प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मुंबई में इमारत गिरने के पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने पीड़ितों के लिए पीएमएनआरएफ से अनुग्रह राशि की भी घोषणा की है।
पीएमओ के एक ट्वीट में कहा गया है:
"मुंबई में इमारत गिरने से आहत हूं। इस दुखद घड़ी में, शोक संतप्त परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं और घायलों के साथ प्रार्थना है। पीएमएनआरएफ की ओर से प्रत्येक मृतक के परिजनों को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। घायलों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे: पीएम मोदी"
Pained by the building collapse in Mumbai. In this sad hour, my thoughts are with the bereaved families and prayers with the injured. An ex-gratia of Rs. 2 lakh each from PMNRF would be given to the next of kin of the deceased. The injured would be given Rs. 50,000: PM Modi
17th ब्रिक्स समिट के शानदार आयोजन के लिए मैं राष्ट्रपति लूला का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। ब्राजील की अध्यक्षता में ब्रिक्स के अंतर्गत हमारे सहयोग को नई गति और उर्जा मिली है। जो नई ऊर्जा मिली है — वो espresso नहीं, double espresso shot है ! इसके लिए मैं राष्ट्रपति लूला की दूरदर्शिता और उनकी अटूट प्रतिबद्धता की सराहना करता हूँ। इंडोनेशिया के ब्रिक्स परिवार से जुड़ने पर मैं अपने मित्र, राष्ट्रपति प्रबोवो को भारत की ओर सेबहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ।
Friends,
Global South अक्सर दोहरे मापदंडों का शिकार रहा है। चाहे विकास की बात हो, संसाधनों का वितरण हो, या सुरक्षा से जुड़े विषय हों, ग्लोबल साउथ के हितों को प्राथमिकता नहीं मिली है। Climate finance, sustainable development, और technology access जैसे विषयों पर Global South को अक्सर token gestures के अलावा कुछ नहीं मिला।
|
Friends,
20th सेंचुरी में बने ग्लोबल संस्थानों में मानवता के दो-तिहाई हिस्से को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। जिन देशों का, आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है, उन्हें decision making टेबल पर बिठाया नहीं गया है। यह केवल representation का प्रश्न नहीं है, बल्कि credibility और effectiveness का भी प्रश्न है। बिना Global South के ये संस्थाएँ वैसी ही लगती हैं जैसे मोबाइल में सिम तो है, पर नेटवर्क नहीं। यह संस्थान, 21st सेंचुरी की चुनौतियों से निपटने में असमर्थ हैं। विश्व के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे संघर्ष हों, pandemic हों, आर्थिक संकट हों, या cyber और स्पेस में नयी उभरती चुनौतियाँ, इन संस्थानों के पास कोई समाधान नहीं है।
Friends,
आज विश्व को नए multipolar और inclusive world order की जरूरत है। इसकी शुरुआत वैश्विक संस्थानों में व्यापक reforms से करनी होगी। Reforms केवल symbolic नहीं होने चाहिए, बल्कि इनका वास्तविक असर भी दिखना चाहिए। Governance structures, voting rights और leadership positions में बदलाव आना चाहिए। ग्लोबल साउथ के देशों की चुनौतियों को policy-making में प्राथमिकता देनी चाहिए।
|
Friends,
ब्रिक्स का विस्तार, नए मित्रों का जुड़ना, इस बात का प्रमाण है कि ब्रिक्स एक ऐसा संगठन है, जो समय के अनुसार खुद को बदलने की क्षमता रखता है। अब यही इच्छाशक्ति हमें UN Security Council, WTO और Multilateral development बैंक्स जैसे संस्थानों में reforms के लिए दिखानी होगी। AI के युग में, जहां हर हफ्ते टेक्नॉलजी update होती है,ऐसे में ग्लोबल इन्स्टिट्युशन का अस्सी वर्ष में एक बार भी update न होना स्वीकार्य नहीं है। इक्कीसवीं सदी की softwares को बीसवीं सदी के type-writers से नहीं चलाया जा सकता !
Friends,
भारत ने सदैव, अपने हितों से ऊपर उठकर मानवता के हित में काम करना, अपना दायित्व समझा है। हम ब्रिक्स देशों के साथ मिलकर, सभी विषयों पर, रचनात्मक योगदान देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद।