निस्वार्थ सेवा का महत्व हो, ज्ञान का महत्व हो या फिर जीवन में तमाम उतार-चढ़ाव के बीच मुस्कुराते हुए आगे बढ़ने का महत्व हो, ये हम, भगवान कृष्ण के सन्देश से सीख सकते हैं: मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी
सत्य के साथ, गांधी का जितना अटूट नाता रहा है, सेवा के साथ भी गाँधी का उतना ही अनन्य अटूट नाता रहा है: मन की बात में पीएम मोदी
मैं समाज के सभी वर्गों से, हर गाँव, कस्बे में और शहर के निवासियों से अपील करता हूँ, करबद्ध प्रार्थना करता हूँ कि इस वर्ष गाँधी जयंती, एक प्रकार से हमारी इस भारत माता को प्लास्टिक कचरे से मुक्ति के रूप में हम मनाये: मन की बात में प्रधानमंत्री
‘पोषण अभियान’ के अंतर्गत पूरे देशभर में आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से पोषण को जन-आन्दोलन बनाया जा रहा है, लोग नए और दिलचस्प तरीकों से कुपोषण से लड़ाई लड़ रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी
अगले 3 वर्ष में, कम-से-कम 15 स्थान और भारत के अन्दर 15 स्थान और पूरी तरह 100% tourism के लिए ही ऐसे 15 स्थान पर जाएं, देखें, अध्य्यन करें, परिवार को लेकर जाएं, कुछ समय वहाँ बिताएं: पीएम मोदी
हमनें 2019 में ही अपने यहाँ tiger की संख्या दोगुनी कर दी, भारत में सिर्फ बाघों की संख्या ही नहीं बल्कि protected areas और community reserves की संख्या भी बढ़ी हैं: प्रधानमंत्री
महात्मा गाँधी के लिए व्यक्ति और समाज, मानव और मानवता, यही सब कुछ था: मनकीबात में प्रधानमंत्री मोदी

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | हमारा देश, इन दिनों एक तरफ वर्षा का आनंद ले रहा है, तो दूसरी तरफ, हिंदुस्तान के हर कोने में किसी ना किसी प्रकार से, उत्सव और मेले, दीवाली तक, सब-कुछ यही चलता है और शायद हमारे पूर्वजों ने, ऋतु चक्र, अर्थ चक्र और समाज जीवन की व्यवस्था को बखूबी इस प्रकार से ढाला है कि किसी भी परिस्थिति में, समाज में, कभी भी lullness ना आये | पिछले दिनों हम लोगों ने कई उत्सव मनाये | कल, हिन्दुस्तान भर में श्री कृष्ण जन्म-महोत्सव मनाया गया | कोई कल्पना कर सकता है कि कैसा व्यक्तित्व होगा, कि, आज हजारों साल के बाद भी, हर उत्सव, नयापन लेकर के आता है, नयी प्रेरणा लेकर के आता है, नयी ऊर्जा लेकर के आता है और हजारों साल पुराना जीवन ऐसा, कि जो आज भी समस्याओं के समाधान के लिए, उदाहरण दे सकता हो, प्रेरणा दे सकता हो, हर कोई व्यक्ति, श्री कृष्ण के जीवन में से, वर्तमान की समस्याओं का समाधान ढूंढ सकता है | इतना सामर्थ्य होने बावजूद भी कभी वो रास में रम जाते थे, तो कभी, गायों के बीच तो कभी ग्वालों के बीच, कभी खेल-कूद करना, तो कभी बांसुरी बजाना, ना जाने विविधताओं से भरा ये व्यक्तित्व, अप्रतिम सामर्थ्य का धनी, लेकिन, समाज-शक्ति को समर्पित, लोक-शक्ति को समर्पित, लोक-संग्राहक के रूप में, नये कीर्तिमान को स्थापित करने वाला व्यक्तित्व | मित्रता कैसी हो, तो, सुदामा वाली घटना कौन भूल सकता है और युद्ध भूमि में, इतनी सारी महानताओं के बावजूद भी, सारथी का काम स्वीकार कर लेना | कभी चट्टान उठाने का, कभी, भोजन के पत्तल उठाने का काम, यानी हर चीज में एक नयापन सा महसूस होता है और इसलिए, आज जब, मैं, आपसे बात कर रहा हूँ, तो, मैं, दो मोहन की तरफ, मेरा ध्यान जाता है | एक सुदर्शन चक्रधारी मोहन, तो दूसरे चरखाधारी मोहन |

