कांग्रेस शासन में पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त करने के ठोस प्रयास नहीं हुए: पीएम मोदी
आजादी के बाद 4 दशक तक कांग्रेस नहीं समझ सकी कि गांवों में पंचायती राज व्यवस्था लागू करना कितना आवश्यक: पीएम मोदी
देश कह रहा है - भ्रष्टाचार, वंशवाद, तुष्टीकरण भारत छोड़ो: पीएम मोदी
भाजपा के प्रतिनिधि के तौर पर आपको पंचायत व्यवस्था का लाभ समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाना है: पीएम मोदी
आज केंद्र सरकार हर योजना के शत प्रतिशत सैचुरेशन का लक्ष्य लेकर चल रही है: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को सूरजकुंड में BJP के क्षेत्रीय पंचायती राज परिषद सम्मेलन का वर्चुअल उद्घाटन किया। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज देश विकसित भारत के निर्माण के लिए पूरे उत्साह से आगे बढ़ रहा है। वहीं पंचायतों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इनमें किसी भी सेक्टर में बड़े परिवर्तन लाने की अपार शक्ति हैं।

इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने पंचायतों की अनदेखी की, आजादी के बाद 4 दशक तक कांग्रेस को ये समझ ही नहीं आया था कि गांवों में पंचायती राज व्यवस्था लागू करना कितना आवश्यक है। इसके बाद जो जिला पंचायत व्यवस्था बनी भी, उसे कांग्रेस शासन में अपने हाल पर छोड़ दिया था। यानी गांव में बसने वाली देश की दो तिहाई आबादी के लिए अपनी सड़क, बिजली, पानी, बैंक, घर के लिए, तरसना ही उनकी नियति बन गई थी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस और उस जैसी सोच वाले दलों ने पंचायतों को अपने भ्रष्टाचार और भ्रष्ट नेताओं के एडजस्टमेंट का अड्डा बना दिया था। इसका नतीजा यह हुआ कि आजादी के सात दशक बाद भी देश के 18 हजार गांवों तक बिजली नहीं पहुंच सकी, देश के 16 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण घरों को नल से जल नहीं मिल सका था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘कांग्रेस के राज में पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त करने के ठोस प्रयास कभी नहीं किए गए और ज्यादातर कार्रवाई आंकड़ों और कागजों में ही सीमित रही, जम्मू-कश्मीर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। आर्टिकल 370 हटने के बाद वहां पहली बार ग्राम पंचायत से लेकर जिला स्तर तक के चुनाव हुए हैं। इनमें अब वहां 33 हजार से ज्यादा स्थानीय जनप्रतिनिधि निर्वाचित हुए हैं और पहली बार वहां जमीनी स्तर पर लोकतंत्र स्थापित हुआ है।'

देशभर में पंचायतों के सशक्तिकरण के लिए भाजपा सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से भाजपा सरकार ने जिला परिषद और स्थानीय स्वराज को मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। पंचायती राज संस्थाओं के लिए 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रावधान किया गया है।

पिछले 9 वषों में देश में 30 हजार से ज्यादा नए पंचायत घरों का निर्माण हुआ है। इसके अलावा अनेक क्षेत्रों में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल और ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के लिए नए ऑफिस बन रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भाजपा के प्रतिनिधि के तौर पर, आपको पंचायत व्यवस्था का लाभ समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाना है। आज केंद्र सरकार हर योजना के शत प्रतिशत सैचुरेशन का लक्ष्य लेकर चल रही है। ये तभी संभव है जब गांव-गांव में हम इस लक्ष्य को हासिल करें।‘

किसानों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि लक्ष्य यही रखना है कि एक भी किसान,केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभ से वंचित ना रहे। वहीं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देशव्यापी अभियान का जिक्र करते हुए उन्होंने हर जिला पंचायत अध्यक्ष, काउंसिल अध्यक्ष से ये भी सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि उनके जिले में कम से कम से 5 गांव, केमिकल फ्री फॉर्मिंग करें।

प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के ग्रामीण क्षेत्र ने एक नई डिजिटल क्रांति को जन्म दिया है। 2014 के पहले हमारे देश में 100 से भी कम ग्राम पंचायतें ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ी हुई थीं। आज भारत नेट के जरिए दो लाख ग्राम पंचायतें आप्टिकल फाइबर से जुड़ चुकी हैं।

अुपने संबोधन में पीएम मोदी ने स्वदेशी आंदोलन का भी जिक्र किया और कहा कि भाजपा के हर पंचायत सदस्य को, लोकल के लिए वोकल होने के साथ ही स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना है। वहीं 9 अगस्त को Quit India Movement को समर्पित आंदोलन भी चलाना है।

प्रधानमंत्री ने गरीबों की चर्चा करते हुए कहा कि गरीब को विश्वास है कि ‘जहां कमल का निशान है, वहां गरीब कल्याण है।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।