हर महीने, लाखों सदेशों में, कितने ही लोगों के ‘मन की बात’ मुझ तक पहुँचती है | आप, अपने मन की शक्ति तो जानते ही हैं, वैसे ही, समाज की शक्ति से कैसे देश की शक्ति बढ़ती है, ये हमने ‘मन की बात’ के अलग-अलग Episodes में देखा है, समझा है, और मैंने अनुभव किया है - स्वीकार भी किया है | मुझे वो दिन याद है, जब हमने ‘मन की बात’ में भारत के पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहन की बात की थी | तुरंत उस समय देश में एक लहर सी उठ गई भारतीय खेलों के जुड़ने की, इनमें रमने की, इन्हें सीखने की | ‘मन की बात’ में, जब, भारतीय खिलौनों की बात हुई, तो देश के लोगों ने,इसे भी, हाथों-हाथ बढ़ावा दे दिया | अब तो भारतीय खिलौनों का इतना craze हो गया है, कि, विदेशों में भी इनकी demand बहुत बढ़ रही है | जब ‘मन की बात’ में हमने story-telling की भारतीय विधाओं पर बात की, तो इनकी प्रसिद्धि भी, दूर-दूर तक पहुँच गई | लोग, ज्यादा से ज्यादा भारतीय story-telling की विधाओं की तरफ आकर्षित होने लगे |

साथियो, आपको याद होगा सरदार पटेल की जयन्ती यानी ‘एकता दिवस’ के अवसर पर ‘मन की बात’ में हमने तीन competitions की बात की थी | ये प्रतियोगिताएं, देशभक्ति पर ‘गीत’,‘लोरी’ और ‘रंगोली’ इससे जुडी थीं | मुझे, यह बताते हुए खुशी है, देशभर के 700 से अधिक जिलों के 5 लाख से अधिक लोगों ने बढ़-चढ़ कर इसमें हिस्सा लिया है | बच्चे, बड़े, बुजुर्ग, सभी ने, इसमें, बढ़-चढ़कर भागीदारी की और 20 से अधिक भाषाओं में अपनी entries भेजी हैं | इन competitions में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई है | आपमें से हर कोई, अपने आप में, एक champion है, कला साधक है | आप सभी ने यह दिखाया है, कि, अपने देश की विविधता और संस्कृति के लिए आपके ह्रदय में कितना प्रेम है |

साथियो, आज इस मौके पर मुझे लता मंगेशकर जी, लता दीदी की याद आना बहुत स्वाभाविक है | क्योंकि जब ये प्रतियोगिता प्रारंभ हुई थी, उस दिन लता दीदी ने tweet करके देशवासियों से आग्रह किया था कि वे इस प्रथा में जरुर जुड़ें |
साथियो, लोरी writing competition में, पहला पुरस्कार, कर्नाटक के चामराजनगर जिले के बी.एम. मंजूनाथ जी ने जीता है | इन्हें ये पुरस्कार कन्नड़ में लिखी उनकी लोरी ‘मलगू कन्दा’ (Malagu Kanda) के लिए मिला है | इसे लिखने की प्रेरणा इन्हें अपनी माँ और दादी के गाए लोरी-गीतों से मिली | आप इसे सुनेंगे तो आपको भी आनंद आएगा |

“सो जाओ, सो जाओ, बेबी,
मेरे समझदार लाडले, सो जाओ,
दिन चला गया है और अन्धेरा है,
निद्रा देवी आ जायेगी,
सितारों के बाग से,
सपने काट लायेगी,
सो जाओ, सो जाओ,
जोजो...जो..जो..
जोजो...जो..जो..”

असम में कामरूप जिले के रहने वाले दिनेश गोवाला जी ने इस प्रतियोगिता में second prize जीता है | इन्होंने जो लोरी लिखी है, उसमें स्थानीय मिट्टी और metal के बर्तन बनाने वाले कारीगरों के popular craft की छाप है |

कुम्हार दादा झोला लेकर आये हैं,
झोले में भला क्या है?
खोलकर देखा कुम्हार के झोले को तो,
झोले में थी प्यारी सी कटोरी!
हमारी गुड़िया ने कुम्हार से पूछा,
कैसी है ये छोटी सी कटोरी!

गीतों और लोरी की तरह ही Rangoli Competition भी काफी लोकप्रिय रहा | इसमें हिस्सा लेने वालों ने एक से बढ़कर एक सुन्दर रंगोली बनाकर भेजी | इसमें winning entry, पंजाब के, कमल कुमार जी की रही | इन्होंने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और अमर शहीद वीर भगत सिंह की बहुत ही सुन्दर रंगोली बनाई | महाराष्ट्र के सांगली के सचिन नरेंद्र अवसारी जी ने अपनी रंगोली में जलियांवाला बाग, उसका नरसंहार और शहीद उधम सिंह की बहादुरी को प्रदर्शित किया | गोवा के रहने वाले गुरुदत्त वान्टेकर जी ने गांधी जी की रंगोली बनाई, जबकि पुदुचेरी के मालातिसेल्वम जी ने भी आजादी के कई महान सेनानियों पर अपना focus रखा | देशभक्ति गीत प्रतियोगिता की विजेता,टी. विजय दुर्गा जी आन्ध्र प्रदेश की हैं | उन्होंने, तेलुगु में अपनी entry भेजी थी | वे अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी नरसिम्हा रेड्डी गारू जी से काफी प्रेरित रही हैं | आप भी सुनिये विजय दुर्गा जी की entry का यह हिस्सा

रेनाडू प्रांत के सूरज,
हे वीर नरसिंह!
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अंकुर हो, अंकुश हो!
अंग्रेजों के न्याय रहित निरंकुश दमन कांड को देख
खून तेरा सुलगा और आग उगला!
रेनाडू प्रांत के सूरज,
हे वीर नरसिंह!

तेलुगु के बाद, अब मैं, आपको, मैथिली में एक clip सुनाता हूँ | इसे दीपक वत्स जी ने भेजा है | उन्होंने भी इस प्रतियोगिता में पुरस्कार जीता है |

भारत दुनियाँ की शान है भैया,
अपना देश महान है,
तीन दिशा समुन्द्र से घिरा,
उत्तर में कैलाश बलवान है,
गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी,
कोशी, कमला बलान है,
अपना देश महान है भैया,
तिरंगे में बसा प्राण है

साथियो, मुझे उम्मीद है, आपको ये पसंद आई होगी | प्रतियोगिता में आयी इस तरह की entries की list बहुत लम्बी है | आप, संस्कृति मंत्रालय की वेबसाईट पर जाकर, इन्हें, अपने परिवार के साथ देखें और सुनें - आपको बहुत प्रेरणा मिलेगी |
मेरे प्यारे देशवासियो, बात बनारस की हो, शहनाई की हो, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जी की हो, तो, स्वाभाविक है कि मेरा ध्यान उस तरफ जाएगा ही | कुछ दिन पहले ‘उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार’ दिए गए | ये पुरस्कार music और performing arts के क्षेत्र में उभर रहे, प्रतिभाशाली कलाकारों को दिए जाते हैं | ये कला और संगीत जगत की लोकप्रियता बढ़ाने के साथ ही इसकी समृद्धि में अपना योगदान दे रहे हैं | इनमें, वे कलाकार भी शामिल हैं, जिन्होंने, उन instruments में नई जान फूंकी है, जिनकी popularity समय के साथ कम होती जा रही थी | अब, आप सभी इस tune को ध्यान से सुनिए ...

