भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट का अनावरण किया
बिहार में 6640 करोड़ रुपये से अधिक की लागत की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया
जनजातीय समाज ने राजकुमार राम को भगवान राम बनाया, यह जनजातीय समाज ही है, जिसने सदियों तक भारत की संस्कृति और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री जनमन योजना से देश की सबसे पिछड़ी जनजातियों की बस्तियों का विकास सुनिश्चित किया जा रहा है: प्रधानमंत्री
भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति में जनजातीय समाज का बहुत बड़ा योगदान रहा है: प्रधानमंत्री
हमारी सरकार ने जनजातीय समुदाय के लिए शिक्षा, आय और चिकित्सा-स्वास्थ्य पर बहुत जोर दिया है: प्रधानमंत्री
भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में देश के जनजातीय बहुल जिलों में बिरसा मुंडा जनजातीय गौरव उपवन निर्मित किये जाएंगे: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज बिहार के जमुई में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती वर्ष समारोह की शुरुआत की तथा लगभग 6,640 करोड़ रुपये की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास एवं उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों का स्वागत किया, जो भारत के विभिन्न जिलों में जनजातीय दिवस समारोहों में भाग ले रहे हैं। उन्होंने उन असंख्य जनजातीय भाइयों और बहनों का भी स्वागत किया, जो पूरे भारत से इस कार्यक्रम में वर्चुअल रूप में शामिल हुए हैं। आज के दिन को बहुत पवित्र बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली के साथ-साथ श्री गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती भी मनाई जा रही है तथा उन्होंने देशवासियों को इन त्योहारों की बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन देशवासियों के लिए भी ऐतिहासिक है, क्योंकि आज भगवान बिरसा मुंडा की जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जा रही है। उन्होंने देशवासियों और विशेष रूप से जनजातीय भाइयों और बहनों को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के जनजातीय गौरव दिवस से पहले जमुई में पिछले तीन दिनों से स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने स्वच्छता अभियान के आयोजन के लिए प्रशासन, जमुई के नागरिकों और विशेष रूप से महिलाओं समेत विभिन्न हितधारकों को बधाई दी।

पिछले वर्ष जनजातीय गौरव दिवस पर धरती आबा बिरसा मुंडा के जन्म गांव उलिहातु में होने का स्मरण करते हुए श्री मोदी ने कहा कि इस वर्ष वे उस स्थान पर हैं, जिसने शहीद तिलका मांझी की वीरता देखी है। उन्होंने कहा कि यह अवसर और भी विशेष है, क्योंकि देश भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती वर्ष समारोह की शुरुआत कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह समारोह आगामी वर्ष भी जारी रहेगा। प्रधानमंत्री ने बिहार के जमुई में आज के कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से शामिल हुए विभिन्न गांवों के एक करोड़ लोगों को भी बधाई दी। श्री मोदी ने कहा कि उन्हें आज बिरसा मुंडा के वंशज श्री बुधराम मुंडा और सिद्धू कान्हू के वंशज श्री मंडल मुर्मु का स्वागत करते हुए प्रसन्नता हो रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 6640 करोड़ रुपये से अधिक की लागत की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं में जनजातियों के पक्के मकान के लिए लगभग 1.5 लाख स्वीकृति पत्र, जनजातीय बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए स्कूल और छात्रावास, जनजातीय महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं, जनजातीय क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़क परियोजनाएं, जनजातीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए जनजातीय संग्रहालय और शोध केंद्र आदि शामिल हैं। श्री मोदी ने कहा कि देव दीपावली के पावन अवसर पर जनजातियों के 11,000 आवासों में गृह प्रवेश कार्यक्रम हुए। उन्होंने इस अवसर पर सभी जनजातियों को बधाई दी।

