“स्टार्टअप और खेल का संगम महत्वपूर्ण है; बेंगलुरु में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स इस खूबसूरत शहर की ऊर्जा को बढ़ाएंगे
“महामारी की चुनौतियों के बीच खेलों का आयोजन न्यू इंडिया के दृढ़ संकल्प और जुनून का प्रतीक है; यह युवा जुनून भारत को हर क्षेत्र में नई गति दे रहा है"
"खेल और जीवन में सफलता की प्रमुख आवश्यकताएं हैं, समग्र दृष्टिकोण और शत-प्रतिशत समर्पण"
"जीत के बाद भी खेल भावना को निभाना और हार से सीखना एक महत्वपूर्ण कला है, जिसे हम खेल के मैदान में सीखते हैं"
"कई पहलें खेलों को पुरानी सोच के बंधन से मुक्त कर रही हैं"
"खेलों में मान्यता मिलने से देश की मान्यता बढ़ती है"


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के उद्घाटन के अवसर पर अपना संदेश साझा किया। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु द्वारा आज बेंगलुरु में गेम्स की शुरुआत की गयी। इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल श्री थावर चंद गहलोत, मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई,केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर, केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री राज्य मंत्री श्री निसिथ प्रमाणिक व अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बेंगलुरु देश के युवा उत्साह का प्रतीक है और पेशेवर लोगों का गौरव है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि यहां स्टार्टअप और खेल का संगम हो रहा है। उन्होंने कहा, "बेंगलुरू में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आयोजन से इस खूबसूरत शहर की ऊर्जा में वृद्धि होगी।" महामारी की चुनौतियों के बीच खेलों के आयोजन के लिए प्रधानमंत्री ने आयोजकों के संकल्प की सराहना की, जो दृढ़ संकल्प और जुनून का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह युवा जुनून भारत को हर क्षेत्र में नई गति दे रहा है।

प्रधानमंत्री ने सफलता के पहले मंत्र के रूप में टीम भावना के महत्व को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “हम खेल से इस टीम भावना को सीखते हैं। आप इसका खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में प्रत्यक्ष अनुभव करेंगे। यह टीम भावना हमें जीवन को देखने का एक नया तरीका भी देती है।“ इसी तरह, खेल में सफलता की प्रमुख आवश्यकताएं हैं, समग्र दृष्टिकोण और शत-प्रतिशत समर्पण। खेल के मैदान से मिली शक्ति और सीख व्यक्ति को जीवन में भी आगे ले जाती है। श्री मोदी ने जोर देते हुए कहा, "खेल, सही अर्थ में, जीवन की वास्तविक समर्थन प्रणाली है।“ प्रधानमंत्री ने विभिन्न पहलुओं जैसे जुनून, चुनौतियां, हार से सीख, समर्पण और तत्क्षण में जीने की क्षमता के संबंध में खेल और जीवन के बीच समानताओं को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, "जीत के बाद भी खेल भावना को निभाना और हार से सीखना एक महत्वपूर्ण कला है, जिसे हम खेल के मैदान में सीखते हैं।"

प्रधानमंत्री ने एथलीटों से कहा कि वे नए भारत के युवा हैं और वे ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के ध्वजवाहक भी हैं। युवा सोच और दृष्टिकोण आज देश की नीतियों के स्वरुप का निर्माण कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के युवाओं ने फिटनेस को देश की प्रगति का मंत्र बना लिया है। कई पहलें खेलों को पुरानी सोच के बंधन से मुक्त कर रही हैं। नई शिक्षा नीति में खेलों पर जोर, खेलों के लिए आधुनिक आधारभूत संरचना, पारदर्शी चयन प्रक्रिया या खेलों में आधुनिक तकनीक का बढ़ता उपयोग जैसे उपाय तेजी से नए भारत की पहचान; इसके युवाओं की आशाएं व आकांक्षाएं और नए भारत के निर्णयों की नींव बन रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “अब देश में नए खेल विज्ञान केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। समर्पित खेल विश्वविद्यालय स्थापित किए जा रहे हैं। यह आपकी सुविधा के लिए है और आपके सपनों को पूरा करने के लिए है।“

प्रधानमंत्री ने देश की खेल शक्ति और राष्ट्र शक्ति के बीच की कड़ी को दोहराते हुए कहा कि खेलों में मान्यता मिलने से देश की मान्यता बढ़ती है। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक दल के साथ अपनी मुलाकात और एथलीटों के चेहरों पर दिख रही देश के लिए कुछ करने की चमक और संतुष्टि को याद किया। प्रधानमंत्री ने खिलाड़ियों से खेलों में भाग लेकर देश के लिए खेलने का आह्वान किया।

 

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।