क्या आप जानते हैं ये कौन सा instrument है ? संभव है आपको पता न भी हो! इस वाद्यमंत्र का नाम ‘सुरसिंगार’ है और इस धुन को तैयार किया है जॉयदीप मुखर्जी ने | जॉयदीप जी, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार से सम्मानित युवाओं में शामिल हैं | इस instrument की धुनों को सुनना पिछले 50 और 60 के दशक से ही दुर्लभ हो चुका था, लेकिन, जॉयदीप, सुरसिंगार को फिर से Popular बनाने में जी-जान से जुटे हैं | उसी प्रकार बहन उप्पलपू नागमणि जी का प्रयास भी बहुत ही प्रेरक है, जिन्हें Mandolin में Carnatic Instrumental के लिए यह पुरस्कार दिया गया है | वहीँ, संग्राम सिंह सुहास भंडारे जी को वारकरी कीर्तन के लिए यह पुरस्कार मिला है | इस list में सिर्फ संगीत से जुड़े कलाकार ही नहीं है - वी दुर्गा देवी जी ने, नृत्य की एक प्राचीन शैली,‘करकट्टम’ के लिए यह पुरस्कार जीता है | इस पुरस्कार के एक और विजेता, राज कुमार नायक जी ने, तेलंगाना के 31 जिलों में, 101 दिन तक चलने वाली पेरिनी ओडिसी का आयोजन किया था | आज, लोग, इन्हें, पेरिनी राजकुमार के नाम से जानने लगे हैं | पेरिनी नाट्यम, भगवान शिव को समर्पित एक नृत्य है, जो काकतीय Dynasty के दौर में काफी लोकप्रिय था | इस Dynasty की जड़ें आज के तेलंगाना से जुड़ी हैं | एक अन्य पुरस्कार विजेता साइखौम सुरचंद्रा सिंह जी हैं | ये मैतेई पुंग Instrument बनाने में अपनी महारत के लिए जाने जाते हैं | इस Instrument का मणिपुर से नाता है | पूरन सिंह एक दिव्यांग कलाकार हैं, जो, राजूला-मलुशाही, न्यौली, हुड़का बोल, जागर जैसी विभिन्न Music Forms को लोकप्रिय बना रहे हैं | इन्होंने इनसे जुड़ी कई Audio Recordings भी तैयार की हैं | उत्तराखंड के Folk Music में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर पूरन सिंह जी ने कई पुरस्कार भी जीते हैं | समय की सीमा के चलते, मैं, यहाँ, सभी Awardees की बातें भले न कर पाऊं, लेकिन मुझे विश्वास है कि, आप, उनके बारे में जरुर पढ़ेंगे | मुझे उम्मीद है, कि, ये सभी कलाकार, Performing Arts को और Popular बनाने के लिए Grassroots पर सभी को प्रेरित करते रहेंगे |

मेरे प्यारे देशवासियो, तेजी से आगे बढ़ते हमारे देश में Digital India की ताकत कोने-कोने में दिख रही है | Digital India की शक्ति को घर-घर पहुँचाने में अलग-अलग Apps की बड़ी भूमिका होती है | ऐसा ही एक App है, E-Sanjeevani | इस App से Tele-consultation, यानी, दूर बैठे, video conference के माध्यम से, डॉक्टर से, अपनी बीमारी के बारे में सलाह कर सकते हैं | इस App का उपयोग करके अब तक Tele-consultation करने वालों की संख्या 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है | आप कल्पना कर सकते हैं | video conference के माध्यम से 10 करोड़ Consultations! मरीज और डॉक्टर के साथ अद्भुत नाता - ये बहुत बड़ी achievement है | इस उपलब्धि के लिए, मैं, सभी डॉक्टरों और इस सुविधा का लाभ उठाने वाले मरीजों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ | भारत के लोगों ने, तकनीक को, कैसे, अपने जीवन का हिस्सा बनाया है, ये इसका जीता-जागता उदाहरण है | हमने देखा है कि कोरोना के काल में E-Sanjeevani App इसके जरिए Tele-consultation लोगों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हुआ है | मेरा भी मन हुआ, कि क्यों ना इसके बारे में ‘मन की बात’ में हम एक डॉक्टर और एक मरीज से बात करें, संवाद करें और आप तक बात को पहुंचाएं| हम ये जानने की कोशिश करें कि, Tele-consultation, लोगों के लिए, आखिर, कितना प्रभावी रहा है | हमारे साथ सिक्किम से डॉक्टर मदन मणि जी हैं | डॉक्टर मदन मणि जी रहने वाले सिक्किम के ही हैं, लेकिन उन्होंने MBBS धनबाद से किया और फिर Banaras Hindu University से MD किया | वो ग्रामीण इलाकों के सैकड़ों लोगों को Tele-consultation दे चुके हैं |

प्रधानमंत्री जी: नमस्कार... नमस्कार मदन मणि जी |

डॉ. मदन मणि: जी नमस्कार सर |

प्रधानमंत्री जी: मैं नरेन्द्र मोदी बोल रहा हूँ |

डॉ. मदन मणि: जी... जी सर |

प्रधानमंत्री जी: आप तो बनारस में पढ़े हैं |

डॉ. मदन मणि: जी मैं बनारस में पढ़ा हूँ सर|

प्रधानमंत्री जी: आपका medical education वहीँ हुआ |

डॉ. मदन मणि: जी... जी |

प्रधानमंत्री जी: तो जब आप बनारस में थे तब का बनारस और आज बदला हुआ बनारस कभी देखने गए कि नहीं गए |

डॉ. मदन मणि: जी प्रधानमत्री जी मैं जा नहीं पाया हूँ, जबसे में वापस सिक्किम आया हूँ, लेकिन मैंने सुना है कि काफी बदल गया है |

प्रधानमंत्री जी: तो कितने साल हो गए आपको बनारस छोड़े ?

डॉ. मदन मणि: बनारस 2006 से छोड़ा हुआ हूँ सर |

प्रधानमंत्री जी: ओह... फिर तो आपको जरुर जाना चाहिए |

डॉ. मदन मणि: जी... जी |

प्रधानमंत्री जी: अच्छा, मैंने फ़ोन तो इसलिए किया कि आप सिक्किम के अंदर दूर-सुदूर पहाड़ों में रहकर के वहाँ के लोगों को Tele Consultation का बहुत बड़ी सेवाएँ दे रहे हैं |

डॉ. मदन मणि: जी |

प्रधानमंत्री जी: मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं को आपका अनुभव सुनाना चाहता हूँ |

डॉ. मदन मणि: जी |

प्रधानमंत्री जी: जरा मुझे बताइए, कैसा अनुभव रहा ?

