नमो चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान का दौरा किया और इसे राष्ट्र को समर्पित किया
दीव और सिलवासा से प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लाभार्थियों को चाबियां सौंपी
“इन परियोजनाओं से जीवनयापन, पर्यटन, परिवहन और व्यवसाय में आसानी होगी। यह समय पर डिलीवरी की नई कार्य संस्कृति का उदाहरण है”
"देश के हर क्षेत्र का संतुलित विकास हो, इस पर हमारा बहुत जोर है"
'सेवाभावना यहां के लोगों की पहचान है'
"मैं हर छात्र को विश्वास दिलाता हूं कि हमारी सरकार उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी"
“मन की बात भारत के लोगों के प्रयासों और भारत की विशेषताओं को उजागर करने का एक बहुत अच्छा मंच बन गया है”
"मैं दमन, दीव और दादरा और नगर हवेली को तटीय पर्यटन के एक उज्ज्वल स्थान के रूप में देख रहा हूं"
"आज देश में ‘तुष्टीकरण’ पर नहीं बल्कि ‘संतुष्टिकरण’ पर बल दिया जा रहा है"
"वंचितों को वरीयता, ये बीते 9 वर्ष के सुशासन की पहचान बन चुकी है"
"सबका प्रयास' से हासिल होगा विकसित भारत का संकल्प और समृद्धि"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज सिलवासा, दादरा और नगर हवेली में 4850 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं में सिलवासा में नमो चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान का लोकार्पण और दमन में सरकारी स्कूलों, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, विभिन्न सड़कों के सौंदर्यीकरण, सुदृढ़ीकरण और चौड़ीकरण, मछली बाजार और शॉपिंग सेंटर और जल आपूर्ति योजना आदि का विस्तार जैसी 96 परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण शामिल है। प्रधानमंत्री ने दीव और सिलवासा से प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) शहरी के लाभार्थियों को घर की चाबियां भी सौंपी।

 

इससे पहले दिन में, प्रधानमंत्री ने सिलवासा में नमो चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान का भी दौरा किया, जहां उनके साथ केंद्रशासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव और लक्षद्वीप के प्रशासक श्री प्रफुल्ल पटेल भी थे। उन्होंने संस्थान का उद्घाटन किया और भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने कॉलेज परिसर के मॉडल का निरीक्षण किया और अकादमिक ब्लॉक में एनाटॉमी संग्रहालय और डिसेक्शन कक्ष का अवलोकन किया। प्रधानमंत्री ने सेंट्रल लाइब्रेरी का भी दौरा किया और आगंतुक पुस्तिका पर हस्ताक्षर किए। वे एम्फीथिएटर की ओर भी गए, जहां उन्होंने निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के साथ बातचीत की।

 

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने दमन, दीव और दादरा और नगर हवेली की विकास यात्रा को देखकर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने एक महानगर के रूप में बढ़ते सिलवासा के बारे में चर्चा की, क्योंकि यह देश के हर कोने के लोगों का स्थान है। उन्होंने कहा कि परंपरा और आधुनिकता दोनों के प्रति लोगों के प्रेम को देखते हुए केंद्रशासित प्रदेश के विकास के लिए सरकार पूरे समर्पण के साथ काम कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में 5500 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ केंद्रशासित प्रदेश में भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे पर बहुत काम किया गया है। उन्होंने एलईडी लाइट वाली सड़कों, डोर-टू-डोर कचरा संग्रह और 100 प्रतिशत कचरा प्रसंस्करण के बारे में बात की। उन्होंने केंद्रशासित प्रदेश में उद्योग और रोजगार बढ़ाने के साधन के रूप में राज्य की नई औद्योगिक नीति की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "आज मुझे 5000 करोड़ की नई परियोजनाओं को शुरू करने का अवसर मिला है।" ये परियोजनाएं स्वास्थ्य, आवास, पर्यटन, शिक्षा और शहरी विकास से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा, "वे जीवनयापन, पर्यटन, परिवहन और व्यापार में आसानी में सुधार करेंगे।"

उन्होंने आज की परियोजनाओं के बारे में चर्चा के दौरान प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि कई परियोजनाओं का शिलान्यास स्वयं प्रधानमंत्री ने किया। उन्होंने इस तथ्य पर खेद व्यक्त किया कि देश के विकास के लिए बड़ी अवधि के लिए सरकारी परियोजनाएं या तो अटकी रहीं, छोड़ दी गईं या भटक गईं, कभी-कभी इस हद तक कि शिलान्यास ही मलबे में बदल जाता था और परियोजनाएं अधूरी रह जाती थीं। लेकिन पिछले 9 वर्षों में प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि एक नई कार्यशैली विकसित हुई है और कार्य संस्कृति शुरू हुई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार में अब जिस कार्य की नींव रखी जाती है, उसे तेजी से पूरा करने का भी भरसक प्रयास किया जाता है और एक काम पूरा करते ही हम दूसरा काम शुरू कर देते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की परियोजनाएं इसी कार्य संस्कृति का उदाहरण हैं और विकास कार्यों के लिए सभी को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने दोहराते हुए कहा कि केंद्र सरकार “सबका साथ - सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” के मंत्र पर चल रही है। उन्होंने कहा कि देश के हर क्षेत्र का विकास हो, देश के हर क्षेत्र का संतुलित विकास हो, इस पर हमारा बहुत जोर है। प्रधानमंत्री ने लंबे समय से चल रहे एक कार्यक्रम - विकास को वोट बैंक की राजनीति के चश्मे से देखने की प्रवृत्ति की आलोचना की। इससे आदिवासी और सीमावर्ती क्षेत्र उपेक्षित हुए। प्रधानमंत्री ने कहा कि मछुआरों को उनके भाग्य पर छोड़ दिया गया और दमन, दीव और दादरा और नगर हवेली ने इसके लिए भारी कीमत चुकाई।

