विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए 'पीएम विश्वकर्मा' लॉन्च किया
पीएम विश्वकर्मा लोगो, टैगलाइन 'सम्मान सामर्थ्य समृद्धि' और पोर्टल लॉन्च किया
कस्टमाइज्ड स्टाम्प शीट और टूलकिट पुस्तिका का विमोचन किया
18 लाभार्थियों को विश्वकर्मा प्रमाण-पत्र वितरित
“मैं यशोभूमि देश के हर श्रमिक को, हर विश्वकर्मा को समर्पित करता हूं”
"यह समय की मांग है कि विश्वकर्मा को मान्यता और सहायता दी जाए"
"आउटसोर्स का काम हमारे विश्वकर्मा मित्रों को मिलना चाहिए और उन्हें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनना चाहिए"
"इस बदलते समय में, विश्वकर्मा मित्रों के लिए प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और उपकरण महत्वपूर्ण हैं"
"मोदी उन लोगों के साथ खड़ा है, जिनकी परवाह करने के लिए कोई उनके साथ नहीं है"
"वोकल फॉर लोकल पूरे देश की जिम्मेदारी है"
"आज का विकसित भारत हर सेक्टर में अपनी एक नई पहचान बना रहा है"
'यशोभूमि का संदेश जोरदार और स्पष्ट है, यहां आयोजित होने वाला कोई भी कार्यक्रम सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त करेगा
"भारत मंडपम और यशोभूमि सेंटर दिल्ली को सम्मेलन पर्यटन का सबसे बड़ा केंद्र बनाएंगे"
"भारत मंडपम और यशोभूमि दोनों भारतीय संस्कृति और अत्याधुनिक सुविधाओं का संगम हैं, और ये भव्य प्रतिष्ठान विश्व के सामने भारत की गाथा व्यक्त करते हैं"
"हमारे विश्वकर्मा साथी मेक इन इंडिया के गौरव हैं और यह अंतराष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र विश्व के समक्ष इस गौरव को प्रदर्शित करने का एक माध्यम बनेगा"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के द्वारका में भारत अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और एक्सपो केन्द्र - 'यशोभूमि' के पहले चरण को राष्ट्र को समर्पित किया। 'यशोभूमि' में एक भव्य कन्वेंशन सेंटर, कई प्रदर्शनी हॉल और अन्य सुविधाएं हैं। उन्होंने विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए 'पीएम विश्वकर्मा योजना' भी शुरू की। प्रधानमंत्री ने पीएम विश्वकर्मा लोगो, टैगलाइन और पोर्टल भी लॉन्च किया। उन्होंने इस अवसर पर एक कस्टमाइज्ड स्टाम्प शीट, एक टूल किट, ई-बुकलेट और वीडियो भी जारी किया। प्रधानमंत्री ने 18 लाभार्थियों को विश्वकर्मा प्रमाण पत्र वितरित किए।

 

प्रधानमंत्री ने आयोजन स्थल पर पहुंचने के बाद, प्रदर्शनी 'गुरु-शिष्य परंपरा' और 'नई प्रौद्योगिकी' का अवलोकन किया। उन्होंने यशोभूमि के 3डी मॉडल का भी निरीक्षण किया। इससे पूर्व, प्रधानमंत्री ने द्वारका सेक्टर-21 से एक नए मेट्रो स्टेशन 'यशोभूमि द्वारका सेक्टर-25' तक दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन के विस्तार का उद्घाटन किया।

उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को समर्पित है। उन्होंने देश भर के लाखों विश्वकर्मा से जुड़ने का अवसर मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने इस अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी का दौरा करने और कारीगरों और शिल्पकारों के साथ बातचीत करने के शानदार अनुभव पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने नागरिकों से इस अवसर पर आने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि लाखों कारीगरों और उनके परिवारों के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना आशा की किरण बनकर आ रही है।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और एक्सपो केन्द्र - 'यशोभूमि' के बारे में प्रधानमंत्री ने इस उत्कृष्ट सुविधा केन्द्र निर्माण में श्रमिकों और विश्वकर्माओं के योगदान को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि आज मैं देश के हर श्रमिक को, हर विश्वकर्मा साथी को यशोभूमि समर्पित करता हूं। उन्होंने आज के कार्यक्रम से जुड़े विश्वकर्माओं से कहा कि 'यशोभूमि' उनके कामों को विश्व और वैश्विक बाजारों से जोड़ने वाला जीवंत केंद्र बनने जा रही है।