डॉ. मदन मणि: अनुभव, बहुत बढ़िया रहा प्रधानमंत्री जी | क्या है कि सिक्किम में बहुत नजदीक का जो PHC है, वहाँ जाने के लिए भी लोगों को गाड़ी में चढ़ के कम-से-कम एक-दो सौ रूपया ले के जाना पड़ता है | और डॉक्टर मिले, नहीं मिले ये भी एक problem है | तो Tele Consultation के माध्यम से लोग हम लोग से सीधे जुड़ जाते हैं, दूर-दराज के लोग | Health & Wellness Centre के जो CHOs होते हैं, वो लोग, हम लोग से, connect करवा देते हैं | और हम लोग का जो पुरानी उनकी बीमारी है उनकी reports, उनका अभी का present condition सारी चीज़ें वो हम लोग को बता देते हैं |

प्रधानमंत्री जी: यानि document transfer करते हैं |

डॉ. मदन मणि: जी.. जी | Document transfer भी करते हैं और अगर transfer नहीं कर सके तो वो पढ़ के हम लोगों को बताते हैं |

प्रधानमंत्री जी: वहाँ का Wellness Centre का doctor बताता है |

डॉ. मदन मणि: जी, Wellness Centre में जो CHO रहता है, Community Health Officer |

प्रधानमंत्री जी: और जो patient है वो अपनी कठिनाईयाँ आपको सीधी बताता है |

डॉ. मदन मणि: जी, patient भी कठिनाइयाँ हम को बताता है | फिर पुराने records देख के फिर अगर कोई नई चीज़ें हम लोगों को जानना है | जैसे किसी का Chest Auscultate करना है, अगर उनको पैर सूजा है कि नहीं ? अगर CHO ने नहीं देखा है तो हम लोग उसको बोलते है कि जाके देखो सूजन है, नहीं है, आँख देखो, anaemia है कि नहीं है, उसका अगर खाँसी है तो Chest को Auscultate करो और पता करो कि वहाँ पे sounds है कि नहीं |

प्रधानमंत्री जी: आप Voice Call से बात करते हैं या Video Call का भी उपयोग करते हैं ?

डॉ. मदन मणि: जी, Video Call का उपयोग करते हैं |

प्रधानमंत्री जी: तो आप Patient को भी, आप भी देखते हैं |

डॉ. मदन मणि: Patient को भी देख पाते हैं, जी |

प्रधानमंत्री जी: Patient को क्या feeling आता है ?

डॉ. मदन मणि: Patient को अच्छा लगता है क्योंकि डॉक्टर को नज़दीक से वो देख पाता है | उसको confusion रहता है कि उसका दवा घटाना है, बढ़ाना है, क्योंकि, सिक्किम में ज्यादातर जो patient होते हैं, वो, diabetes, Hypertension के आते हैं और एक diabetes और hypertension के दवा को change करने के लिये उसको डॉक्टर मिलने के लिए कितना दूर जाना पड़ता है | लेकिन Tele Consultation के through वहीँ मिल जाता है और दवा भी health & Wellness Centre में Free Drugs initiative के through मिल जाता है | तो वहीँ से दवा भी लेके जाता है वो |

प्रधानमंत्री जी: अच्छा मदन मणि जी, आप तो जानते ही हैं कि patient का एक स्वभाव रहता है कि जब तक वो डॉक्टर आता नहीं है, डॉक्टर देखता नहीं है, उसको संतोष नहीं होता है और डॉक्टर को भी लगता है जरा मरीज को देखना पड़ेगा, अब वहाँ सारा ही Telecom में Consultation होता है तो डॉक्टर को क्या feel होता है, patient को क्या feel होता है ?

डॉ. मदन मणि: जी, वो हम लोग को भी लगता है कि अगर patient को लगता है कि डॉक्टर को देखना चाहिए, तो हम लोग को, जो-जो चीज़ें देखना है, वो, हम लोग,CHO को बोल के, video में ही हम लोग देखने के लिए बोलते हैं | और कभी-कभी तो patient को video में ही नजदीक में आ के उसकी जो परेशानियाँ है अगर किसी को चर्म का problem है, skin का problem है तो वो हम लोग को video से ही दिखा देते हैं | तो संतुष्टि रहता है उन लोगों को |

प्रधानमंत्री जी: और बाद में उसका उपचार करने के बाद उसको संतोष मिलता है, क्या अनुभव आता है ? Patient ठीक हो रहे हैं?

डॉ. मदन मणि: जी, बहुत संतोष मिलता है | हमको भी संतोष मिलता है सर | क्योंकि मैं अभी स्वास्थ्य विभाग में हूँ और साथ-साथ में Tele Consultation भी करता हूँ तो file के साथ-साथ patient को भी देखना मेरे लिए बहुत अच्छा, सुखद अनुभव रहता है |

प्रधानमंत्री जी: Average, कितने patient आपको Tele Consultation case आते होंगे ?

डॉ. मदन मणि: अभी तक मैंने 536 patient देखे हैं |

प्रधानमंत्री जी: ओह... यानि आपको काफी इसमें महारथ आ गई है |

डॉ. मदन मणि: जी, अच्छा लगता है देखने में |

प्रधानमंत्री जी: चलिए, मैं आपको शुभकामनाएँ देता हूँ | इस Technology का उपयोग करते हुए आप सिक्किम के दूर-सुदूर जंगलों में, पहाड़ों में रहने वाले लोगों की इतनी बड़ी सेवा कर रहे हैं | और खुशी की बात है कि हमारे देश के दूर-दराज क्षेत्र में भी technology का इतना बढ़िया उपयोग हो रहा है | चलिए, मेरी तरफ़ से आपको बहुत-बहुत बधाई |

डॉ. मदन मणि: Thank You!

साथियो, डॉक्टर मदन मणि जी की बातों से साफ़ है कि E-Sanjeevani App, किस तरह उनकी मदद कर रहा है | डॉक्टर मदन जी के बाद अब हम एक और मदन जी से जुड़ते हैं | ये उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के रहने वाले मदन मोहन लाल जी हैं | अब ये भी संयोग है कि चंदौली भी बनारस से सटा हुआ है | आइये मदन मोहन जी से जानते हैं कि E-Sanjeevani को लेकर एक मरीज के रूप में उनका अनुभव क्या रहा है ?

प्रधानमंत्री जी: मदन मोहन जी, प्रणाम !

मदन मोहन जी: नमस्कार, नमस्कार साहब |

प्रधानमंत्री जी: नमस्कार! अच्छा, मुझे बताया गया है कि आप diabetes के मरीज हैं |

मदन मोहन जी: जी |

प्रधानमंत्री जी: और आप technology का उपयोग करके Tele-Consultation कर-कर के अपनी बीमारी के संबंध में मदद लेते हैं |

मदन मोहन जी: जी |

प्रधानमंत्री जी: एक patient के नाते, एक दर्दी के रूप में, मैं, आपके अनुभव सुनना चाहता हूँ, ताकि, मैं, देशवासियों तक इस बात को पहुँचाना चाहूँ कि आज की technology से हमारे गाँव में रहने वाले लोग भी किस प्रकार से इसका उपयोग भी कर सकते हैं | जरा बताइये कैसे करते हैं ?

मदन मोहन जी: ऐसा है सर जी, हॉस्पिटलें दूर हैं और जब diabetes हमको हुआ तो हम को जो है 5-6 किलोमीटर दूर जा कर के इलाज करवाना पड़ता था, दिखाना पड़ता था | और जब से व्यवस्था आप द्वारा बनाई गई है | इसे है कि हम अब जाता हूँ, हमारा जांच होता है, हमको बाहर के डॉक्टरों से बात भी करा देती हैं और दवा भी दे देती हैं | इससे हमको बड़ा लाभ है और, और लोगों को भी लाभ है इससे |

प्रधानमंत्री जी: तो एक ही डॉक्टर हर बार आपको देखते हैं कि डॉक्टर बदलते जाते है ?

मदन मोहन जी: जैसे उनको नहीं समझ, डॉक्टर को दिखा देती हैं | वो ही बात करके दूसरे डॉक्टर से हमसे बात कराती हैं |

प्रधानमंत्री जी: और डॉक्टर आपको जो guidance देते हैं वो आपको पूरा फायदा होता है उससे |

मदन मोहन जी: हमको फायदा होता है | हमको उससे बहुत बड़ा फायदा है | और गाँव के लोगों को भी फायदा उससे है | सभी लोग वहाँ पूछते हैं कि भईया हमारा BP है, हमारा sugar है, test करो, जांच करो, दवा बताओ | और पहले तो 5-6 किलोमीटर दूर जाते थे, लम्बी लाईन लगी रहती थी, Pathology में लाइन लगी रहती थी | एक-एक दिन का समय नुकसान होता था |

प्रधानमंत्री जी: मतलब, आपका समय भी बच जाता है |

मदन मोहन जी: और पैसा भी व्यय होता था और यहाँ पर नि:शुल्क सेवाएँ सब हो रही हैं |

प्रधानमंत्री जी: अच्छा, जब आप अपने सामने डॉक्टर को मिलते हैं तो एक विश्वास बनता है | चलो भई, डॉक्टर है, उन्होंने मेरी नाड़ी देख ली है, मेरी आँखें देख ली है, मेरा जीभ को भी check कर लिया है | तो एक अलग feeling आता है | अब ये Tele Consultation करते हैं तो वैसा ही संतोष होता है आपको ?

मदन मोहन जी: हाँ, संतोष होता है | के वो हमारी नाड़ी पकड़ रहे हैं, आला लगा रहे हैं, ऐसा मुझे महसूस होता है और हमको बड़ा तबीयत खुश होती है कि भई इतनी अच्छी व्यवस्था आप द्वारा बनाई गई है कि जिससे कि हमको यहाँ परेशानी से जाना पड़ता था, गाड़ी का भाड़ा देना पड़ता था, वहाँ लाईन लगाना पड़ता था | और सारी सुविधाएँ हमको घर बैठे-बैठे मिल रही हैं |

प्रधानमंत्री जी: चलिए, मदन मोहन जी मेरी तरफ़ से आपको बहुत शुभकामनाएं हैं | उम्र के इस पड़ाव पर भी आप technology को सीखे हैं, technology का उपयोग करते है | औरों को भी बताइए ताकि लोगों का समय भी बच जाए, धन भी बच जाए और उनको जो भी मार्गदर्शन मिलता है उससे दवाईयाँ भी अच्छे ढंग से हो सकती हैं |

मदन मोहन जी: हाँ, और क्या |

प्रधानमंत्री जी: चलिए, मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ हैं आपको मदन मोहन जी |

मदन मोहन जी: बनारस को साहब आपने काशी विश्वनाथ स्टेशन बना दिया, development कर दिया | ये आपको बधाई है हमारी तरफ़ से |

प्रधानमंत्री जी: मैं आपका धन्यवाद करता हूँ | हमने क्या बनाया जी, बनारस के लोगों ने बनारस को बनाया है | नहीं तो, हम तो माँ गंगा की सेवा के लिए, माँ गंगा ने बुलाया है, बस, और कुछ नहीं | ठीक है जी, बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आपको | प्रणाम जी |

मदन मोहन जी: नमस्कार सर !

प्रधानमंत्री जी: नमस्कार जी !

साथियो, देश के सामान्य मानवी के लिए, मध्यम वर्ग के लिए, पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वालों के लिए, E-Sanjeevani, जीवन रक्षा करने वाला App बन रहा है | ये है भारत की digital क्रान्ति की शक्ति | और इसका प्रभाव आज हम हर क्षेत्र में देख रहे हैं | भारत के UPI की ताकत भी आप जानते ही हैं | दुनिया के कितने ही देश, इसकी तरफ आकर्षित हैं | कुछ दिन पहले ही भारत और सिंगापुर के बीच UPI-Pay Now Link launch किया गया | अब, सिंगापुर और भारत के लोग, अपने मोबाईल फ़ोन से उसी तरह पैसे transfer कर रहे हैं जैसे वे अपने-अपने देश के अन्दर करते हैं | मुझे खुशी है कि लोगों ने इसका लाभ उठाना शुरू कर दिया है | भारत का E-Sanjeevani App हो या फिर UPI, ये Ease of Livingको बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हुए हैं |

मेरे प्यारे देशवासियो, जब किसी देश में विलुप्त हो रहे किसी पक्षी की प्रजाति को, किसी जीव-जंतु को बचा लिया जाता है, तो उसकी पूरी दुनिया में चर्चा होती है | हमारे देश में ऐसी अनेकों महान परम्पराएँ भी हैं जो लुप्त हो चुकी थी, लोगों के मन-मस्तिष्क से हट चुकी थी, लेकिन अब इन्हें जनभागीदारी की शक्ति से पुनर्जीवित करने का प्रयास हो रहा है तो इसकी चर्चा के लिए ‘मन की बात’ से बेहतर मंच और क्या होगा ?
अब जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ, वो जानकर वाकई आपको बहुत प्रसन्नता होगी, विरासत पर गर्व होगा | अमेरिका में रहने वाले श्रीमान कंचन बैनर्जी ने विरासत के संरक्षण से जुड़े ऐसे ही एक अभियान की तरफ मेरा ध्यान आकर्षित किया है | मैं उनका अभिनंदन करता हूँ | साथियो, पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के बांसबेरिया में, इस महीने, ‘त्रिबेनी कुम्भो मोहोत्शौव’ का आयोजन किया गया | इसमें आठ लाख से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हुए लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह इतना विशेष क्यों है? विशेष इसलिए, क्योंकि, इस प्रथा को 700 साल के बाद पुनर्जीवित किया गया है | यूं तो ये परंपरा हजारों वर्ष पुरानी है लेकिन दुर्भाग्य से 700 साल पहले बंगाल के त्रिबेनी में होने वाला ये महोत्सव बंद हो गया था | इसे आजादी के बाद शुरू किया जाना चाहिए था, लेकिन, वो भी नहीं हो पाया | दो वर्ष पहले, स्थानीय लोग और ‘त्रिबेनी कुंभो पॉरिचालोना शॉमिति’ के माध्यम से, ये महोत्सव, फिर शुरू हुआ है | मैं इसके आयोजन से जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आप, सिर्फ एक परंपरा को ही जीवित नहीं कर रहे हैं, बल्कि आप, भारत की सांस्कृतिक विरासत की भी रक्षा भी कर रहे हैं |

साथियो, पश्चिम बंगाल में त्रिबेनी को सदियों से एक पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है | इसका उल्लेख, विभिन्न मंगलकाव्य, वैष्णव साहित्य, शाक्त साहित्य और अन्य बंगाली साहित्यिक कृतियों में भी मिलता है | विभिन्न ऐतिहासिक दस्तावेजों से यह पता चलता है, कि, कभी ये क्षेत्र, संस्कृत, शिक्षा और भारतीय संस्कृति का केंद्र था | कई संत इसे माघ संक्रांति में कुंभ स्नान के लिए पवित्र स्थान मानते हैं | त्रिबेनी में आपको कई गंगा घाट, शिव मंदिर और टेराकोटा वास्तुकला से सजी प्राचीन इमारतें देखने को मिल जाएंगी | त्रिबेनी की विरासत को पुनर्स्थापित करने और कुंभ परंपरा के गौरव को पुनर्जीवित करने के लिए यहां पिछले साल कुंभ मेले का आयोजन किया गया था | सात सदियों बाद, तीन दिन के कुंभ महास्नान और मेले ने, इस क्षेत्र में, एक नई ऊर्जा का संचार किया है | तीन दिनों तक हर रोज होने वाली गंगा आरती, रुद्राभिषेक और यज्ञ में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए | इस बार हुए महोत्सव में विभिन्न आश्रम, मठ और अखाड़े भी शामिल थे | बंगाली परंपराओं से जुड़ी विभिन्न विधाएं जैसे कीर्तन, बाउल, गोड़ियों नृत्तों, स्री-खोल, पोटेर गान, छोऊ-नाच, शाम के कार्यक्रमों में, आकर्षण का केंद्र बने थे | हमारे युवाओं को देश के सुनहरे अतीत से जोड़ने का यह एक बहुत ही सराहनीय प्रयास है | भारत में ऐसी कई और practices हैं, जिन्हें revive करने की जरुरत है | मुझे आशा है, कि, इनके बारे में होने वाली चर्चा, लोगों को इस दिशा में जरुर प्रेरित करेगी |

मेरे प्यारे देशवासियो, स्वच्छ भारत अभियान में हमारे देश में जन भागीदारी के मायने ही बदल दिए हैं | देश में कहीं पर भी कुछ स्वच्छता से जुड़ा हुआ होता है, तो लोग इसकी जानकारी मुझ तक जरुर पहुंचाते हैं | ऐसे ही मेरा ध्यान गया है, हरियाणा के युवाओं के एक स्वच्छता अभियान पर | हरियाणा में एक गाँव है – दुल्हेड़ी | यहाँ के युवाओं ने तय किया हमें भिवानी शहर को स्वच्छता के मामले में एक मिसाल बनाना है | उन्होंने युवा स्वच्छता एवं जन सेवा समिति नाम से एक संगठन बनाया | इस समिति से जुड़े युवा सुबह 4 बजे भिवानी पहुँच जाते हैं | शहर के अलग-अलग स्थलों पर ये मिलकर सफाई अभियान चलाते हैं | ये लोग अब तक शहर के अलग-अलग इलाकों से कई टन कूड़ा साफ़ कर चुके हैं |
साथियो, स्वच्छ भारत अभियान का एक महत्वपूर्ण आयाम वेस्ट टू वेल्थ (Waste to Wealth) भी है | ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले की एक बहन कमला मोहराना एक स्वयं सहायता समूह चलाती हैं | इस समूह की महिलाएं दूध की थैली और दूसरी प्लास्टिक पैकिंग से टोकरी और मोबाइल स्टैंड जैसी कई चीजें बनाती हैं | ये इनके लिए स्वच्छता के साथ ही आमदनी का भी एक अच्छा जरिया बन रहा है | हम अगर ठान लें तो स्वच्छ भारत में अपना बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं | कम-से-कम प्लास्टिक के बैग की जगह कपड़े के बैग का संकल्प तो हम सबको ही लेना चाहिए | आप देखेंगे, आपका ये संकल्प आपको कितना सन्तोष देगा, और दूसरे लोगों को ज़रूर प्रेरित करेगा |

मेरे प्यारे देशवासियो, आज हमने और आपने साथ जुड़कर एक बार फिर कई प्रेरणादायी विषयों पर बात की | परिवार के साथ बैठकर के उसे सुना और अब उसे दिनभर गुनगुनाएंगे भी | हम देश की कर्मठता की जितनी चर्चा करते हैं, उतनी ही हमें ऊर्जा मिलती है | इसी ऊर्जा प्रवाह के साथ चलते-चलते आज हम ‘मन की बात’ के 98वें एपिसोड के मुकाम तक पहुँच गए हैं |

आज से कुछ दिन बाद ही होली का त्यौहार है | आप सभी को होली की शुभकामनाएँ| हमें, हमारे त्यौहार वोकल फॉर लोकल (Vocal for Local) के संकल्प के साथ ही मनाने हैं | अपने अनुभव भी मेरे साथ share करना न भूलियेगा | तब तक के लिये मुझे विदा दीजिये | अगली बार हम फिर नये विषयों के साथ मिलेंगे | बहुत-बहुत धन्यवाद | नमस्कार|

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140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

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140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

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"Huge opportunity": Japan delegation meets PM Modi, expressing their eagerness to invest in India
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आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है: TV9 समिट में पीएम मोदी
March 28, 2025
QuoteToday, the world's eyes are on India: PM
QuoteIndia's youth is rapidly becoming skilled and driving innovation forward: PM
Quote"India First" has become the mantra of India's foreign policy: PM
QuoteToday, India is not just participating in the world order but also contributing to shaping and securing the future: PM
QuoteIndia has given Priority to humanity over monopoly: PM
QuoteToday, India is not just a Nation of Dreams but also a Nation That Delivers: PM

श्रीमान रामेश्वर गारु जी, रामू जी, बरुन दास जी, TV9 की पूरी टीम, मैं आपके नेटवर्क के सभी दर्शकों का, यहां उपस्थित सभी महानुभावों का अभिनंदन करता हूं, इस समिट के लिए बधाई देता हूं।

TV9 नेटवर्क का विशाल रीजनल ऑडियंस है। और अब तो TV9 का एक ग्लोबल ऑडियंस भी तैयार हो रहा है। इस समिट में अनेक देशों से इंडियन डायस्पोरा के लोग विशेष तौर पर लाइव जुड़े हुए हैं। कई देशों के लोगों को मैं यहां से देख भी रहा हूं, वे लोग वहां से वेव कर रहे हैं, हो सकता है, मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मैं यहां नीचे स्क्रीन पर हिंदुस्तान के अनेक शहरों में बैठे हुए सब दर्शकों को भी उतने ही उत्साह, उमंग से देख रहा हूं, मेरी तरफ से उनका भी स्वागत है।