सुदर्शन चक्रधारी मोहन यमुना के तट को छोड़कर के, गुजरात में समुन्द्र के तट पर जा करके, द्वारिका की नगरी में स्थिर हुए और समुन्द्र के तट पर पैदा हुए मोहन, यमुना के तट पर आकर के, दिल्ली में, जीवन के, आखिरी सांस लेते हैं | सुदर्शन चक्रधारी मोहन ने उस समय की स्थितियों में, हजारों साल पहले भी, युद्ध को टालने के लिए, संघर्ष को टालने के लिए, अपनी बुद्धि का, अपने कर्तव्य का, अपने सामर्थ्य का, अपने चिंतन का भरसक उपयोग किया था और चरखाधारी मोहन ने भी तो एक ऐसा रास्ता चुना, स्वतंत्रता के लिए, मानवीय मूल्यों के जतन के लिए, व्यक्तित्व के मूल तत्वों को सामर्थ्य दे - इसके लिए आजादी के जंग को एक ऐसा रूप दिया, ऐसा मोड़ दिया जो पूरे विश्व के लिए अजूबा है, आज भी अजूबा है | निस्वार्थ सेवा का महत्व हो, ज्ञान का महत्व हो या फिर जीवन में तमाम उतार-चढ़ाव के बीच मुस्कुराते हुए आगे बढ़ने का महत्व हो, ये हम, भगवान कृष्ण के सन्देश से सीख सकते हैं और इसीलिये तो श्रीकृष्ण, जगतगुरु के रूप में भी जाने गए हैं – “कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम” |

आज जब हम, उत्सवों की चर्चा कर रहे हैं, तब, भारत एक और बड़े उत्सव की तैयारी में जुटा है और भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में भी उसकी चर्चा है | मेरे प्यारे देशवासियो, मैं बात कर रहा हूँ महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती | 2 अक्टूबर, 1869, पोरबन्दर, समुद्र के तट पर, जिसे आज हम कीर्ति मंदिर कहते हैं, उस छोटे से घर में एक व्यक्ति नहीं, एक युग का जन्म हुआ था, जिसने, मानव इतिहास को नया मोड़ दिया, नये कीर्तिमान स्थापित करवा दिए | महात्मा गाँधी से एक बात हमेशा जुड़ी रही, एक प्रकार से उनके जीवन का वो हिस्सा बनी रही और वह थी - सेवा, सेवा-भाव, सेवा के प्रति कर्तव्य-परायणता | उनका पूरा जीवन देखें, तो, South Africa में उन समुदायों के लोगों की सेवा की जो नस्लीय भेद-भाव का सामना कर रहे थे | उस युग में, वो बात छोटी नहीं थी जी | उन्होंने उन किसानों की सेवा की जिनके साथ चम्पारण में भेद-भाव किया जा रहा था, उन्होंने उन मिल मजदूरों की सेवा की जिन्हें उचित मजदूरी नहीं दी जा रही थी, उन्होंने, ग़रीब, बेसहारा, कमजोर और भूखे लोगों की सेवा को, अपने जीवन का परम कर्तव्य माना | रक्त-पित्त के सम्बन्ध में कितनी भ्रमणाएँ थी, उन भ्रमणाओं को नष्ट करने के लिये स्वयं रक्त-पित्त से ग्रस्त लोगों की सेवा ख़ुद करते थे और स्वयं के, जीवन में, सेवा के माध्यम से, उदाहरण प्रस्तुत करते थे | सेवा, उन्होंने शब्दों में नहीं - जी करके सिखायी थी |

सत्य के साथ, गांधी का जितना अटूट नाता रहा है, सेवा के साथ भी गाँधी का उतना ही अनन्य अटूट नाता रहा है | जिस किसी को, जब भी, जहाँ भी जरुरत पड़ी, महात्मा गाँधी सेवा के लिए हमेशा उपस्थित रहे | उन्होंने ना केवल सेवा पर बल दिया बल्कि उसके साथ जुड़े आत्म-सुख पर भी जोर दिया | सेवा शब्द की सार्थकता इसी अर्थ में है कि उसे आनंद के साथ किया जाए - सेवा परमो धर्मः | लेकिन, साथ-साथ उत्कृष्ट आनंद, ‘स्वान्त: सुखायः’ इस भाव की अनुभूति भी’ सेवा में, अन्तर्निहित है | ये, बापू के जीवन से हम भली-भांति समझ सकते हैं | महात्मा गाँधी, अनगिनत भारतीयों की तो आवाज बने ही, लेकिन, मानव मूल्य और मानव गरिमा के लिए, एक प्रकार से, वे, विश्व की आवाज बन गये थे | महात्मा गाँधी के लिए, व्यक्ति और समाज, मानव और मानवता, यही सब कुछ था | चाहे, अफ्रीका में Phoenix Farm हो, या Tolstoy Farm, साबरमती आश्रम हो या वर्धा (Wardha ), सब स्थानों पर, अपने एक अनोखे अंदाज में, समाज संवर्धन community mobilisation पर उनका हमेशा बल रहा | ये मेरा बहुत ही सौभाग्य रहा है, कि, मुझे, पूज्य महात्मा गाँधी से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जगहों पर जाकर के नमन करने का अवसर मिला है | मैं कह सकता हूँ कि गाँधी, सेवा-भाव से संगठन-भाव को भी बल देते रहते थे |

