जब तक महामारी की वैक्सीन नहीं आ जाती, हमें कोरोना से अपनी लड़ाई को कमजोर नहीं पड़ने देना है: पीएम मोदी
याद रखिए, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं : राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी
कोरोना की वैक्सीन जब भी आएगी, वो जल्द से जल्द प्रत्येक भारतीय तक कैसे पहुंचे इसके लिए भी सरकार की तैयारी जारी है: पीएम मोदी

टेलीविज़न पर राष्ट्र के नाम अपने विशेष संबोधन में आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश की कोविड महामारी के खिलाफ चल रही लड़ाई में सभी नागरिकों से ढिलाई न बरतने और आत्मसंतोष से बचने की विनम्र अपील की।

श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भले ही लॉकडाउन हटा दिया गया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोरोना वायरस का देश से सफाया हो गया है।

उन्होंने पूरे देश में स्थिति में हो रहे सुधार की सराहना की और आर्थिक गतिविधि सामान्य होने पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने इस बात की भी सराहना की कि लोगों ने जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए अपने घरों से बाहर निकलना शुरू कर दिया है।

श्री मोदी ने कहा कि त्योहारों के आगमन के साथ बाजार भी सामान्य स्थिति में लौटने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले 7-8 महीनों में हर भारतीय के प्रयासों के कारण भारत बेहतर स्थिति में है और किसी को भी इसे बिगड़ने नहीं देना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में रोगियों के स्वस्थ होने की दर में सुधार हुआ है और मृत्यु दर कम हो रही है। श्री मोदी ने कहा कि भारत में प्रत्येक 10 लाख की आबादी पर लगभग 5,500 लोग ही कोरोना से संक्रमित हुए थे, जबकि अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों में प्रत्येक 10 लाख की आबादी पर यह आंकड़ा लगभग 25,000 है।

उन्होंने कहा कि भारत में प्रति 10 लाख की आबादी पर मृत्यु की दर 83 है, जबकि विकसित राष्ट्रों जैसे अमेरिका, ब्राजील, स्पेन और ब्रिटेन सहित कई अन्य देशों में यह संख्या लगभग 600 है।

प्रधानमंत्री ने सराहना की कि कई विकसित देशों की तुलना में भारत में ज्‍यादा से ज़्यादा लोगों की जान बचाई जा रही है।

प्रधानमंत्री ने देश में कोविड अवसंरचना में सुधार का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि, अब देश में 90 लाख से अधिक बिस्‍तर, 12 हजार क्‍वारंटीन केंद्र उपलब्‍ध हैं।

उन्होंने कहा कि 2000 से अधिक कोरोना जांच प्रयोगशालाएं पूरे देश में कार्य कर रही हैं, जबकि परीक्षणों की संख्या जल्द ही 10 करोड़ को पार कर जाएगी।

उन्होंने कहा कि भारत विश्‍व के संसाधन समृद्ध देशों की तुलना में अपने ज्‍यादा से ज्‍यादा नागरिकों की जान बचाने में सफल हो रहा है। जांच की बढ़ती संख्‍या कोविड महामारी से लड़ाई में एक प्रमुख ताकत रही है।

प्रधानमंत्री ने डॉक्‍टर, नर्स और अन्‍य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को धन्‍यवाद देते हुए कहा कि, वे सब 'सेवा परमो धर्म:' के मंत्र पर चलते हुए विशाल जनसमुदाय की निःस्‍वार्थ सेवा कर रहे हैं।

उन्होंने लोगों को चेतावनी दी कि, इन सभी प्रयासों के बीच अभी आप यह न मानें कि कोरोना वायरस चला गया है, या अब कोरोना से कोई खतरा नहीं है।

ऐसे लोगों को सावधान करते हुए, जिन्होंने सावधानी बरतना बंद कर दिया है, उन्होंने कहा कि, "यदि आप लापरवाही कर रहे हैं और बिना मास्क के बाहर जा रहे हैं, तो आप अपने आप को, अपने परिवार, अपने बच्चों और बुजुर्गों को उतनी ही मात्रा में जोखिम में डाल रहे हैं।"

