Quoteगणतंत्र दिवस की झांकियों और सांस्कृतिक प्रदर्शनियों के साथ देश की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने के लिए भारत पर्व का शुभारंभ
Quote"पराक्रम दिवस पर, हम नेताजी के आदर्शों को पूरा करने और उनके सपनों के भारत-निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं"
Quote"नेताजी सुभाष चंद्र बोस देश की समर्थ अमृत पीढ़ी के महान आदर्श हैं"
Quote"नेताजी का जीवन न केवल परिश्रम बल्कि शौर्य की भी पराकाष्ठा है"
Quote"नेताजी ने भारत के लोकतंत्र की जननी होने के दावे को दृढ़ता से विश्व के समक्ष रखा"
Quote"नेताजी ने युवाओं को गुलामी की मानसिकता से मुक्ति दिलाने का कार्य किया"
Quote"आज देश के युवा जिस प्रकार अपनी संस्कृति, मूल्यों और भारतीयता पर गौरवान्वित हैं - वह अभूतपूर्व"
Quote"हमारी युवा और महिला शक्ति ही देश की राजनीति को भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार की बुराइयों से मुक्त कर सकती है"
Quote"हमारा लक्ष्य भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध, सांस्कृतिक रूप से सुदृढ़ और रणनीतिक रूप से सक्षम बनाना है"
Quote"हमें अमृत काल के हर क्षण का उपयोग राष्ट्रहित में करना है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज दिल्ली के लाल किले में पराक्रम दिवस समारोह में भाग लिया। उन्होंने भारत पर्व का भी शुभारंभ किया जो गणतंत्र दिवस की झांकियों और सांस्कृतिक प्रदर्शनियों के साथ देश की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करेगा। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय अभिलेखागार की प्रौद्योगिकी-आधारित इंटरैक्टिव प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इसमें नेता जी की तस्वीरें, पेंटिंग, किताबें और मूर्तियां भी शामिल है। उन्होंने नेताजी के जीवन पर आधारित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा प्रस्तुत नाटक भी देखा। इसे प्रोजेक्शन मैपिंग के साथ समन्वयित किया गया था। उन्होंने आज़ाद हिन्द फौज़ (आईएनए) के एकमात्र जीवित वयोवृद्ध लेफ्टिनेंट आर. माधवन को भी सम्मानित किया। स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दिग्गजों के योगदान का विधिवत सम्मान करने के प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप, पराक्रम दिवस 2021 से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर मनाया जाता है।

 

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सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने पराक्रम दिवस के अवसर पर अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि जो लाल किला कभी आजाद हिंद फौज के शौर्य और पराक्रम का साझी था, वह एक बार फिर नई ऊर्जा से भर गया है। आजादी के अमृत काल की प्रारंभिक अवधि को संकल्प के माध्यम से सिद्धि के उत्सव के रूप में संदर्भित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस क्षण को अभूतपूर्व बताया। प्रधानमंत्री ने कल के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का स्‍मरण करते हुए कहा कि कल सम्पूर्ण विश्व ने भारत में सांस्कृतिक चेतना जागृत होती देखी। प्रधानमंत्री ने कहा, "प्राण प्रतिष्ठा की ऊर्जा और विश्वास को पूरी मानवता और दुनिया ने अनुभव किया"। उन्होंने कहा कि आज नेताजी सुभाष की जयंती का समारोह चल रहा है। पराक्रम दिवस की घोषणा के बाद से यह समारोह यह 23 जनवरी को नेताजी की जयंती से शुरू होकर 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्य तिथि तक गणतंत्र दिवस समारोह का विस्तार करता है और अब 22 जनवरी का शुभ उत्सव भी लोकतंत्र के इस उत्सव का एक हिस्सा बन गया है। प्रधानमंत्री ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जनवरी के आखिरी कुछ दिन भारत की आस्था, सांस्कृतिक चेतना, लोकतंत्र और देशभक्ति के लिए प्रेरणादायक हैं।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के आयोजन में शामिल सभी लोगों की सराहना की। इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित युवाओं से बातचीत की। उन्होंने कहा कि जब भी मैं भारत की युवा पीढ़ी से मिलता हूं, तो विकसित भारत के स्वप्न के प्रति मेरा विश्वास और दृढ हो जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस देश की इस 'अमृत' पीढ़ी के लिए महान आदर्श हैं।