समाज-सेवा और समाज-संवर्धन community service और community mobilisation यह वो भावना जिसे हमें अपने व्यवाहारिक जीवन में लाना है | सही अर्थों में, यही महात्मा गाँधी को सच्ची श्रद्धांजलि है, सच्ची कार्यांजलि है | इस प्रकार के अवसर तो बहुत आते हैं, हम जुड़ते भी हैं, लेकिन क्या गाँधी 150 ? ऐसे ही आकर के चला जाये, हमें मंजूर है क्या ? जी नहीं देशवासियो | हम सब, अपने आप से पूछें, चिंतन करें, मंथन करें, सामूहिक रूप से बातचीत करें | हम समाज के और लोगों के साथ मिलकर के, सभी वर्गों के साथ मिलकर के, सभी आयु के लोगों के साथ मिलकर के – गाँव हो, शहर हो, पुरुष हो, स्त्री हो, सब के साथ मिलकर के, समाज के लिये, क्या करें – एक व्यक्ति के नाते, मैं उन प्रयासों में क्या जोडूं | मेरी तरफ से value addition क्या हो? और सामूहिकता की अपनी एक ताकत होती है | इस पूरे, गाँधी 150, के कार्यक्रमों में, सामूहिकता भी हो, और सेवा भी हो | क्यों ना हम मिलकर के पूरा मोहल्ला निकल पड़े | अगर हमारी फुटबाल की टीम है, तो फ़ुटबाल की टीम, फ़ुटबाल तो खेलेंगे ही लेकिन एक-आध गाँधी के आदर्शों के अनुरूप सेवा का काम भी करेंगे | हमारी ladies club है | आधुनिक युग के ladies club के जो काम होते हैं वो करते रहेंगे, लेकिन, ladies club की सभी सखियाँ मिलकर के कोई ना कोई एक सेवा कार्य साथ मिलकर के करेंगे | बहुत कुछ कर सकते हैं | किताबें इकट्ठी करें पुरानी, ग़रीबों को बांटें, ज्ञान का प्रसार करें, और मैं मानता हूँ शायद 130 करोड़ देशवासियों के पास, 130 करोड़ कल्पनायें हैं, 130 करोड़ उपक्रम हो सकते हैं | कोई सीमा नहीं है – जो मन में आये - बस सदइच्छा हो, सदहेतु हो, सदभाव हो और पूर्ण समर्पण भाव की सेवा हो और वो भी स्वांत: सुखाय: - एक अनन्य आनंद की अनुभूति के लिये हो |

मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ महीने पहले, मैं, गुजरात में दांडी गया था | आजादी के आंदोलन में ‘नमक सत्याग्रह’, दांडी, एक बहुत ही बड़ा महत्वपूर्ण turning point है | दांडी में, मैंने, महात्मा गाँधी को समर्पित अति-आधुनिक एक museum का उद्घाटन किया था | मेरा, आपसे जरूर आग्रह है, कि, आप भी, आने वाले समय में महात्मा गाँधी से जुड़ी कोई–न–कोई एक जगह की यात्रा जरूर करें | यह, कोई भी स्थान हो सकता है – जैसे पोरबंदर हो, साबरमती आश्रम हो, चंपारण हो, वर्धा का आश्रम हो और दिल्ली में महात्मा गाँधी से जुड़े हुए स्थान हो, आप जब, ऐसी जगहों पर जाएँ, तो, अपनी तस्वीरों को social media पर साझा जरुर करें, ताकि, अन्य लोग भी उससे प्रेरित हों और उसके साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त करने वाले दो-चार वाक्य भी लिखिए | आपके मन के भीतर से उठे हुए भाव, किसी भी बड़ी साहित्य रचना से, ज्यादा ताक़तवर होंगे और हो सकता है, आज के समय में, आपकी नज़र में, आपकी कलम से लिखे हुए गाँधी का रूप, शायद ये अधिक relevant भी लगे | आने वाले समय में बहुत सारे कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं, प्रदर्शनियों की योजना भी बनाई गई है | लेकिन इस संदर्भ में एक बात बहुत रोचक है जो मैं आपसे साझा करना चाहता हूँ | Venice Biennale नाम का एक बहुत प्रसिद्ध art show है | जहाँ दुनिया भर के कलाकार जुटते है | इस बार Venice Biennale के India Pavilion में गाँधी जी की यादों से जुड़ी बहुत ही interesting प्रदर्शनी लगाई गई | इसमें हरिपुरा Panels विशेष रूप से दिलचस्प थे | आपको याद होगा कि गुजरात के हरीपुरा में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था जहाँ पर सुभाष चन्द्र बोस के president elect होने की घटना इतिहास में दर्ज है | इन art panels का एक बहुत ही खूबसूरत अतीत है |

