लगभग 4260 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शुभारंभ किया
"अमृत काल की अमृत पीढ़ी के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम"
"पिछले दो दशकों में गुजरात ने राज्य में शिक्षा प्रणाली को बदला"
"गुजरात हमेशा से शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अनोखे और बड़े प्रयोगों का हिस्सा रहा"
" राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के लिए पीएम-श्री स्कूल मॉडल स्कूल होंगे"
"नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करने और प्रतिभा व नवाचार को बढ़ावा देने का एक प्रयास है"
"अंग्रेजी भाषा को बुद्धिमत्ता के उपाय के रूप में लिया गया था, इसने ग्रामीण प्रतिभा पूल के दोहन में बाधा उत्पन्न की"
"शिक्षा, पुरातन काल से ही भारत के विकास की धुरी रही है"
"21वीं सदी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित अधिकांश नवाचार भारत में होंगे"
"गुजरात एक नवाचार केंद्र के रूप में देश के ज्ञान केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है"
"भारत के पास दुनिया की एक महान ज्ञान अर्थव्यवस्था बनने की अपार संभावनाएं हैं"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के त्रिमंदिर, अडालज में उत्कृष्ट मिशन स्कूलों (मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस) का शुभारंभ किया। मिशन की परिकल्पना कुल 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ की गई है। त्रिमंदिर में कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने लगभग 4260 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का भी शुभारंभ किया। यह मिशन गुजरात में नई कक्षाओं, स्मार्ट कक्षाओं, कंप्यूटर प्रयोगशालाओं की स्थापना और राज्य में स्कूलों के बुनियादी ढांचे के समग्र आधुनिकीकरण से शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद करेगा।

 

उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज गुजरात अमृत काल की अमृत पीढ़ी के निर्माण की तरफ बहुत बड़ा कदम उठा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, "यह अवसर विकसित भारत और विकसित गुजरात के लिए मील का पत्थर साबित होगा।" उन्होंने मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस के लिए सभी नागरिकों, शिक्षकों, युवाओं और गुजरात की भावी पीढ़ियों को बधाई दी।

 

5जी प्रौद्योगिकी के हालिया विकास पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि यद्यपि हमने इंटरनेट की पहली से चौथी पीढ़ी तक का उपयोग किया है, अब देश में 5जी बड़ा बदलाव लाने वाला है। "हर पीढ़ी के साथ, प्रौद्योगिकी ने हमें जीवन के हर छोटे पहलू से जोड़ा है।" श्री मोदी ने आगे कहा, "इसी तरह हमने स्कूलों की विभिन्न पीढ़ियों को देखा है।" 5जी प्रौद्योगिकी की क्षमताओं पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शिक्षा प्रणाली को स्मार्ट सुविधाओं, स्मार्ट कक्षाओं और स्मार्ट शिक्षण से आगे ले जाएगी और इसे अगले स्तर पर पहुंचाएगी। "हमारे युवा छात्र अब स्कूलों में वर्चुअल वास्तविकता और इंटरनेट ऑफ थिंग्स की ताकत का अनुभव कर सकेंगे।" प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस के माध्यम से गुजरात ने पूरे देश में पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की टीम को बधाई दी।

 

प्रधानमंत्री ने पिछले दो दशकों में शिक्षा के क्षेत्र में गुजरात में हुए बदलावों पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने गुजरात में शिक्षा क्षेत्र की बदहाल स्थिति को याद किया और बताया कि 100 में से 20 बच्चे कभी स्कूल नहीं गए। उन्होंने आगे कहा कि जो छात्र स्कूल गए वह 8वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देते थे। उन्होंने यह भी बताया कि जिन बालिकाओं को स्कूल जाने से रोक दिया गया, उनकी हालत बाकियों से भी बदतर है। जनजातीय क्षेत्रों में शैक्षिक केन्‍द्रों की कमी पर टिप्पणी करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान शिक्षा के लिए कोई योजना नहीं थी। श्री मोदी ने रेखांकित किया, "इन दो दशकों में गुजरात के लोगों ने अपने राज्य में शिक्षा प्रणाली में बदलाव दिखाया है।" प्रधानमंत्री ने बताया कि इन दो दशकों में गुजरात में 1.25 लाख से अधिक नए क्लासरूम बनाए गए और 2 लाख से अधिक शिक्षकों की भर्ती की गई। श्री मोदी ने कहा, “मुझे आज भी वह दिन याद है जब शाला प्रवेशोत्सव और कन्या केलवानी महोत्सव जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए थे। कोशिश यह थी कि जब बेटा और बेटी पहली बार स्कूल जाएंगे तो इसे एक त्योहार की तरह मनाया जाएगा।”