प्रधानमंत्री ने अमेरिका और यूरोप की वर्तमान स्थिति का उल्लेख किया, जहां कोरोना के मामलों की संख्या शुरू में कम हुई लेकिन फिर अब अचानक से बढ़ने लगी है।

उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे तब तक कोई भी ढिलाई न बरतें, जब तक कि महामारी के खिलाफ वैक्सीन या दवाई न मिल जाए और जब तक कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई सफल न हो जाये।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मानवता को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास जारी हैं और भारतीय वैज्ञानिकों सहित अनेक देश वैक्सीन के उत्पादन पर काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ विभिन्न टीकों पर काम चल रहा है और इनमें से कुछ एक उन्नत चरण में हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार हर एक नागरिक तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए एक विस्तृत रोड मैप भी तैयार कर रही है, जो कि वैक्सीन को आसानी से उपलब्ध करा सके।

उन्होंने लोगों से फिर आग्रह किया कि जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक वे ढिलाई न बरतें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि, वर्तमान में हम एक कठिन समय से गुजर रहे हैं और थोड़ी सी लापरवाही एक बड़े संकट का कारण बन सकती है और यह हमारी खुशी को धूमिल कर सकती है।

उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि वे अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए सतर्क रहें।

उन्होंने नागरिकों से 6 फीट की दूरी (दो गज़ की दूरी) को बनाए रखने, समय-समय पर साबुन से हाथ धोने और फेस मास्क पहनने की अपील की।

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यह बजट सत्र 'विकसित भारत' के संकल्प को नई ऊर्जा देगा: पीएम
January 31, 2025
Government is moving forward in mission mode towards comprehensive development, be it geographically, socially, or economically: PM
PM highlights the importance of reform, perform, and transform in achieving rapid development
State and Central governments must work together to perform, public participation will lead to transformation: PM
The next 25 years will be dedicated to achieving a prosperous and developed India: PM

साथियों,

आज बजट सत्र के प्रारंभ मैं समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी को प्रणाम करता हूं। और ऐसे अवसर पर सदियों से हमारे यहां मां लक्ष्मी का पुण्य स्मरण किया जाता है-

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि। मंत्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते।

मां लक्ष्मी हमें सिद्धि और विवेक देती हैं, समृद्धि और कल्याण भी देती हैं। मैं मां लक्ष्मी से प्रार्थना करता हूं कि देश के हर गरीब एवं मध्यम वर्ग समुदाय पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा रहे।

साथियों,

हमारे गणतंत्र के 75 वर्ष पूरे हुए हैं, और ये हर देशवासी के लिए सर्वाधिक गौरवपूर्ण है, और विश्व के लोकतांत्रिक जगत के लिए भी भारत का ये सामर्थ्य अपनी एक विशेष स्थान बनता है।

साथियों,

ये देश की जनता ने मुझे तीसरी बार ये दायित्व दिया है, और इस तीसरे कार्यकाल का ये पहला पूर्ण बजट है, और मैं विश्वास से कह सकता हूं कि 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे, विकसित भारत का जो संकल्प देश ने लिया है, ये बजट सत्र, ये बजट एक नया विश्वास पैदा करेगा, नई ऊर्जा देगा, कि देश जब आजादी के 100 साल मनाएगा, तब विकसित होकर रहेगा। 140 करोड़ देशवासी अपने सामूहिक प्रयास से इस संकल्प को परिपूर्ण करेंगे। तीसरी टर्म में हम मिशन मोड में देश को सर्वांगीण विकास की दिशा में, चाहे वो भौगोलिक रूप से हो, सामाजिक रूप से हो या आर्थिक भिन्न-भिन्न स्तर के संदर्भ में हो। हम सर्वांगीण विकास के संकल्प को लेकर के मिशन मोड में आगे बढ़ते जा रहे हैं। इनोवेशन, इंक्लूजन और इन्वेस्टमेंट ये लगातार हमारे आर्थिक गतिविधि के रोडमैप का आधार रहा है।