कांग्रेस के हरिपुरा session से पहले 1937-38 में महात्मा गाँधी ने शांति निकेतन कला भवन के तत्कालीन Principal नन्द लाल बोस को आमन्त्रित किया था | गाँधी जी चाहते थे कि वे भारत में रहने वाले लोगों की जीवनशैली को कला के माध्यम से दिखाए और उनकी इस art work का प्रदर्शन अधिवेशन के दौरान हो | ये वही नन्द लाल बोस है जिनका art work हमारे संविधान की शोभा बढ़ाता है | संविधान को एक नई पहचान देता है | और उनकी इस कला साधना ने संविधान के साथ-साथ नन्द लाल बोस को भी अमर बना दिया है | नन्द लाल बोस ने हरिपुरा के आस-पास के गाँव का दौरा किया और अंत में ग्रामीण भारत के जीवन को दर्शाते हुए कुछ art canvas बनाये | इस अनमोल कलाकारी की Venice में जबरदस्त चर्चा हुई | एक बार फिर गाँधी जी की 150वीं जन्म जयंती पर शुभकामनाओं के साथ, हर हिन्दुस्तानी से कोई न कोई संकल्प की, मैं अपेक्षा करता हूँ | देश के लिए, समाज के लिए, किसी और के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए | यही बापू को अच्छी, सच्ची, प्रमाणिक कार्यांजलि होगी |

माँ भारती के सपूतों, आपको याद होगा कि पिछले कुछ सालों में हम 2 अक्टूबर से पहले लगभग 2 सप्ताह तक देशभर में ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान चलाते है | इस बार ये 11 सितम्बर से शुरू होगा | इस दौरान हम अपने-अपने घरों से बाहर निकल कर श्रमदान के ज़रिये महात्मा गाँधी को कार्यांजलि देंगे | घर हो या गलियाँ, चौक-चौराहे हो या नालियाँ, स्कूल, कॉलेज से लेकर सभी सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छता का महा अभियान चलाना है | इस बार प्लास्टिक पर विशेष जोर देना है 15 अगस्त को लाल किले से मैंने ये कहा कि जिस उत्साह व ऊर्जा के साथ सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने स्वच्छता के लिए अभियान चलाया | खुले में शौच से मुक्ति के लिए कार्य किया | उसी प्रकार हमें साथ मिलकर Single use plastic के इस्तमाल को खत्म करना है | इस मुहीम को लेकर समाज के सभी वर्गों में उत्साह है | मेरे कई व्यापारी भाइयों-बहनों ने दुकान में एक तख्ती लगा दी है, एक placard लगा दिया है | जिस पर यह लिखा है कि ग्राहक अपना थैला साथ ले करके ही आये | इससे पैसा भी बचेगा और पर्यावरण की रक्षा में वे अपना योगदान भी दे पायेंगे | इस बार 2 अक्टूबर को जब बापू की 150वीं जयंती मनायेंगे तो इस अवसर पर हम उन्हें न केवल खुले में शौच से मुक्त भारत समर्पित करेंगे बल्कि उस दिन पूरे देश में प्लास्टिक के खिलाफ एक नए जन-आंदोलन की नींव रखेंगे | मैं समाज के सभी वर्गों से, हर गाँव, कस्बे में और शहर के निवासियों से अपील करता हूँ, करबद्ध प्रार्थना करता हूँ कि इस वर्ष गाँधी जयंती, एक प्रकार से हमारी इस भारत माता को प्लास्टिक कचरे से मुक्ति के रूप में हम मनाये |