जनजातीय गौरव दिवस के आज के आयोजन और जनजातीय गौरव वर्ष की शुरुआत पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने कहा कि यह समारोह एक बड़े ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने का एक ईमानदार प्रयास है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के दौर में जनजातियों को समाज में वह मान्यता नहीं मिली, जिसके वे हकदार थे। जनजातीय समाज के योगदान पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जनजातीय समाज ही था, जिसने राजकुमार राम को भगवान राम में बदल दिया और साथ ही भारत की संस्कृति और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सदियों तक लड़ाई का नेतृत्व किया। हालांकि, उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद के दशकों में स्वार्थी राजनीति के कारण जनजातीय समाज के ऐसे महत्वपूर्ण योगदान को मिटाने का प्रयास किया गया। उलगुलान आंदोलन, कोल विद्रोह, संथाल विद्रोह, भील आंदोलन जैसे भारत की आजादी के लिए जनजातियों के विभिन्न योगदानों की जिक्र करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि जनजातियों का योगदान बहुत बड़ा है। उन्होंने कहा कि पूरे भारत के विभिन्न जनजातीय नेता जैसे अल्लूरी सीतारमन राजू, तिलका मांझी, सिधू कान्हू, बुधू भगत, तेलंग खारिया, गोविंदा गुरु, तेलंगाना के रामजी गोंड, मध्य प्रदेश के बादल भोई, राजा शंकर शाह, कुवर रघुनाथ शाह, टंट्या भील, जात्रा भगत, लक्ष्मण नाइक, मिजोरम के रोपुइलियानी, राज मोहिनी देवी, रानी गाइदिन्ल्यू, कालीबाई, गोंडवाना की रानी, रानी दुर्गावती देवी और कई अन्य लोगों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। श्री मोदी ने यह भी कहा कि मानगढ़ नरसंहार को भुलाया नहीं जा सकता, जहां अंग्रेजों ने हजारों जनजातियों को मार डाला था।

श्री मोदी पर जोर दिया कि उनकी सरकार की मानसिकता, चाहे वह संस्कृति का क्षेत्र हो या सामाजिक न्याय का, अलग है। उन्होंने कहा कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मु को भारत की राष्ट्रपति चुनना उनका सौभाग्य था। उन्होंने कहा कि वह भारत की पहली जनजातीय राष्ट्रपति हैं और पीएम-जनमन योजना के तहत शुरू किए गए सभी कार्यों का श्रेय राष्ट्रपति को जाता है। विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सशक्तिकरण के लिए 24,000 करोड़ रुपये की पीएम जनमन योजना शुरू किए जाने को रेखांकित करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि इस योजना के तहत देश की सबसे पिछड़ी जनजातियों की बस्तियों का विकास सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना को आज एक साल पूरा हो गया है और इस योजना के तहत पीवीटीजी को हजारों पक्के घर दिए गए हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पीवीटीजी बस्तियों के बीच संपर्क सुनिश्चित करने के लिए सड़क विकास परियोजनाएं प्रगति पर हैं और पीवीटीजी के कई घरों में हर घर जल योजना के तहत पीने का पानी सुनिश्चित किया गया है।

श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि वे उन लोगों की पूजा करते हैं, जिन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों के रवैये के कारण जनजातीय समाज दशकों तक अवसंरचना से वंचित रहा। उन्होंने कहा कि देश के दर्जनों जनजातीय बहुल जिले विकास की गति में पिछड़ गए थे। श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने सोच की प्रक्रिया को बदला और उन्हें ‘आकांक्षी जिले’ घोषित किया तथा उनके विकास के लिए कुशल अधिकारियों की तैनाती की। उन्हें खुशी है कि आज ऐसे कई आकांक्षी जिले विभिन्न विकासात्मक मापदंडों में कई विकसित जिलों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका लाभ आदिवासियों को मिला है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “आदिवासी कल्याण हमेशा से हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है।” उन्होंने कहा कि यह अटल जी की सरकार थी जिसने आदिवासी कार्य के लिए एक अलग मंत्रालय का गठन किया। श्री मोदी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में बजटीय आवंटन 25,000 करोड़ रुपये से 5 गुना बढ़ाकर 1.25 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। श्री मोदी ने कहा कि हाल ही में धरती आभा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीएजेजीयूए) नामक एक विशेष योजना शुरू की गई है, जिससे 60,000 से अधिक आदिवासी गांवों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 80,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य आदिवासी गांवों में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना, रोजगार के अवसर पैदा करना और आदिवासी युवाओं को प्रशिक्षण देना है। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के तहत आदिवासी विपणन केंद्र स्थापित किए जाएंगे, साथ ही होमस्टे बनाने के लिए प्रशिक्षण और सहायता भी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में इको-टूरिज्म की संभावना बनेगी, जिससे आदिवासियों का पलायन रुकेगा।