प्रधानमंत्री ने भारत-पर्व का उल्लेख किया, जिसका उन्होंने आज शुभारंभ किया और अगले 9 दिनों में होने वाले कार्यक्रमों और प्रदर्शनों के बारे में जानकारी दी। “भारत-पर्व नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आदर्शों का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि 'यह 'वोकल फॉर लोकल' अपनाने, पर्यटन को बढ़ावा देने, विविधता का सम्मान करने और 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' को नई ऊंचाई देने का 'पर्व' है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आईएनए के 75 साल पूरे होने के अवसर पर लाल किले पर तिरंगा फहराने का स्मरण करते हुए कहा कि नेताजी का जीवन परिश्रम के साथ-साथ शौर्य का भी शिखर था। प्रधानमंत्री ने नेताजी के बलिदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने न सिर्फ अंग्रेजों का विरोध किया बल्कि भारतीय सभ्यता पर सवाल उठाने वालों को भी उचित जवाब दिया। प्रधानमंत्री कहा कि नेताजी ने विश्व के समक्ष लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की छवि प्रदर्शित की।

पराधीनता की मानसिकता के विरोध में नेताजी के संघर्ष का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के भारत की युवा पीढ़ी में जो नई चेतना और गौरव व्याप्त है, उस पर नेताजी को गर्व होता। ये नई जागरूकता विकसित भारत के निर्माण की ऊर्जा बन गई है। उन्होंने कहा कि आज का युवा पंच प्राण को अपना रहा है और पराधीनता की मानसिकता से बाहर निकल रहा है। पीएम मोदी ने कहा, "नेताजी का जीवन और उनका योगदान भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है"। उम्मीद है कि इस प्रेरणा को हमेशा आगे बढ़ाया जाएगा। इसी विश्वास के साथ प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में सरकार के प्रयासों और कर्तव्य पथ पर नेताजी की प्रतिमा स्थापित करके उचित सम्मान देने का उल्लेख किया जो प्रत्येक नागरिक को उनके कर्तव्य के प्रति समर्पण की याद दिलाता है। उन्होंने अंडमान और निकोबार के द्वीपों का नाम बदलने का भी उल्लेख भी किया, जहां आजाद हिंद फौज ने पहली बार तिरंगा फहराया था। नेताजी को समर्पित निर्माणाधीन एक स्मारक, लाल किले में नेताजी और आजाद हिंद फौज के लिए एक समर्पित संग्रहालय और पहली बार नेताजी के नाम पर राष्ट्रीय आपदा राहत पुरस्कार की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने कहा, "वर्तमान सरकार ने स्वतंत्र भारत में किसी भी अन्य सरकार की तुलना में आजाद हिंद फौज को समर्पित अधिक कार्य किया है और मैं इसे हमारे लिए आशीर्वाद मानता हूं।"

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भारत की चुनौतियों के बारे में नेताजी की गहन समझ के बारे में प्रधानमंत्री ने एक लोकतांत्रिक समाज की नींव पर भारत के राजनीतिक लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के बारे में उनके विश्वास को याद किया। हालाँकि, प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता के बाद नेताजी की विचारधारा पर हमले पर खेद व्यक्त किया, क्योंकि उन्होंने भारतीय लोकतंत्र में भाई-भतीजावाद और पक्षपात की बुराइयों का विरोध किया था।

इसके कारण से भारत का धीमा विकास हुआ। यह रेखांकित करते हुए कि समाज का एक बड़ा वर्ग अपने विकास के लिए अवसरों और बुनियादी आवश्यकताओं से वंचित है। उन्होंने राजनीतिक, आर्थिक और विकास नीतियों पर कुछ परिवारों के दबदबे पर ध्यान केन्द्रित किया और कहा कि इससे देश की महिलाओं और युवाओं को कष्ट और भारी नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने उस समय महिलाओं और युवाओं के सामने आने वाली कठिनाइयों को याद किया और 'सबका साथ सबका विकास' की भावना पर जोर दिया, जिसे 2014 में वर्तमान सरकार सत्ता में आने के बाद लागू किया गया था। प्रधानमंत्री ने निर्धन परिवारों के बेटे-बेटियों के लिए आज उपलब्ध प्रचुर अवसरों पर विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों के परिणाम सभी देख सकते हैं। प्रधानमंत्री ने वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित होने का उल्लेख करते हुए भारत की महिलाओं के बीच इस बात को लेकर जागृत हुए आत्मविश्वास की ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि सरकार उनकी छोटी-छोटी आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील है। उन्होंने दोहराया कि अमृतकाल देश के राजनीतिक भविष्य को नया आकार देने का सुअवसर लेकर आया है। प्रधानमंत्री ने इन बुराइयों को समाप्त करने के लिए साहस व्यक्त करने की आवश्‍यकता पर बल देते हुए कहा कि युवा शक्ति और नारी शक्ति विकसित भारत की राजनीति को परिवर्तित करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है और आपकी शक्ति देश की राजनीति को भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार की बुराइयों से मुक्त कर सकती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समय राम-काज से राष्ट्र-काज के लिए स्‍वयं को समर्पित करने का है। उन्होंने राम के काम से राष्ट्र के काम तक, भारत से वैश्विक अपेक्षाओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। हमारा लक्ष्य भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध, सांस्कृतिक रूप से सुदृढ़ और रणनीतिक रूप से सक्षम बनाना है। इसके लिए आवश्यक है कि आगामी 5 वर्षों में हम विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनें और यह लक्ष्य हमारी पहुंच से दूर नहीं है। पिछले 10 वर्षों में पूरे देश के प्रयासों और प्रोत्साहन से लगभग 25 करोड़ भारतीय निर्धनता से बाहर आये हैं। भारत आज उन लक्ष्यों को हासिल कर रहा है जिन्हें पहले प्राप्त करने की कल्पना भी नहीं की जाती थी।