2 अक्टूबर विशेष दिवस के रूप में मनायें | महात्मा गाँधी जयंती का दिन एक विशेष श्रमदान का उत्सव बन जाए | देश की सभी नगरपालिका, नगरनिगम, जिला-प्रशासन, ग्राम-पंचायत, सरकारी-गैरसरकारी सभी व्यवस्थाएँ, सभी संगठन, एक-एक नागरिक हर किसी से मेरा अनुरोध है कि प्लास्टिक कचरे के collection और storage के लिए उचित व्यवस्था हो | मैं corporate sector से भी अपील करता हूँ कि जब ये सारा plastic waste इकठ्ठा हो जाए तो इसके उचित निस्तारण हेतु आगे आयें, disposal की व्यवस्था हो | इसे recycle किया जा सकता है | इसे ईंधन बनाया जा सकता है | इस प्रकार इस दिवाली तक हम इस प्लास्टिक कचरे के सुरक्षित निपटारे का भी कार्य पूरा कर सकते है | बस संकल्प चाहिए | प्रेरणा के लिए इधर-उधर देखने की जरुरत नहीं है गाँधी से बड़ी प्रेरणा क्या हो सकती है |

मेरे प्यारे देशवासियों, हमारे संस्कृत सुभाषित एक प्रकार से ज्ञान के रत्न होते हैं | हमें जीवन में जो चाहिए वो उसमे से मिल सकता है | इन दिनों तो मेरा संपर्क बहुत कम हो गया है लेकिन पहले मेरा संपर्क बहुत था | आज मैं एक संस्कृत सुभाषित से एक बहुत महत्वपूर्ण बात को स्पर्श करना चाहता हूँ और ये सदियों पहले लिखी गई बातें हैं, लेकिन आज भी, इसका कितना महत्व है | एक उत्तम सुभाषित है और उस सुभाषित ने कहा है –

“ पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम् |
मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा प्रदीयते” ||

यानि कि पृथ्वी में जल, अन्न और सुभाषित – यह तीन रत्न है | मूर्ख लोग पत्थर को रत्न कहते हैं | हमारी संस्कृति में अन्न की बहुत अधिक महिमा रही है | यहाँ तक कि हमने अन्न के ज्ञान को भी विज्ञान में बदल दिया है | संतुलित और पोषक भोजन हम सभी के लिए जरुरी है | विशेष रूप से महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए, क्योंकि, ये ही हमारे समाज के भविष्य की नींव है | ‘पोषण अभियान’ के अंतर्गत पूरे देशभर में आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से पोषण को जन-आन्दोलन बनाया जा रहा है | लोग नए और दिलचस्प तरीकों से कुपोषण से लड़ाई लड़ रहे हैं | कभी मेरे ध्यान में एक बात लाई गई थी | नाशिक के अन्दर ‘मुट्ठी भर धान्य’ एक बड़ा आन्दोलन हो गया है | इसमें फसल कटाई के दिनों में आंगनवाड़ी सेविकाएँ लोगों से एक मुट्ठी अनाज इकठ्ठा करती हैं | इस अनाज का उपयोग, बच्चों और महिलाओं के लिए गर्म भोजन बनाने में किया जाता है | इसमें दान करने वाला व्यक्ति एक प्रकार से जागरुक नागरिक समाज सेवक बन जाता है | इसके बाद वो इस ध्येय के लिए खुद भी समर्पित हो जाता है | उस आन्दोलन का वो एक सिपाही बन जाता है | हम सभी ने परिवारों में हिंदुस्तान के हर कोने में अन्न प्राशन संस्कार के बारे में सुना है | ये संस्कार तब किया जाता है जब बच्चे को पहली बार ठोस आहार खिलाना शुरू करते हैं | Liquid food नही Solid food | गुजरात ने 2010 में सोचा कि क्यूँ न ‘अन्न प्राशन संस्कार’ के अवसर पर बच्चों को complimentary food दिया जाये ताकि लोगों को, इसके बारे में जागरुक किया जा सके | यह एक बहुत ही शानदार पहल है जिसे, हर कहीं, अपनाया जा सकता है |

कई राज्यों में लोग तिथि भोजन अभियान चलाते हैं | अगर परिवार में जन्मदिन हो, कोई शुभदिन हो, कोई स्मृति दिवस हो, तो परिवार के लोग, पौष्टिक खाना, स्वादिष्ट खाना बनाकर के आंगनवाड़ी में जाते हैं, स्कूलों में जाते हैं और परिवार के लोग खुद बच्चों को परोसते हैं, खिलाते हैं | अपने आनंद को भी बाँटते हैं और आनंद में इज़ाफा करते हैं | सेवाभाव और आनंदभाव का अद्भुत मिलन नज़र आता है | साथियों, ऐसी कई सारी छोटी-छोटी चीजें हैं जिससे हमारा देश कुपोषण के खिलाफ़ एक प्रभावी लड़ाई लड़ सकते हैं | आज, जागरूकता के आभाव में, कुपोषण से ग़रीब भी, और संपन्न भी, दोनों ही तरह के परिवार प्रभावित हैं | पूरे देश में सितम्बर महीना ‘पोषण अभियान’ के रूप में मनाया जाएगा | आप जरुर इससे जुड़िये, जानकारी लीजिये, कुछ नया जोड़ियें | आप भी योगदान दीजिये | अगर आप एकाध व्यक्ति को भी कुपोषण से बाहर लाते हैं मतलब हम देश को कुपोषण से बाहर लाते हैं |

