"आजादी के इस अमृत काल में श्री भगवान राम जैसी संकल्पशक्ति, देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी"
"भगवान राम ने अपने वचन में, अपने विचारों में जिन मूल्यों को गढ़ा, वह सबका साथ-सबका विकास की प्रेरणा है और सबका विश्वास-सबका प्रयास का आधार है"
"राम किसी को पीछे नहीं छोड़ते, राम कर्तव्य भावना से मुख नहीं मोड़ते"
"हमारे संविधान की जिस मूलप्रति पर भगवान राम का चित्र अंकित है, संविधान का वह पृष्ठ भी मौलिक अधिकारों की बात करता है"
"पिछले आठ वर्षों में, देश ने हीन भावना की बेड़ियों को तोड़ा है और भारत के आस्था के केंद्रों के विकास की एक समग्र सोच को सामने रखा है"
"अयोध्या भारत की महान सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब है"
"अयोध्या की पहचान एक 'कर्तव्य नगरी' के रूप में विकसित होनी चाहिए"


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दीपावली की पूर्व संध्या पर आज उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान श्रीराम के प्रतीक स्वरूप का राज्याभिषेक किया। प्रधानमंत्री ने सरयू नदी के न्यू घाट पर आरती में भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने पर प्रधानमंत्री ने संतों से भी मुलाकात की और उनसे बातचीत की।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीरामलला के दर्शन और उसके बाद राजा राम का अभिषेक, यह सौभाग्य रामजी की कृपा से ही मिलता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “जब श्रीराम का अभिषेक होता है, तो हमारे भीतर भगवान राम के आदर्श एवं मूल्य और दृढ़ हो जाते हैं। राम के अभिषेक के साथ ही उनका दिखाया पथ और प्रदीप्त हो उठता है। अयोध्या जी के कण-कण में हम उनके दर्शन को देखते हैं।” श्री मोदी ने कहा, "अयोध्या की राम लीलाओं, सरयू आरती, दीपोत्सव और रामायण पर शोध व अध्ययन के माध्यम से यह दर्शन पूरे विश्व में फैल रहा है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार दीपावली एक ऐसे समय में आई है, जब हमने कुछ समय पहले ही आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं, हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आजादी के इस अमृत काल में भगवान राम जैसी संकल्पशक्ति, देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान राम ने अपने वचन में, अपने विचारों में, अपने शासन में, अपने प्रशासन में जिन मूल्यों को गढ़ा, वह सबका साथ- सबका विकास की प्रेरणा है और सबका विश्वास- सबका प्रयास का आधार है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, "हर भारतीय के लिए, भगवान श्री राम के सिद्धांत एक विकसित भारत की आकांक्षाएं हैं। यह एक प्रकाशस्तंभ की तरह है जो सबसे कठिन लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रेरणा प्रदान करता है।"

इस साल लाल किले से 'पंच प्रण' के अपने उद्बोधन को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लाल किले से मैंने सभी देशवासियों से पंच प्रणों को आत्मसात करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि इन पंच प्रणों की ऊर्जा जिस एक तत्व से जुड़ी हुई है, वह है भारत के नागरिकों का कर्तव्य। उन्होंने कहा कि आज पवित्र नगरी अयोध्या में दीपोत्सव के इस पावन अवसर पर हमें अपने इस संकल्प को दोहराना है, श्रीराम से सीखना है। 'मर्यादा पुरुषोत्तम' का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, मर्यादा, मान रखना भी सिखाती है और मान देना भी, और मर्यादा, जिस बोध की आग्रही होती है, वह कर्तव्य ही है। भगवान राम को कर्तव्यों का सजीव अवतार बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अपनी सभी भूमिकाओं में श्री राम ने हमेशा अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री ने विस्तार से बताया, "राम किसी को पीछे नहीं छोड़ते, राम कर्तव्य भावना से मुख नहीं मोड़ते। इसलिए, राम, भारत की उस भावना के प्रतीक हैं, जो मानती है कि हमारे अधिकार हमारे कर्तव्यों से स्वयं सिद्ध हो जाते हैं।" प्रधानमंत्री ने बताया कि हमारे संविधान की जिस मूलप्रति पर भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण जी का चित्र अंकित है, संविधान का वह पृष्ठ भी मौलिक अधिकारों की बात करता है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर संविधान मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है, वहीं भगवान श्रीराम के रूप में कर्तव्यों की शाश्वत सांस्कृतिक समझ भी है