प्रधानमंत्री ने देश के रोजमर्रा के जीवन में विश्वकर्मा के योगदान और महत्व को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वकर्मा हमेशा समाज में महत्वपूर्ण बने रहेंगे, चाहे प्रौद्योगिकी में कितनी भी प्रगति क्यों न हुई हो। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि विश्वकर्मा को मान्यता और सहायता मिले।

श्री मोदी ने कहा, “सरकार विश्वकर्मा समुदाय के लोगों के सम्मान को बढ़ाने, क्षमताओं को बढ़ाने और उनकी समृद्धि बढ़ाने के लिए एक भागीदार के रूप में आगे आई है।” कारीगरों और शिल्पकारों के 18 फोकस क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि पीएम विश्वकर्मा योजना में बढ़ई, लोहार, सुनार, मूर्तिकार, कुम्हार, मोची, दर्जी, राजमिस्त्री, हेयरड्रेसर, धोबी आदि को शामिल किया गया है और इस पर 13,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

अपनी विदेश यात्राओं के दौरान कारीगरों से बात करने के अपने व्यक्तिगत अनुभव का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने हस्तनिर्मित उत्पादों की बढ़ती मांग पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विश्व भर की बड़ी कंपनियां अपने काम को छोटे उद्यमों को सौंप देती हैं। यह आउटसोर्स काम हमारे विश्वकर्मा मित्रों को मिले और वे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनें, इसके लिए हम काम कर रहे हैं। यही कारण है कि यह योजना विश्वकर्मा मित्रों को आधुनिक युग में ले जाने का एक प्रयास है।

कुशल कारीगरों और व्यवसायों को प्रशिक्षण प्रदान करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "इस बदलते समय में, विश्वकर्मा मित्रों के लिए प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और उपकरण महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान विश्वकर्मा मित्रों को 500 रुपये प्रतिदिन भत्ता दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक टूलकिट के लिए 15 हजार रुपये का टूलकिट वाउचर भी दिया जाएगा और सरकार उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि टूलकिट केवल जीएसटी पंजीकृत दुकानों से ही खरीदे जाएं और ये उपकरण मेड इन इंडिया होने चाहिए।

विश्वकर्मा समुदाय के लिए संपार्श्विक मुक्त वित्त के प्रावधान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब गारंटी मांगी जाती है तो वह गारंटी मोदी देते हैं। उन्होंने बताया कि विश्वकर्मा मित्रों को बिना किसी संपार्श्विक के बहुत कम ब्याज पर 3 लाख रुपये तक का ऋण मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने एक जिला, एक उत्पाद योजना पर प्रकाश डालते हुए कहा, “केंद्र सरकार वंचितों के विकास को प्राथमिकता देती है”, यह योजना हर जिले से अद्वितीय उत्पादों को प्रोत्साहित करती है। उन्होंने पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से स्ट्रीट वेंडर्स के लिए बैंक के द्वार खोलने और 'दिव्यांगों' को विशेष सुविधाएं प्रदान किए जाने का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “मोदी उन लोगों के साथ खड़ा है, जिनकी परवाह करने के लिए कोई उनके साथ नहीं है।” उन्होंने कहा कि वह यहां सेवा करने, गरिमापूर्ण जीवन प्रदान करने और यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि सेवाएं बिना किसी विफलता के उपलब्ध कराईं जाएं। उन्होंने कहा, “यह मोदी की गारंटी है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया ने जी-20 शिल्प बाजार में प्रौद्योगिकी और परंपरा के संगम का परिणाम देखा है। यहां तक कि आगंतुक गणमान्य व्यक्तियों के लिए उपहारों में विश्वकर्मा मित्रों के उत्पाद शामिल थे। उन्होंने कहा, "वोकल फॉर लोकल" के प्रति यह समर्पण पूरे देश की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, पहले हमें वोकल फॉर लोकल बनना होगा और फिर हमें लोकल ग्लोबल को अपनाना होगा।