“हेलो सर, मेरा नाम सृष्टि विद्या है और मैं 2nd year की student हूँ | सर मैंने twelve august को आपका episode देखा था Bear Grylls के साथ, जिसमें आप आये थे | तो सर मुझे वो आपका episode देखकर बहुत अच्छा लगा | First of all तो ये सुनकर अच्छा लगा कि आपको हमारे nature, wild life and environment की कितनी ज्यादा फ़िक्र है, कितनी ज्यादा care है और सर मुझे बहुत अच्छा लगा आपको इस नये रूप में, एक adventurous रूप में देख के | तो सर, मैं जानना चाहूंगी कि आपको इस episode के दौरान experience कैसा रहा और sir last में एक बात और add करना चाहूंगी कि आपका fitness level देख कर हम जैसे youngster बहुत ज्यादा impress और बहुत ज्यादा motivate हुए हैं आपको इतना fit and fine देखकर |”


सृष्टि जी आपके फ़ोन कॉल के लिए धन्यवाद् | आपकी ही तरह हरियाणा में, सोहना से, के.के.पाण्डेय जी और सूरत की ऐश्वर्या शर्मा जी के साथ, कई लोगों ने Discovery Channel पर दिखाये गये ‘Man vs. Wild’ episode के बारे में जानना चाहा है | इस बार जब ‘मन की बात’ के लिए मैं सोच रहा था तो मुझे पक्का भरोसा था कि इस विषय में बहुत सारे सवाल आयेंगे और हुआ भी ऐसा ही और पिछले कुछ हफ़्तों में मैं जहाँ भी गया लोगों से मिला हूँ वहाँ ‘Man vs. Wild’ का भी ज़िक्र आ ही जाता है | इस एक episode से मैं न सिर्फ हिंदुस्तान दुनिया भर के युवाओं से जुड़ गया हूँ | मैंने भी कभी सोचा नही था कि युवा दिलों में इस प्रकार से मेरी जगह बन जायेगी | मैंने भी कभी सोचा नही था कि हमारे देश के और दुनिया के युवा कितनी विविधता भरी चीजों की तरफ ध्यान देते हैं | मैंने भी कभी सोचा नही था कि कभी दुनिया भर के युवा के दिल को छूने का मेरी ज़िन्दगी में अवसर आयेगा | और होता क्या है ? अभी पिछले सप्ताह मैं भूटान गया था | मैंने देखा है कि प्रधानमंत्री के रूप में मुझे जब से जहाँ भी जाने का अवसर मिला और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के कारण से स्थिति ये बन गई है कि दुनिया में जिस किसी के पास जाता हूँ बैठता हूँ तो कोई - न - कोई पाँच-सात मिनट तो योग के संबंध में मेरे से सवाल-जवाब करते ही करते हैं | शायद ही दुनिया का कोई बड़ा ऐसा नेता होगा जिसने मेरे से योग के संबंध में चर्चा न की हो और ये सारी दुनिया में मेरा अनुभव आया है | लेकिन इन दिनों एक नया अनुभव आ रहा है | जो भी मिलता है, जहाँ भी बात करने का मौका मिलता है | वे Wildlife के विषय में चर्चा करता है, Environment के सम्बन्ध में चर्चा करता है | Tiger, Lion, जीव-सृष्टि और मैं हैरान हूँ कि लोगों की कितनी रूचि होती है | Discovery ने इस कार्यक्रम को 165 देशों में उनकी भाषा में प्रसारित करने की योजना बनाई है |

