“रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर हाल में जो बल दिया जा रहा है, उसे बजट में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है”
“अनोखापन और चौंकाने वाले तत्त्व तभी आ सकते हैं, जब उपकरण को आपके अपने देश में विकसित किया जाये”
“इस साल के बजट में देश के भीतर ही अनुसंधान, डिजाइन और विकास से लेकर निर्माण तक का एक जीवन्त इको-सिस्टम विकसित करने का ब्लूप्रिंट है”
“स्वदेशी खरीद के लिये 54 हजार करोड़ रुपये की संविदाओं पर हस्ताक्षर किये जा चुके हैं। इसके अलावा 4.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि की उपकरण खरीद प्रक्रिया विभिन्न चरणों में है”
“परीक्षण, जांच और प्रमाणीकरण की पारदर्शी, समयबद्ध, तर्कसंगत और निष्पक्ष प्रणाली जीवन्त रक्षा उद्योग के विकास के लिये जरूरी है”


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बजट में की गई घोषणाओं के संदर्भ में ‘आत्मनिर्भरता इन डिफेंस – कॉल टू ऐक्शन’ (रक्षा में आत्मनिर्भरता – कार्यवाही का आह्वान) विषयक बजट-उपरान्त वेबिनार को सम्बोधित किया। वेबिनार का आयोजन रक्षा मंत्रालय ने किया। प्रधानमंत्री द्वारा सम्बोधित बजट-उपरान्त वेबिनारों की श्रृंखला में यह चौथा वेबिनार है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वेबिनार के विषय ‘रक्षा में आत्मनिर्भरता – कार्यवाही का आह्वान’ से राष्ट्र की भावना का पता चलता है। हाल के वर्षों में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को मजबूती देने का जो प्रयास किया जा रहा है, वह इस वर्ष के बजट में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उन्होंने उल्लेख किया कि गुलामी के कालखंड में भी और आजादी के तुरंत बाद भी भारत के रक्षा निर्माण की ताकत बहुत ज्यादा थी। दूसरे विश्वयुद्ध में भारत में बने हथियारों ने बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा, “यद्यपि बाद के वर्षों में हमारी इस शक्ति का ह्रास होने लगा, लेकिन इसके बावजूद उसकी क्षमता में कोई कमी नहीं आई, न पहले और न अब।”

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि रक्षा प्रणालियों में अनोखेपन और विशिष्टता का बहुत महत्त्व है, क्योंकि ये दुश्मनों को सहसा चौंका देने वाले तत्त्व होते हैं। उन्होंने कहा, “अनोखापन और चौंकाने वाले तत्त्व तभी आ सकते हैं, जब उपकरण को आपके अपने देश में विकसित किया जाये।” प्रधानमंत्री ने उल्लेख करते हुये कहा कि इस साल के बजट में देश के भीतर ही अनुसंधान, डिजाइन और विकास से लेकर निर्माण तक का एक जीवन्त इको-सिस्टम विकसित करने का ब्लूप्रिंट है। उन्होंने कहा कि रक्षा बजट के लगभग 70 प्रतिशत हिस्से को केवल स्वदेशी उद्योग के लिये रखा गया है।

रक्षा मंत्रालय ने अब तक 200 से अधिक रक्षा प्लेटफॉर्मों और उपकरणों की सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां जारी की हैं। इस घोषणा के बाद प्रधानमंत्री ने बताया कि स्वदेशी खरीद के लिये 54 हजार करोड़ रुपये की संविदाओं पर हस्ताक्षर किये जा चुके हैं। इसके अलावा 4.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि की उपकरण खरीद प्रक्रिया विभिन्न चरणों में है। उन्होंने कहा कि तीसरी सूची के जल्द आने की संभावना है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि हथियार खरीद की प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि उन्हें शामिल करते-करते इतना लंबा समय बीत जाता है कि वे हथियार पुराने ढंग के हो जाते हैं। उन्होंने जोर देते हुये कहा, “इसका भी समाधान ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ में ही है।” प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों की सराहना की कि वह निर्णय लेते समय आत्मनिर्भरता के महत्त्व को ध्यान में रखते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हथियारों और उपकरणों के मामलों में जवानों के गौरव और उनकी भावना को ध्यान में रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव होगा, जब हम इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि साइबर सुरक्षा अब सिर्फ डिजिटल दुनिया तक सीमित नहीं, बल्कि वह राष्ट्र की सुरक्षा का विषय बन चुकी है। उन्होंने कहा, “अपनी अदम्य आईटी शक्ति को हम अपने रक्षा क्षेत्र में जितना ज्यादा इस्तेमाल करेंगे, उतनी ही सुरक्षा में हम आश्वस्त होंगे।”