सरकार द्वारा आदिवासी विरासत को संरक्षित करने के लिए किए गए प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने कहा कि कई आदिवासी कलाकारों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने कहा कि रांची में भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर एक आदिवासी संग्रहालय शुरू किया गया है और उन्होंने सभी स्कूली बच्चों से इसे देखने और इसका अध्ययन करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि आज छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश में बादल भोई के नाम पर एक जनजातीय संग्रहालय और जबलपुर, मध्य प्रदेश में राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के नाम पर एक जनजातीय संग्रहालय का उद्घाटन किया गया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज श्रीनगर और सिक्किम में दो जनजातीय अनुसंधान केंद्रों का उद्घाटन किया गया और भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट का अनावरण किया गया। श्री मोदी ने कहा कि ये सभी प्रयास भारत के लोगों को जनजातियों की बहादुरी और सम्मान के बारे में लगातार याद दिलाते रहेंगे।

भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति में आदिवासी समाज के महान योगदान पर जोर देते हुए श्री मोदी ने कहा कि इस विरासत को संरक्षित करने के साथ-साथ भावी पीढ़ियों के लिए नए आयाम भी जोड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने लेह में राष्ट्रीय सोवा-रिग्पा संस्थान की स्थापना की है, अरुणाचल प्रदेश में पूर्वोत्तर आयुर्वेद और लोक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान को उन्नत किया है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन के तत्वावधान में पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र की स्थापना भी कर रही है, जो दुनिया भर में आदिवासियों की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।

श्री मोदी ने कहा, "हमारी सरकार का ध्यान आदिवासी समाज की शिक्षा, आय और चिकित्सा पर है।" उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि आदिवासी बच्चे चिकित्सा, इंजीनियरिंग, सशस्त्र बलों या विमानन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह पिछले एक दशक में आदिवासी क्षेत्रों में स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक बेहतर संभावनाओं के निर्माण का परिणाम है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि उनकी सरकार ने पिछले एक दशक में 2 नए आदिवासी विश्वविद्यालय जोड़े हैं, जबकि आजादी के बाद के छह दशकों में केवल एक केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय था। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के साथ-साथ कई डिग्री और इंजीनियरिंग कॉलेज शुरू किए गए हैं। श्री मोदी ने यह भी कहा कि पिछले दशक में आदिवासी क्षेत्रों में 30 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं और बिहार के जमुई समेत कई नए मेडिकल कॉलेजों में काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि देश भर में 7000 एकलव्य स्कूलों का एक मजबूत नेटवर्क भी विकसित किया जा रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि चिकित्सा, इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा में आदिवासी छात्रों के लिए भाषा एक बाधा रही है, इसे देखते हुए सरकार ने मातृभाषा में परीक्षा देने का विकल्प प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि इन फैसलों से आदिवासी छात्रों को एक नई उम्मीद मिली है।

पिछले दशक में अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में पदक जीतने में आदिवासी युवाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में खेल अवसंरचना को बेहतर बनाने के लिए प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों में खेलो इंडिया अभियान के तहत आधुनिक खेल के मैदान, खेल परिसर विकसित किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का पहला राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय मणिपुर में शुरू किया गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी बांस से जुड़े कानून बहुत सख्त थे, जिससे आदिवासी समाज को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने बांस की खेती से जुड़े कानूनों को आसान बनाया है। श्री मोदी ने कहा कि करीब 90 वन उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में लाया गया है, जबकि पहले 8-10 वन उत्पाद ही इसके दायरे में आते थे। उन्होंने कहा कि आज भारत में 4,000 से अधिक वन धन केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिससे करीब 12 लाख आदिवासी किसानों को मदद मिल रही है।

श्री मोदी ने कहा, "लखपति दीदी योजना की शुरुआत से अब तक करीब 20 लाख आदिवासी महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं।" उन्होंने कहा कि टोकरियाँ, खिलौने और हस्तशिल्प के आदिवासी उत्पादों के लिए प्रमुख शहरों में आदिवासी हाट स्थापित किए जा रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि आदिवासी हस्तशिल्प उत्पादों के लिए इंटरनेट पर एक वैश्विक बाज़ार बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया है कि जब वे अंतरराष्ट्रीय राजनेताओं और गणमान्य व्यक्तियों से मिलें, तो उन्हें सोहराई पेंटिंग, वारली पेंटिंग, गोंड पेंटिंग जैसे आदिवासी उत्पाद और कलाकृतियाँ उपहारस्वरूप दी जाएँ।