साथियों,

आज विश्व की दृष्टि भारत पर है, हमारे देश पर है। दुनिया में आप किसी भी देश में जाएं, वहां के लोग भारत को लेकर एक नई जिज्ञासा से भरे हुए हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो देश 70 साल में ग्यारहवें नंबर की इकोनॉमी बना, वो महज 7-8 साल में पांचवे नंबर की इकोनॉमी बन गया? अभी IMF के नए आंकड़े सामने आए हैं। वो आंकड़े कहते हैं कि भारत, दुनिया की एकमात्र मेजर इकोनॉमी है, जिसने 10 वर्षों में अपने GDP को डबल किया है। बीते दशक में भारत ने दो लाख करोड़ डॉलर, अपनी इकोनॉमी में जोड़े हैं। GDP का डबल होना सिर्फ आंकड़ों का बदलना मात्र नहीं है। इसका impact देखिए, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, और ये 25 करोड़ लोग एक नियो मिडिल क्लास का हिस्सा बने हैं। ये नियो मिडिल क्लास, एक प्रकार से नई ज़िंदगी शुरु कर रहा है। ये नए सपनों के साथ आगे बढ़ रहा है, हमारी इकोनॉमी में कंट्रीब्यूट कर रहा है, और उसको वाइब्रेंट बना रहा है। आज दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी हमारे भारत में है। ये युवा, तेज़ी से स्किल्ड हो रहा है, इनोवेशन को गति दे रहा है। और इन सबके बीच, भारत की फॉरेन पॉलिसी का मंत्र बन गया है- India First, एक जमाने में भारत की पॉलिसी थी, सबसे समान रूप से दूरी बनाकर चलो, Equi-Distance की पॉलिसी, आज के भारत की पॉलिसी है, सबके समान रूप से करीब होकर चलो, Equi-Closeness की पॉलिसी। दुनिया के देश भारत की ओपिनियन को, भारत के इनोवेशन को, भारत के एफर्ट्स को, जैसा महत्व आज दे रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। आज दुनिया की नजर भारत पर है, आज दुनिया जानना चाहती है, What India Thinks Today.

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साथियों,

भारत आज, वर्ल्ड ऑर्डर में सिर्फ पार्टिसिपेट ही नहीं कर रहा, बल्कि फ्यूचर को शेप और सेक्योर करने में योगदान दे रहा है। दुनिया ने ये कोरोना काल में अच्छे से अनुभव किया है। दुनिया को लगता था कि हर भारतीय तक वैक्सीन पहुंचने में ही, कई-कई साल लग जाएंगे। लेकिन भारत ने हर आशंका को गलत साबित किया। हमने अपनी वैक्सीन बनाई, हमने अपने नागरिकों का तेज़ी से वैक्सीनेशन कराया, और दुनिया के 150 से अधिक देशों तक दवाएं और वैक्सीन्स भी पहुंचाईं। आज दुनिया, और जब दुनिया संकट में थी, तब भारत की ये भावना दुनिया के कोने-कोने तक पहुंची कि हमारे संस्कार क्या हैं, हमारा तौर-तरीका क्या है।

साथियों,

अतीत में दुनिया ने देखा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब भी कोई वैश्विक संगठन बना, उसमें कुछ देशों की ही मोनोपोली रही। भारत ने मोनोपोली नहीं बल्कि मानवता को सर्वोपरि रखा। भारत ने, 21वीं सदी के ग्लोबल इंस्टीट्यूशन्स के गठन का रास्ता बनाया, और हमने ये ध्यान रखा कि सबकी भागीदारी हो, सबका योगदान हो। जैसे प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती है। देश कोई भी हो, इन आपदाओं से इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान होता है। आज ही म्यांमार में जो भूकंप आया है, आप टीवी पर देखें तो बहुत बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वस्त हो रही हैं, ब्रिज टूट रहे हैं। और इसलिए भारत ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure - CDRI नाम से एक वैश्विक नया संगठन बनाने की पहल की। ये सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार करने का संकल्प है। भारत का प्रयास है, प्राकृतिक आपदा से, पुल, सड़कें, बिल्डिंग्स, पावर ग्रिड, ऐसा हर इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित रहे, सुरक्षित निर्माण हो।

साथियों,

भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हर देश का मिलकर काम करना बहुत जरूरी है। ऐसी ही एक चुनौती है, हमारे एनर्जी रिसोर्सेस की। इसलिए पूरी दुनिया की चिंता करते हुए भारत ने International Solar Alliance (ISA) का समाधान दिया है। ताकि छोटे से छोटा देश भी सस्टेनबल एनर्जी का लाभ उठा सके। इससे क्लाइमेट पर तो पॉजिटिव असर होगा ही, ये ग्लोबल साउथ के देशों की एनर्जी नीड्स को भी सिक्योर करेगा। और आप सबको ये जानकर गर्व होगा कि भारत के इस प्रयास के साथ, आज दुनिया के सौ से अधिक देश जुड़ चुके हैं।

साथियों,

बीते कुछ समय से दुनिया, ग्लोबल ट्रेड में असंतुलन और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी challenges का सामना कर रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत ने दुनिया के साथ मिलकर नए प्रयास शुरु किए हैं। India–Middle East–Europe Economic Corridor (IMEC), ऐसा ही एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। ये प्रोजेक्ट, कॉमर्स और कनेक्टिविटी के माध्यम से एशिया, यूरोप और मिडिल ईस्ट को जोड़ेगा। इससे आर्थिक संभावनाएं तो बढ़ेंगी ही, दुनिया को अल्टरनेटिव ट्रेड रूट्स भी मिलेंगे। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन भी और मजबूत होगी।

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साथियों,

ग्लोबल सिस्टम्स को, अधिक पार्टिसिपेटिव, अधिक डेमोक्रेटिक बनाने के लिए भी भारत ने अनेक कदम उठाए हैं। और यहीं, यहीं पर ही भारत मंडपम में जी-20 समिट हुई थी। उसमें अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का परमानेंट मेंबर बनाया गया है। ये बहुत बड़ा ऐतिहासिक कदम था। इसकी मांग लंबे समय से हो रही थी, जो भारत की प्रेसीडेंसी में पूरी हुई। आज ग्लोबल डिसीजन मेकिंग इंस्टीट्यूशन्स में भारत, ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज़ बन रहा है। International Yoga Day, WHO का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क, ऐसे कितने ही क्षेत्रों में भारत के प्रयासों ने नए वर्ल्ड ऑर्डर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, और ये तो अभी शुरूआत है, ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर भारत का सामर्थ्य नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है।