देश में गणेश चतुर्थी, धनतेरस, दीपावली और अन्य उत्सवों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने देश के प्रत्येक नागरिक से स्थानीय उत्पादों, विशेष रूप से उन उत्पादों को जिनमें राष्ट्र के विश्वकर्मा ने योगदान दिया है, को खरीदने का आग्रह किया है।

प्रधानमंत्री ने विश्व भर में चर्चा का विषय बने भारत मंडपम का जिक्र करते हुए कहा, "आज का विकसित भारत हर सेक्टर में अपनी एक नई पहचान बना रहा है। उन्होंने कहा, यशोभूमि का संदेश जोरदार और स्पष्ट है। श्री मोदी ने जोर देकर कहा, यहां होने वाला कोई भी आयोजन सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त करेगा"। उन्होंने यह भी कहा कि यशोभूमि भविष्य के भारत को प्रदर्शित करने का एक माध्यम बनेगी।

उन्होंने कहा कि भारत के भव्य आर्थिक कौशल और वाणिज्यिक शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए, यह देश की राजधानी में एक योग्य केंद्र है। उन्होंने कहा कि यह मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी और पीएम गतिशक्ति दोनों को दर्शाता है। उन्होंने आज मेट्रो द्वारा केंद्र को प्रदान की गई कनेक्टिविटी और मेट्रो टर्मिनल के उद्घाटन के बारे में बात करने के द्वारा इसकी व्याख्या की। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यशोभूमि का इको सिस्टम उपयोगकर्ताओं की यात्रा, कनेक्टिविटी, आवास और पर्यटन आवश्यकताओं का ध्यान रखेगा।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि बदलते समय के साथ विकास और रोजगार के नए सेक्टर उभर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी व्यक्ति ने पचास से साठ साल पहले भारत में इतने व्यापक स्तर और अनुपात के आईटी क्षेत्र की कल्पना नहीं की होगी। यहां तक कि सोशल मीडिया भी तीस से पैंतीस साल पहले काल्पनिक था। सम्मेलन पर्यटन के भविष्य पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में भारत के लिए अपार संभावनाएं हैं और बताया कि यह क्षेत्र 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का है। उन्होंने रेखांकित किया कि विश्व में हर साल 32 हजार से अधिक बड़ी प्रदर्शनियों और एक्सपो का आयोजन किया जाता है, जहां सम्मेलन पर्यटन के लिए आने वाले लोग एक सामान्य पर्यटक की तुलना में अधिक पैसा व्यय करते हैं। श्री मोदी ने यह भी बताया कि इतने बड़े उद्योग में भारत की हिस्सेदारी केवल एक प्रतिशत के आसपास है और भारत में कई बड़ी कंपनियां हर साल अपने कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए विदेशों में जाती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत अब सम्मेलन पर्यटन के लिए भी खुद को तैयार कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सम्मेलन पर्यटन भी वहीं प्रगति करेगा, जहां कार्यक्रमों, बैठकों और प्रदर्शनियों के लिए आवश्यक संसाधन होंगे, इसलिए भारत मंडपम और यशोभूमि केंद्र अब दिल्ली को सम्मेलन पर्यटन का सबसे बड़ा केंद्र बनाने जा रहे हैं। इससे लाखों युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना है। श्री मोदी ने कहा कि भविष्य में यशोभूमि एक ऐसा स्थान बन जाएगा जहां विश्व भर के देशों के लोग अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों, बैठकों और प्रदर्शनियों के लिए आएंगे।

प्रधानमंत्री ने हितधारकों को यशोभूमि में आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, "आज मैं विश्व भर के देशों से प्रदर्शनी और इवेंट उद्योग से जुड़े लोगों को दिल्ली आने के लिए आमंत्रित करता हूं। मैं देश के हर क्षेत्र, पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण के फिल्म उद्योग और टीवी उद्योग को आमंत्रित करूंगा। आप यहां अपने पुरस्कार समारोह, फिल्म समारोह आयोजित करें, यहां पहला फिल्म शो आयोजित करें। मैं इंटरनेशनल इवेंट कंपनियों, प्रदर्शनी क्षेत्र से जुड़े लोगों को भारत मंडपम और यशोभूमि में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूं।