प्रधानमंत्री ने अपनी विरासत पर गर्व करने और गुलाम मानसिकता का त्याग करने के बारे में 'पंच प्रण' का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी के अमृत काल में देश ने अपनी विरासत पर गर्व और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का आह्वान किया है। यह प्रेरणा भी हमें प्रभु श्रीराम से मिलती है। श्री राम ने भी मां और मातृभूमि को स्वर्ग से भी ऊपर रखकर इस रास्ते पर हमारा मार्गदर्शन किया। राम मंदिर, काशी विश्वनाथ, केदारनाथ और महाकाल-लोक का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने राममंदिर और काशी विश्वनाथ धाम से लेकर केदारनाथ और महाकाल- महालोक तक, घनघोर उपेक्षा के शिकार हमारी आस्था के स्थानों के गौरव को पुनर्जीवित किया है, उन पूजा स्थलों का कायाकल्प किया है, जो भारत के गौरव का हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री ने उस समय को याद करते हुए कहा कि एक समय था, जब राम के बारे में, हमारी संस्कृति और सभ्यता के बारे में बात करने तक से बचा जाता था। इसी देश में राम के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाए जाते थे। उन्होंने कहा, “हमने हीन भावना की बेड़ियों को तोड़ा है और पिछले आठ वर्षों में भारत के तीर्थों के विकास की समग्र सोच को सामने रखा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि अयोध्या में हजारों करोड़ की परियोजनाओं पर काम चल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सड़कों के विकास से लेकर घाटों और चौराहों के सौंदर्यीकरण से लेकर नए रेलवे स्टेशन और एक विश्वस्तरीय हवाई अड्डे जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार तक, पूरे क्षेत्र को बढ़ी हुई कनेक्टिविटी और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन से अत्यधिक लाभ मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि रामायण सर्किट के विकास के लिए काम चल रहा है।

प्रधानमंत्री ने सांस्कृतिक कायाकल्प के सामाजिक और अंतर्राष्ट्रीय आयामों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रृंगवेरपुर धाम में निषाद राज पार्क विकसित किया जा रहा है, जिसमें भगवान श्री राम और निषाद राज की 51 फीट ऊंची कांस्य की प्रतिमा होगी। उन्होंने कहा कि प्रतिमा रामायण के सर्व-समावेशी के संदेश का प्रचार करेगी जो हमें समानता और सद्भाव के संकल्प से जोड़ती है। अयोध्या में 'क्वीन हीओ मेमोरियल पार्क' के विकास के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पार्क भारत और दक्षिण कोरिया के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने के माध्यम के रूप में कार्य करेगा। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आध्यात्मिक पर्यटन के मामले में रामायण एक्सप्रेस ट्रेन सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। प्रधानमंत्री ने कहा, "चाहे चारधाम परियोजना हो, बुद्ध सर्किट हो या प्रसाद योजना के तहत विकास परियोजनाएं, यह सांस्कृतिक कायाकल्प नए भारत के समग्र विकास का श्री गणेश है।"

प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि अयोध्या भारत की महान सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब है। भगवान राम के आदर्शों पर चलना हम सभी भारतीयों का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि राम भले ही अयोध्या के राजकुमार थे, लेकिन आराध्य वह पूरे देश के हैं। उनकी प्रेरणा, उनकी तप-तपस्या, उनका दिखाया मार्ग, हर देशवासी के लिए है। उन्होंने कहा कि हमें उनके आदर्शों को निरंतर जीना है, जीवन में उतारना है। प्रधानमंत्री ने अयोध्या के लोगों को इस पवित्र शहर में सभी का स्वागत करने और इसे साफ रखने के अपने दोहरे कर्तव्यों के बारे में याद दिलाते अपनी बात समाप्त की। उन्होंने कहा कि अयोध्या की पहचान एक 'कर्तव्य नगरी' के रूप में विकसित होनी चाहिए।

इससे पहले, प्रधानमंत्री ने भगवान श्री रामलला विराजमान के दर्शन और पूजा-अर्चना की तथा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के स्थल का निरीक्षण किया।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल और महंत नृत्य गोपालदासजी महाराज सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

 

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Prime Minister Shri Narendra Modi paid homage today to Mahatma Gandhi at his statue in the historic Promenade Gardens in Georgetown, Guyana. He recalled Bapu’s eternal values of peace and non-violence which continue to guide humanity. The statue was installed in commemoration of Gandhiji’s 100th birth anniversary in 1969.

Prime Minister also paid floral tribute at the Arya Samaj monument located close by. This monument was unveiled in 2011 in commemoration of 100 years of the Arya Samaj movement in Guyana.