प्रधानमंत्री ने इस तथ्य पर ध्यान आकर्षित किया कि स्वतंत्रता के दशकों के बाद भी, दमन, दीव और दादरा और नगर हवेली के क्षेत्रों में एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं था और युवाओं को डॉक्टर बनने के लिए देश के अन्य क्षेत्रों की ओर जाना पड़ता था। उन्होंने कहा कि ऐसे अवसर पाने वाले आदिवासी समुदाय के युवाओं की संख्या लगभग शून्य थी, क्योंकि दशकों तक देश पर शासन करने वालों ने इस क्षेत्र के लोगों की इच्छाओं और आकांक्षाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दमन, दीव, दादरा और नगर हवेली को अपना पहला राष्ट्रीय शैक्षणिक चिकित्सा संगठन या नमो मेडिकल कॉलेज केवल वर्तमान सरकार के सेवा-उन्मुख दृष्टिकोण और समर्पण के कारण मिला, जो 2014 के बाद सत्ता में आई थी। प्रधानमंत्री ने कहा, “अब हर साल, क्षेत्र के लगभग 150 युवाओं को चिकित्सा का अध्ययन करने का मौका मिलेगा।” उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में इस क्षेत्र से लगभग 1000 डॉक्टर तैयार किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने एक लड़की की एक समाचार रिपोर्ट के बारे में भी चर्चा की, जो अपने पहले वर्ष में चिकित्सा का अध्ययन कर रही थी, जिसने कहा था कि वह न केवल अपने परिवार में बल्कि पूरे गांव में ऐसा करने वाली पहली महिला है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सेवाभावना यहां के लोगों की पहचान है और कोरोना के समय में यहां के मेडिकल स्टूडेंट्स ने आगे बढ़कर लोगों की मदद की थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्थानीय छात्रों ने जो विलेज एडॉप्शन प्रोग्राम चलाया था, उसका जिक्र उन्होंने ‘मन की बात’ में भी किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि मेडिकल कॉलेज से स्थानीय चिकित्सा सुविधाओं पर दबाव कम होगा। उन्होंने कहा, "300 बिस्तरों वाला एक नया अस्पताल निर्माणाधीन है और एक नए आयुर्वेदिक अस्पताल के लिए अनुमति प्रदान की गई है।"

प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों के स्कूलों में विज्ञान की शिक्षा शुरू की। उन्होंने मातृभाषा में शिक्षा न होने की समस्या का भी समाधान किया। उन्होंने कहा, "अब मेडिकल और इंजीनियरिंग शिक्षा का विकल्प भी स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध है, जिससे स्थानीय छात्रों को काफी मदद मिलेगी।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "इंजीनियरिंग कॉलेज का लोकार्पण होने से आज हर साल 300 छात्रों को इंजीनियरिंग पढ़ने का अवसर मिलेगा।" उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि दादरा और नगर हवेली में प्रमुख शिक्षण संस्थान परिसर खोले जा रहे हैं। उन्होंने दमन में निफ्ट उपग्रह परिसर, सिलवासा में गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी परिसर, दीव में आईआईआईटी वडोदरा परिसर के बारे में बताया। प्रधानमंत्री ने वादा करते हुए कहा, "मैं हर छात्र को विश्वास दिलाता हूं कि हमारी सरकार उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी।”

सिलवासा की अपनी पिछली यात्रा को याद करते हुए, जब प्रधानमंत्री ने विकास के पांच मापदंडों या 'पंचधारा' के बारे में बात की थी, अर्थात् बच्चों की शिक्षा, युवाओं के लिए आय का स्रोत, बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य देखभाल, किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा और आम नागरिकों के लिए निवारण। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे प्रधानमंत्री आवास योजना की महिला लाभार्थियों के लिए पक्के मकानों के संदर्भ में उपर्युक्त में एक और पैरामीटर जोड़ना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ने पिछले वर्षों में देश में 3 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को पक्के घर उपलब्ध कराए हैं जहां 15 हजार से अधिक घर सरकार ने खुद बनाए और सौंपे। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज यहां 1200 से अधिक परिवारों को अपना घर मिल गया है और महिलाओं को पीएम आवास योजना के तहत घरों में बराबर का हिस्सा दिया जाता है। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा, "सरकार ने दमन, दीव, दादरा और नगर हवेली की हजारों महिलाओं को घर की मालकिन बना दिया है।" उन्होंने कहा कि पीएम आवास योजना के तहत बनाए गए प्रत्येक घर की लागत कई लाख रुपये है जो इन महिलाओं को 'लखपति दीदी'' बनाती है।