आज जब पर्यावरण, Global Warming, Climate Change एक वैश्विक मंथन का दौर चल रहा है | मुझे आशा है कि ऐसे में यह कार्यक्रम भारत का सन्देश, भारत की परंपरा, भारत के संस्कार यात्रा में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, इन सारी बातों से विश्व को परिचित कराने में ये Discovery Channel का ये episode बहुत मदद करेगा ऐसा मेरा पक्का विश्वास बन गया है और हमारे भारत में climate justice और clean environment की दिशा में उठाये गए कदमों को अब लोग जानना चाहते हैं | लेकिन एक और interesting बात है कुछ लोग संकोच के साथ भी मुझे एक बात जरुर पूछते हैं कि मोदी जी बताइये आप हिन्दी बोल रहे थे और Bear Grylls हिंदी जानते नहीं हैं तो इतना तेजी से आपके बीच सवांद कैसे होता था ? ये क्या बाद में edit किया हुआ है ? ये इतना बार-बार shooting हुआ है ? क्या हुआ है ? बड़ी जिज्ञासा के साथ पूछते हैं | देखिये, इसमें कोई रहस्य नहीं है | कई लोगों के मन में ये सवाल है, तो मैं इस रहस्य को खोल ही देता हूँ | वैसे वो रहस्य है ही नहीं | Reality तो यह है कि Bear Grylls के साथ बातचीत में technology का भरपूर इस्तेमाल किया गया | जब मैं कुछ भी बोलता था तो तुरंत ही अंग्रेजी में simultaneous अनुवाद होता था | simultaneous interpretation होता था और Bear Grylls के कान में एक cordless छोटा सा instrument लगा हुआ था | तो मैं बोलता था हिंदी लेकिन उसको सुनाई देता था अंग्रेजी और उसके कारण संवाद बहुत आसान हो जाता था और technology का यही तो कमाल है | इस show के बाद बड़ी संख्या में लोग मुझे जिम कॉर्बेट, नेशनल पार्क के विषय में चर्चा करते नजर आए हैं | आप लोग भी nature और wild life प्रकृति और जन्य-जीवों से जुड़े स्थलों पर जरुर जाएं | मैंने पहले भी कहा है, मैं जरुर कहता हूँ आपको |

अपने जीवन में north-east जरुर जाइये | क्या प्रकृति है वहाँ | आप देखते ही रह जायेंगें | आपके भीतर का विस्तार हो जाएगा | 15 अगस्त को लाल किले से मैंने आप सभी से आग्रह किया था कि अगले 3 वर्ष में, कम-से-कम 15 स्थान और भारत के अन्दर 15 स्थान और पूरी तरह 100% tourism के लिए ही ऐसे 15 स्थान पर जाएं, देखें, अध्य्यन करें, परिवार को लेकर जाएं, कुछ समय वहाँ बिताएं | विविधिताओं से भरा हुआ देश आपको भी ये विविधिताएं एक शिक्षक के रूप में, आपको भी, भीतर से विविधिताओं से भर देंगे | आपका अपने जीवन का विस्तार होगा | आपके चिंतन का विस्तार होगा | और मुझपे भरोसा कीजिए हिंदुस्तान के भीतर ही ऐसे स्थान हैं जहाँ से आप नई स्फूर्ति, नया उत्साह, नया उमंग, नई प्रेरणा ले करके आएंगें और हो सकता है कुछ स्थानों पर तो बार-बार जाने का मन आपको भी होगा, आपके परिवार को भी होगा |

मेरे प्यारे देशवासियो, भारत में पर्यावरण की care और concern यानि देखभाल की चिंता स्वाभाविक नजर आ रही है | पिछले महीने मुझे देश में tiger census जारी करने का सौभाग्य मिला था | क्या आप जानते हैं कि भारत में कितने बाघ हैं ? भारत में बाघों की आबादी 2967 है | Two thousand nine hundred sixty seven | कुछ साल पहले इससे आधे भी बड़ी मुश्किल से थे हम | बाघों को लेकर 2010 में रूस के saint Petersburg में Tiger summit हुआ था | इसमें दुनिया में बाघों की घटती संख्या को लेकर चिंता जाहिर करते हुए एक संकल्प लिया गया था | यह संकल्प था Twenty Twenty Two 2022 तक पूरी दुनिया में बाघों की संख्या को दोगुना करना | लेकिन यह New India है हम लक्ष्यों को जल्दी से जल्द पूरा करते हैं | हमनें 2019 में ही अपने यहाँ tiger की संख्या दोगुनी कर दी | भारत में सिर्फ बाघों की संख्या ही नहीं बल्कि protected areas और community reserves की संख्या भी बढ़ी हैं | जब मैं बाघों का data release कर रहा था तो मुझे गुजरात के गीर के शेर की भी याद आई | जब मैंने वहाँ मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला था | तब गीर की जंगलों में शेरों का habitat सिकुड़ रहा था | उनकी संख्या कम होती जा रही थी | हमनें गीर में एक के बाद एक कई कदम उठाए | 2007 में वहाँ महिला guards को तैनात करने का फैसला लिया | पर्यटन को बढ़ाने के लिए infrastructure में सुधार किए | जब भी हम प्रकृति और वन्य-जीवों की बात करते हैं तो केवल conservation की ही बात करते हैं | लेकिन, अब हमें conservation से आगे बढ़ कर compassion को लेकर सोचना ही होगा | हमारे शास्त्रों में इस विषय में भी बहुत अच्छा मार्गदर्शन मिला है | सदियों पहले हमारे शास्त्रों में हमनें कहा है :-