प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत मंडपम और यशोभूमि भारत के आतिथ्य, श्रेष्ठता और भव्यता के प्रतीक बनेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत मंडपम और यशोभूमि दोनों भारतीय संस्कृति और अत्याधुनिक सुविधाओं का संगम हैं और ये भव्य प्रतिष्ठान विश्व के समक्ष भारत की गाथा को व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि यह नए भारत की आकांक्षाओं को भी दर्शाता है जो अपने लिए सर्वोत्तम सुविधाओं की इच्छा रखता है। श्री मोदी ने नागरिकों से आगे बढ़ते रहने, नए लक्ष्य बनाने, उनके लिए प्रयास करने और 2047 तक भारत को एक विकसित देश में बदलने का आग्रह किया। संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने सभी नागरिकों को कड़ी मेहनत करने और एक साथ आने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री मोदी ने कहा कि हमारे विश्वकर्मा सहयोगी मेक इन इंडिया के गौरव हैं और यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र विश्व को इस गौरव को प्रदर्शित करने का एक माध्यम बनेगा।

इस अवसर पर केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल, केन्द्रीय शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान, केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री नारायण राणे और केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

यशोभूमि

देश में बैठकों, सम्मेलनों और प्रदर्शनियों की मेजबानी के लिए विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे के प्रधानमंत्री के विजन को द्वारका में 'यशोभूमि' के प्रचालन के साथ सुदृढ़ किया जाएगा। 8.9 लाख वर्ग मीटर से अधिक के कुल परियोजना क्षेत्र और 1.8 लाख वर्ग मीटर से अधिक के कुल निर्मित क्षेत्र के साथ, 'यशोभूमि' दुनिया की सबसे बड़ी एमआईसीई (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियां) सुविधाओं में अपना स्थान बनाएगी।

'यशोभूमि', जिसे लगभग 5400 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है, एक भव्‍य कन्वेंशन सेंटर, कई प्रदर्शनी हॉल और अन्य सुविधाओं से सु‍सज्जित है। 73 हजार वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में बने कन्वेंशन सेंटर में मुख्य सभागार, ग्रैंड बॉलरूम सहित 15 सम्‍मेलन कक्ष और 13 बैठक कक्ष शामिल हैं, जिनकी कुल क्षमता 11,000 प्रतिनिधियों को रखने की है। कन्वेंशन सेंटर में देश का सबसे बड़ा एलईडी मीडिया अग्रभाग है। कन्वेंशन सेंटर का पूर्ण हॉल लगभग 6,000 मेहमानों की बैठने की क्षमता से सुसज्जित है। ऑडिटोरियम में सबसे नवीन स्वचालित बैठने की प्रणालियों में से एक है जो फर्श को एक सपाट फर्श या अलग-अलग बैठने की व्यवस्था के लिए ऑडिटोरियम शैली में बैठने में सक्षम बनाती है। सभागार में उपयोग किए गए लकड़ी के फर्श और ध्वनिक दीवार (एकुस्टिक वॉल) पैनल आगंतुक को विश्वस्तरीय अनुभव प्रदान करेंगे। अद्वितीय पंखुड़ी की छत वाला ग्रैंड बॉलरूम लगभग 2,500 मेहमानों की मेजबानी कर सकता है। इसमें एक विस्तारित खुला क्षेत्र भी है जिसमें 500 लोग बैठ सकते हैं। आठ मंजिलों में फैले 13 बैठक कक्षों में विभिन्न स्तरों की विभिन्न बैठकें आयोजित करने की परिकल्पना की गई है।