साथियों,

21वीं सदी के 25 साल बीत चुके हैं। इन 25 सालों में 11 साल हमारी सरकार ने देश की सेवा की है। और जब हम What India Thinks Today उससे जुड़ा सवाल उठाते हैं, तो हमें ये भी देखना होगा कि Past में क्या सवाल थे, क्या जवाब थे। इससे TV9 के विशाल दर्शक समूह को भी अंदाजा होगा कि कैसे हम, निर्भरता से आत्मनिर्भरता तक, Aspirations से Achievement तक, Desperation से Development तक पहुंचे हैं। आप याद करिए, एक दशक पहले, गांव में जब टॉयलेट का सवाल आता था, तो माताओं-बहनों के पास रात ढलने के बाद और भोर होने से पहले का ही जवाब होता था। आज उसी सवाल का जवाब स्वच्छ भारत मिशन से मिलता है। 2013 में जब कोई इलाज की बात करता था, तो महंगे इलाज की चर्चा होती थी। आज उसी सवाल का समाधान आयुष्मान भारत में नजर आता है। 2013 में किसी गरीब की रसोई की बात होती थी, तो धुएं की तस्वीर सामने आती थी। आज उसी समस्या का समाधान उज्ज्वला योजना में दिखता है। 2013 में महिलाओं से बैंक खाते के बारे में पूछा जाता था, तो वो चुप्पी साध लेती थीं। आज जनधन योजना के कारण, 30 करोड़ से ज्यादा बहनों का अपना बैंक अकाउंट है। 2013 में पीने के पानी के लिए कुएं और तालाबों तक जाने की मजबूरी थी। आज उसी मजबूरी का हल हर घर नल से जल योजना में मिल रहा है। यानि सिर्फ दशक नहीं बदला, बल्कि लोगों की ज़िंदगी बदली है। और दुनिया भी इस बात को नोट कर रही है, भारत के डेवलपमेंट मॉडल को स्वीकार रही है। आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है।

साथियों,

जब कोई देश, अपने नागरिकों की सुविधा और समय को महत्व देता है, तब उस देश का समय भी बदलता है। यही आज हम भारत में अनुभव कर रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। पहले पासपोर्ट बनवाना कितना बड़ा काम था, ये आप जानते हैं। लंबी वेटिंग, बहुत सारे कॉम्प्लेक्स डॉक्यूमेंटेशन का प्रोसेस, अक्सर राज्यों की राजधानी में ही पासपोर्ट केंद्र होते थे, छोटे शहरों के लोगों को पासपोर्ट बनवाना होता था, तो वो एक-दो दिन कहीं ठहरने का इंतजाम करके चलते थे, अब वो हालात पूरी तरह बदल गया है, एक आंकड़े पर आप ध्यान दीजिए, पहले देश में सिर्फ 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र थे, आज इनकी संख्या 550 से ज्यादा हो गई है। पहले पासपोर्ट बनवाने में, और मैं 2013 के पहले की बात कर रहा हूं, मैं पिछले शताब्दी की बात नहीं कर रहा हूं, पासपोर्ट बनवाने में जो वेटिंग टाइम 50 दिन तक होता था, वो अब 5-6 दिन तक सिमट गया है।

साथियों,

ऐसा ही ट्रांसफॉर्मेशन हमने बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी देखा है। हमारे देश में 50-60 साल पहले बैंकों का नेशनलाइजेशन किया गया, ये कहकर कि इससे लोगों को बैंकिंग सुविधा सुलभ होगी। इस दावे की सच्चाई हम जानते हैं। हालत ये थी कि लाखों गांवों में बैंकिंग की कोई सुविधा ही नहीं थी। हमने इस स्थिति को भी बदला है। ऑनलाइन बैंकिंग तो हर घर में पहुंचाई है, आज देश के हर 5 किलोमीटर के दायरे में कोई न कोई बैंकिंग टच प्वाइंट जरूर है। और हमने सिर्फ बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का ही दायरा नहीं बढ़ाया, बल्कि बैंकिंग सिस्टम को भी मजबूत किया। आज बैंकों का NPA बहुत कम हो गया है। आज बैंकों का प्रॉफिट, एक लाख 40 हज़ार करोड़ रुपए के नए रिकॉर्ड को पार कर चुका है। और इतना ही नहीं, जिन लोगों ने जनता को लूटा है, उनको भी अब लूटा हुआ धन लौटाना पड़ रहा है। जिस ED को दिन-रात गालियां दी जा रही है, ED ने 22 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक वसूले हैं। ये पैसा, कानूनी तरीके से उन पीड़ितों तक वापिस पहुंचाया जा रहा है, जिनसे ये पैसा लूटा गया था।

साथियों,

Efficiency से गवर्नमेंट Effective होती है। कम समय में ज्यादा काम हो, कम रिसोर्सेज़ में अधिक काम हो, फिजूलखर्ची ना हो, रेड टेप के बजाय रेड कार्पेट पर बल हो, जब कोई सरकार ये करती है, तो समझिए कि वो देश के संसाधनों को रिस्पेक्ट दे रही है। और पिछले 11 साल से ये हमारी सरकार की बड़ी प्राथमिकता रहा है। मैं कुछ उदाहरणों के साथ अपनी बात बताऊंगा।

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साथियों,

अतीत में हमने देखा है कि सरकारें कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिनिस्ट्रीज में accommodate करने की कोशिश करती थीं। लेकिन हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई मंत्रालयों का विलय कर दिया। आप सोचिए, Urban Development अलग मंत्रालय था और Housing and Urban Poverty Alleviation अलग मंत्रालय था, हमने दोनों को मर्ज करके Housing and Urban Affairs मंत्रालय बना दिया। इसी तरह, मिनिस्ट्री ऑफ ओवरसीज़ अफेयर्स अलग था, विदेश मंत्रालय अलग था, हमने इन दोनों को भी एक साथ जोड़ दिया, पहले जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय अलग था, और पेयजल मंत्रालय अलग था, हमने इन्हें भी जोड़कर जलशक्ति मंत्रालय बना दिया। हमने राजनीतिक मजबूरी के बजाय, देश की priorities और देश के resources को आगे रखा।

साथियों,

हमारी सरकार ने रूल्स और रेगुलेशन्स को भी कम किया, उन्हें आसान बनाया। करीब 1500 ऐसे कानून थे, जो समय के साथ अपना महत्व खो चुके थे। उनको हमारी सरकार ने खत्म किया। करीब 40 हज़ार, compliances को हटाया गया। ऐसे कदमों से दो फायदे हुए, एक तो जनता को harassment से मुक्ति मिली, और दूसरा, सरकारी मशीनरी की एनर्जी भी बची। एक और Example GST का है। 30 से ज्यादा टैक्सेज़ को मिलाकर एक टैक्स बना दिया गया है। इसको process के, documentation के हिसाब से देखें तो कितनी बड़ी बचत हुई है।

साथियों,

सरकारी खरीद में पहले कितनी फिजूलखर्ची होती थी, कितना करप्शन होता था, ये मीडिया के आप लोग आए दिन रिपोर्ट करते थे। हमने, GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म बनाया। अब सरकारी डिपार्टमेंट, इस प्लेटफॉर्म पर अपनी जरूरतें बताते हैं, इसी पर वेंडर बोली लगाते हैं और फिर ऑर्डर दिया जाता है। इसके कारण, भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हुई है, और सरकार को एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की बचत भी हुई है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर- DBT की जो व्यवस्था भारत ने बनाई है, उसकी तो दुनिया में चर्चा है। DBT की वजह से टैक्स पेयर्स के 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, गलत हाथों में जाने से बचे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा फर्ज़ी लाभार्थी, जिनका जन्म भी नहीं हुआ था, जो सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे, ऐसे फर्जी नामों को भी हमने कागजों से हटाया है।