निर्वनो बध्यते व्याघ्रो, निर्व्याघ्रं छिद्यते वनम |
तस्माद् व्याघ्रो वनं रक्षेत्, वनं व्याघ्रं न पालयेत् ||

अर्थात, यदि वन न हों तो बाघ मनुष्य की आबादी में आने को मजबूर हो जाते हैं और मारे जाते हैं और यदि जंगल में बाघ न हों तो मनुष्य जंगल काटकर उसे नष्ट कर देता है इसलिए वास्तव में बाघ वन की रक्षा करता है, न कि, वन बाघ की - कितने उत्तम तरीके से विषय को हमारे पूर्वजों ने समझाया है | इसलिए हमें अपने वनों, वनस्पतियों और वन्य जीवों का न केवल संरक्षण करने की आवश्यकता है बल्कि ऐसा वातावरण भी बनाना होगा जिससे वे सही तरीके से फल-फूल सकें |

मेरे प्यारे देशवासियो, 11 सितम्बर, 1893 eighteen ninety three स्वामी विवेकानंद जी का ऐतिहासिक भाषण कौन भूल सकता है | पूरे विश्व की मानव जाति को झकझोर करने वाला भारत का ये युवा सन्यासी दुनिया के अन्दर भारत की एक तेजस्वी पहचान छोड़ करके आ गया | जिस गुलाम भारत की तरफ दुनिया बड़ी विकृत भाव से देख रही थी | उस दुनिया को 11 सितम्बर, 1893 स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष के शब्दों ने दुनिया को भारत की तरफ देखने का नज़रिया बदलने के लिए मजबूर कर दिया | आइये, स्वामी विवेकानंद जी ने जिस भारत के रूप को देखा था | स्वामी विवेकानंद जी ने भारत के जिस सामर्थ्य को जाना था | हम उसे जीने की कोशिश करें | हमारे भीतर है, सबकुछ है | आत्मविश्वास के साथ चल पड़ें |

मेरे प्यारे देशवासियो, आप सभी को याद होगा कि 29 अगस्त को ‘राष्ट्र खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है | इस अवसर पर हम देश भर में ‘FIT INDIA MOVEMENT’ launch करने वाले हैं | खुद को fit रखना है | देश को fit बनाना है | हर एक के लिए बच्चे, बुजुर्ग, युवा, महिला सब के लिए ये बड़ा interesting अभियान होगा और ये आपका अपना होगा | लेकिन उसकी बारीकियां आज मैं बताने नहीं जा रहा हूँ | 29 अगस्त का इंतजार कीजिये | मैं खुद उस दिन विस्तार से विषय में बताने वाला हूँ और आपको जोड़े बिना रहने वाला नहीं हूँ | क्योंकि आपको मैं fit देखना चाहता हूँ | आपको fitness के लिए जागरूक बनाना चाहता हूँ और fit India के लिए देश के लिए हम मिल करके कुछ लक्ष्य भी निर्धारित करें |

मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे आपका इंतजार रहेगा 29 अगस्त को fit India में | सितम्बर महीने में ‘पोषण अभियान’ में | और विशेषकर 11 सितम्बर से 02 अक्टूबर ‘स्वच्छता अभियान’ में | और 02 अक्टूबर totally dedicated plastic के लिए | Plastic से मुक्ति पाने के लिए हम सब, घर, घर के बाहर सब जगह से पूरी ताकत से लगेंगे और मुझे पता है ये सारे अभियान social media में तो धूम मचा देंगे | आइये, एक नए उमंग, नए संकल्प, नई शक्ति के साथ चल पड़ें |

मेरे प्यारे देशवासियो, आज ‘मन की बात’ में इतना ही | फिर मिलेंगे | मैं आपकी बातों का, आपके सुझावों का इंतजार करूँगा | आइये, हम सब मिल करके आजादी के दीवानों के सपनों का भारत बनाने के लिए गांधी के सपनों को साकार करने के लिए चल पड़ें – ‘स्वान्त: सुखाय:’ | भीतर के आनंद को सेवा भाव से प्रकट करते हुए चल पड़ें |

बहुत-बहुत धन्यवाद |
नमस्कार |

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140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

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140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।