गणतंत्र दिवस की झांकियों और सांस्कृतिक प्रदर्शनियों के साथ देश की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने के लिए भारत पर्व का शुभारंभ
"पराक्रम दिवस पर, हम नेताजी के आदर्शों को पूरा करने और उनके सपनों के भारत-निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं"
"नेताजी सुभाष चंद्र बोस देश की समर्थ अमृत पीढ़ी के महान आदर्श हैं"
"नेताजी का जीवन न केवल परिश्रम बल्कि शौर्य की भी पराकाष्ठा है"
"नेताजी ने भारत के लोकतंत्र की जननी होने के दावे को दृढ़ता से विश्व के समक्ष रखा"
"नेताजी ने युवाओं को गुलामी की मानसिकता से मुक्ति दिलाने का कार्य किया"
"आज देश के युवा जिस प्रकार अपनी संस्कृति, मूल्यों और भारतीयता पर गौरवान्वित हैं - वह अभूतपूर्व"
"हमारी युवा और महिला शक्ति ही देश की राजनीति को भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार की बुराइयों से मुक्त कर सकती है"
"हमारा लक्ष्य भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध, सांस्कृतिक रूप से सुदृढ़ और रणनीतिक रूप से सक्षम बनाना है"
"हमें अमृत काल के हर क्षण का उपयोग राष्ट्रहित में करना है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज दिल्ली के लाल किले में पराक्रम दिवस समारोह में भाग लिया। उन्होंने भारत पर्व का भी शुभारंभ किया जो गणतंत्र दिवस की झांकियों और सांस्कृतिक प्रदर्शनियों के साथ देश की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करेगा। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय अभिलेखागार की प्रौद्योगिकी-आधारित इंटरैक्टिव प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इसमें नेता जी की तस्वीरें, पेंटिंग, किताबें और मूर्तियां भी शामिल है। उन्होंने नेताजी के जीवन पर आधारित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा प्रस्तुत नाटक भी देखा। इसे प्रोजेक्शन मैपिंग के साथ समन्वयित किया गया था। उन्होंने आज़ाद हिन्द फौज़ (आईएनए) के एकमात्र जीवित वयोवृद्ध लेफ्टिनेंट आर. माधवन को भी सम्मानित किया। स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दिग्गजों के योगदान का विधिवत सम्मान करने के प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप, पराक्रम दिवस 2021 से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर मनाया जाता है।

 

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने पराक्रम दिवस के अवसर पर अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि जो लाल किला कभी आजाद हिंद फौज के शौर्य और पराक्रम का साझी था, वह एक बार फिर नई ऊर्जा से भर गया है। आजादी के अमृत काल की प्रारंभिक अवधि को संकल्प के माध्यम से सिद्धि के उत्सव के रूप में संदर्भित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस क्षण को अभूतपूर्व बताया। प्रधानमंत्री ने कल के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का स्‍मरण करते हुए कहा कि कल सम्पूर्ण विश्व ने भारत में सांस्कृतिक चेतना जागृत होती देखी। प्रधानमंत्री ने कहा, "प्राण प्रतिष्ठा की ऊर्जा और विश्वास को पूरी मानवता और दुनिया ने अनुभव किया"। उन्होंने कहा कि आज नेताजी सुभाष की जयंती का समारोह चल रहा है। पराक्रम दिवस की घोषणा के बाद से यह समारोह यह 23 जनवरी को नेताजी की जयंती से शुरू होकर 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्य तिथि तक गणतंत्र दिवस समारोह का विस्तार करता है और अब 22 जनवरी का शुभ उत्सव भी लोकतंत्र के इस उत्सव का एक हिस्सा बन गया है। प्रधानमंत्री ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जनवरी के आखिरी कुछ दिन भारत की आस्था, सांस्कृतिक चेतना, लोकतंत्र और देशभक्ति के लिए प्रेरणादायक हैं।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के आयोजन में शामिल सभी लोगों की सराहना की। इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित युवाओं से बातचीत की। उन्होंने कहा कि जब भी मैं भारत की युवा पीढ़ी से मिलता हूं, तो विकसित भारत के स्वप्न के प्रति मेरा विश्वास और दृढ हो जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस देश की इस 'अमृत' पीढ़ी के लिए महान आदर्श हैं।