 

प्रधानमंत्री ने शिक्षा की गुणवत्ता पर केंद्रित त्योहार 'गुणोत्सव' को भी याद किया। इस योग्यता में, छात्रों के कौशल व क्षमताओं का मूल्यांकन किया गया और उचित समाधान सुझाए गए। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि गुजरात में विद्या समीक्षा केन्‍द्र में 'गुणोत्सव' का अधिक उन्नत प्रौद्योगिकी आधारित संस्करण काम कर रहा है। “गुजरात हमेशा से शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अनोखे और बड़े प्रयोगों का हिस्सा रहा है। हमने शिक्षक शिक्षा संस्थान की स्थापना की, जो गुजरात में पहला शिक्षक प्रशिक्षण विश्वविद्यालय है।

 

प्रधानमंत्री ने उस समय को याद किया जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे। श्री मोदी ने बताया कि उन्होंने एक गांव से दूसरे गांव की यात्रा की और सभी लोगों से अपनी बेटियों को स्कूल भेजने का अनुरोध किया। "नतीजा यह हुआ है कि आज गुजरात में सभी बेटे-बेटियां स्कूल और उसके बाद कॉलेज जा रहे हैं। उन्होंने उन माता-पिता की भी सराहना की जिन्होंने अपने बच्चों को स्कूल भेजने के उनके अनुरोध पर ध्यान दिया।

 

प्रधानमंत्री ने बताया कि एक दशक पहले भी गुजरात के 15,000 स्कूलों में टीवी, 20 हजार से अधिक स्कूलों में कंप्यूटर की सहायता से अध्ययन की व्यवस्था हो चुकी थी और इस तरह की अनेक प्रणालियां कई वर्षों से गुजरात के स्कूलों का अभिन्न अंग बन गई हैं। शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज गुजरात में 1 करोड़ से अधिक छात्र और 4 लाख से अधिक शिक्षक ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराते हैं। उन्होंने आगे विस्तार से बताया कि आज गुजरात में 20 हजार स्कूल शिक्षा के 5जी युग में प्रवेश करने जा रहे हैं।

 

प्रधानमंत्री ने मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस के तहत शामिल परियोजनाओं पर प्रकाश डाला और बताया कि इन स्कूलों में 50 हजार नए क्लासरूम और एक लाख से अधिक स्मार्ट क्लासरूम बनने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि इन स्कूलों में न केवल आधुनिक, डिजिटल और भौतिक बुनियादी ढांचा होगा, बल्कि यह बच्चों के जीवन और उनकी शिक्षा में बड़ा बदलाव लाने का अभियान भी है। उन्होंने कहा, "यहां बच्चों की क्षमता बढ़ाने के लिए हर पहलू पर काम किया जाएगा।"

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सभी उपायों से 5जी के आने से काफी फायदा होगा। चूंकि यह सुदूरवर्ती क्षेत्रों सहित सभी के लिए सर्वोत्तम सामग्री, शिक्षाशास्त्र और शिक्षक उपलब्ध कराने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, "शैक्षिक विकल्पों की विविधता और लचीलापन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जमीनी स्तर तक पहुंचाएगा।" प्रधानमंत्री ने आगामी 14.5 हजार पीएमश्री स्कूलों की चर्चा की, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के लिए मॉडल स्कूल होंगे। इस योजना पर 27 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

 

