धम्म में अभिधम्म समाहित है, धम्म को सार रूप में समझने के लिए पाली भाषा का ज्ञान आवश्यक है: प्रधानमंत्री
भाषा केवल संचार का माध्यम नहीं है, भाषा सभ्यता और संस्कृति की आत्मा है: प्रधानमंत्री
हर राष्ट्र अपनी विरासत को अपनी पहचान से जोड़ता है, दुर्भाग्य से भारत इस दिशा में बहुत पीछे रह गया, लेकिन देश अब हीन भावना से मुक्त होकर बड़े फैसले लेते हुए प्रगति की राह पर है: प्रधानमंत्री
देश के युवाओं को नई शिक्षा नीति के तहत अपनी मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प मिलने के बाद भाषाएं मजबूत हो रही हैं: प्रधानमंत्री
आज भारत तीव्र विकास और समृद्ध विरासत, दोनों संकल्पों को एक साथ पूरा करने में लगा हुआ है: प्रधानमंत्री
भगवान बुद्ध की विरासत के पुनर्जागरण में भारत अपनी संस्कृति और सभ्यता को नया स्वरूप दे रहा है: प्रधानमंत्री
भारत ने विश्व को युद्ध नहीं, बल्कि बुद्ध दिए हैं: प्रधानमंत्री
आज अभिधम्म पर्व पर मैं पूरी दुनिया से अपील करता हूं कि युद्ध में नहीं बल्कि भगवान बुद्ध की शिक्षाओं में समाधान खोजकर शांति का मार्ग प्रशस्त करें: प्रधानमंत्री
सभी के लिए समृद्धि का भगवान बुद्ध का संदेश ही मानवता का मार्ग है: प्रधानमंत्री
भारत ने अपने विकास के लिए जो रोडमैप बनाया है, उसमें भगवान बुद्ध की शिक्षाएं हमारा मार्गदर्शन करेंगी: प्रधानमंत्री
भगवान बुद्ध की शिक्षाएं मिशन लाइफ के केंद्र में हैं, हर व्यक्ति की सतत जीवनशैली से ही स्थायी भविष्य का रास्ता निकलेगा: प्रधानमंत्री
भारत विकास की ओर बढ़ रहा है और अपनी जड़ें भी मजबूत कर रहा है, भारत के युवाओं को न केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी में दुनिया का नेतृत्व करना चाहिए बल्कि उन्हें अपनी संस्कृति और मूल्यों पर भी गर्व करना चाहिए: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस और पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिए जाने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को संबोधित किया। अभिधम्म दिवस भगवान बुद्ध के अभिधम्म की शिक्षा देने की घटना से जुड़ा है। हाल ही में पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिए जाने से इस वर्ष के अभिधम्म दिवस समारोह का महत्व और बढ़ गया है, क्योंकि भगवान बुद्ध की अभिधम्म पर शिक्षाएं मूल रूप से पाली भाषा में उपलब्ध हैं।