इस सत्र में हमेशा की तरह कई ऐतिहासिक दिन, कल सदन में चर्चा होगी और व्यापक मंथन के साथ वो राष्ट्र की ताकत बढ़ाने का काम करने वाला कानून बनेंगे। विशेषकर नारी शक्ति के गौरव को पुन: प्रस्थापित करना, पंथ संप्रदाय के भेद से मुक्त होकर के हर नारी को सम्मानपूर्ण जीवन मिले, उसको भी समान अधिकार मिले, उस दिशा में ये सत्र में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म, जब विकास की तेज गति को प्राप्त करना होता है, तो सबसे ज्यादा बल रिफॉर्म पर रहता है, राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर के परफॉर्म करना होता है और जन भागीदारी से हम ट्रांसफॉर्मेशन देख सकते हैं।

हमारा युवा देश है, युवा शक्ति है और आज जो 20-25 साल की आयु के नौजवान हैं, जब वे 45-50 साल के होंगे, तब वो विकसित भारत के सबसे बड़े बेनिफिशियरी होने वाले हैं। उम्र के उस पड़ाव पर होंगे, नीति निर्धारण की व्यवस्था में उस जगह पर बैठे होंगे, कि वे गर्व के साथ आजादी के बाद जो शताब्दी शुरू होगी, एक विकसित भारत के साथ आगे बढ़ेंगे। और इसलिए ये विकसित भारत के संकल्प की पूर्ति का प्रयास, ये अथाग मेहनत, आज जो हमारी, हमारे टीनएजर्स हैं, हमारी युवा पीढ़ी है, उनके लिए ये बहुत बड़ा तोहफा बनने वाली है। जो लोग 1930 में, 1942 में आजादी के जंग में जुट गए थे, पूरी देश की युवा पीढ़ी खप गई थी, आजादी के जंग में, और उसके फल, 25 साल के बाद जब पीढ़ी आई, उसको नसीब हुए। उस जंग में जो नौजवान थे, उनको नसीब हुए। आजादी के पूर्व के वो 25 साल, आजादी का जश्न बनाने का अवसर बना। वैसे ही ये 25 वर्ष समृद्ध भारत, विकसित भारत, ये संकल्प से सिद्धि और सिद्धि से शिखर तक पहुंचने का देशवासियों का इरादा, और इसलिए इस बजट सत्र में सभी सांसद विकसित भारत को मजबूती देने के लिए अपना योगदान देंगे, विशेषकर के जो युवा सांसद हैं, उनके लिए तो सुनहरा अवसर है, क्योंकि वो आज सदन में जितनी जागरुकता, जितनी भागीदारी बढ़ाएंगे और विकसित भारत के जो फल है, वो तो उनकी नजर के सामने देखने को मिलने वाले हैं। और इसलिए युवा सांसदों के लिए एक अनमोल अवसर है।

साथियों,

मैं आशा करता हूं कि हम देश की आशा-आकांक्षाओं पर इस बजट सत्र में खरे उतरेंगे।

साथियों,

आज एक बात आपने जरूर नोट की होगी, मीडिया के लोगों को तो जरूर करनी चाहिए। शायद 2014 से लेकर अब तक, शायद ये पहला पार्लियामेंट का सत्र है, कि जिसके एक-दो दिन पहले कोई विदेशी चिंगारी नहीं पकड़ी है, विदेश में से आग लगाने की कोशिश नहीं हुई है। 10 साल से, 2014 से देख रहा हूं, हर सत्र के पहले शरारत करने के लिए लोग तैयार बैठते थे, और यहां इसको हवा देने वालों की कोई कमी नहीं है। ये पहला सत्र मैं पिछले 10 साल के बाद देख रहा हूं कि जिसमें किसी भी विदेशी कोने से, कोई चिंगारी नहीं हुई।

साथियों बहुत-बहुत धन्यवाद।