श्री मोदी ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया आदिवासी समुदायों के लिए एक बड़ी चुनौती रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मिशन शुरू किया है। उन्होंने कहा कि मिशन के एक साल में 4.5 करोड़ आदिवासियों की जांच की गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर विकसित किए गए हैं, ताकि आदिवासियों को जांच के लिए दूर न जाना पड़े। उन्होंने कहा कि दुर्गम आदिवासी क्षेत्रों में मोबाइल मेडिकल यूनिट स्थापित किये गए हैं।

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में दुनिया में भारत की प्रमुख भूमिका पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह आदिवासी समाज द्वारा सिखाए गए मूल्यों के कारण संभव हुआ है, जो हमारे विचारों का मूल है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति का सम्मान करता है। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में बिरसा मुंडा जनजातीय उपवन बनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि उपवनों में 500 हजार पेड़ लगाए जाएंगे।

अपने संबोधन का समापन करते हुए श्री मोदी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की जयंती हमें बड़े संकल्प लेने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे आदिवासी विचारों को नए भारत के निर्माण का आधार बनाएं, आदिवासी विरासत को संरक्षित करें, आदिवासी समाज द्वारा सदियों से संरक्षित की गई चीजों को जानें, ताकि एक मजबूत, समृद्ध और शक्तिशाली भारत का निर्माण सुनिश्चित किया जा सके।

इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल श्री राजेंद्र आर्लेकर, बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम, केंद्रीय एमएसएमई मंत्री श्री जीतन राम मांझी, केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान, केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री दुर्गा दास उइके सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती वर्ष समारोह की शुरुआत के उपलक्ष्य में जनजातीय गौरव दिवस मनाने के क्रम में बिहार के जमुई का दौरा किया। प्रधानमंत्री ने भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट का अनावरण किया। उन्होंने आदिवासी समुदायों के उत्थान तथा क्षेत्र के ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में अवसंरचना सुधार के उद्देश्य से 6,640 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया।

प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) के तहत निर्मित 11,000 आवासों के गृह प्रवेश कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने पीएम-जनमन के तहत शुरू की गई 23 मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच बढ़ाने के लिए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीएजेजीयूए) के तहत अतिरिक्त 30 एमएमयू का भी उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री ने आदिवासी उद्यमिता को बढ़ावा देने और आजीविका सृजन में सहायता के लिए 300 वन धन विकास केंद्रों (वीडीवीके) तथा आदिवासी छात्रों को समर्पित लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत वाले 10 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों का उद्घाटन किया। उन्होंने मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और जबलपुर में दो आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों तथा श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर और गंगटोक, सिक्किम में दो आदिवासी शोध संस्थानों का भी उद्घाटन किया, ताकि आदिवासी समुदायों के समृद्ध इतिहास और विरासत का दस्तावेज तैयार किया जा सके और इनका संरक्षण किया जा सके।

प्रधानमंत्री ने आदिवासी क्षेत्रों में परिवहन-संपर्क को बेहतर बनाने के लिए 500 किलोमीटर लंबाई की नई सड़कों और पीएम जनमन के तहत सामुदायिक केंद्रों के रूप में कार्य करने के लिए 100 बहुउद्देश्यीय केंद्रों (एमपीसी) की आधारशिला रखी। उन्होंने आदिवासी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए 1,110 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले 25 अतिरिक्त एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की आधारशिला भी रखी।

प्रधानमंत्री ने विभिन्न विकास परियोजनाओं को भी मंजूरी दी, जिनमें शामिल हैं - पीएम जनमन के तहत लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से 25,000 नए आवास और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीएजेजीयूए) के तहत 1960 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 1.16 लाख आवास; पीएम जनमन के तहत 66 छात्रावास और डीएजेजीयूए के तहत 1100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 304 छात्रावास; पीएम जनमन के तहत 50 नए बहुउद्देशीय केंद्र, 55 मोबाइल मेडिकल यूनिट और 65 आंगनवाड़ी केंद्र; सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन के लिए 6 सक्षमता केंद्र और डीएजेजीयूए के तहत आश्रम स्कूलों, छात्रावासों, सरकारी आवासीय स्कूलों, आदि के उन्नयन के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से 330 परियोजनाएं।

पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

Explore More
आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी
How NPS transformed in 2025: 80% withdrawals, 100% equity, and everything else that made it a future ready retirement planning tool