प्रधानमंत्री ने अभिधम्म दिवस पर उपस्थित होने के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह अवसर लोगों को प्रेम और करुणा के साथ दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने की याद दिलाता है। श्री मोदी ने पिछले वर्ष कुशीनगर में इसी तरह के एक कार्यक्रम में भाग लेने को याद करते हुए कहा कि भगवान बुद्ध से जुड़ने की यात्रा उनके जन्म के साथ ही शुरू हो गई थी और आज भी जारी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका जन्म गुजरात के वडनगर में हुआ था, जो एक समय में बौद्ध धर्म का एक उल्लेखनीय केंद्र था और यहीं से उन्हें भगवान बुद्ध के धम्म और शिक्षाओं के बारे में जानने की प्रेरणा मिली। प्रधानमंत्री ने भारत और दुनिया में विभिन्न अवसरों का उल्लेख किया, जहां उन्होंने पिछले 10 वर्षों में भगवान बुद्ध से संबंधित कई पवित्र कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होंने इस संबंध में नेपाल में भगवान बुद्ध की जन्मस्थली का दौरा करने, मंगोलिया में भगवान बुद्ध की प्रतिमा का अनावरण करने और श्रीलंका में बैसाख समारोह का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि संघ और साधक का मिलन भगवान बुद्ध के आशीर्वाद का परिणाम है और इस अवसर पर अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने शरद पूर्णिमा के पावन अवसर और महर्षि वाल्मीकि की जयंती का उल्लेख करते हुए सभी नागरिकों को अपनी शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष का अभिधम्म दिवस विशेष है, क्योंकि भगवान बुद्ध ने जिस पाली भाषा में उपदेश दिए थे, उस भाषा को इसी महीने भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा (क्लासिकल लैंग्वेज) का दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसलिए आज का अवसर और भी विशेष है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देना भगवान बुद्ध की महान विरासत और धरोहर के प्रति श्रद्धांजलि है। श्री मोदी ने आगे कहा कि धम्म में अभिधम्म निहित है और धम्म के वास्तविक सार को समझने के लिए पाली भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है। श्री मोदी ने धम्म के विभिन्न अर्थों की व्याख्या करते हुए कहा कि धम्म का अर्थ है भगवान बुद्ध का संदेश और सिद्धांत, मानव अस्तित्व से जुड़े प्रश्नों का समाधान, मानव जाति के लिए शांति का मार्ग, बुद्ध की शाश्वत शिक्षाएं और संपूर्ण मानवता के कल्याण का दृढ़ आश्वासन। उन्होंने कहा कि बुद्ध के धम्म से संपूर्ण विश्व निरंतर प्रकाशमान हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से भगवान बुद्ध द्वारा बोली जाने वाली पाली भाषा अब आम बोलचाल में नहीं रह गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि संस्कृति और परंपरा की आत्मा है। उन्होंने कहा कि यह मूल भावों से जुड़ी हुई है और पाली को वर्तमान समय में जीवित रखना सभी की साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि वर्तमान सरकार ने इस जिम्मेदारी को विनम्रता के साथ निभाया है और भगवान बुद्ध के करोड़ों अनुयायियों की अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास कर रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "किसी भी समाज की भाषा, साहित्य, कला और आध्यात्मिकता की विरासत उसके अस्तित्व को परिभाषित करती है।" उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि किसी भी देश द्वारा खोजे गए किसी भी ऐतिहासिक अवशेष या कलाकृति को पूरे विश्व के सामने गर्व के साथ प्रस्तुत किया जाता है। उन्होंने कहा कि भले ही हर देश अपनी विरासत को पहचान से जोड़ता है, लेकिन स्वतंत्रता से पहले देश पर किए गए आक्रमणों और स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद गुलामी की मानसिकता के कारण भारत पिछड़ गया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत पर एक ऐसे तंत्र का कब्जा था जिसने देश को विपरीत दिशा में धकेलने का काम किया। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा में बसने वाले बुद्ध और स्वतंत्रता के समय अपनाए गए उनके प्रतीकों को बाद के दशकों में भुला दिया गया। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि आजादी के सात दशक बाद भी पाली को उसका वह उचित स्थान नहीं मिल पाया जिसकी वह हकदार थी।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि देश अब उस हीन भावना से आगे बढ़ रहा है और बड़े फैसले ले रहा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला तो दूसरी तरफ मराठी भाषा को भी वही सम्मान दिया गया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर जिनकी मातृभाषा मराठी थी, वह भी बौद्ध धर्म के बड़े समर्थक थे और उन्होंने पाली में ही धम्म दीक्षा ली थी। श्री मोदी ने बंगाली, असमिया और प्राकृत भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने की बात भी कही।