संविदाओं के लिये रक्षा निर्माताओं के बीच की प्रतिस्पर्धा का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि यह प्रतिस्पर्धा अंततोगत्वा धन अर्जित करने और भ्रष्टाचार की तरफ ले जाती है। हथियारों की गुणवत्ता और उपादेयता के बारे में बहुत भ्रम पैदा किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान ही इस समस्या का भी समाधान है।

प्रधानमंत्री ने आयुध फैक्ट्रियों की सराहना करते हुये कहा कि वे प्रगति और दृढ़ता की मिसाल हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया है कि जिन सात नये रक्षा उपक्रमों को पिछले वर्ष चालू किया गया था, वे तेजी से अपना व्यापार बढ़ा रहे हैं और नये बाजारों तक पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमने पिछले पांच-छह सालों में रक्षा निर्यात छह गुना बढ़ाया है। आज 75 से अधिक देशों को मेक इन इंडिया रक्षा उपकरण और सेवा प्रदान की जा रही है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया को सरकार द्वारा दिये जाने वाले प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप पिछले सात सालों में रक्षा निर्माण के लिये 350 से भी अधिक नये औद्योगिक लाइसेंस जारी किये जा चुके हैं, जबकि 2001 से 2014 के 14 वर्षों में सिर्फ 200 लाइसेंस जारी हुये थे। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि निजी क्षेत्र को भी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के समकक्ष काम करना चाहिये। इसी को ध्यान में रखते हुये उद्योग, स्टार्ट-अप और अकादमिक जगत के लिये रक्षा अनुसंधान एवं विकास का 25 प्रतिशत हिस्सा आवंटित किया गया है। उन्होंने कहा, “इस पहल से निजी क्षेत्र की भूमिका विक्रेता या आपूर्तिकर्ता से बढ़कर साझीदार की हो जायेगी।”

श्री मोदी ने कहा कि परीक्षण, जांच और प्रमाणीकरण की पारदर्शी, समयबद्ध, तर्कसंगत और निष्पक्ष प्रणाली जीवन्त रक्षा उद्योग के विकास के लिये जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में एक स्वतंत्र प्रणाली समस्याओं के समाधान के लिये उपयोगी साबित हो सकती है।

प्रधानमंत्री ने हितधारकों का आह्वान किया कि वे बजटीय प्रावधानों को समयबद्ध तरीके से कार्यान्वित करने के लिये नये विचारों के साथ आगे आयें। उन्होंने कहा कि सभी हितधारक हाल के वर्षों में बजट की तिथि एक महीने पहले किये जाने के कदम का भरपूर लाभ उठायें और जब बजट कार्यान्वयन की तिथि आ पहुंचे, तो मैदान में उतर आयें।

 

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Under Rozgar Mela, PM to distribute more than 71,000 appointment letters to newly appointed recruits
December 22, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will distribute more than 71,000 appointment letters to newly appointed recruits on 23rd December at around 10:30 AM through video conferencing. He will also address the gathering on the occasion.

Rozgar Mela is a step towards fulfilment of the commitment of the Prime Minister to accord highest priority to employment generation. It will provide meaningful opportunities to the youth for their participation in nation building and self empowerment.

Rozgar Mela will be held at 45 locations across the country. The recruitments are taking place for various Ministries and Departments of the Central Government. The new recruits, selected from across the country will be joining various Ministries/Departments including Ministry of Home Affairs, Department of Posts, Department of Higher Education, Ministry of Health and Family Welfare, Department of Financial Services, among others.