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प्रधानमंत्री ने रक्षा आत्मनिर्भरता के लिए पिछले 10 वर्षों के दौरान उठाए गए कदमों के बारे में भी विस्तार से बताया। सैकड़ों गोला-बारूद और उपकरणों पर प्रतिबंध और एक जीवंत घरेलू रक्षा उद्योग के निर्माण का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत, जो कभी दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा आयातक था, अब विश्व के सबसे बड़े रक्षा निर्यातकों में शामिल हो रहा है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत पूरी दुनिया को 'विश्व मित्र' के रूप में संयोजन में व्यस्त है और विश्व की चुनौतियों का समाधान प्रदान करने के लिए अग्रसर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां एक ओर भारत, विश्व के लिए युद्ध से शांति की ओर का रास्ता बनाने की कोशिश कर रहा है, वहीं देश, राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए भी तैयार है।

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत और देशवासियों के लिए अगले 25 वर्षों के महत्व पर प्रकाश डाला और अमृतकाल के हर पल को राष्ट्रीय हितों के लिए समर्पित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा, “हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए और हमें शौर्यवान बनना चाहिए। यह विकसित भारत के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। पराक्रम दिवस हमें प्रत्येक वर्ष इस संकल्प की याद दिलाएगा।”

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इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी, केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और श्रीमती मीनाक्षी लेखी और केंद्रीय रक्षा और पर्यटन राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट और नेताजी सुभाष चंद्र बोस आईएनए ट्रस्ट के अध्यक्ष ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) आरएस चिकारा और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वाधीनता सेनानियों के योगदान को गरिमापूर्ण रूप से सम्मानित करने के लिए प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप, वर्ष 2021 से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। इस वर्ष लाल किले पर आयोजित होने वाला कार्यक्रम ऐतिहासिक प्रतिबिंबों और जीवंत सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों का समन्वय करने वाला एक बहुआयामी उत्सव होगा। इस अवसर पर आयोजित गतिविधियाँ नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिंद फ़ौज की गहन विरासत पर प्रकाश डालेंगी। आगंतुकों को दुर्लभ तस्वीरों और दस्तावेजों को प्रदर्शित करने वाली अभिलेखागार प्रदर्शनियों के माध्यम से एक गहन अनुभव से जुड़ने का अवसर मिलेगा, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की उल्लेखनीय यात्रा का विवरण प्रदान करेंगे। यह समारोह 31 जनवरी, 2024 तक जारी रहेगा।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने 23 से 31 जनवरी तक आयोजित होने वाले भारत पर्व का भी शुभारंभ किया। यह गणतंत्र दिवस की झांकियों और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के साथ देश की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करेगा, जिसमें 26 मंत्रालयों और विभागों के प्रयास, नागरिक-केंद्रित पहल, वोकल फॉर लोकल और विविध पर्यटक आकर्षणों पर प्रकाश डाला जाएगा। यह लाल किले के सामने राम लीला मैदान और माधव दास पार्क में आयोजित होगा।

पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

  • krishangopal sharma Bjp January 24, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा🙏🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹
  • Sailendra Pandav Mohapatra January 23, 2025

    The great freedom fighter of India and its Azad hind fauj led by fierce leader Subhas Chandra Bose helped drive the Colonial British from India and be the first leader hoisted flag in Manipur at Imphal .The Azad hind fauz was the great troop in colonial India and many women joined in this troop for waging war against British India.Their sacrificed lives for Independent India are praise worthy .His prominent Slogans are Delhi Chalo 'give me blood' and promised to give you freedom.The parakram Diwas was named on his birth anniversary.He also called Gandhi ji as father of Nation and Bapu and Gandhiji called him as great leader alias Netaji. 🙏Jai Hind🙏
  • Reena chaurasia September 09, 2024

    bjp
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