प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत की विभिन्न भाषाएँ हमारी विविधता को पोषित करती हैं।" श्री मोदी ने अतीत में भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, कहा कि हमारी प्रत्येक भाषा ने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि आज भारत द्वारा अपनाई गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी इन भाषाओं के संरक्षण का माध्यम बन रही है। श्री मोदी ने कहा कि जब से देश के युवाओं को अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करने का विकल्प मिला है, तभी से मातृभाषाएँ मजबूत हो रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने संकल्पों को पूरा करने के लिए लाल किले से पंच प्राण का दृष्टिकोण सामने रखा है। श्री मोदी ने पंच प्राण के विचार को समझाते हुए ने कहा कि इसका अर्थ है विकसित भारत का निर्माण, गुलामी की मानसिकता से मुक्ति, देश की एकता, कर्तव्यों का पालन और अपनी विरासत पर गर्व। उन्होंने कहा कि आज का भारत तीव्र विकास और समृद्ध विरासत, दोनों संकल्पों को एक साथ पूरा करने में जुटा हुआ है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भगवान बुद्ध से जुड़ी विरासत का संरक्षण पंच प्राण अभियान की प्राथमिकता है।

श्री मोदी ने भारत और नेपाल में भगवान बुद्ध से संबंधित स्थानों को बुद्ध सर्किट के रूप में विकसित करने की परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा शुरू किया गया है, लुम्बिनी में भारत अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, लुम्बिनी में बौद्ध विश्वविद्यालय में बौद्ध अध्ययन के लिए डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर पीठ की स्थापना की गई है। इसके साथ ही बोधगया, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, सांची, सतना और रीवा जैसे कई स्थानों पर विकास परियोजनाएं चल रही हैं। श्री मोदी ने यह भी बताया कि वह 20 अक्टूबर 2024 को सारनाथ, वाराणसी में किए गए कई विकास कार्यों का उद्घाटन करेंगे। उन्होंने कहा कि नए निर्माण के साथ-साथ सरकार भारत के समृद्ध अतीत को संरक्षित करने के लिए भी प्रयास कर रही है। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार पिछले एक दशक में 600 से अधिक प्राचीन विरासतों, कलाकृतियों और अवशेषों को भारत वापस लाई है, जिनमें से कई बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध की विरासत के पुनर्जागरण में भारत अपनी संस्कृति और सभ्यता को नए सिरे से प्रस्तुत कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा कि यह केवल राष्ट्र के लाभ के लिए ही नहीं बल्कि मानवता की सेवा के लिए है। उन्होंने कहा कि बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करने वाले देशों को एकजुट करने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं और म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे कई देश सक्रिय रूप से पाली भाषा की टीकाएँ संकलित कर रहे हैं। श्री मोदी ने रेखांकित किया कि सरकार पाली को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक तरीकों और आधुनिक तरीकों जैसे ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म, डिजिटल अभिलेखागार और ऐप का उपयोग करके भारत में इसी तरह के प्रयासों को तेज़ कर रही है। श्री मोदी ने भगवान बुद्ध को समझने में शोध के महत्व पर प्रकाश डालते हुए ने कहा, "बुद्ध ज्ञान और जिज्ञासा दोनों हैं।" बुद्ध की शिक्षाओं में आंतरिक अन्वेषण और अकादमिक शोध दोनों की आवश्यकता है। उन्होंने युवाओं को इस मिशन की ओर ले जाने में बौद्ध संस्थानों और भिक्षुओं द्वारा दिए गए मार्गदर्शन पर गर्व व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी में बढ़ती वैश्विक अस्थिरता पर विचार व्यक्त करते हुए इस बात पर जोर दिया कि बुद्ध की शिक्षाएं आज दुनिया के लिए न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि जरूरी भी हैं। संयुक्त राष्ट्र से अपने संदेश को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं, बल्कि बुद्ध दिए हैं।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पूरे विश्व को युद्ध में नहीं, बुद्ध में समाधान मिलेंगे। उन्होंने दुनिया से बुद्ध से सीख लेने, युद्ध को खारिज करने और शांति का मार्ग प्रशस्त करने का आह्वान किया। भगवान बुद्ध के शब्दों को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि शांति से बड़ा कोई सुख नहीं है; प्रतिशोध प्रतिशोध को खत्म नहीं कर सकता और केवल करुणा और मानवता के माध्यम से ही घृणा पर विजय प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने सभी के लिए खुशी और कल्याण के भगवान बुद्ध के संदेश को आगे बढ़ाया।