प्रधानमंत्री ने भारत-पर्व का उल्लेख किया, जिसका उन्होंने आज शुभारंभ किया और अगले 9 दिनों में होने वाले कार्यक्रमों और प्रदर्शनों के बारे में जानकारी दी। “भारत-पर्व नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आदर्शों का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि 'यह 'वोकल फॉर लोकल' अपनाने, पर्यटन को बढ़ावा देने, विविधता का सम्मान करने और 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' को नई ऊंचाई देने का 'पर्व' है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आईएनए के 75 साल पूरे होने के अवसर पर लाल किले पर तिरंगा फहराने का स्मरण करते हुए कहा कि नेताजी का जीवन परिश्रम के साथ-साथ शौर्य का भी शिखर था। प्रधानमंत्री ने नेताजी के बलिदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने न सिर्फ अंग्रेजों का विरोध किया बल्कि भारतीय सभ्यता पर सवाल उठाने वालों को भी उचित जवाब दिया। प्रधानमंत्री कहा कि नेताजी ने विश्व के समक्ष लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की छवि प्रदर्शित की।

पराधीनता की मानसिकता के विरोध में नेताजी के संघर्ष का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के भारत की युवा पीढ़ी में जो नई चेतना और गौरव व्याप्त है, उस पर नेताजी को गर्व होता। ये नई जागरूकता विकसित भारत के निर्माण की ऊर्जा बन गई है। उन्होंने कहा कि आज का युवा पंच प्राण को अपना रहा है और पराधीनता की मानसिकता से बाहर निकल रहा है। पीएम मोदी ने कहा, "नेताजी का जीवन और उनका योगदान भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है"। उम्मीद है कि इस प्रेरणा को हमेशा आगे बढ़ाया जाएगा। इसी विश्वास के साथ प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में सरकार के प्रयासों और कर्तव्य पथ पर नेताजी की प्रतिमा स्थापित करके उचित सम्मान देने का उल्लेख किया जो प्रत्येक नागरिक को उनके कर्तव्य के प्रति समर्पण की याद दिलाता है। उन्होंने अंडमान और निकोबार के द्वीपों का नाम बदलने का भी उल्लेख भी किया, जहां आजाद हिंद फौज ने पहली बार तिरंगा फहराया था। नेताजी को समर्पित निर्माणाधीन एक स्मारक, लाल किले में नेताजी और आजाद हिंद फौज के लिए एक समर्पित संग्रहालय और पहली बार नेताजी के नाम पर राष्ट्रीय आपदा राहत पुरस्कार की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने कहा, "वर्तमान सरकार ने स्वतंत्र भारत में किसी भी अन्य सरकार की तुलना में आजाद हिंद फौज को समर्पित अधिक कार्य किया है और मैं इसे हमारे लिए आशीर्वाद मानता हूं।"

भारत की चुनौतियों के बारे में नेताजी की गहन समझ के बारे में प्रधानमंत्री ने एक लोकतांत्रिक समाज की नींव पर भारत के राजनीतिक लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के बारे में उनके विश्वास को याद किया। हालाँकि, प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता के बाद नेताजी की विचारधारा पर हमले पर खेद व्यक्त किया, क्योंकि उन्होंने भारतीय लोकतंत्र में भाई-भतीजावाद और पक्षपात की बुराइयों का विरोध किया था।

इसके कारण से भारत का धीमा विकास हुआ। यह रेखांकित करते हुए कि समाज का एक बड़ा वर्ग अपने विकास के लिए अवसरों और बुनियादी आवश्यकताओं से वंचित है। उन्होंने राजनीतिक, आर्थिक और विकास नीतियों पर कुछ परिवारों के दबदबे पर ध्यान केन्द्रित किया और कहा कि इससे देश की महिलाओं और युवाओं को कष्ट और भारी नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने उस समय महिलाओं और युवाओं के सामने आने वाली कठिनाइयों को याद किया और 'सबका साथ सबका विकास' की भावना पर जोर दिया, जिसे 2014 में वर्तमान सरकार सत्ता में आने के बाद लागू किया गया था। प्रधानमंत्री ने निर्धन परिवारों के बेटे-बेटियों के लिए आज उपलब्ध प्रचुर अवसरों पर विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों के परिणाम सभी देख सकते हैं। प्रधानमंत्री ने वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित होने का उल्लेख करते हुए भारत की महिलाओं के बीच इस बात को लेकर जागृत हुए आत्मविश्वास की ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि सरकार उनकी छोटी-छोटी आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील है। उन्होंने दोहराया कि अमृतकाल देश के राजनीतिक भविष्य को नया आकार देने का सुअवसर लेकर आया है। प्रधानमंत्री ने इन बुराइयों को समाप्त करने के लिए साहस व्यक्त करने की आवश्‍यकता पर बल देते हुए कहा कि युवा शक्ति और नारी शक्ति विकसित भारत की राजनीति को परिवर्तित करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है और आपकी शक्ति देश की राजनीति को भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार की बुराइयों से मुक्त कर सकती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समय राम-काज से राष्ट्र-काज के लिए स्‍वयं को समर्पित करने का है। उन्होंने राम के काम से राष्ट्र के काम तक, भारत से वैश्विक अपेक्षाओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। हमारा लक्ष्य भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध, सांस्कृतिक रूप से सुदृढ़ और रणनीतिक रूप से सक्षम बनाना है। इसके लिए आवश्यक है कि आगामी 5 वर्षों में हम विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनें और यह लक्ष्य हमारी पहुंच से दूर नहीं है। पिछले 10 वर्षों में पूरे देश के प्रयासों और प्रोत्साहन से लगभग 25 करोड़ भारतीय निर्धनता से बाहर आये हैं। भारत आज उन लक्ष्यों को हासिल कर रहा है जिन्हें पहले प्राप्त करने की कल्पना भी नहीं की जाती थी।

प्रधानमंत्री ने रक्षा आत्मनिर्भरता के लिए पिछले 10 वर्षों के दौरान उठाए गए कदमों के बारे में भी विस्तार से बताया। सैकड़ों गोला-बारूद और उपकरणों पर प्रतिबंध और एक जीवंत घरेलू रक्षा उद्योग के निर्माण का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत, जो कभी दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा आयातक था, अब विश्व के सबसे बड़े रक्षा निर्यातकों में शामिल हो रहा है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत पूरी दुनिया को 'विश्व मित्र' के रूप में संयोजन में व्यस्त है और विश्व की चुनौतियों का समाधान प्रदान करने के लिए अग्रसर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां एक ओर भारत, विश्व के लिए युद्ध से शांति की ओर का रास्ता बनाने की कोशिश कर रहा है, वहीं देश, राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए भी तैयार है।

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत और देशवासियों के लिए अगले 25 वर्षों के महत्व पर प्रकाश डाला और अमृतकाल के हर पल को राष्ट्रीय हितों के लिए समर्पित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा, “हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए और हमें शौर्यवान बनना चाहिए। यह विकसित भारत के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। पराक्रम दिवस हमें प्रत्येक वर्ष इस संकल्प की याद दिलाएगा।”

इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी, केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और श्रीमती मीनाक्षी लेखी और केंद्रीय रक्षा और पर्यटन राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट और नेताजी सुभाष चंद्र बोस आईएनए ट्रस्ट के अध्यक्ष ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) आरएस चिकारा और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वाधीनता सेनानियों के योगदान को गरिमापूर्ण रूप से सम्मानित करने के लिए प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप, वर्ष 2021 से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। इस वर्ष लाल किले पर आयोजित होने वाला कार्यक्रम ऐतिहासिक प्रतिबिंबों और जीवंत सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों का समन्वय करने वाला एक बहुआयामी उत्सव होगा। इस अवसर पर आयोजित गतिविधियाँ नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिंद फ़ौज की गहन विरासत पर प्रकाश डालेंगी। आगंतुकों को दुर्लभ तस्वीरों और दस्तावेजों को प्रदर्शित करने वाली अभिलेखागार प्रदर्शनियों के माध्यम से एक गहन अनुभव से जुड़ने का अवसर मिलेगा, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की उल्लेखनीय यात्रा का विवरण प्रदान करेंगे। यह समारोह 31 जनवरी, 2024 तक जारी रहेगा।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने 23 से 31 जनवरी तक आयोजित होने वाले भारत पर्व का भी शुभारंभ किया। यह गणतंत्र दिवस की झांकियों और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के साथ देश की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करेगा, जिसमें 26 मंत्रालयों और विभागों के प्रयास, नागरिक-केंद्रित पहल, वोकल फॉर लोकल और विविध पर्यटक आकर्षणों पर प्रकाश डाला जाएगा। यह लाल किले के सामने राम लीला मैदान और माधव दास पार्क में आयोजित होगा।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।