'यशोभूमि' में दुनिया के सबसे बड़े प्रदर्शनी हॉलों में से एक है। 1.07 लाख वर्ग मीटर से अधिक में बने इन प्रदर्शनी हॉलों का उपयोग प्रदर्शनियों, व्यापार मेलों और व्यावसायिक कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए किया जाएगा, और ये एक भव्य अग्रदीर्घा (फ़ोयर) स्थान से जुड़े हुए हैं, जिसे तांबे की छत के साथ विशिष्ट रूप से डिज़ाइन किया गया है जो विभिन्न स्‍काईलाइट के माध्यम से अंतरिक्ष में प्रकाश को फ़िल्टर करता है। फ़ोयर में मीडिया रूम, वीवीआईपी लाउंज, क्लोक सुविधाएं, आगंतुक सूचना केंद्र, टिकटिंग जैसे विभिन्न सहायता क्षेत्र होंगे।

'यशोभूमि' में सभी सार्वजनिक परिसंचरण क्षेत्रों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह सम्मेलन केंद्रों के बाहरी स्थान के साथ निरंतरता का बोध कराता है। यह टेराज़ो फर्श के रूप में भारतीय संस्कृति से प्रेरित सामग्रियों और वस्तुओं से बना है, जिसमें पीतल की जड़ाई रंगोली पैटर्न, सस्‍पेंडेड साउंड एव्‍जोरवेंट मेंटल सिलेंडर और रोशनी की पैटर्न वाली दीवारों का प्रतिनिधित्व करती है।

'यशोभूमि' स्थिरता के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित करती है क्योंकि यह 100 प्रतिशत अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग, वर्षा जल संचयन के प्रावधानों के साथ अत्याधुनिक अपशिष्ट जल उपचार प्रणाली से सुसज्जित है, और इसके परिसर को सीआईआई के भारतीय ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) से प्लेटिनम प्रमाणन प्राप्त हुआ है।

'यशोभूमि' आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उच्च तकनीक सुरक्षा प्रावधानों से भी सुसज्जित है। 3,000 से अधिक कारों के लिए भूमिगत कार पार्किंग सुविधा भी 100 से अधिक इलेक्ट्रिक चार्जिंग पॉइंट से सुसज्जित है।

नए मेट्रो स्टेशन 'यशोभूमि द्वारका सेक्टर 25' के उद्घाटन के साथ 'यशोभूमि' दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन से भी जुड़ जाएगी। नए मेट्रो स्टेशन में तीन सबवे होंगे - स्टेशन को प्रदर्शनी हॉल, कन्वेंशन सेंटर और सेंट्रल एरिना से जोड़ने वाला 735 मीटर लंबा सबवे; द्वारका एक्सप्रेसवे में प्रवेश/निकास को जोड़ने वाला दूसरा सबवे; जबकि तीसरा सबवे मेट्रो स्टेशन को 'यशोभूमि' के भविष्य के प्रदर्शनी हॉल के फ़ोयर से जोड़ता है।

पीएम विश्वकर्मा

प्रधानमंत्री का पारंपरिक शिल्प में लगे लोगों को सहायता प्रदान करने पर निरंतर ध्यान केन्द्रित रहा है। यह फोकस न केवल कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करने बल्कि स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और विविध विरासत को जीवित और समृद्ध बनाए रखने की इच्छा से भी प्रेरित है।

पीएम विश्वकर्मा को 13,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाएगा। इस योजना के तहत, बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से विश्वकर्माओं का निःशुल्क पंजीकरण किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान-पत्र, मूलभूत और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक संपार्श्विक-मुक्त ऋण सहायता, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी ।

इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले विश्वकर्माओं द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित प्रथा को सुदृढ़ बनाना और पोषित करना है। पीएम विश्वकर्मा का मुख्य केंद्र कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत हों।

यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के अंतर्गत अठारह पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा। इनमें (i) बढ़ई; (ii) नौका निर्माता; (iii) शस्‍त्रसाज; (iv) लोहार; (v) हथौड़ा और टूल किट निर्माता; (vi) ताला बनाने वाला; (vii) सुनार; (viii) कुम्हार; (ix) मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला; (x) मोची (जूता/जूता कारीगर); (xi) राजमिस्त्री; (xii) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर; (xiii) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक); (xiv) नाई; (xv) माला बनाने वाला; (xvi) धोबी; (xvii) दर्जी; और (xviii) मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला शामिल हैं।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!