पीएम मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर उनकी 72 फीट ऊंची प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम भारत के उस स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करें, जिसका सपना दीनदयाल उपाध्याय जी जैसी विभूतियों ने देखा था: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, मैं अपने समर्पित कार्यकर्ताओं को दीनदयाल जी के सात सूत्रों को अपने जीवन में उतारने के लिए लगातार प्रोत्साहित करता हूं।
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद विदेशों में लोग आम भारतीयों को बधाई दे रहे हैं। G20 के बाद भी जिस तरह से भारत की सराहना की गई, उससे हर भारतवासी का सम्मान बढ़ा है: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार यानि 25 सितंबर को पार्टी के पुरोधा पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म-जयंती के पावन अवसर पर नई दिल्ली स्थित ‘दीनदयाल उपाध्याय पार्क’ में उनकी प्रतिमा का लोकार्पण किया। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और केंद्र सरकार के मंत्रिगण भी उपस्थित रहे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के लोकार्पण कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पार्टी के प्रेरणास्रोत रहे दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्मजयंती का पावन अवसर हम सबके लिए प्राणशक्ति देता आया है। पीएम मोदी ने इससे पहले सोमवार की सुबह पंडित जी की जन्मस्थली, जयपुर स्थित धानक्या जाकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि जब राजस्थान में भाजपा सरकार थी तो वहां पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक का निर्माण हुआ था। वहां बहुत अच्छे ढ़ंग से उनके जीवन को समझने के लिए प्रयास किया गया है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान लोगों से पंडित जी से जुड़ी दो जगहों पर अवश्य जाने को कहा। एक, जहां रेलवे की छोटी सी कुटीर में दीनदयाल जी का जन्म हुआ था, आज वहां म्यूजियम बना हुआ है। और दूसरा जहां दीनदयाल जी ने अपनी अंतिम सांस ली, वहां भी उनका एक स्मारक है।

पीएम मोदी ने दीनदयाल जी के विचार और पार्टी एवं समाज पर उसके प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा, “मुझे हमेशा एक बात का गर्व होता है कि जिन दीनदयाल जी के विचारों को लेकर के हम जी रहे हैं, उनके चरणों में बैठने का मुझे सौभाग्य मिला, ये अपने आप में बड़ी बात है। लेकिन कभी-कभी लगता है कि उनका जीवन भी रेल की पटरी से जुड़ा हुआ था, मेरा जीवन भी रेल की पटरी से जुड़ा हुआ रहा।“ उन्होंने कहा कि यह एक अद्भुत और सुखद संयोग ही है कि एक ओर पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क है और सामने ही भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय है। उनके ही रोपे गए बीज से आज बीजेपी एक विशाल वटवृक्ष बन चुकी है। ऐसे में उनकी ये प्रतिमा हम सबके लिए ऊर्जा का स्रोत बनेगी। ये प्रतिमा ‘राष्ट्र प्रथम’ के प्रण के साथ ही उनके द्वारा प्रतिपादित एकात्म-मानवदर्शन की प्रेरणा बनेगी। उनकी यह प्रतिमा हमें अंत्योदय के संकल्प की याद बार-बार दिलाती रहेगी।


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दीनदयाल जी की जयंती से ठीक पहले भाजपा के नेतृत्व से संसद में ‘नारीशक्ति वंदन अधिनियम’ पास होना हमारे संतोष को और बढ़ा दिया है। असल में पंडित जी ने एकात्म मानवदर्शन का जो मंत्र राजनीति को दिया था, यह उसी विचार का विस्तार है। राजनीति में महिलाओं की उचित भागीदारी के बिना हम समावेशी समाज की बात नहीं कर सकते। इसलिए, यह कदम न केवल हमारे लोकतन्त्र की जीत है, बल्कि हमारी वैचारिक जीत भी है। उन्होंने कहा कि पंडित जी ने एक मिशन के लिए, एक संकल्प के लिए अपना पूरा जीवन खपाया, जिसका फल आज हम सबको मिल रहा है। उन्होंने किस प्रकार कठिन परिस्थितियों में व्यक्तिगत पारिवारिक जिम्मेदारियों की जगह राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य का मार्ग चुना, यह उनके द्वारा लिखे एक पत्र की उन लाइनों में झलकती है जो उन्होंने अपने मामा को लिखा था,“एक ओर भावना और मोह खींचते हैं, तो दूसरी ओर प्राचीन ऋषियों और हुतात्माओं की आत्माएं पुकारती हैं।’’ इस प्रकार जब उनके सामने परिवार और राष्ट्र चुनने की बारी आई तो उन्होंने राष्ट्र के लिए संघर्ष का मार्ग चुना।

पीएम मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के संकल्प पथ पर भाजपा सराकर की निरंतर यात्रा के बारे में बताया कि उन्होंने हमेशा समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की बात की। बीते 9 वर्षों में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का सामर्थ्य बढ़ाने, उसके जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई बड़े कदम उठाए। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से दीनदयाल जी के इन सात सूत्रों- सेवाभाव, संतुलन, संयम, समन्वय, सकारात्मक, संवेदना और संवाद को याद कर लेने का आग्रह किया। क्योंकि जिस प्रकार देश में हम कर्त्तव्य काल की राह पर चल पड़े हैं, ऐसे में तो ये सूत्र और भी सामयिक और प्रासंगिक हैं। प्रधानमंत्री ने देश के सामर्थ्य बढ़ने से किस प्रकार देश के नागरिकों का सम्मान बढता है उसके बारे में कहा कि सार्वजनिक सफलता हमेशा व्यक्तिगत सफलता से कहीं ज्यादा गौरव की अनुभूति करवाती है। आज जैसे ही भारत ने अपना सामर्थ्य दिखाया है वैसे ही विदेशों में भी एक आम भारतीय को सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा है। चंद्रयान-3 और G-20 की सफलता के बाद जिस प्रकार पूरी दुनिया में भारत की वाहवाही हुई है, उससे हर भारतवासी का सम्मान बढ़ा है।

अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सदियों तक राष्ट्रसेवा का कोई भी अनुष्ठान बिना बलिदान के पूरा नहीं होता था। आज़ादी के बाद भी, नए विचार, नए प्रयास के लिए रास्ते आसान नहीं थे। उस समय भी दीनदयाल जी जैसे महापुरुषों ने अपना सब कुछ देश पर न्योछावर कर दिया था। पीएम ने कहा कि अगर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की अचानक और रहस्यमयी मृत्यु नहीं हुई होती, तो देश का भाग्य बहुत दशक पहले ही बदलना शुरू हो जाता। जिस व्यक्ति के विचार, उनकी मृत्यु के बाद आज भी इतना प्रभावी हो, वो अगर कुछ समय और जीवित रहते, तो भारत में परिवर्तन की एक नई आंधी उठ खड़ी होती। पीएम ने कहा कि आज का सुख हमें अतीत के बलिदानों की वजह से मिला है। इसलिए अब हमारी ज़िम्मेदारी है कि अमृतकाल में हम भारत के उस स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करें, जिसका सपना दीनदयाल जी जैसी विभूतियों ने देखा था।

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Prime Minister remembers Pandit Madan Mohan Malaviya on his birth anniversary
December 25, 2024

The Prime Minister, Shri Narendra Modi, remembered Mahamana Pandit Madan Mohan Malaviya on his birth anniversary today.

The Prime Minister posted on X:

"महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन। वे एक सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ जीवनपर्यंत भारत में शिक्षा के अग्रदूत बने रहे। देश के लिए उनका अतुलनीय योगदान हमेशा प्रेरणास्रोत बना रहेगा"