साथियों,

 

हमारी सरकार टैक्स की पाई-पाई का ईमानदारी से उपयोग करती है, और टैक्सपेयर का भी सम्मान करती है, सरकार ने टैक्स सिस्टम को टैक्सपेयर फ्रेंडली बनाया है। आज ITR फाइलिंग का प्रोसेस पहले से कहीं ज्यादा सरल और तेज़ है। पहले सीए की मदद के बिना, ITR फाइल करना मुश्किल होता था। आज आप कुछ ही समय के भीतर खुद ही ऑनलाइन ITR फाइल कर पा रहे हैं। और रिटर्न फाइल करने के कुछ ही दिनों में रिफंड आपके अकाउंट में भी आ जाता है। फेसलेस असेसमेंट स्कीम भी टैक्सपेयर्स को परेशानियों से बचा रही है। गवर्नेंस में efficiency से जुड़े ऐसे अनेक रिफॉर्म्स ने दुनिया को एक नया गवर्नेंस मॉडल दिया है।

साथियों,

पिछले 10-11 साल में भारत हर सेक्टर में बदला है, हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है। और एक बड़ा बदलाव सोच का आया है। आज़ादी के बाद के अनेक दशकों तक, भारत में ऐसी सोच को बढ़ावा दिया गया, जिसमें सिर्फ विदेशी को ही बेहतर माना गया। दुकान में भी कुछ खरीदने जाओ, तो दुकानदार के पहले बोल यही होते थे – भाई साहब लीजिए ना, ये तो इंपोर्टेड है ! आज स्थिति बदल गई है। आज लोग सामने से पूछते हैं- भाई, मेड इन इंडिया है या नहीं है?

साथियों,

आज हम भारत की मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस का एक नया रूप देख रहे हैं। अभी 3-4 दिन पहले ही एक न्यूज आई है कि भारत ने अपनी पहली MRI मशीन बना ली है। अब सोचिए, इतने दशकों तक हमारे यहां स्वदेशी MRI मशीन ही नहीं थी। अब मेड इन इंडिया MRI मशीन होगी तो जांच की कीमत भी बहुत कम हो जाएगी।

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साथियों,

आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान ने, देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को एक नई ऊर्जा दी है। पहले दुनिया भारत को ग्लोबल मार्केट कहती थी, आज वही दुनिया, भारत को एक बड़े Manufacturing Hub के रूप में देख रही है। ये सक्सेस कितनी बड़ी है, इसके उदाहरण आपको हर सेक्टर में मिलेंगे। जैसे हमारी मोबाइल फोन इंडस्ट्री है। 2014-15 में हमारा एक्सपोर्ट, वन बिलियन डॉलर तक भी नहीं था। लेकिन एक दशक में, हम ट्वेंटी बिलियन डॉलर के फिगर से भी आगे निकल चुके हैं। आज भारत ग्लोबल टेलिकॉम और नेटवर्किंग इंडस्ट्री का एक पावर सेंटर बनता जा रहा है। Automotive Sector की Success से भी आप अच्छी तरह परिचित हैं। इससे जुड़े Components के एक्सपोर्ट में भी भारत एक नई पहचान बना रहा है। पहले हम बहुत बड़ी मात्रा में मोटर-साइकल पार्ट्स इंपोर्ट करते थे। लेकिन आज भारत में बने पार्ट्स UAE और जर्मनी जैसे अनेक देशों तक पहुंच रहे हैं। सोलर एनर्जी सेक्टर ने भी सफलता के नए आयाम गढ़े हैं। हमारे सोलर सेल्स, सोलर मॉड्यूल का इंपोर्ट कम हो रहा है और एक्सपोर्ट्स 23 गुना तक बढ़ गए हैं। बीते एक दशक में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट भी 21 गुना बढ़ा है। ये सारी अचीवमेंट्स, देश की मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी की ताकत को दिखाती है। ये दिखाती है कि भारत में कैसे हर सेक्टर में नई जॉब्स भी क्रिएट हो रही हैं।

साथियों,

TV9 की इस समिट में, विस्तार से चर्चा होगी, अनेक विषयों पर मंथन होगा। आज हम जो भी सोचेंगे, जिस भी विजन पर आगे बढ़ेंगे, वो हमारे आने वाले कल को, देश के भविष्य को डिजाइन करेगा। पिछली शताब्दी के इसी दशक में, भारत ने एक नई ऊर्जा के साथ आजादी के लिए नई यात्रा शुरू की थी। और हमने 1947 में आजादी हासिल करके भी दिखाई। अब इस दशक में हम विकसित भारत के लक्ष्य के लिए चल रहे हैं। और हमें 2047 तक विकसित भारत का सपना जरूर पूरा करना है। और जैसा मैंने लाल किले से कहा है, इसमें सबका प्रयास आवश्यक है। इस समिट का आयोजन कर, TV9 ने भी अपनी तरफ से एक positive initiative लिया है। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की सफलता के लिए मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं हैं।

मैं TV9 को विशेष रूप से बधाई दूंगा, क्योंकि पहले भी मीडिया हाउस समिट करते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर एक छोटे से फाइव स्टार होटल के कमरे में, वो समिट होती थी और बोलने वाले भी वही, सुनने वाले भी वही, कमरा भी वही। TV9 ने इस परंपरा को तोड़ा और ये जो मॉडल प्लेस किया है, 2 साल के भीतर-भीतर देख लेना, सभी मीडिया हाउस को यही करना पड़ेगा। यानी TV9 Thinks Today वो बाकियों के लिए रास्ता खोल देगा। मैं इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, आपकी पूरी टीम को, और सबसे बड़ी खुशी की बात है कि आपने इस इवेंट को एक मीडिया हाउस की भलाई के लिए नहीं, देश की भलाई के लिए आपने उसकी रचना की। 50,000 से ज्यादा नौजवानों के साथ एक मिशन मोड में बातचीत करना, उनको जोड़ना, उनको मिशन के साथ जोड़ना और उसमें से जो बच्चे सिलेक्ट होकर के आए, उनकी आगे की ट्रेनिंग की चिंता करना, ये अपने आप में बहुत अद्भुत काम है। मैं आपको बहुत बधाई देता हूं। जिन नौजवानों से मुझे यहां फोटो निकलवाने का मौका मिला है, मुझे भी खुशी हुई कि देश के होनहार लोगों के साथ, मैं अपनी फोटो निकलवा पाया। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं दोस्तों कि आपके साथ मेरी फोटो आज निकली है। और मुझे पक्का विश्वास है कि सारी युवा पीढ़ी, जो मुझे दिख रही है, 2047 में जब देश विकसित भारत बनेगा, सबसे ज्यादा बेनिफिशियरी आप लोग हैं, क्योंकि आप उम्र के उस पड़ाव पर होंगे, जब भारत विकसित होगा, आपके लिए मौज ही मौज है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।