दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-लाओस के प्राचीन और समकालीन संबंधों को और मजबूत बनाने पर सार्थक वार्तालाप किया। उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों जैसे विकास साझेदारी, क्षमता निर्माण, आपदा प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, विरासत को सजोने, आर्थिक संबंध, रक्षा सहयोग और लोगों से लोगों के बीच संबंधों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री सिपानदोन ने टाइफून यागी के बाद लाओ पीडीआर को प्रदान की गई भारत की बाढ़ राहत सहायता के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। दोनों नेताओं ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा भारतीय सहायता के माध्यम से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, वाट फ्रा किउ में जारी जीर्णोद्धार और संरक्षण द्विपक्षीय संबंधों को एक विशेष आयाम प्रदान करता है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। प्रधानमंत्री सिपानदोन ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका की पुष्टि की। भारत ने 2024 के लिए आसियान की अध्यक्षता के लिए लाओ पीडीआर का मजबूती से समर्थन किया है।
बातचीत के बाद, दोनों नेताओं की उपस्थिति में डिफेंस, ब्रॉडकास्टिंग, कस्टम्स के क्षेत्रों में सहयोग और मेकांग-गंगा सहयोग के तहत तीन क्विक इम्पैक्ट प्रोजेक्ट्स (QIP) पर सहमति-पत्रों/समझौतों का आदान-प्रदान किया गया। QIP लाओ रामायण की विरासत के संरक्षण, रामायण से संबंधित भित्ति चित्रों के साथ वट पकेया बौद्ध मंदिर के जीर्णोद्धार और चंपासक प्रांत में रामायण पर छाया कठपुतली थियेटर को समर्थन से संबंधित हैं। तीनों QIP में प्रत्येक के लिए लगभग 50,000 डॉलर की भारत सरकार की अनुदान सहायता है। भारत; लाओ पीडीआर में न्यूट्रीशन सिक्योरिटी में सुधार के लिए लगभग 1 मिलियन डॉलर की अनुदान सहायता भी प्रदान करेगा। भारत यूएन डेवलपमेंट पार्टनरशिप फंड के माध्यम से यह सहायता; दक्षिण-पूर्व एशिया में फंड का पहला ऐसा प्रोजेक्ट होगा। सहमति-पत्रों, समझौतों और घोषणाओं का विवरण यहाँ देखा जा सकता है।