Media Coverage

How NPS transformed in 2025: 80% withdrawals, 100% equity, and everything else that made it a future ready retirement planning tool
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल के नदिया में वर्चुअल माध्यम से जनसभा को संबोधित किया
December 20, 2025
बंगाल और बंगाली भाषा ने भारत के इतिहास और संस्कृति में अमूल्य योगदान दिया है, जिसमें 'वंदे मातरम्' देश के सबसे शक्तिशाली उपहारों में से एक है: पीएम मोदी
पश्चिम बंगाल को एक ऐसी बीजेपी सरकार की जरूरत है जो राज्य का गौरव वापस लाने के लिए दोगुनी गति से काम करे: नदिया में पीएम मोदी
जब भी बीजेपी घुसपैठ पर चिंता जताती है, तो TMC नेता गाली-गलौज से जवाब देते हैं, जो पश्चिम बंगाल में SIR के प्रति उनके विरोध की भी वजह बताता है: पीएम मोदी
पश्चिम बंगाल में जो महा-जंगलराज चल रहा है, हमें उससे मुक्ति पानी है: पीएम मोदी

PM Modi addressed a public rally in Nadia, West Bengal through video conferencing after being unable to attend the programme physically due to adverse weather conditions. He sought forgiveness from the people, stating that dense fog made it impossible for the helicopter to land safely. Earlier today, the PM also laid the foundation stone and inaugurated development works in Ranaghat, a major way forward towards West Bengal’s growth story.

The PM expressed deep grief over a mishap involving BJP karyakartas travelling to attend the rally. He conveyed heartfelt condolences to the families of those who lost their lives and prayed for the speedy recovery of the injured.

PM Modi said that Nadia is the sacred land where Shri Chaitanya Mahaprabhu, the embodiment of love, compassion and devotion, manifested himself. He noted that the chants of Harinaam Sankirtan that once echoed across villages and along the banks of the Ganga were not merely expressions of devotion, but a powerful call for social unity.

He highlighted the immense contribution of the Matua community in strengthening social harmony, recalling the teachings of Shri Harichand Thakur, the social reform efforts of Shri Guruchand Thakur, and the motherly compassion of Boro Maa. He bowed to all these revered figures for their lasting impact on society.

The PM said that Bengal and the Bengali language have made invaluable contributions to India’s history and culture, with Vande Mataram being one of the nation’s most powerful gifts. He noted that the country is marking 150 years of Vande Mataram and that Parliament has recently paid tribute to this iconic song. He said West Bengal is the land of Bankim Chandra Chattopadhyay, whose creation of Vande Mataram awakened national consciousness during the freedom struggle.

He stressed that Vande Mataram should inspire a Viksit Bharat and awaken the spirit of a Viksit West Bengal, adding that this sacred idea forms the BJP’s roadmap for the state.

PM Modi said BJP-led governments are focused on policies that enhance the strength and capabilities of every citizen. He cited the GST Savings Festival as an example, noting that essential goods were made affordable, enabling families in West Bengal to celebrate Durga Puja and other festivals with joy.

He also highlighted major investments in infrastructure, mentioning the approval of two important highway projects that will improve connectivity between Kolkata and Siliguri and strengthen regional development.

The PM said the nation wants fast-paced development and referred to Bihar’s recent strong mandate in favour of the BJP-NDA. He recalled stating that the Ganga flows from Bihar to Bengal and that Bihar has shown the path for BJP’s victory in West Bengal as well.

He said that while Bihar has decisively rejected jungle raj, West Bengal must now free itself from what he described as Maha Jungle Raj. Referring to the popular slogan, he said the state is calling out, “Bachte Chai, BJP Tai.”

The PM emphasised that there is no shortage of funds, intent or schemes for West Bengal’s development, but alleged that projects worth thousands of crores are stalled due to corruption and commissions. He appealed to the people to give BJP a chance and form a double-engine government to witness rapid development.

He cautioned people to remain alert against what he described as TMC’s conspiracies, alleging that the party is focused on protecting infiltrators. He said that whenever BJP raises concerns over infiltration, TMC leaders respond with abuse, which also explains their opposition to SIR in West Bengal.

Concluding his address, PM Modi said West Bengal needs a BJP government that works at double speed to restore the state’s pride. He assured that he would speak in greater detail about BJP’s vision when he visits the state in person.