उन्होंने कहा कि भारत ने 2047 तक के 25 वर्षों को अमृत काल के रूप में चिन्हित किया है। उन्होंने कहा कि अमृत काल का यह काल भारत की प्रगति का काल होगा, एक विकसित भारत के निर्माण का काल होगा, जहां भगवान बुद्ध की शिक्षाएं भारत के विकास के लिए बनाए गए रोडमैप में मार्गदर्शन करेंगी। उन्होंने आगे कहा कि यह केवल बुद्ध की धरती पर ही संभव हुआ है कि आज दुनिया की सबसे बड़ी आबादी संसाधनों के उपयोग के बारे में जागरूक है। पूरी दुनिया के सामने जलवायु परिवर्तन के संकट के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत न केवल अपने दम पर इन चुनौतियों का समाधान ढूंढ रहा है, बल्कि उन्हें दुनिया के साथ साझा भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया के कई देशों को साथ लेकर मिशन लाइफ की शुरुआत की है।

श्री मोदी ने भगवान बुद्ध की शिक्षा को दोहराते हुए कहा कि किसी भी तरह की अच्छाई की शुरुआत खुद से ही होनी चाहिए और यह सार मिशन लाइफ का मूल विचार है। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील भविष्य का रास्ता हर व्यक्ति की सतत एवं स्वस्थ आदतों वाली जीवनशैली से निकलेगा। श्री मोदी ने विभिन्न क्षेत्र में विश्व के लिए भारत के योगदान जैसे अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के मंच, जी-20 की अध्यक्षता के दौरान वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के गठन, एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड के विजन उल्लेख करते हुए कहा कि ये सभी भगवान बुद्ध के विचारों को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का हर प्रयास दुनिया के लिए एक बेहतर सतत एवं प्रगतिशील भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में है। प्रधानमंत्री ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा, भारत का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, 2030 तक भारतीय रेलवे को नेट जीरो बनाने का लक्ष्य, पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने जैसी विभिन्न पहलों का जिक्र करते हुए कहा कि ये सभी इस धरती की रक्षा के लिए भारत के मजबूत इरादे को दर्शाते हैं।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार के कई फैसले बुद्ध, धम्म और संघ से प्रेरित हैं और उन्होंने दुनिया में संकट के समय सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले देश के रूप में भारत का उदाहरण दिया। उन्होंने तुर्की में भूकंप, श्रीलंका में आर्थिक संकट और कोविड-19 महामारी जैसी वैश्विक आपात स्थितियों के दौरान देश की त्वरित कार्रवाई पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह बुद्ध के करुणा के सिद्धांत को दर्शाता है। उन्होंने कहा, "विश्व बंधु (दुनिया का दोस्त) के रूप में भारत सभी को साथ लेकर चल रहा है।" उन्होंने कहा कि योग, बाजरा, आयुर्वेद और प्राकृतिक खेती जैसी पहल भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से प्रेरित हैं।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा, ‘विकास की ओर अग्रसर भारत अपनी जड़ें भी मजबूत कर रहा है।’ उन्होंने रेखांकित किया कि यह लक्ष्य रखा गया है कि भारत के युवा अपनी संस्कृति और मूल्यों पर गर्व करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में दुनिया का नेतृत्व करें। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म की शिक्षाएं इन प्रयासों में हमारी सबसे बड़ी मार्गदर्शक हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के साथ भारत आगे बढ़ता रहेगा।

इस अवसर पर केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और केन्द्रीय संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस समारोह में 14 देशों के शिक्षाविदों और भिक्षुओं तथा देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से बुद्ध धम्म पर युवा विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।

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PM Modi congratulates hockey team for winning Women's Asian Champions Trophy
November 21, 2024

The Prime Minister Shri Narendra Modi today congratulated the Indian Hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy.

Shri Modi said that their win will motivate upcoming athletes.

The Prime Minister posted on X:

"A phenomenal accomplishment!

Congratulations to our hockey team on winning the Women's Asian Champions Trophy. They played exceptionally well through the tournament. Their success will motivate many upcoming athletes."