भारत ने मलेरिया के मामलों में 69% की उल्लेखनीय कमी हासिल की है, जो 2017 के 6.4 मिलियन से घटकर 2023 में सिर्फ़ 2 मिलियन हो गए हैं। यह एक बड़ी सफलता है जिसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लक्षित नीतियों और नेतृत्व को जाता है। यह माइलस्टोन पीएम मोदी के उस व्यापक लक्ष्य का हिस्सा है जिसमें 2030 तक मलेरिया को समाप्त करना है, एक प्रतिबद्धता जो 2015 के ईस्ट एशिया समिट में की गई थी।
इस उपलब्धि की वैश्विक स्तर पर प्रशंसा हुई है, वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट ने भारत को इस घातक बीमारी से निपटने में वैश्विक सफलता की गाथा के रूप में मान्यता दी है। कीटनाशक उपचारित मच्छरदानियों के व्यापक वितरण और उन्नत डायग्नॉस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे लक्षित हस्तक्षेपों के साथ-साथ पीएम मोदी के सक्रिय दृष्टिकोण ने भारत में मलेरिया कंट्रोल को बदल दिया है।
वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, "एक ऐसे देश में जहां हेल्थकेयर तक पहुंच कभी विशेषाधिकार पर निर्भर थी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पब्लिक हेल्थ की नींव को फिर से परिभाषित किया है, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी भारतीय पीछे न छूटे। प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्हें पब्लिक लाइफ और गवर्नेंस का व्यापक अनुभव रहा है, और इसलिए जब वे 'मोदी की गारंटी' कहते हैं तो उनके दिमाग में एक्शन का ब्लूप्रिंट होता है।"
लेकिन मलेरिया पर विजय प्रधानमंत्री मोदी की व्यापक हेल्थकेयर क्रांति का सिर्फ़ एक अध्याय है। आदिवासी गांवों से लेकर शहरी झुग्गियों तक, मोदी सरकार ने सभी के लिए हेल्थकेयर को एक वास्तविकता बनाने के लिए अथक प्रयास किया है। नड्डा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये सुधार प्रधानमंत्री मोदी के तहत एक बड़े विज़न का हिस्सा हैं, जिसमें न केवल बीमारियों का उन्मूलन बल्कि संपूर्ण हेल्थकेयर इकोसिस्टम को बदलना शामिल है।
नड्डा ने कहा, "2014 से पहले, भारत में हेल्थकेयर एक उपेक्षित क्षेत्र था, यहां तक कि आजादी के 70 साल बाद भी। यह पीएम मोदी का दूरदर्शी नेतृत्व था जिसने अभूतपूर्व सुधार लाए और हेल्थकेयर को वह अटेंशन दी जिसकी वह हकदार थी।"
मलेरिया के अलावा, प्रधानमंत्री मोदी के हेल्थकेयर रिफॉर्म्स ने इस क्षेत्र में व्यापक बदलाव ला दिया है, जिससे करोड़ों लोगों के लिए हेल्थकेयर अधिक सुलभ और सस्ती हो गई है।
हेल्थ पर सरकारी खर्च में वृद्धि ने इसे संभव बनाया है। हेल्थ बजट में 85% की वृद्धि हुई है, जो 2017-18 के ₹47,353 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹87,657 करोड़ हो गया है। इसके अतिरिक्त, 15वें वित्त आयोग ने स्थानीय सरकारों को ₹70,051 करोड़ आवंटित किए हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि रिसोर्सेज देश के हर कोने तक पहुँचें।
2014 में प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने से पहले भारत में हेल्थकेयर, गरीबों पर बोझ थी। परिवारों को अक्सर चिकित्सा उपचार और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं के बीच चयन करना पड़ता था। यह तेजी से बदल रहा है। 2013-14 में आउट-ऑफ-पॉकेट हेल्थ एक्सपेंडिचर 64.2% था, जो 2021-22 में घटकर सिर्फ 39.4% रह गया है। इसका मतलब है कि अब कम परिवारों को मेडिकल केयर पाने के लिए कर्ज लेना पड़ता है।
उदाहरण के लिए ‘आयुष्मान भारत’ को ही लें। देश भर में 1,75,418 से ज़्यादा हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स होने के कारण, ग्रामीण परिवारों को अब बेसिक मेडिकल केयर के लिए लंबी दूरी तय करने की ज़रूरत नहीं है। ये सेंटर्स करोड़ों लोगों के लिए लाइफलाइन बन गए हैं, जो उनके दरवाज़े पर ही डायग्नॉस्टिक्स, ट्रीटमेंट और यहाँ तक कि प्रिवेंटिव केयर भी प्रदान करते हैं।
‘आयुष्मान भारत’ की सफलता पर प्रकाश डालते हुए नड्डा ने कहा, "शहरी गरीबों के लिए ‘आयुष्मान भारत’ की स्वास्थ्य बीमा योजना एक बड़ा बदलाव है। 12.37 करोड़ परिवारों के 55 करोड़ से ज़्यादा लोगों को अब सालाना 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मिलता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी बीमारी किसी परिवार को ग़रीबी में न धकेले। तथा ‘मोदी 3.0’ में, 70 साल से ज़्यादा उम्र के बुज़ुर्गों को भी कवर किया गया है, चाहे उनकी आयसीमा कुछ भी हो। यह सम्मान के साथ स्वास्थ्य-सेवा है, जिसकी एक दशक पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।"
हेल्थकेयर की बड़ी बातें
• मलेरिया के मामलों में 69% की गिरावट आई है, जो 2017 के 6.4 मिलियन से घटकर 2023 में 2 मिलियन हो गए हैं।
• हेल्थकेयर पर जेब से होने वाला खर्च 2013-14 के 64.2% से घटकर 2021-22 में 39.4% हो गया है।
• हेल्थ बजट में 85% की वृद्धि हुई है, जो 2017-18 के ₹47,353 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹87,657 करोड़ हो गया है।
• देशभर में 1,75,418 आयुष्मान भारत हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स चल रहे हैं।
• स्थानीय सरकारों के माध्यम से हेल्थ इनिशिएटिव्स के लिए ₹70,051 करोड़ आवंटित किए गए हैं।
जेपी नड्डा ने इसे पूरी तरह से स्पष्ट करते हुए कहा, "2014 से पहले, हेल्थकेयर एक उपेक्षित क्षेत्र था। आज, चाहे आप अमीर हों या गरीब, दूरदराज के गांव में रहते हों या मेट्रो शहर में, आप एक ऐसे सिस्टम का हिस्सा हैं जो क्वालिटी हेल्थकेयर की गारंटी देता है। यह पीएम मोदी के नेतृत्व में नया भारत है जो तेजी से ‘विकसित भारत’ में बदल रहा है जहां हेल्थकेयर सभी के लिए है।"