प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के बारे में चर्चा करते हुए नागली और नचनी जैसे स्थानीय मिलेट की ओर ध्यान दिलाया और कहा कि सरकार विभिन्न रूपों में स्थानीय श्री अन्न को बढ़ावा दे रही है। प्रधानमंत्री ने अगले रविवार को ‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “मन की बात भारत के लोगों के प्रयासों और भारत की विशेषताओं को उजागर करने का एक बहुत अच्छा मंच बन गया है। आपकी तरह मैं भी 100वें एपिसोड का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं।'

प्रधानमंत्री ने दमन, दीव और दादरा और नगर हवेली के प्रमुख पर्यटन स्थलों के रूप में उभरने की संभावना के बारे में चर्चा करते हुए कहा,"मैं दमन, दीव और दादरा और नगर हवेली को तटीय पर्यटन के एक उज्ज्वल स्थान के रूप में देख रहा हूं।" उन्होंने कहा, यह उस समय और भी महत्वपूर्ण है, जब सरकार भारत को दुनिया का अग्रणी पर्यटन स्थल बनाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि नानी दमन मरीन ओवरव्यू (नमो) पथ नामक दो समुद्री तट पर्यटन को बढ़ावा देंगे। उन्होंने कहा कि समुद्र तट क्षेत्र में एक नया टेंट सिटी उभर रहा है। प्रधानमंत्री ने अपनी बातों को जारी रखते हुए कहा कि इसके अलावा, खानवेल रिवरफ्रंट, दुधानी जेट्टी, इको-रिसॉर्ट और तटीय सैरगाह का कार्य पूरा होने के बाद पर्यटकों के लिए आकर्षण बढ़ाएंगे।

संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में ‘तुष्टीकरण’ पर नहीं बल्कि ‘संतुष्टिकरण’ पर बल दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, "वंचितों को वरीयता, ये बीते 9 वर्ष के सुशासन की पहचान बन चुकी है।" उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि केंद्र सरकार देशभर में समाज के हर वंचित वर्ग और हर वंचित को सुविधाएं प्रदान करने के लिए तेज गति से काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “जब योजनाओं का सैचुरेशन होता है, जब सरकार खुद लोगों के दरवाजे तक जाती है, तो भेदभाव खत्म होता है, भ्रष्टाचार खत्म होता है।” श्री मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि दमन, दीव, दादरा और नगर हवेली केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं से परिपूर्ण होने के बहुत करीब हैं। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, "सबका प्रयास' के साथ विकसित भारत और समृद्धि का संकल्प हासिल किया जाएगा।”

केंद्रशासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव और लक्षद्वीप के प्रशासक श्री प्रफुल्ल पटेल, दादरा और नगर हवेली और कौशाम्बी के सांसद क्रमशः श्रीमती कलाबेन मोहनभाई डेलकर और विनोद सोनकर अन्य लोगों के साथ इस अवसर पर उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने सिलवासा में नमो चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान का दौरा किया और उस का लोकार्पण किया, जिसकी आधारशिला भी स्वयं प्रधानमंत्री ने जनवरी 2019 में रखी थी। यह केंद्रशासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बदल देगा। अत्याधुनिक मेडिकल कॉलेज में नवीनतम अनुसंधान केंद्र, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं तक पहुंच से सुसज्जित 24 घंटे 7 दिन संचालित एक सेंट्रल लाइब्रेरी, विशेष चिकित्सा कर्मचारी, चिकित्सा प्रयोगशालाएं, स्मार्ट लेक्चर हॉल, अनुसंधान प्रयोगशालाएं, एक एनाटॉमी म्यूजियम, एक क्लब हाउस, छात्रों और संकाय सदस्यों के लिए खेल सुविधाएं और आवास शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने सिलवासा के सायली मैदान में 4850 करोड़ रुपये से भी अधिक की 96 परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं में दादरा और नगर हवेली जिले के मोरखल, खेरडी, सिंदोनी और मसाट के सरकारी स्कूल, अंबावाड़ी, परियारी, दमनवाड़ा, खारीवाड़ के सरकारी स्कूल और सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज, दमन; दादरा और नगर हवेली जिले में विभिन्न सड़कों का सौंदर्यीकरण, सुदृढ़ीकरण और चौड़ीकरण; मोती दमन और नानी दमन में मछली बाजार और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और नानी दमन में जलापूर्ति योजना का विस्तार शामिल हैं।

 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।