प्रधानमंत्री ने बताया, "नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करने और प्रतिभा एवं नवाचार को बढ़ावा देने का एक प्रयास है।" प्रधानमंत्री ने अफसोस व्यक्त कि अंग्रेजी भाषा को ज्ञान के उपाय के रूप में लिया गया, जबकि भाषा केवल संपर्क का माध्यम है। लेकिन इतने दशकों से भाषा एक ऐसी बाधा बन गई थी कि देश को गांवों और गरीब परिवारों में प्रतिभा पूल का लाभ नहीं मिल सका। “अब इस स्थिति को बदला जा रहा है। अब छात्रों को भारतीय भाषाओं में भी विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा का अध्ययन करने का विकल्प मिलने लगा है। गुजराती समेत कई भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की 'किसी को पीछे नहीं छोड़ना' की भावना को भी दोहराया, क्योंकि यह एक विकसित भारत के लिए 'सबका प्रयास' का समय है।

 

विज्ञान और ज्ञान के क्षेत्र में भारत के पूर्वजों के योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की, "शिक्षा, पुरातन काल से ही भारत के विकास की धुरी रही है।" उन्होंने कहा कि भारत कुदरती तौर पर ज्ञान का समर्थक रहा है और सैकड़ों वर्ष पहले हमारे पूर्वजों ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों का निर्माण किया और सबसे बड़े पुस्तकालयों की स्थापना की। प्रधानमंत्री ने उस काल पर खेद व्यक्त किया जब भारत पर आक्रमण किया गया था और भारत की इस संपदा को नष्ट करने का अभियान चलाया गया था। प्रधानमंत्री ने हस्तक्षेप किया, "हमने शिक्षा पर अपने मजबूत आग्रह को नहीं छोड़ा है।" यही कारण है कि आज भी ज्ञान और विज्ञान की दुनिया में नवाचार में भारत की एक अलग पहचान है। श्री मोदी ने कहा, "आजादी का अमृत काल अपनी प्राचीन प्रतिष्ठा वापस पाने का अवसर है।"

 

संबोधन के समापन में, प्रधानमंत्री ने दुनिया में एक महान ज्ञान अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत की अपार क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने समझाया, "21वीं सदी में, मुझे यह दावा करने में कोई संकोच नहीं है कि विज्ञान से संबंधित अधिकांश नवाचार, प्रौद्योगिकी से संबंधित अधिकांश नवाचार, भारत में होंगे।" प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि गुजरात के लिए एक बड़ा अवसर खुलने वाला है। उन्होंने कहा, 'अभी तक गुजरात को व्यापार और कारोबार के लिए जाना जाता है, यह विनिर्माण के लिए है। लेकिन 21वीं सदी में गुजरात देश के ज्ञान केंद्र, नवोन्मेष केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है। मुझे विश्वास है कि उत्कृष्ट मिशन स्कूल इस भावना को बढाएंगे।"

 

इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल, गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत और गुजरात सरकार के मंत्री श्री जीतूभाई वघानी, श्री कुबेरभाई डिंडोर और श्री किरीटसिंह वाघेला उपस्थित थे।

 

 

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President of the European Council, Antonio Costa calls PM Narendra Modi
January 07, 2025
PM congratulates President Costa on assuming charge as the President of the European Council
The two leaders agree to work together to further strengthen the India-EU Strategic Partnership
Underline the need for early conclusion of a mutually beneficial India- EU FTA

Prime Minister Shri. Narendra Modi received a telephone call today from H.E. Mr. Antonio Costa, President of the European Council.

PM congratulated President Costa on his assumption of charge as the President of the European Council.

Noting the substantive progress made in India-EU Strategic Partnership over the past decade, the two leaders agreed to working closely together towards further bolstering the ties, including in the areas of trade, technology, investment, green energy and digital space.

They underlined the need for early conclusion of a mutually beneficial India- EU FTA.

The leaders looked forward to the next India-EU Summit to be held in India at a mutually convenient time.

They exchanged views on regional and global developments of mutual interest. The leaders agreed to remain in touch.